UP Board Class 10 Science Chapter 13 हमारा पर्यावरण
UP Board Class 10 Science Chapter 13 हमारा पर्यावरण
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 13 हमारा पर्यावरण
फास्ट ट्रैक रिवीज़न
जीवों के चारों ओर उपस्थित वह क्षेत्र, जो उन्हें घेरे रहता है तथा उसकी जैविक क्रियाओं पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालता है, पर्यावरण कहलाता है।
अपशिष्ट पदार्थों के प्रकार एवं हमारे पर्यावरण पर उनका प्रभाव
हम अपने दैनिक जीवन में अनेक अनुपयोगी या अवाँछित वस्तुओं का निष्कासन करते हैं, जिन्हें अपशिष्ट कहते हैं।
अपघटन के आधार पर अपशिष्ट दो प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं
1. जैवनिम्नीकृत अपशिष्ट
वे अपशिष्ट, जो वातावरण में कुछ समय बाद स्वतः ही ऊष्मा या सूक्ष्मजीवों की क्रियाओं द्वारा नष्ट या अपघटित हो जाते हैं, जैव-निम्नीकृत अपशिष्ट कहलाते हैं। उदाहरण फलों तथा सब्जियों के छिलके, मृत देह, मल, आदि।
2. अजैवनिम्नीकृत अपशिष्ट
वे अपशिष्ट जो अपघटन की क्रियाओं द्वारा विघटित होकर उपयोगी पदार्थ में परिवर्तित नहीं होते हैं उन्हें अजैवनिम्नीकृत अपशिष्ट कहते हैं; जैसे- काँच, प्लास्टिक, DDT, आदि।
पारितन्त्र
जीवों व पर्यावरण के मध्य होने वाले पारस्परिक सम्बन्धों से बने तन्त्र को पारितन्त्र या पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं। इकोसिस्टम (Ecosystem) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ए. जी. टेन्सले (AG Tansley) ने सन् 1935 में किया था।
पारिस्थितिक तन्त्र के घटक
पारिस्थितिक तन्त्र का निर्माण दो घटकों के मिलने से होता है; अजैविक घटक तथा जैविक घटक |
- जैविक घटक पारिस्थितिक तन्त्र के जैविक घटकों में सजीवों को सम्मिलित किया जाता है; जैसे- पादप, जन्तु, जीवाणु, आदि। पोषण के आधार पर जैविक घटकों को भी तीन भागों में बाँटा जा सकता है
- उत्पादक वे सभी जीव जो सूर्य के प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) द्वारा सरल अकार्बनिक पदार्थों जटिल कार्बनिक पदार्थ जैसे- शर्करा एवं मण्ड का निर्माण करते हैं, स्वपोषी या उत्पादक जीव कहलाते हैं।
इसके अन्तर्गत समस्त हरे पादप, प्रकाश-संश्लेषी जीवाणु तथा सायनोबैक्टीरिया आते हैं।
- उपभोक्ता ऐसे जीव जो स्वपोषी घटकों द्वारा निर्मित भोजन से अपने पोषण (Nutrition) की प्राप्ति करते हैं, क्योंकि वे स्वयं अपने लिए कार्बनिक पदार्थों का निर्माण नहीं कर सकते हैं, विषमपोषी या उपभोक्ता कहलाते हैं; जैसे- खरगोश, चूहा, मेंढक, शेर, मनुष्य, आदि ।
उपभोक्ताओं को मुख्यतया शाकाहारी, माँसाहारी, सर्वाहारी एवं परजीवी में बाँटा गया है।
- सूक्ष्म उपभोक्ता या मृतोपजीवी या अपघटक वे जीव, जो पादप व जंतुओं के मृत शरीर के जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में तोड़कर अपना भोजन प्राप्त करते हैं, अपघटक कहलाते हैं; जैसेजीवाणु (Bacteria), कवक (Fungi) (उदाहरण- एगेरिकस)
- उत्पादक वे सभी जीव जो सूर्य के प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) द्वारा सरल अकार्बनिक पदार्थों जटिल कार्बनिक पदार्थ जैसे- शर्करा एवं मण्ड का निर्माण करते हैं, स्वपोषी या उत्पादक जीव कहलाते हैं।
- अजैविक घटक इनमें सभी निर्जीव पदार्थ सम्मिलित हैं। ये पारितन्त्र में जीवों की विविधता एवं संख्या को प्रभावित करते हैं। ये निम्न प्रकार हैं
- प्रकाश (Light)
- तापमान (Temperature)
- जल ( Water )
- वायु (Wind)
खाद्य श्रृंखला
पारिस्थितिक तन्त्र में सभी जीव भोजन ग्रहण करने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं और एक श्रृंखला बनाते हैं। यह एकदिशीय एवं सरल अन्तर्सम्बन्ध श्रृंखला खाद्य श्रृंखला कहलाती है। यह जीवों के बारे में बताती है कि कौन, किसका भक्षण करता है।
खाद्य श्रृंखला में भोजन के रूप में ऊर्जा का प्रवाह विभिन्न पदों या स्तरों के द्वारा होता है। इन पदों या स्तरों को पोषक स्तर ( Trophic level) कहा जाता है। अतः खाद्य श्रृंखला के निम्न पोषक स्तर हैं
- किसी भी खाद्य श्रृंखला का प्रथम पोषी स्तर (First trophic level) उत्पादक या स्वपोषी पादप होते हैं।
- वे जीव जो अपना भोजन सीधे ही उत्पादकों या पादपों से प्राप्त करते हैं, प्राथमिक उपभोक्ता अथवा शाकाहारी (Herbivores) कहलाते हैं और खाद्य श्रृंखला में द्वितीय पोषी स्तर पर आते हैं; जैसे- खरगोश, बकरी, आदि।
- ऐसे जीव जो शाकाहारी जन्तुओं का शिकार करके अपने भोजन की प्राप्ति करते हैं, प्राथमिक स्तर के माँसाहारी (Primary carnivores) या द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता कहलाते हैं एवं तृतीय पोषी स्तर का निर्माण करते हैं; जैसे- मेंढक, लोमड़ी, सर्प, भेड़िया, आदि ।
- चतुर्थ पोषी स्तर के उपभोक्ताओं को द्वितीयक माँसाहारी (Secondary carnivores) या सर्वोच्च उपभोक्ता (Top consumers) भी कहते हैं; जैसे – मानव, शेर, भालू, आदि।
खाद्य जाल
जब अनेक प्रकार की खाद्य श्रृंखलाएँ आपस में जुड़ जाती हैं, तो पारितन्त्र में अन्तर्सम्बन्धों का स्वरूप एक जाल की भाँति दिखाई देता है, जिसे खाद्य जाल कहते हैं।
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा प्रवाह
पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश ही सभी जीवों के लिए ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है। सूर्य से प्राप्त प्रकाश के उपयोग की क्षमता केवल उत्पादकों में होती है। उत्पादक प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं, जिसे विषमपोषी जन्तु एवं अपघटक भोजन के रूप में प्राप्त करते हैं।
अतः पारिस्थितिक तन्त्र में एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में ऊर्जा का एकदिशीय स्थानान्तरण भोजन के रूप में होता है, जिसे ऊर्जा प्रवाह (Energy flow) कहते हैं।
- एक स्थलीय पारितन्त्र में हरे पादपों की पत्तियों द्वारा प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा का लगभग 1% भाग खाद्य ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
- लिण्डमान के 10% नियम के अनुसार, किसी पारितन्त्र में ऊर्जा का एक जीव या पोषी स्तर से दूसरे जीव या पोषी स्तर में केवल 10% भाग ही स्थानान्तरित होता है। तथा शेष 90% भाग जीवों द्वारा अपने स्वयं के विभिन्न क्रियाकलापों; जैसे-उत्सर्जन, श्वसन, आदि में व्यर्थ हो जाता है।
जैव आवर्धन
कृषि में पीड़कनाशी एवं हानिकारक रसायन; जैसे- DDT, BHC, आदि का अत्यधिक प्रयोग होता है। ये रसायन वर्षा जल के साथ बहकर मिट्टी एवं जल स्त्रोत में चले जाते हैं। ये अजैव निम्नीकृत पदार्थ मिट्टी एवं जल स्त्रोत से पारितन्त्र की खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं और प्रत्येक पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर बढ़ती मात्रा में संग्रहित होते जाते हैं। सर्वोच्च उपभोक्ता तक पहुँचने तक इनकी सान्द्रता कई 100 गुना बढ़ जाती है। यह घटना जैव आवर्धन या जैविक आवर्धन कहलाती है।
मानव का प्राकृतिक पर्यावरण पर प्रभाव
वर्तमान में प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन, औद्योगिक विकास, वनोन्मूलन, जनसंख्या वृद्धि, आदि मानवीय क्रियाकलाप पर्यावरण को बहुत अधिक प्रदूषित एवं असन्तुलित कर रहे हैं। इन मानवीय क्रियाकलापों के कारण उत्पन्न प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएँ निम्न हैं
ओजोन परत अपक्षय
वायुमण्डल में भू-सतह से लगभग 50 किमी ऊपर समतापमण्डल (Stratosphere) में ओजोन (O3) गैस का एक सघन स्तर पाया जाता है, जिसे ओजोन परत (Ozone layer) कहते हैं। यह गैसीय परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी (Ultraviolet or UV) किरणों को अन्तरिक्ष में अवशोषित एवं परावर्तित कर जैवमण्डल की सुरक्षा करती है। ये UV विकिरण मानव में त्वचा का कैंसर उत्पन्न करती हैं।
समतापमण्डल में सन् 1980 से प्राण रक्षक ओजोन की परत पतली होती जा रही है, जिसे ओजोन छिद्र (Ozone hole) कहते हैं। इसका मुख्य कारण मानव द्वारा CFCs (Chlorofluorocarbons) का अत्यधिक उपयोग है।
ठोस अपशिष्ट तथा इसका प्रबन्धन
ठोस अपशिष्टों के कारण जल तथा भूमि प्रदूषण होता है तथा अनेक संक्रामक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इस कारण इनका उचित निस्तारण आवश्यक है। वर्तमान में ठोस अपशिष्ट के नियन्त्रण के लिए 3R (Reduce, Reuse and Recycling) अर्थात् अपशिष्ट के उत्पादन में कमी लाना, पुरानी वस्तुओं को पुनः उपयोग करना तथा पुनःचक्रण तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। .
ठोस अपशिष्ट निस्तारण की विधियाँ
ठोस अपशिष्टों के निस्तारण हेतु प्रयुक्त प्रमुख विधियाँ निम्न हैं।
- पुन:चक्रण (Recycling) इसके अंतर्गत पुनः उपयोग में आ सकने वाले अपशिष्टों का अन्य पदार्थों के कच्चे माल के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण- लकड़ी, लोहा एवं अन्य धातुएँ, कागज, रबर, आदि।
- कम्पोस्टिंग (Composting) इसके अंतर्गत असंक्रामक जैवनिम्नीकृत अपशिष्टों; जैसे- घरेलू कचरा, चमड़ा, पादप अपशिष्ट, आदि का उपयोग भूमि में दबाकर खाद निर्माण में किया जाता है।
- जैव-गैस उत्पादन (Biogas production) कुछ जगहों पर खाद एवं जैवगैस निर्माण हेतु वाहित मल एवं अन्य जैवनिम्नीकृत अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-से समूहों में केवल जैवनिम्नीकरणीय पदार्थ नहीं हैं?
(a) घास, पुष्प एवं चमड़ा
(b) घास, लकड़ी एवं प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास
उत्तर (b) प्लास्टिक अजैवनिम्नीकृत पदार्थ है।
प्रश्न 2. ‘Ecosystem’ शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किसने किया?
(a) डार्विन
(b) लिण्डमेन
(c) ए. जी. टेन्सले
(d) लैमार्क
उत्तर (c) ए. जी. टेन्सले ने
प्रश्न 3. प्राकृतिक पारितन्त्र है
(a) गमले
(b) जल जीवशाला
(c) खेत
(d) वन
उत्तर (d) वन
प्रश्न 4. पारिस्थितिक तन्त्र के दो घटक हैं
(a) पादप एवं जन्तु
(b) घास एवं वृक्ष
(c) जीवीय एवं अजीवीय
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर (c) जीवीय (Biotic) तथा अजीवीय (Abiotic) घटक
प्रश्न 5. पारिस्थितिक तन्त्र में निरन्तर किसकी आवश्यकता होती है?
(a) जल की
(b) वायु की
(c) ऊर्जा की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (c) ऊर्जा की
प्रश्न 6. पारिस्थितिक तन्त्र में सौर ऊर्जा का उपयोग कौन करते हैं?
(a) उत्पादक
(b) उपभोक्ता
(c) अपघटनकर्ता
(d) ये सभी
उत्तर (a) उत्पादक
प्रश्न 7. निम्न में से कौन एक पारितन्त्र में उत्पादक का उदाहरण है?
(a) शेर
(b) हिरण
(c) हरे पौधे
(d) वर्षा
उत्तर (c) हरे पौधे
प्रश्न 8. प्राकृतिक पारिस्थितिक तन्त्र के अपघटकों में सम्मिलित हैं
(a) केवल जीवाणु और कवक
(b) केवल सूक्ष्म प्राणी
(c) ऊपर निर्दिष्ट दो प्रकार के जीवधारी और स्थूल प्राणी
(d) ऊपर निर्दिष्ट केवल दो प्रकार के जीवधारी
उत्तर (a) जीवाणु और कवक
प्रश्न 9. आहार श्रृंखला में उत्पादक होते हैं
(a) चूहा
(b) बिल्ली
(c) खरगोश
(d) हरे पौधे एवं नील हरित शैवाल
उत्तर (d) हरे पौधे एवं नील हरित शैवाल
प्रश्न 10. पादप कितने प्रतिशत सौर ऊर्जा को खाद्य ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं?
(a) 10%
(b) 0.1%
(c) 70%
(d) 1%
उत्तर (d) 1%
प्रश्न 11. एक आहार श्रृंखला में, तीसरे पोषी स्तर पर हमेशा कौन होता है?
(a) माँसाहारी प्राणी
(b) शाकाहारी प्राणी
(c) अपघटक
(d) उत्पादक
उत्तर (a) माँसाहारी प्राणी
प्रश्न 12. निम्नलिखित में से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं?
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा मानव
(d) घास, मछली तथा बकरी
उत्तर (b) घास, बकरी तथा मानव।
प्रश्न 13. निचले स्तर से ऊँचे स्तर पर ऊर्जा का प्रवाह क्रम घटता जाता है, इसे समझाया जा सकता है
(a) ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम द्वारा
(b) ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम द्वारा
(c) न्यूटन के नियम द्वारा
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर (b) ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम द्वारा
प्रश्न 14, ‘दस प्रतिशत का नियम’ देने वाले वैज्ञानिक हैं
(a) ओडम
(b) लिण्डमान
(c) टेन्सले
(d) हेकल
उत्तर (b) लिण्डमान
प्रश्न 15 पारितन्त्र में कितने प्रतिशत ऊर्जा एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में प्रवाह करती है?
(a) 1%
(b) 100%
(c) 10%
(d) 0.1%
उत्तर (c) 10%
प्रश्न 16, एक पोषी स्तर पर उपलब्ध कार्बनिक पदार्थों की कितनी मात्रा अगले पोषी स्तर तक पहुँचती है?
(a) 0%
(b) 10%
(c) 50%
(d) 100%
उत्तर (b) 10%
प्रश्न 17. पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह होता है
(a) एकदिशीय
(b) द्विदिशीय
(c) बहुदिशीय
(d) चक्रीय
उत्तर (a) एकदिशीय
प्रश्न 18. प्रदूषित वातावरण में, सबसे अधिक प्रदूषक पाए जाते हैं
(a) प्राथमिक उत्पादकों में
(b) तृतीयक उपभोक्ताओं में
(c) द्वितीयक उपभोक्ताओं में
(d) प्राथमिक उपभोक्ताओं में
उत्तर (b) तृतीयक उपभोक्ताओं में
प्रश्न 19. हानिकारक ओजोन पाई जाती है
(a) समतापमण्डल में
(b) मध्यमण्डल में
(c) क्षोभमण्डल में
(d) आयनमण्डल में
उत्तर (c) श्रोभमण्डल में
प्रश्न 20. वायुमण्डल की ओजोन परत पृथ्वी को बचाती है।
(a) एक्स-किरणों से
(b) पराबैंगनी (UV) किरणों से
(c) गामा किरणों से
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर (b) पराबैंगनी (UV) किरणों से
प्रश्न 21. ओजोन परत का क्षरण निम्न में से किसके कारण होता है?
अथवा निम्नलिखित में से कौन ओजोन परत क्षरण के लिए जिम्मेदार मुख्य पदार्थ है?
(a) ऑक्सीजन
(b) वाष्प
(c) सल्फर डाइऑक्साइड
(d) क्लोरोफ्लोरोकार्बन
उत्तर (d) क्लोरोफ्लोरोकार्बन
प्रश्न 22. सामान्य प्रशीतन कारक क्लोरोफ्लोरोकार्बन, फ्रिऑन एवं NO2 गम्भीर प्रदूषक हैं, क्योंकि ये
(a) वर्षा को रोक देते हैं
(b) हीमोग्लोबिन को नष्ट करते हैं।
(c) वायुमण्डलीय O3 परत को क्षति पहुँचाते हैं
(d) वायुमण्डलीय तापमान घटा देते हैं।
उत्तर (c) वायुमण्डलीय O3 परत को क्षति पहुँचाते हैं।
प्रश्न 23. ओजोन परत पतली या नष्ट हुई है।
(a) ऑस्ट्रेलिया में
(b) यूरोप में
(c) अण्टार्कटिका में
(d) जापान में
उत्तर (c) अण्टार्कटिका में
प्रश्न 24. भविष्य में त्वचा रोग किस कारण बढ़ेंगे?
(a) जल प्रदूषण से
(b) वायु प्रदूषण से
(c) हाइड्रोकार्बन से
(d) ओजोन परत की क्षति से
उत्तर (d) ओजोन परत की क्षति से
प्रश्न 25. घरों के कचरों में होता है
(a) अजैव-निम्नीकरणीय प्रदूषक
(b) जैव-निम्नीकरणीय प्रदूषक
(c) हाइड्रोकार्बन्स
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (b) जैव-निम्नीकरणीय प्रदूषक
प्रश्न 26. निम्न में से कौन-सा/से पर्यावरण मित्र व्यवहार कहलाता/कहलाते है/हैं?
(a) बाजार जाते समय खरीदे गए सामान को रखने के लिए कपड़े का थैला ले जाना
(b) अनावश्यक ऊर्जा खर्च बचाने के लिए लाइटों तथा पंखों का स्विच बन्द करना
(c) वाहन के बजाय विद्यालय तक पैदल जाना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर (d) उपर्युक्त सभी
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न-I
प्रश्न 1. ऐसे दो तरीके बताइए, जिनसे जैव-निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर ऐसे दो तरीके जिनसे जैव-निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं, निम्न हैं
(i) जैव-निम्नीकरणीय पदार्थ; जैसे- घास, फलों के छिलके, आदि से पर्यावरण दूषित होता है। ये पदार्थ एक जगह पर अधिक मात्रा में एकत्रित होने पर उसी स्थान पर पड़े-पड़े सड़ते हैं, जिससे वहाँ का वातावरण दूषित हो जाता है।
(ii) कुल्हड़, कागज, सूती कपड़ा, आदि के प्रयोग से मुहल्ले, सड़कों के आस-पास की नालियों का पानी रुक या एकत्रित हो जाता है, जिस कारण मक्खी, मच्छर उत्पन्न हो जाते हैं तथा अनेक बीमारियों के फैलने का डर रहता है।
प्रश्न 2. अजैवनिम्नीकृत अपशिष्ट क्या है? निम्न में से जैवनिम्नीकृत अपशिष्टों की पहचान कीजिए। चिप्स के खाली पैकेट, मिनरल वाटर की खाली बोतल, मिठाइयों का खाली कागज का डिब्बा, कोल्ड ड्रिंक की खाली कैन ।
उत्तर वे अपशिष्ट या पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों की जैविक क्रिया द्वारा अपघटित नहीं होते हैं, अजैवनिम्नीकृत अपशिष्ट कहलाते हैं। उपरोक्त में से केवल मिठाई का खाली कागज का डिब्बा जैवनिम्नीकृत अपशिष्ट है।
प्रश्न 3. किन्हीं दो अजैव-निम्नीकरणीय अपशिष्टों के नाम लिखिए।
उत्तर (i) प्लास्टिक (ii) काँच की वस्तुएँ।
प्रश्न 4. ऐसे दो तरीके बताइए, जिनसे अजैव-निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर दो तरीके जिनसे अजैव- निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं, निम्न हैं
(i) ये पर्यावरण को लंबे समय तक विषैला तथा जीवित रहने के लिए अनुपयोगी बनाते हैं।
(ii) ये पारितन्त्र के घटकों के संगठन को स्थायी रूप से या दीर्घकाल के लिए प्रभावित कर जीवों में रोगों या विकारों का कारण बन सकते हैं।
प्रश्न 5 पारितन्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर एक ही वातावरण में रहने वाले जीव एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं तथा स्वयं भी प्रभावित होते हैं। ये जीव दूसरे जीवों के अलावा पर्यावरण से भी प्रभावित होते हैं व इस कारण वातावरण भी जीव के साथ प्रतिक्रियाएँ करता है। जीवों व पर्यावरण के मध्य होने वाले पारस्परिक सम्बन्धों से बने तन्त्र को ही पारितन्त्र या पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं। ऑडम (Odum) के अनुसार, पारितन्त्र, पारिस्थितिकी (Ecology) की मूल इकाई है, जिसके अन्तर्गत जैविक समुदाय व अजैविक पर्यावरण दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। यह जीवमण्डल की संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई होती है।
प्रश्न 6. हरे पादपों को उत्पादक क्यों कहते हैं?
उत्तर हरे पादपों को उत्पादक इसलिए कहते हैं क्योंकि वे प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा सूर्य के प्रकाश से स्वयं के लिए भोजन (कार्बोहाइड्रेट) का उत्पादन करते हैं। अर्थात् सौर (प्रकाश) ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित करके भोजन के रूप में जैव-भार का उत्पादन करते हैं, जो पारितन्त्र के अन्य सभी जीवों के लिए भोजन ऊर्जा का स्रोत होता है।
प्रश्न 7. एक खाद्य श्रृंखला में किस पोषी स्तर पर जीवों की संख्या सबसे अधिक होती है?
उत्तर खाद्य – श्रृंखला में प्रायः प्रथम पोषी स्तर अर्थात् उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक होती है।
प्रश्न 8. मेंढक, घास, कीट और साँप की किसी आहार श्रृंखला में मेंढक का पोषी स्तर निर्धारित कीजिए ।
उत्तर घास → कीट → मेंढक → सर्प
अत: मेंढक इस आहार श्रृंखला के तीसरे पोषी स्तर का जीव है।
प्रश्न 9. एक खाद्य श्रृंखला में मनुष्य द्वारा कौन-सा पोषी स्तर ग्रहण होता है?
उत्तर खाद्य-श्रृंखला में मनुष्य सर्वोच्च पोषी स्तर पर पाया जाता है, क्योंकि प्रायः मनुष्य को कोई और जन्तु नहीं खाता है।
प्रश्न 10. यदि किसी घास के मैदान से सभी शाकाहारियों को हटा दिया जाए, तो होने वाला परिणाम लिखिए।
उत्तर यदि घास के मैदान से सभी शाकाहारी हटा दिए जाए, तो उन पर भोजन के लिए आश्रित माँसाहारी भी जीवित नहीं रह पाएँगे और स्वपोषियों (पादपों) की संख्या में तीव्र वृद्धि होगी, जिससे पारितन्त्र असन्तुलित होगा ।
प्रश्न 11. सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली कुल ऊर्जा में से हरे पादपों द्वारा अवशोषित मात्रा बताइए तथा इसमें से कितने प्रतिशत ऊर्जा प्रथम पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर में स्थानान्तरित होती है?
उत्तर सूर्य व ल ऊर्जा का केवल 1% भाग पादपों द्वारा अवशोषित होता है तथा अगले पोषी स्तर में इसका केवल 10% अर्थात् 0.1% ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है।
प्रश्न 12. शेर, घास एवं हिरण युक्त खाद्य श्रृंखला में कौन
(i) सर्वाधिक मात्रा में ऊर्जा का स्थानान्तरण करता है?
(ii) न्यूनतम मात्रा में ऊर्जा प्राप्त करता है?
उत्तर (i) घास (ii) शेर ।
प्रश्न 13. निम्न खाद्य श्रृंखला में बाज को 20 J ऊर्जा प्राप्त होती है। पादपों में कितनी मात्रा में ऊर्जा उपस्थित होगी?
पादप → चूहे → साँप → बाज
उत्तर लिण्डमान के 10% नियमानुसार पिछले पोषी स्तर में 10 गुना अधिक ऊर्जा होगी,
पादप में 20000 J ऊर्जा होगी।
प्रश्न 14. जैव- आवर्धन पद को परिभाषित कीजिए।
उत्तर खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक पोषी स्तर पर जीवित जीवों के शरीर में कीटनाशियों जैसे- अजैवनिम्नीकृत हानिकारक रासायनिक पदार्थों की सान्द्रता में क्रमिक वृद्धि जैव- आवर्धन कहलाती है।
प्रश्न 15. निम्न में से उस जीव को पहचानिए, जिसके शरीर में पीड़कनाशी की सान्द्रता सबसे अधिक होगी- घास, टिड्डा, मेंढक, साँप, बाज ।
उत्तर हानिकारक तत्वों (पीड़कनाशी) की सान्द्रता खाद्य श्रृंखला के निचले स्तर में नगण्य होती है, किन्तु जैव-आवर्धन के कारण सर्वोच्च उपभोक्ता तक पहुँचने पर इनकी सान्द्रता कई 100 गुना बढ़ जाती है, जो उस जीव के लिए हानिकारक होती है। दी गई खाद्य श्रृंखला में से बाज सर्वोच्च उपभोक्ता है, जिसमें पीड़कनाशी की सान्द्रता अधिक होगी।
प्रश्न 16. उस रासायनिक यौगिक का नाम लिखिए, जो ओजोन परत का क्षय करता है।
उत्तर प्रशीतलक के रूप में प्रयुक्त क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स (CFC) द्वारा मुक्त क्लोरीन के परमाणुओं द्वारा ओजोन परत का क्षय होता है।
प्रश्न 17. अग्निशमन यन्त्रों में कौन-से रसायन प्रयुक्त किए जाते हैं? यह किस प्रकार हानिकारक है?
उत्तर अग्निशमन यन्त्रों में CO2 एवं CFCs (क्लोरोफ्लोरोकार्बन) का उपयोग किया जाता है, जो क्रमश: वैश्विक ऊष्णता एवं ओजोन परत के अपक्षय का कारण होते हैं। ओजोन अपक्षय के कारण सूर्य की हानिकारक UV-किरणें पृथ्वी पर आकर जीवों को प्रभावित करती हैं तथा मानव में उत्परिवर्तन मोतियाबिन्द व त्वचा का कैंसर उत्पन्न करती है।
प्रश्न 18. जैव- निम्नीकरणीय तथा अजैव-निम्नीकरणीय अपशिष्टों को दो पृथक् कूड़ेदानों में क्यों फेकना चाहिए?
उत्तर ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि अजैव-निम्नीकरणीय अपशिष्टों का पुनः चक्रण करके उन्हें पुनः प्राप्त किया जा सकता है तथा जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्टों से जैव-गैस तथा खाद का उत्पादन कर सकते हैं।
प्रश्न 19. अजैवनिम्नीकृत अपशिष्टों के सुरक्षित निस्तारण की दो विधियाँ बताइए ।
उत्तर ठोस अपशिष्टों के निस्तारण हेतु प्रयुक्त दो विधियाँ निम्न हैं
- पुनःचक्रण इसके अन्तर्गत पुनः उपयोग में आ सकने वाले अपशिष्टों का अन्य पदार्थों के निर्माण में कच्चे माल की तरह उपयोग किया जाता है। उदाहरण – लकड़ी, लोहा एवं अन्य धातुएँ, कागज, रबर, आदि।
- कम्पोस्टिंग इसके अन्तर्गत असंक्रामक जैवनिम्नीकृत अपशिष्टों; जैसे – घरेलू कचरा, चमड़ा, पादप अपशिष्ट, आदि का उपयोग भूमि में दबाकर खाद निर्माण में किया जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न-II
प्रश्न 1. जैव- निम्नीकरणीय और गैर- जैवनिम्नीकरणीय पदार्थों के बीच अन्तर बताइए। इनके उदाहरण दीजिए ।
उत्तर जैव- निम्नीकृत पदार्थ तथा गैर- जैवनिम्नीकृत पदार्थ में निम्नलिखित अन्तर हैं
| जैव-निम्नीकृत पदार्थ | गैर-जैवनिम्नीकृत पदार्थ | |
| 1. | ये पदार्थ, वातावरण में कुछ समय बाद स्वतः ही ऊष्मा या सूक्ष्मजीवों की क्रियाओं द्वारा नष्ट या अपघटित हो जाते हैं। | ये अपशिष्ट सूक्ष्मजीवों, विकिरण, ऑक्सीकरण या रासायनिक अपघटन की प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा विघटित होकर उपयोगी पदार्थ के रूप में परिवर्तित नहीं होते हैं। |
| 2. | ये पुनः स्रोत में परिवर्तित हो सकते हैं। | ये पुनः स्रोत में परिवर्तित नहीं होते हैं। |
| 3. | पर्यावरण हेतु कम या नगण्य हानिकारक होते हैं। | पर्यावरण हेतु अपेक्षाकृत अधिक विषाक्त होते हैं। |
| 4. | उदाहरण- कार्बनिक कचरा (जैसे- जूट, फलों तथा सब्जियों के छिलके, मृत देह, मल, आदि), वाहित मल इत्यादि । | उदाहरण- काँच, प्लास्टिक, BHC, अपमार्जक, DDT, इत्यादि । |
प्रश्न 2. किन्हीं दो कारणों द्वारा बताइए कि अपघटकों की उपस्थिति पारितन्त्र के लिए आवश्यक है।
अथवा पारितन्त्र में अपघटकों की क्या भूमिका है?
अथवा पर्यावरण में अपघटकों की भूमिका की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर अपघटक विशेष प्रकार के उपभोक्ता (मृतोपजीवी) हैं। ये मृत पादपों और जन्तुओं में उपस्थित जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में विघटित कर पोषण प्राप्त करते हैं और अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड, आदि को मुक्त करते हैं। वे इन पदार्थों को पादपों द्वारा पुनः उपयोग करने के लिए मिट्टी, जल और वायु मुक्त करते हैं। इस प्रकार, ये पर्यावरण में पोषक तत्वों को पुन: चक्रण तथा वातावरण को स्वच्छ रखने में सहायता करते हैं।
प्रश्न 3. पारितन्त्र में जैविक एवं अजैविक घटक एक-दूसरे पर किस प्रकार आश्रित हैं?
उत्तर पारितन्त्र में जीवों की वृद्धि, पोषण, अनुकूलन, विकास, आदि विभिन्न भौतिक या अजैविक कारकों; जैसे-तापमान, वर्षा, प्रकाश, वायु गैसों (O), मृदा, आदि द्वारा प्रभावित होते हैं। इसी प्रकार, जीवों की मृत्यु, पोषण, आदि पारितन्त्र में पोषक तत्वों एवं ऊर्जा के प्रवाह को निर्धारित करते हैं। अत: जैविक एवं अजैविक घटक एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं।
प्रश्न 4. हम तालाबों या झीलों को साफ नहीं करते हैं, लेकिन एक मछलीघर को साफ किया जाता है? क्यों?
उत्तर तालाब और झील प्राकृतिक पारितन्त्र है, जिसमें सभी जीवों के लिए जटिल आहार श्रृंखलाएँ या खाद्य जाल उपलब्ध होता है। प्राकृतिक पारितन्त्र की साफ-सफाई या पोषक तत्वों का चक्रण प्राकृतिक तरीके से होता रहता है। यदि यहाँ किसी जीव की मृत्यु होती है, तो अपघटकों द्वारा उनका शरीर सरल पदार्थों में विघटित कर दिया जाता है। कृत्रिम पारितन्त्र, जैसे- मछलीघर में प्राय: अपघटक उपस्थित नहीं होते हैं। यहाँ एक मछली की मृत्यु हो जाए, तो उसका शरीर सड़ जाता है। इससे मछलीघर का जल प्रदूषित हो जाता है। इस प्रकार एक मछलीघर को नियमित रूप से सफाई की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 5. क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें ( मार डालें ) ?
उत्तर यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें या मार डालें, तो इससे पूरी आहार श्रृंखला अव्यवस्थित हो जाएगी, क्योंकि कोई भी आहार श्रृंखला तीन या चार पोषी स्तरों की बनी होती है, जिसमें प्रथम पोषी स्तर के जीव, द्वितीय पोषी स्तर के जीवों के लिए आहार का कार्य करते हैं। यदि किसी भी पोषी स्तर के जीवों को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया जाएगा, तो अगले पोषी स्तर के जीव अपना आहार नहीं प्राप्त कर पाएँगे। इसके कारण आहार श्रृंखला टूट जाएगी एवं पारितन्त्र असन्तुलित हो जाएगा, जिसका पेड़-पादपों, जीव-जन्तुओं और मनुष्यों पर गहरा विपरित प्रभाव पड़ेगा।
प्रश्न 6. नीचे दिए खाद्य जाल के चित्र को देखकर निम्न प्रश्नों के उत्तर दें।

(i) खाद्य जाल में प्राथमिक उपभोक्ताओं की पहचान कीजिए।
(ii) यदि सभी लोमड़ियाँ किसी बीमारी के कारण मर जाती हैं, तो खाद्य जाल के साथ क्या होगा?
उत्तर (i) वे जीव, जो उत्पादकों (बीज, तरूण पादप एवं घास) से भोजन प्राप्त करते हैं, प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं; उदाहरण- चूहा व खरगोश |
(ii) लोमड़ियों (माँसाहारी उपभोक्ता) के मर जाने के कारण चूहों एवं खरगोशों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी, जो कि भोजन के लिए सभी उत्पादकों (बीज़, तरूण पादप एवं घास) को खा जाएंगे। इससे पारितन्त्र असन्तुलित हो जाएगा।
प्रश्न 7. खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल में दो अन्तर दीजिए ।
उत्तर खाद्य श्रृंखला एवं खाद्य जाल में निम्नलिखित अन्तर हैं
| खाद्य श्रृंखला | खाद्य जाल |
| खाद्य श्रृंखला सरल रेखीय होती है। | खाद्य जाल अनेक सरल खाद्य श्रृंखलाओं का जटिल शाखित तन्त्र होता है। |
| प्रत्येक जीव उच्च पोषी स्तर के एक ही जीव द्वारा खाया जाता है। | प्रत्येक जीव दो या अधिक प्रकार के जीवों द्वारा खाया जाता है, जो स्वयं अनेक प्रकार के जीवों का खाद्य बनाता है। |
प्रश्न 8. ऊर्जा स्थानान्तरण का 10% नियम क्या है?
अथवा ऊर्जा का स्तर एक पोषी स्तर से अगले उच्च पोषी स्तर में घटता है। इसका कारण बताइए ।
उत्तर ऊर्जा स्थानान्तरण के 10% नियमानुसार पारितन्त्र में खाद्य श्रृंखला में एक पोषक स्तर से अगले पोषक स्तर में केवल 10% ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है, शेष 90% ऊर्जा श्वसन, उपापचय, जैसे जैविक प्रक्रमों में व्यय हो जाती है। इस नियम का प्रतिपादन लिण्डमान ने किया था । अतः उत्पादक स्तर से उच्च पोषी स्तर पर जाने वाली ऊर्जा की मात्रा क्रमिक रूप से कम होती जाती है, क्योंकि प्रत्येक पोषी स्तर पर ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा (90%) जीवों के रख-रखाव के लिए उपयोग किया जाता है और ऊष्मा के रूप में हासित होता है।
अतः पारितन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह खाद्य श्रृंखला के रूप में एकदिशीय होता है।
प्रश्न 9. जैविक आवर्धन क्या है? क्या पारितन्त्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
उत्तर कुछ हानिकारक रासायनिक पदार्थों की मात्रात्मक सान्द्रता खाद्य श्रृंखला के उत्तरोत्तर पोषक स्तरों पर क्रमिक रूप से बढ़ते हुए अन्तिम पोषक स्तर में अत्यधिक हो जाती है, यह प्रक्रम जैविक आवर्धन कहलाता है । पारितन्त्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भिन्न-भिन्न होगा, क्योंकि ये अजैवनिम्नीकृत पदार्थ जिस भी पोषी स्तर द्वारा ग्रहण किए जाते हैं, उससे आगे के पोषी स्तर पर पिछले स्तर की तुलना में कई गुना अधिक मात्रा में संचित हो जाते हैं। अतः इसके कारण पूरे पारितन्त्र में विभिन्न पोषक स्तरों पर इसका प्रभाव असमान होता है। तथा सर्वोच्च उपभोक्ता प्रभावित होता है।
प्रश्न 10. कीटनाशक DDT के प्रयोग को हतोत्साहित किया जा रहा है, क्योंकि यह मानव शरीर में पाया गया है। किस प्रकार यह रसायन शरीर के अन्दर प्रवेश करता है?
उत्तर DDT अजैव- निम्नीकरणीय कीटनाशक होता है तथा लंबे समय तक पर्यावरण एवं मृदा में विषाक्तता को बनाए रखता है। यह मृदा जल में घुलित होकर वनस्पतियों द्वारा अवशोषित किया जाता है तथा पशुओं द्वारा वनस्पतियों का उपयोग करने पर ये पशुओं में प्रवेश करता है। इसी प्रकार यह जलाशयों में पहुँचकर मछलियों के शरीर में एकत्रित हो जाता है। इन वनस्पतियों, पशुओं या मछलियों का भोजन के रूप में उपयोग करने पर DDT जैव- आवर्धन द्वारा मानव शरीर में प्रवेश कर संचित हो जाता है।
प्रश्न 11. ओजोन परत क्या है? पृथ्वी के लिए इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए |
अथवा ओजोन परत क्या है तथा यह किसी पारितन्त्र को किस प्रकार प्रभावित करता है?
अथवा ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन का क्या कार्य है?
अथवा ओजोन परत पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा ओजोन परत हमारे लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर वायुमण्डल में भू-सतह से लगभग 50 किमी ऊपर समतापमण्डल (Stratosphere) में ओजोन (O3) गैस का एक सघन स्तर पाया जाता है, जिसे ओजोन परत (Ozone layer) कहते हैं। ओजोन (O3) के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं । समतापमण्डल में पराबैंगनी (UV) विकिरण के प्रभाव से ऑक्सीजन (O2) से ओजोन (O3) बनती है। उच्च ऊर्जा वाले पराबैंगनी विकिरण ऑक्सीजन अणुओं को विघटित कर स्वतन्त्र ऑक्सीजन परमाणु (O) बनाते हैं। O2 इस स्वतन्त्र परमाणु से संयुक्त होकर ओजोन बनाते हैं
ओजोन सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है। मनुष्य में इन किरणों के कारण उत्परिवर्तन, मोतियाबिन्द त्वचा सम्बन्धी रोग या त्वचा का कैंसर, आदि बीमारियाँ होने लगी हैं। इसी तरह पेड़-पादप तथा पूरे पारितन्त्र में रहने वाले अन्य जीव-जन्तुओं पर ओजोन की परत के अपक्षय होने के अनेक हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं।
प्रश्न 12. ओजोन परत का अपक्षय हम सबके लिए चिंता का कारण क्यों है? ओजोन परत के अपक्षय को सीमित करने के लिए कौन-कौन से दो कदम उठाए जा सकते हैं।
उत्तर ओजोन परत का अपक्षय चिंता का कारण इसलिए है, क्योंकि
(i) इसके अपक्षय से पराबैंगनी विकिरण सीधे पृथ्वी की सतह पर पहुँचेगी, जिससे जैवमण्डल दुष्प्रभावित होगा ।
(ii) शक्तिशाली पराबैंगनी किरणों से ‘त्वचा कैंसर’ हो सकता है।
(iii) इससे उत्परिवर्तन एवं मोतियाबिंद भी हो सकता है।
ओजोन परत के अपक्षय से होने वाले नुकसान को सीमित करने के दो उपाय निम्न हैं
(i) क्लोरोफ्लोरोकार्बन के प्रयोग को प्रतिबन्धित करना, क्योंकि ये ओजोन परत का अपक्षय करते हैं।
(ii) हैलोजनीकृत हाइड्रोकार्बन वाले अग्निशामक यन्त्रों का प्रयोग बन्द करना, क्योंकि यह ओजोन परत का तेजी से अपक्षय करने वाला पदार्थ है।
प्रश्न 13. अपशिष्ट का अनुचित निस्तारण पर्यावरण के लिए अभिशाप क्यों है?
उत्तर अपशिष्ट का अनुचित निस्तारण पर्यावरण के लिए अभिशाप है, क्योंकि
(i) ये अपशिष्ट जल एवं भूमि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
(ii) ये अपशिष्ट जलाने पर वायु प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
(iii) ये अपशिष्ट भूगर्भ के जल एवं जल स्रोतों को भी प्रदूषित करते हैं।
(iv) ये अपशिष्ट विभिन्न रोगजनकों को आश्रय प्रदान कर रोगों के संचरण में सहायक होते हैं।
प्रश्न 14. प्लास्टिक बैग के उपयोग के पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव लिखिए | इसके विकल्प भी बताइए ।
उत्तर प्लास्टिक बैग अजैवनिम्नीकृत होने के कारण जलाने पर वायु को एवं सामान्य रूप में जल तथा भूमि को प्रदूषित करता है। प्लास्टिक की थैलियों के दो विकल्प हैं
(i) लोग बाजार से सामान लाने के लिए अपने घरों से कपड़े के थैले लेकर जाएँ।
(ii) पॉलिथीन की थैलियों के बदले पेपर की थैलियों का उपयोग भी करना चाहिए ।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. पारितन्त्र या पारिस्थितिक तन्त्र को परिभाषित कीजिए एवं इसके विभिन्न जैविक घटकों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर ‘पारिस्थितिक तन्त्र’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ए. जी. टैन्सले (1935) ने किया। उनके अनुसार, ‘पारिस्थितिक तन्त्र वह तन्त्र है, जो वातावरण के जैविक तथा अजैविक कारकों के परस्पर सम्बन्धों तथा प्रक्रियाओं द्वारा व्यक्त होता है। पारिस्थितिक तन्त्र प्रकृति की एक क्रियात्मक इकाई है।
पारिस्थितिक तन्त्र की संरचना
पारिस्थितिक तन्त्र दो घटकों से मिलकर बना होता है-जैविक एवं अजैविक ।
जैविक घटक
यह जीवित जन्तुओं, पादपों तथा सूक्ष्मजीवों द्वारा बना होता है। इसके प्रमुख भाग निम्न हैं
- उत्पादक (Producers) हरे पादप, जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, उत्पादक कहलाते हैं। इस क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। हरे पादप सूर्य के प्रकाश, CO2 तथा जल को लेकर पर्णहरिम द्वारा ग्लूकोस बनाते हैं तथा O2 वातावरण में मुक्त करते हैं; उदाहरण -हरे पादप व नील हरित शैवाल |
- उपभोक्ता (Consumers) सभी विषमपोषी जन्तु, प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में पादपों से ही भोजन प्राप्त करते हैं। इन्हें मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया गया है; शाकाहारी (Herbivores) एवं माँसाहारी (Carnivores)। उदाहरण- खरगोश, चूहा, गिलहरी, बकरी, मवेशी, आदि शाकाहारी तथा बाघ, बाज, साँप, लोमड़ी, आदि माँसाहारी जीव हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं
- प्राथमिक उपभोक्ता ये जन्तु अपना भोजन सीधे उत्पादकों से प्राप्त करते हैं अथवा शाकाहारी कहलाते हैं; जैसे- हिरण, घोड़ा।
- द्वितीयक उपभोक्ता द्वितीय स्तर के उपभोक्ता शाकाहारी या प्राथमिक उपभोक्ताओं का भक्षण करते हैं; जैसे- मेंढक, साँप।
- तृतीयक उपभोक्ता तृतीय स्तर के उपभोक्ता उच्च माँसाहारी कहलाते हैं। ये द्वितीय स्तर के जीवों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं; जैसे- शेर, बाघ ।
- अपघटक (Decomposers) ये मृत जन्तु या पादप शरीर को अपघटित करके उससे अपना भोजन प्राप्त करते हैं; उदाहरण- मृतोपजीवी जीवाणु व कवक ।
प्रश्न 2. पारितन्त्र के प्रमुख जैविक घटकों के मध्य अन्तर बताइए ।
अथवा उत्पादकों और उपभोक्ता में चार अन्तर लिखिए।
उत्तर पारितन्त्र के प्रमुख जैविक घटक निम्न प्रकार हैं
| उत्पादक | उपभोक्ता | अपघटक |
| ये स्वपोषी होते हैं। | ये विषमपोषी (परजीवी या परभक्षी) होते हैं। | ये विषमपोषी (मृतोपजीवी) होते हैं। |
| सूर्य के प्रकाश, CO2 व जल के द्वारा पर्णहरिम की उपस्थिति में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा स्वयं का भोजन बनाते हैं। | ये पादपों या अन्य जीवों को खाकर भोजन प्राप्त करते हैं। | ये मृत देह या पादपों पर उपस्थित रहकर अपघटन प्रक्रिया द्वारा भोजन प्राप्त करते हैं। |
| ये सूर्य की प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलते हैं। | यहाँ उत्पादकों से प्राप्त ऊर्जा प्राथमिक से द्वितीयक, द्वितीयक से तृतीयक उपभोक्ता में स्थानान्तरित होती है। | ये पोषक तत्वों का पुनः चक्रण करते हैं। |
| खाद्य श्रृंखला में ये शुरुआत में या आधार में पाए जाते हैं। | खाद्य श्रृंखला में ये मध्य में या शीर्ष स्तरों पर पाए जाते हैं। | खाद्य श्रृंखला के अन्त में या मृतोपजीवी श्रृंखला में पाए जाते हैं। |
| उदाहरण- शैवाल, पादपप्लवक, पादप, क्षुप, वृक्ष, आदि । | उदाहरण- शेर, बाघ, फीताकृमि, जोंक, चील, सर्प, चूहा, आदि। | उदाहरण- कवक, जीवाणु, आदि । |
प्रश्न 3. खाद्य श्रृंखला से क्या तात्पर्य है? “खाद्य श्रृंखला में पोषी स्तरों की संख्या सीमित होती है।” इस कथन की पुष्टि के लिए कारण दीजिए।
उत्तर खाद्य-श्रृंखला एक ऐसी श्रृंखला है, जो जीवों के एक-दूसरे से भोजन के सम्बन्ध को दर्शाती है।
अतः खाद्य श्रृंखला को हम निम्न प्रकार परिभाषित कर सकते हैं
” पारितन्त्र के जैविक घटकों (जीवों) का ऊर्जा या पोषण या भोजन के आधार पर बना एकदिशीय एवं सरल अन्तर्सम्बन्ध ही खाद्य श्रृंखला कहलाता है।”
किसी भी खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा का प्रवाह सदैव उत्पादकों से उपभोक्ताओं की ओर एकदिशीय होता है।
उदाहरण-
पादप → हिरण → बाघ (वन में)
पादप → टिड्डा → मेंढक → सर्प → बाज ( घास के मैदान में)
पादप → जन्तुप्लवक → मछली → बगुला (जल स्रोत में)
खाद्य-शृंखला का प्रत्येक स्तर (जीव) एक पोषी स्तर बनाता है। प्रत्येक खाद्य-श्रृंखला में पोषी स्तरों की संख्या सीमित होती है, क्योंकि प्रत्येक स्तर पर स्थानान्तरित होने वाली ऊर्जा की मात्रा घटती जाती है। लिण्डमान के 10% नियम के अनुसार, एक पोषी स्तर से, अगले पोपी स्तर पर केवल 10% कमी स्थानान्तरित होती है, शेष 90% ऊर्जा जीव के जैविक प्रक्रमों में व्यय हो जाती है। इसे एक उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता है।
इस खाद्य- – श्रृंखला में पादपों की ऊर्जा का 10% हिरण में और फिर इसका 10% बाघ में स्थानान्तरित हुआ है। इस प्रकार बाघ को इतनी कम ऊर्जा मिलती है कि इसके 10% में चौथे पोषी स्तर पर किसी प्राणी का इतनी कम ऊर्जा में अस्तित्व संभव नहीं है।
प्रश्न 4. पारितन्त्र में ऊर्जा प्रवाह का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश ही सभी जीवों के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। सूर्य से प्राप्त प्रकाश ऊर्जा के उपयोग की क्षमता केवल उत्पादकों में होती है। उत्पादक प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा कार्बनिक पदार्थों (भोजन) का निर्माण सौर ऊर्जा या सूर्य की प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर संचित कर लेते हैं।
इसी संचित कार्बनिक पदार्थ का उपयोग उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, जिससे प्राप्त ऊर्जा उन्हें गतिमान बनाए रखती है। इस प्रकार भोजन ऊर्जा का स्रोत न होकर वास्तव में ऊर्जा प्रवाह का एक माध्यम है। हरे पादपों को खाकर शाकाहारी जीव ऊर्जा की प्राप्ति करते हैं तथा इन शाकाहारी जीवों को विभिन्न माँसाहारी जीवों द्वारा खा लिया जाता है। इस प्रकार पारिस्थितिक तन्त्र में एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में ऊर्जा स्थानान्तरण भोजन के रूप मे (उत्पादकों से उपभोक्ताओं की ओर) होता है, जिसे ऊर्जा प्रवाह (Energy flow) कहते हैं। इस प्रकार विभिन्न पोषक स्तरों के मध्य ऊर्जा प्रवाह एकदिशीय (Unidirectional) होता है।

ऊष्मागतिकी के नियमों को ध्यान में रखते हुए लिण्डमान (Lindemann 1942) ने ऊर्जा का 10% का नियम दिया, जिसके अनुसार, किसी पारितन्त्र में ऊर्जा का एक जीव या पोषी स्तर से दूसरे जीव या पोषी स्तर में केवल 10% भाग ही स्थानान्तरित होता है तथा शेष 90% भाग जीवों द्वारा अपने स्वयं के विभिन्न क्रियाकलापों; जैसे- उत्सर्जन, श्वसन, आदि में व्यर्थ हो जाता है। हरे पादप या उत्पादक प्रत्येक ऊर्जा प्रवाह के प्रक्रम में प्रारम्भिक चरण (प्रथम पोषी स्तर) होते हैं।
