UK 9th Social Science

UK Board 9th Class Social Science – (भूगोल) – Chapter 3 अपवाह

UK Board 9th Class Social Science – (भूगोल) – Chapter 3 अपवाह

UK Board Solutions for Class 9th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (भूगोल) – Chapter 3 अपवाह

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए—
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा वृक्ष की शाखाओं के समान अपवाह प्रतिरूप प्रणाली को दर्शाता है?
(क) अरीय
(ख) केन्द्राभिमुख
(ग) द्रुमाकृतिक
(घ) जालीनुमा ।
उत्तर – (ग) द्रुमाकृतिक ।
(ii) वूलर झील निम्नलिखित में से किस राज्य में स्थित है ?
(क) राजस्थान
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) जम्मू-कश्मीर ।
उत्तर- (घ) जम्मू-कश्मीर ।
(iii) नर्मदा नदी का उद्गम कहाँ से है?
(क) सतपुड़ा
(ख) अमरकण्टक
(ग) ब्रह्मगिरि
(घ) पश्चिमी घाट के ढाल।
उत्तर- (ख) अमरकण्टक।
(iv) निम्नलिखित में से कौन-सी लवणीय जल वाली झील है?
(क) सांभर
(ख) वूलर
(ग) डल
(घ) गोबिन्द सागर ।
उत्तर— (क) सांभर ।
(v) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है?
(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी ।
उत्तर- (ख) गोदावरी |
(vi) निम्नलिखित नदियों में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी से होकर बहती है?
(क) दामोदर
(ख) कृष्णा
(ग) तुंगभद्रा
(घ) तापी।
उत्तर- (घ) तापी ।
प्रश्न 2 – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए-
(i) जल विभाजक का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर- दो अपवाह बेसिनों को अलग करने वाला उच्चभाग या पर्वत जल विभाजक कहलाता है। भारत में हिमालय जल विभाजक या जल भाजक का महत्त्वपूर्ण उदाहरण है।
(ii) भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौन-सी है?
उत्तर – भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी गंगा नदी द्रोणी है। जिसकी विस्तार लगभग 8,61,404 वर्ग किमी है।
(iii) सिन्धु एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं?
उत्तर – सिन्धु नदी पश्चिमी तिब्बत में स्थित मानसरोवर झील के उत्तर में सैंनो खबाब चश्मे से तथा गंगा नदी. गंगोत्री से निकलती है।
(iv) गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम लिखिए। ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं?
उत्तर – गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम अलकनन्दा और भागीरथी हैं। जब ये दोनों जल- धाराएँ देवप्रयाग (जनपद टिहरी – उत्तराखण्ड) में मिलती हैं तो गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
(v) लम्बी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद (सिल्ट ) क्यों है?
उत्तर- तिब्बत का अधिकांश पर्वतीय भाग कठोर शैलों से बना है। जब ब्रह्मपुत्र नदी यहाँ से प्रवाहित होती है तो उसमें जल की मात्रा कम होने के कारण अपरदन की मात्रा कम होती है। इसलिए इस भाग में नदी द्वारा कटाव न्यूनतम होता है; अतः इस क्षेत्र में गाद की मात्रा अल्प रहती है।
(vi) कौन – सी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं ? समुद्र में प्रवेश करने के पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं?
उत्तर – नर्मदा एवं तापी प्रायद्वीपीय नदियाँ गर्त में होकर बहती हैं। समुद्र में प्रवेश करने से पहले ये नदियाँ ज्वारनदमुख स्थलाकृति का निर्माण करती हैं।
(vii) नदियों तथा झीलों के कुछ आर्थिक महत्त्व को बताइए ।
उत्तर— नदियाँ तथा झीलें प्रकृति की अनुपम भेंट हैं, जो जल संसाधन की दृष्टि से विशेष उपयोगी हैं। इनके मुख्य आर्थिक लाभ निम्नलिखित हैं-
  1. नदियाँ सिंचाई के लिए जल प्रदान करती हैं। इनसे जल परिवहन भी किया जाता है।
  2. नदियों का पेयजल, जल विद्युत और मत्स्य पालन में विशेष महत्त्व है।
  3. झीलें नौका विहार एवं मत्स्य पालन में उपयोगी हैं।
  4. नदियाँ और झीलें पर्यटन एवं तीर्थाटन में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं। इससे पर्यटन व्यवसाय का विकास होता है।
  5. नदियाँ और झीलें प्राथमिक जल स्रोत माने जाते हैं। मानव सभ्यता के उद्भव एवं विकास में इनका विशेष महत्त्व है।
प्रश्न 3 (i) – नीचे भारत की कुछ झीलों के नाम दिए गए हैं। इन्हें प्राकृतिक तथा मानव-निर्मित वर्गों में बाँटिए-
(क) वूलर
(ख) डल
(ग) नैनीताल
(घ) भीमताल
(ङ) गोविन्द सागर
(च) लोकताल
(छ) बारापानी
(ज) चिल्का
(झ) साँभर
(ञ) राणाप्रताप सागर
(ट) निजाम सागर
(ठ) पुलिकट
(ड) नागार्जुन सागर
(ढ) हीराकुड
उत्तर : (1) प्राकृतिक झीलें – वूलर डल, नैनीताल, भीमताल, लोकताल, बारापानी, चिल्का, साँभर, पुलिकट तथा निजाम सागर ।
(2) मानव निर्मित झीलें – गोविन्द सागर, राणाप्रताप सागर, नागार्जुन सागर तथा हीराकुड ।
प्रश्न 4 – हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों के अन्तरों मुख्य को स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- हिमालय से निकलने वाली नदियों की प्रायद्वीपीय भारत की नदियों से तुलना
अन्तर का आधार हिमालय से निकलने वाली नदियाँ प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ
1. उत्पत्ति इन नदियों की उत्पत्ति हिमानियों से हुई है । इनकी उत्पत्ति वर्षा या भूमिगत जल से हुई है।
2. जल उपलब्धता हिमालय से निकली नदियाँ सदानीरा हैं, इनमें वर्ष-भर जल रहता है। ये नदियाँ पहाड़ियों एवं पठारों से निकलती हैं, इनमें वर्षा से जल प्राप्त होने के कारण वर्ष-भर जल उपलब्ध नहीं रहता है।
3. परिवहन हिमालय से निकलने वाली नदियाँ समतल मैदानी क्षेत्रों में बहुत-ही मन्द गति से प्रवाहित होती हैं। ये नदियाँ जल-परिवहन की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी हैं। प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ असमतल, ऊबड़-खाबड़ पथरीले भागों में तीव्र गति से प्रवाहित होती हैं। अतः प्रवाह-क्षेत्र की विषमता के कारण जल-परिवहन की दृष्टि से अनुपयोगी हैं।
4. अपवाह क्षेत्र हिमालय से निकलने वाली नदियों का अपवाह क्षेत्र विशाल है। प्रायद्वीपीय भारत की नदियों के अपवाह क्षेत्र बहुत ही छोटे हैं।
5. जल-विद्युत व्यय इन नदियों में प्राकृतिक जल-प्रपातों का अभाव पाया जाता है जिस कारण कृत्रिम प्रपात बनाकर जल विद्युत शक्ति उत्पादन में भारी व्यय करना पड़ता है। ये नदियाँ प्राकृतिक प्रपातों का निर्माण करती हैं जिससे जल-विद्युत शक्ति का उत्पादन सुगम एवं सस्ता पड़ता है।
6. सिंचाई क्षमता हिमालय से निकलने वाली नदियों के प्रवाह क्षेत्र समतल हैं। अत: इनसे नहरें निकालना बहुत सरल है। सदानीरा न होने के कारण इन नदियों से नहरें नहीं निकाली जा सकती हैं। अतः इनसे सीमित क्षेत्रों में ही सिंचन कार्य सम्भव हो पाया है।
7. जल-विद्युत क्षमता देश की कुल सम्भावित जल-विद्युत शक्ति का 60% भाग इन नदियों में निहित है। इन नदियों में देश की सम्भावित जल-विद्युत क्षमता का 40% भाग विद्यमान है।
8. उद्योग एवं कृषि हिमालय से निकलने वाली नदियों के किनारों पर महत्त्वपूर्ण व्यापारिक एवं औद्योगिक नगरों का विकास हुआ है। प्रायद्वीपीय भारत की नदियों के किनारों पर प्राय: महत्त्वपूर्ण नगरों का अभाव पाया जाता है।
9. उपजाऊ भूमि इन नदियों ने विशाल मैदान में उपजाऊ काँप मिट्टी बिछाकर भारत के विस्तृत उत्तरी क्षेत्र को एक प्रमुख कृषि-प्रधान प्रदेश बना दिया है। इन नदियों के तीव्र ढालों से प्रवाहित होने के कारण केवल तटीय भागों में ही छोटे-छोटे उपजाऊ डेल्टाई मैदानों का निर्माण किया जा सका है।
प्रश्न 5 – प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना कीजिए।
उत्तर – प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में पर्याप्त अन्तर मिलता है। इन नदियों में मुख्य तुलनात्मक अन्तर को निम्नलिखित रूप में प्रकट किया जा सकता है-
क्र० सं० प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ
1. प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व में बहने वाली मुख्य नदियाँ कृष्णा, गोदावरी, महानदी और कावेरी हैं। प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिम की ओर बहने वाली मुख्य नदियाँ नर्मदा व तापी हैं।
2. ये नदियाँ डेल्टा बनाती हैं। ये नदियाँ डेल्टा न बनाकर ज्वारनदमुख बनाती हैं।
3. इन नदियों की लम्बाई अपेक्षाकृत अधिक है। इन नदियों की लम्बाई कम है।
4. ये नदियाँ पश्चिमी घाट के पर्वतों से निकलकर पूर्व की ओर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। पश्चिमी घाट के पश्चिम की ओर बहने वाली ये नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं।
5. ये नदियाँ कम गहरी एवं तंग घाटी मार्ग से बहती हैं। ये नदियाँ बड़ी तंग और गहरी घाटियों से होकर बहती हैं।
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी भाग की नदियाँ तुलनात्मक दृष्टि से विभिन्नताएँ प्रकट करती हैं। सामान्यतः पूर्वी भाग पश्चिमी भाग की अपेक्षा नदियों की दृष्टि से अधिक सम्पन्न क्षेत्र माना जाता है।
प्रश्न 6 – किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर— वास्तव में नदियाँ केवल जल ही प्रदान नहीं करतीं वरन् यह अपने साथ उपजाऊ मिट्टी, घुले हुए खनिज, मीठा जल और तीव्र व सस्ता जल यातायात आदि संसाधन अनेक विकल्पों के रूप में साथ लेकर आती हैं। अतएव नदियों की इसी बहूपयोगिता के कारण प्रत्येक समाज और सभ्यता इन पर आश्रित रही है। चाहे वह आखेटक हों या फल – संग्रह करने वाले, पशुपालक हों या कृषक सभी रूपों में मानव सभ्यताएँ नदियों पर ही निर्भर रही हैं। मानव सभ्यता के विकास में नदियों के योगदान को देश की अर्थव्यवस्था के विकास के रूप में देखा जाता है। निम्नलिखित कथन इसकी पुष्टि करते हैं—
  1. कृषि, जिससे मानव को भोजन और पोषक तत्त्व प्राप्त होते हैं, नदियों के जल के अभाव में उत्पन्न नहीं हो सकती है।
  2. कृषि कार्य के लिए उपजाऊ भूमि की उपलब्धता नदियों द्वारा ही होती है।
  3. नदियाँ मनुष्य के लिए प्रकृति की सड़क हैं। इनका प्रयोग मनुष्य जल -यातायात के रूप में करता है।
  4. विभिन्न प्रकार के उद्योगों के लिए जल की आपूर्ति और सस्ता यातायात व बालू मिट्टी नदियों से प्राप्त होती है।
  5. सस्ती जल-विद्युत का उत्पादन नदियों द्वारा लाए जल को बाँध से रोककर ही किया जाता है।
  6. वाणिज्य, व्यापार या विभिन्न प्रकार के रोजगार के साधन नदियों द्वारा ही विकसित होते हैं।
  7. जल के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के अवसाद व खनिज नदियाँ प्रदान करती हैं।
  8. ज्वारनदमुख क्षेत्रों में खारे व मीठे जल मिश्रण से अनेक प्रकार के जैविक पदार्थ नदियों के कारण ही मनुष्य को प्राप्त होते हैं।
अतएव किसी देश के आर्थिक विकास में नदियों के योगदान की किसी भी रूप में अवहेलना नहीं की जा सकती है। अनेक प्रकार के आहार उत्पन्न करने व आर्थिक स्थिति को उन्नत करने में नदियाँ सदा ही सहायक रही हैं। यही कारण है नदियों को मानव सभ्यता की जीवन रेखा भी कहा गया है।
• मानचित्र कौशल
(i) भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित नदियों को चिह्नित कीजिए तथा उनके नाम लिखिए-
गंगा, सतलज, दामोदर, कृष्णा, नर्मदा, तापी, महानदी, दिहांग, कावेरी |
(ii) भारत के रेखा – मानचित्र पर निम्नलिखित झीलों की चिह्नित कीजिए तथा उनके नाम लिखिए-
चिल्का, साँभर, वूलर, पुलिकट तथा कोलेरू, डल, मानसरोवर ।
उत्तर— उपर्युक्त हेतु निम्नांकित मानचित्र का अवलोकन करें-
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने के मुख्य उपाय बताइए |
उत्तर- जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने के निम्नलिखित उपाय हो सकते
  1. औद्योगिक अपशिष्टों को जलाशयों में फेंकने पर प्रतिबन्ध लगाया जाए। |
  2. लुगदी, कागज, चीनी, चमड़ा तथा रासायनिक उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों को स्वच्छ जल स्रोतों में न डाला जाए वरन् वैज्ञानिक विधियों द्वारा उपचार करके उनका पुनर्चक्रण किया जाए।
  3. घरेलू अपमार्जकों – साबुन, डिटर्जेण्ट आदि – को स्वच्छ जल स्रोतों में विसर्जित करने पर प्रतिबन्ध होना चाहिए।
  4. नगरों के सीवर को जल स्रोतों में न डालकर उसे एकत्रित करके जैविक खाद में परिवर्तित किया जाए।
  5. कृषि उत्पादन में वृद्धि करने के लिए खेतों में प्रयुक्त रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, कवकनाशकों आदि का उपयोग करने के बाद उनमें इस प्रकार सिंचाई कर देनी चाहिए, जिससे जल खेतों की मेड़ों से बाहर न जाने पाए।
  6. तेलवाहक टैंकरों का निर्माण ऐसे ढंग से किया जाना चाहिए कि किसी भी प्रकार उनसे तेल का रिसाव न होने पाए, जिससे सागरीय • जल को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
प्रश्न 2 – उत्तर के विशाल मैदान में कौन-कौन से नदी तन्त्र हैं?
उत्तर – उत्तर के विशाल मैदान में दो नदी तन्त्र प्रमुख स्थान रखते हैं-
(क) पश्चिम में सिन्धु नदी तन्त्र तथा (ख) पूर्व में गंगा – ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र।
(क) सिन्धु नदी तन्त्र – सिन्धु नदी तिब्बत के पठार से निकलकर 2,900 किमी की दूरी तक प्रवाहित होती हुई अरब सागर में मिल जाती है। हमारे देश यह नदी मात्र 709 किमी की दूरी तय करती है। इसकी मुख्य सहायक नदियाँ सतलज, ब्यास, झेलम, चिनाब एवं रावी हैं। भारत-विभाजन के फलस्वरूप सिन्धु नदी तन्त्र के अगले भाग पाकिस्तान में चले गए। सिन्धु की सहायक नदियों में सतलज नदी भारत में सबसे अधिक जल प्रदान करती है।
सतलज नदी कैलाश पर्वत से निकलकर लगभग 1,440 किमी की दूरी में प्रवाहित होती हुई सिन्धु नदी से मिल जाती है। झेलम कश्मीर राज्य की प्रमुख नदी है । पर्वतीय प्रदेश से मैदान की ओर मुड़ने पर इसका जल प्रवाह मन्द हो जाता है। कश्मीर की हरी-भरी सुखद घाटी झेलम नदी के इसी मोड़ के समीप स्थित है।
(ख) गंगा – ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र – इस विशाल नदी तन्त्र को निम्नलिखित उपनदी तन्त्रों में विभाजित किया जा सकता है—
  1. गंगा नदी तन्त्र – गंगा भारत की प्रसिद्ध एवं धार्मिक महत्त्व वाली नदी है जो हिमालय के गोमुख हिमनद से निकलती है। हरिद्वार से गंगा नदी की मैदानी यात्रा आरम्भ होती है तथा इसकी गति भी मन्द पड़ जाती है। यह नदी भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है, जिसकी लम्बाई 2,510 किमी है। गंगा नदी का अपवाह क्षेत्र, भारत का सबसे बड़ा अपवाह क्षेत्र है। सोन, घाघरा एवं गण्डक इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
  2. यमुना नदी तन्त्र – यमुना नदी हिमालय पर्वत के यमुनोत्री हिमनद से निकलकर प्राय: गंगा नदी के समानान्तर प्रवाहित होती हुई प्रयाग में गंगा नदी से मिल जाती है। प्रयाग तक इसकी लम्बाई 175 किमी है। सिन्धु, बेतवा, केन एवं चम्बल इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। ये सभी दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित होती हुई यमुना नदी से मिल जाती हैं।
  3. ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र – ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में स्थित मानसरोवर झील के निकट कैलाश पर्वत श्रेणी से निकलती है। यह नदी तिब्बत के दक्षिण में बहती हुई पूर्वी हिमालय के समीप अचानक दक्षिण की ओर मुड़कर भारत प्रवेश करती है। तिब्बत में इसे साँपू नदी के नाम से जाना जाता है तथा असम हिमालय में इसे दिहांग कहा जाता है। दिहांग एवं लोहित इसकी सहायक नदियाँ जो विपरीत दिशाओं से प्रवाहित होती हुई इससे मिलती हैं। ब्रह्मपुत्र नदी असम राज्य में प्रवाहित होती हुई गंगा में मिल जाती है।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – झील किसे कहते हैं? इनके निर्माण को समझाइए |
उत्तर – झील एक जलाशय है जो भूतल के गहरे विस्तृत खड्डों में जल भर जाने पर बनती है तथा चारों ओर स्थल से घिरी होती है। झीलों का निर्माण अनेक प्रकार से होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में झीलों का निर्माण हिमानियों द्वारा होता है। ये हिमानियाँ जब किसी पूर्व द्रोणी में प्रवेश कर जाती हैं तथा ताप बढ़ने पर यह हिम पिघलने लगता है तो जलाशय या झील के रूप में परिवर्तित हो जाता है। कभी-कभी घाटियों में बड़ा अवरोध उत्पन्न हो जाता है तो जल के एकत्र होने से वह झील के रूप में बदल जाती है। कुछ झीलों का निर्माण ज्वालामुखी, भूकम्प तथा भूस्खलन के परिणामस्वरूप भी होता है। कई बार मनुष्य भी अपने घरों के पास कृत्रिम झीलों का निर्माण करते हैं जैसे चण्डीगढ़ के पास सुखाना झील इसी प्रकार का उदाहरण है ।
प्रश्न 2 – प्रायद्वीपीय पठार के जलप्रवाह तन्त्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर- प्रायद्वीपीय पठार का जलप्रवाह तन्त्र
प्रायद्वीपीय पठार की अधिकांश नदियाँ पूर्वगामी हैं, जो बंगाल की खाड़ी में समाप्त होती हैं, परन्तु नर्मदा एवं ताप्ती इनके विपरीत दिशा में प्रवाहित होती हुई अरब सागर से मिलती हैं। ये दोनों नदियाँ लम्बी एवं सँकरी घाटियों से होकर प्रवाहित होती हैं। वास्तव में, विन्ध्याचल एवं सतपुड़ा पर्वतश्रेणियों के मध्य ये नदियाँ दरार घाटियों (Rift Valleys) में बहती हुई सँकरे ज्वारनदमुख द्वारा अरब सागर से जा मिलती हैं। बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों में दामोदर, गोदावरी, महानंदी, कृष्णा तथा कावेरी आदि मुख्य हैं। ये सभी नदियाँ उच्च पठारी भागों मे निकलती हैं।
प्रश्न 3 – सिन्धु नदी द्रोणी का वर्णन कीजिए।
उत्तर – सिन्धु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत में है। इसकी मुख्य सहायक नदियाँ सतलज, ब्यास, झेलम, चिनाब एवं पर रावी हैं। यह नंगा पर्वत के निकट गहरा मोड़ बनाती हुई पाकिस्तान में . प्रवेश करती है। शुष्क सिन्ध प्रदेश में प्रवाहित होती हुई यह नदी अरब सागर में गिर जाती है। इसकी लम्बाई 2,900 किमी तथा अपवाह क्षेत्र 9.6 लाख वर्ग किमी है। भारत में यह नदी मात्र 709 किमी की दूरी तय करती है तथा इसका अपवाह क्षेत्र 1 18 लाख वर्ग किमी है। सिन्धु की सहायक नदियों में सतलज नदी भारत में सबसे अधिक जल प्रदान करती है। सतलज नदी कैलाश पर्वत से निकलकर लगभग 1,440 किमी की दूरी में प्रवाहित होती हुई सिन्धु नदी से मिल जाती है।
प्रश्न 4 – गंगा नदी तन्त्र का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- गंगा नदी तन्त्र
गंगा भारत की प्रसिद्ध एवं धार्मिक नदी है, जो हिमालय के गंगोत्री/गोमुख हिमानी से निकलती है। इस नदी की मैदानी यात्रा हरिद्वार से आरम्भ होती है। प्रयाग (इलाहाबाद) में यमुना व अदृश्य सरस्वती नदियाँ इसमें आकर मिलती हैं। गंगा की कुल लम्बाई 2,510 किमी है। जिसमें यह 2,415 किमी की यात्रा भारत में पूरी करती है। इसकी मुख्य सहायक नदियों में यमुना, रामगंगा, घाघरा, घाघमती, महानन्दा, गोमती, गंडक, जलांगी, भैरव, कोसी, टोंस, केन, बेतवा तथा चम्बल आदि है । गंगा नदी ब्रह्मपुत्र के साथ मिलकर विश्व के सबसे बड़े डेल्टा का निर्माण करते हुए पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के बाद बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
प्रश्न 5 – सहायक नदी तथा जल वितरिका में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- सहायक नदी तथा जल वितरिका में अन्तर
क्र०सं० सहायक नदी जल वितरिका
1. यह एक छोटी नदी या नाला होता है जो मुख्य नदी से मिल जाती है तो सहायक नदी कहलाती है। जब एक प्रमुख नदी कई छोटी-छोटी नदियों में विभक्त हो जाती है तो इन्हें जल वितरिका कहते हैं।
2. सहायक नदियों का निर्माण नदी के ऊपरी या मध्य मार्ग में होता है। इनका निर्माण नदी के निचले मार्ग में होता है।
3. यमुना नदी गंगा नदी की एक सहायक नदी है। गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले कई जल वितरिकाओं में विभाजित हो जाती है।
4. सहायक नदी के मिलने से मुख्य नदी में जल की मात्रा बढ़ जाती है। वितरिका के कारण मुख्य धारा में जल की मात्रा कम हो जाती है।
प्रश्न 6 – हिमालय से निकलने वाली नदियों के आर्थिक महत्त्व बताइए |
उत्तर— नदियाँ आर्थिक महत्त्व की स्रोत हैं। इनसे जीवन – संचार हेतु पेयजल ही प्राप्त नहीं होता बल्कि अनेक प्रकार के आर्थिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ इस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। इनका आर्थिक दृष्टि से निम्नलिखित महत्त्व है-
  1. सिंचाई के लिए नहरों द्वारा पर्याप्त जल की उपलब्धता ।
  2. हिमालय से निकलने वाली नदियों के दोनों ओर अनेक नगरीय बस्तियाँ स्थित हैं। इन बस्तियों को नदियों से पेयजल की प्राप्ति होती है।
  3. हिमालय से निकलने वाली मुख्य एवं अनेक सहायक नदियों बाँध बनाए गए हैं, जिनसे जल विद्युत का उत्पादन होता है।
  4. हिमालय से निकलने वाली नदियाँ नौका वाहन और मत्स्यपालन के लिए उपयुक्त हैं। अतः जल परिवहन, मछलीपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह नदियाँ आर्थिक विकास में सहायक हैं।
प्रश्न 7 – डेल्टा एवं ज्वारनदमुख में अन्तर बताइए । 
उत्तर- डेल्टा तथा ज्वारनदमुख में अन्तर
क्र०सं० डेल्टा ज्वारनदमुख
1. नदी द्वारा बहाकर लाए गए अवसादों के मुहाने पर बनी त्रिभुजाकार आकृति को डेल्टा कहते हैं। नदी मुहाने पर बनी सँकरी व गहरी घाटी को ज्वारनदमुख या एश्चुअरी कहते हैं।
2. डेल्टा बहुत ही समतल और उपजाऊ मैदान है। ज्वारनदमुख बनाने वाली नदियों का मार्ग गहरा और सँकरा होने के कारण अवसादों का जमाव नहीं होता है। इसलिए ये नदियाँ मैदानों का निर्माण नहीं करती हैं।
3. डेल्टा प्रदेश में नदी कई उपनदियों या जल वितरिकाओं में विभाजित हो जाती है। इसमें मुख्य नदी उपनदियाँ या जल वितरिकाओं में विभाजित नहीं होती है।
4. डेल्टा वाले क्षेत्रों में कृत्रिम जल पत्तन होते हैं। ज्वारनदमुख वाले क्षेत्रों में प्राकृतिक जल पत्तन के लिए अधिक उपयुक्त क्षेत्र होते हैं।
5. गंगा, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी व महानदी नदियाँ डेल्टा बनाती हैं। भारत में नर्मदा व ताप्ती नदियाँ ज्वारनदमुख बनाती हैं।
• अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – द्रोणी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – वह क्षेत्र जो एक नदी तन्त्र द्वारा सींचा जाता है, नदी द्रोणी कहलाता है। उदाहरण के लिए – गंगा और उसकी सहायक नदियों द्वारा सींचा गया प्रदेश गंगा द्रोणी कहलाता है। दो पड़ोसी प्रवाह द्रोणियों को उस क्षेत्र में स्थित उच्चभूमि या पर्वत पृथक् करता है। इसी पृथक्ता से द्रोणी अलग-अलग नाम से जानी जाती है।
प्रश्न 2 – हिमालय के तीन प्रमुख प्रवाह तन्त्र बताइए ।
उत्तर – प्रवाह तन्त्र वास्तव में देश के प्रमुख भू-उच्चावच विकास प्रक्रिया का परिणाम होता है। इसी आधार पर हिमालय पर्वत के तीन नदी तन्त्र इस प्रकार हैं-
(i) सिन्धु नदी तन्त्र, (ii) गंगा नदी तन्त्र, (iii) ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र।
प्रश्न 3 – झील से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – किसी निम्न भूमि के विस्तृत क्षेत्र में दीर्घ समय तक पानी के ठहर जाने को झील कहते हैं। वास्तव में झील एक जलाशय है जो भूतल के किसी विस्तृत गर्त में जल भर जाने से बनता है। झील खारे तथा मीठे दोनों प्रकार के जल वाली होती हैं।
प्रश्न 4 – वृक्षाकार नदी प्रवाह प्रतिरूप किसे कहते हैं?
उत्तर – जब एक मुख्य नदी की सहायक नदियाँ एक वृक्ष की शाखाओं के समान प्रवाहित होती हैं तो वह नदी प्रवाह का वृक्षाकार प्रतिरूप कहलाता है।
प्रश्न 5- आन्तरिक अपवाह से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर- जब किसी नदी का जल समुद्र तक नहीं पहुँचता बल्कि किसी आन्तरिक झील या अन्तः सागर में गिरता है तो उसे नदी का आन्तरिक अपवाह कहते हैं। भारत में राजस्थान राज्य की लूनी नदी इसका उदाहरण है।
प्रश्न 6 – अरीय या अपकेन्द्री (Radical) प्रवाह प्रतिरूप से आप क्या समझते हैं?
उत्तर— जब एक मुख्य केन्द्र से विभिन्न नदी धाराएँ अलग-अलग दिशाओं में प्रवाहित होती हैं तो ऐसे नदी प्रवाह प्रतिरूप को अपकेन्द्री प्रवाह कहते हैं।
प्रश्न 7 – नदी तन्त्र किसे कहते हैं?
उत्तर – नदी तन्त्र का आशय उस नदी प्रणाली से है जिसमें एक मुख्य नदी और उसकी सहायक नदियों को सम्मिलित किया जाता है। प्रत्येक नदी तन्त्र का अपना एक जलप्रवाह क्षेत्र होता है, जिसका जल मुख्य नदी अपनी सहायक नदियों के जल के साथ बहाकर ले जाती है।
प्रश्न 8 – भारत के उत्तरी विशाल मैदान का निर्माण किन नदी तन्त्रों से हुआ है ?
उत्तर- भारत के उत्तरी विशाल मैदान का निर्माण तीन नदी तन्त्रों द्वारा हुआ है – ( 1 ) सिन्धु नदी तन्त्र, (2) गंगा नदी तन्त्र, (3) ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र। इन्हीं तीनों तन्त्रों में सम्मिलित नदियों के प्रवाह से आए अवसाद के निक्षेप से भारत के उत्तरी विशाल मैदान का निर्माण हुआ है।
प्रश्न 9 – हिमालय से निकली नदियों की तीन मुख्य विशेषताएँ बताइए |
उत्तर – हिमालय से निकली नदियों की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
  1. हिमालय की नदियाँ सततवाही हैं, क्योंकि यह हिम व वर्षा से वर्ष भर जल प्राप्त करती हैं।
  2. ये नदियाँ लम्बवत् अपरदन द्वारा गहरे महाखड्डों (गार्ज) का निर्माण करती हैं।
  3. इन नदियों का बेसिन विस्तृत होने के कारण विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियों का विकास हुआ है।
प्रश्न 10 – प्रायद्वीपीय नदियों की तीन मुख्य विशेषताएँ बताइए | 
उत्तर – प्रायद्वीपीय नदियों की तीन मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
  1. प्रायद्वीपीय नदियाँ कठोर चट्टानों पर सीधी बहती हैं; अतः इनसे विसर्प का निर्माण नहीं होता।
  2. ये नदियाँ उथली घाटियों में बहती हैं।
  3. आधार तल तक पहुँचने के कारण इनकी अपरदन क्षमता तीव्र नहीं है।
• बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 – इनमें से सबसे लम्बी नदी है—
(a) गंगा
(b) नर्मदा
(c) सिन्धु
(d) महानदी ।
उत्तर – (c) सिन्धु
प्रश्न 2 – भागीरथी किस नदी की मुख्य धारा है-
(a) सिन्धु
(b) कावेरी
(c) नर्मदा
(d) गंगा ।
उत्तर – (d) गंगा ।
प्रश्न 3 – अलकनन्दा तथा भागीरथी किस स्थान पर मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं-
(a) देवप्रयाग
(b) इलाहाबाद
(c) हरिद्वार
(d) वाराणसी।
उत्तर – (a) देवप्रयाग
प्रश्न 4 – गंगा नदी का उद्गम स्थल है—
(a) हरिद्वार
(b) देवप्रयाग
(c) गंगोत्री
(d) साँभर झील ।
उत्तर – (c) गंगोत्री

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