UK 9th Science

UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 20 मानवाधिकार, मौलिक कर्त्तव्य और मूल्यपरक शिक्षा

UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 20 मानवाधिकार, मौलिक कर्त्तव्य और मूल्यपरक शिक्षा

UK Board Solutions for Class 9th Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 20 मानवाधिकार, मौलिक कर्त्तव्य और मूल्यपरक शिक्षा

• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – मानवाधिकारों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर— मानवाधिकार का तात्पर्य
सामाजिक जीवन में मानव को अपने व्यक्तित्व के विकास व समाज में स्थान निर्धारण के लिए कुछ अधिकारों की आवश्यकता होती है। अधिकारों के अभाव में मानव जीवन पशु तुल्य हो जाता है। मानव अधिकार का आशय उन स्वतन्त्रताओं से है जो धर्म, वंश, जाति, लिंग, राष्ट्रीयता या इनमें से किसी भी आधार पर बिना भेद-भाव के सबके लिए उपलब्ध हों। मानव अधिकारों की घोषणा सबसे पहले अमेरिकी व फ्रांसीसी क्रान्ति के पश्चात् हुई, इसके पश्चात् विश्व समुदाय ने कुछ अधिकारों को स्वीकार किया। सन् 1941 ई० में अमेरिकी कांग्रेस में अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने मानव को चार मुख्य अधिकार देने की अनुशंसा की—
(1) भाषण तथा विचार व्यक्त करने का अधिकार,
(2) धर्म तथा विश्वास का अधिकार,
(3) अभाव से स्वतन्त्रता का अधिकार, तथा
(4) भय से मुक्ति का अधिकार ।
इन सभी अधिकारों की प्राप्ति के लिए अनेक सम्मेलन किए गए। विश्व शान्ति व सुरक्षा के लिए 1944 ई० में अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना. हुई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1945 ई० में संयुक्त राष्ट्र संघ का घोषणा-पत्र तैयार किया गया, जिसमें मानवाधिकारों को स्वीकार किया गया।
मानवाधिकारों की सार्वजनिक घोषणा
मानवाधिकारों को स्वीकार करने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग (Commission of Human Rights) ने मानवाधिकार सिद्धान्तों का मसविदा तैयार किया। इस कार्य की पूर्ति में 3 वर्ष का समय लगा। 10 दिसम्बर, 1948 ई० को इसे सर्वसम्पत्ति से स्वीकार किया गया।
घोषणा-पत्र में नागरिक, राजनीतिक, धार्मिक व सामाजिक अधिकारों का भी प्रतिपादन किया गया है। कुछ मूलभूत अधिकार निम्नलिखित हैं-
(1) काम के पश्चात् पारिश्रमिक पाने का अधिकार,
(2) श्रमिक संगठनों (Trade Union) को संघटित करने का अधिकार,
(3) विश्राम तथा सामाजिक भरण-पोषण का अधिकार,
(4) शिक्षा व सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार,
(5) विचार, धर्म, शान्तिपूर्वक सभाएँ करने व संगठन बनाने का अधिकार आदि ।
संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के 30 अनुच्छेदों में मानवाधिकारों का उल्लेख मिलता है। वर्तमान समय में विश्व के अधिकांश देशों विशेषकर प्रजातान्त्रिक देश मानवाधिकारों की घोषणा के प्रति सजग हैं। पूरे विश्व में मानवाधिकारों के प्रति जनसामान्य को जागरूक करने के उद्देश्य से 10 दिसम्बर का दिन ‘मानवाधिकार दिवस’ के रूप में माना जाता है।
अतः हम देखते हैं कि मानवाधिकारों द्वारा व्यक्तियों को अन्याय के विरुद्ध संरक्षण प्रदान किया जाता है। इन अधिकारों में यह माना गया है कि मानव की एक विशिष्ट प्रकृति है जो उसके मौलिक दायित्वों और अधिकारों को निर्धारित करती है। ये अधिकार मानवता के विकास हेतु मौलिक अधिकार हैं और इनका समादर करना आवश्यक है।
प्रश्न 2 – पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता मानव ने अपने जीवन में भौतिक सुखों का कृत्रिम आनन्द प्राप्त करने के उद्देश्य से पर्यावरण की अमूल्य सम्पदाओं (संसाधनों) का अधिकाधिक दोहन किया है। वह क्षणिक भौतिक सुखों के आनन्द में निस्संदेह यह भूल गया है प्रकृति हमें हमेशा अपनी और बुला रही होती है और हम उसके सौन्दर्य तथा सच्चे आनन्द के वशीभूत उसकी ओर खिंचे चले जाते हैं एवं उसके साथ एकाकार का अनुभव करते हैं, क्योंकि यही अन्तिम सत्य होता है। पर्यावरण शिक्षा इसी वास्तविकता को याद दिलाने का कार्य करती है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक रिपोर्ट “ग्लोबल एनवायरमेंट आउटलुक 2000” के अनुसार – विश्व में 80% वनों का विनाश हो चुका है। 4630 प्रकार के स्तनधारियों में से लगभग एक-चौथाई तथा पक्षियों की कुल 9,675 प्रजातियों में से 11% प्रजातियाँ लुप्त होने के कगार पर हैं। वर्तमान में लगभग 1 बिलियन शहरी जनसंख्या खतरनाक स्तर के वायु प्रदूषण से जूझ रही है। इतना ही नहीं इस वर्तमान सदी में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है जब ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र तल में वृद्धि होने से अत्यधिक विनाशकारी स्थिति हमारे सामने उपस्थित हो जाए।
अतः पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए खतरे की घण्टी बज चुकी | है तथा समय की माँग है कि पर्यावरण के मूल्यों और नैतिक सिद्धान्तों को समझ लें तथा उनका अनुपालन भी करें। इसलिए पर्यावरण शिक्षा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्कूली पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनता जा रहा है। इतना ही नहीं अब जन-सामान्य को भी पर्यावरण के प्रति सजग व जागरूक होकर पर्यावरण के महत्त्व एवं मूल्य को समझ लेना चाहिए तभी मानव सहित जैव जगत के अस्तित्व की सुरक्षा हो सकती है।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – पर्यावरण संरक्षण के चार उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय अपेक्षित हैं—
(1) पर्यावरण बोध एवं जनसामान्य में जागरूकता — वर्तमान मानव अपने अल्पकालीन लाभों के लिए प्रकृति का अन्धाधुन्ध दोहन कर रहा है, क्योंकि उसे पर्यावरण का बोध नहीं है। अतः पर्यावरण सुरक्षा हेतु भाव के प्राचीन ऋषि, मुनियों की भाँति प्रकृति बोध का होना आवश्यक है। इस प्रयास में पर्यावरण शिक्षा, जनसामान्य जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण किया जाना चाहिए।
(2) प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण – पर्यावरण की सुरक्षा हेतु संसाधनों के संरक्षण की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। प्राकृतिक पर्यावरण के विभिन्न घटकों— जल, वायु, मिट्टी, ऊर्जा, वनस्पति, खनिज, जीव-जन्तुओं आदि के संरक्षण से पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
(3) वैधानिक उपाय – सुरक्षित एवं प्रदूषणरहित पर्यावरण के लिए कुछ वैधानिक उपाय अत्यन्त आवश्यक हैं। भारत में जल, वन, वायु एवं वन्य जीव आदि पर्यावरणीय तत्त्वों की सुरक्षा के लिए कानून तो बने हैं, परन्तु इनको ईमानदारी से लागू करने की इच्छाशक्ति के अभाव के कारण सन्तोषजनक परिणाम प्राप्त नहीं हुए हैं। अतः वैधानिक उपायों को कड़ाई से पालन कराने की आवश्यकता है, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकता है।
(4) प्रौद्योगिक में सुधार – सुरक्षित पर्यावरण का निर्माण करने के लिए पर्यावरण, सुधार सम्बन्धी प्रौद्योगिकी का विकास आवश्यक है। सीवर उपचार व धुआँरहित मोटर वाहनों का निर्माण तथा मौसम व जलवायु सम्बन्धी पूर्व सूचना जैसी नवीन तकनीकी को अपनाने से एवं पुरानी तकनीकी में संशोधन करके निश्चित ही पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
इस प्रकार उपर्युक्त उपायों को अपनाकर अवश्य ही पर्यावरण को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान किया जा सकता है। आवश्यकता केवल इन उपायों को नियोजित तरीके से अपनाने की है।
प्रश्न 2 – मौलिक कर्त्तव्य क्या हैं?
उत्तर – मौलिक कर्त्तव्य
स्वतन्त्र भारत के संविधान में देश के नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। इनमें कुछ प्रमुख अधिकार हैं- समानता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार आदि । किन्तु ये मौलिक अधिकार हमें कुछ मौलिक कर्त्तव्यों के बदले प्राप्त हुए हैं। अत: संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के बदले देश के नागरिकों के लिए निर्धारित कर्त्तव्य ही मौलिक कर्त्तव्य कहलाते हैं। ये वे कर्तव्य हैं जिनका निर्वहन भारत के प्रत्येक नागरिक द्वारा किया जाना आवश्यक है।
मौलिक कर्त्तव्य भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में सम्मिलित हैं। ये मौलिक कर्त्तव्य न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं। फिर भी ये नैतिक दृष्टि से बाध्यकर हैं। वर्तमान सन्दर्भ में हमें यह समझ लेना चाहिए कि भारत का नागरिक होने के नाते हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम संविधान में दिए इन सभी मौलिक कर्त्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा से करें।
प्रश्न 3 – राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुख्य कार्य
भारत में मानवाधिकार आयोग के कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं—
(1) मानवाधिकारों के उल्लंघन पर स्वतः या उसके कारण पीड़ित किसी व्यक्ति द्वारा शिकायत प्राप्त होने पर जाँच करना ।
(2) किसी जेल या राज्य सरकार के नियन्त्रणाधीन संस्था में लोगों को निरुद्ध रखा जाता है वहाँ का दौरा करके आवास एवं अन्य आवश्यक मौलिक दशाओं का निरीक्षण करना तथा तत्सम्बन्धी सिफारिशें करना।
(3) किसी न्यायालय में लम्बित मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में न्यायालय अनुमोदन से हस्तक्षेप करना ।
(4) आतंकवादी क्रियाकलापों सहित ऐसे सभी कारकों की समीक्षा करना जिससे व्यक्ति के मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो तथा उपयुक्त उपचारात्मक उपायों की सिफारिशें करना ।
(5) अन्तर्राष्ट्रीय निकायों जैसे कि संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ की गई किसी सन्धि का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
(6) लोगों में मानवाधिकार सम्बन्धी शिक्षा का प्रसार तथा अधिकारों के संरक्षण हेतु उपायों की जानकारी प्रदान करना।
(7) मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्य कर रहे गैर-सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों के प्रयासों को प्रोत्साहन और सहयोग प्रदान करना ।
इस प्रकार मानवाधिकार आयोग जन्सामान्य के मौलिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान करता है और उन्हें इन अधिकारों के प्रति जागरूक करने का कार्य करता है।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से होने वाले किसी एक परिणाम के बारे में बताइए ।
उत्तर – ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्री जल वृद्धि के कारण समुद्रतटीय मानव बस्तियाँ जल में डूब जाएँगी।
प्रश्न 2 – एक विकसित, एक विकासशील और एक अल्प विकसित देश का नाम बताइए।
उत्तर – अमेरिका (विकसित), भारत ( विकासशील), सुमाली (अल्पविकसित) देश हैं।
प्रश्न 3 – भारत में मानवाधिकारों के क्रियान्वयन हेतु उत्तरदायी संगठन का नाम बताइए ।
उत्तर- भारत में मानवाधिकारों के क्रियान्वयन के प्रति उत्तरदायी संगठन का नाम ‘मानवाधिकार आयोग’ है।
प्रश्न 4 – संयुक्त राष्ट्र संघ का कौन-सा अभिकरण पर्यावरण सम्बन्धी मामलों का संवर्द्धन और संयोजन करता है?
उत्तर – संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम (यू० एन० ई०पी०) द्वारा पर्यावरण संवर्द्धन से सम्बन्धित बैठकों और सेमिनारों का आयोजन किया जाता है।

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