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UP Board Class 10 Science Chapter 10 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

UP Board Class 10 Science Chapter 10 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 10 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

फास्ट ट्रैक रिवीज़न
मानव नेत्र
मानव नेत्र एक प्रकृति प्रदत्त प्रकाशिक यन्त्र है जिसकी सहायता से वस्तुएँ दृष्टिगोचर होती हैं। इसका लेन्स रेशेदार जैली जैसे पारदर्शी पदार्थ का बना होता है। नेत्र के निम्नलिखित भाग होते हैं
  1. दृढ़ पटल मनुष्य का नेत्र एक खोखले गोले के समान होता है, जिसका व्यास 25 मिमी होता है। यह बाहर से एक दृढ़ तथा अपारदर्शी श्वेत परत से ढका रहता है। इस परत को दृढ़ पटल कहते हैं। यह नेत्र के भीतरी भागों की सुरक्षा करता है।
  2. रक्तक पटल दृढ़ पटल के भीतरी पृष्ठ पर लगी काले रंग की झिल्ली को रक्तक पटल कहते हैं, जो प्रकाश को अवशोषित करती है।
  3. कॉर्निया दृढ़ पटल के सामने का भाग उभरा हुआ तथा पारदर्शी होता है, इसे कॉर्निया कहते हैं। नेत्र में प्रकाश इसी भाग से होकर प्रवेश करता है।
  4. परितारिका अथवा आइरिस कॉर्निया के पीछे एक रंगीन एवं अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है, जिसे आइरिस कहते हैं।
  5. पुतली अथवा नेत्र तारा आइरिस के बीच में एक गोल तथा काला छिद्र होता है, जिसे पुतली अथवा नेत्र तारा कहते हैं। कॉर्निया से आया प्रकाश पुतली से होकर ही लेन्स पर पड़ता है। पुतली की यह विशेषता होती है कि यह प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है।
  6. नेत्र लेन्स आइरिस के ठीक पीछे प्रोटीन का बना पारदर्शक तथा मुलायम पदार्थ का एक द्विउत्तल लेन्स होता है, जिसे नेत्र लेन्स कहते हैं।
  7. नेत्रोद तथा जलीय द्रव कॉर्निया तथा लेन्स के बीच के भाग को नेत्रोद कहते हैं। इसमें जल के समान एक नमकीन पारदर्शी द्रव भरा रहता है, जिसे जलीय द्रव कहते हैं।
  8. काँचा कक्ष तथा काँचाभ द्रव नेत्र लेन्स तथा रेटिना के बीच के भाग को काँचा कक्ष कहते हैं। इसमें भरे गाढ़े, पारदर्शी एवं उच्च अपवर्तनांक वाले द्रव को काँचाभ द्रव कहते हैं।
  9. रेटिना रक्तक पटल के नीचे तथा नेत्र के सबसे अन्दर की ओर एक पारदर्शी झिल्ली होती है जिसे रेटिना कहते हैं, इसे दृष्टि पटल भी कहा जाता है।
  10. पीत बिन्दु रेटिना के मध्य एक पीला भाग होता है, जहाँ पर बना हुआ प्रतिबिम्ब सबसे अधिक स्पष्ट दिखाई देता है, इसे पीत बिन्दु कहते हैं।
  11. अन्ध बिन्दु जिस बिन्दु से दृष्टि नाड़ियाँ मस्तिष्क जाती हैं, उस बिन्दु को अन्धबिन्दु कहते हैं।
प्रतिबिम्ब का बनना
रेटिना पर किसी वस्तु का वास्तविक व उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है। प्रतिबिम्ब के बनने का संदेश प्रकाश तन्त्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क में पहुँचता है, जिससे मस्तिष्क अनुभव के आधार पर यह प्रतिबिम्ब सीधा दिखाई देता है।
मानव नेत्र से सम्बन्धित पद निम्नलिखित हैं
  1. समंजन मानव नेत्र द्वारा निकट या दूर की वस्तु पर फोकस हेतु नेत्र लेन्स की फोकस दूरी में समायोजन को समंजन कहते हैं।
  2. समंजन क्षमता नेत्र द्वारा फोकस दूरी को कम या ज्यादा करने की क्षमता को नेत्र की समंजन क्षमता कहते हैं। स्वस्थ मनुष्य के लिए समंजन क्षमता 4D होती है।
  3. निकट बिन्दु वह निकटतम बिन्दु, जिसे नेत्र अपनी अधिकतम समंजन क्षमता लगाकर सुस्पष्ट देख सकता है, उसे नेत्र का निकट बिन्दु कहते हैं। इस बिन्दु से नेत्र तक की दूरी, स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है। स्वस्थ नेत्र के लिए यह दूरी 25 सेमी होती है।
  4. दूर बिन्दु वह दूरस्थ बिन्दु, जिसे नेत्र बिना किसी तनाव के स्पष्ट देख सकता है, उसे नेत्र का दूर बिन्दु कहते हैं। इस बिन्दु से नेत्र तक की दूरी, स्पष्ट दृष्टि की अधिकतम दूरी कहलाती है। स्वस्थ नेत्र के लिए यह दूरी अनन्त होती है।
  5. दृष्टि विस्तार नेत्र के निकट बिन्दु तथा दूर बिन्दु के बीच की दूरी को दृष्टि विस्तार कहते हैं। यह सामान्य नेत्र के लिए लगभग 25 सेमी से अनन्त तक होता है।
दृष्टि दोष
जब आँखों की समंजन क्षमता क्षीण हो जाती है, तब वस्तुएँ स्पष्ट नहीं दिखाई देती । इस स्थिति में वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के आगे या पीछे कहीं भी बन सकता है। इसी दोष को दृष्टि दोष कहते हैं।
मानव नेत्र में निम्नलिखित प्रकार के दृष्टि दोष होते हैं
1. निकट दृष्टि दोष
निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को निकट की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परन्तु दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं।
कारण
निकट दृष्टि दोष होने के निम्नलिखित दो कारण होते हैं
  1. नेत्र लेन्स की वक्रता का बढ़ जाना, जिससे उसकी फोकस दूरी कम हो जाती है।
  2. नेत्र लेन्स के गोलक का व्यास बढ़ जाना।
निवारण
इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लेन्स के चश्में का प्रयोग किया जाता है।
2. दूर दृष्टि दोष
दूर दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परन्तु निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। व्यक्ति को 25 सेमी तथा उससे निकट स्थित वस्तुएँ स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई देती हैं।
कारण
दूर दृष्टि दोष होने के निम्नलिखित दो कारण होते हैं
  1. नेत्र लेन्स की वक्रता का कम हो जाना, जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है।
  2. नेत्र की माँसपेशियों के क्षीण हो जाने से नेत्र गोलक के व्यास का कम हो जाना।
निवारण
इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेन्स के चश्में का प्रयोग किया जाता है।
3. जरा दूरदृष्टिता
आयु में वृद्धि के साथ-साथ नेत्र की माँसपेशियाँ दुर्बल होती जाती हैं जिस कारण नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है। इससे व्यक्ति को दूर अथवा निकट या दोनों ही स्थानों की वस्तुएँ स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती हैं।
कारण
पक्ष्माभी माँसपेशियों की शक्ति में कमी तथा नेत्र लेन्स के लचीलेपन में कमी आ जाने के कारण नेत्र में जरा दूरदृष्टिता दोष हो जाता है।
निवारण
जरा दूरदृष्टिता को दूर करने के लिए द्वि-फोकसी लेन्सों का उपयोग किया जाता है। द्वि-फोकसी लेन्सों में अवतल तथा उत्तल दोनों लेन्स होते हैं।
4. मोतियाबिन्द
मोतियाबिन्द नेत्र की वह स्थिति है, जिसमें नेत्र लेन्स दूधिया तथा धुंधला हो जाता है। इसमें नेत्र लेन्स की ऊपरी सतह पर एक पर्त जम जाती है। इस दोष का निवारण शल्य चिकित्सा द्वारा ही संभव हो पाता है।
प्रिज्म से प्रकाश का अपवर्तन
किसी समांग पारदर्शी माध्यम की उस आकृति को प्रिज्म कहते हैं, जो किसी कोण पर झुके हुए दो समतल पृष्ठों से घिरा होता है। इसमें दो त्रिभुजाकार आधार और तीन आयाताकार अपवर्तक पृष्ठ होते हैं। दो अपवर्तक पृष्ठों के मध्य कोण को प्रिज्म कोण कहते हैं।
आपतित किरण व निर्गत् किरण के बीच बना कोण विचलन कोण कहलाता है।
वर्ण विक्षेपण
इस परिघटना में प्रिज्म से गुजरने वाला श्वेत प्रकाश अपने अवयवी रंगों में विभक्त हो जाता है। श्वेत प्रकाश के वर्ण-क्रम में मुख्य रूप से सात रंग दिखाई देते हैं तथा प्रिज्म के आधार की ओर से इन रंगों का क्रम इस प्रकार होता है।
सबसे पहले नीचे से बैंगनी (Violet) फिर क्रमानुसार जामुनी (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange) तथा अन्त में लाल (Red)I रंगों के इस क्रम को अंग्रेजी के शब्द VIBGYOR या हिन्दी के शब्द बैंजनीहपीनाला द्वारा याद रखा जा सकता है।
प्रिज्म सूत्र
इन्द्रधनुष
प्रकाश के वर्ण विक्षेपण का एक प्राकृतिक उदाहरण इन्द्रधनुष का बनना है। कभी-कभी वर्षा के समय तथा उसके बाद जब धूप निकलती है, तो आकाश में रंगीन संकेन्द्रीय वृत्तीय चाप सूर्य के विपरीत दिखाई पड़ते हैं। यह रंगीन संरचना इन्द्रधनुष कहलाती है।
वायुमण्डलीय अपवर्तन
वायुमण्डल में उपस्थित गर्म वायु एवं ठण्डी वायु की परतों के कारण प्रकाश में उत्पन्न अपवर्तन, वायुमण्डलीय अपवर्तन कहलाता है।
वायुमण्डलीय अपवर्तन पर आधारित कुछ घटनाएँ निम्नलिखित हैं
(i) तारों का टिमटिमाना।
(ii) अग्रिम सूर्योदय तथा विलंबित सूर्यास्त
प्रकाश का प्रकीर्णन
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमें धूल, वायु आदि के अतिसूक्ष्म कण उपस्थित हों, तो उन कणों द्वारा प्रकाश का कुछ भाग सभी दिशाओं में फैल जाता है इस परिघटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. एक सामान्य आँख वाला व्यक्ति किसी वस्तु को सुस्पष्ट रूप से देख सकता है, यदि वस्तु की दूरी आँख से
(a) 50 सेमी से 100 मी के बीच हो
(b) 25 सेमी से अनन्त के बीच हो
(c) 100 सेमी से 1000 मी के बीच हो
(d) 25 सेमी से 150 सेमी के बीच हो
उत्तर (b) 25 सेमी से अनन्त के बीच तक
प्रश्न 2. मानव नेत्र द्वारा वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है
अथवा मनुष्य की स्वस्थ नेत्र में प्रतिबिम्ब बनता है
अथवा मानव नेत्र के जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है, वह होता है
अथवा मानव नेत्र, जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाते हैं वह कौन-सा भाग है?
(a) कॉर्निया पर
(b) आइरिस पर
(c) पुतली पर
(d) रेटिना या दृष्टिपटल पर
उत्तर (d) रेटिना या दृष्टिपटल पर
प्रश्न 3. मानव नेत्र में रेटिना पर बनने वाला प्रतिबिम्ब
(a) सीधा होता है, परन्तु उल्टा दिखाई देता है।
(b) उल्टा होता है, परन्तु सीधा दिखाई देता है।
(c) सीधा होता है, सीधा ही दिखाई देता है।
(d) उल्टा होता है, उल्टा ही दिखाई देता है।
उत्तर (b) उल्टा बनता है, परन्तु मस्तिष्क अनुभव के आधार पर उसका ज्ञान सीधे रूप में कर लेता है।
प्रश्न 4. अभिनेत्र लेन्स की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है।
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर (c) पक्ष्माभी द्वारा
प्रश्न 5. जब प्रकाश, नेत्र में प्रवेश करता है, तो अधिकांश अपवर्तन कहाँ होता है?
(a) क्रिस्टलीय लेन्स पर
(b) स्वच्छ मंडल (कॉर्निया) पर
(c) परितारिका पर
(d) पुतली पर
उत्तर (b) स्वच्छ मंडल (कॉर्निया) पर
प्रश्न 6. मानव नेत्र अभिनेत्र लेन्स की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का क्या कारण है?
(a) जरा दूरदृष्टिता
(b) समंजन क्षमता
(c) निकट दृष्टि
(d) दीर्घ-दृष्टि
उत्तर (b) समंजन क्षमता
प्रश्न 7. सामान्य दृष्टि के लिए स्पष्ट दृष्टि की अल्पतम दूरी कितनी होती है ?
अथवा स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी है
अथवा स्वस्थ नेत्र का निकट बिन्दु होता है।
अथवा स्वस्थ आँखों के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी होती है
(a) 25 मी
(b) 2.5 सेमी
(c) 25 सेमी
(d) 2.5 मी
उत्तर (c ) 25 सेमी
प्रश्न 8. स्वस्थ नेत्र के लिए दूर बिन्दु स्थित होता है
(a) 25 सेमी पर
(b) 50 सेमी पर
(c) 100 सेमी पर
(d) अनन्त पर
उत्तर (d) अनन्त पर
प्रश्न 9. आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियन्त्रित करता है
(a) पक्ष्माभी (सिलियरी) मांसपेशियाँ
(b) नेत्र लेन्स
(c) पुतली
(d) कॉर्निया (स्वच्छमण्डल)
उत्तर (c) पुतली
प्रश्न 10. निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु स्थित होता है
(a) 25 सेमी पर
(b) 25 सेमी से कम दूरी पर
(c) अनन्त पर
(d) अनन्त से कम दूरी पर
उत्तर (d) अनन्त से कम दूरी पर
प्रश्न 11. निकट दृष्टि दोष से पीड़ित एक व्यक्ति को यह दोष दूर करने के लिए किस लेन्स या दर्पण का उपयोग करना चाहिए?
(a) अवतल लेन्स
(b) अवतल दर्पण
(c) उत्तल लेन्स
(d) उत्तल दर्पण
उत्तर (a) अवतल लेन्स
प्रश्न 12. दूर-दृष्टि दोष (दीर्घ-दृष्टि दोष) के निवारण में कौन-सा लेन्स प्रयुक्त होता है?
(a) अवतल लेन्स
(b) उत्तल लेन्स
(c) द्वि-फोकसी लेन्स
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (b) उत्तल लेन्स
प्रश्न 13. कक्षा में सबसे पीछे बेंच पर बैठा कोई विद्यार्थी श्यामपट्ट पर लिखे अक्षरों को पढ़ सकता है, परंतु पाठ्यपुस्तक में लिखे अक्षरों को नहीं पढ़ पाता । निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही है?
(a) विद्यार्थी के नेत्र का निकट बिन्दु दूर हो गया है।
(b) विद्यार्थी के नेत्र का निकट बिन्दु उसके समीप आ गया है।
(c) विद्यार्थी के नेत्र का दूर बिन्दु उसके समीप आ गया है।
(d) विद्यार्थी के नेत्र का दूर बिन्दु उससे दूर हो गया है।
उत्तर (a) विद्यार्थी के नेत्र का निकट बिन्दु दूर हो गया है।
प्रश्न 14. दूर दृष्टि दोष के कारण प्रतिबिम्ब बनता है
(a) रेटिना पर
(b) रेटिना से आगे
(c) रेटिना के पीछे
(d) कहीं नहीं
उत्तर (c) रेटिना के पीछे
प्रश्न 15. जब श्वेत प्रकाश प्रिज्म में से गुजरता है, तो सर्वाधिक विचलन होता है
अथवा जब श्वेत प्रकाश एक प्रिज्म से गुजरता है, तो निर्गत् प्रकाश में प्रिज्म के आधार से दूरस्थ प्रकाश का रंग होता है
(a) लाल रंग का
(b) पीले रंग का
(c) बैंगनी रंग का
(d) हरे रंग का
उत्तर (c) जब श्वेत प्रकाश प्रिज्म में से गुजरता है, तो सर्वाधिक विचलन बैंगनी रंग का होता है, क्योंकि बैंगनी रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है।
प्रश्न 16. श्वेत प्रकाश की किरण के प्रिज्म से गुजरने पर, किस रंग के लिए न्यूनतम विचलन होता है?
(a) हरा
(b) पीला
(c) लाल
(d) बैंगनी
उत्तर (c) लाल रंग
प्रश्न 17. काँच का अपवर्तनांक अधिकतम होता है
(a) लाल रंग के लिए
(b) पीले रंग के लिए
(c) बैंगनी रंग के लिए
(d) हरे रंग के लिए
उत्तर (c) बैंगनी रंग के लिए
प्रश्न 18. प्रकाश की किस घटना के कारण आकाश का रंग नीला दिखता है?
अथवा आकाश के नीले रंग के लिए उत्तरदायी प्रकाशीय घटना है
(a) प्रकाश के परावर्तन के कारण
(b) प्रकाश के अपवर्तन के कारण
(c) प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण
(d) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के कारण
उत्तर (c) प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण
प्रश्न 19. चन्द्रमा से देखने पर आकाश …….. दिखाई देता है।
(a) बैंगनी
(b) नीला
(c) काला
(d) सफेद
उत्तर (c) काला
प्रश्न 20. एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करने पर एक प्रकाश किरण के लिए अपर्वतन कोण का मान आपतन कोण की तुलना में अधिक होता है यदि प्रकाश की किरण
(a) सघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रही है।
(b) विरल माध्यम से सघन माध्यम में जा रही है।
(c) सघन एवं विरल माध्यम की संयुक्त सतह की दिशा में जा रही है।
(d) दोनों माध्यम एक ही हैं।
उत्तर (a) जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है, तो अपवर्तन कोण का मान, आपतन कोण की तुलना में अधिक होता है।
प्रश्न 21. तारों के टिमटिमाने का कारण है
(a) प्रकाश का प्रकीर्णन
(b) प्रकाश का परावर्तन
(c) वायुमण्डलीय अपवर्तन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (c) वायुमण्डलीय अपवर्तन
प्रश्न 22. श्वेत प्रकाश को प्रिज्म से गुजारे जाने पर सबसे अधिक विचलन कोण वाला रंग होगा
(a) पीला
(b) हरा
(c) नारंगी
(d) नीला
उत्तर (d) नीला
प्रश्न 23. इन्द्रधनुष बनने में प्रकाश की कौन-सी परिघटनाएँ सम्मिलित होती हैं?
(a) परावर्तन, अपवर्तन तथा विक्षेपण
(b) अपवर्तन, विक्षेपण तथा पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
(c) अपवर्तन, विक्षेपण तथा परावर्तन
(d) विक्षेपण, प्रकीर्णन तथा पूर्ण आन्तरिक परावर्तन ।
उत्तर (b) अपवर्तन, विक्षेपण तथा पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
प्रश्न 24. सूर्य श्वेत कब प्रतीत होता है?
(a) सूर्योदय के काफी पूर्व
(b) सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय
(c) दोपहर के समय
(d) सूर्यास्त के काफी बाद
उत्तर (c) दोपहर के समय
प्रश्न 25. सूची-I में दिए गए मानव नेत्र से सम्बन्धित पदों का सूची-II में दी गई परिभाषाओं से सुमेलन कर सही विकल्प का चयन कीजिए।
प्रश्न 26. सूची-I में दिए गए पदों को सूची – II में दी गई उनकी परिभाषाओं से सुमेलित कीजिए ।
निर्देश (प्र. सं. 27-28) इन प्रश्नों में दो कथन अभिकथन (A) और कारण (R) दिए गए हैं। इन प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए अनुसार उचित विकल्प को चुनकर दीजिए।
(a) A और R दोनों सही हैं तथा R द्वारा A की सही व्याख्या हो रही है।
(b) A और R दोनों सही हैं, परन्तु R द्वारा A की सही व्याख्या नहीं हो रही है।
(c) A सही है, परन्तु R गलत है।
(d) A गलत है, परन्तु R सही है।
प्रश्न 27. कथन (A) स्वस्थ मनुष्य के लिए नेत्र के दूर बिन्दु का मान 25 सेमी होता है।
कारण (R) नेत्र के दूर बिन्दु को दृष्टि की अधिकतम दूरी कहा जाता है, इसलिए इसका मान अनन्त होता है।
उत्तर (d) A गलत है, परन्तु R सही है।
प्रश्न 28. कथन (A) स्वच्छ आकाश का रंग नीला होता है।
कारण (R) वायुमण्डल की अनुपस्थिति के कारण पृथ्वी के वायुमण्डल के बाहर अन्तरिक्ष यात्रियों को आकाश काला दिखाई देता है।
उत्तर (b) A और R दोनों सही है परन्तु R द्वारा A की सही व्याख्या नहीं हो रही है।
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न-I
प्रश्न 1. बहुत कम प्रकाश में हम वस्तुओं को देख सकते हैं, लेकिन उनके रंगों की पहचान नहीं कर सकते हैं। स्पष्ट कीजिए, क्यों?
उत्तर बहुत कम प्रकाश में रेटिना की केवल दण्डाकार कोशिकाएँ ही प्रभावी होती हैं जबकि शंक्वाकार कोशिकाएँ अप्रभावी रहती हैं। दण्डाकार कोशिकाएँ रंगों में विभेदन नहीं कर पाती अर्थात् वे रंगों के लिए संवेदी नहीं हैं। अतः कम प्रकाश वस्तुएँ तो दिखाई देती हैं लेकिन उनके रंगों में विभेदन नहीं हो पाता है।
प्रश्न 2. स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी से क्या तात्पर्य है?
अथवा सामान्य नेत्र 25 सेमी से निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर वह निकटतम बिन्दु, जिसे नेत्र अपनी अधिकतम समंजन क्षमता लगाकर स्पष्ट देख सकता है, नेत्र का निकट बिन्दु कहलाता है। नेत्र से इस निकट बिन्दु की दूरी को स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहते हैं।
स्वस्थ नेत्र के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी होती है। इसलिये सामान्य नेत्र 25 सेमी से निकट रखी वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाते।
प्रश्न 3. दृष्टि दोष कितने प्रकार के होते हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर दृष्टि दोष निम्न प्रकार के होते हैं।
(i) निकट दृष्टि दोष
(ii) दूर दृष्टि दोष
(iii) जरा दृष्टि दोष
(iv) अबिन्दुकता
(v) वर्णान्धता
प्रश्न 4. अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पर लिखा हुआ पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टिदोष से पीड़ित है ? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
अथवा एक छात्र कक्षा में श्यामपट्ट पर लिखे अक्षरों को ठीक से नहीं देख पा रहा है, तो इसकी आँख में कौन-सा दोष है और इसको कैसे दूर किया जा सकता है? [2020]
उत्तर यह विद्यार्थी निकट दृष्टिदोष से पीड़ित है। इसे आवश्यक क्षमता के अवतल लेन्स के प्रयोग से ठीक किया जा सकता है।
प्रश्न 5. नेत्र गोलक का आकार कैसे परिवर्तित होता है, निम्न स्थितियों के लिए
(i) निकट दृष्टि दोष में ?
(ii) तथा दूर दृष्टि दोष में?
प्रत्येक स्थिति में नेत्र गोलक के आकार की तुलना सामान्य आँख के गोलक से कीजिए । प्रत्येक स्थिति में गोलक के आकार का परिवर्तन प्रतिबिम्ब के आकार को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर (i) निकट दृष्टि दोष से पीड़ित नेत्र के गोलक का आकार सामान्य ने के गोलक से बड़ा होता है। इस कारण लेन्स तथा रेटिना के मध्य की दूरी बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप प्रतिबिम्ब रेटिना के आगे बनता है।
(ii) दूर दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति के नेत्र गोलक का आकार, सामान्य नेत्र गोलक से कम होता है। इस कारण नेत्र लेन्स तथा रेटिना के मध्य की दूरी घट जाती है। अतः प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है।
प्रश्न 6. नेत्र के दीर्घ दृष्टि दोष तथा इसके संशोधन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए |
अथवा दूरदृष्टि दोष क्या है? इसे दूर करने के लिए किस प्रकृति का लेन्स प्रयुक्त किया जाता है?
अथवा दूर दृष्टि दोष क्या है? इस दोष को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर दूर दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परन्तु निकट की वस्तुएँ स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती है अर्थात् नेत्र का निकट बिन्दु 25 सेमी से अधिक हो जाता है। इस दोष को दूर करने हेतु उचित क्षमता के उत्तल लेन्स का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 7. एक व्यक्ति के चश्में में उत्तल लेन्स लगा है, बताइए उस व्यक्ति की आँख में कौन-सा दोष है?
उत्तर यदि व्यक्ति के चश्में में उत्तल लेन्स लगा है, तो व्यक्ति के नेत्र में दूर दृष्टि दोष होगा।
प्रश्न 8. एक व्यक्ति के चश्में के ऊपरी भाग में अवतल लेन्स तथा निचले भाग में उत्तल लेन्स लगा है। मनुष्य की आँख में कौन-कौन-से दोष हैं?
अथवा एक व्यक्ति के द्वि-फोकस दूरी वाले लेन्स के ऊपरी भाग में अवतल लेन्स तथा निचले भाग में उत्तल लेन्स लगा है। उसके नेत्र में कौन-कौन से दोष हैं?
उत्तर इस प्रकार के व्यक्ति की आँखों में जरा दूरदृष्टिता दोष होता है। इस दोष के निवारण हेतु द्वि-फोकसी (अवतल तथा उत्तल) लेन्स का उपयोग करते हैं।
प्रश्न 9. एक किरण आरेख द्वारा प्रिज्म से श्वेत प्रकाश के विक्षेपण को समझाइए |
उत्तर
प्रश्न 10. जब एक श्वेत प्रकाश की किरण प्रिज्म से गुजरती है, तो यह सात रंगों में विभक्त हो जाती है। हमें ये रंग क्यों दिखाई देते हैं ? चित्र में X, Y स्पेक्ट्रम के सीमान्त रंगों को व्यक्त करते हैं। X, Y की पहचान कीजिए।
उत्तर (i) प्रकाश के विभिन्न रंग भिन्न कोणों से विचलित होते हैं अर्थात् प्रिज्म के अन्दर विभिन्न चाल से गमन करते हैं। चूँकि श्वेत प्रकाश सात अलग-अलग रंगों से मिलकर बना होता है। अतः जब श्वेत प्रकाश किसी प्रिज्म से गुजरता है तो ये रंग अलग-अलग कोणों से विचलित हो जाते हैं। इस प्रकार हमें ये रंग दिखाई देने लगते हैं। Y – लाल, X- बैंगनी
प्रश्न 11. प्रिज्म से श्वेत प्रकाश के गुजरने पर न्यूनतम व अधिकतम विचलन किन रंगों का होता है?
उत्तर प्रिज्म से श्वेत प्रकाश के गुजरने पर न्यूनतम विचलन लाल रंग के प्रकाश का होता है तथा अधिकतम विचलन बैंगनी रंग के प्रकाश का होता है।
प्रश्न 12. आकाश में इन्द्रधनुष किन घटनाओं के कारण बनता है? इन घटनाओं को सही क्रम में लिखो ।
उत्तर इन्द्रधनुष की रचना में प्रकाश का अपवर्तन, प्रकाश का प्रकीर्णन तथा पूर्ण आन्तरिक परावर्तन की घटनाएँ क्रमानुसार घटित होती हैं।
प्रश्न 13. प्रकाश के प्रकीर्णन की दो प्राकृतिक घटनाएँ बताइए।
उत्तर प्रकाश के प्रकीर्णन की प्राकृतिक घटनाएँ निम्नलिखित हैं
(i) टिण्डल प्रभाव जब प्रकाश किसी कोलाइडी विलयन से होकर गुजरता है, तो प्रकाश के मार्ग के कणों द्वारा इसका प्रकीर्णन हो जाता है।
(ii) स्वच्छ आकाश का रंग नीला दिखना भी प्रकाश के प्रकीर्णन की घटना है।
प्रश्न 14. खतरे की चेतावनी वाले संकेत लाल रंग के क्यों होते हैं ?
उत्तर इसका कारण यह है कि लाल रंग का कोहरे या धुएँ में कम प्रकीर्णन होता है। अतः दूर से इसे स्पष्ट देखा जा सकता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न-II
प्रश्न 1. मानव नेत्र की समंजन क्षमता को परिभाषित कीजिए।
अथवा नेत्र की समंजन क्षमता का क्या अर्थ है ?
अथवा आँख की समंजन क्षमता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर जब हम अनन्त पर स्थित किसी वस्तु को देखते हैं, तो नेत्र पर गिरने वाली समान्तर किरणें नेत्र लेन्स द्वारा रेटिना पर फोकस हो जाती हैं और नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है [चित्र (a ) ] । इस स्थिति में माँसपेशियाँ ढीली रहती हैं तथा नेत्र लेन्स की फोकस दूरी काफी अधिक होती है। जब नेत्र किसी समीप की वस्तु को देखता है, तो माँसपेशियाँ सिकुड़कर लेन्स के तलों की वक्रता त्रिज्याओं को छोटा कर देती हैं। इससे नेत्र लेन्स की फोकस दूरी कम हो जाती है और वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब पुन: रेटिना पर बन जाता है [ चित्र (b)]।
नेत्र की इस प्रकार फोकस दूरी परिवर्तित करने की क्षमता को समंजन क्षमता कहते हैं।
प्रश्न 2. मनुष्य की आँख के लिए निकट बिन्दु और दूर बिन्दु से क्या तात्पर्य है? स्वस्थ मानव आँख के लिए इनकी स्थिति बताइए ।
उत्तर निकट बिन्दु वह निकटतम बिन्दु, जिसे नेत्र बिना किसी तनाव के सुस्पष्ट देख सकता है, उसे नेत्र का निकट बिन्दु कहते हैं । इस बिन्दु से नेत्र तक की दूरी, स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है। स्वस्थ नेत्र के लिए यह दूरी 25 सेमी होती है।
दूर बिन्दु वह दूरस्थ बिन्दु, जिसे नेत्र बिना किसी तनाव के स्पष्ट देख सकता है, उसे नेत्र का दूर बिन्दु कहते हैं। इस बिन्दु से नेत्र तक की दूरी, स्पष्ट दृष्टि की अधिकतम दूरी कहलाती है। स्वस्थ नेत्र के लिए यह दूरी अनन्त होती है।
प्रश्न 3. दृष्टि दोष किसे कहते हैं ? P, Q, R तीन व्यक्तियों में दृष्टि दोष के निवारण में प्रयुक्त लेसों के नाम लिखिए, यदि
(i) P केवल निकट की वस्तु को स्पष्ट देख पाता है, परन्तु दूर की वस्तु को नहीं ।
(ii) Q केवल दूर की वस्तु को स्पष्ट देख पाता है, परन्तु निकट की वस्तु को नहीं ।
(iii) R न तो दूर की वस्तु को और न ही निकट की वस्तु को स्पष्ट देख पाता है।
उत्तर दृष्टि दोष जब आँखों की समंजन क्षमता क्षीण हो जाती है, तब वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं, इसी को दृष्टि दोष कहते हैं। P, Q, R तीन व्यक्तियों में दृष्टि दोष के निवारण में प्रयुक्त लेन्सों के नाम इस प्रकार हैं यदि
(i) P केवल निकट की वस्तु को स्पष्ट देख पाता है, परन्तु दूर की वस्तु को नहीं, तो वह निकट दृष्टि दोष से ग्रसित है एवं अवतल लेंस प्रयुक्त होगा।
(ii) Q केवल दूर की वस्तु को स्पष्ट देख पाता है, परन्तु निकट की वस्तु को नहीं, तो वह दूर दृष्टि दोष से ग्रसित है एवं उत्तल लेंस का उपयोग संशोधन के लिए किया जाएगा।
(iii) R न तो दूर की वस्तु को और न ही निकट की वस्तु को स्पष्ट देख पात है, तो वह जरा दृष्टिदोष से ग्रसित है। जरा दृष्टि दोष के संशोधन के लिए द्वि-फोकसी लेंस प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 4. इन्द्रधनुष का निर्माण किस प्रकार होता है? समझाइए |
अथवा हमें आकाश में इन्द्रधनुष केवल वर्षा के पश्चात् ही क्यों दिखाई देता है?
उत्तर प्रकाश के वर्ण विक्षेपण का एक प्राकृतिक उदाहरण इन्द्रधनुष का बनना है। कभी-कभी वर्षा के समय तथा उसके बाद जब धूप निकलती है, तो आकाश में रंगीन संकेन्द्रीय वृत्तीय चाप सूर्य के विपरीत दिखाई पड़ते हैं। यह रंगीन संरचना इन्द्रधनुष कहलाती है।
वर्षा के बाद कुछ बूँदें वायुमण्डल में रह जाती हैं। ये बूँदें प्रिज्म की भाँति कार्य करती हैं। जब प्रकाश की कोई किरण बिन्दु Q पर बूँद में प्रवेश करती है, तब इसका वर्ण विक्षेपण होता है। उसी बूँद की दूसरी ओर की सतह पर बिन्दु R पर प्रकाश का आन्तरिक परावर्तन होता है। आन्तरिक परावर्तन के पश्चात् प्रकाश किरण बिन्दु s पर पुनः विरल (वायु) माध्यम में प्रवेश कर जाती है, जिसके कारण आकाश में एक प्राकृतिक संकेन्द्रीय वृत्तीय वर्णक्रम बनता है । इन्द्रधनुष में बाहरी चाप का रंग लाल तथा भीतरी चाप का रंग बैंगनी होता है।
प्रश्न 5. पृथ्वी से आकाश का रंग हल्का नीला क्यों दिखाई देता है? समझाइए |
अथवा स्वच्छ आकाश का रंग नीला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर सूर्य से आने वाले प्रकाश में अनेक रंग होते हैं। जब यह प्रकाश वायुमण्डल से होकर गुजरता है, तो वायु के अणुओं एवं धूल के महीन कणों द्वारा इसका प्रकीर्णन होता है। बैंगनी व नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन लाल रंग के प्रकाश की अपेक्षा लगभग 16 गुना अधिक होता है। अतः नीला व बैंगनी प्रकाश चारों ओर बिखर जाता है। यह बिखरा हुआ प्रकाश हमारी आँख में पहुँचता है तथा हमें आकाश नीला दिखाई देता है। यदि वायुमण्डल नहीं होता, तो सूर्य के प्रकाश के मार्ग में प्रकीर्णन नहीं होता तथा हमें आकाश काला दिखाई देता है। चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं होता है यही कारण है कि चन्द्रमा के तल से देखने पर आकाश काला दिखाई पड़ता है । अन्तरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के वायुमण्डल से बाहर पहुँचने पर आकाश काला ही दिखाई देता है।
प्रश्न 6. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
जब किसी वस्तु से चलने वाली प्रकाश की किरणें नेत्र पर आपतित होती हैं, तो वे सर्वप्रथम नेत्र के कॉर्निया पर आपतित होती हैं तथा अपवर्तित होकर क्रमशः जलीय द्रव, नेत्र लेन्स तथा काँचाभ द्रव में से होती हुई रेटिना पर पहुँचती हैं जहाँ पर वस्तु का वास्तविक व प्रतिबिम्ब बनता है। प्रतिबिम्ब के बनने का संदेश प्रकाश तन्त्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क में पहुँचता है, जिससे मस्तिष्क अनुभव के आधार पर यह प्रतिबिम्ब सीधा दिखाई देता है। यदि वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर उसके आगे-पीछे बने, तो इसका सन्देश मस्तिष्क तक नहीं पहुँचेगा। अतः हमें वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देगी।
(i) कॉर्निया किसे कहते हैं?
(ii) तेज व मन्द प्रकाश में पुतली का आकार कैसा हो जाता है?
उत्तर (i) नेत्र गोलक के सामने का भाग कुछ उभरा हुआ तथा पारदर्शक होता है। इस भाग को कॉर्निया कहते हैं।
(ii) जब प्रकाश अत्यधिक तेज होता है, तो आइरिस सिकुड़कर पुतली को छोटा बना देती है, जिससे आँख में कम प्रकाश प्रवेश कर सके। जब प्रकाश मन्द होता है, तो आइरिस फैलकर पुतली को बड़ा बना देती है, जिससे आँख में अधिक प्रकाश प्रवेश कर सके। अतः प्रकाश की सीमित मात्रा ही नेत्र में प्रवेश कर पाती है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मानव नेत्र के प्रमुख भागों का वर्णन कीजिए।
अथवा मानव नेत्र का सचित्र वर्णन कीजिए तथा नेत्र द्वारा रेटिना पर प्रतिबिम्ब का बनना किरण आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर मानव नेत्र की संरचना
नेत्र के निम्नलिखित भाग होते हैं
(i) दृढ़ पटल मनुष्य का नेत्र एक खोखले गोले के समान होता है, जिसका व्यास 25 मिमी होता है। यह बाहर से एक दृढ़ तथा अपारदर्शी श्वेत परत से ढका रहता है। इस परत को दृढ़ पटल कहते हैं। यह नेत्र के भीतरी भागों की सुरक्षा तथा प्रकाश के अपवर्तन में सहायता करता है ।
(ii) रक्तक पटल दृढ़ पटल के भीतरी पृष्ठ पर लगी काले रंग की झिल्ली को रक्तक पटल कहते हैं। रक्तक पटल आँख पर आपतित होने वाले प्रकाश का अवशोषण करता है तथा आन्तरिक परावर्तन को रोकता है।
(iii) कॉर्निया दृढ़ पटल के सामने का भाग उभरा हुआ तथा पारदर्शी होता है, इसे कॉर्निया कहते हैं।
(iv) परितारिका अथवा आइरिस कॉर्निया के पीछे एक रंगीन एवं अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है, जिसे आइरिस कहते हैं।
(v) पुतली अथवा नेत्र तारा आइरिस के बीच में एक गोल तथा काला छिद्र होता है, जिसे पुतली अथवा नेत्र तारा कहते हैं। पुतली की यह विशेषता होती है कि अन्धकार में यह अपने आप बड़ी तथा अधिक प्रकाश में अपने आप छोटी हो जाती है। इस क्रिया को पुतली समायोजन कहते हैं। नेत्र में यह क्रिया स्वतः होती रहती है।
(vi) नेत्र लेन्स आइरिस के ठीक पीछे प्रोटीन का बना पारदर्शक तथा मुलायम पदार्थ का एक द्विउत्तल लेन्स होता है, जिसे नेत्र लेन्स कहते हैं। लेन्स के पदार्थ का अपवर्तनांक लगभग 1.44 होता है।
(vii) नेत्रोद तथा जलीय द्रव कॉर्निया तथा लेन्स के बीच के भाग को नेत्रोद कहते हैं। इसमें जल के समान एक नमकीन पारदर्शी द्रव भरा रहता है।
(viii) काँचा कक्ष तथा काँचाभ द्रव नेत्र लेन्स तथा रेटिना के बीच के भाग को काँचाभ कक्ष कहते हैं। इसमें गाढ़ा, पारदर्शी एवं उच्च अपवर्तनांक वाला द्रव भरा रहता है, इसे काँचाभ द्रव (Vitreous humour) कहते हैं।
(ix) रेटिना रक्तक पटल के नीचे तथा नेत्र के सबसे अन्दर की ओर एक पारदर्शी झिल्ली होती है जिसे रेटिना या दृष्टि पटल कहा जाता है। यह प्रकाश सुग्राही होती है तथा इस पर दृष्टि तन्त्रिकाओं का जाल फैला रहता है। सभी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है। रेटिना के अन्दर प्रकाश सुग्राही में दो प्रकार की कोशिकाएँ पाई जाती हैं। जो कोशिकाएँ प्रकाश की तीव्रता का आभास कराती हैं, वे दण्डाकार कोशिकाएँ कहलाती हैं। इसके विपरीत, जं कोशिकाएँ मनुष्य को वस्तु के रंग का आभास कराती हैं, वे शंक्वाकार कोशिकाएँ कहलाती हैं।
(x) पीत बिन्दु रेटिना के मध्य एक पीला भाग होता है, जहाँ पर बना हुआ प्रतिबिम्ब सबसे अधिक स्पष्ट दिखाई देता है, इसे पीत बिन्दु कहते हैं। इस भाग की सुग्राहिता सबसे अधिक होती है।
(xi) अन्ध बिन्दु जिस बिन्दु से दृष्टि नाड़ियाँ मस्तिष्क को जाती हैं, उस बिन्दु को अन्ध बिन्दु कहते हैं। इस बिन्दु पर प्रकाश का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस बिन्दु पर प्रकाश की सुग्राहिता शून्य होती है, जिससे इस बिन्दु पर बनने वाला प्रतिबिम्ब दिखाई नहीं देता ।
मानव नेत्र द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना
किसी वस्तु से चलने वाली प्रकाश की किरणें सर्वप्रथम नेत्र के कॉर्निया पर आपतित होती हैं तथा अपवर्तित होकर क्रमशः जलीय द्रव, नेत्र लेन्स तथा काँचाभ द्रव में से होती हुई रेटिना पर पहुँचती हैं, जहाँ पर वस्तु का वास्तविक व उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है। प्रतिबिम्ब के बनने का संदेश प्रकाश तन्त्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क में पहुँचता है, जिससे मस्तिष्क अनुभव के आधार पर यह प्रतिबिम्ब सीधा दिखाई देता है।
प्रश्न 2. निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है? किरण आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए ।
अथवा निकट दृष्टि दोष क्या है? इस दोष के क्या कारण हैं? इनका निवारण कैसे किया जाता है?
अथवा निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं?
अथवा निकट दृष्टि दोष से आप क्या समझते हैं ?
अथवा निकट दृष्टि दोष क्या है?
उत्तर निकट दृष्टि दोष इस दोष से पीड़ित मनुष्य को पास की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परन्तु एक निश्चित दूरी से आगे की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं अर्थात् नेत्र का दूरबिन्दु अनन्त पर न होकर पास आ जाता है।
चित्र में अनन्त से आने वाली किरणें दृष्टि पटल पर फोकस न होकर दृष्टि पटल से पहले ही बिन्दु P पर फोकस हो गई हैं इसलिए दृष्टि पटल पर स्पष्ट प्रतिबिम्ब नहीं बनता है।
निकट दृष्टि दोष के कारण इस दोष के दो कारण हैं
(i) नेत्र लेन्स के पृष्ठों की वक्रता बढ़ जाना जिससे फोकस दूरी कम हो जाती है।
(ii) नेत्र के गोले का व्यास बढ़ जाना अर्थात् नेत्र लेन्स व रेटिना के बीच की दूरी का बढ़ जाना।
निवारण इस प्रकार के दोष को दूर करने के लिए एक ऐसे अवतल लेन्स का प्रयोग करते हैं कि अनन्त से चलने वाली किरणें अवतल लेन्स से अपवर्तन के पश्चात् नेत्र के दूर बिन्दु F से आती प्रतीत होती हैं। इससे ये किरणें नेत्र द्वारा अपवर्तित होकर रेटिना के पीत बिन्दु R पर मिल जाती हैं। इस प्रकार, अनन्त पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर स्पष्ट बन जाता है और नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।
प्रश्न 3. दूर दृष्टि दोष क्या है? इस दोष के क्या कारण हैं? इनका निवारण कैसे किया जाता है? (2024, 22, 11]
अथवा दूर दृष्टि दोष किसे कहते हैं? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है। किरण आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए ।
अथवा दूर दृष्टि दोष क्या है? इसके क्या कारण हैं? इस दोष के निवारण करने का सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा चित्र बनाकर समझाइए कि दीर्घ दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता एक दीर्घ दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिन्दु 75 सेमी है। इस दोष को दूर करने के लिए आवश्यक लेन्स की फोकस दूरी क्या होगी ? सामान्य नेत्र का निकट बिन्दु 25 सेमी है।
उत्तर दूर दृष्टि दोष इस दोष से युक्त नेत्र द्वारा मनुष्य को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परन्तु पास की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं अर्थात् नेत्र का निकट बिन्दु 25 सेमी से अधिक दूर हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को पढ़ने के लिए पुस्तक 25 सेमी से अधिक दूर रखनी पड़ती है। इस दोष से समीप की वस्तु का प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल R पर न बनकर उसके पीछे बनता है। चित्र में वस्तु O का प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर न बनकर उसके पीछे बिन्दु P पर बना है।
दूर दृष्टि दोष के कारण इस दोष के दो कारण हैं
(i) नेत्र लेन्स की वक्रता का कम हो जाना, जिससे फोकस दूरी बढ़ जाती है।
(ii) नेत्र की माँसपेशियों के क्षीण हो जाने से नेत्र गोलक के व्यास का कम हो जाना।
निवारण इस दोष को दूर करने के लिए एक ऐसे उत्तल लेन्स का प्रयोग करते हैं, जिससे दोषयुक्त नेत्र से 25 सेमी की दूरी पर रखी वस्तु से चलने वाली किरणें उत्तल लेन्स से अपवर्तन के पश्चात् नेत्र के निकट बिन्दु N से आती हुई प्रतीत होती हैं। इससे ये किरणें नेत्र से अपवर्तित होकर रेटिना के पीत बिन्दु R पर मिल जाती हैं। इस प्रकार, वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बन जाता है और नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।
दिया है,
दूर दृष्टि दोष युक्त नेत्र का निकट बिन्दु, v = – 75 सेमी
वस्तु की दूरी, u = – 25 सेमी
हम जानते हैं,
अतः चश्में में प्रयुक्त लेंस की फोकस दूरी 37.5 सेमी होगी।
प्रश्न 4. प्रिज्म क्या है? किसी प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन समझाइए
उत्तर प्रिज्म किसी पारदर्शी माध्यम के उस भाग को कहते हैं, जो किसी कोण पर झुके हुए दो समतल पृष्ठों के बीच में स्थित होता है। इन पृष्ठों को ‘अपवर्तक पृष्ठ’ तथा इनके बीच के कोण को ‘अपवर्तक कोण’ कहते हैं। दोनों पृष्ठों को मिलाने वाली रेखा को ‘अपवर्तक कोर’ कहते हैं।
प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन माना कि ABC काँच के एक प्रिज्म का मुख्य परिच्छेद है। कोण BAC अपवर्तक कोण है तथा वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक है। माना कि आपतित किरण PQ, प्रिज्म के पृष्ठ AB के बिन्दु Q पर गिरती है। इस पृष्ठ पर किरण अपवर्तन के पश्चात् Q पर खींचे गए अभिलम्ब की ओर झुक कर QR दिशा में चली जाती है। किरण QR, पृष्ठ AC पर अपवर्तन के पश्चात् R पर खींचे गए अभिलम्ब से दूर हटकर, RS दिशा में बाहर निकलती है। स्पष्ट है कि प्रिज्म, PQ दिशा में आने वाली किरण को RS दिशा में विचलित कर देता है। इस प्रकार, यह प्रकाश की दिशा में विचलन उत्पन्न . कर देता है। आपतित किरण PQ को आगे तथा निर्गत् किरण RS को पीछे बढ़ाने पर वे बिन्दु D पर काटती हैं। इन दोनों किरणों के बीच बना कोण 8 ( डेल्टा) विचलन कोण कहलाता है।
प्रश्न 5. आवश्यक किरण आरेख खींचकर प्रिज्म की सहायता से पुष्टि कीजिए कि सूर्य का श्वेत प्रकाश विभिन्न रंगों का सम्मिश्रण है।
अथवा प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश के वर्ण विक्षेपण का कारण लिखिए। किस रंग के प्रकाश का विचलन सबसे अधिक होता है?
अथवा काँच के प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश का विक्षेपण स्पष्ट कीजिए। उचित चित्र बनाकर वर्ण विक्षेपण का मूल कारण भी लिखिए ।
उत्तर सूर्य का प्रकाश अनेक रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है। सूर्य के प्रकाश के संकीर्ण प्रकाश पुंज को प्रायः श्वेत प्रकाश कहते हैं। जब श्वेत प्रकाश की किरण किसी पारदर्शी प्रिज्म में से गुजरती है, तो वह अपने मार्ग से विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुक जाती है तथा सात विभिन्न रंगों की किरणों में विभाजित हो जाती है। इन किरणों से प्रिज्म के दूसरी ओर रखे सफेद पर्दे पर एक रंगीन पट्टी (Band) बन जाती है। इस प्रकार उत्पन्न विभिन्न रंगों के समूह को वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम ( Spectrum) कहते हैं तथा श्वेत प्रकाश के अपने अवयवी रंगों में विभक्त होने की घटना को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं।
श्वेत प्रकाश के वर्णक्रम में मुख्य रूप से सात रंग दिखाई देते हैं तथा प्रिज्म के आधार की ओर से इन रंगों का क्रम इस प्रकार होता है
सबसे पहले नीचे से बैंगनी (Violet) फिर क्रमानुसार जामुनी (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange) तथा अन्त में लाल (Red)। रंगों के इस क्रम को अंग्रेजी के शब्द VIBGYOR या हिन्दी के शब्द बैंजनीहपीनाला द्वारा याद रखा जा सकता है।
इससे स्पष्ट होता है कि जब श्वेत प्रकाश की किरण प्रिज्म गुजरती है, तो श्वेत प्रकाश में विद्यमान विभिन्न रंगों की किरणों में प्रिज्म द्वारा उत्पन्न विचलन भिन्न-भिन्न होता है। लाल प्रकाश किरण में विचलन सबसे कम तथा बैंगनी प्रकाश किरण में विचलन सबसे अधिक होता है। अन्य रंगों की प्रकाश किरणों में विचलन इन दोनों (लाल व बैंगनी ) रंगों के बीच होता है।
प्रश्न 6. वायुमण्डलीय अपवर्तन क्या है? वायुमण्डलीय अपवर्तन पर आधारित निम्न घटनाओं को स्पष्ट कीजिए
(i) तारों का टिमटिमाना
(ii) ग्रहों का न टिमटिमाना
उत्तर वायुमण्डल में गर्म तथा ठण्डी वायु की परतें होती हैं तथा ठंडी वायु का अपवर्तनांक गर्म वायु की तुलना में थोड़ा अधिक होता है। वायुमण्डल की इन परतों के कारण प्रकाश में उत्पन्न अपवर्तन, वायुमण्डलीय अपवर्तन कहलाता है।
(i) तारों का टिमटिमाना यह परिघटना तारों के प्रकाश का वायुमण्डल में अपवर्तन होने के कारण होता है। वायुमण्डल की विभिन्न परतों में घनत्व के परिवर्तन के कारण, तारों से पृथ्वी की ओर आने वाले प्रकाश का अपवर्तन होता है। इस कारण तारों से आने वाली प्रकाश की तीव्रता कभी भी बढ़ या घट जाती है और तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं।
(ii) ग्रहों का न टिमटिमाना ग्रह, तारों की अपेक्षा पृथ्वी के समीप स्थित हैं, जिसके कारण उन्हें प्रकाश के विस्तृत स्रोत की भाँति माना जा सकता है। यदि हम ग्रह को बिन्दु के आकार के अनेक प्रकाश स्रोतों का संग्रह मान लें, तो सभी बिन्दु आकार के प्रकाश स्रोतों से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य हो जायेगा। चूँकि ग्रहों से आने वाली प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य हो जाता है, जिससे टिमटिमाने का प्रभाव निष्प्रभावित हो जाता है, और ग्रह टिमटिमाते हुए प्रतीत नहीं होते हैं।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1. निकट दृष्टि दोष से पीड़ित एक व्यक्ति अधिक-से-अधिक 100 मीटर की दूरी तक ही देख सकता है। गणना कीजिए कि सही दृष्टि के लिए अर्थात् अनन्त दूरी तक देख सकने के लिए उसे किस प्रकृति एवं किस फोकस दूरी के लेन्स का प्रयोग करना होगा ? किरण आरेख भी बनाइए ।
अतः व्यक्ति को – 0.01 डायोप्टर के अवतल लेन्स का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 2. निकट दृष्टि दोष से पीड़ित एक व्यक्ति अधिक-से-अधिक 80 मीटर की दूरी तक ही देख सकता है । दृष्टि दोष को दूर करने में प्रयुक्त लेन्स की प्रकृति एवं फोकस दूरी की गणना कीजिए | उपयोग किये गये लेन्स की क्षमता की भी गणना कीजिए ।
अतः व्यक्ति को – 0.0125 डायोप्टर का अवतल लेन्स प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 3. एक निकट दृष्टि दोष वाला मनुष्य अपनी आँख से 10.0 मी से दूर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है। अनन्त पर स्थित किसी वस्तु को देखने के लिए उसे किस फोकस दूरी एवं क्षमता वाले लेन्स की आवश्यकता होगी? लेन्स की प्रकृति भी ज्ञात कीजिए ।
अथवा निकट दृष्टि से पीड़ित एक व्यक्ति अधिक-से-अधिक 10 मीटर की दूरी तक ही देख सकता है। सही दृष्टि के लिए लेन्स की प्रकृति, फोकस दूरी व क्षमता की गणना कीजिए ।
प्रश्न 4. निकट दृष्टि दोष से पीड़ित एक व्यक्ति अधिकतम 50 मीटर की दूरी तक देख सकता है। सही दृष्टि के लिए उसे किस क्षमता व किस प्रकृति का लेन्स प्रयोग करना होगा? गणना कीजिए ।
प्रश्न 5. एक निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति 20 सेमी दूरी पर स्थित पुस्तक को पढ़ सकता है। पुस्तक को 25 सेमी दूर रखकर पढ़ने के लिये उसे कैसा और कितनी फोकस दूरी का लेन्स अपने चश्में में प्रयुक्त करना पड़ेगा?
हल माना इस लेन्स की फोकस दूरी f है, जो 25 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब 20 सेमी पर बनाता है।
अतः पुस्तक पढ़ने के लिए – 100 सेमी फोकस दूरी का अवतल लेन्स चश्में में प्रयुक्त करना चाहिए।
प्रश्न 6. किसी निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु नेत्र के सामने 80 सेमी की दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेन्स की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी ?
निकट दृष्टि दोष दूर करने के लिए अवतल लेन्स का प्रयोग किया जाता है।
लेन्स की प्रकृति व क्षमता = – 125 डायोप्टर (अवतल लेन्स)
प्रश्न 7. किसी व्यक्ति को अपनी दूर दृष्टि को संशोधित करने के लिए – 5.5 डायोप्टर क्षमता के लेन्स की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे + 1.5 डायोप्टर क्षमता के लेन्स की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लेन्स की फोकस दूरी क्या होगी ?
(i) दूर दृष्टि के लिए
(ii) निकट दृष्टि के लिए।
प्रश्न 8. एक मनुष्य चश्मा पहनकर 25 सेमी की दूरी पर रखी पुस्तक को स्पष्ट पढ़ सकता है। चश्मे में प्रयुक्त लेन्स की क्षमता – 2.0 डायोप्टर है। बिना चश्में के मनुष्य किस दूरी पर रखी पुस्तक पढ़ सकता है?
अत: मनुष्य 16.66 सेमी दूरी पर स्थित पुस्तक को आसानी से पढ़ सकता है।
प्रश्न 9. एक प्रिज्म कोण 60° तथा अल्पतम विचलन कोण 38° है। प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए। (sin 49° = 0.75)
हल दिया है, प्रिज्म कोण, A = 60°
अल्पतम विचलन कोण, δm = 38°
प्रश्न 10. एक दूर दृष्टि दोष वाले मनुष्य का निकट बिन्दु 150 सेमी है। यदि वह 25 सेमी दूर रखी पुस्तक को पढ़ना चाहता है, तो उसे कैसा और कितनी फोकस दूरी का लेन्स प्रयुक्त करना चाहिए?
हल दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए मनुष्य को उत्तल लेन्स प्रयोग करना चाहिए।
दिया है, प्रतिबिम्ब की दूरी, v = – 150 सेमी, वस्तु की दूरी, u = – 25 सेमी तथा फोकस दूरी, f = ?

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