UK Board 9th Class Social Science – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 3 भूकम्प
UK Board 9th Class Social Science – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 3 भूकम्प
UK Board Solutions for Class 9th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 3 भूकम्प
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – भूकम्प क्या है?
उत्तर – पृथ्वी की सतह से कुछ किलोमीटर तक गहराई में स्थित चट्टानों में उपस्थित दरारों, भ्रंशों, कमजोर सतहों में परस्पर गति, टक्कर, गति या हलचल आदि से उत्पन्न एवं प्रसारित कम्पन, जिससे सतह पर स्थित वस्तुएँ हिलने लगे, सामान्यतः ‘भूकम्प’ कहलाता है।
प्रश्न 2 – भूकम्प के आगमन तथा इसकी चेतावनी का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भूकम्प एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसका पूर्वानुमान लगाना आज के वैज्ञानिक युग में भी सम्भव नहीं हुआ है तथापि इस दिशा में शोधकार्य एवं वैज्ञानिक प्रयास जारी हैं। इसका आगमन कभी भी तथा कहीं भी आकस्मिक रूप से हो सकता है। अतः इसके विषय में सही-सही चेतावनी नहीं दी जा सकती। फिर भी निम्नलिखित प्रणाली के आधार पर इस दिशा में कार्य किया जा सकता है-
- किसी क्षेत्र में हो रही भूगर्भीय गतियों से उस क्षेत्र में हो रहे भू-आकृतिक परिवर्तन; जैसे- भू-स्खलनों का अधिक होते रहना, नदियों के मार्ग में असामान्यता उत्पन्न होना, भूमि ऊपर-नीचे होते रहना आदि । ऐसे भू-भाग भूकम्पों की दृष्टि से संवेदनशील होते हैं; अतः इस प्रकार की गतिविधियों को चेतावनी माना जा सकता है।
- किसी क्षेत्र में सक्रिय भ्रंशों की उपस्थिति को भूकम्प के लिए संवेदनशील माना जाता है यद्यपि इस प्रकार की दरारों / भ्रंशों को नापा जा सकता है किन्तु इनकी गति से आकलन का केवल औसत ही लगाया जा सकता है।
- ऐसे क्षेत्र जहाँ भूकम्पमापी यन्त्र लगे हों, वहाँ विभिन्न भूगर्भीय गतियों को रिकॉर्ड किया जाता है। ऐसे क्षेत्र जहाँ औसत भूकम्प कई वर्षों तक आते रहने पर सूक्ष्म भूकम्प झटकों का आना बन्द हो गया हो तो उन क्षेत्रों में बड़े भूकम्प आने की प्रबल सम्भावना होती है। इन आधारों पर उत्तराखण्ड क्षेत्र में भूकम्प की प्रबल सम्भावनाएँ प्रकट की गई हैं।
प्रश्न 3 – भूकम्प के विशिष्ट प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भूकम्प आकस्मिक रूप से उत्पन्न होने वाली प्राकृतिक आपदा है। इसके प्रकृति और प्राणी समाज पर विशिष्ट प्रभाव पड़ते हैं। इस प्रकार के कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं-
- भूकम्प मानव सभ्यता के शत्रु होते हैं। ऐतिहासिक पृष्ठों पर ऐसी कई घटनाएँ अंकित हैं जिनमें मानव सभ्यता भूकम्प के कारण विलुप्त हो गई हैं। मोहनजोदड़ो एवं सिन्धु सभ्यता आदि के सम्बन्ध में ऐसा ही माना जाता है।
- भूकम्प से जन-धन की अपार क्षति होती है। इससे कई आवासीय बस्तियाँ, मनुष्य, पशु और वनस्पति नष्ट हो जाती हैं।
- समुद्रतटीय क्षेत्रों में जब भूकम्प आता है तो समुद्र में ऊँची-ऊँची लहरें उठकर तटीय क्षेत्रों को नष्ट कर देती हैं।
- पर्वतीय क्षेत्रों में भूकम्प आने पर भू-स्खलन की बारम्बारता में वृद्धि होने से जानमाल की भारी क्षति होती है।
- कई बार भूकम्प के कारण नदी की धारा स्थायी रूप से परिवर्तित हो जाती है जिससे बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो जाता है ।
- कभी – कभी भूकम्प के कारण धरातल पर नवीन स्थलरूपों का निर्माण हो जाता है तथा भूगर्भ में छिपे खनिज आसानी से धरातल के ऊपर आ जाते हैं।
प्रश्न 4 – भूकम्प के आने पर जोखिम के तत्त्वों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – मानव समाज के लिए भूकम्प सदैव ही विनाशकारी घटना होती है; किन्तु विनाश का आकलन भूकम्प की तीव्रता तथा जोखिम से बचाव के लिए किए गए उपायों पर निर्भर होता है। भूकम्प आने पर जोखिम के निम्नलिखित तत्त्व ऐसे हैं जो भूकम्प से होने वाली क्षति को प्रभावित करते हैं-
- गृह निर्माण में प्रयुक्त की गई सामग्री एवं तकनीक – यदि ‘मकानों का निर्माण भूकम्परोधी तकनीक और भौगोलिक प्रकृति के अनुसार निर्धारित सामग्री द्वारा किया गया है तो जोखिम कम रहता है।
- भौगोलिक अवस्थिति – यदि संरचनात्मक ढाँचों का निर्माण भौगोलिक अवस्थिति अर्थात् भूकम्प संवेदनशील क्षेत्र तथा सुरक्षित क्षेत्र आदि को ध्यान में रखकर किया गया है तो जोखिम की सम्भावना कम या अधिक हो सकती हैं।
- मकानों की बनावट, नींव की मिट्टी तथा मकानों का नक्शा आदि भी ऐसे ही तत्त्व हैं जो जोखिम को प्रभावित करतें हैं।
- वास्तव में भूकम्प से लोग नहीं मरते बल्कि असावधानी, अनभिज्ञता, अशिक्षा, वैधानिक अवहेलना आदि ऐसे कारण हैं जो भूकम्प के समय तबाही उत्पन्न कर जोखिम में वृद्धि करते हैं।
प्रश्न 5- किसी भूकम्पग्रस्त क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर – मध्य अमेरिकी देश निकारागुआ (मैक्सिको के दक्षिण में) में 23 दिसम्बर, 1972 को आए भूकम्प ने इस तटवर्ती देश को झकझोर कर रख दिया था। यहाँ सबसे बड़े भूकम्प की तीव्रता रिक्टर मापक पर 6.2 नापी गई थी। इस भूकम्प का केन्द्र यहाँ की राजधानी शहर ‘मानागुआ’ में पाया गया। इस भूकम्प से घनी जनसंख्या वाला मध्य क्षेत्र (लगभग 27 वर्ग किमी क्षेत्र) पूरी तरह तबाह हो गया तथा बाद में पूरे शहर में आग लग गई थी। इस भूकम्प आपदा के कारण देश में लगभग 80 हजार लोगों की मौत हो गई, 20 हजार से अधिक लोग घायल हो गए तथा 2 लाख 60 हजार लोगों ने शहरों से पलायन कर लिया और 70% लोग अस्थायी रूप से बेघर एवं 50% लोग लिखिए । बेकार हो गए थे। भूकम्प के फलस्वरूप देश की कम-से-कम 10% औद्योगिक क्षमता, 50% व्यावसायिक सम्पदा तथा 70% सरकारी सुविधाएँ ठप हो गई थीं। ऐसी सम्भावना व्यक्त की जाती है कि भूकम्प की इस त्रासदी के कारण देश को कुल मिलाकर लगभग 845 मिलियन यू०एस० डॉलर की क्षति हुई। जो इस छोटे से देश के लिए बहुत अधिक है।
प्रश्न 6 – भूकम्प की तीव्रता नापने के लिए किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है? वर्णन कीजिए। रहता है-
उत्तर – भूकम्प की तीव्रता नापने के लिए भूकम्पमापी यन्त्र का उपयोग किया जाता है। इस यन्त्र पर पृथ्वी में उत्पन्न सभी प्रकार की हलचल तथा सूक्ष्म एवं बड़े झटकों को रिकॉर्ड किया जाता है। इस यन्त्र में लगे स्केल जिसे रिक्टर मापक कहा जाता है, से भूकम्प की तीव्रता या भूकम्पीय कम्पन को देखा जाता है। यह रिक्टर स्केल तीव्रता को I से XII तक व्यक्त करता है। इसमें स्केल I से स्केल II में परिमाण की शक्ति का अन्तर 32 गुणा होता है; जैसे स्केल III में परिमाण का आकलन स्केल I × 32 × 32 के आधार पर किया जा सकता है।
प्रश्न 7 – भारत में अत्यधिक भूकम्प सम्भावित क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर – भारत में अत्यधिक भूकम्प सम्भावित क्षेत्र जोन-V के अन्तर्गत आता हैं। इस क्षेत्र में भारत की हिमालय पर्वतश्रेणी, बिहार में नेपाल का सीमावर्ती क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी उत्तराखण्ड, भारत के पूर्वोत्तर राज्य, कच्छ प्रायद्वीप तथा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह सम्मिलित हैं।
प्रश्न 8 – भूकम्प के दौरान प्रबन्ध की विधियाँ बताइए ।
उत्तर – भूकम्प के दौरान निम्नलिखित कार्यविधि अपनाना उचित रहता है –
(1) भूकम्प आने पर घबराए नहीं बल्कि साहस बनाए रखें। (2) आप जहाँ है, वहीं रहें, परन्तु दीवारों, छतों और दरवाजों से दूरी बनाए रखें। (3) दरारों, पलस्तर झड़ने आदि पर नजर रखें यदि ऐसा हो तो सुरक्षित स्थान पर जाने का प्रयास करें। (4) यदि चलती कार में हों तो किनारे बैठ जाएँ। पुल या सुरंग पार न करें। (5) बिजली बन्द कर दें, गैस का पाइप बन्द करके गैस सिलिण्डर को सील कर दें।
