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UK Board Class 10 Hindi – वाक्य के भेद : स्वरुप परिवर्तन

UK Board Class 10 Hindi – वाक्य के भेद : स्वरुप परिवर्तन

UK Board Solutions for Class 10 Hindi – वाक्य के भेद : स्वरुप परिवर्तन

वाक्य
परिभाषा – व्याकरण के नियमों के अनुसार सजाए गए सार्थक शब्दों के जिस समूह से कोई तात्पर्य स्पष्ट रूप से प्रकट हो जाए, उसे वाक्य कहते हैं; जैसे-
(1) विनीत पुस्तक पढ़ता है।
(2) प्रियंका गीत गाती है।
उपर्युक्त दोनों शब्द – समूहों से ‘वक्ता’ या लेखक का पूर्णभाव व्यक्त हो जाता है; अतः ये वाक्य हैं।
वाक्य के प्रकार अथवा भेद
वाक्य के भेद या प्रकार अथवा विभाजन के दो प्रमुख आधार हैं-
(अ) रचना के आधार पर,
(ब) अर्थ के आधार पर।
(अ) रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचना के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं-
1. साधारण या सरल वाक्य,
2. मिश्र वाक्य,
3. संयुक्त वाक्य ।
(1) साधारण या सरल वाक्य – जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उसे ‘साधारण या सरल वाक्य’ कहते हैं। इसमें एक ही मुख्य क्रिया होती है। सरल वाक्य में एक कर्त्ता और एक क्रिया के अतिरिक्त कर्म, पूरक, क्रिया-विशेषण, सम्प्रदान, अधिकरण, करण, अपादान घटक भी हो सकते हैं; जैसे-
1. माताजी ने शीला को एक साड़ी दी।
2. शीला आपको अपना बड़ा भाई मानती है।
3. पुलिस ने चोर को पीटा।
4. मोहन हँसता है।
5. राजेश बीमार है।
(2) मिश्र वाक्य – जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो तथा अन्य खण्डवाक्य आश्रित होकर आएँ, उसे ‘मिश्र वाक्य’ या ‘मिश्रित वाक्य’ कहते हैं। ये उपवाक्य परस्पर व्यधिकरण योजकों से जुड़े हुए होते हैं। कुछ व्यधिकरण योजक हैं- कि, यदि, अगर, तो, तो फिर, यद्यपि, तथापि, हालाँकि, फिर भी, इसलिए आदि । उदाहरणतया-
1. अध्यापक ने बताया कि कल स्कूल की छुट्टी रहेगी। “
2. यदि मैं न जगाता तो तुम सोते रह जाते।
3. वह कद में छोटा है, फिर भी दौड़ता तेज है।
मिश्रित वाक्यों के आश्रित उपवाक्यों के निम्नलिखित भेद हैं-
(i) संज्ञा उपवाक्य – किसी संज्ञा या संज्ञा पदबन्ध के स्थान पर प्रयुक्त उपवाक्य । उदाहरण-
1. तुम नहीं आओगे, मैं जानता था।
2. मुझे विश्वास है कि आप दीपावली पर घर जरूर आएँगे।
(ii) विशेषण उपवाक्य – प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम पद की विशेषता बतानेवाला उपवाक्य। उदाहरण-
1. आपकी वह पुस्तक कहाँ है, जो आप कल लाए थे?
2. जो आदमी पंत्र बाँटता है, वह डाकिया होता है।
3. जिसे आप ढूँढ रहे हैं, वह मैं नहीं हूँ ।
4. जो पैसे मुझे मिले थे, वे खर्च हो गए।
5. वो पैसे खर्च हो गए, जो मुझे मिले थे।
(iii) क्रिया-विशेषण उपवाक्य- प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बतानेवाला उपवाक्य ।
इसके पाँच भेद हैं— कालवाची, स्थानवाची, रीतिवाची, परिमाणवाची तथा परिणामवाची अथवा कार्य-कारण सम्बन्धवाची उपवाक्य । उदाहरण-
1. जब बारिश हो रही थी तब मैं घर में था । (कालवाची)
2. जहाँ तुम पढ़ते थे वहीं मैं पढ़ता था । (स्थानवाची)
3. जैसा आपने बताया वैसा मैंने किया। ( रीतिवाची)
4. जितना व्यायाम करोगे उतना ही स्वस्थ रहोगे। (परिमाणवाची)
5. यदि मोहन ने पढ़ा होता तो वह अवश्य उत्तीर्ण होता । (कार्य-कारण)
(3) संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में दो से अधिक खण्डवाक्य स्वतन्त्र रूप से योजक द्वारा मिले हुए हों, उसे ‘संयुक्त वाक्य’ कहते हैं; जैसे-
1. बिजली थोड़ी देर के लिए आई और चली गई।
2. आप चाय पीएँगे या कॉफी ?
3. जल्दी चलिए अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।
4. मैं भी आपके साथ चलता, किन्तु मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
संयुक्त वाक्यों में योजक के रूप में निम्नलिखित शब्दों का व्यवहार किया जाता है-
और, तथा, फिर, या, अथवा, अन्यथा, किन्तु, परन्तु, इसलिए आदि।
(ब) अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
अर्थ-प्राप्ति के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित छह भेद होते हैं-
(1) विधानवाचक या निश्चयवाचक वाक्य – कार्य के होने की निश्चित सूचना देनेवाला वाक्य; जैसे—
1. मेरा विद्यालय प्रातः आठ बजे खुलता है।
2. दीपावली अक्टूबर या नवम्बर में मनाई जाती है ।
3. सुरेश को कल बुखार था।
(2) निषेधात्मक वाक्य — इस प्रकार के वाक्यों से कार्य के न होने का बोध होता है; जैसे-
1. मेरा मित्र आज स्कूल नहीं आया।
2. आप बाहर न जाएँ।
3. मैं यह काम नहीं कर सकता।
(3) आज्ञार्थक वाक्य – इस प्रकार के वाक्यों से आज्ञा का या अनुमति का बोध होता है; जैसे-
1. मोहन को बुलाओ ।
2. यहाँ शोर मत करो।
3. यह पत्र डाकखाने में डाल देना ।
(4) विस्मयादिबोधक अथवा मनोवेगात्मक वाक्य – इस प्रकार के वाक्यों से हर्ष, सुख, खुशी, शोक, कामना, इच्छा तथा आशीर्वाद आदि मनोभावों का बोध होता है; उदाहरणतया-
1. अहा! कितना सुन्दर दृश्यं है।
2. ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे !
3. शायद आज बारिश हो !
4. छिः ! कितना गन्दा स्थान है।
(5) प्रश्नवाचक वाक्य – इस प्रकार के वाक्यों में वक्ता श्रोता से केवल प्रश्न पूछता है; जैसे-
1. क्या आप कल मेरे यहाँ आए थे?
2. तुम्हारा नाम क्या है ?
3. क्या तुम्हारा स्कूल कल बन्द है?
(6) संकेतवाचक वाक्य – जिस वाक्य में दो क्रियाएँ हों तथा एक क्रिया दूसरी पर निर्भर हो, उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरणतया –
1. यदि वर्षा होती तो फसल होती ।
2. यदि तुम परिश्रम करते तो सफल हो जाते।
कुछ विद्वान् वाक्य के निम्नलिखित दो भेद और मानते हैं—
(7) सन्देहवाचक वाक्य – इस प्रकार के वाक्यों से शंका या सन्देह होता है; जैसे—
1. शायद मैं कल न आ सकूँ।
2. सम्भवतः तीन दिनों का अवकाश होगा।
(8) इच्छावाचक वाक्य — इस प्रकार के वाक्यों से कामना, प्रार्थना आदि होती है; जैसे-
1. ईश्वर तुम्हें सफल करे।
2. काश मैं भी करोड़पति होता!
वाक्य रचनान्तरण
किसी बात को अनेक ढंग से व्यक्त किया जा सकता है। इसलिए एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य के रूप में बदला जा सकता है। रचनान्तरण से वाक्य के अर्थ में परिवर्तन न हो, इस ओर ध्यान देना आवश्यक है; जैसे-
1. सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य
उसने घर आकर भोजन किया। (सरल वाक्य)
वह घर आया और उसने भोजन किया। (संयुक्त वाक्य)
2. सरल वाक्य से मिश्र वाक्य
वीरेन्द्र ने मुझे जल्दी भोजन करने के लिए कहा। (सरल वाक्य)
वीरेन्द्र ने मुझसे कहा कि मैं जल्दी भोजन करूँ। (मिश्र वाक्य)
3. संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य
शीला ने एक पुस्तक माँगी और वह उसे मिल गई। (संयुक्त वाक्य)
शीला ने जो पुस्तक माँगी थी, (वह) उसे मिल गई। ( मिश्र वाक्य )
4. विधानवाचक वाक्य से निषेधवाचक वाक्य
प्रशान्त आज विद्यालय गया है। (विधानवाचक वाक्य )
प्रशान्त आज विद्यालय नहीं गया। (निषेधवाचक वाक्य)
5. निषेधवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक वाक्य
सुरेश ने यह पुस्तक नहीं पढ़ी है । (निषेधवाचक वाक्य)
क्या सुरेश ने यह पुस्तक पढ़ी है ? (प्रश्नवाचक)
6. विधानवाचक वाक्य से विस्मयादिबोधक वाक्य
यह बहुत ही सुन्दर दृश्य है।  (विधानवाचक)
वाह! कितना सुन्दर हाथ। (विस्मयादिबोधक वाक्य )
7. पदभेद का परिवर्तन
राम को समुद्र में तैरना नहीं है। (क्रिया)
राम को तैरना नहीं आता । (संज्ञा)
8. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य
मैं यह काम नहीं कर सकता। (कर्तृवाच्य)
मुझसे यह काम नहीं हो सकता। (कर्मवाच्य )
पाठ्यपुस्तक ‘शिक्षार्थी व्याकरण और व्यावहारिक हिन्दी ‘ के प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1 – रचना की दृष्टि से वाक्य के कितने प्रकार होते हैं? उदाहरणसहित विवेचन कीजिए।
अथवा सरल वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर – रचना की दृष्टि से वाक्य के प्रकार
रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन प्रकार होते हैं-
(1) सरल वाक्य – इसमें एक उद्देश्य तथा एक विधेय होता है अर्थात् एक कर्त्ता और एक क्रिया अनिवार्य है; जैसे- राम जाता है।
इस वाक्य में ‘राम’ कर्त्ता या उद्देश्य है तथा ‘जाता है’ विधेय या क्रिया है। इसलिए यह सरल वाक्य है।
(2) मिश्र वाक्य – एक से अधिक उपवाक्यों से मिश्र वाक्य बनता है। एक वाक्य प्रधान उपवाक्य होता है तथा शेष आश्रित उपवाक्य होते हैं; जैसे-
यदि मैं न आता तो तुम सोते रहते ।
इसके योजक शब्द हैं- कि, यदि, अगर, तो, यद्यपि, तथापि, इसलिए आदि ।
(3) संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में एक से अधिक उपवाक्य हों और सभी समान स्तरीय हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं; जैसे— हम कश्मीर घूमने गए और हाउस बोट पर रहे।
ये दोनों उपवाक्य स्वतन्त्र रूप से भी स्पष्ट अर्थ देते हैं। ये वाक्य और, किन्तु, परन्तु, लेकिन, यदि, अगर जैसे योजकों से जुड़े होते हैं।
प्रश्न 2 – संयुक्त वाक्य तथा मिश्र वाक्य का अन्तर उदाहरणसहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- संयुक्त वाक्य और
मिश्र वाक्य में अन्तर
संयुक्त वाक्य में दो समान महत्त्व के वाक्य होते हैं। ये दोनों वाक्य-योजक शब्द द्वारा संयुक्त होते हैं।
मिश्र वाक्य में दो या दो से अधिक साधारण वाक्य होते हैं।
इनमें से कोई एक वाक्य ‘उपवाक्य’ होता है तथा अन्य वाक्य ‘गौण वाक्य’ होते हैं। उदाहरण के रूप में इन दो वाक्यों को देखिए-
1. वह तेज दौड़ा और जीत गया।
2. यदि वह परीक्षा देता तो उत्तीर्ण हो जाता।
वाक्य (1) में ‘वह तेज दौड़ा’ तथा ‘जीत गया’ दो साधारण, किन्तु समान महत्त्व के वाक्य ‘और’ संयोजक के द्वारा आपस में संयुक्त हैं; अत: यह संयुक्त वाक्य है।
वाक्य (2) में ‘यदि वह परीक्षा देता’ यह वाक्य, मुख्य वाक्य ‘उत्तीर्ण हो जाता’ पर आश्रित है। इसलिए इन दो वाक्यों में आश्रित उपवाक्य तथा मुख्य उपवाक्य का सम्बन्ध है; अत: यह ‘मिश्र वाक्य’
प्रश्न 3 – मिश्र वाक्य के उपवाक्यों का विवेचन उदाहरण देकर कीजिए ।
उत्तर- मिश्र वाक्य के उपवाक्य
जब दो या दो से अधिक छोटे वाक्य मिलकर एक सम्पूर्ण वाक्य बनाते हैं, तब सम्पूर्ण ‘मिश्र वाक्य’ के वे सभी छोटे वाक्य ‘उपवाक्य’ कहलाते हैं।
उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
1. समानाधिकरण उपवाक्य,
2. प्रधान उपवाक्य,
3. आश्रित उपवाक्य |
(1) समानाधिकरण उपवाक्य-वे वाक्य, जो उपवाक्य तो होते हैं किन्तु स्वतन्त्र एवं समान महत्त्व के होते हैं, ‘समानाधिकरण उपवाक्य’ कहलाते हैं; जैसे-
वह पढ़ता है और खेलता है।
इसमें ‘खेलता है’ समानाधिकरण उपवाक्य है।
(2) प्रधान उपवाक्य – इस वाक्य में क्रिया मुख्य होती है। उदाहरणतया —
गायन प्रतियोगिता में प्रथम आनेवाली छात्रा मेरी बहन है। इस वाक्य में ‘प्रतियोगिता में प्रथम आनेवाली’ क्रिया का महत्त्व है तथा ‘मेरी बहन है’ प्रधान उपवाक्य है।
(3) आश्रित उपवाक्य — जो उपवाक्य दूसरे वाक्य पर आश्रित होते हैं, वे ‘आश्रित उपवाक्य’ कहलाते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं-
(i) संज्ञा उपवाक्य,
(ii) विशेषण उपवाक्य,
(iii) क्रिया – विशेषण उपवाक्य ।
(i) संज्ञा उपवाक्य – जिस उपवाक्य का प्रयोग प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा कर्त्ता, कर्म या पूरक के बदले में होता है, उसे ‘संज्ञा उपवाक्य’ कहते हैं; जैसे-
यह सत्य है कि मैंने पुस्तक पढ़ी है।
इस वाक्य में ‘मैंने पुस्तक पढ़ी है आश्रित संज्ञा उपवाक्य है। संज्ञा उपवाक्य प्रायः ‘कि’ संयोजक से जुड़े रहते हैं।
(ii) विशेषण उपवाक्य – जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है, वह ‘विशेषण उपवाक्य’ कहलाता है; यथा-
जो परिश्रम करेगा उसे सफलता अवश्य मिलेगी।
(iii) क्रिया – विशेषण उपवाक्य- जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताता है, उसे ‘क्रिया – विशेषण उपवाक्य’ कहते हैं; जैसे-
वह पेण्टिंग उठाओ जो हुसैन की बनाई हुई है।
इस वाक्य में ‘हुसैन की बनाई हुई’ उपवाक्य पेण्टिंग की विशेषता बता रहा है, इसलिए यह ‘क्रिया – विशेषण उपवाक्य’ है।
क्रिया-विशेषण उपवाक्य के निम्नलिखित पाँच भेद होते हैं—
1. कालवाची; जैसे- मैं घर पहुँचा तब वह जा चुकी थी।
2. स्थानवाची; जैसे- मैंने उसी विद्यालय में पढ़ाई की है जहाँ पर तुमने की थी ।
3. रीतिवाची; जैसे—उसने वैसा ही किया जैसा मैंने कहा था।
4. परिमाणवाची; जैसे- जितना पढ़ोगे उतना ही ज्ञान भी बढ़ेगा।
5. परिणामवाची; जैसे—यदि पढ़ोगे तो उत्तीर्ण होओगे।
प्रश्न 4- अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद उदाहरणसहित समझाइए ।
उत्तर – अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
अर्थ की दृष्टि से वाक्य के छह भेद उदाहरणसहित निम्नलिखित हैं –
(1) विधानवाचक या निश्चयवाचक – जिस वाक्य से कार्य के होने की निश्चित सूचना मिलती है, उसे ‘विधानवाचक या निश्चयवाचक वाक्य’ कहते हैं; जैसे—
मैं अब घर जा रहा हूँ।
(2) नकारात्मक या निषेधात्मक वाक्य – जिस वाक्य से कार्य के न होने की सूचना प्राप्त हो, वह ‘निषेधात्मक वाक्य’ कहलाता है; जैसे-
मैं अभी घर नहीं जा रहा हूँ।
(3) आज्ञार्थक वाक्य — जिस वाक्य से आज्ञा, आदेश, निर्देश या अनुमति दिए जाने का बोध होता है, वह ‘आज्ञार्थ वाक्य’ कहलाता जैसे—
बहुत हुआ, अब घर जाओ।
(4) विस्मयादिबोधक वाक्य — जिस वाक्य से हर्ष, शोक, आनन्द, आश्चर्य आदि प्रकट हो, उसे ‘विस्मयादिबोधक वाक्य’ कहते हैं; जैसे-
ओफ-ओह! गाड़ी पंक्चर है।
(5) प्रश्नवाचक वाक्य- जिस वाक्य से प्रश्न पूछे जाने की क्रिया सम्पन्न हो रही हो, वह ‘प्रश्नवाचक वाक्य’ होता है। जैसे-
अब मैं घर कैसे जाऊँगा?
(6) संकेतवाचक वाक्य – जिस वाक्य में एक क्रिया दूसरी क्रिया पर निर्भर हो, उसे ‘संकेतवाचक वाक्य’ कहते हैं; जैसे-
कोई लेने आ गया तो चला जाऊँगा ।
प्रश्न 5 – निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए-
(क) तुम उसको देखे हो ।
उत्तर- तुमने उसको देखा है।
(ख) मैंने घर जाना है।
उत्तर- मुझे घर जाना है।
(ग) शीला तुम्हारे से नहीं डरती।
उत्तर- शीला तुमसे नहीं डरती।
(घ) थॉमस के द्वारा किताब फाड़ी गई।
उत्तर- थॉमस से किताब फट गई।
(ङ) कृपया मुझे छुट्टी प्रदान करने की कृपा करें।
उत्तर – कृपया मुझे छुट्टी प्रदान करें। अथवा मुझे छुट्टी प्रदान करें।
(च) उसे एक फूलों की माला खरीदनी है।
उत्तर – उसे फूलों की एक माला खरीदनी है।
(छ) मैंने यह किताब पचास रुपये को खरीदी है।
उत्तर — मैंने यह किताब पचास रुपये में खरीदी है।
अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1 – निम्नलिखित वाक्यों में आश्रित उपवाक्य अलग करके बताइए कि वह किस प्रकार का है—
(क) रमेश ने कहा कि मैं आज विद्यालय नहीं जाऊँगा ।
उत्तर – मैं आज विद्यालय नहीं जाऊँगा । — संज्ञा उपवाक्य |
(ख) उसने कहा मैं कल आगरा जाऊँगा ।
उत्तर – मैं कल आगरा जाऊँगा । —संज्ञा उपवाक्य ।
(ग) मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं डॉक्टर बनूँ।
उत्तर— मैं डॉक्टर बनूँ। – संज्ञा उपवाक्य ।
(घ) जहाँ-जहाँ वह गया उसका बहुत सम्मान हुआ।
उत्तर— जहाँ-जहाँ वह गया । —क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(ङ) जो व्यक्ति गुणी होता है उसका सभी सम्मान करते हैं।
उत्तर – जो व्यक्ति गुणी होता है। – विशेषण उपवाक्य ।
(च) हमें चाहिए कि हम केवल बातों में समय नष्ट न करें।
उत्तर – हम केवल बातों में समय नष्ट न करें। – संज्ञा उपवाक्य |
(छ) मैंने सोचा कि वह जरूर आएगा।
उत्तर— वह जरूर आएगा । — संज्ञा उपवाक्य |
(ज) मेरा उद्देश्य है कि मैं मनुष्य मात्र की सेवा करूँ ।
उत्तर – मैं मनुष्य मात्र की सेवा करूँ। – संज्ञा उपवाक्य ।
(झ) यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य फल मिलेगा।
उत्तर – यदि परिश्रम करोगे।—क्रिया-विशेषण उपवाक्य ।
(ञ) वह जानता है कि मैं क्या चाहता हूँ।
उत्तर – मैं क्या चाहता हूँ। -संज्ञा उपवाक्य |
प्रश्न 2 – प्रधान उपवाक्य छाँटकर लिखिए-
(क) हमारा उद्देश्य रहता है कि हम आत्मनिर्भर हों।
उत्तर – हमारा उद्देश्य रहता है।
(ख) मुझे विश्वास है कि आप मान जाएँगे।
उत्तर- मुझे विश्वास है।
(ग) मोहन ने मुझसे कहा कि वह बहुत दुःखी है।
उत्तर – मोहन ने मुझसे कहा ।
प्रश्न 3 – मोटे छपे उपवाक्य का नाम बताइए-
(क) मुझे विश्वास है कि आप अवश्य आएँगे।
उत्तर- संज्ञा उपवाक्य ।
(ख) रहीम बोला कि मैं कल हैदराबाद जाऊँगा ।
उत्तर – संज्ञा उपवाक्य ।
(ग) वह पुस्तक कौन-सी है जो आपको पसन्द है ।
उत्तर – विशेषण उपवाक्य ।
(घ) वह अध्यापक था जो कल यहाँ आया था।
उत्तर – विशेषण उपवाक्य ।
(ङ) जो व्यक्ति मधुरभाषी होता है उसे सभी चाहते हैं।
उत्तर— प्रधान उपवाक्य।
(च) वह छात्र उत्तीर्ण हो गया जो कल यहाँ आया था।
उत्तर- विशेषण उपवाक्य ।
(छ) मुझे एक व्यक्ति मिला जो बहुत पढ़ा-लिखा था।
उत्तर- विशेषण उपवाक्य ।
(ज) मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं अध्यापक बनूँ।
उत्तर- संज्ञा उपवाक्य |
प्रश्न 4 – निम्नांकित वाक्यों को उनके सम्मुख दिए गए निर्देश के अनुसार बदलिए-
(क) लता घर आई और उसने पत्र लिखा। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर – लता ने घर आकर पत्र लिखा ।
(ख) वह कल विद्यालय नहीं गया। (प्रश्नवाचक वाक्य में बदलिए)
उत्तर – वह कल विद्यालय क्यों नहीं गया?
(ग) क्या तुमने खाना खाया ? (निषेधवाचक वाक्य बनाइए)
उत्तर – तुमने खाना नहीं खाया?
(घ) रात को आकाश में तारों का मेला लग गया। (संयुक्त वाक्य में)
उत्तर – रात हो गई और आकाश में तारों का मेला लग गया।
(ङ) क्या तुमने अपना पाठ याद किया? (निषेधवाचक वाक्य बनाइए)
उत्तर – तुमने अपना पाठ याद नहीं किया।
(च) जो लोग परिश्रम करते हैं, उन्हें अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता । (सरल वाक्य में)
उत्तर— परिश्रम करनेवाले लोगों को अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता।
प्रश्न 5— दिए गए निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए-
(क) माली पौधों को सींचता है। ( मालिक शब्द लगाकर प्रेरणार्थक वाक्य बनाइए)
उत्तर – मालिक माली द्वारा पौधों को सिंचवाता है।
(ख) मैंने पत्र पढ़ा। ( ‘पढ़ा’ को प्रेरणार्थक में बदलकर लिखिए)
उत्तर— मैंने पत्र पढ़वाया।
(ग) मोहन रोज पढ़ने जाता है। (आज्ञार्थक वाक्य में बदलिए)
उत्तर – मोहन ! तुम रोज पढ़ने जाया करो |
(घ) मीनाक्षी ने कविता पढ़ी। ( प्रेरणार्थक में बदलकर लिखिए )
उत्तर – मीनाक्षी ने कविता पढ़वाई।
(ङ) मोहन पानी पी रहा है। ( प्रेरणार्थक क्रिया में बदलकर लिखिए )
उत्तर – मोहन पानी पिलवा रहा है।
(च) अपनी-अपनी आस्था के अनुसार नित्य प्रार्थना करनी चाहिए। (आज्ञार्थक में बदलिए)
उत्तर- अपनी-अपनी आस्था के अनुसार नित्य प्रार्थना करो।
(छ) क्या इस बार हमारे विद्यालय में कोई भी विख्यात व्यक्ति नहीं आ रहे हैं? (निषेधार्थक बनाइए)
उत्तर — इस बार हमारे विद्यालय में कोई भी विख्यात व्यक्ति नहीं आ रहे हैं।
(ज) शायद वह सामान खरीदने के लिए बाजार गया है। (निषेधार्थक बनाइए )
उत्तर – वह सामान खरीदने बाजार नहीं गया है।
(झ) क्या राम और श्याम अब साथ-साथ रहते हैं ? ( विधानार्थक रूप में बदलिए)
उत्तर – राम और श्याम अब साथ-साथ रहते हैं।
(ञ) श्याम पढ़ता है। ( प्रश्नार्थक वाक्य में बदलिए)
उत्तर— क्या श्याम पढ़ता है ?

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