UP Board Class 10 Science Chapter 12 वैद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
UP Board Class 10 Science Chapter 12 वैद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 12 वैद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
फास्ट ट्रैक रिवीज़न
जब किसी चालक तार में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसके चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस घटना को वैद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहते हैं।
नोट गतिमान आवेश के कारण चुम्बकीय क्षेत्र निर्मित होता है।
चुम्बकीय क्षेत्र किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र, जिसमें उस चुम्बक के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है, उसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं। यह एक सदिश राशि है तथा इसका मात्रक टेस्ला अथवा वेबर/मीटर होता है।
चुम्बकीय बल रेखाएँ
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में उत्पन्न काल्पनिक रेखाएँ होती हैं, जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को अविरत प्रदर्शित करती हैं।
चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण
(i) चुम्बकीय बल रेखाएँ सदैव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं तथा वक्र बना हुई चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं और चुम्बक के भीतर से होती हुई पुनः उत्तरी ध्रुव पर वापस आती हैं।
(ii) चुम्बक के बाहर इन बल रेखाओं की दिशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती हैं। (iii) चुम्बकीय बल रेखाएँ बन्द वक्र के रूप में चलती हैं।
(iv) चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती, क्योंकि एक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ सम्भव नहीं हैं ।
(v) चुम्बक के ध्रुवों के समीप, जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल होता है, वहाँ चुम्बकीय बल रेखाएँ पास-पास होती हैं तथा ध्रुव से दूर जाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता घटती जाती है। अत: वहाँ चुम्बकीय बल रेखाएँ परस्पर दूर होती जाती हैं।
किसी वैद्युत धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
सर्वप्रथम ओरेस्टेड ने प्रयोगों के आधार पर यह पता लगाया कि जब किसी चालक में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र, धारावाही चालक की आकृति पर निर्भर करता है।
विभिन्न स्थितियों में धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र निम्न हैं
1. सीधे धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
जब किसी सीधे धारावाही चालक में धारा प्रवाहित करते हैं, तो चालक के समीप प्रेक्षण बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह चुम्बकीय क्षेत्र चालक में प्रवाहित वैद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती तथा प्रेक्षण बिन्दु की चालक से दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
चालक के समीपस्थ बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्यादा होता है तथा दूरी . बढ़ने के साथ-साथ चुम्बकीय क्षेत्र का मान भी कम हो जाता है।
अतः सीधे धारावाही चालक तार में धारा की दिशा ज्ञात होने पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा मैक्सवेल के दाएँ हाथ के अंगूठे के नियमानुसार ज्ञात करते हैं।

मैक्सवेल के दाएँ हाथ के अँगूठे का नियम इस नियम के अनुसार, यदि दाएँ हाथ में एक सीधे धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़ें कि अँगुलियाँ तार पर लिपटी हों व अँगूठा धारा की दिशा में हो, तो लिपटी हुई अँगुलियों की दिशा चुम्बकीय बल – रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेगी।

2. वैद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश (कुण्डली) के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
किसी धारावाही पाश के कारण चुम्बकीय बल रेखाएँ चित्र द्वारा दर्शाई गई हैं। धारावाही वृत्ताकार पाश के प्रत्येक बिन्दु पर बने इसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र को प्रदर्शित करते हैं। पाश के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र सीधी रेखाओं द्वारा प्रदर्शित है।

- किसी धारावाही वृत्ताकार कुण्डली द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र को निम्न प्रकार बढ़ाया जा सकता है
(i) फेरों की संख्या बढ़ाकर
(ii) कुण्डली में धारा का मान बढ़ाकर
3. धारावाही परिनालिका में प्रवाहित वैद्युत धारा के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
किसी कुचालक बेलनाकार पाइप के ऊपर उसकी लम्बाई के अनुदिश एकसमान रूप से वैद्युतरोधी ताँबे के तारों को लपेटकर बनाई गई बहुत अधिक फेरों की कुण्डली, परिनालिका कहलाती है।
यदि इस कुण्डली में किसी सेल द्वारा वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो यह एक दण्ड चुम्बक की भाँति व्यवहार करने लगती है अर्थात् परिनालिका का एक सिरा उत्तरी ध्रुव व दूसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव की तरह व्यवहार करता है।
परिनालिका के भीतर सभी बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ, समान्तर सरल रेखा के रूप में होती हैं अर्थात् परिनालिका के भीतर सभी बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र समान होता है।

वैद्युत चुम्बक
परिनालिका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग किसी चुम्बकीय पदार्थ, जैसे- नम्र लोहे को परिनालिका के भीतर रखकर चुम्बक बनाने में किया जाता है। इस प्रकार बने चुम्बक को वैद्युत चुम्बक कहते हैं।
चुम्बकीय क्षेत्र में किसी वैद्युत धारावाही चालक पर बल
जब किसी l लम्बाई के वैद्युत धारावाही चालक को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के कारण धारावाही चालक पर बल लगता है, जो चालक को विस्थापित करता है।
अर्थात् चुम्बकीय बल,
F = ilBsinθ
जहाँ, B = चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता,
i = चालक में धारा,
l = चालक की लम्बाई
तथा θ = चालक की लम्बाई तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच का कोण है।
फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम
इस नियम के अनुसार, यदि बाएँ हाथ के अँगूठे तथा उसके पास वाली दोनों अँगुलियों को इस प्रकार फैलाया जाए कि तीनों एक-दूसरे के लम्बवत् रहें, तब इस स्थिति में यदि प्रथम अँगुली चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा को तथा बीच वाली अँगुली प्रवाहित धारा i की दिशा को प्रदर्शित करे, तो अँगूठा चालक पर लगने वाले बल F की दिशा को प्रदर्शित करेगा।

घरेलू वैद्युत परिपथ
बिजलीघर में उत्पन्न बिजली दो मोटे ताँबे या एल्युमीनियम तारों द्वारा हमारे घरों तक आती है। इनमें लाल आवरण का तार वैद्युतमय तार है, जो 220 वोल्ट तथा 50 हर्ट्ज आवृत्ति पर है तथा दूसरा तार उदासीन है, जो काले आवरण में शून्य विभव पर होता है।
ये तार-वैद्युत मीटर से एक फ्यूज द्वारा जुड़े रहते हैं। यह फ्यूज, मुख्य फ्यूज कहलाता है। ये तार, घरों में वैद्युतमय तार से मुख्य स्विच द्वारा जोड़ दिए जाते हैं। घरेलू वैद्युत परिपथ के विभिन्न घटक तथा उनके कार्य निम्न हैं
- वैद्युत शॉक से बचने के लिए, धातु के आवरण. युक्त उपकरणों का भू-योजन कर दिया जाता है। भू-योजन से तात्पर्य, उसे शून्य विभवं पर करना है। घर की वायरिंग में हरे रंग का तार उदासीन तार होता है। यह भू-योजन वैद्युत शॉक से बचाता है।
- जब लघुपथन होता है, तो धारा बढ़ जाती तथा फ्यूज तार गल जाता है और परिपथ भंग हो जाता है। इससे वायरिंग को कोई क्षति नहीं पहुँचती है।
अतिभारण वह स्थिति है, जब अधिक पावर के अनेक वैद्युत उपकरणों को एकसाथ चलाया जाता है, तो वे परिपथ अधिक धारा लेते हैं। इस स्थिति में बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह आग उत्पन्न कर सकती है।
- फ्यूज, टिन तथा शीशे के मिश्रधातु का बना तार होता है, जिसका गलनांक 200°C होता है। इसका उपयोग वायरिंग को अतिभारण तथा लघुपथन से बचाना होता है।
विद्युत से खतरों के निम्नलिखित कारण होते हैं
- यदि उपकरणों से जुड़े तारों का सम्बन्ध ढीला होता है, तो तारों में आग लगने की संभावना रहती है।
- यदि स्विच की संरचना में दोष हो तथा स्विच से तारों का सम्बन्ध दोषयुक्त होता है , तो स्विच में आग लग सकती है तथा विद्युत उपकरण के जलने की संभावना रहती है।
विद्युत खतरों से बचाव एवं आवश्यक सावधानियाँ निम्नलिखित हैं
- विद्युत परिपथ में प्रयुक्त तार उच्च कोटि का होना चाहिए तथा उसके ऊपर विद्युतरोधी पदार्थ का आवरण ठीक प्रकार से लगा होना चाहिए।
- परिपथ में जुड़े सभी अवयवों के टर्मिनलों से संयोजक तार अच्छे प्रकार से संयोजित होने चाहिए।
- यदि दो तारों को आपस में जोड़ा जाता है, तो उन पर विद्युतरोधी टेप (Tape) ठीक प्रकार से लगानी चाहिए।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्न में से कौन – सा चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक नहीं है?
(a) वेबर/मी2
(b) टेस्ला
(c) गॉस
(d) न्यूटन/ऐम्पियर2
उत्तर (d) न्यूटन/ऐम्पियर2
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे वैद्युत धारावाही तार के निकट चुम्बकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत् होती हैं।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं
(c) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अक्षीय होती हैं, जिनका उद्भव तार से होता है
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है
उत्तर (d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
प्रश्न 3. परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र के कारण किसी चालक में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा की दिशा का आंकलन निम्नलिखित नियम से किया जा सकता है
(a) दाएँ हाथ के अँगूठे का नियम
(b) ओम का नियम
(c) फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम
(d) फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम
उत्तर (d) फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम
प्रश्न 4. स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र में ध्रुवों के बीच किसी वैद्युत धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा ज्ञात करने के लिए उपयुक्त नियम है
(a) मैक्सवेल का कॉर्क- स्क्रू नियम
(b) फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम
(c) फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम
(d) ओम का नियम
उत्तर (c) फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम
प्रश्न 5. एक विद्युत चुम्बक का क्रोड बनाने के लिए सबसे अधिक उपयुक्त पदार्थ है
(a) पीतल
(b) मुलायम लोहा
(c) एल्युमीनियम
(d) स्टील
उत्तर (b) मुलायम लोहा
प्रश्न 6. किसी धारावाही परिनालिका को स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर सदैव स्थिर होगी
(a) पूर्व-पश्चिम में
(b) उत्तर-पूर्व में
(c) उत्तर-दक्षिण में
(d) किसी भी दिशा में
उत्तर (c) उत्तर-दक्षिण में
प्रश्न 7. चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक है
(a) न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर2
(b) न्यूटन/ऐम्पियर मीटर
(c) न्यूटन – ऐम्पियर-मीटर
(d) न्यूटन2/ऐम्पियर-मीटर
उत्तर (b) न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर
प्रश्न 8. फ्यूज तार को निम्नलिखित घरेलू विद्युत वितरण के किस तार के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है?
(a) भू-सम्पर्क तार
(b) उदासीन तार
(c) जीवित तार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (c) जीवित तार
प्रश्न 9. चित्र में दर्शाए गए इलेक्ट्रॉन पर चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् प्रवेश करने पर आरोपित बल की दिशा होगी

(a) बायीं ओर
(b) दायीं ओर
(c) कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर
(d) कागज के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर
उत्तर (d) कागज के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर
प्रश्न 10. एक चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् स्थित विद्युत धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा होती है
(a) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत्
(b) चालक में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा की दिशा के समान्तर
(c) इन दोनों दिशाओं के लम्बवत्
(d) उपरोक्त में से काई नहीं
उत्तर (c) दोनों दिशाओं के लम्बवत्
प्रश्न 11. किसी विद्युत धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र
(a) शून्य होता है।
(b) सभी बिन्दुओं पर समान होता है।
(c) इसके सिरों की ओर जाने पर घटता है।
(d) इसके सिरों की ओर जाने पर बढ़ता है।
उत्तर (b) सभी बिन्दुओं पर समान होता है।
प्रश्न 12. चुम्बकीय बल रेखाएँ
(a) सदैव समान्तर होती हैं
(b) एक बिन्दु पर मिलती हैं
(c) एक-दूसरे को कभी नहीं काटती हैं
(d) परस्पर काटती हैं।
उत्तर (c) चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती हैं।
प्रश्न 13. यदि Φ = : चुम्बकीय फ्लक्स, B = चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता तथा A = अनुप्रस्थ-परिच्छेद का क्षेत्रफल, तो इनके बीच सही सम्बन्ध है


प्रश्न 14. प्रेरित विद्युत धारा की दिशा ज्ञात करने का नियम है।
(a) फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम
(b) फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम
(c) ओम का नियम
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर (a) फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम द्वारा
प्रश्न 15. किसी धारावाही चालक के कारण उससे दूरी पर स्थित किसी बिन्दु T पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र होता है
(a) r के अनुक्रमानुपाती
(b) r2 के अनुक्रमानुपाती
(c) r के व्युत्क्रमानुपाती
(d) r2 के व्युत्क्रमानुपाती
उत्तर (c) r के व्युत्क्रमानुपाती
प्रश्न 16. लघुपथन के समय परिपथ में वैद्युत धारा का मान
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता है।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरन्तर परिवर्तित होता है।
उत्तर (c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
प्रश्न 17. विद्युत धारा से सम्बन्धित कुछ पद सूची I में दिए गए हैं। सूची II में दिए गए पदों से सुमेलन कर सही विकल्प का चयन कीजिए |

प्रश्न 18. सूची I में दिए गए विद्युत सुरक्षा से सम्बन्धित पदों का सूची II में दी गई उनकी परिभाषाओं से सुमेलन कर, सही विकल्प का चयन कीजिए ।

निर्देश (प्र.सं. 19-21) इन प्रश्नों में दो कथन अभिकथन (A) और कारण (R) दिए गए हैं। इन प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए अनुसार उचित विकल्प को चुनकर दीजिए ।
(a) A और R दोनों सही हैं तथा R द्वारा A की सही व्याख्या हो रही है।
(b) A और R दोनों सही हैं परन्तु R द्वारा A की सही व्याख्या नहीं हो रही है।
(c) A सही है परन्तु R गलत है।
(d) A गलत है परन्तु R सही है।
प्रश्न 19.कथन (A) धारा की दिशा बदलने पर परिनालिका की ध्रुवता बढ़ जाती है।
कारण (R) परिनालिका में धारा बढ़ाने पर चुम्बकीय क्षेत्र में भी वृद्धि हो जाती
उत्तर (b) A तथा R दोनों सही हैं परन्तु R द्वारा A की सही व्याख्या नहीं हो रही है।
प्रश्न 20. कथन (A) विद्युत चुम्बक अस्थायी चुम्बक है।
कारण (R) विद्युत चुम्बक कठोर लोहे का बना होता है।
उत्तर (c) A सही है परन्तु R गलत है ।
प्रश्न 21.कथन (A) चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काटती हैं।
कारण (R) चुम्बकीय बल रेखाएँ बन्द वक्र रूप में चलती हैं।
उत्तर (b) A और R दोनों सही हैं परन्तु R द्वारा A की सही व्याख्या नहीं हो रही है।
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न-I
प्रश्न 1. चुम्बक तथा धारावाही परिनालिका में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर चुम्बक तथा धारावाही परिनालिका में अंतर निम्नलिखित है
| चुम्बक | धारावाही परिनालिका |
| चुम्बक एक ऐसा पदार्थ है, जो लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करता है। और जिसकी कोई निश्चित आकृति भी नहीं होती। | परिनालिका एक कुचालक बेलनाकार पाइप के ऊपर, उसकी लम्बाई के अनुदिश, एकसमान रूप से वैद्युतरोधी ताँबे के तारों को लपेटकर बनाई गई बहुत अधिक फेरों की कुण्डली होती है। |
प्रश्न 2. चुम्बकीय बल रेखाएँ किस रूप में प्राप्त होती हैं?
उत्तर चुम्बकीय बल रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से उत्पन्न होकर, दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं। चुम्बक के अन्दर बल रेखाओं की दिशा दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है। अतः चुम्बकीय बल रेखाएँ बन्द वक्र के रूप में प्राप्त होती हैं।
प्रश्न 3. धारावाही परिनालिका की अक्ष पर चुम्बकीय बल रेखाएँ कैसी होती हैं ?
उत्तर धारावाही परिनालिका की अक्ष पर चुम्बकीय बल रेखाएँ परिनालिका की अक्ष के समान्तर होती हैं।
प्रश्न 4. धारावाही परिनालिका के अन्दर नर्म लोहे की छड़ रखने पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर धारावाही परिनालिका के अन्दर नर्म लोहे की छड़ रखने पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ जाएगी।
प्रश्न 5. यदि स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी हुई परिनालिका में वैद्युत धारा की दिशा बदल दी जाए, तो क्या होता है?
उत्तर वैद्युत धारा की दिशा बदल जाने पर परिनालिका 180° से घूम जाएगी।
प्रश्न 6. निम्न चित्र में धारावाही परिनालिका के सिरों पर उसके चुम्बकीय ध्रुवों के नाम लिखिए।

उत्तर चित्र में बायाँ सिरा उत्तरी ध्रुव तथा दायाँ सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा।
प्रश्न 7. एक धारावाही तार किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गति करता है, परन्तु तार में प्रेरित वैद्युत वाहक बल उत्पन्न नहीं होता है। ऐसा किस दशा में सम्भव है?
उत्तर यदि धारावाही तार किसी चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर गति करता है, तब प्रेरित वैद्युत वाहक बल उत्पन्न नहीं होता है।
प्रश्न 8. परिनालिका, चुम्बक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी वैद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?
उत्तर जब एक परिनालिका में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तब यह वैद्युत चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है। इस स्थिति में, परिनालिका का एक सिरा उत्तरी ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव की भाँति कार्य करता है। जब हम परिनालिका के एक सिरे के पास छड़ चुम्बक का उत्तरी ध्रुव लाते हैं, तो उसका व्यवहार उसके ध्रुवों का निर्धारण करता है। परिनालिका का जो सिरा छड़ चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को आकर्षित करता है, वह दक्षिणी ध्रुव है तथा उससे दूसरी ओर का सिरा उत्तरी ध्रुव होता है।
प्रश्न 9. किसी वैद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है ?
उत्तर जब वैद्युतमय तार तथा उदासीन तार दोनों सीधे संपर्क में आते हैं, तो अतिभारण हो सकता है। यह तारों के वैद्युतरोधन के क्षतिग्रस्त होने या संधारित्र में उत्पन्न किसी दोष के कारण हो सकता है। ऐसी परिस्थितियों में, किसी परिपथ में वैद्युत धारा अचानक बहुत अधिक जाती है अर्थात् लघुपथन की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
प्रश्न 10. घरेलू विद्युत परिपथ में प्रयुक्त तारों के नाम तथा आवरण तारों के रंग लिखिए।
उत्तर बिजली घर में उत्पन्न बिजली दो मोटे ताँबे या एल्युमीनियम तारों द्वारा हमारे घरों तक आती है। इनमें लाल आवरण का तार वैद्युतमय तार है, जो 220 वोल्ट तथा 50 हर्ट्ज आवृत्ति पर है तथा दूसरा तार उदासीन है, जो काले आवरण में, शून्य विभव पर होता है।
ये तार वैद्युत मीटर एक फ्यूज द्वारा जुड़े रहते हैं। यह फ्यूज मुख्य फ्यूज कहलाता है। ये तार, घरों में वैद्युतमय तार । मुख्य स्विच द्वारा जोड़ दिए जाते हैं।
प्रश्न 11. दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करती हैं? छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए ।
अथवा किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए ।
उत्तर यदि चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करेंगी, तो एक ही बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी, जोकि असम्भव है। इस कारण दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न-II
प्रश्न 1. चुम्बकीय बल रेखाओं से क्या तात्पर्य है? इनके प्रमुख गुणों का उल्लेख कीजिए |
अथवा चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए ।
उत्तर किसी चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय बल रेखाएँ वे काल्पनिक रेखाएँ हैं, जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को अविरत प्रदर्शित करती हैं तथा इन रेखाओं के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा, उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।
चुम्बकीय बल रेखाओं के गुणधर्म चुम्बकीय बल रेखाओं के गुणधर्म निम्नलिखित हैं-
- चुम्बक के ध्रुवों के समीप, जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल होता है, वहाँ से चुम्बकीय बल रेखाएँ पास-पास होती हैं तथा ध्रुव दूर जाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता घटती जाती है। अतः वहाँ चुम्बकीय बल रेखाएँ परस्पर दूर होती जाती हैं।
- एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में बल रेखाएँ परस्पर समान्तर व बराबर दूरियों पर होती हैं।
- चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, चुम्बकीय बल रेखा के किसी बिन्दु पर स्पर्श रेखा द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं।
- चुम्बकीय बल रेखाएँ एक दूसरे को कभी नहीं काटती, क्योंकि एक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ सम्भव नहीं हैं।
प्रश्न 2. धारावाही परिनालिका की चुम्बकीय बल रेखाओं को आरेख बनाकर दर्शाइए। परिनालिका के अन्दर नर्म लोहे की छड़ रखने पर क्या प्रभाव होगा?
अथवा धारावाही परिनालिका के कारण चुम्बकीय क्षेत्र किन-किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर धारावाही परिनालिका की चुम्बकीय बल रेखाएँ किसी परिनालिका में धारा प्रवाहित करने के लिए इसके दोनों सिरों के बीच कुँजी (K), धारा नियन्त्रक (Rh) तथा बैटरी श्रेणीक्रम में चित्रानुसार जोड़ दिए जाते हैं।
जब कुँजी को बन्द कर देते हैं, तो परिनालिका में धारा प्रवाहित होने लगती है, परिनालिका के प्रत्येक फेरे में धारा की दिशा एक ही होती है। परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र इन वृत्ताकार कुण्डलियों से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का परिणामी बल क्षेत्र होता है। परिनालिका का वह सिरा जिससे होकर बल रेखाएँ अन्दर की ओर जाती हैं, दक्षिणी चुम्बकीय ध्रुव (S) की तरह व्यवहार करता है तथा दूसरा सिरा जिससे बल रेखाएँ बाहर निकलती हैं, उत्तरी ध्रुव (N) की तरह व्यवहार करता है।

परिनालिका के अक्ष पर बल रेखाएँ अक्ष के समान्तर तथा बहुत पास-पास होती हैं। इसका अर्थ है कि परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल व एकसमान प्राप्त होता है। किन्तु इसके सिरों के पास चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कम होती है। परिनालिका के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र बिल्कुल वैसा ही होता है जैसा कि परिनालिका के अक्ष के अनुदिश रखे एक दण्ड चुम्बक के कारण। परिनालिका के अन्दर नर्म लोहे की छड़ रखने से परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र काफी बढ़ जाता है।
धारावाही परिनालिका के कारण चुम्बकीय क्षेत्र निम्न कारकों पर निर्भर करता है।
- परिनालिका के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उसकी प्रति एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या बढ़ने से बढ़ता है।
- परिनालिका के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र धारा की प्रबलता तथा क्रोड के पदार्थ पर भी निर्भर करता है।
प्रश्न 3. चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर लगने वाला बल किन बातों पर निर्भर करता है? इस बल के लिए आवश्यक सूत्र लिखिए ।
उत्तर चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर लगने वाला बल निम्न कारकों पर निर्भर करता है
(i) आवेश q पर
(ii) आवेश की चाल v पर
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B पर
(iv) v तथा B के मध्य कोण θ पर
गतिमान आवेश पर लगने वाला बल निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है
F = qvB sin θ
प्रश्न 4. अपने घर के परिपथ में वैद्युत फ्यूज की उपयोगिता को समझाइए । फ्यूज का तार सामान्य तार से कैसे भिन्न होता है? एम. सी. बी. को वैद्युत फ्यूज की अपेक्षा वरीयता क्यों दी जाती है?
अथवा वैद्युत परिपथों में फ्यूज का क्या महत्त्व है? किसी मकान में कुल अधिभार 2200 वाट है। विद्युत की आपूर्ति 220 V पर की जाती है। मकान में प्रयुक्त फ्यूज का अनुमतांक क्या होना चाहिए । विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक लिखिए।
उत्तर कभी-कभी घरों में बिजली के तार आपस में संपर्क में आ जाते हैं, तो परिपथ में लघुपथन हो जाता है, जिस कारण उपकरणों में धारा का मान बढ़ जाता है व इतनी अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो जाती है कि उपकरणों के जल जाने का भय रहता है।
परिपथ के इस दोष को दूर करने हेतु जिस युक्ति का प्रयोग करते हैं, उसे फ्यूज कहते हैं। सामान्यतया फ्यूज तार, मिश्रधातु (ताँबा, टिन और सीसे) से निर्मित होता है, जिसे चीनी मिट्टी के बने होल्डर पर लगे दो धात्विक टर्मिनलों के मध्य लगाया जाता है।
एम. सी. बी. की वैद्युत फ्यूज की तुलना में कुछ निम्न उपयोगिताएँ हैं
(i) एम.सी.बी का पुन: उपयोग किया जा सकता है, जबकि फ्यूज तार को पुनः उपयोग में नहीं लाया जा सकता है।
(ii) एम.सी.बी., फ्यूज की तुलना में परिपथ में प्रवाहित अधिक वैद्युत धारा की मात्रा के लिए तुरन्त सक्रिय होता है।
(iii) एम.सी.बी. लगाना फ्यूज लगाने की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है।

विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक
घरेलू व औद्योगिक कार्यों के लिए प्रयुक्त विद्युत ऊर्जा के मापन हेतु किलोवाट घण्टा अथवा बोर्ड ऑफ ट्रेड यूनिट (BTU ) का प्रयोग किया जाता है, जिसे सामान्य भाषा में यूनिट कहा जाता है।
1 किलोवाट घण्टा 1 यूनिट विद्युत ऊर्जा की वह मात्रा होती है, जो
1 किलोवाट शक्ति वाले परिपथ में 1 घण्टे में व्यय होती है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
चालक तार की बनी हुई वृत्ताकार कुंडली होती है, जिसकी त्रिज्या उसकी लंबाई की तुलना में कम होती है, यह कार्ड बोर्ड अथवा चीनी मिट्टी की नलिका के ऊपर ताँबे के वैद्युत रोधी तार के परस्पर सटे हुए बहुत से फेरे लपेट कर बनाई जाती है।

विद्युत धारा प्रवाहित करने पर परिनालिका के चारों ओर उत्पन्न क्षेत्र, धारा I, फेरों की संख्या n तथा परिनालिका के पदार्थ की प्रकृति पर भी निर्भर करता है।
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधी परिनालिका से सिरों के पास चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का फैलाव या अपसरण (divergence) क्या दर्शाता है?
(ii) एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र से क्या तात्पर्य है ? उदाहरण दीजिए ।
उत्तर (i) क्षेत्र रेखाओं का फैलाव परिनालिका के सिरों के पास चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता में कमी को दर्शाता है।
(ii) जिस क्षेत्र में चुम्बकीय बल रेखाएँ समान्तर एवं समदूरस्थ हों, तो वह एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र होता है। धारावाही परिनालिका के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान होता है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. धारावाही चालक से सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए दक्षिण- हस्त अंगुष्ठ नियम लिखिए। सीधे धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को दर्शाइए ।
अथवा चुम्बकीय क्षेत्र में किसी धारावाही चालक पर बल किन कारकों पर निर्भर करता है? चालक पर कार्य करने वाले बल की दिशा का नियम स्पष्ट कीजिए ।
अथवा मैक्सवेल के दाएँ हाथ के अँगूठे के नियम को सचित्र समझाइए ।
उत्तर जब किसी सीधे धारावाही चालक में धारा प्रवाहित करते हैं, तो चालक के समीप प्रेक्षण बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह चुम्बकीय क्षेत्र चालक में प्रवाहित वैद्युत धारा। के अनुक्रमानुपाती तथा प्रेक्षण बिन्दु की चालक से दूरी r के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
चालक के समीपस्थ बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्यादा होता है तथा दूरी बढ़ने के साथ-साथ चुम्बकीय क्षेत्र का मान भी कम हो जाता है।
अतः सीधे धारावाही चालक तार में धारा की दिशा ज्ञात होने पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा मैक्सवेल के दाएँ हाथ के अँगूठे के नियमानुसार ज्ञात करते हैं।

दक्षिण- हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार, यदि दाएँ हाथ में एक सीधे धारावाही चलक को इस प्रकार पकड़े कि अंगुलियाँ तार पर लिपटी हों व अंगूठा धारा की दिशा में हो, तो लिपटी हुई अँगुलियों की दिशा चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेगी।

अतः चुम्बकीय क्षेत्र में किसी धारावाही चालक पर लगने वाला बल चालक की लम्बाई, चुम्बकीय क्षेत्र, विद्युत धारा तथा चालक की क्षेत्र से दिशा 8 पर निर्भर करता है।
प्रश्न 2. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के किन्हीं दो गुणों का उल्लेख कीजिए । किसी सीधे धारावाही तार के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए मैक्सवेल के कार्क-स्क्रू नियम को परिभाषित कीजिए। किसी ऊर्ध्वाधर धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को दर्शाइए। किसी प्रदत्त क्षेत्र में एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर चुम्बकीय बल रेखाओं के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं
(i) चुम्बकीय बल रेखाएँ सदैव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं तथा के वक्र बनाती हुई चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं और चुम्बक भीतर से होती हुई पुनः उत्तरी ध्रुव पर वापस आती हैं। इस प्रकार, चुम्बक के बाहर इन बल रेखाओं की दिशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।
(ii) चुम्बकीय बल रेखाएँ बन्द वक्र के रूप में चलती हैं। जब किसी सीधे तार में धारा प्रवाहित करते हैं, तो उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस क्षेत्र की बल रेखाओं को लोहे के बुरादे अथवा कम्पास सुई द्वारा खींच सकते हैं।
प्रयोग इसके लिए हम एक समतल गत्ता लेते हैं, जिस पर एक सफेद कागज चिपका देते हैं और गत्ते के बीच में छेद करके एक चालक तार को ऊर्ध्वाधर खड़ा कर देते हैं। तार की सहायता से विद्युत परिपथ को दिखाए गए चित्रानुसार पूर्ण कर देते हैं।
गत्ते पर लोहे का बुरादा फैला देते हैं और परिपथ में लगी कुँजी को लगाकर चालक में धारा प्रवाहित करते हैं। इससे तार के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है तथा गत्ते को अँगुली से धीरे-धीरे थपथपाते हैं। ऐसा करने पर गत्ते पर पड़ा बुरादा संकेन्द्रीय वृत्तों का रूप ग्रहण कर लेता है। चुम्बकीय सुई की सहायता से चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा गत्ते पर दर्शाए गए तीर के निशान के अनुसार प्राप्त होती है।
जब तार में धारा ऊपर की दिशा में प्रवाहित होती है, तो रेखाएँ वामावर्त दिशा में होती हैं। तार में धारा की दिशा यदि उल्टी कर दी जाती है, तो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी परिवर्तित (उल्टी) हो जाती है। यह मैक्सवेल का कॉर्क-स्क्रू नियम कहलाता है।
वास्तव में, लोहे का बुरादा चुम्बकीय बल रेखाओं को प्रदर्शित करता है।

किसी अत्यधिक लम्बाई के सीधे तार में I ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करने पर उससे दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B निम्न बातों पर निर्भर करता है

उपरोक्त सूत्र द्वारा ज्ञात होता है कि तार में जितनी धारा अधिक होगी, उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उतना ही प्रबल होगा और धारावाही तार से बिन्दु की दूरी जितनी अधिक होगी, उस बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उतना ही निर्बल होगा। धारावाही सीधे तार से जैसे-जैसे हम दूर जाते हैं, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को प्रदर्शित करने वाले उसके चारों ओर बने संकेन्द्रित वृत्त चुम्बकीय क्षेत्र की घटती हुई प्रबलता के रूप में बड़े होते जाते हैं।
प्रश्न 3. किसी चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर लगने वाले बल को बढ़ाने के लिए दो उपाय बताइए। इस प्रभाव पर कार्य करने वाले एक उपकरण का नाम बताइए। नामांकित चित्र की सहायता से फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम बताइए |
अथवा चुम्बकीय बल की दिशा ज्ञात करने के नियम का उल्लेख कीजिए ।
अथवा फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा, चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। जब उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र इस चालक के निकट रखे किसी चुम्बक पर बल आरोपित करता है, तब चुम्बक भी विद्युत धारावाही चालक पर परिमाण में समान तथा दिशा में विपरीत बल आरोपित करती है।

यदि किसी धारावाही चालक को एक बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रख दिया जाए, तो धारावाही चालक पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के कारण एक बल कार्य करने लगता है। इस बल की दिशा बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र तथा चालक में प्रवाहित धारा के लम्बवत् होती है।
प्रयोग उपरोक्त तथ्य को निम्न प्रयोग द्वारा प्रमाणित करते हैं। एक धारावाही पतले लचीले चालक तार AB को NS चुम्बक के ध्रुवों के मध्य इस प्रकार ढीला बाँध देते हैं कि तार AB चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् हो। अब यदि तार में बैटरी की सहायता से धारा प्रवाहित की जाए, तो तार ऊपर की ओर तन जाता है। जिससे स्पष्ट होता है कि धारावाही तार पर एक बल ऊपर की ओर लग रहा है।
यदि तार में प्रवाहित धारा की दिशा उलट दी जाए, तो तार नीचे की ओर तन जाता है अर्थात् अब तार पर बल नीचे की ओर लगता है।
अतः उपरोक्त प्रयोग यह सिद्ध करता है कि किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखे धारावाही चालक पर एक बल लगता है। इस बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम तथा दाएँ हाथ की हथेली के नियम द्वारा ज्ञात की जा सकती है।
इस नियम के अनुसार, यदि बाएँ हाथ के अँगूठे तथा उसके पास वाली दोनों अँगुलियों को इस प्रकार फैलाया जाए कि तीनों एक-दूसरे के लम्बवत् रहें, तब इस स्थिति में यदि प्रथम अँगुली चुम्बकीय क्षेत्र (B) की दिशा को तथा बीच वाली अँगुली प्रवाहित धारा (I) की दिशा को प्रदर्शित करे, तो अँगूठा चालक पर लगने वाले बल (F) की दिशा को प्रदर्शित करेगा ।

प्रश्न 4. घरेलू विद्युत परिपथ की व्यवस्था को चित्र बनाकर स्पष्ट रूप से समझाइए |
अथवा एक घर में मुख्य स्रोत से तीन तार A, B तथा C निकलते हैं। इनमें प्रत्येक तार का नाम, कार्य तथा उनके आवरण का रंग क्या होता है?
उत्तर घरेलू विद्युत परिपथ बिजली घर में उत्पन्न बिजली दो मोटे ताँबे या एल्युमीनियम तारों द्वारा हमारे घरों तक आती है। इनमें लाल आवरण का तार वैद्युतमय तार है, जो 220 वोल्ट तथा 50 हर्ट्ज आवृत्ति पर है तथा दूसरा तार उदासीन है, जो काले आवरण में शून्य विभव पर होता है।

ये तार वैद्युत मीटर से एक फ्यूज द्वारा जुड़े रहते हैं । यह फ्यूज, मुख्य फ्यूज कहलाता है। ये तार, घरों में वैद्युतमय तार से मुख्य स्विच द्वारा जोड़ दिए जाते हैं।
घरेलू विद्युत परिपथ के विभिन्न घटक तथा उनके कार्य
भू-योजन वैद्युत शॉक से बचने के लिए, धातु के आवरण युक्त उपकरणों का भू-योजन कर दिया जाता है। भू-योजन से तात्पर्य उसे शून्य विभव पर करना है। घर की वायरिंग में हरे रंग का तार उदासीन तार होता है। यह भू-योजन, वैद्युत शॉक से बचाता है।
लघुपथन जब लघुपथन होता है, तो धारा बढ़ जाती है तथा फ्यूज तार गल जाता है और परिपथ भंग हो जाता है। इससे वायरिंग को कोई क्षति नहीं पहुँचती है। अतिभारण जब अधिक पावर के अनेक वैद्युत उपकरणों को एकसाथ चलाया जाता है, तो वे परिपथ अधिक धारा लेते हैं। इस स्थिति में बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह आग उत्पन्न कर सकती है।
फ्यूज यह टिन तथा सीसे की मिश्रधातु का बना तार होता है जिसका गलनांक 200°C होता है। इसका उपयोग वायरिंग को अतिभारण तथा लघुपथन से बचाना होता है।
प्रश्न 5. (i) एक धारावाही वृत्ताकार लूप के कारण उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाओं का पैटर्न बनाइए ।
(ii) विद्युत चुम्बक क्या होता है? इसके दो उपयोग लिखिए।
(iii) विद्युत चुम्बक एक स्थायी चुम्बक से कैसे भिन्न होता है ?
उत्तर (i) वैद्युत धारावाही वृत्ताकार लूप के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
किसी धारावाही पाश के कारण चुम्बकीय बल रेखाएँ चित्र द्वारा दर्शाई गई हैं। धारावाही वृत्ताकार पाश के प्रत्येक बिन्दु पर बने इसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र को प्रदर्शित करते हैं। पाश के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र सीधी रेखाओं द्वारा प्रदर्शित हैं।
अतः किसी धारावाही वृत्ताकार कुण्डली द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र को निम्न प्रकार बढ़ाया जा सकता है

(I) फेरों की संख्या बढ़ाकर
(II) कुण्डली में धारा का मान बढ़ाकर
(ii) वैद्युत चुम्बक
परिनालिका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग किसी चुम्बकीय पदार्थ, जैसे- नर्म लोहे को परिनालिका के भीतर रखकर चुम्बक बनाने में किया जाता है। इस प्रकार बने चुम्बक को वैद्युत चुम्बक कहते हैं अर्थात् वैद्युत चुम्बक, वैद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव पर कार्य करती है तथा इस चुम्बकीय प्रभाव का अस्तित्व परिनालिका में बहने वाली धारा तक ही रहता है। वैद्युत चुम्बक बनाने के लिए कच्चे लोहे का उपयोग किया जाता है।
(iii) विद्युत चुम्बक तथा स्थायी चुम्बक में अंतर

प्रश्न 6. किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी वैद्युत धारावाही चालक पर बल के लिए सूत्र व्युत्पन्न कीजिए तथा विद्युत खतरों के कारण तथा बचाव बताइए ।
उत्तर चुम्बकीय क्षेत्र में किसी वैद्युत धारावाही चालक पर बल
जब किसी लम्बाई के वैद्युत धारावाही चालक को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के कारण धारावाही चालक पर बल लगता है, जो चालक को विस्थापित करता है।
अर्थात् चुम्बकीय बल, F = ilB sin θ
जहाँ, B = चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता, i = चालक में धारा, l = चालक की लम्बाई तथा θ = चालक की लम्बाई तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच का कोण है।
वैद्युत धारावाही चालक पर कार्यरत् बल, वैद्युत धारा की दिशा तथा चुम्बकीयक्षेत्र की दिशा पर निर्भर करता है।
यदि धारावाही चालक, बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर (θ = 0° ) रखा है, तो इस पर कोई बल नहीं लगता है। यदि धारावाही चालक, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् (θ = 90°) रखा है, तो इस पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कार्यरत् बल का मान अधिकतम होता है।
इस प्रकार, चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर कार्यरत् बल,
F = qvB sin θ
जहाँ, θ गतिमान आवेश की दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच का कोण है। विद्युत से खतरों के निम्नलिखित कारण होते हैं
(i) यदि उपकरणों से जुड़े तारों का सम्बन्ध ढीला होता है, तो तारों में आग लगने की संभावना रहती है।
(ii) यदि स्विच की संरचना में दोष हो तथा स्विच से तारों का सम्बन्ध दोषयुक्त होता है, तो स्विच में आग लग सकती है तथा विद्युत उपकरण के जलने की संभावना रहती है।
विद्युत खतरों से बचाव एवं आवश्यक सावधानियाँ निम्नलिखित हैं
(i) विद्युत परिपथ में प्रयुक्त तार उच्च कोटि का होना चाहिए तथा उसके ऊपर विद्युतरोधी पदार्थ का आवरण ठीक प्रकार से लगा होना चाहिए।
(ii) परिपथ में जुड़े सभी अवयवों के टर्मिनलों से संयोजक तार अच्छे प्रकार से संयोजित होने चाहिए।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1. 3.2 × 10-19 कूलॉम का आवेश 106 मी/से के वेग से 3 वेबर/मी2 तीव्रता वाले चुम्बकीय क्षेत्र में 60° के कोण पर प्रवेश करता है। आवेश पर लगने वाले बल की गणना कीजिए ।
हल बल, F = q v B sin θ = 32 × 10-19 × 106 × 3 × sin 60°
= 8.31 × 10-13 न्यूटन
प्रश्न 2. 1 मी लम्बाई के एक धारावाही चालक में 1 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। इसे 2 न्यूटन/ऐम्पियर-मी के चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। धारावाही चालक पर कार्यकारी बल की गणना कीजिए, यदि चालक क्षेत्र
(i) लम्बवत् है,
(ii) के समान्तर है तथा
(iii) की दिशा से 60° का कोण बना रहा हो।
हल धारावाही चालक की लम्बाई, l = 1 मी
धारावाही चालक में प्रवाहित धारा, i = 1 ऐम्पियर
चुम्बकीय क्षेत्र, B = 2 न्यूटन/ऐम्पियर-मी
कार्यरत् बल, F = Bil sin θ

प्रश्न 3. 2 मी लम्बे चालक में 10 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित है। यह 2 वेबर/मी2 के चुम्बकीय क्षेत्र में रखा है। चालक में लगने वाले चुम्बकीय बल का मान ज्ञात कीजिए। यदि धारावाही चालक चुम्बकीय क्षेत्र
(i) के समान्तर है,
(ii) के लम्बवत् है तथा
(iii) की दिशा से 45° का कोण बनाते हुए रखा जाता है।
हल दिया है, चालक की लम्बाई, l = 2 मी
चालक में धारा, i = 10 ऐम्पियर
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता, B = 2 वेबर/मी2
चालक पर बल, F = ?

प्रश्न 4. आपके घर के कुल वैद्युत उपकरणों की शक्ति 5 किलोवाट है। यदि आपके घर की वैद्युत आपूर्ति 200 वोल्ट है, तो आपके घर में मेन्स के फ्यूज तार की रेटिंग (धारा का अधिकतम मान ) क्या होनी चाहिए?
हल दिया है, शक्ति, P = 5 किलोवाट
विभवान्तर, V = 200 वोल्ट

अतः मेन्स के फ्यूज तार की रेटिंग 25 ऐम्पियर होनी चाहिए ।
प्रश्न 5. 0.9 मी2 क्षेत्रफल वाली तार की एक कुण्डली को 2 × 10-2 वेबर/मी’ के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स कितना होगा, यदि कुण्डली का तल
(i) चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश हो ?
(ii) चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् हो?
हल दिया है, कुण्डली का क्षेत्रफल, A = 0.9 मी2
चुम्बकीय क्षेत्र, B = 2 × 10-2 वेबर/मी2

