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UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 8 पर्यावरण अधिप्रभाव आकलन

UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 8 पर्यावरण अधिप्रभाव आकलन

UK Board Solutions for Class 9th Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 8 पर्यावरण अधिप्रभाव आकलन

• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – पर्यावरण अधिप्रभाव से क्या आशय है? पर्यावरण अधिप्रभाव आकलन की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- पर्यावरणीय अधिप्रभाव आकलन का अर्थ
पर्यावरणीय अधिप्रभाव आकलन का आशय प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन एवं उपयोग से सम्बन्धित प्राकृतिक पर्यावरण पर पड़ने वाले सम्भावित प्रभावों के आकलन एवं मूल्यांकन से है। इस आकलन में दो तथ्यों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है-
(क) किसी भी प्रस्तावित विकास कार्यक्रम का प्राकृतिक पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों या प्राकृतिक पर्यावरण में भावी परिवर्तनों का आकलन करना।
(ख) इन पर्यावरणीय परिवर्तनों का मानव समाज पर पड़ने वाले प्रभावों का अनुमान लगाना ।
पर्यावरण अधिप्रभाव आकलन की विधियाँ
पर्यावरणीय अधिप्रभाव आकलन मुख्यत: निम्नलिखित तीन स्तरों पर किया जाता है—
(1) प्रारम्भिक सुरक्षा — इसमें किसी विकास कार्यक्रम या परियोजना को प्रारम्भ करने से पूर्व लाभकारी एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल सम्भावित प्रभावों का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें यह देखना अत्यन्त आवश्यक है कि योजना या विकास कार्यक्रम के कौन-से तत्त्व पर्यावरण अवक्रमण के लिए गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
(2) तीव्र पर्यावरणीय प्रभाव – तीव्र पर्यावरणीय प्रभावों के अन्तर्गत ऐसे तत्त्वों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है जो पर्यावरण पर तीव्रता से अपना प्रभाव डालते हैं। इस स्तर पर ऐसे उपायों को निर्धारित किया जाता है जिससे पर्यावरण को सुरक्षा एवं संरक्षण प्राप्त हो सके।
(3) विस्तृत प्रभाव निर्धारण – उपर्युक्त दोनों स्तरों पर किए गए कार्यों के विवरण को संकलित या विश्लेषित करके उन्हें अच्छी प्रकार क्रियान्वित करना विस्तृत प्रभाव निर्धारण के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है।
उपर्युक्त तीनों कार्यों या स्तरों को निम्नलिखित चरणों द्वारा पूरा किया जाता है—
(i) पर्यावरण की वर्तमान दशा का आकलन करना ।
(ii) प्रस्तावित विकास योजना के लक्ष्य एवं आवश्यकता का विवरण प्रस्तुत करना।
(iii) परियोजना के प्रभावों का उल्लेख करना ।
(iv) वैकल्पिक योजना का उल्लेख तथा प्रस्तावित एवं वैकल्पिक योजना का तुलनात्मक आकलन करना।
(v) परियोजना के अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक प्रभावों का उल्लेख करना।
(vi) प्रस्तावित परियोजना की अवस्थिति का भावी विवरण प्रस्तुत करना।
(vii) परियोजना से उत्पन्न होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को करने दूर के लिए उपायों का विवरण प्रस्तुत करना ।
भारत में पर्यावरण अधिप्रभाव आकलन के लिए निर्माणाधीन या. भावी योजनाओं के द्वारा उत्पन्न प्रभावों को दृष्टिगत रखते हुए विशेष अधिनियम बनाए गए हैं। जिससे इन विकास कार्यक्रमों का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव न पड़े।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – पर्यावरण संबंधी अधिप्रभाव आकलन EIA की रिपोर्ट किसको भेजी जाती है?
उत्तर – किसी भी निजी एवं सरकारी परियोजना को लागू करने से पूर्व परियोजना के योजनाकाल में EIA की रिपोर्ट केन्द्रीय सरकार को भेजना अनिवार्य होता है। इस रिपोर्ट को स्वीकृति मिलने के बाद ही किसी विकास योजना को प्रारम्भ किए जाने का प्रावधान है। सभी वृहद सिंचाई परियोजनाएँ एवं लघु सिंचाई परियोजनाएँ, प्रदूषणकारी उद्योग, भवन/भूमि अचल सम्पत्ति आदि के निर्माण के पूर्व EIA रिपोर्ट केन्द्र को भेजी जाती है। इस रिपोर्ट को भेजना तथा इसके अनुसार विकास कार्य करने से ही पर्यावरण को अवक्रमण से बचाया जा सकता है तथा धारणीय विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – पर्यावरणीय अधिप्रभाव आकलन कितने स्तर पर किया जाता है?
उत्तर- पर्यावरणीय अधिप्रभाव आकलन निम्नलिखित तीन स्तरों पर किया जाता है-
(i) प्रारम्भिक सुरक्षा, (ii) तीव्र पर्यावरणीय प्रभाव निर्धारण, (iii) विस्तृत प्रभाव निर्धारण ।
प्रश्न 2 – पर्यावरणीय अधिप्रभाव आकलन की रिपोर्ट को क्या कहते हैं?
उत्तर – पर्यावरणीय अधिप्रभाव आकलन रिपोर्ट को ‘पर्यावरणीय अधिप्रभाव वक्तव्य’ कहा जाता है। संक्षेप में इसे EIS कहते हैं।
प्रश्न 3 – किसी भी परियोजना से पूर्व पर्यावरण अघिप्रभाव आकलन क्यों आवश्यक है?
उत्तर- पर्यावरण पर विकास कार्यों या परियोजना का दुष्प्रभाव रोकने के लिए पर्यावरण अधिप्रभाव आकलन अत्यन्त आवश्यक है।

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