UK 9th Social Science

UK Board 9th Class Social Science – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 10 आपदा प्रबन्धन में विद्यालय, छात्रों की भूमिका

UK Board 9th Class Social Science – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 10 आपदा प्रबन्धन में विद्यालय, छात्रों की भूमिका

UK Board Solutions for Class 9th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 10 आपदा प्रबन्धन में विद्यालय, छात्रों की भूमिका

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1– स्कूली बच्चों की आपदा प्रबन्धन में भूमिका स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर—स्कूली बच्चे समाज का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में इनकी हिस्सेदारी लगभग 33% है। स्कूली बच्चे देश का भविष्य और मानव संसाधन का प्रमुख आधारभूत अंग हैं। इन्हें सुरक्षित रखना तथा इनके द्वारा सुरक्षित समाज का निर्माण करना दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। आपदाओं के प्रभाव से समाज का यह अंग भी अछूता नहीं है। जिस स्कूल में बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं, वह सघन समुदाय घनत्व में स्थापित एक सामुदायिक केन्द्र होता है जो संवेदनशीलता सम्भाव्यता का भी प्रमुख केन्द्र है। इस दृष्टि से स्कूल आपदा प्रबन्धन के लिए बड़ी सम्भावनाएँ है। आपदा प्रबन्धन सम्बन्धी स्कूल योजना में छात्रों व अध्यापकों का योगदान अति आवश्यक और महत्त्वपूर्ण होता है। विपत्ति काल में यह वर्ग समाज के प्रत्येक वर्ग से सम्बन्धित होने के कारण अपना विशेष योगदान देकर प्रभावित समूह के लिए अत्यन्त | उपयोगी सिद्ध होता है। क्योंकि इसके द्वारा सम्भावित विपत्तियों की पहचान, विपत्ति निराकरण के समय योजना का निर्माण और शमन हेतु योजना का प्रभावी उपाय आदि से प्रभावित समाज को पर्याप्त लाभ पहुँचता है।
प्रश्न 2 – स्कूल की आपदा प्रबन्धन समिति से क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर— आपदा प्रबन्धन के लिए स्कूली बच्चों की भागीदारी या सदस्य कार्यकर्त्ता के रूप में संगठित समिति स्कूल की आपदा प्रबन्धन समिति कहलाती है। वास्तव में प्रत्येक स्कूल में एक आपदा प्रबन्धन समिति अवश्य होनी चाहिए, जिसमें बच्चों को आपदा के आगमन/दौरान/पश्चात् का प्रबन्ध कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। परन्तु इसके लिए सुरक्षा मानक नियमों तथा बच्चों के रुझान का मूल्यांकन कर समिति निर्माण के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रश्न 3 – आपदा प्रबन्धन में छात्रों की भागीदारी को समझाइए।
उत्तर- आपदा प्रबन्धन में छात्रों की भागीदारी अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होती है। क्योंकि स्कूली बच्चे अपने विद्यालय के अतिरिक्त अपने परिवेश के विषय में भी पर्याप्त जानकारी रखते हैं। छात्र समाज के सभी वर्गों से जुड़े होते हैं इसलिए इन्हें आपदा प्रबन्धन कार्यों में दक्षता प्रदान करके विपत्ति के समय प्रभावित क्षेत्र के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है। छात्रों के पास विपत्ति के समय विद्यालय के रूप में पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध होते हैं जिनका उपयोग ये भली प्रकार करके लाभ पहुँचाते हैं।
प्रश्न 4 – रिसोर्स व्यक्ति कौन होते हैं ? आपदा प्रबन्धन में इनके योगदान को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – किसी विषय में दक्षता प्राप्त करके उसे दूसरे व्यक्तियों को प्रदान करने का कार्य करने वाले व्यक्ति रिसोर्स व्यक्ति या अनुभवी प्रशिक्षक कहलाते हैं। ये लोग किसी विषय के पूर्ण जानकार होते हैं और समाज के दूसरे व्यक्तियों – छात्र, अध्यापक, कर्मचारी आदि को अपनी जैसी दक्षता प्रदान करने में प्रवीण माने जाते हैं।
आपदा प्रबन्धन में रिसोर्स व्यक्ति का विशेष योगदान होता है। . यही लोग समुदाय के बीच पहुँचकर अन्य लोगों को आपदा या विपत्ति के समय स्वयं एवं अन्य लोगों की सुरक्षा और सहायता का प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इनके द्वारा समुदाय के लोग आपदा आगमन से पूर्व, आपदा के दौरान और आपदा के पश्चात् सुरक्षा, राहत, खोज, बचाव, पुनर्वास, एवं विकास आदि के सम्बन्ध में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए आदि बातों को सीखते हैं।
प्रश्न 5 – आपदा प्रबन्धन के लिए विद्यालय में नियोजन के अनिवार्य तत्त्वों के बारे में बताइए ।
उत्तर — स्कूल की आपदा प्रबन्धन योजना अथवा नियोजन हेतु अनिवार्य रूप से दो तत्त्व महत्त्वपूर्ण होते हैं-
(1) विपत्ति की पहचान एवं सुरक्षा उपाय, (2) प्रत्युत्तर योजना।
  1. विपत्ति की पहचान एवं सुरक्षा उपाय — इस तत्त्व में भवनों तथा आस-पास की अन्य ढाँचागत संरचनाओं; जैसे बिजली, टेलीफोन आदि के खम्भों की पर्याप्त जानकारी योजना बनाने के लिए आवश्यक होती है। ढाँचागत संरचनाओं की पहचान के अतिरिक्त गैर-ढाँचागत संरचनाओं; जैसे वैकल्पिक मार्गों की जानकारी, आदि भी आवश्यक है। इस प्रकार विपत्ति और बचाव के घटकों की पहचान करके सुरक्षा एवं सहायता कार्यों का प्रशिक्षण प्राप्त किया जाता है। प्रशिक्षण का यह कार्य अनुभवी प्रशिक्षक जिसे रिसोर्स व्यक्ति कहा जाता है, से प्राप्त किया जाना आवश्यक होता है। तभी स्कूली बच्चे आपदा प्रबन्धन के सुरक्षा उपायों का प्रभावी उपयोग कर सकते हैं।
  2. प्रत्युत्तर योजना – प्रत्युत्तर योजना के अन्तर्गत छात्र विपत्तियों की पहचान के साथ शमन के उपाय, सम्भावित विपत्तियों के लिए तैयारी की योजना तथा विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष कार्ययोजना आदि घटकों को सम्मिलित किया जाता है।

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