UP Board Class 10 Science Chapter 3 धातु तथा अधातु
UP Board Class 10 Science Chapter 3 धातु तथा अधातु
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 3 धातु तथा अधातु
फास्ट ट्रैक रिवीज़न
भौतिक गुणों के आधार पर तत्वों को तीन वर्गों अर्थात् धातु, अधातु तथा उपधातुओं अधातु में वर्गीकृत किया गया है।
धातु
वे तत्व, जो ऊष्मा तथा विद्युत का संचालन करते हैं, धातु कहलाते हैं, दूसरे शब्दों में धातु वे तत्व होते हैं, जो इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं अर्थात् धातुएँ विद्युत धनात्मक होती हैं।
धातुएँ आघातवर्धनीय (Malleable) तथा तन्य (Ductile) होती हैं। सामान्यतः ये कमरे के ताप पर ठोस होती हैं, परन्तु मर्करी (Hg) कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होती हैं।
उदाहरण ऐलुमिनियम (AI), कॉपर (Cu) (मुद्रा धातु), उत्कृष्ट धातुएँ (Ag, Au, Pt), क्षारीय धातुएँ (Li, Na, K), क्षारीय मृदा धातुएँ (Be, Mg, Ca) आदि।
वे तत्व, जो ऊष्मा तथा विद्युत का चालन नहीं करते हैं, अधातु कहलाते हैं अथवा अधातु वे तत्व होते हैं, जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं अर्थात् अधातुएँ विद्युतऋणात्मक होती हैं। अधातुएँ आघातवर्धनीय व तन्य नहीं होती हैं, परन्तु भंगुर (Brittle) होती हैं।
उदाहरण कार्बन (C), नाइट्रोजन (N), सल्फर (S) आदि ।
नोट अत्यधिक छोटे आकार के कारण हाइड्रोजन में धनायन बनाने की प्रवृत्ति के साथ-साथ, इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके स्थायी ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति भी होती है। साथ ही यह धातुओं के अन्य सामान्य लक्षण; जैसे- आघातवर्धनीयता, धात्विक चमक आदि भी नहीं दर्शाती हैं, अतः यह एक अधातु है।
धातुओं की सक्रियता श्रेणी
धातुओं को उनकी क्रियाशीलता के घटते हुए क्रम में व्यवस्थित करने पर प्राप्त श्रेणी को विद्युत रासायनिक श्रेणी अथवा सक्रियता श्रेणी कहते हैं। दूसरे शब्दों में, धातुओं को उनके मानक अपचयन विभव के बढ़ते हुए क्रम में रखने पर प्राप्त श्रेणी को विद्युत रासायनिक श्रेणी अथवा सक्रियता श्रेणी कहते हैं। यह श्रेणी निम्न है
K (सर्वाधिक क्रियाशील) Ba Sr Ca > Na> Mg > Al> Zn > Fe > Cd > Ni > Sn > H > Cu > Hg > Ag> Pt > Au ( सबसे कम क्रियाशील)
(i) इस श्रेणी में पहले (ऊपर) आने वाली धातुएँ आसानी से ऑक्सीकृत होती हैं। [दूसरे शब्दों में, जिस धातु की क्रियाशीलता जितनी अधिक होगी, वह उतनी ही सरलता से ऑक्सीकृत होगी ।]
(ii) इस श्रेणी में पहले (ऊपर) वाली धातुएँ अर्थात् अधिक क्रियाशील धातुएँ बाद वाली धातुओं (अर्थात् कम क्रियाशील) को उनके लवण के विलयन से विस्थापित कर देती हैं।
(ii) हाइड्रोजन से पहले (ऊपर) वाली धातुएँ अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस विस्थापित करती हैं। श्रेणी में धातु का स्थान जितना ऊपर होता है, उसकी अम्लों से क्रिया करके हाइड्रोजन विस्थापित करने की क्षमता उतनी ही अधिक होती है।
(iv) इस श्रेणी में शीर्ष पर स्थित धातुएँ; जैसे – Li, Na, K आदि अधिक क्रियाशील होने के कारण ठण्डे जल के साथ क्रिया करके भी हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं।
अम्लराज या ऐक्वा – रेजिया
सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) तथा सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) का वह मिश्रण, जिसमें आयतन के अनुसार 3 भाग सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) तथा 1 भाग सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) होता है, अम्लराज कहलाता है। यह सधूम्र होता है तथा इसकी प्रकृति संक्षारक होती है। यह उत्कृष्ट अक्रिय धातुओं जैसे- सोना (Au) तथा प्लेटिनम (Pt) को गलाने की क्षमता रखता है।
खनिज भूपर्पटी में तत्व व यौगिक जिस रूप में पाये जाते हैं, उन्हे खनिज कहते हैं।
अयस्क
वे खनिज, जिनसे धातु का निष्कर्षण सुगमता तथा मितव्ययता (अर्थात् कम खर्च) के साथ किया जाता है, अयस्क कहलाते हैं। उदाहरण हॉर्न सिल्वर (AgCl), कार्नेलाइट (KCl.MgCl2 · 6H2O), आदि।
अतः स्पष्ट है कि सभी अयस्क खनिज होते हैं परन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं होते। किसी धातु के एक से अधिक अयस्क हो सकते हैं। यह धातु को प्राप्त करने के स्थान, प्राकृतिक वातावरण, किसी विशेष खनिज की पृथ्वी में उपलब्ध मात्रा एवं उस स्थान (देश) में उपलब्ध साधन, आदि पर निर्भर करता है। अयस्कों को उनके यौगिक की प्रकृति के आधार पर निम्न भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है
(i) ऑक्साइड अयस्क बॉक्साइट (Al2O3 . 2H2O), कोरण्डम (Al2O3), क्यूप्राइट (Cu2O), हेमेटाइट (Fe2O3), मैग्नेटाइट (Fe3O4), जिंकाइट (ZnO), आदि।
(ii) कार्बोनेट अयस्क कैलेमाइन (ZnCO3), सीरूसाइट (PbCO3), लाइमस्टोन (CaCO3), सीडेराइट (FeCO3), आदि।
(ii) सल्फाइड अयस्क कॉपर पायराइट (CuFeS), अर्जेन्टाइट (Ag2S), जिंक ब्लैण्ड (ZnS), सिनेबार (HgS), आयरन पायराइट (FeS), आदि ।
(iv) क्लोराइड अयस्क हॉर्न सिल्वर (AgCl), कार्नेलाइट (KCl . MgCl2 . 6H2O), आदि।
अयस्कों का सान्द्रण (समृद्धीकरण)
अयस्क से अनावश्यक पदार्थों गैंग या आधात्री (Matrix ) का पृथक्करण, समृद्धीकरण या अयस्क का सान्द्रण कहलाता है। अयस्क से गैंग को हटाने के लिए जिन प्रक्रियाओं का उपयोग होता है, वे अयस्क तथा गैंग के भौतिक या रासायनिक गुणों पर आधारित होती हैं।
(i) कम सक्रिय धातुओं का निष्कर्षण (निम्न अभिक्रियाशील ) ये धातुएँ बहुत कम अभिक्रियाशील होती हैं, इन धातुओं के ऑक्साइड को केवल गर्म करने से ही धातु को प्राप्त किया जा सकता है। जैसे-
(a) सिनेबार (HgS) सिनेबार मर्करी का एक अयस्क है। जब इसे वायु में गर्म करते हैं, तो यह सबसे पहले मर्क्यूरिक ऑक्साइड (HgO) में बदलता है तथा बाद में मर्करी धातु में परिवर्तित हो जाता है।

(b) कॉपर ग्लान्स (Cu2S) जब इसे वायु में गर्म करते हैं, तो आंशिक रूप से ऑक्सीकृत होता है तथा ऑक्सीकृत उत्पाद शेष कॉपर ग्लान्स से क्रिया करके कॉपर धातु देते हैं।
(ii) मध्य सक्रिय धातुओं का निष्कर्षण (मध्यम अभिक्रियाशील) प्रकृति में ये धातुएँ प्रायः सल्फाइड या कार्बोनेट के रूप में पायी जाती हैं। सल्फाइड को भर्जन द्वारा तथा कार्बोनेट को निस्तापन द्वारा ऑक्साइड में परिवर्तित कर कार्बन जैसे उपयुक्त अपचायक का उपयोग कर धातु को प्राप्त किया जा सकता है। जिंक के निष्कर्षण के समय निम्न रासायनिक अभिक्रिया होती हैं
(a) भर्जन सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में गलनांक बिन्दु से निम्न ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं।
(b) निस्तापन वायु की अनुपस्थिति में सान्द्रित अयस्क को उसके गलनांक से नीचे परन्तु उच्च ताप पर गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित करने का प्रक्रम निस्तापन कहलाता है।
(c) अयस्क ऑक्साइड का अपचयन यह धातु ऑक्साइड अयस्क के धातु में परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म करके की जा सकती है।
ZnO (s) + C (s) → Zn (s) + CO(g)
कभी-कभी अधिक क्रियाशील धातुएँ जैसे- सोडियम, कैल्सियम, ऐलुमिनियम इत्यादि का प्रयोग अपचायक के रूप में होता है, क्योंकि ये कम क्रियाशील धातुओं को उनके यौगिकों से विस्थापित करती हैं।
उदाहरण मैंगनीज डाइऑक्साइड की ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया
3MnO2(s) + 4Al(s) → 3Mn(/) +2A2O3 (s) + ऊष्मा
आयरन (III) ऑक्साइड (Fe, O3) के साथ ऐलुमिनियम की क्रिया द्वारा उत्पन्न गलित आयरन का प्रयोग रेलवे पटरियों तथा मशीनी पुर्जों की दरारों को जोड़ने में करते हैं।
Fe2O3(S) + 2Al(s) → 2Fe (/) + Al, O3(S) + ऊष्मा
ऐलुमिनियम चूर्ण के अपचायक के रूप में प्रयोग द्वारा धातु ऑक्साइड की अभिक्रिया से धातु का निर्माण थर्मिट अभिक्रिया कहलाती है।
(iii) अत्यन्त सक्रिय धातुओं का निष्कर्षण ( उच्च अभिक्रियाशील) विद्युत अपघटन अपचयन का प्रयोग इन धातुओं के लिए होता है, जैसे- Na, Mg, Ca इत्यादि ।
विद्युत अपघटनी अपचयन
इन धातुओं के लवणों जैसे क्लोराइडों को द्रवित ( गलित) रूप में विद्युत अपघटित करते हैं। धातु कैथोड पर निक्षेपित हो जाती हैं तथा क्लोरीन ऐनोड पर मुक्त होती है। अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं
कैथोड पर Na+ + e– → Na (अपचयन)
ऐनोड पर 2Cl– → Cl2 + 2e– (ऑक्सीकरण)
समान रूप से ऐलुमिनियम, गलित ऐलुमिनियम ऑक्साइड के ( इसे ऐलुमिना भी कहते हैं) विद्युत अपघटनी अपचयन से प्राप्त होती है।

धातुओं का परिष्करण (शोधन)
परिष्करण के लिए सबसे सामान्य विधि विद्युत अपघटनी परिष्करण है। कॉपर, टिन, निकैल, सिल्वर, गोल्ड, आदि अनेक धातुओं का परिष्करण विद्युत अपघटन द्वारा किया जाता है।
प्रक्रिया इस प्रक्रम में, अशुद्ध धातु का ऐनोड तथा शुद्ध धातु की पतली परत का कैथोड के रूप में प्रयोग किया जाता है। धातु के लवण विलयन का उपयोग विद्युत अपघट्य के रूप में होता जब विद्युत अपघट्य से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो ऐनोड पर स्थित अशुद्ध धातु विद्युत अपघट्य में घुल जाती है। इतनी ही मात्रा में शुद्ध धातु विद्युत अपघट्य से कैथोड पर निक्षेपित हो जाती है। (विलेय) अशुद्धि ऐनोड के नीचे एकत्रित हो जाती है तथा ऐनोड जंक कहलाती है।
उदाहरण कच्चे कॉपर के विद्युत अपघटनी परिष्करण में विद्युत अपघट्य – अम्लीकृत कॉपर सल्फेट का विलयन
कैथोड (ऋणावेशित ) – शुद्ध कॉपर, ऐनोड (धनावेशित) – अशुद्ध कॉपर इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ

संक्षारण
धातुओं की सतह का वायु में उपस्थित, आर्द्रता (नमी) अथवा रसायन (जैसे अम्ल) के प्रभाव द्वारा नष्ट होना (खा जाना), संक्षारण कहलाता है। नम वायु (या आर्द्र वायु में खुला छोड़ देने पर अधिकांश धातुएँ संक्षारित हो जाती हैं। संक्षारण एक मन्द प्रक्रिया है। उदाहरण लोहे में जंग लगना, चाँदी का मलिन हो जाना, कॉपर की सतह पर हरे रंग की परत का जमना आदि।
संक्षारण से सुरक्षा
(i) यशद्लेपन या गैल्वनीकरण आयरन की वस्तुओं के ऊपर जिंक धातु की पतली परत चढ़ाने का प्रक्रम गैल्वनीकरण कहलाता है। जिंक धातु की यह पतली परत, लोहे को जंग लगने से बचाती है, क्योंकि आर्द्र वायु में खुला छोड़ने पर जिंक धातु संक्षारित नहीं होती है।
(ii) टिन प्लेटिंग तथा क्रोम प्लेंटिग टिन तथा क्रोमियम धातु संक्षारण रोधी होते हैं। अतः जब लोहे की वस्तु पर टिन धातु की पतली परत को विद्युतलेपन द्वारा निक्षेपित कर देते हैं, तो आयरन तथा इस्पात वस्तुएँ संक्षारण से सुरक्षित हो जाती हैं।
मिश्रधातु दो या दो से अधिक धातुओं के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं। मूल धातु को गला कर अन्य धातुओं (अथवा अधातु जैसे कार्बन) को निश्चित अनुपात में इसमें मिलाया जाता है।
पारद के मिश्रधातु को अमलगम कहते हैं। ताँबा और जस्ते की मिश्रधातु को पीतल, ताँबा और टिन की मिश्रधातु को काँसा तथा सीसा और टिन की मिश्र धातु को सोल्डर कहते हैं। सोल्डर का गलनांक बहुत कम होता है इसलिए इसका उपयोग विद्युत तारों को जोड़ने (वेल्डिंग) में किया जाता है।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. पृथ्वी की भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्वों या यौगिकों …… को कहते हैं।
(a) अयस्क
(b) गैंग
(c) खनिज
(d) धातु
उत्तर (c) खनिज
प्रश्न 2. निम्नलिखित में कौन अधातु है ?
(a) Cr
(b) Fe2+
(c) He
(d) Hg
उत्तर (c) He ( हीलियम)
प्रश्न 3. अधातु है
(a) K
(b) F
(c) Al
(d) Na
उत्तर (b) F
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन सी धातु ठण्डे जल से हाइड्रोजन गैस निकालती है?
(a) ताँबा
(b) सोना
(c) पोटैशियम
(d) ऐलुमिनियम
उत्तर (c) पोटैशियम

प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन-सी धातु जल के साथ सामान्य ताप पर क्रिया करती है?
(a) Cu
(b) Na
(c) Al
(d) Mg
उत्तर (b) सोडियम (Na)
प्रश्न 6. …… ठण्डे तनु अम्ल से हाइड्रोजन गैस बनाता है।
(a) सिलिका
(b) कॉपर
(c) जिंक
(d) कार्बन
उत्तर (c) जिंक
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2 ↑
प्रश्न 7. सामान्य तापक्रम तथा दाब में द्रव के रूप में पायी जाने वाली अधातु है
(a) क्लोरीन
(b) ब्रोमीन
(c) फ्लुओरीन
(d) आयोडीन
उत्तर (b) ब्रोमीन
प्रश्न 8. कैल्सियम फॉस्फेट का सूत्र है
(a) Ca(PO3)2
(b) CaPO4
(c) Ca3(PO4)2
(d) CaP2O4
उत्तर (c) सूत्र Ca3(PO4)2
प्रश्न 9. ऐलुमिनियम की सतह पर ऑक्सीजन परत बनना कहलाता है
(a) ऐनोडिंग
(b) कैटिनेशन
(c) बेसेमरीकरण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (a) ऐनोडिंग
प्रश्न 10. मैट में मुख्यतः होता है
(a) FeS
(b) Cu2S
(c) Cu2S तथा FeS
(d) Cu2S तथा Fe2S
उत्तर (c) Cu2S तथा Fes
प्रश्न 11. उभयधर्मी ऑक्साइड है
(a) Na2O
(b) MgO
(c) Al2O3
(d) P2O5
उत्तर (c) Al203
प्रश्न 12. धातुओं के लिए कौन सत्य नहीं है?
(a) धातुएँ सदैव सहसंयोजक यौगिक बनाती है
(b) धातुएँ धन आयन बनाती हैं
(c) धातुओं में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति होती है’
(d) धातुओं में चालकता का गुण पाया जाता है
उत्तर (a) कथन (a) सत्य नहीं है।
प्रश्न 13. अम्ल से हाइड्रोजन हटाने वाला धातु है
(a) Zn
(b) Cu
(c) Ag
(d) Hg
उत्तर (a) जिंक (Zn)
प्रश्न 14, जस्ता धातु, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से क्रिया करके कौन-सी गैस निष्कासित करती है?
(a) ओजोन
(b) ऑक्सीजन
(c) हाइड्रोजन
(d) नाइट्रोजन
उत्तर (c) हाइड्रोजन गैस
Zn + 2HC1l → ZnCl2 + H2 ↑
प्रश्न 15. निम्न में से कौन-सा तत्व धात्विक है?
(a) P
(b) He
(c) Li
(d) s
उत्तर (c) Li ( लीथियम)
प्रश्न 16. निम्नलिखित में से कौन-सी धातु अम्ल से हाइड्रोजन विस्थापित नहीं करती है?
(a) Mg
(b) Fe
(c) Cu
(d) Zn
उत्तर (c) कॉपर
प्रश्न 17. निम्न में से कौन-सी धातु अम्ल से हाइड्रोजन (H2) विस्थापित करती है?
(a) Mg
(b) Cu
(c) Pt
(d) Hg
उत्तर (a) मैग्नीशियम (Mg)
प्रश्न 18. ताम्र ग्लान्स का रासायनिक सूत्र है।
(a) Cu2S
(b) Cu2O
(c) CuFe2S2
(d) CuCO3
उत्तर (a) ताम्र ग्लान्स (Cu2S)
प्रश्न 19. ताँबे का अयस्क है
(a) बॉक्साइट
(b) मैलेकाइट
(c) कार्नेलाइट
(d) सीडेराइट
उत्तर (b) मैलेकाइट [CuCO3 · Cu(OH)2]
प्रश्न 20. लोहे के फ्राइन्ग पैन (frying pan) को जंग से बचाने के लिए निम्न में से कौन-सी विधि उपयुक्त है ?
(a) ग्रीस लगाकर
(b) पेन्ट लगाकर
(c) जिंक की परत चढ़ाकर
(d) इन सभी के द्वारा
उत्तर (c) जिंक की परत चढ़ाकर
प्रश्न 21. क्लोराइड अयस्क का उदाहरण है
(a) बॉक्साइट
(b) मैलेकाइट
(c) सीडेराइट
(d) हॉर्न सिल्वर
उत्तर (d) हॉर्न सिल्वर (AgCl)
प्रश्न 22. यदि कॉपर को वायु में खुला रखते हैं, तो इसकी भूरी चमकीली सतह धीरे-धीरे अपनी चमक खो देती है तथा इस पर एक हरे रंग की परत जमा हो जाती है, यह निम्न के बनने के कारण होता है
(a) CuSO3
(b) CuCO3
(c) Cu (NO3)2
(d) CuO
उत्तर (b) CuCO3
प्रश्न 23. खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए डिब्बों में जिंक के स्थान पर टिन का लेपन होता है, क्योंकि
(a) जिंक अपेक्षाकृत कम अभिक्रियाशील है
(b) टिन अपेक्षाकृत कम अभिक्रियाशील है
(c) जिंक का गलनांक कम होता है
(d) टिन का गलनांक कम होता है
उत्तर (b) टिन अपेक्षाकृत कम अभिक्रियाशील है
प्रश्न 24. पीतल है
(a) उपधातु
(b) मिश्रधातु
(c) यौगिक
(d) विषमांगी मिश्रण
उत्तर (b) मिश्रधातु
प्रश्न 25. ऐन्टीमनी है
(a) उपधातु
(b) धातु
(c) अधातु
(d) अक्रिय गैस
उत्तर (a) उपधातु
प्रश्न 26. जर्मन सिल्वर में कौन-सी धातु नहीं होती?
(a) Cu
(b) Zn
(c) Ag
(d) Ni
उत्तर (c) ताँबा, निकेल और जिंक की मिश्रधातु जर्मन सिल्वर है।
प्रश्न 27. अमलगम होते हैं
(a) उपधातु
(b) मिश्रधातु
(c) यौगिक
(d) विषमांगी मिश्रण
उत्तर (b) मिश्रधातु
प्रश्न 28. बाह्यतम कोश में 7 इलेक्ट्रॉनों वाला तत्व है
(a) अधातु
(b) धातु
(c) उपधातु
(d) निष्क्रिय गैस
उत्तर (a) अधातु
प्रश्न 29. कार्बोनेट अयस्क को सीमित वायु में अथवा वायु की अनुपस्थिति में उच्च ताप तक गर्म करके ऑक्साइड प्राप्त करने की क्रिया है
(a) निस्तापन
(b) भर्जन
(c) प्रगलन
(d) अयस्क का सान्द्रीकरण
उत्तर (a) निस्तापन
प्रश्न 30. कैल्सियम नाइट्रेट का रासायनिक सूत्र है
(a) CaNO3
(b) Ca(NO3)2
(c) Ca3NO3
(d) Ca2NO3
उत्तर (b) Ca(NO3)2
प्रश्न 31. निम्न में से कौन-सा कथन मैग्नीशियम धातु के लिए सत्य नहीं है?
(a) यह ऑक्सीजन में एक चमकदार श्वेत ज्वाला के साथ जलती है।
(b) यह शीतलं जल से अभिक्रिया करके मैग्नीशियम ऑक्साइड व हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करती है।
(c) यह गर्म जल से अभिक्रिया करके मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करती है।
(d) यह जलवाष्प से अभिक्रिया करके मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करती है।
उत्तर (b) कथन (b) सत्य नही है।
प्रश्न 32. क्या होता है, जब कैल्सियम की जल से अभिक्रिया कराई जाती है ?
(i) यह जल से अभिक्रिया नहीं करता।
(ii) यह जल से विस्फोटक अभिक्रिया करता है।
(iii) यह जल से कम विस्फोटक अभिक्रिया धीमी करता है।
(iv) हाइड्रोजन गैस के बुलबुले बनते हैं तथा कैल्सियम की सतह पर जमा हो जाते हैं।
(a) (i) तथा (iv)
(b) (ii) तथा (iii)
(c) (i) तथा (ii)
(d) (iii) तथा (iv)
उत्तर (d) (iii) तथा (iv)
प्रश्न 33. निम्न सूचियों का सुमेलित कीजिए


प्रश्न 34. सूची I में दिए गए अयस्कों के नाम को सूची II में दिए गए इनके रासायनिक सूत्र के साथ सुमेलित कीजिए ।

निर्देश (प्र.सं. 35-37) इन प्रश्नों में दो कथन अभिकथन (A) और कारण (R) दिए गए हैं। इन प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए गए अनुसार उचित विकल्प को चुनकर दीजिए
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R) द्वारा (A) की सही व्याख्या हो रही है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R) द्वारा (A) की सही व्याख्या नहीं हो रही है।
(c) (A) सही है, परन्तु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परन्तु (R) सही है।
प्रश्न 35. अभिकथन (A) अधातुएँ तनु अम्लों में से हाइड्रोजन का विस्थापन कर देती हैं।
कारण (R) अधातुएँ हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया कर हाइड्राइड बनाती हैं।
उत्तर (d) (A) गलत है, परन्तु (R) सही है।
प्रश्न 36. अभिकथन (A) विद्युत तारों को कॉपर से बनाया जाता है।
कारण (R) कॉपर विद्युत का अच्छा चालक है।
उत्तर (a) (A) और (R) दोनों सही है तथा (R) द्वारा A की सही व्याख्या हो रही है।
प्रश्न 37. अभिकथन (A) Na, Mg, Al आदि धातुओं के ऑक्साइडों का अपचयन इन्हें कार्बन के साथ गर्म करके नहीं किया जा सकता है।
कारण (R) Na, Mg, Al जैसी अतिक्रियाशील धातुओं की बन्धुता कार्बन की अपेक्षा ऑक्सीजन के प्रति अधिक होती है।
उत्तर (a) (A) और (R) दोनों सही है तथा (R) द्वारा A की सही व्याख्या हो रही है।
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न-I
प्रश्न 1. किन अम्लों के मिश्रण को प्लेटिनम (Pt) धातु को गलाने के लिए प्रयुक्त करते हैं?
उत्तर उत्कृष्ट धातु प्लेटिनम (Pt) को गलाने के लिए अम्लराज का प्रयोग करते हैं, जो कि सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) तथा सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) का 3:1 के अनुपात का मिश्रण है ।
प्रश्न 2. लोहे (Fe) पर निम्न में से किस धातु की परत चढ़ाई जा सकती है और क्यों? Mg, Cu, Ag
उत्तर विद्युत रासायनिक श्रेणी में ऊपर से नीचे जाने पर क्रियाशीलता घटती जाती है। अतः लोहे पर इससे कम क्रियाशील धातु की परत आसानी से चढ़ायी जा सकती है। चूँकि Cu तथा Ag, लोहे से कम क्रियाशील हैं, अतः लोहे को Cu2+ या Ag+ धनायनों के विलयन में डालने पर इस पर Cu या Ag की परत चढ़ जाती है। यदि Fe को अधिक क्रियाशील धातु (जैसे – Mg) के विलयन में डाला जाता है, तो इस पर कोई परत नहीं चढ़ती है।
प्रश्न 3. आयनिक यौगिकों का गलनांक उच्च क्यों होता है?
उत्तर आयनिक यौगिक अणु के रूप में विद्यमान नहीं होता, बल्कि धनावेशित एवं ऋणावेशित आयनों के संग्रह के रूप में होता है, जो शक्तिशाली स्थिर विद्युत बल से जुड़े होते हैं। यही कारण है, कि इन आयनों के बीच इस आकर्षण बल को तोड़ने के लिए हमें उच्च तापमान की आवश्यकता होती है, अतः इनका गलनांक उच्च होता है।
प्रश्न 4. अयस्क क्या होते हैं ? कॉपर के दो प्रमुख अयस्कों के नाम एवं सूत्र लिखिए |
उत्तर अयस्क प्रकृति में पाए जाने वाले वे खनिज है, जिनमें पर्याप्त मात्रा में धातु होती है तथा जिनसे धातुएँ सरलता से एवं कम खर्च में प्राप्त की जा सकती हैं।
कॉपर के महत्त्वपूर्ण अयस्क
(i) सल्फाइड अयस्क – कॉपर ग्लान्स (Cu2S), कॉपर पाइराइट (CuFeS2)
(ii) ऑक्साइड अयस्क – क्यूप्राइट (Cu2O)
प्रश्न 5. बॉक्साइट तथा मैलेकाइट का सूत्र लिखिए ।
उत्तर बॉक्साइट — Al2O3 · 2H2O तथा मैलेकाइट — CuCO3 · Cu(OH)2
प्रश्न 6. कैलेमाइन से Zn का निष्कर्षण कैसे करते हैं? रासायनिक समीकरण भी लिखिए।
उत्तर ZnCO3 को कैलेमाइन भी कहा जाता है। इससे Zn का निष्कर्षण निम्न दो पदों में किया जाता है

प्रश्न 7. (i) अयस्कों का सान्द्रण क्यों आवश्यक है ? समझाइए ।
(ii) सल्फाइड अयस्कों के सान्द्रण में प्रयुक्त विधि का नाम बताइए । [
उत्तर (i) अयस्क में प्राय: मिट्टी, बालू, चूना पत्थर आदि अशुद्धियों के रूप में मिले रहते हैं। ये अशुद्धियाँ आधात्री या मैट्रिक्स कहलाती हैं। अयस्क से आधात्री को पृथक् करने का प्रक्रम सान्द्रण कहलाता है । अयस्क का सान्द्रण करने पर अयस्क में धातु की प्रतिशत्ता बढ़ जाती है, जिससे धातु का निष्कर्षण सुविधाजनक हो जाता है।
(ii) सल्फाइड अयस्कों का सान्द्रण झाग प्लवन विधि द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 8. निम्नलिखित में अन्तर बताइए । निस्तापन तथा भर्जन
अथवा भर्जन को उदाहरण द्वारा समझाइए ।
अथवा जिंक के अयस्क से इस धातु के निष्कर्षण के दौरान निम्नलिखित प्रक्रमों सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रियाएँ दीजिए।
(i) जिंक अयस्क का भर्जन (ii) जिंक अयस्क का निस्तापन
उत्तर भर्जन सान्द्रित अयस्क को वायु की उपस्थिति में गलनांक से नीचे परन्तु उच्च ताप पर गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तन करने की क्रिया भर्जन कहलाती है।
निस्तापन सान्द्रित अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में अथवा सीमित वायु में उसके गलनांक के नीचे परन्तु उच्च ताप पर गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित करने का प्रक्रम निस्तापन कहलाता है।
उदाहरण ZnCO3 → ZnO + CO2 ↑
प्रश्न 9. किसी धातु M के विद्युत अपघटनी परिष्करण में आप ऐनोड, कैथोड एवं विद्युत अपघट्य किसे बनाएँगे?
उत्तर विद्युत अपघटनी परिष्करण (शोधन) में अशुद्ध धातु (M) का ऐनोड, शुद्धधातु M का कैथोड तथा धातु (M) के लवण विलयन को विद्युत अपघट्य बनाएँगे । ऐनोड सदैव मोटा बनाते हैं तथा कैथोड पतली परत का बनाते हैं।
प्रश्न 10. मर्करी (Hg) के अयस्कों में से किसी एक अयस्क से किस प्रकार मर्करी प्राप्त कीजिएगा? केवल रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर सिनेबार (HgS) सिनेबार मर्करी का एक अयस्क है। जब इसे वायु में गर्म करते हैं, तो यह सबसे पहले मर्क्यूरिक ऑक्साइड (HgO) में बदलता है तथा बाद में मर्करी धातु में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 11. कॉपर ग्लान्स अयस्क से किस प्रकार ताँबा विलगित किया जाता है?
अथवा कॉपर के एक अयस्क का नाम तथा सूत्र लिखिए ।
उत्तर कॉपर ग्लान्स (Cu2S) जब इसे वायु में गर्म करते हैं, तो आंशिक रूप से ऑक्सीकृत होता है तथा ऑक्सीकृत उत्पाद शेष कॉपर ग्लान्स से क्रिया करके कॉपर धातु देता हैं।

प्रश्न 12. ऐसी कौन-सी धातुएँ हैं, जिन पर सरलता से जंग नहीं लगता है? कारण सहित लिखिए।
अथवा कौन-सी धातु आसानी से संक्षारित नहीं होती है?
उत्तर गोल्ड (Au), प्लेटिनम (Pt), क्रोमियम ( Cr) ऐसी धातुएँ हैं, जिन पर सरलता से जंग नहीं लगता, क्योंकि इन धातुओं की क्रियाशीलता अत्यधिक कम : होती है।
प्रश्न 13. मिश्र धातु क्या हैं? कॉपर की एक महत्त्वपूर्ण मिश्र धातु का नाम, संघटन व उपयोग बताइए।
उत्तर मिश्र धातु दो या दो से अधिक धातुओं को गलित अवस्था में मिश्रित करने पर प्राप्त संमागी मिश्रण को मिश्र धातु कहते हैं। गनमेटल कॉपर की एक महत्त्वपूर्ण मिश्र धातु है। जिसमें Cu = 88% Sn = 10%, Zn = 2% होते हैं। इसका उपयोग बन्दूकें, हथियार, मशीनों के पुर्जे बनाने में होता है।
प्रश्न 14. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
तन्यता एवं आघातवर्ध्यता
उत्तर तन्यता वे धातुएँ जिनसे अत्यन्त पतले तार खींचे जा सकते हैं। तन्य कहलाती है। तथा इस गुणधर्म को तन्यता कहते हैं। तन्यता धातुओं का विशिष्ट गुणधर्म है। सोना सर्वाधिक तन्य धातु है।
आघातवर्ध्यता धातुओं का वह गुण जो उन्हें पीटे जाने पर बिना तोड़े पतली चादर में परिवर्तित होने की क्षमता प्रदान करता है। आघातवर्ध्यता कहलाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न-II
प्रश्न 1. विद्युत रासायनिक श्रेणी को स्पष्ट कीजिए और इसके दो अनुप्रयोग लिखिए |
अथवा विद्युत रासायनिक श्रेणी की सहायता से धातुओं द्वारा अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित करने की क्षमता किस प्रकार ज्ञात करते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।
अथवा विद्युत रासायनिक श्रेणी के कोई दो उपयोग लिखिए |
उत्तर जब धातुओं को उनकी घटती क्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित किया जाता है तो प्राप्त श्रेणी को विद्युत रासायनिक श्रेणी कहते हैं।
(i) सक्रियता में जो धातुएँ हाइड्रोजन से ऊपर स्थित होती हैं, वे अम्लों से हाइड्रोजन गैस विस्थापित करती हैं तथा श्रेणी में धातु का स्थान जितना ऊपर होता है, उसकी अम्लों से क्रिया करके हाइड्रोजन विस्थापित करने की क्षमता भी उतनी ही अधिक होती है। अतः विद्युत रासायनिक श्रेणी धातुओं व अधातुओं की क्रियाशीलता का निर्धारण करती हैं।
उदाहरण विद्युत रासायनिक श्रेणी में सोडियम व पोटैशियम हाइड्रोजन से ऊपर स्थित हैं। अतः ये दोनों ही अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित कर देती हैं परन्तु कॉपर (Cu) या सोना (Au), आदि धातुएँ हाइड्रोजन से नीचे स्थित होने के कारण ऐसा नहीं कर पाती हैं।
(ii) श्रेणी में सबसे ऊपर प्रबल अपचायक है और सबसे नीचे प्रबल ऑक्सीकारक हैं, यह ज्ञात होता है।
प्रश्न 2. कॉपर (Cu) की छड़ को सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) के विलयन में डालने पर कुछ समय बाद विलयन का रंग नीला हो जाता है। विद्युत रासायनिक श्रेणी के आधार पर समझाइए |
अथवा सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) के विलयन में कॉपर (Cu) का तार डालने पर विलयन का रंग नीला हो जाता है। क्यों?
उत्तर सक्रियता श्रेणी में कॉपर (Cu) सिल्वर (Ag) से पहले (ऊपर) स्थित है तथा इस श्रेणी में पहले आने वाली धातु (अधिक क्रियाशील) बाद में आने वाली धातु (कम क्रियाशील) को उसके लवण के विलयन से विस्थापित कर देती है। अतः कॉपर, सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) से सिल्वर (Ag) को विस्थापित करके कॉपर नाइट्रेट Cu(NO3)2 बनाता है। इस प्रकार, विलयन में Cu2+ आयनों की उपस्थिति हो जाती है, जिनके नीले रंग के कारण विलयन का रंग भी नीला हो जाता है।

प्रश्न 3. उभयधर्मी ऑक्साइड क्या होते हैं? दो उभयधर्मी ऑक्साइडों के उदाहरण दीजिए ।
उत्तर उभयधर्मी ऑक्साइड वे ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षार दोनों के साथ अभिक्रिया करते है, उभयधर्मी ऑक्साइड कहलाते हैं।
ऐलुमिनियम (Al) और जिंक (Zn) ऐसी धातु हैं, जो उभयधर्मी ऑक्साइड Al2O3 और ZnO बनाती हैं, अर्थात् ये ऑक्साइड अम्ल तथा क्षार दोनों की प्रकृति रखते हैं।
प्रश्न 4. सल्फ्यूरिक अम्ल में जिंक डालने पर हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है, परन्तु सिल्वर डालने पर नहीं होती है। कारण बताइए । उपरोक्त अभिक्रिया को समीकरण द्वारा व्यक्त कीजिए ।
उत्तर सक्रियता श्रेणी में जिंक (Zn) हाइड्रोजन से ऊपर स्थित है अर्थात् हाइड्रोजन से अधिक क्रियाशील है। अतः यह सल्फ्यूरिक अम्ल के विलयन से हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है ।
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2 ↑
सिल्वर (Ag) का स्थान इस श्रेणी में हाइड्रोजन के नीचे है अर्थात् यह हाइड्रोजन से कम क्रियाशील है। अतः यह सल्फ्यूरिक अम्ल के विलयन से हाइड्रोजन को विस्थापित नहीं कर सकती है।
H2SO4 + ag → कोई क्रिया नहीं
प्रश्न 5. धातुओं की सक्रियता श्रेणी से आप क्या समझते हैं ? हाइड्रोजन से अधिक सक्रिय एवं दूसरा कम सक्रिय ऐसे एक-एक धातु का नाम लिखिए |
उत्तर विभिन्न तत्वों को उनके मानक अपचयन विभव के बढ़ते हुए क्रम से व्यवस्थित करने पर एक श्रेणी प्राप्त होती है, जिसे विद्युत रासायनिक श्रेणी या सक्रियता श्रेणी कहते हैं।
विद्युत रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर स्थित धातु सोडियम (Na) अधिक सक्रिय जबकि हाइड्रोजन से नीचे स्थित धातु सिल्वर (Ag) कम सक्रिय धातु है।
प्रश्न 6. (i) जिंक धातु के कार्बोनेट अयस्क से धातु निष्कर्षण का रासायनिक समीकरण देते हुए वर्णन कीजिए।
(ii) एक उदाहरण देते हुए संक्षारण की व्याख्या कीजिए तथा संक्षारण से सुरक्षा के उपायों को लिखिए ।
उत्तर (i) जिंक धातु के कार्बोनेट अयस्क से जिंक का निष्कर्षण यह निम्न दो पदों में संपन्न होता है।
(a) निस्तापन इस प्रक्रिया में सीमित वायु में अथवा वायु की अनुपस्थिति में सान्द्रित अयस्क उसके गलनांक से नीचे परन्तु उच्च ताप पर गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।
(b) धातु अयस्क ऑक्साइड का अपचयन यह धातु ऑक्साइड के धातु में परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म करके की जा सकती है।
ZnO(s) + C(s) –→ Zn (s) + CO (g)
कभी-कभी उच्च क्रियाशील धातुएँ जैसे- सोडियम, कैल्सियम, ऐलुमिनियम इत्यादि का प्रयोग भी अपचायक के रूप में होता है, क्योंकि ये निम्न अभिक्रियाशील धातुओं को उनके यौगिकों से विस्थापित करती हैं।
(ii) धातुओं की सतह का वायु में उपस्थित, आर्द्रता (नमी) अथवा रसायन (जैसे अम्ल) के प्रभाव द्वारा नष्ट होना (खा जाना), संक्षारण कहलाता है। नम वायु (या आर्द्र वायु) में खुला छोड़ देने पर अधिकांश धातुएँ संक्षारित हो जाती हैं। संक्षारण एक मन्द प्रक्रिया है।
उदाहरण लोहे में जंग लगना, चाँदी का मलिन हो जाना, कॉपर की सतह पर हरे रंग की परत का जमना आदि ।
संक्षारण से सुरक्षा के उपाय
(i) पेंट करके, तेल लगाकर, ग्रीज लगाकर लोहे की वस्तुओं को जंग लगने से रोका जा सकता है।
(ii) यशद्लेपन, क्रोमियम लेपन और ऐनोडीकरण द्वारा भी लोहे को जंग लगने से रोका जा सकता है।
प्रश्न 7. निम्नलिखित में अन्तर कीजिए खनिज तथा अयस्क
अथवा अयस्क व खनिज में अन्तर को स्पष्ट कीजिए ।
अथवा उदाहरण देते हुए ‘खनिज तथा अयस्क को स्पष्ट कीजिए ।
अथवा निम्न पदों की परिभाषा दीजिए ।
(i) खनिज
(ii) अयस्क
(iii) गैंग
उत्तर खनिज तथा अयस्क में अन्तर निम्नलिखित हैं
| खनिज | अयस्क |
| प्रकृति में भू-पर्पटी के नीचे धातुएँ जिन यौगिकों के रूप में पायी जाती हैं, उन्हें खनिज कहते हैं। | जिस खनिज में धातु अधिक मात्रा में उपस्थित हो तथा उससे धातु को आसानी से एवं कम खर्च में प्राप्त किया जा सके, अयस्क कहलाते हैं। |
| सभी अयस्क खनिज होते हैं। | सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं। |
| सभी खनिजों को धातु निष्कर्षण के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है। | सभी अयस्कों को धातु निष्कर्षण के लिए प्रयुक्त किया जाता है। |
| उदाहरण कॉपर पाइराइट (CuFeS2) | उदाहरण हॉर्न सिल्वर (AgCl) |
गैंग पृथ्वी से प्राप्त खनिज अयस्कों में उपस्थित अशुद्धियों जैसे- मिट्टी, रेत आदि को गैंग कहा जाता है।
प्रश्न 8. निम्नलिखित गद्यांश को पढक़र प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
थर्मिट अभिक्रिया की खोज जर्मन रसायनज्ञ गोल्डस्मिथ ने की थी । थर्मिट धातु पाउडर और धातु ऑक्साइड का एक मिश्रण होता है। जब अग्नि या रासायनिक प्रतिक्रिया से इसे प्रज्वलित किया जाता है तो एक ऊष्माक्षेपी अपचयन ऑक्सीकरण अभिक्रिया होती है। यद्यपि यह एक विस्फोटक अभिक्रिया नहीं है फिर भी इस अभिक्रिया में इतनी ऊभा उत्सर्जित होती है कि धातुएँ गलित अवस्था में प्राप्त होती हैं। इस अभिक्रिया का उपयोग रेल की पटरियों को जोड़ने एवं मशीनी पुर्जों की दरारों को जोड़ने में किया जाता है।
(i) थर्मिट मिश्रण में आयरन (III) ऑक्साइड (Fe2O3) के साथ किस धातु के चूर्ण का उपयोग किया जाता है ?
(ii) रेल की पटरियों को जोड़ने के लिए थर्मिट मिश्रण का प्रज्वलन कैसे किया जाता है?
उत्तर (i) थर्मिट मिश्रण में आयरन (III) ऑक्साइड तथा ऐलुमिनियम चूर्ण होता है।
(ii) मैग्नीशियम रिबन का वायु में दहन करने पर चमकदार श्वेत ज्वाला उत्पन्न होती है। जिसकी सहायता से थर्मिट मिश्रण का प्रज्वलन किया जाता है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. धातु तथा अधातु में अन्तर स्पष्ट कीजिए । अथवा भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर धातुओं तथा अधातुओं में विभेद कीजिए।


प्रश्न 2. निम्न की व्याख्या कीजिए ।
(i) HNO3 में डुबाने पर Al की क्रियाशीलता कम हो जाती है।
(ii) कार्बन, सोडियम या मैग्नीशियम धातु के ऑक्साइडों को अप नहीं कर पाता।
(iii) NaCl ठोस अवस्था में विद्युत का कुचालक है, जबकि जलीय विलयन अथवा गलित अवस्था में यह विद्युत का चालन करता है।
(iv) लोहे की वस्तुओं का गैल्वनीकरण किया जाता है।
(v) Na, K, Ca तथा Mg जैसी धातुएँ प्रकृति में मुक्त अवस्था में कभी नहीं पायी जाती।
उत्तर (i) HNO3 एक ऐसा प्रबल अम्ल है, जिसमें उपचायक का गुण होता है। ऐलुमिनियम धातु को इसमें डुबाने पर इसके द्वारा धातु की सतह पर Al2O3 की एक महीन अक्रिय पर्त जमा हो जाती हैं, जिससे ऐलुमिनियम धातु का संक्षारण रूक जाता है। इसे निष्क्रियता के नाम से जाना जाता है।
(ii) Na तथा Mg की ऑक्सीजन के प्रति बन्धुता, कार्बन की ऑक्सीजन के प्रति बंधुता की अपेक्षा कहीं अधिक होती है। अत: Na तथा Mg ऑक्साइड कार्बन के द्वारा अपचयित नहीं होते हैं।
(iii) जलीय विलयन या गलित अवस्था में NaCl, आयन उत्पन्न करता है, जो विद्युत का चालन करते हैं। परन्तु ठोस NaCl में आयन मुक्त अवस्था में नहीं होते, अतः यह विद्युत का चालन नहीं करता ।
(iv) संक्षारण को रोकने के लिए लोहे की वस्तुओं का गैल्वनीकरण किया जाता है। इसके लिए लोहे की वस्तु को पिघले हुए जिंक में डुबाया जाता है, जिसके फलस्वरूप इस पर जिंक की एक महीन पर्त चढ़ जाती है। यदि वस्तु पर कोई खरोंच पड़ती है, तो लोहे की अपेक्षा जिंक का संक्षारण पहले होता है, क्योंकि जिंक लोहे से अधिक सक्रिय धातु है ।
(v) Na, K, Ca तथा Mg धातुएँ सक्रियता श्रेणी में ऊपर की ओर स्थित हैं, अर्थात् इनकी क्रियाशीलता बहुत अधिक है। इसलिए ये धातुएँ प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पायी जाती, वरन् अपने यौगिकों के रूप में पायी जाती हैं।
प्रश्न 3. निम्न की व्याख्या कीजिए ।
(i) जस्ता (Zn), कॉपर सल्फेट (CuSO4) के विलयन से ताँबे को विस्थापित कर सकता है जबकि गोल्ड (Au) विस्थापित नहीं कर सकता। कारण सहित व्याख्या कीजिए ।
(ii) विद्युत रासायनिक श्रेणी की सहायता से धातुओं द्वारा अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित करने की क्षमता किस प्रकार ज्ञात करते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर (i) सक्रियता श्रेणी में अधिक क्रियाशील धातु कम क्रियाशील धातु को उसके लवण के विलयन से विस्थापित कर देती हैं।
चूँकि जिंक (Zn) कॉपर (Cu) से अधिक क्रियाशील है, अतः जिंक कॉपर सल्फेट (CuSO4) के विलयन में से कॉपर को विस्थापित कर देता है परन्तु सोना (Au), कॉपर से कम क्रियाशील होने के कारण कॉपर सल्फेट के विलयन से कॉपर को विस्थापित नहीं कर पाता है।

(ii) विद्युत रासायनिक श्रेणी में जो धातुएँ हाइड्रोजन से ऊपर स्थित होती हैं, वे अम्लों से हाइड्रोजन गैस विस्थापित करती हैं तथा श्रेणी में धातु का स्थान जितना ऊपर होता है, उसकी अम्लों से क्रिया करके हाइड्रोजन विस्थापित करने की क्षमता भी उतनी ही अधिक होती है। अतः विद्युत रासायनिक श्रेणी धातुओं व अधातुओं की क्रियाशीलता का निर्धारण करती हैं।
उदाहरण विद्युत रासायनिक श्रेणी में जिकं व मैग्नीशियम हाइड्रोजन से ऊपर स्थित हैं। अतः ये दोनों ही अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित कर देती हैं परन्तु कॉपर (Cu), सिल्वर (Ag) या सोना (Au), आदि धातुएँ हाइड्रोजन से नीचे स्थित होने के कारण ऐसा नहीं कर पाती हैं।
प्रश्न 4. A, B, C एवं D चार धातुओं के नमूनों को लेकर एक-एक करके निम्न विलयन में डाला गया। इससे प्राप्त परिणाम को निम्न प्रकार से सारणीबद्ध किया गया है

इस सारणी का उपयोग कर धातु A, B, C एवं D के सम्बन्ध में निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
(i) सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन-सी है ?
(ii) धातु B को कॉपर (II) सल्फेट के विलयन में डाला जाए तो क्या होगा ?
(iii) धातु A, B, C एवं D को अभिक्रियाशीलता के घटते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए ।
उत्तर धातु ‘B’ सर्वाधिक अभिक्रियाशील है।
(i) धातु ‘A’ Cu को विस्थापित कर सकती है, धातु ‘B’ Fe को विस्थापित कर सकती है तथा धातु ‘C’ Ag को विस्थापित कर सकती है। Cu, Fe तथा Ag को उनकी अभिक्रियाशीलता के घटते क्रम में निम्नवत् व्यक्त किया जा सकता है-
Fe > Cu > Ag
(ii) धातु ‘B’ कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील है, अत: यह कॉपर (II) सल्फेट विलयन से कॉपर को विस्थापित कर देगी अतः कॉपर सल्फेट का गहरा नीला रंग हल्का हो जाएगा।
(iii) धातु ‘B’ Fe को विस्थापित कर सकती है, धातु ‘A’ Cu को विस्थापित कर सकती है, धातु ‘C’ Ag को विस्थापित कर सकती है; अत: इनकी अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्नवत् होगा
B>A >C > D
प्रश्न 5. प्रत्यूष ने सल्फर चूर्ण को स्पैचुला में लेकर उसे गर्म किया। चित्र के अनुसार एक परखनली को उल्टा करके उसने उत्सर्जित गैस को एकत्र किया
(i) गैस की क्रिया क्या होगी ?
(a) सूखे लिटमस पत्र पर
(b) आर्द्र लिटमस पत्र पर
(ii) ऊपर की अभिक्रियाओं के लिए सन्तुलित रासायनिक अभिक्रिया लिखिए |

उत्तर (i) जब सल्फर (S) को वायु में जलाया जाता है तो यह वायु की ऑक्सीजन (O2) से अभिक्रिया करके सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) बनाता है।
(a) सूखे लिटमस पत्र पर गैस की क्रिया सल्फर डाइऑक्साइड गैस की प्रकृति अम्लीय होती है । परन्तु यह सूखे लिटमस पत्र से अभिक्रिया नहीं करेगी और न ही उसका रंग परिवर्तित करेगी क्योंकि SO2 का अम्लीय लक्षण केवल जल (H2O) की उपस्थिति में परिलक्षित होता है।
(b) आर्द्र लिटमस पत्र पर गैस की क्रिया सल्फर डाइऑक्साइड गैस की प्रकृति अम्लीय होती है। आर्द्र लिटमस पत्र से क्रिया करके यह सल्फ्यूरस अम्ल बनाएगी, जिससे नीला लिटमस पत्र लाल हो जाता है।

प्रश्न 6. निम्नलिखित का कारण बताइए
(i) प्लेटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता हैं।
(ii) निष्कर्षण प्रकम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में किया जाता है।
(iii) सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम को तेल के अन्दर संग्रहीत किया जाता है।
(iv) ऐलुमिनियम अत्यन्त अभिक्रियाशील धातु है, फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तन बनाने के लिए किया जाता है।
उत्तर (i) प्लेटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है क्योंकि इनमें धात्विक चमक होती है। ये आद्यातवर्धनीय और तन्य हैं। ये निम्न अभिक्रियाशील (लगभग निष्क्रिय) धातु हैं।
(ii) निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है क्योंकि कार्बोनेट तथा सल्फाइड अयस्कों की तुलना में ऑक्साइड अयस्क के अपचयन द्वारा धातु प्राप्त करना सरल है।
(iii) सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम को तेल के अन्दर संग्रहीत किया जाता है क्योंकि ये अत्यन्त अभिक्रियाशील धातु हैं। वायु के सम्पर्क में आने पर ये आग पकड़ लेती हैं। अतः सुरक्षित रखने और आकस्मिक आग को रोकने के लिए इन्हें तेल में डुबो कर रखा जाता है।
(iv) ऐलुमिनियम वायु में खुला होने पर इसकी सतह पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की एक रक्षी परत बन जाती है जो अपने नीचे स्थित धातु की और अधिक क्षति होने को रोकती है। अतः ऐलुमिनियम से बने बर्तन संक्षारित नहीं होते हैं। अन्य धातुओं की तुलना में इनका उत्पादन मूल्य कम होता है।
प्रश्न 7. (i) सोडियम, ऑक्सीजन एवं मैग्नीशियम के लिए इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना लिखिए |
(ii) इलेक्ट्रॉन के स्थानान्तरण के द्वारा Na2O और MgO का निर्माण दर्शाइए।
(iii) इन यौगिकों में कौन-से आयन उपस्थित है?
उत्तर (i) सोडियम, Na = 2, 8, 1
ऑक्सीजन, 0 = 2, 6
मैग्नीशियम, Mg = 2, 8, 2

(ii) इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण द्वारा Na2O और MgO का निर्माण

(iii) इन यौगिकों में Na+, Mg2+ तथा O2- आयन उपस्थित होते हैं।
