UK Board 9th Class Social Science – (अर्थशास्त्र) – Chapter 2 संसाधन के रूप में लोग
UK Board 9th Class Social Science – (अर्थशास्त्र) – Chapter 2 संसाधन के रूप में लोग
UK Board Solutions for Class 9th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (अर्थशास्त्र) – Chapter 2 संसाधन के रूप में लोग
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – ‘संसाधन के रूप में लोग’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- ‘संसाधन के रूप में लोग’ से अभिप्राय वर्तमान उत्पादन कौशल और क्षमताओं के सन्दर्भ किसी देश में कार्यरत लोगों के वर्णन करने की एक विधि से है। अन्य संसाधन की भाँति जनसंख्या भी एक साधन है। उसे ‘मानव संसाधन’ कहते हैं।
प्रश्न 2 – मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है?
उत्तर- मानव एक सक्रिय संसाधन है जबकि अन्य साधन निष्क्रिय हैं। मानव संसाधन ही भूमि व भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों का उपयोग करके उन्हें उपयोगी बनाता है, वे अपने आप में उपयोगी नहीं हैं।
प्रश्न 3 – मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है?
उत्तर – शिक्षा मानव संसाधन को कुशल बनाती है। शिक्षा एवं प्रशिक्षण सुविधाएँ उसकी उत्पादकता में वृद्धि करती हैं जिससे उसकी आय बढ़ती है।
प्रश्न 4 – मानव पूँजी निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?
उत्तर – मानव पूँजी में स्वास्थ्य सेवाएँ भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करती हैं। अधिक स्वस्थ लोगों की उत्पादकता भी अधिक होती है जिससे उनका उपभोग स्तर एवं जीवन स्तर उच्च रहता है।
प्रश्न 5 – किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या महत्त्वपूर्ण भूमिका है?
उत्तर- किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। अच्छा स्वास्थ्य उसे अधिक सक्षम एवं सशक्त बनाता है रोगों से लड़ने की शक्ति देता है तथा अधिक कार्य करने की क्षमता प्रदान करता है। इससे उसकी उत्पादकता एवं आय बढ़ती है। आय की प्राप्ति कामयाबी की सीढ़ी है।
प्रश्न 6 – प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीय क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक कियाएँ संचालित की जाती हैं?
उत्तर-
- प्राथमिक क्षेत्र – कृषि, वानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन व खनन आदि ।
- द्वितीयक क्षेत्र – उत्खनन व विनिर्माण ।
- तृतीयक क्षेत्र – व्यापार, परिवहन संचार, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन सेवाएँ आदि ।
प्रश्न 7 – आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में क्या अन्तर है?
उत्तर— आर्थिक क्रियाएँ वे क्रियाएँ हैं जो धन कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं। ऐसे कार्य करने वालों को मजदूरी, वेतन अथवा लाभ प्राप्त होता है। इनमें निजी अथवा सरकारी क्षेत्र में वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन शामिल होता है।
गैर-आर्थिक क्रियाएँ वे क्रियाएँ हैं जो धन कमाने के उद्देश्य से नहीं की जातीं जैसे गृहिणी द्वारा घर का कार्य करना, अध्यापक द्वारा अपने बच्चों को पढ़ाना। इनसे राष्ट्रीय आय में कोई वृद्धि नहीं होती है।
प्रश्न 8 – महिलाएँ क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं?
उत्तर – महिलाएँ निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं क्योंकि –
- अधिकांश महिलाएँ अकुशल होती हैं, उनका साक्षरता का स्तर निम्न होता है और वे प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए घर से बाहर नहीं जा पातीं।
- अधिकांश महिलाएँ अपने क्षेत्र से बाहर जाकर काम करना नहीं चाहतीं।
- महिलाओं के लिए कानूनी व सुरक्षा प्रावधान कम है।
प्रश्न 9 – बेरोजगारी शब्द की व्याख्या आप कैसे करेंगे?
उत्तर – बेरोजगारी अर्थव्यवस्था की वह स्थिति है जब प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के इच्छुक, स्वस्थ एवं योग्य व्यक्ति को लाभप्रद काम नहीं मिलता। आर्थिक शब्दावली में केवल वह व्यक्ति ही बेरोजगार माना जाएगा जो — (i) स्वस्थ एवं योग्य है, (ii) कार्य करने का इच्छुक है तथा (iii) प्रचलित मजदूरी को स्वीकार करता है किन्तु उसे रोजगार नहीं मिलता।
प्रश्न 10 – प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अन्तर है?
उत्तर- प्रच्छन्न एवं मौसमी बेरोजगारी में निम्नलिखित अन्तर हैं-
- प्रच्छन्न बेरोजगारी वह स्थिति है, जिसमें किसी कार्य में आवश्यकता से अधिक श्रमिक कार्यरत रहते हैं जबकि मौसमी बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें श्रमिकों को एक विशेष मौसम में ही काम मिलता है।
- प्रच्छन्न बेरोगारी में श्रमिकों की सीमान्त उत्पादकता शून्य होती है। इसका अर्थ होता है कि अतिरिक्त श्रमिकों को काम से हटाने पर उत्पादकता में कमी नहीं आएगी। मौसमी रोजगार में श्रम की उत्पादकता धनात्मक होती है।
- प्रच्छन्न बेरोजगारी सामान्यतः कृषि व ग्रामीण क्षेत्रों में पायी जाती है जबकि मौसमी बेरोजगारी ग्रामीण व शहरी दोनों ही क्षेत्रों में पायी जाती है। यह अधिकतर कृषि आधारित उद्योगों में पायी जाती है।
प्रश्न 11 – शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों है?
उत्तर – शिक्षित बेरोजगारी से आशय है— शिक्षित व प्रशिक्षित लोगों का बेरोजगार होना। हाईस्कूल, स्नातक व परास्नातक डिग्रीधारियों को काम न मिलना भारत के लिए एक विशेष समस्या है। इससे मानव संसाधन नष्ट हो रहे हैं और दूसरी ओर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस प्रकार वह जनशक्ति जो अर्थव्यवस्था के लिए परिसम्पत्ति है, रोजगार के अभाव में दायित्व बन गई है।
प्रश्न 12 – आपके विचार में भारत किस क्षेत्रक में रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है?
उत्तर— भारत के प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्र अर्थात् सभी क्षेत्रों के रोजगार बढ़ने के अवसर विद्यमान हैं।
प्राथमिक क्षेत्र में वानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन व खनन में; द्वितीयक क्षेत्र में विनिर्माण दवाइयों और तृतीयक क्षेत्र में परिवहन, बीमा, बैंकिंग, संचार आदि में रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं बशर्ते सही रूप में जनशक्ति नियोजन किया जाए।
प्रश्न 13 – क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते हैं?
उत्तर – शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए अग्रलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-
- शिक्षा प्रणाली को व्यवसायपरक बनाया जाए।
- कौशल निर्माण पर विशेष बल दिया जाए।
- तकनीकी शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाए।
- पाठ्यक्रमों को बदलती परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जाए।
प्रश्न 14 – क्या आप कुछ ऐसे गाँवों की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोजगार का कोई अवसर नहीं था, लेकिन बाद में बहुतायत में हो गया?
उत्तर- हाँ, ऐसे अनेक गाँव हैं जिनमें पहले रोजगार के अवसर नहीं थे लेकिन आर्थिक विकास के साथ-साथ वहाँ रोजगार के अवसर बढ़े हैं। उदाहरण के लिए, पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसे अनेक गाँव थे जहाँ रोजगार के अवसर नहीं थे, उन्हें रोजगार की तलाश बाहर जाना ‘पड़ता था। वहाँ के किसानों ने अपने बेटों को ऋण लेकर शहरी क्षेत्रों में पढ़ाया, तकनीकी क्षेत्र में डिग्रियाँ प्राप्त की और फिर अपने-अपने गाँव वापस आकर उन्होंने स्वरोजगार आरम्भ किया। उद्यान क्षेत्र में प्रशिक्षित लड़के ने सेब का बगीचा विकसित किया, कम्प्यूटर प्रशिक्षित व्यक्ति ने अपने घर के बाहर की दुकान में कम्प्यूटर प्रशिक्षण देने का कार्य आरम्भ किया और कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षित लड़के कृषि कार्य में लग गए। उन्होंने कृषि का विविधीकरण किया, वर्ष में अनेक फसलें लीं। इसके फलस्वरूप उन सभी परिवारों की आय में तीव्रगति से वृद्धि हुई। उनकी सफलता देखकर गाँव के अन्य लोग भी इन कार्यों को करने लगे। कम्प्यूटर कार्य बाहर से लाने लगे, अतिरेक उत्पादन को शहर की मण्डियों तक ले जाने लगे। इसमें पैकिंग, परिवहन, संचार आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ गए। इसके अतिरिक्त आय बढ़ाने के लिए गाँव में निर्माण कार्य भी किया जाना लगा । इस प्रकार रोजगार के अवसरों में तीव्रगति से वृद्धि हुई।
प्रश्न 15- किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैंभूमि, श्रम, भौतिक पूँजी और मानव पूँजी ? क्यों?
उत्तर – मानव पूँजी सबसे अच्छी पूँजी है क्योंकि मानव उत्पादन का सक्रिय साधन है जबकि अन्य साधन निष्क्रिय हैं, वे स्वयं कुछ नहीं कर सकते। मानव पूँजी द्वारा ही अन्य साधनों का उचित उपयोग हो सकता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – बेरोजगारी से क्या आशय है? ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में किस प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है?
उत्तर- बेरोजगारी का अर्थ
साधारण शब्दों वे सभी व्यक्ति जो किसी भी उत्पादक कार्य में संलग्न नहीं हैं, बेरोज़गार कहे जाते हैं। आर्थिक शब्दावली में केवल वही व्यक्ति बेरोजगार माना जाता है जो अपनी योग्यता के अनुसार प्रचलित मजदूरी की दर पर कार्य करने को तत्पर होने के बावजूद उसे कार्य नहीं मिल पाता। इस प्रकार की बेरोजगारी के लिए निम्नलिखित बातें आवश्यक हैं-
- व्यक्ति कार्य करने के योग्य है,
- वह कार्य करने को तत्पर हैं,
- वह प्रचलित मजदूरी स्वीकार कर लेता है।
उपर्युक्त के बावजूद जब उसे कार्य न मिले तो ऐसी स्थिति को बेरोजगार की स्थिति कहते हैं।
परिभाषा – “एक बेरोजगार व्यक्ति वह व्यक्ति है जो कि अपनी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार प्रचलित मजदूरी की दर पर कार्य करने को तत्पर है, परन्तु उसे कार्य नहीं मिल पाता।”
ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में बेरोजगारी के स्वरूप
भारत के सन्दर्भ में ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में बेरोजगारी की प्रकृति में अन्तर है। ग्रामीण क्षेत्रों में मौसमी एवं प्रच्छन्न बेरोजगारी पायी जाती है जबकि नगरीय क्षेत्रों में अधिकांशतः शिक्षित बेरोजगारी पायी जाती है।
- मौसमी बेरोजगारी – भारत के कुछ व्यवसाय मौसमी हैं। ये वर्ष के कुछ ही महीने चलते हैं। अतः इन व्यवसायों में लगे व्यक्ति कुछ समय के लिए बेरोजगार रहते हैं। इस प्रकार मौसमी बेरोजगारी उन व्यवसायों में पायी जाती है जिनमें वर्ष भर काम नहीं होता। ऐसे कुछ प्रमुख व्यवसाय हैं— कृषि, बर्फ के कारखाने, चीनी की मिलें आदि । इसे ही ‘मौसमी बेरोजगारी’ कहा जाता है। इसकी प्रकृति अस्थायी होती है। और इसका मुख्य कारण व्यवसाय की मौसमी प्रकृति का होना है।
- प्रच्छन्न बेरोजगारी – प्रच्छन्न बेरोजगारी अथवा अदृश्य बेरोजगारी आंशिक बेरोजगारी की वह अवस्था है जिसमें रोजगार में संलग्न श्रमशक्ति का उत्पादन में योगदान शून्य अथवा लगभग शून्य होता है।
इसका अर्थ है कि उस व्यसाय में आवश्यकता से अधिक श्रमिक लगे हैं। यदि इन्हें इस व्यवसाय से हटाकर किसी अन्य व्यवसाय में स्थानान्तरित कर दिया जाए और मूल व्यवसाय के उत्पादन में कोई कमी न हो तो इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी की स्थिति कहेंगे ।उदाहरण – यदि किसी व्यवसाय में 5 लोगों की आवश्यकता है और उसमें 8 लोग लगे हैं; तो इस व्यवसाय में 3 लोग अतिरिक्त हैं। इन 3 लोगों द्वारा किया गया अंशदान 5 लोगों द्वारा किए गए योगदान में कोई बढ़ोतरी नहीं करता। यदि इन 3 लोगों को हटा दिया जाए तो व्यवसाय की उत्पादकता में कोई अन्तर नहीं पड़ेगा। अतः 3 लोग प्रच्छन्न बेरोजगार हैं।
- शिक्षित बेरोजगारी – नगरीय क्षेत्रों में सामान्यतः शिक्षित बेरोजगारी पायी जाती है। मैट्रिक, स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्रीधारी अनेक युवक चाहते हुए भी रोजगार पाने में असमर्थ हैं। यह एक विरोधाभासी स्थिति है कि तकनीकी विषयों में शिक्षित अनेक युवक आज बेरोजगार हैं जबकि कुछ क्षेत्रों में तकनीकी कौशल की कमी है। ऐसा विवेकपूर्ण जनशक्ति नियोजन न होने के कारण है। इस प्रकार शिक्षित लोगों में कमी एवं आधिक्य का विरोधाभास पाया जाता है।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – मानव पूँजी निर्माण किसे कहते हैं?
उत्तर – जनशक्ति अर्थव्यवस्था के लिए एक परिसम्पत्ति है। जब शिक्षा, प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश जनशक्ति मानव पूँजी में बदल जाती है। वास्तव में मानव पूँजी कौशल और उनमें निहित उत्पादन के ज्ञान का स्टॉक है। जब मानव सं को शिक्षा तथा स्वास्थ्य द्वारा विकसित किया जाता है तो हम इसे मानव पूँजी निर्माण कहते हैं। आर्थिक विकास की दर को तीव्र गति से बढ़ाने की दृष्टि से यह एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है।
प्रश्न 2 – किसी देश के लिए मानव पूँजी निर्माण का क्या महत्त्व है?
उत्तर – मानव पूँजी निर्माण के महत्त्व को निम्नलिखित प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-.
- मानव पूँजी निर्माण भौतिक पूँजी निर्माण की ही भाँति देश की उत्पादकता शक्ति में वृद्धि करता है।
- शिक्षित और बेहतर प्रशिक्षित लोगों की उत्पादकता में वृद्धि के कारण आय में वृद्धि होती है जिससे उनका उपभोग स्तर और जीवन-स्तर उच्च होता है।
- आय में वृद्धि से समाज के सभी वर्ग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते हैं।
- शिक्षित, प्रशिक्षित एवं स्वस्थ व्यक्ति उपलब्ध संसाधनों का अधिक बेहतर उपयोग कर सकते हैं।
प्रश्न 3 – जनसंख्या को एक उत्पादक परिसम्पत्ति के रूप में कैसे बदला जा सकता है?
उत्तर – मानव पूँजी के निवेश द्वारा विशाल जनसंख्या को एक उत्पादक सम्पत्ति के रूप में बदला जा सकता है। हम जानते हैं कि मानव पूँजी में निवेश ( शिक्षा, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा द्वारा ) भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करता है। अधिक शिक्षित, बेहतर प्रशिक्षित और अधिक स्वस्थ लोगों की उत्पादकता का स्तर उच्च होता है। इससे सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि होती है, प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है और उपभोग का स्तर ऊँचा होता है। फलस्वरूप रहन-सहन के स्तर में भी सुधार होता है।
दूसरे, शिक्षित, प्रशिक्षित एवं स्वस्थ लोग निष्क्रिय पड़े संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं।
प्रश्न 4 – क्या आप बता सकते हैं कि जापान कैसे एक विकसित देश बना?
उत्तर— जापान जो अब एक विकसित देश है, ने मानव संसाधन के विकास पर अत्यधिक निवेश किया। उसके पास प्राकृतिक संसाधन नहीं हैं। वह अपने देश के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों का आयात करता है। प्राकृतिक संसाधनों के अभाव में भी, जापान एक विकसित देश बना क्योंकि उसने लोगों में विशेष रूप से शिक्षा एवं स्वास्थ्य में निवेश किया। शिक्षित, प्रशिक्षित एवं स्वस्थ लोगों ने भूमि और पूँजी जैसे अन्य संसाधनों का कुशल उपयोग किया। परिश्रम से इन लोगों ने जो कुशलता एवं प्रौद्योगिकी विकसित की, उसी तरह यह देश धनी बना।
प्रश्न 5 – बताइए कि निम्नलिखित क्रिया-कलाप आर्थिक क्रियाएँ हैं अथवा गैर-आर्थिक-
उत्तर— (i) विलास गाँव के बाजार में मछली बेचता है— आर्थिक
(ii) विलास अपने परिवार के लिए खाना पकाता है— गैर-आर्थिक
(iii) सकल एक प्राइवेट फर्म में काम करता है – आर्थिक
(iv) सकल अपने छोटे भाई-बहन की देख रेख करता है— गैर-आर्थिक |
प्रश्न 6 – (i) पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम पारिश्रमिक दिया जाता है क्यों?
अथवा (ii) महिलाएँ अधिकांशतः कैसे क्षेत्रों में काम करती हैं?
उत्तर — (i) पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम पारिश्रमिक दिया जाता है क्योंकि महिलाओं की शिक्षा एवं कुशलता का स्तर पुरुषों की तुलना में निम्न है।
(ii) अधिकांशत महिलाएँ ऐसे क्षेत्रों में काम करती हैं जहाँ नौकरी की सुरक्षा नहीं है, कानूनी सुरक्षा का अभाव है, रोजगार अनियमित हैं, मजदूरी का स्तर निम्न हैं तथा प्रसूति अवकाश, शिशु देखभाल और अन्य सामाजिक सुरक्षातन्त्र जैसी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
प्रश्न 7 – शिक्षा का क्या महत्त्व है? इसके विकास के लिए सरकार ने क्या किया है?
उत्तर – शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण आगत है। यह राष्ट्रीय आय और सांस्कृतिक समृद्धि में वृद्धि करती है और प्रशासन की कार्यक्षमता बढ़ाती है। सरकार ने शिक्षा विकास के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं-
- प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य किया गया है तथा प्रत्येक जिले में नवोदय विद्यालय खोले गए हैं। इस दिशा में सर्वशिक्षा अभियान एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा उपलब्ध कराने पर विशेष बल दिया गया है।
- शिक्षा पर योजना व्यय बढ़ाया गया है। इसे पहली पंचवर्षीय योजना में 151 करोड़ से बढ़ाकर दसवीं पंचवर्षीय योजना में 43,825 करोड़ रु० कर दिया गया है। वर्ष 2007-08 के लिए सर्वशिक्षा अभियान 1,0671 करोड़ रु० व्यय करने का प्रावधान केन्द्रीय योजना व्यय में किया गया है।
• अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – जनसंख्या मानव पूँजी में कब बदल जाती है?
उत्तर – जब शिक्षा, प्रशिक्षण एवं चिकित्सा सेवाओं में निवेश किया जाता है तो जनसंख्या मानव पूँजी में बदल जाती है।
प्रश्न 2 – मानव पूँजी से क्या आशय है ?
उत्तर – मानव पूँजी से आशय कौशल और मानव में निहित उत्पादन के ज्ञान के स्टॉक से है।
प्रश्न 3 – सकल राष्ट्रीय उत्पाद से क्या आशय है?
उत्तर – किसी अर्थव्यवस्था में जो भी अन्तिम वस्तुएँ और सेवाएँ एक वर्ष की अवधि में उत्पादित की जाती हैं, उन सभी के बाजार मूल्य के योग को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं।
प्रश्न 4 – जनसंख्या का उत्पादक पक्ष क्या है?
उत्तर— जनसंख्या का उत्पादक पक्ष है— सकल राष्ट्रीय उत्पाद के सृजन में उसके योगदान की क्षमता ।
प्रश्न 5 – मानव पूँजी निर्माण क्या है?
उत्तर – अधिक शिक्षा प्रशिक्षण एवं स्वास्थ्य द्वारा मानव संसाधन का विकास ही मानव पूँजी निर्माण कहलाता है।
प्रश्न 6 – मानव पूँजी में निवेश का क्या महत्त्व है ?
उत्तर- मानव पूँजी में निवेश भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करता है। इससे उत्पादकता बढ़ती है और उत्पादक बढ़ने से आय बढ़ती है।
प्रश्न 7 – डॉक्टर, अध्यापक, इन्जीनियर तथा दर्जी अर्थव्यवस्था के लिए किस प्रकार परिसम्पत्ति हैं?
उत्तर- डॉक्टर, अध्यापक, इन्जीनियर तथा दर्जी अर्थव्यवस्था के लिए उत्पादक क्रियाओं में संलग्न हैं और उत्पादक परिसम्पत्ति हैं क्योंकि ये सभी सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि करते हैं।
प्रश्न 8 – मानव पूँजी को उत्पादक परिसम्पत्ति में कैसे बदल जा सकता है ?
उत्तर – मानव पूँजी में निवेश (शिक्षा, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य, तकनीक व अनुसन्धान) द्वारा मानव पूँजी को उत्पादक परिसम्पत्ति में बदला जा सकता है।
प्रश्न 9 – सेमापुर के निवासी सकल को शिक्षा से क्या लाभ हुआ?
उत्तर – शिक्षा द्वारा सकल के श्रम की गुणवत्ता में वृद्धि हुई । इससे देश की कुल उत्पादकता में वृद्धि हुई और फलस्वरूप उसकी आय / मजदूरी भी बढ़ी।
प्रश्न 10 – व्यक्ति शेयर और बॉण्ड्स में निवेश क्यों करता है?
उत्तर – व्यक्ति भविष्य में उच्च प्रतिफल की आशा में शेयर और बॉण्ड्स में निवेश करता है।
प्रश्न 11 – क्या विद्यार्थियों की बढ़ती हुई संख्या को प्रवेश देने के लिए कॉलेजों की संख्या में वृद्धि पर्याप्त है?
उत्तर- नहीं, बढ़ती हुई संख्या को प्रवेश देने के लिए और अधिक कॉलेजों की स्थापना की जानी चाहिए।
प्रश्न 12 – क्या आप सोचते हैं कि हमें विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़नी चाहिए?
उत्तर – हाँ, विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और व्यवसायपरक शिक्षा देने के लिए अधिकाधिक विश्वविद्यालय खोले जाने चाहिए।
• बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 – अर्थव्यवस्था में जनसंख्या को शामिल किया जाता है-
(a) परिसम्पत्ति के रूप में
(b) धन के रूप में
(c) मूल्य के रूप में
(d) उपर्युक्त सभी रूपों में।
उत्तर – (a) परिसम्पत्ति के रूप में
प्रश्न 2 – मानव पूँजी निर्माण होता है—
(a) शिक्षा के निवेश से
(b) प्रशिक्षण में निवेश से
(c) चिकित्सा के निवेश से
(d) उपर्युक्त सभी सत्य ।
उत्तर – (d) उपर्युक्त सभी सत्य ।
प्रश्न 3- मानव पूँजी है—
(a) जनसंख्या में वृद्धि
(b) भौतिक पूँजी में वृद्धि
(c) कौशल एवं निहित ज्ञान का स्टॉक
(d) रोजगार में संलग्न लोग।
उत्तर – (c) कौशल एवं निहित ज्ञान का स्टॉक
प्रश्न 4 – जनसंख्या है-
(a) भौतिक संसाधन
(b) प्राकृतिक संसाधन
(c) मानव संसाधन
(d) उपर्युक्त सभी सत्य ।
उत्तर – (c) मानव संसाधन
प्रश्न 5 – मानव पूँजी निर्माण देश की उत्पादकता शक्ति को-
(a) बढ़ाता है
(b) कम करता है
(c) स्थिर रखता है
(d) उपर्युक्त सभी सत्य ।
उत्तर – (a) बढ़ाता है
