Social-science 10

UP Board Class 10 Social Science Chapter 1 विकास (अर्थशास्त्र)

UP Board Class 10 Social Science Chapter 1 विकास (अर्थशास्त्र)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 1 विकास (अर्थशास्त्र)

फास्ट ट्रैक रिवीज़न
  • विकास के परिप्रेक्ष्य में हमारी आकांक्षाएँ क्षेत्र और राज्य के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं।
विकास का अर्थ
  • विकास किसी देश के सर्वांगीण विकास; जैसे- आर्थिक समानता, सुरक्षा, स्वतन्त्रता आदि पर निर्भर करता है। विकास का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक तथा बहुआयामी संकल्पना है। लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।
आय तथा अन्य लक्ष्य
  • आय विकास का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। इससे लोग भौतिक वस्तुओं के साथ-साथ बराबरी का व्यवहार, स्वतन्त्रता, सुरक्षा, रोजगार, शान्ति तथा आदर मिलने की इच्छा भी रखते हैं।
  • जीवन में बेहतर गुणवत्ता पाने के लिए आर्थिक विकास और विकास के लक्ष्य दोनों सम्मिलित हैं।
राष्ट्रीय विकास
  • राष्ट्रीय विकास के सन्दर्भ में विभिन्न व्यक्तियों के उद्देश्य भी भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।
  • राष्ट्रीय विकास में उन लक्ष्यों को प्राथमिकता दी जाती है, जो बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ पहुँचाते हैं।
  • राष्ट्रीय विकास की विशेषताएँ निम्न हैं
    •  इसके अन्तर्गत वे नीतियाँ आती हैं, जो लोगों की अधिक संख्या के लिए उत्तरदायी हों।
    • यह विवादों और इनके उपायों के विषय में सोचने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
    • इसमें सरकार सभी के लिए न्यायपूर्ण और सही मार्ग का निर्णय करती है।
विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना
  • देशों को विकास के आधार पर विकसित और अविकसित दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है; जैसे-
राष्ट्रीय आय के माध्यम से तुलना
  • निश्चित समयावधि में देश के मूल निवासियों द्वारा अर्जित की गई कुल आय राष्ट्रीय आय होती है।
  • देशों की तुलना करने हेतु उनकी आय सबसे महत्त्वपूर्ण विशिष्टता समझी जाती है। जिन देशों की आय अधिक होती है, उन्हें कम आय वाले देशों से अधिक विकसित माना जाता है।
  • उच्च आय वाले देश को विकसित देश कहा जाता है; जैसे- जापान, ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका ।
प्रति व्यक्ति आय के माध्यम से तुलना
  • इसकी गणना कुल आबादी द्वारा कुल आय को विभाजित करके की जाती है, इसे औसत आय भी कहते हैं।
  • इसमें कुछ कमियाँ भी हैं, जो असमानताओं को छिपाती हैं।
प्रति व्यक्ति आय पर विश्व बैंक की रिपोर्ट
  • इसके लिए प्रत्येक वर्ष विश्व बैंक ‘विश्व विकास रिपोर्ट’ प्रकाशित करता है।
  • इसके अन्तर्गत अधिक PCI (Per Capita Income) वाले देश को समृद्ध तथा कम PCI वाले देश को कम आय वाला देश कहा जाता है।
  • इसमें भारत को मध्यम आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
आय एवं अन्य मापदण्ड
  • राष्ट्रों के विकास का स्तर आय के अतिरिक्त विशेषताओं पर भी आधारित होता है।
कुछ तुलनात्मक आँकडे (हरियाणा, केरल और बिहार)
राज्य
शिशु मृत्यु-दर
(2018)
साक्षरता दर
(2017-18)
निवल उपस्थिति अनुपात। (प्रति
100 व्यक्ति) उच्चतर
आयु 14 व 15 वर्ष (2017-18)
हरियाणा 30 80 67
केरल 7 96 77
बिहार 32 71 55
स्रोत आर्थिक सर्वेक्षण, 2020-21
राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (NSSO) तुलनात्मक सारणी से विकास के निम्न पहलुओं का अध्ययन किया जा सकता है।
  • उच्च प्रति व्यक्ति आय बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की गारण्टी नहीं देती है।
  • प्रतिव्यक्ति आय विकास के विषय में फैसला करने के लिए सर्वोत्तम मापदण्ड नहीं है।

चयनित राज्यों की प्रति व्यक्ति आय 

राज्य वर्ष 2018-19 के लिए प्रति व्यक्ति आय (₹)
हरियाणा 2,36,147
केरल 2,04,105
बिहार 40,982
स्रोत आर्थिक सर्वेक्षण, 2020-21
सार्वजनिक सुविधाएँ
अधिक औसत आय से सामान्य जीवन के लिए आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, मुद्रा से प्रदूषण मुक्त वातावरण नहीं खरीद सकते, इसलिए सार्वजनिक सुविधाएँ भी जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं। केरल में शिशु मृत्यु-दर कम है, क्योंकि यहाँ स्वास्थ्य और शिक्षा की मौलिक सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं राशनिंग
  • सार्वजनिक वितरण के अन्तर्गत आवश्यक वस्तुओं को न्यूनतम मूल्य पर लोगों को उपलब्ध कराया जाता है।
  • सरकार द्वारा नियन्त्रित मूल्य तथा मात्रा में वस्तुओं की आपूर्ति करना राशनिंग कहलाता है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली
  • तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली अधिक विकसित है, जबकि झारखण्ड में ऐसी प्रणाली अधिक विकसित नहीं है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उद्देश्य
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के निम्न उद्देश्य हैं
  • साधारण व्यक्ति को महँगाई से बचाना।
  • देश में सामाजिक कल्याण को प्राप्त करना।
  • प्राकृतिक आपदाओं; जैसे- बाढ़, सूखे जैसी स्थिति में खाद्य-पदार्थ उपलब्ध कराना।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभ
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभ निम्न प्रकार हैं
  • देश के गरीब लोगों को आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध हो जाती हैं।
  • वस्तुओं के मूल्य को नियन्त्रित करना सम्भव होता है।
  • इससे देश में समाजवादी तथा लोकतान्त्रिक प्रणाली की स्थापना होती है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कमियाँ
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कमियों का वर्णन निम्न प्रकार हैं
  • भ्रष्टाचार इसके सबसे बड़े दोष में शामिल है।
  • लालफीताशाही इस प्रणाली को जर्जर बना रही है।
  • अकुशल प्रबन्धन के कारण भारी राजस्व की हानि होती है।
  • यह राजकोषीय घाटे में वृद्धि करती है।
  • उचित नियन्त्रण के अभाव में यह बोझिल हो रही है।
  • वर्तमान समय में संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग के अभाव में यह धन और संसाधन की बर्बादी कर रही है।
शरीर द्रव्यमान सूचकांक
  • अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वयस्क व्यक्ति कुपोषित है या नहीं, यह निर्धारित करने के लिए शरीर द्रव्यमान सूचकांक (Body Mass Index) का प्रयोग किया जाता है।
  • इसे ज्ञात करने के लिए व्यक्ति के भार को लम्बाई के वर्ग से भाग देने पर प्राप्त किया जाता है।
मानव विकास रिपोर्ट : विकास को मापने के लिए सर्वोत्तम तरीका
  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट विकास को मापने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। यह तीन मानदण्डों पर आधारित है
    1. जीवन मानक (प्रतिव्यक्ति आय ) 2. स्वास्थ्य की स्थिति 3. लोगों का शैक्षिक स्तर
  • मानव विकास रिपोर्ट, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय द्वारा प्रकाशित की जाती है। इसकी शुरुआत वर्ष 1990 में की गई थी।
  • मानव विकास रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत का स्थान विश्व में 130वाँ (189 देशों में ) है।
  • मानव विकास सूचकांक, विकास को समझने का एक प्रयास है।
नोट वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट में 193 देशों की सूची में भारत 134वें स्थान पर है।
सतत विकास (विकास की धारणीयता)
  • विकसित और विकासशील देशों का आर्थिक विकास प्राकृतिक संसाधनों तथा पर्यावरण के आधार पर किया गया।
  • सतत विकास, प्राकृतिक संसाधनों के सन्तुलित उपयोग के साथ न्यूनतम स्तर पर संसाधनों का उपयोग करने पर बल देता है।
पर्यावरण गिरावट को निम्न रूप में देख सकते हैं
  • भारत के भू-जल के अति उपयोग के रूप में।
  • प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास के रूप में।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. विकास का महत्त्वपूर्ण घटक है
(a) आय
(b) औसत आय
(c) राष्ट्रीय विकास
(d) उच्च विकास
उत्तर (a) आय
प्रश्न 2. विश्व विकास रिपोर्ट कौन प्रकाशित करता है?
(a) मुद्रा बैंक
(b) विश्व बैंक
(c) सहकारी बैंक
(d) एशिया बैंक
उत्तर (b) विश्व बैंक
प्रश्न 3. निम्न में से किस राज्य की प्रतिव्यक्ति आय सर्वाधिक है?
(a) हरियाणा
(b) बिहार
(c) राजस्थान
(d) मेद्यालय
उत्तर (a) हरियाणा
प्रश्न 4. मानव विकास सूचकांक (2018) के अनुसार, किस देश की स्थिति उच्चतम स्तर पर है?
(a) बांग्लादेश
(b) श्रीलंका
(c) भारत
(d) नेपाल
उत्तर (b) श्रीलंका
प्रश्न 5. निम्नलिखित देशों में से किस देश का मानव विकास सूचकांक 2016 के अनुसार भारत से अधिक ऊँचा है?
(a) श्रीलंका
(b) बांग्लादेश
(c) पाकिस्तान
(d) नेपाल
उत्तर (a) श्रीलंका
प्रश्न 6. निम्नलिखित में से कौन-सा विकसित देश है?
(a) ब्राजील
(b) भारत
(c) फ्रांस
(d) बांग्लादेश
उत्तर (c) फ्रांस
प्रश्न 7. निम्न पड़ोसी देशों में से मानव विकास की दृष्टि से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?
अथवा निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास की दृष्टि से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?
अथवा निम्नलिखित में से किस देश का मानव विकास सूचकांक सर्वोच्च है?
(a) बांग्लादेश
(b) श्रीलंका
(c) नेपाल
(d) पाकिस्तान
उत्तर (b) श्रीलंका
प्रश्न 8. सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है?
(a) प्रतिव्यक्ति आय
(b) औसत साक्षरता दर
(c) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर (d) उपरोक्त सभी
प्रश्न 9. मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति ‘आय ₹5000 है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमशः ₹4000, 7000 और 5000 है, तो चौथे परिवार की आय क्या है?
(a) ₹7500
(b) ₹3000
(c) ₹2000
(d) ₹6000
उत्तर (d) ₹6000
प्रश्न 10. सतत् विकास निम्नलिखित में से किस बात पर बल देता है?
(a) आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण
(b) आर्थिक विकास के लिए पर्यावरण दोहन
(c) पर्यावरण संरक्षण
(d) मानव विकास
उत्तर (a) आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण
प्रश्न 11. मानव विकास रिपोर्ट, 2018 में भारत को कौन-सा स्थान प्राप्त हुआ था?
(a) 125वाँ
(b) 124वाँ
(c) 129वाँ
(d) 130वाँ
उत्तर (d) 130वाँ
प्रश्न 12. भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत कब हुई ?
(a) वर्ष 1991 में
(b) वर्ष 1989 में
(c) वर्ष 1995 में
(d) वर्ष 1960 में
उत्तर (a) वर्ष 1991 में
प्रश्न 13. निम्नलिखित में से किस वर्ष बांग्लादेश ग्रामीण बैंक की स्थापना की गई?
(a) 1960 में
(b) 1980 में
(c) 1970 में
(d) 1950 में
उत्तर (c) 1970 में
प्रश्न 14. निम्नलिखित कौन-सा ग्रामीण क्षेत्र के विकास का लक्ष्य है?
(a) नियमित कार्य
(b) उपज की उचित कीमत
(c) बेहतर मजदूरी
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
प्रश्न 15. प्रतिव्यक्ति आय को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
(a) औसत आय
(b) राष्ट्रीय आय
(c) व्यक्तिगत आय
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (a) औसत आय
प्रश्न 16. शिशु मृत्यु अनुपात निकाला जाता है
(a) 1000 जीवित बच्चों पर
(b) 800 जीवित बच्चों पर
(c) 500 जीवित बच्चों पर
(d) 100 जीवित बच्चों पर
उत्तर (a) 1000 जीवित बच्चों पर
प्रश्न 17. लोगों के बीच एक सामान्य विकास लक्ष्य है।
(a) परिवार
(b) स्वतन्त्रता
(c) आय
(d) सुरक्षा
उत्तर (c) आय
प्रश्न 18. भारत के किस राज्य में साक्षरता दर सबसे ज्यादा है?
(a) केरल
(b) बिहार
(c) उत्तर प्रदेश
(d) पंजाब
उत्तर (a) केरल
प्रश्न 19. व्यक्ति की वृद्धि किस प्रक्रिया से होती है?
(a) सामाजिक
(b) जैविक
(c) शिक्षात्मक
(d) निरन्तर
उत्तर (b) जैविक
प्रश्न 20. इनमें से शरीर का पोषण स्तर ज्ञात करने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
(a) शरीर द्रव्यमान सूचकांक
(b) मानव विकास सूचकांक
(c) मृत्यु दर
(d) प्रति व्यक्ति आय
उत्तर (a) शरीर द्रव्यमान सूचकांक
सुमेलित करें
प्रश्न 21. सुमेलित कीजिए
प्रश्न 22. सुमेलित कीजिए
कथन कूट
प्रश्न 23. निम्नलिखित में से कौन-सा विकसित देश नहीं है?
1. ब्राजील
2. फ्रांस
3. भारत
कूट
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर (c) 1 और 3
प्रश्न 24. मानव विकास रिपोर्ट के तहत् विकास को मापने का सर्वोत्तम तरीका है, सही कूट का चयन कीजिए।
1. जीवित मानक
2. स्वास्थ्य की स्थिति
3. लोगों का शैक्षिक स्तर
कूट
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
वर्णनात्मक प्रश्न- 1
प्रश्न 1. एक विकसित देश की क्या विशेषताएँ होती हैं? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – एक विकसित देश आर्थिक रूप से अधिक सम्पन्न माना जाता है, साथ ही लोगों का जीवन स्तर भी उच्च होता है। विकसित देशों में कम जनसंख्या एवं पर्याप्त प्राकृतिक संसाधनों की विद्यमानता अधिक रहती है, इसी कारण लोगों की प्रतिव्यक्ति आय भी अधिक होती है।
वैश्विक स्तर पर देशों की तुलना करने हेतु लोगों की आय सबसे महत्त्वपूर्ण विशिष्टता समझी जाती है। जिन देशों में प्रतिव्यक्ति आय अधिक होती है, उन्हें कम आय वाले देशों से अधिक विकसित माना जाता है। विकसित देशों में मानव जीवन सूचकांक भी अधिक रहता है।
प्रश्न 2. “धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।” यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए | 
उत्तर – पृथ्वी पर पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं, जिन्हें मनुष्य अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप प्रयोग में लाता है, लेकिन ये पर्याप्त संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। अतएव मनुष्य को इसका प्रयोग एक सीमा तक करना चाहिए।
यदि इन संसाधनों का प्रयोग निजी लाभ हेतु किया गया, तो हो सकता है कि ये एक व्यक्ति के निजी स्वार्थ तक ही सीमित रह जाए। अतः उपरोक्त कथन इसी प्रासंगिकता की ओर ध्यान आकर्षित करता है कि निजी स्वार्थ की पूर्ति से ये संसाधन शीघ्र समाप्त हो जाएँगे और विकास की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी।
प्रश्न 3. भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में उद्योगों के किन्हीं तीन योगदानों की विवेचना कीजिए । 
उत्तर – भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में उद्योगों का योगदान
भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में उद्योगों के मुख्य योगदान निम्न हैं
  1. उद्योगों से उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है और जीवन-स्तर उन्नत होता है।
  2. इससे रोजगार के साधनों में वृद्धि होती है तथा मानव संसाधन पुष्ट होते हैं।
  3. इससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि तथा पूँजी का निर्माण होता है।
  4. उद्योगों के बढ़ते योगदान से अर्थव्यवस्था के अन्य खण्ड; जैसे – कृषि, खनिज, परिवहन आदि में प्रगति होती है।
  5. उद्योगों से मनुष्य की मौलिक आवश्यकता की पूर्ति एवं उन्नति होती है।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय आय में वृद्धि हेतु कोई तीन उपाय सुझाए।
उत्तर – राष्ट्रीय आय में वृद्धि के उपाय
राष्ट्रीय आय में वृद्धि निम्न उपायों द्वारा की जा सकती है
  1. जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण भारत में जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ने के कारण प्रति व्यक्ति आय कम होती है व राष्ट्रीय आय में वृद्धि नहीं हो पाती है। इसलिए यह आवश्यक है कि देश की जनता को शिक्षित किया जाए, ताकि वे जनसंख्या के परिणामों से अवगत हो जाएँ ।
  2. बचत के लिए प्रोत्साहन देश की जनता में बचत के प्रति जागरूकता व पूँजी निर्माण में वृद्धि के प्रयास सरकार के द्वारा किए जाने चाहिए, जिससे अधिक उत्पादन किया जा सके। जब उत्पादन अधिक होगा, तो लोगों को रोजगार भी अधिक मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिव्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी।
  3. प्राकृतिक साधनों का सन्तुलित दोहन देश में उपलब्ध प्राकृतिक साधनों का विवेकपूर्ण तरीके से विदोहन करना चाहिए, जिससे उनका लम्बे समय तक पूर्ण उपयोग किया जा सके।
प्रश्न 5. शिशु मृत्यु-दर रोकने के तीन उपाय बताइए । 
उत्तर – शिशु मृत्यु दर रोकने के तीन उपाय
  1. शिक्षा को बढ़ावा देना देश के समस्त नागरिकों को शिक्षित करने के लिए शिक्षा का प्रसार करना चाहिए, जिससे नागरिकों में जन-जागरूकता को प्रोत्साहित करके शिशु मृत्यु दर को रोका जा सकता है।
  2. जीवन स्तर को बढ़ावा देना निर्धनता एक अभिशाप है। जीवन स्वत में निर्धनता सबसे बड़ी बाधक है। फलस्वरूप महिलाओं को पौष्टिक व सन्तुलित आहार न मिलने के कारण शिशु दर में कमी आती है।
  3. बाल चिकित्सा देश के प्रत्येक क्षेत्र में बाल चिकित्सालय की व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रश्न 6. पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए, जो आपने अपने आस-पास देखें हों। 
उत्तर – पर्यावरण में गिरावट के उदाहरण निम्नलिखित हैं
  • मृदा अपरदन।
  • रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से जल प्रदूषण । ।
  • भू-जल के स्तर में गिरावट
  • गाड़ियों और कारखानों से निकलने वाले धुएँ के द्वारा ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण ।
वनों का तीव्र गति से कटाव किया जा रहा है, जिससे जंगली जानवरों के आवास संकुचित हो रहे हैं और साथ ही, इनका शिकार भी किया जा रहा है।
प्रश्न 7. भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है ? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या सम्भावनाएँ हो सकती हैं?
उत्तर – भारत में ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों का प्रयोग किया जाता है; जैसे- मानव संसाधन, पशु संसाधन, कोयला, विद्युत (ताप और जल), पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, सौर ऊर्जा, प्राकृतिक ऊर्जा और परमाणु शक्ति ऊर्जा आदि । अब से 50 वर्षों के पश्चात् सम्भावनाएँ यह हैं कि पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों जैसे ऊर्जा के कुछ स्रोतों की कमी के कारण भारत को संकट का सामना करना होगा। आज भी भारत विदेशों से आयातित तेल पर निर्भर है, क्योंकि आज तक उसके पास पर्याप्त भण्डार नहीं है। तेल और उससे सम्बन्धित वस्तुओं की बढ़ती कीमतें प्रत्येक के लिए बोझ बन रही हैं। भारत को सौर ऊर्जा का उपयोग ऊर्जा के एक प्रमुख स्रोत के रूप में करना होगा या नए विकल्प ढूँढने होंगे।
प्रश्न 8. धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर – धारणीय विकास का तात्पर्य केवल वर्तमान को खुशहाल बनाना ही नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य बनाना भी है। धारणीयता का तात्पर्य ऐसा विकास करने से है, जो आने वाले कई वर्षों तक सतत् चलता रहे। यह तभी सम्भव है, जब हम संसाधन का दोहन करने की बजाए उनका विवेकपूर्ण उपयोग करते हैं। पिछली सदी में दुनिया के तेजी से औद्योगीकरण से स्थायी • विकास का मुद्दा उभरा है। यह महसूस किया जाता है कि आर्थिक विकास और औद्योगीकरण ने प्राकृतिक संसाधनों का बहुत शोषण किया है। स्थिरता प्राकृतिक संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देती है।
यदि हम उन्हें आर्थिक रूप से उपयोग करते हैं, तो विकास के लिए हमारे वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धरती में पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन यदि हम तेजी से आर्थिक विकास के लालच में उनका उपयोग करते हैं, तो हमारी दुनिया एक विशाल बर्बाद भूमि बन सकती है।
प्रश्न 9. प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक महाराष्ट्र से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं ? चर्चा कीजिए ।
उत्तर – किसी भी राज्य के विकास हेतु प्रति व्यक्ति आय एक उचित मापदण्ड नहीं है । मानव विकास क्रमांक का आधार प्रति व्यक्ति आय बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। मानव विकास मापन हेतु कई आधारभूत स्तम्भ हैं; जैसे- उस राज्य में शिशु मृत्यु दर की स्थिति क्या है, उस राज्य की साक्षरता दर कैसी है तथा उस राज्य में बच्चों की प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर कक्षा में उपस्थिति का मूल्यांकन आदि ।
वर्णनात्मक प्रश्न-2
प्रश्न 1. भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की छः कमियाँ लिखिए । 
उत्तर – सार्वजनिक वितरण के अन्तर्गत आवश्यक वस्तुओं को न्यूनतम मूल्य पर लोगों को उपलब्ध कराया जाता है। सरकार द्वारा नियन्त्रित मूल्य तथा मात्रा में वस्तुओं की आपूर्ति करना राशनिंग कहलाता है। तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में खाद्यान्न की आपूर्ती के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली अधिक विकसित है। जबकि झारखण्ड में ऐसी प्रणाली अधिक विकसित नहीं है।
सार्वजनिक प्रणाली की कमियाँ
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की छः कमियाँ निम्नलिखित हैं
  1. भ्रष्टाचार सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सबसे बड़ा दोष इस प्रणाली में निरंकुश होता भ्रष्टाचार है। इस प्रणाली के अन्तर्गत गरीबों के लिए आवण्टित राशन की कालाबाजारी की जाती है। गरीबों से खाद्यान्न के बदले सामान्य से अधिक मूल्य वसूला जाता है।
  2. लालफीताशाही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत सरकारी नौकरशाही अत्यधिक प्रभावी है, जो इस प्रणाली को जर्जर बना रही है। लालफीताशाही के कारण अनाज गोदामों में सड़ तो जाता है, किन्तु वितरित नहीं हो पाता।
  3. अकुशल प्रबन्धन सार्वजनिक प्रणाली प्रबन्ध की अकुशलता से जूझ रही है । इसी अकुशल प्रबन्धन के कारण खाद्यान्न की खरीद से लेकर वितरण करने तक सरकार को भारी राजस्व की हानि होती है।
  4. राजकोषीय घाटे की पोषक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत बेचा जाने वाला कैरोसिन तेल सब्सिडी वाला होता है, जो सरकार के राजकोषीय घाटे में वृद्धि करता है।
  5. उचित नियन्त्रण का अभाव सार्वजनिक वितरण प्रणाली अभी भी पुराने कामकाज के तरीकों को ढो रही है, जिस कारण इन पर उचित नियन्त्रण स्थापित नहीं हो पाता।
  6. संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग का अभाव वर्तमान संचार प्रौद्योगिकी के युग में भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली इससे वंचित है, जिस कारण समय, धन व संसाधनों की बर्बादी होती है।
प्रश्न 2. विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है ? इस मापदण्ड की सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर – विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए सकल राष्ट्रीय आय या प्रतिव्यक्ति आय मापदण्ड का प्रयोग करता है। विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2019 के अनुसार, 49,300 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष या इससे अधिक PCI वाले देशों को समृद्ध देश कहा जाता था।
ऐसे देश जिनकी PCI प्रति वर्ष 2,500 या उससे कम अमेरिकी डॉलर है, को निम्न आय वाला देश कहा जाता है। वर्ष 2019 में भारत की प्रतिव्यक्ति आय केवल 6,700 अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष था और इसे मध्य आय वाले देशों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
मापदण्ड की सीमाएँ
  • विभिन्न देशों के वर्गीकरण का आधार राष्ट्रीय आय को एक उपयोगी मापदण्ड नहीं माना जा सकता, क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या भिन्न होती है। कुछ व्यक्ति अत्यन्त समृद्ध होते हैं और कुछ अत्यन्त वंचित वर्ग ।
  • इस प्रकार व्यक्तियों के बीच असमान आय के वितरण से औसत व्यक्ति की आय का पता नहीं चल पाता। इस प्रकार यह विधि किसी देश की सही तस्वीर देने में असक्षम है। यह मापदण्ड लोगों के बीच की असमानताओं को छुपाता है, इसलिए इसे एक बेहतर मापदण्ड नहीं माना जा सकता।
  • विकासशील देशों में साक्षरता, शिक्षा, शिशु मृत्यु दर जैसे कारक विकास की गति को प्रभावित करते हैं। सरकार के ज्यादातर खर्चे इनके स्वास्थ्य व जन – सुविधाओं की उपलब्धता पर होते हैं, इसलिए प्रतिव्यक्ति आय विकास का मापदण्ड नहीं हो सकती है।
  • विकासशील देशों में प्रतिव्यक्ति आय के अतिरिक्त विकास के अन्य कारकों को महत्त्व दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 3. विकास सूचकांक को परिभाषित कीजिए । मानव विकास के घटकों का वर्णन करें। 
अथवा मानव विकास सूचकांक क्या है? इसको निर्धारित करने वाले प्रमुख अवयवों पर प्रकाश डालिए। 
अथवा विकास मापने का संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर – मानव विकास सूचकांक
मानव विकास रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाती है। यह मानव विकास के मापन की सर्वोत्तम विधि है।
मानव विकास सूचकांक एक विधि है, जिसका उपयोग देशों को ‘मानव विकास’ के आधार पर आँकने के लिए किया जाता है। इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है या अविकसित है। मानव विकास सूचकांक जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रतिव्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आँकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीगत करने में उपयोग किया जाता है। मानव विकास सूचकांक की अवधारणा का प्रतिपादन वर्ष 1990 में महबूब-उल-हक तथा अन्य सहयोगी ए. के. सेन तथा सिंगर हंस ने किया था। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा मानव विकास पर रिपोर्ट हेतु निम्न तीन अवयवों की आवश्यकताओं को आधार बनाया जाता है।
मानव विकास के घटक
मानव विकास हेतु उपयुक्त तीन मापदण्ड (घटक), जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने महत्त्वपूर्ण माना है, निम्नलिखित हैं
  1. जीवन प्रत्याशा देश के अन्दर लोगों की जीवन प्रत्याशा जितनी अधिक होगी, मानव विकास हेतु वह देश उतना ही विकसित माना जाएगा।
  2. साक्षरता दर साक्षरता किसी भी देश की रीढ़ है और जिस देश में शिक्षा का स्तर जितना ऊँचा होगा, वहाँ मानव विकास का क्रम तीव्र होगा और देश विकसित होगा ।
  3. प्रतिव्यक्ति आय प्रति व्यक्ति आय विभिन्न देश के लोगों के जीवन स्तर के मापन व उन्नत जीवन हेतु उपयुक्त मापदण्ड है। ऐसा जिसमें होगा वहाँ मानव विकास बेहतर होगा, देश विकसित होगा ।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में भेद कीजिए । विभिन्न देशों की तुलना करने के लिए इनमें से कौन बेहतर है?
उत्तर – राष्ट्रीय आय
एक निश्चित समयावधि में देश के सभी मूल निवासियों की कुल आय को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। ऐसे देश, जिनकी कुल आय उच्च है, उन्हें विकसित देश कहा जाता है; जैसे— संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन एवं जापान । हालाँकि यह एक उपयोगी उपाय नहीं है, क्योंकि देश की आबादी अलग-अलग है और कुल आय की तुलना किसी व्यक्ति द्वारा अर्जित औसत राशि को नहीं बताएगी।
राष्ट्रीय आय की गणना के अन्तर्गत प्राप्त आँकड़ों के विश्लेषण के द्वारा अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सन्तुलन बनाए रखने व प्राथमिकताओं को स्थापित करने में सहायता मिलती है। राष्ट्रीय आय अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण सूचकांक है।
राष्ट्रीय आय की मुख्य अवधारणाएँ निम्नलिखित हैं
  • सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी)
  • शुद्ध राष्ट्रीय आय (एन. एन.आई.)
प्रतिव्यक्ति आय
प्रतिव्यक्ति आय किसी देश या राज्य की तुलना करने में सहायक होती है। इसकी गणना कुल आबादी द्वारा देश की कुल आय को विभाजित करके की जाती है, इसे औसत आय भी कहा जाता है। इस माध्यम द्वारा आय की तुलना करने में कमियाँ आती हैं, क्योंकि यह असमानताओं को छिपाती है; जैसे- जब लोगों के एक छोटे-से हिस्से में बहुत अधिक आय होती है, तो औसत आय भी उच्च हो जाती है, परन्तु यह प्रत्येक व्यक्ति की वास्तविक स्थिति बताने में असमर्थ रहेगी। प्रतिव्यक्ति एक माप है, जिसका उपयोग किसी देश के आर्थिक उत्पादन अर्थात् देश में रहने वाले लोगों की संख्या को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। देश की जी.डी.पी. की गणना देश के कुल घरेलू उत्पादन को उसकी संख्या से विभाजित करके की जाती है।
विभिन्न देशों की तुलना के लिए बेहतर विकल्प
विभिन्न देशों की तुलना करने के लिए प्रति व्यक्ति आय विधि बेहतर है, क्योंकि यदि किसी देश में प्रति व्यक्ति आय अधिक होगी, तो वह व्यक्ति के विकास को प्रोत्साहित करेगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक पक्ष है। प्रति व्यक्ति आय में सुधार होने से मानव विकास में भी सुधार होता है, जो किसी देश की स्थिरता को प्रदर्शित करता है। प्रतिव्यक्ति आय किसी देश में निवासरत लोगों की वास्तविक आय होती है, जिसकी गणना सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न संस्थानों द्वारा की जाती है।
प्रश्न 5. विकास की अवधारणा क्या है? सामान्यतया इसमें किन-किन घटकों को सम्मिलित किया जाता है?
उत्तर – विकास की अवधारणा
विकास किसी देश के सर्वांगीण विकास पर निर्भर करता है । स्वतन्त्रता, सुरक्षा, दूसरों से सम्मान मिलने की इच्छा, आर्थिक समानता और जीवन जीने का उच्च स्तर आदि सभी विकास के महत्त्वपूर्ण भाग हैं। विकास का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक और विस्तारित है। यह निम्नलिखित दो पहलुओं को दर्शाता है
  1. लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न हो सकते हैं।
  2. एक व्यक्ति के लिए जो विकास है, वह आवश्यक नहीं किसी और के लिए भी हो। वह दूसरे व्यक्ति के लिए विकास न होकर विनाशकारी हो सकता है।
विकास में शामिल घटक
इसमें निम्न घटकों को सम्मिलित किया जाता है
आय तथा अन्य लक्ष्य आय विकास का महत्त्वपूर्ण घटक है, जिससे भौतिक वस्तुओं और सेवाओं को खरीदा जा सकता है। लोग बराबरी का व्यवहार, स्वतन्त्रता, सुरक्षा, शिक्षा, दूसरों का सम्मान, रोजगार, शान्ति, प्रदूषण रहित पर्यावरण और दूसरों से आदर मिलने की इच्छा भी रखते हैं। अतः विकास के लिए लोग लक्ष्यों के मिश्रण को देखते हैं। जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए आर्थिक विकास और विकास के लक्ष्य दोनों सम्मिलित हैं।
राष्ट्रीय विकास व्यक्ति विभिन्न लक्ष्यों की तलाश करते हैं और राष्ट्रीय विकास. के सन्दर्भ में उनके उद्देश्य भी अलग-अलग होने की सम्भावना रहती है। उदाहरण के लिए; देश का विकास एक किसान अलग माध्यम से, व्यापारी अलग माध्यम से और एक शिक्षक अलग माध्यम से चाहेगा। राष्ट्रीय विकास के तहत उन लक्ष्यों को प्राथमिकता दी जाती है, जो बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ पहुँचाते हैं।

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