UK Board 9th Class Social Science – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 9 आपदा प्रबन्धन में समुदाय की भूमिका
UK Board 9th Class Social Science – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 9 आपदा प्रबन्धन में समुदाय की भूमिका
UK Board Solutions for Class 9th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 9 आपदा प्रबन्धन में समुदाय की भूमिका
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – समुदाय क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – सामाजिक विज्ञान में, समुदाय का अर्थ व्यक्तियों के ऐसे समूह से है जो निश्चित भू-भाग पर साथ-साथ निवास करते हैं और सामान्य उद्देश्यों के लिए एकत्र होते हैं। समुदाय में व्यक्तिगत उद्देश्यों का कोई स्थान नहीं होता। अतः समुदाय सामाजिक जीवन में भागीदार लोगों का ऐसा समूह है जो किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में निवास करता है और जिसमें हम की भावना या साथ-साथ मिलकर सेवा करने की भावना निहित होती है।
प्रश्न 2 – आपदा प्रबन्धन में समुदाय की भूमिका को समझाइए |
उत्तर – आपदा प्रबन्धन में समुदाय की भूमिका अत्यन्त उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण होती है। समुदाय आपदा पूर्व से आपदा के बाद तक, अपनी भूमिका अग्रलिखित रूप में निभाता है—
- समुदाय आपदा न्यूनीकरण के क्षेत्र में प्रबन्धन की समस्त गतिविधियों को उचित गति प्रदान करने में सहायक होता है।
- समुदाय द्वारा आपदा प्रबन्धन के विभिन्न क्षेत्र, जैसे आपदाओं का चिह्नीकरण, प्रभाव का आकलन, प्रभाव न्यूनीकरण हेतु सरकारी योजनाओं के प्रभावी रूप से क्रियान्वयन आदि में पर्याप्त सहयोग प्रदान किया जाता है।
- समुदाय द्वारा आपदा से प्रभावित लोगों को आर्थिक क्षतिपूर्ति में सहयोग प्रदान किया जाता है।
- समुदाय आपदा का प्रथम प्रतिवादी होता है। इसे ही संकट के विषय में सबसे पहले जानकारी प्राप्त होती है। अतः सर्वप्रथम आपदापूर्व की तैयारी के साथ यही प्रभावित क्षेत्र में सहायता कार्य करता है।
- समुदाय के द्वारा ही आपदा से पहुँचे मानसिक आघात प्रबलता को दूर करने का प्रयास किया जाता है तथा बाहरी सहायता पहुँचाने के लिए स्थानीय संसाधनों का प्रभावपूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया जाता है।
- समुदाय आपदा के दौरान शरणस्थलों की पहचान, उनकी व्यवस्था और गैर-सरकारी संगठन द्वारा प्राप्त सहायता का समुचित प्रबन्धन करता है।
- समुदाय आपदा के पूर्व एवं पश्चात् कारगर प्रणाली; जैसे वृक्षारोपण, तटबन्धों का निर्माण, पुश्तों का निर्माण आदि वैकल्पिक व्यवस्था में सहयोग देता है।
- आपदा प्रबन्धन हेतु मौजूदा संरचनाओं को आपदारोधी उपायों से समाविष्ट करने के प्रभावी कदम उठाता है।
इस प्रकार आपदा प्रबन्धन में समुदाय की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। इसके प्रयासों से ही आपदा प्रभावित क्षेत्रों में प्रभावित लोग राहत प्राप्त करके जीवन को पुनः नए सिरे से शुरू करने में समर्थ होते हैं।
प्रश्न 3– सामुदायिक साझेदारी के मूल्यांकन की विधि का महत्त्व बताइए।
उत्तर — सामुदायिक साझेदारी एक ऐसी विधि है जिसका उपयोग समुदाय के संसाधनों, साक्षरता तथा विकास की आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस विधि के अन्तर्गत गाँवों में घूमकर वहाँ के संसाधनों, समस्याओं और अवसरों की पहचान की जाती है। इस विधि द्वारा इस प्रकार एकत्र सूचनाएँ विकास की योजना बनाने और समस्याओं के निराकरण में अत्यन्त उपयोगी होती हैं। वास्तव में इन सूचनाओं का एकत्रण व्यक्तिगत स्तर पर पर्याप्त रूप से फील्ड में जाकर किया जाता है। इसलिए ये सूचनाएँ वास्तविकता के अत्यन्त निकट होती हैं। समस्याओं को भी व्यक्तिगत स्तर पर देखा और समझा जाता है। इसलिए समस्याओं के लिए जो निराकरण उपायों की खोज एवं योजनाएँ बनाई जाती हैं, वह व्यावहारिक होती हैं और उसका लाभ वास्तव में लक्षित समुदाय को प्राप्त होता है। इसलिए सामुदायिक साझेदारी मूल्यांकन विधि स्थानीय स्तर पर उत्पन्न समस्याओं के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
प्रश्न 4 – समुदाय को प्रथम प्रतिवादी के रूप में स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- आपदा प्रबन्धन की दृष्टि से समुदाय को प्रथम प्रतिवादी कहा जाता है। वास्तव में समुदाय जिस क्षेत्र में निवास करता है; यदि उस क्षेत्र में कोई संकट उत्पन्न होता है तो उसकी जानकारी सबसे पहले समुदाय को ही प्राप्त होती है। इस प्रथम सूचना प्राप्तकर्त्ता के अर्थ में ही समुदाय को प्रथम प्रतिवादी कहा गया है। इन्हीं सूचनाओं के आधार पर समुदाय अन्य लोगों को संकट की सूचना प्रदान करता है तथा अपनी ओर से आपदा प्रबन्धन कार्य को प्रारम्भ करता है।
प्रश्न 5 – समुदाय की सहभागिता से आपदा शमन की प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- आपदा शमन या प्रबन्धन की दृष्टि से समुदाय की सहभागिता का अपना विशिष्ट महत्त्व है। समुदाय आपदा प्रबन्धन का प्रथम प्रतिवादी होता है। उसे ही सबसे पहले संकट के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। अतः समुदाय अपने स्तर से शमन कार्यों को प्रारम्भ कर देता है। आपदा शमन के लिए समुदाय ग्रामीण भागीदारी मूल्यांकन विधि के आधार पर इस प्रकार के उत्पन्न संकटों का सामना करने के लिए पहले से तैयार रहता है। समुदाय शमन कार्य को निम्नलिखित तीन स्तरों पर सम्पन्न करता है-
- आपदा से पूर्व — इस स्तर पर समुदाय पूर्व में ग्रामीण भागीदारी विधि द्वारा सूचनाओं को प्राप्त कर लेता है। अत: उसे क्षेत्र की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक आदि सभी प्रकार की जानकारी होती है। इसलिए वह अपनी पूर्ण तैयारी में रहता है और जैसे ही आवश्यकता पड़ती है आपदा शमन कार्य को प्रारम्भ कर देता है।
- आपदा के दौरान – समुदाय आपदा के दौरान पूर्व में प्राप्त प्रशिक्षण के आधार पर अपनाई जाने वाली विभिन्न विधियों का उपयोग राहत एवं बचाव कार्य के लिए करता है। जिसमें आपदा प्रभावित समुदाय को खोजना, बचाना, प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराना, शरणस्थलों की व्यवस्था और खाद्य – सामग्री का प्रबन्ध आदि कार्यों को प्राथमिकता से पूरा किया जाता है।
- आपदा के बाद- इस स्तर पर समुदाय विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से आपदा से प्रभावित लोगों को पुनर्लाभ एवं पुनर्विकास कार्यों को पूरा कराने के प्रयास करता है, जिससे प्रभावित लोग पुनः अपना जीवन व्यवस्थित ढंग से शुरू कर सकें ।
