UK 10TH HINDI

UK Board Class 10 Hindi – अव्यय

UK Board Class 10 Hindi – अव्यय

UK Board Solutions for Class 10 Hindi – अव्यय

अव्यय से आशय
‘अव्यय’ का अर्थ है- ‘जो व्यय न हो’ अर्थात् जिसके रूप में परिवर्तन न हो। व्याकरण में “अव्यय उन शब्दों को कहते हैं, जिनमें काल, पुरुष, लिंग, वचन, कारक आदि की दृष्टि से वाक्य प्रयोग के बाद भी कोई विकार नहीं आता है या परिवर्तन नहीं होता है।” ऐसे शब्दों को ‘अविकारी शब्द’ भी कहा जाता है। ये शब्द अपने मूलरूप में ही सर्वत्र प्रयोग होते हैं।
अव्यय के भेद
हिन्दी व्याकरण में अव्यय के पाँच भेद माने गए हैं, जो निम्नलिखित हैं-
1. क्रिया-विशेषण, 2. सम्बन्धबोधक, 3. समुच्चयबोधक, 4. विस्मयादिबोधक, 5. निपात।
(1) क्रिया-विशेषण
“क्रिया-विशेषण वे अव्यय या अविकारी शब्द होते हैं, जो क्रिया की विशेषता बताते हैं,” जैसे— घोड़ा तेज दौड़ता है। इस वाक्य में ‘दौड़ने’ की क्रिया की विशेषता ‘तेज’ शब्द से पता चलती है; अत: यहाँ ‘तेज’ शब्द क्रिया-विशेषण है।
क्रिया – विशेषण के चार भेद हैं-
(क) कालवाचक क्रिया-विशेषण- वे शब्द, जिनसे क्रिया के सम्पन्न होने के समय/काल का पता चलता है, ‘कालवाचक क्रिया-विशेषण’ कहलाते हैं। उदाहरणतया-
1. तुम देहरादून कब जाओगे ?
2. संजय परसों पौड़ी से आया था।
3. शीला प्रतिदिन स्कूल जाती है।
4. महँगाई आजकल बढ़ती जा रही है।
उपर्युक्त वाक्यों में मोटे छापे के शब्द कालवाचक क्रिया – विशेषण अव्यय के उदाहरण हैं।
(ख) स्थानवाचक क्रिया-विशेषण-जो क्रिया-विशेषण, क्रिया के स्थान या दिशा का ज्ञान कराते हैं, वे ‘स्थानवाचक क्रिया-विशेषण’ कहलाते हैं; जैसे-
1. तुम इधर-उधर मत जाओ।
2. वह यहाँ रहता है।
3. माताजी बाहर गई हैं।
4. वर्षा में कहाँ जाओगे ?
उपर्युक्त वाक्यों में मोटे छापे के शब्द स्थानवाचक क्रिया-विशेषण हैं।
(ग) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण-जो क्रिया-विशेषण क्रिया होने की रीति या ढंग प्रकट करते हैं, उन्हें ‘रीतिवाचक क्रिया-विशेषण’ कहते हैं; जैसे- के
1. कार तेज दौड़ती है।
2. साइकिल धीरे-धीरे चलती है।
3. सुनीता ध्यानपूर्वक पढ़ती है।
4. मोहन यहाँ कैसे आया?
उपर्युक्त वाक्यों में मोटे छपे शब्द रीतिवाचक क्रिया – विशेषण हैं। कुछ प्रचलित रीतिवाचक क्रिया-विशेषण इस प्रकार हैं-
ऐसे, वैसे, कैसे, जैसे, ज्यों-ज्यों, ज्यों ही, जैसे ही, उचित, अनुचित, धीरे-धीरे, सहसा, ध्यानपूर्वक, सच, झूठ, तेज, धीमा, यथार्थ, अस्तु, अवश्य, न, नहीं, मत, व्यर्थ, अतएव, जल्दी, शीघ्र आदि ।
(घ) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण – क्रिया की मात्रा या उसके परिमाण का ज्ञान करानेवाले अव्यय को ‘परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण’ कहते हैं; जैसे-
1. मैं बहुत थक गया हूँ।
2. बंगाल में चावल अधिक खाया जाता है।
3. तुम कम बोलो।
4. थोड़ा खाओ, खूब चबाओ।
उपर्युक्त वाक्यों में मोटे छपे शब्द परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण हैं।
हिन्दी में कुछ अन्य प्रचलित परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण निम्नलिखित हैं-
अति, अत्यन्त, कई, कई-एक, थोड़ा-सा, अधिक, कुछ, तनिक, इतना, उतना, कितना, सर्वथा, लगभग, निपट, पर्याप्त, खूब आदि ।
(2) सम्बन्धबोधक
“जो अव्यय शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर उनका सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों से बताते हैं, वे ‘सम्बन्धबोधक’ कहलाते हैं;” जैसे— ओर, पास, अतिरिक्त, (के) बिना, (के) साथ, (के) लिए, (के) बाहर आदि ।
उदाहरण के लिए—
1. मैं घर से दूर पहुँच गया था।
2. इस मकान के पीछे शिव मन्दिर है।
3. मोहन बाजार की ओर गया है।
4. उसके सामने तुम कहीं नहीं ठहर सकते।
उपर्युक्त वाक्यों में मोटे छपे शब्द सम्बन्धबोधक अव्यय हैं।
क्रिया – विशेषण और सम्बन्धबोधक में अन्तर
यदि अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता बताने के साथ अन्य किसी संज्ञा या सर्वनाम के साथ सम्बन्धित हो तो वह सम्बन्धबोधक कहलाता है, अन्यथा क्रिया-विशेषण। उदाहरणतया—
मोहन घर के बाहर सो रहा है।
इस वाक्य में ‘के बाहर’ सम्बन्धबोधक अव्यय है; क्योंकि इसके साथ ही ‘घर’ संज्ञा शब्द है, जिसका वह सम्बन्ध प्रकट कर रहा है। इसके अतिरिक्त यह वाक्य देखिए-
मोहन बाहर सो रहा है।
इसमें ‘बाहर’ का सम्बन्ध ‘सो रहा है’ क्रिया के साथ है अर्थात् यहाँ सोने की क्रिया की विशेषता है— ‘बाहर’ सम्पन्न होने से। इस प्रकार यहाँ ‘बाहर’ क्रिया-विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
(3) समुच्चयबोधक
“दो पदों, पदबन्धों, वाक्यांशों या वाक्यों को परस्पर जोड़नेवाले अविकारी शब्द ‘समुच्चयबोधक’ कहलाते हैं।” उदाहरणतया – 3 – और, यथा, किन्तु, परन्तु, कि, या। इन्हें ‘योजक’ शब्द भी कहा जाता है। समुच्चयबोधक के दो भेद हैं—
(क) समानाधिकरण समुच्चयबोधक – वे अव्यय शब्द, जो समान स्थितिवाले स्वतन्त्र शब्दों, वाक्यांशों, वाक्यों को एक-दूसरे से जोड़कर संयुक्त करते हैं, ‘समानाधिकरणं समुच्चयबोधक’ कहलाते हैं। उदाहरणतया—और, या, किन्तु आदि । समानाधिकरण समुच्चयबोधक के कुछ प्रयोग निम्नलिखित हैं-
1. नरेन्द्र शाम को रोटी और दाल खाता है।
2. जोगेन्द्र रसमलाई या गुलाब जामुन खाता है।
3. मुझे तेज मीठा और मसाला नापसन्द है।
4. न तो मुझे अंग्रेजी फिल्में पसन्द हैं और न अखबार ।
5. उसने मोहन को बहुत समझाया, परन्तु उसके कान पर जूँ नहीं रेंगी।
6. वह शिकायत करेगा जरूर, लेकिन अधिकारी सुनेंगे नहीं।
7. ट्रेन से जाने की अपेक्षा तुम कार से चले जाओ।
8. कहानी आकर्षक थी; अतः सबसे प्रशंसा मिली।
9. भारत ने अच्छी बल्लेबाजी की, फलतः विजयी हुआ।
(ख) व्यधिकरण समुच्चयबोधक – एक या एक से अधिक
आश्रित वाक्यों को प्रधान वाक्यों से जोड़ने के लिए जो अव्यय शब्द कार्य करते हैं, वे ‘व्यधिकरण समुच्चयबोधक’ कहलाते हैं; जैसे— यद्यपि, तथापि, कि, इसलिए आदि ।
इनके कुछ वाक्य प्रयोग नीचे दिए जा रहे हैं-
1. यद्यपि वह धनवान् है, तथापि दिल का छोटा है।
2. यदि सफलता हासिल करना है तो कड़ी मेहनत करनी होगी।
3. मुझे आने में देर हो गई; क्योंकि बस जल्दी नहीं मिली।
4. मीरा कल कहेगी कि तुमने मुझे क्यों नहीं बुलाया।
5. मैं घर जल्दी जाऊँगा, ताकि आराम कर सकूँ ।
6. मेरा आना इसलिए आवश्यक था कि आप उसे पहचानते नहीं थे।
7. ईश्वर सर्वव्यापी है अर्थात् वह सब जगह मौजूद है।
(4) विस्मयादिबोधक
” आनन्द, हर्ष, शोक, आश्चर्य, घृणा, व्यथा आदि भावों को प्रकट करने के लिए प्रयोग में आनेवाले अविकारी शब्द ‘विस्मयादिबोधक’ कहलाते हैं;” जैसे-
1. वाह! क्या सुन्दर दृश्य है ! (आश्चर्य)
2. अरे ! गाड़ी से बचो। (चेतावनी)
3. क्या बोलूँ ! (व्यथा)
4. शाबाश! बहुत बड़ा काम किया तुमने। (प्रशंसा)
5. छिः ! ऐसी गन्दी बात करता है। (घृणा)
6. वाह ! यह सुनकर मन खिल उठा। (हर्ष)
उपर्युक्त वाक्यों में वाह, अरे, शाबाश, छिः तथा वाह शब्द विस्मयादिबोधक अव्यय हैं।
विस्मयादिबोधक शब्दों के विविध प्रकार-
विस्मयादिबोधक – ओह!, आ हा!, अहो !, अरे !, हैं!
शोकबोधक – हाय!, आह!, हाय-हाय !, हे राम !
हर्षबोधक – ओहो!, वाह!, धन्य-धन्य !, क्या खूब !
प्रोत्साहनबोधक – शाबाश!, वाह ! क्या बात है!, बहुत सुन्दर !
भयबोधक – बाप रे!, हाय!
क्रोधबोधक – अबे !, धत् !, चुप!, हट!
अनुमोदक – अच्छा-अच्छा!, हाँ!, जी हाँ!
घृणा/तिरस्कारबोधक – छि: !, हट!, धत् !, अरे !, हश!, धिक् !
चेतावनी- बचो!, देखो!, हटो !, होशियार !, अरे!
सम्बोधन / आह्वान – हे!, अजी!, ऐ!, ए !
संवेदना – हाय राम !, तौबा-तौबा!
(5) निपात
“जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ को बल प्रदान करते हैं, वे निपात या अवधारक कहलाते हैं;” जैसे- ही, भी, तो, मात्र, तक। उदाहरणतया –
1. राम ही कल जाएगा।
2. राम कल ही जाएगा।
3. मैंने तो कुछ नहीं किया।
4. सुधा तो खाएगी ही, रमेश भी खाएगा।
5. यह खिलौना केवल दस रुपये में मिल गया है।
6. केवल तुम ही यह कार्य कर सकते हो ।
ध्यान रखिए – प्राय: ‘मात्र’ और ‘केवल’ शब्दों का प्रयोग एक साथ कर दिया जाता है जो कि दोषपूर्ण है, अशुद्ध है। ‘मात्र’ और ‘केवल’ पर्यायवाची हैं।
पाठ्यपुस्तक ‘शिक्षार्थी व्याकरण और व्यावहारिक हिन्दी ‘ के प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1 – अव्यय के भेद बताते हुए प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर- अव्यय के भेद
अव्यय के पाँच भेद होते हैं, जो कि उदाहरणसहित निम्नलिखित हैं-
(1) क्रिया-विशेषण-
1. रमा रातभर पढ़ती रही। (कालवाचक)
2. माँ बहुत थक गई होंगी । (परिमाणवाचक)
(2) सम्बन्धबोधक-
1. रमेश घर के बाहर बैठा है। (सम्बन्धबोधक)
2. धन बिना जीवन कठिन हो जाता है। (सम्बन्धबोधक)
(3) समुच्चयबोधक-
1. रात हो गई, परन्तु चाँद नहीं निकला। (समानाधिकरण)
2. मैं आइसक्रीम नहीं खाऊँगा, ताकि गला ठीक रहे । (व्यधिकरण)
(4) विस्मयादिबोधक-
1. वाह ! क्या अभिनय किया है। (प्रशंसाबोधक)
2. अरे ! चाँद निकल आया। (विस्मयादिबोधक)
(5) निपात-
1. मुझे भी पिथौरागढ़ जाना था ।
2. अरे ! मात्र पाँच रुपये में घड़ी बेच दी !
प्रश्न 2 – क्रिया – विशेषण का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके प्रकारों का विवेचन उदाहरण सहित कीजिए ।
उत्तर- क्रिया – विशेषण की परिभाषा
क्रिया – विशेषण का अभिप्राय उन अविकारी शब्दों है, जो क्रिया की विशेषता बताते हैं; जैसे- ‘माँ बहुत धीरे-धीरे चलती हैं।इस वाक्य में ‘माँ’ के ‘चलने’ की क्रिया की विशेषता ‘धीरे-धीरे’ से प्रकट हो रही है, इसलिए यह ‘धीरे-धीरे’ क्रिया-विशेषण है।
क्रिया-विशेषण के भेद
क्रिया – विशेषण के चार भेद होते हैं—
1. रीतिवाचक,
2. परिमाणवाचक,
3. कालवाचक,
4. स्थानवाचक |
(1) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण-जो क्रिया-विशेषण क्रिया के होने की प्रक्रिया की रीति या ढंग बताते हैं, वे ‘रीतिवाचक क्रिया – विशेषण’ कहलाते हैं; जैसे-
मोहन तेज दौड़ा।
इस वाक्य में ‘मोहन’ के ‘दौड़ने’ की क्रिया की विशेषता ‘तेज’ शब्द से प्रकट हो रही है इसलिए ‘तेज’ रीतिवाचक क्रिया-विशेषण हैं।
(2) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण – क्रिया की मात्रा या उसके परिमाण का बोध करानेवाले क्रिया-विशेषण, ‘परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण’ कहलाते हैं; जैसे-
तुमने हम सबको बहुत आनन्दित किया है।
इस वाक्य में ‘बहुत’ शब्द से आनन्दित होने की अधिक मात्रा का बोध हो रहा है। वह ‘आनन्दित’ की विशेषता बता रहा है इसलिए ‘बहुत’ परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण है।
(3) कालवाचक क्रिया-विशेषण- वे शब्द, जिनसे क्रिया होने या करने का समय ज्ञात होता है, ‘कालवाचक क्रिया-विशेषण’ कहलाते हैं; जैसे-
हम अभी-अभी घर पहुँचे हैं।
इस वाक्य में ‘अभी-अभी’ शब्द से ‘हम’ के ‘घर पहुँचने’ की क्रिया का समय प्रकट हो रहा है, इसलिए ‘अभी-अभी’ कालवाचक क्रिया – विशेषण है।
(4) स्थानवाचक क्रिया-विशेषण- – क्रिया के सम्पन्न होने के स्थान या दिशा का बोध करानेवाले क्रिया-विशेषण, ‘स्थानवाचक क्रिया-विशेषण’ कहलाते हैं; जैसे—
1. मैं कमरे के अन्दर बैठा था ।
2. वह छत के ऊपर गया है।
इन वाक्यों में ‘अन्दर’ तथा ‘ऊपर’ शब्द क्रमशः स्थान तथा दिशा का बोध करा रहे हैं, इसलिए ये स्थानवाचक क्रिया-विशेषण हैं।
अतः ‘स्थान’ व ‘दिशा’ के आधार पर, स्थानवाचक क्रिया-विशेषण के दो भेद हैं-
(क) स्थितिवाचक – ऊपर, नीचे, आगे, पीछे, आर-पार ।
ख) दिशावाचक – इधर-उधर, दाएँ-बाएँ, आमने-सामने।
अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1 – अव्यय से क्या आशय है?
अथवा अविकारी शब्द किसे कहते हैं? बताइए।
उत्तर : अव्यय से आशय – ‘अव्यय’ का अर्थ है ‘जो व्यय न हो’ अर्थात् जिसके रूप में परिवर्तन न हो। व्याकरण में “अव्यय उन शब्दों को कहते हैं जिनमें काल, पुरुष, लिंग, वचन, कारक आदि की दृष्टि से, वाक्य-प्रयोग के बाद भी कोई विकार नहीं आता है या परिवर्तन नहीं होता है।” ऐसे शब्दों को ‘अविकारी शब्द’ भी कहा जाता है। ये शब्द अपने मूलरूप में ही सर्वत्र प्रयोग होते हैं।
प्रश्न 2 – निर्देशानुसार उत्तर लिखिए-
(क) वह जोर-जोर से गा रहा है। (क्रिया-विशेषण छाँटकर लिखिए)
(ख) आपने खाना खाया या नहीं? (समुच्चयबोधक शब्द छाँटकर लिखिए)
(ग) वह मेरी बात चुपचाप सुन रहा था। ( रेखांकित क्रिया – विशेषण का प्रकार बताइए)
(घ) वह लड़का बहुत बोल रहा है। (क्रिया – विशेषण छाँटकर उसका भेद भी लिखिए)
(ङ) यहाँ स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था है। (अव्यय छाँटकर भेद लिखिए)
(च) प्रतिदिन प्रातः भ्रमण कीजिए । (क्रिया-विशेषण छाँटकर उसका भेद लिखिए)
(छ) आशा है, आप सुखपूर्वक रह रहे हैं। (क्रिया-विशेषण छाँटकर उसका भेद लिखिए)
(ज) मोहन बहुत थक गया है। (क्रिया-विशेषण छाँटकर उसका भेद लिखिए )
(झ) शीला प्रतिदिन स्कूल जाती है। (क्रिया-विशेषण छाँटकर लिखिए )
(ञ) ट्रेन से जाने की अपेक्षा तुम कार से चले जाओ। (समुच्चयबोधक छाँटकर लिखिए )
उत्तर-
(क) जोर-जोर से
(ख) या
(ग) रीतिवाचक
(घ) बहुत, परिमाणवाचक
(ङ) यहाँ, स्थानवाचक
(च) प्रतिदिन, कालवाचक
(छ) आशा है, अनिश्चयात्मक रीतिवाचक
(ज) बहुत, परिमाणवाचक
(झ) प्रतिदिन
(ञ) अपेक्षा ।
प्रश्न 3 – रिक्त स्थानों की पूर्ति अव्यय से कीजिए-
(क) आज धन ………… कोई नहीं पूछता।
(ख) तुम ……….. उठो ।
(ग) ……….. तेरे भाग्य में यही लिखा था।
(घ) खूब मन लगाकर पढ़ो ……….. परीक्षा में प्रथम आओ।
(ङ) अनुराग अब ………….. स्वस्थ है।
(च) मैं उसके विचार से ………….. सहमत नहीं हूँ।
(छ) अच्छे चरित्र ……….. जीवन निरर्थक है।
(ज) उसकी हालत ………… खराब है।
(झ) रमेश अब ……….. पढ़ रहा है।
(ञ) आप कूड़ा ………. फेंकते हैं?
(ट) पेट्रोल ………… कार नहीं चल सकती।
(ठ) हमें अपनी सभ्यता ………… संस्कृति पर गर्व है।
(ड) बालक चाँद की …………… देख रहा है।
(ढ) रमेश कल …………. आएगा।
(ण) वह स्थान ………. ही है।
(त) वह ………….. सच बोलता है।
(थ) वह बहुत देर ……….. रोता रहा।
(द) उसके …………. तुम कहीं नहीं ठहर सकते।
(ध) पहला प्रश्न पहले कीजिए …………. दूसरा।
उत्तर—
(क) के बिना
(ख) अभी
(ग) अरे!
(घ) ताकि
(ङ) पूर्णतः
(च) पूर्णतया
(छ) के बिना
(ज) बहुत
(झ) चुपचाप
(ञ) कहाँ
(ट) बिना
(ठ) और
(ड) ओर
(ढ) अवश्य
(ण) समीप
(त) सदा
(थ) तक
(द) सामने
(ध) फिर ।
प्रश्न 4 – कालवाची क्रिया-विशेषण से रिक्तस्थान की पूर्ति कीजिए-
……… मैं एक पुस्तक लिख रहा हूँ।
उत्तर – आजकल।
प्रश्न 5 – एक अव्यय छाँटकर लिखिए-
(क) बिना परिश्रम किए लक्ष्य प्राप्त कर पाना कठिन है।
(ख) वह धीरे-धीरे बोल रहा था।
(ग) मैं उसे भली-भाँति जानता हूँ।
(घ) सुरेश अचानक वहाँ आ गया।
(ङ) मैंने सारा काम अभी किया है।
(च) आशुतोष को मैंने नहीं देखा ।
(छ) मैं लोगों से प्रेमपूर्वक मिला।
(ज) वे दोनों साथ-साथ घर गए ।
उत्तर –
(क) बिना
(ख) धीरे-धीरे
(ग) भली-भाँति
(घ) अचानक
(ङ) अभी
(च) नहीं
(छ) प्रेमपूर्वक
(ज) साथ-साथ।
प्रश्न 6 – क्रिया – विशेषण छाँटिए-
(क) वह धीरे-धीरे खा रहा है।
उत्तर — धीरे-धीरे |
(ख) चलो वहाँ चलें।
उत्तर—वहाँ।
(ग) अनामिका जोर-जोर से गा रही है।
उत्तर – जोर-जोर से।
प्रश्न 7 – अव्यय से वाक्य पूरा कीजिए-
परीक्षा भवन में ……. झाँकना मना है।
उत्तर- बाहर ।
प्रश्न 8 – क्रिया – विशेषण से वाक्य पूरा कीजिए-
कल से ……… वर्षा हो रही है।
उत्तर— तेज।
प्रश्न 9 – क्रिया – विशेषण द्वारा रिक्तस्थान भरिए-
पहाड़ी के ……… एक गहरा नाला बह रहा है।
उत्तर— पीछे |

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