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UP Board Class 10 Social Science Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (इतिहास)

UP Board Class 10 Social Science Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (इतिहास)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (इतिहास)

फास्ट ट्रैक रिवीज़न

फ्रांसीसी क्रान्ति और राष्ट्र का विचार
  • 19वीं शताब्दी के दौरान राष्ट्रवाद एक शक्ति के रूप में उभरा, जिसने यूरोप के बहुराष्ट्रीय वंश साम्राज्यों के स्थान पर देश-राज्य (Nation-State) के उदय का नेतृत्व किया।
  • राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 ई. में फ्रांसीसी क्रान्ति के साथ हुई। फ्रांस एक ऐसा राज्य था, जिसके सम्पूर्ण भू-भाग पर एक निरंकुश राजा का आधिपत्य था।
  • फ्रांसीसी क्रान्ति को यूरोप में राष्ट्रवाद की अवधारणा का जनक कहा जाता है। फ्रांसीसी क्रान्ति ने पुराने राजशाही आदेश पर सवाल उठाया और एक लोकप्रिय राष्ट्रवाद के विकास को प्रोत्साहित किया।
  • फ्रांसीसी क्रान्ति ने पितृभूमि (La Patrie), नागरिक (Le Citoyen) और फ्रांसीसी लोगों के बीच एक नया फ्रांसीसी ध्वज जैसा विचार दिया। इसने सभी नागरिकों के लिए एकसमान कानून के साथ केन्द्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली की शुरुआत की।
नागरिक संहिता (नेपोलियन संहिता)
  • नेपोलियन ने 1804 ई. में नागरिक संहिता (Civil Code) लागू की, जिसे ‘नेपोलियन संहिता’ के नाम से जाना जाता था। उसने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया था।
  • नागरिक संहिता ने कानून के समक्ष समानता की स्थापना की तथा सम्पत्ति एवं प्रशासनिक प्रभागों के आविष्कार को सुरक्षित कर दिया। नागरिक संहिता ने सामन्ती प्रणाली, भू-दासत्व, जागीरदारी शुल्क को समाप्त कर दिया।
  • नागरिक संहिता द्वारा यातायात एवं संचार व्यवस्था में भी व्यापक सुधार लाए गए।
यूरोप में राष्ट्रवाद का निर्माण
यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय होने के कारण निम्नलिखित हैं।
  • नए मध्यम वर्ग का उदय
  • उदारवादी विचारधारा का प्रसार
  • क्रान्तिकारियों का उदय
  • रूढ़िवाद की नई भावना और वियना की सन्धि
  • फ्रांसीसी क्रान्ति का प्रभाव
कुलीन वर्ग और नया मध्यम वर्ग
  • सामाजिक और राजनीतिक रूप से भूमि का मालिक ‘कुलीन वर्ग,’ यूरोपीय महाद्वीप के समाज का सबसे प्रभावशाली वर्ग था। औद्योगीकरण के कारण नए सामाजिक समूह-श्रमिक वर्ग के लोग और मध्यम वर्ग के लोग अस्तित्व में आए तथा कुलीनों को प्राप्त विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया गया।
उदारवादी राष्ट्रवाद का अर्थ
  • 19वीं शताब्दी के आरम्भ में राष्ट्रीय एकता के विचार उदारवादी विचारधारा से अधिक जुड़े। उदारवाद का अर्थ व्यक्तियों के लिए स्वतन्त्रता और कानून के समक्ष समानता का अधिकार था।
  • फ्रांस में वोट देने और निर्वाचित करने का अधिकार विशेष रूप से धनी वर्गों को दिया गया था।
  • 1834 ई. में ‘प्रशा’ की पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन का गठन किया गया, जिसने शुल्क अवरोध को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या को कम करके दो कर दी, जो पहले तीस से भी अधिक थी।
  • रेलवे के विस्तार से आर्थिक गतिशीलता में तीव्रता आई और आर्थिक हितों को राष्ट्रीय एकीकरण का सहायक बनाया गया।
1815 ई. के बाद एक नया रूढ़िवाद
  • 1815 ई. में नेपोलियन की हार के बाद यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना से ग्रसित थीं। यूरोपीय शक्तियाँ; जैसे- ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया के प्रतिनिधियों ने एक समझौते के लिए वियना नामक स्थान पर मुलाकात की।
  • वियना सम्मेलन का आयोजन ऑस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मैटरनिख द्वारा किया गया था, जिसमें प्रतिनिधियों ने 1815 ई. में वियना की सन्धि तैयार की।
वियना सन्धि के प्रमुख बिन्दु
वियना सन्धि के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं
  • फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान हटाए गए बूब राजवंश को सत्ता में बहाल किया गया था।
  • नेपोलियन के विस्तार को रोकने के लिए फ्रांस की सीमाओं पर एक श्रृंखला का निर्माण किया गया, जिसमें प्रशा को पश्चिमी सीमाओं का क्षेत्र दिया गया, जबकि ऑस्ट्रिया को उत्तरी इटली का नियन्त्रण दिया गया। नेपोलियन द्वारा गठित जर्मन महासंघ के 39 राज्यों को पहले की तरह बनाए रखा गया।
  • पूर्व में रूस को पोलैण्ड का भाग दिया गया था, जबकि प्रशा को सैक्सनी का एक भाग दिया गया था।
क्रान्तियों का युग (1830-48 ई.)
  • यूरोप में प्रथम विद्रोह फ्रांस में जुलाई, 1830 में हुआ। जुलाई क्रान्ति से ब्रूसेल्स में भी एक विद्रोह फैला, जिसने बेल्जियम को यूनाइटेड किंगडम ऑफ द नीदरलैण्ड से अलग कर दिया।
  • 1830 ई. की क्रान्ति के बाद फ्रांस में संवैधानिक राजतन्त्र स्थापित किया गया।
  • ग्रीस में स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष 1821 ई. में शुरू हुआ और 1832 ई. की कुस्तुनतुनिया की सन्धि ने एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में ग्रीस को मान्यता दी।
रूमानी कल्पना और राष्ट्रवादी भावनाओं का उदय
  • राष्ट्रवाद के विकास में युद्ध, क्षेत्रीय विस्तार तथा संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
  • जर्मन दार्शनिक योहन गोटफ्रीड हेटर (1744-1803 ई.) ने दावा किया कि सामान्य लोगों के बीच जर्मन संस्कृति निहित थी ।
  • पोलैण्ड, जो अब एक स्वतन्त्र क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में नहीं था, वह संगीत और भाषा के माध्यम से राष्ट्रवादी महसूस कर रहा था।
आर्थिक मन्दी (भूख, कठिनाइयाँ और जन विद्रोह)
  • 1830 के दशक में यूरोप में बड़ी आर्थिक मन्दी आई, जिसमें 1845 ई. में सिलेसिया गाँव के मजदूरों ने ठेकेदारों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया तथा अधिक वेतन की माँग की।
  • 1848 ई. में भोजन की कमी के कारण जनता पेरिस की सड़कों पर आ गई तथा लुई फिलिप को पद से निरस्त कर दिया गया।
  • नेशनल असेम्बली ने एक गणतन्त्र की घोषणा की, जिसमें 21 वर्ष से ऊपर के वयस्क पुरुषों को मताधिकार प्रदान किया गया तथा काम के अधिकार को सुनिश्चित किया गया। रोजगार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से कारखाने स्थापित किए गए।
1848 ई. : उदारवादियों की क्रान्ति
  • यूरोप के देशों; जैसे- जर्मनी, इटली, पोलैण्ड, ऑस्ट्रो-हंगरी साम्राज्य में उदारवादियों ने संविधान की माँग को राष्ट्र-राज्य के निर्माण की माँग के साथ जोड़ दिया।
  • यूरोप के मध्यवर्गीय लोगों ने विद्रोह की घोषणा की, जिसके परिणामस्वरूप फरवरी, 1848 में राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी।
  • यूरोप में यह माँग संविधान, प्रेस की स्वतन्त्रता और संघ बनाने की स्वतन्त्रता पर आधारित थी।
मई क्रान्ति
  • 18 मई, 1848 को 831 निर्वाचित प्रतिनिधि फ्रैंकफर्ट संसद में भाग लेने के लिए एक जुलूस में शामिल हुए। यह संसद सेण्ट पॉल चर्च में आयोजित हुई, जिसमें जर्मन राष्ट्र के लिए संविधान का प्रारूप तय किया गया।
  • जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरिक विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाना चाहा, तो उसने उसे अस्वीकार कर निर्वाचित सभा के विरोधी राजाओं का साथ दिया।
  • संसद में मध्य वर्गों का वर्चस्व था, जो श्रमिकों और कारीगरों की माँग का विरोध करते थे। परिणामस्वरूप इन वर्गों ने उनका समर्थन खो दिया। अन्त में सैनिकों को बुलाकर विधानसभा को विस्थापित कर दिया गया।
महिलाओं के लिए राजनीतिक अधिकार की माँग
  • उदारवादी आन्दोलन में महिलाओं के लिए राजनीतिक अधिकार की माँग की गई।
  • महिलाओं ने अपने अधिकार के लिए संगठन की स्थापना की, अखबार निकाले तथा सम्मेलनों में भाग लिया। 1848 ई. में रूढ़िवादी दल, उदारवादी आन्दोलनों को दबाने में सक्षम सिद्ध थे। हैब्सबर्ग प्रभुत्व वाले क्षेत्रों तथा रूस में गुलामी एवं बँधुआ श्रम दोनों को समाप्त कर दिया गया।
जर्मनी और इटली का निर्माण
जर्मनी का एकीकरण
  • 1848 ई. में जर्मन सम्प्रदाय के विभिन्न क्षेत्रों को मिलाकर निर्वाचित संसद द्वारा नियन्त्रित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया गया।
  • ऑटो वॉन बिस्मार्क ने प्रशा के राष्ट्रीय एकीकरण आन्दोलन का नेतृत्व किया। फ्रांस और प्रशा के युद्ध ने जर्मनी के एकीकरण का स्वप्न पूरा किया। बिस्मार्क को राष्ट्रीय एकीकरण का जनक कहा जाता है। बिस्मार्क ने लौह एवं रक्त नीति के द्वारा जर्मनी के एकीकरण में सफलता प्राप्त की।
    जर्मनी के एकीकरण के समय निम्नलिखित घटनाएँ हुई थीं
    ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस के साथ 7 वर्षों तक लड़ा गया युद्ध प्रशा की जीत के साथ समाप्त हो गया तथा एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।
    18 जनवरी, 1871 को प्रशा के महत्त्वपूर्ण मन्त्रियों की बैठक वर्साय के महल में हुई, जिसमें काइजर विलियम प्रथम की अध्यक्षता में नए जर्मन साम्राज्य की घोषणा की गई, जिसमें विलियम प्रथम सम्राट बना।
    सेड़ान युद्ध के परिणामस्वरूप जर्मनी का एकीकरण हुआ ।
इटली का एकीकरण
  • 19वीं शताब्दी के मध्य इटली को सात राज्यों में विभाजित किया गया था। इनमें से केवल एक राज्य सार्डिनिया पीडमॉण्ट को एक इतालवी राजसी सभा द्वारा शासित किया गया था।
  • इटली के एकीकरण में शामिल प्रसिद्ध व्यक्ति ज्युसेपे मेत्सिनी, काउण्टी कैबिलो डी. कावूर एवं ज्युसेपे गैरीबाल्डी थे।
एकीकरण के समय घटित प्रमुख घटनाएँ
  • संयुक्त इटली की घोषणा 1860 ई. में हुई। सेना ने दक्षिणी इटली और दो सिसिलियों के राज्य में प्रवेश किया और स्पेनिश किसानों को बाहर निकालने के लिए स्थानीय किसानों का समर्थन जीतने में सफल रही।
  • 1861 ई. में विक्टर इमेनुएल द्वितीय को संयुक्त इटली का राजा घोषित किया गया टस्कानी, मोडेना, बर्मा और पोप के राज्यों ने सार्डिनिया के साथ हाथ मिलवाया।
  • रोम सार्डिनिया का एक हिस्सा बन गया। इस प्रकार इटली का एकीकरण 1871 ई. में किया गया।
ग्रेट ब्रिटेन का विकास
  • 18वीं सदी से पहले कोई ब्रिटिश राष्ट्र नहीं था। ब्रिटिश, वेल्स, स्कॉटलैण्ड या आयरिश लोगों की पहचान नृजातीय थी।
  • इंग्लैण्ड में लम्बे समय से चले आ रहे राजतन्त्र को 1688 ई. में समाप्त कर दिया गया। इसके बाद राष्ट्र-राज्य का निर्माण हुआ, जिसके केन्द्र में इंग्लैण्ड था।
यूनाइटेड किंगडम में स्कॉटलैण्ड का विलय
  • इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच 1707 ई. के अधिनियम के द्वारा यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन हुआ।
आयरलैण्ड का विलय
  • आयरलैण्ड कैथोलिक और प्रोटेस्टेण्ट में विभाजित था। अंग्रेजों ने कैथोलिक देशों पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए प्रोटेस्टेण्टों का समर्थन किया तथा कैथोलिक के विद्रोह को दबा दिया।
  • वोल्फटोन और यूनाइटेड आयरिशमेन (1798 ई.) के नेतृत्व में हुए असफल विद्रोह के बाद आयरलैण्ड को 1801 ई. में यूनाइटेड किंगडम में शामिल कर लिया गया।
राष्ट्र की दृश्य कल्पना
  • 18वीं- 19वीं शताब्दी में राष्ट्र के मानवीकरण के लिए एक रास्ता निकाला गया, जिसमें राष्ट्र को महिला के रूप में चित्रित किया गया। महिला का रूप राष्ट्र का रूपक बन गया।
  • फ्रांस में महिला रूपक मारीआन और जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र की रूपक बन गई।
राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद
  • 19वीं शताब्दी के अन्त तक राष्ट्रवाद अपने आदर्शवादी, उदारवादी व जनतान्त्रिक स्वभाव को बनाए रखने में असफल रहा।
  • राष्ट्रवादी समूह तेजी से असहिष्णु बन गया और युद्ध शुरू करने के लिए तैयार: गया।
बाल्कन : यूरोप में राष्ट्रवादी तनाव
  • बाल्कन भौगोलिक और जातीय भिन्नता का एक क्षेत्र था, जिसमें आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बेनिया, ग्रीस, मैसेडोनिया, क्रोएशिया, बोस्नियाहर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मॉण्टिनिग्रो शामिल थे, जिनके निवासी को स्लाव के रूप में जाना जाता था।
  • बाल्कन तुर्क साम्राज्य के नियन्त्रण में था। बाल्कन तीव्र संघर्ष का क्षेत्र बन गया था, क्योंकि रूस, जर्मनी, इंग्लैण्ड आदि बाल्कन के ऊपर अन्य शक्तियों को कम करके अपना नियन्त्रण बढ़ाने के लिए उत्सुक थे।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. फ्रांस की क्रान्ति कब हुई थी ?
(a) 1688 ई.
(b) 1789 ई.
(c) 1914 ई.
(d) 1939 ई.
उत्तर (b) 1789 ई.
प्रश्न 2. फ्रांस में गणतन्त्र की घोषणा कब हुई ?
(a) 1815 ई.
(b) 1830 ई.
(c) 1848 ई.
(d) 1871 ई.
उत्तर (c) 1848 ई.
प्रश्न 3. 1789 ई. में फ्रांस किस प्रकार का राज्य था ?
(a) असीमित राजतन्त्र
(b) सीमित राजतन्त्र
(c) प्रजातन्त्र
(d) गणतन्त्र
उत्तर (a) असीमित राजतन्त्र
प्रश्न 4. नेपोलियन का सम्बन्ध किस देश से था?
(a) जर्मनी
(b) इटली
(c) फ्रांस
(d) इंग्लैण्ड
उत्तर (c) फ्रांस
प्रश्न 5. नेपोलियन ने नागरिक संहिता को कब लागू किया था ? अथवा फ्रांस में नेपोलियन संहिता किस वर्ष लागू की गई ?
(a) 1804 ई.
(b) 1815 ई.
(c) 1829 ई.
(d) 1841 ई.
उत्तर (a) 1804 ई.
प्रश्न 6. निम्नलिखित में से कौन-सा 1804 ई. के नेपोलियन कोड में नहीं जोड़ा गया था?
(a) जन्म से प्राप्त विशेषाधिकार
(b) सामन्ती व्यवस्था का अन्त
(c) सम्पत्ति का अधिकार
(d) कानून के समक्ष समानता
उत्तर (a) जन्म से प्राप्त विशेषाधिकार
प्रश्न 7. राष्ट्रवाद का प्रारम्भ सर्वप्रथम किस देश में हुआ?
अथवा राष्ट्रवाद का प्रारम्भ जिस देश से हुआ वह है
(a) इंग्लैण्ड
(b) अमेरिका
(c) फ्रांस
(d) रूस
उत्तर (c) फ्रांस
प्रश्न 8. राष्ट्रवाद की अवधारणा का जन्म किस घटना से माना जाता है?
(a) धर्म सुधार आन्दोलन से
(b) पुनर्जागरण से
(c) फ्रांस की क्रान्ति से
(d) गौरवपूर्ण क्रान्ति से
उत्तर (c) फ्रांस की क्रान्ति से
प्रश्न 9. यूरोप राष्ट्रवाद के उदय के कारण निम्नलिखित में से कौन-से हैं?
(a) नए मध्यम वर्ग का उदय
(b) उदारवादी विचारधारा का प्रसार
(c) क्रान्तिकारियों का उदय
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर (d) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 10. मध्य वर्ग के उदय का कारण क्या था?
(a) औद्योगीकरण
(b) मानवीकरण
(c) तकनीकी
(d) वैश्वीकरण
उत्तर (a) औद्योगीकरण
प्रश्न 11. ‘जॉलवेराइन’ का गठन कब किया गया?
(a) 1837 ई.
(b) 1834 ई.
(c) 1835 ई.
(d) 1838 ई.
उत्तर (b) 1834 ई.
प्रश्न 12. नेपोलियन की पराजय कब हुई थी ?
(a) 1814 ई.
(b) 1815 ई.
(c) 1816 ई.
(d) 1817 ई.
उत्तर (b) 1815 ई.
प्रश्न 13. वियना सम्मेलन की मेजबानी निम्नलिखित में से किसने की?
(a) मैटरनिख
(b) बिस्मार्क
(c) चार्ल्स दशम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (a) मैटरनिख
प्रश्न 14. फ्रांस में किस शासन वंश की पुनर्स्थापना वियना कांग्रेस द्वारा की गई थी?
(a) हैपसबर्ग
(b) आलिया वंश
(c) बूर्बो वंश
(d) जारशाही
उत्तर (c) बूर्बो वंश
प्रश्न 15. वियना की सन्धि कब हुई थी ?
(a) 1848 ई.
(b) 1815 ई.
(c) 1834 ई.
(d) 1900 ई.
उत्तर (b) 1815 ई.
प्रश्न 16. 1830 ई. की क्रान्ति के बाद फ्रांस में किस प्रकार का शासन स्थापित हुआ?
(a) संघीय शासन व्यवस्था
(b) संवैधानिक राजतन्त्र
(c) निरंकुश राजतन्त्र
(d) गणराज्य
उत्तर (b) संवैधानिक राजतन्त्र
प्रश्न 17. ज्युसैपे मेत्सिनी का सम्बन्ध था
(a) इटली के एकीकरण से
(b) जर्मनी के एकीकरण से
(c) इंग्लैण्ड के राष्ट्रवाद से
(d) फ्रांस के राष्ट्रवाद से
उत्तर (a) इटली के एकीकरण से
प्रश्न 18. यूरोप में किस दशक में बड़ी आर्थिक मन्दी आई ?
(a) 1820
(b) 1830
(c) 1840
(d) 1850
उत्तर (b) 1830
प्रश्न 19. जर्मन संस्कृति में ‘बोक्सजिस्ट’ का आशय था
(a) राष्ट्र
(b) संविधान
(c) आम जनता
(d) संसद
उत्तर (a) राष्ट्र
प्रश्न 20. ऑटोवॉन बिस्मार्क का सम्बन्ध किस देश से था?
(a) इटली
(b) जर्मनी
(c) फ्रांस
(d) ब्रिटेन
उत्तर (b) जर्मनी
प्रश्न 21. जर्मनी के एकीकरण में मुख्य भूमिका किसकी थी?
(a) ज्युसेपे गैरीबाल्डी
(b) ऑटो वॉन बिस्मार्क
(c) नेपोलियन
(d) विलियम प्रथम
उत्तर (b) ऑटो वॉन बिस्मार्क
प्रश्न 22. निम्नलिखित नेताओं में से किसने एक गुप्त संगठन ‘यंग इटली’ बनाया?
(a) विक्टर इमैनुएल द्वितीय
(b) ज्युसेपे मेत्सिनी
(c) काउण्ट कावूर
(d) ज्युसेपे गैरीबाल्डी
उत्तर (b) ज्युसेपे मेत्सिनी
प्रश्न 23. इटली एवं जर्मनी के एकीकरण के विरूद्ध निम्न में से कौन था?
(a) इंग्लैण्ड
(b) रूस
(c) ऑस्ट्रिया
(d) प्रशा
उत्तर (c) ऑस्ट्रिया
प्रश्न 24. निम्नलिखित में से किस युद्ध में जर्मनी के एकीकरण का स्वप्न पूर्ण हो गया?
(a) फ्रांस- प्रशा युद्ध
(b) फ्रांस-इटली युद्ध
(c) ऑस्टरलिज का युद्ध
(d) जॉलवेराइन का युद्ध
उत्तर (a) फ्रांस- प्रशा युद्ध
प्रश्न 25. ‘प्रशा’ राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट कब घोषित किया गया ?
(a) दिसम्बर, 1870 में
(b) जनवरी, 1870 में
(c) जनवरी, 1871 में
(d) जनवरी, 1872 में
उत्तर (c) जनवरी, 1871 में
प्रश्न 26, उदारवाद से तात्पर्य है
(a) निजी सम्पत्ति का अभाव
(b) राज्य द्वारा आर्थिक गतिविधियों पर पाबन्दी
(c) व्यक्ति को स्वतन्त्रता तथा कानून के समक्ष समानता
(d) कुछ लोगों के हाथ में शासन की शक्ति
उत्तर (c) व्यक्ति को स्वतन्त्रता तथा कानून के समक्ष समानता
प्रश्न 27. निम्नलिखित में से यह किसका कथन है?
“जब फ्रांस छींकता है, तो बाकी यूरोप को सर्दी जुकाम हो जाता है। “
(a) कावूर
(b) बिस्मार्क
(c) मेजिनी
(d) मैटरनिख
उत्तर (d) मैटरनिख
प्रश्न 28. ड्यूक मैटरनिख ने सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन किसको माना ?
(a) रूसो
(b) विक्टर इमैनुएल
(c) काल्विन
(d) ज्युसेपी मेत्सिनी
उत्तर (d) ज्युसेपी मेत्सिनी
प्रश्न 29. इटली का एकीकरण किसके नेतृत्व में किया गया?
(a) ज्युसेफ गैरीबाल्डी
(b) ऑटो-वान बिस्मार्क
(c) नेपोलियन
(d) विलियम प्रथम
उत्तर (a) ज्युसेफ गैरीबाल्डी
प्रश्न 30. 1789 ई. में फ्रांस में राष्ट्रवाद की प्रथम अभिव्यक्ति का क्या परिणाम हुआ?
(a) फ्रांस की क्रान्ति
(b) नेपोलियन का उदय
(c) जर्मनी का एकीकरण
(d) निरंकुश राजतन्त्र का प्रारम्भ
उत्तर (a) फ्रांस की क्रान्ति
सुमेलित करें
प्रश्न 31. सुमेलित कीजिए
प्रश्न 32. सुमेलित कीजिए
कथन कूट
प्रश्न 33. नेपोलियन संहिता के संबंध में सत्य कथन है।
1. इसकी शुरुआत 1804 ई. में हुई।
2. जन्म आधारित विशेषाधिकार की समाप्ति ।
3. संचार प्रणाली में सुधार हुआ।
4. सार्वभौमिक कानूनों की स्थापना हुई ।
कूट
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 3 और 4
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
प्रश्न 34. यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय के जन्म के कारक हैं
1. नए मध्यम वर्ग का उदय
2. उदारवाद का प्रसार
3. वियना की संधि
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
वर्णनात्मक प्रश्न- 1
प्रश्न 1. फ्रांस की क्रान्ति कब हुई? इसका मुख्य कारण क्या था?
उत्तर – फ्रांस की क्रान्ति 1789 ई. में हुई, जो आधुनिक युग की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। फ्रांस की क्रान्ति के कारण निम्नलिखित हैं
1. राजनैतिक कारण
  1. निरंकुश राजतन्त्र फ्रांस में राजा की शक्ति निरंकुश थी। वह अपनी इच्छानुसार काम करता था। राजा के अन्यायों से आम जनता परेशान हो चुकी थी।
  2. विलासी जीवन राज्य की सम्पूर्ण आय पर राजा का निजी अधिकर होता था। राजा और रानी भोग विलास में लिप्त रहते थे। इससे आम जनता के लिए भुखमरी जैसी स्थिति पैदा हो गई ।
  3. प्रशासनिक अव्यवस्था फ्रांस की शासन व्यवस्था अव्यवस्थित थी । सरकारी पदों पर नियुक्ति का आधार योग्यता न होकर निजी सम्बन्ध हुआ करते थे।
2. सामाजिक कारण 18वीं सदी के अन्त तक फ्रांस की सामाजिक परिस्थितियाँ शोषणकारी हो गई थी और कुलीन वर्गों को विशेष अधिकार प्राप्त था ।
3. आर्थिक कारण आर्थिक परिस्थितियों ने भी इस क्रान्ति को बढ़ावा दिया। एक तरफ फ्रांस ब्रिटेन के साथ लगातार युद्धों मे लिप्त था, तो वहीं फ्रांस के राजा के विलासितापूर्ण जीवन ने भी अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव डाला ।
प्रश्न 2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने क्या कदम उठाए ? [NCERT ]
उत्तर – फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने आरम्भ से ही ऐसे कदम उठाए, जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना उत्पन्न हो सके। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए
  • पितृभूमि तथा नागरिक जैसी विचारधारा ने संयुक्त समुदाय पर बल दिया। इसे एक संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्रदान किए गए थे।
  • नया तिरंगा चुना गया तथा इसे पूर्व राष्ट्रध्वज का स्थान दिया गया। स्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा। इसका नाम परिवर्तित कर नेशनल असेम्बली कर दिया गया।
  • शहीदों का गुणगान किया गया, नई स्तुतियाँ रची गईं तथा शपथ ली गई, ये सभी राष्ट्र के नाम पर की गईं। केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की गई, जिसके तहत अपने भू-भाग पर रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए गए।
  • आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और भार नापने की एक समान व्यवस्था भी स्थापित की गई। पेरिस में फ्रेंच जैसी भाषा बोली या लिखी जाती थी, वही राष्ट्र की संयुक्त भाषा बन गई और क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया।
प्रश्न 3. नेपोलियन द्वारा किए गए सुधारों का वर्णन कीजिए।
अथवा नेपोलियन कौन था? उसके सुधार क्या थे? उसके सुधारों का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर – नेपोलियन
नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांसीसी सेना का सैन्य – प्रमुख और सम्राट था। यह विश्व के महानतम व्यक्तियों में से एक था, जिसने 19वीं शताब्दी में यूरोप के विभिन्न हिस्सों पर विजय प्राप्त की थी।
नेपोलियन द्वारा किए गए सुधार
  • प्रशासनिक सुधार नेपोलियन की शासन व्यवस्था कुशलता और कार्यक्षमता के सिद्धान्त पर आधारित थी। इसने शासन व्यवस्था का केन्द्रीयकरण किया।
  • आर्थिक सुधार नेपोलियन ने मुद्रा के संचालन हेतु बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना की। कर प्रणाली को मजबूत किया, मजदूरों का वेतन निश्चित किया तथा अन्य कालाबाजारी, मुनाफाखोरी आदि को समाप्त किया।
  • धार्मिक सुधार नेपोलियन ने राज्य के सभी नागरिकों को धर्म का आचरण करने की स्वतन्त्रता प्रदान की।
नेपोलियन द्वारा किए गए सुधारों का प्रभाव
  • यूरोप में समाजिक, आर्थिक, राजनैतिक समानता को बढ़ावा मिला।
  • मानवीय अधिकारों की माँग उठने लगी ।
  • सामन्ती व्यवस्था का अन्त हुआ।
प्रश्न 4. वियना कांग्रेस सम्मेलन कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर – वियना कांग्रेस यूरोपीय देशों के राजदूतों का एक सम्मेलन था, जो सितम्बर, 1814 से जून, 1815 को वियना आयोजित किया गया था। 1815 ई. में ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया जैसी यूरोपीय शक्तियों ने मिलकर नेपोलियन को हराया था। वियना में एक समझौता सन्धि तैयार की गई, जिसका उद्देश्य उन सभी बदलाव को समाप्त करना था, जो नेपोलियन ने युद्ध के दौरान किए थे। इस सन्धि के कुछ प्रमुख प्रभाव निम्न हैं
  1. फ्रांस की सीमाओं पर कई राज्य कायम कर दिए गए, जिससे फ्रांस अपनी सीमा का विस्तार न कर सके ।
  2. फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान हटाए गए बूर्बो वंश को सत्ता में बहाल किया गया और फ्रांस ने उन इलाकों को खो दिया जिन पर उसने नेपोलियन के अधीन कब्जा किया था।
प्रश्न 5. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को अधिक कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए? [NCERT]
उत्तर – अपने शासन वाले क्षेत्रों के शासन को अधिक कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्न बदलाव किए थे
  • नेपोलियन संहिता द्वारा जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए तथा इनके स्थान पर कानून के समक्ष बराबरी और सम्पत्ति के अधिकारों को सुरक्षित बनाया गया।
  • सभी क्षेत्रों में समान कर व्यवस्था लागू की गई। कलाकारों, विद्वानों और देश भक्तों को सम्मानित किया गया। इस संहिता को फ्रांसीसी नियन्त्रण के आधीन क्षेत्रों में भी लागू किया गया।
प्रश्न 6. फ्रांसीसी क्रान्ति की उन घटनाओं का उल्लेख कीजिए, जिन्होंने यूरोप के अन्य भागों से सम्बन्ध रखने वाले लोगों को प्रभावित किया था।
उत्तर – फ्रांसीसी क्रान्ति की कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं, जिन्होंने यूरोप के अन्य भागों से सम्बन्ध रखने वालों को भी अत्यधिक प्रभावित किया था
  • निरंकुश शासन से मुक्ति फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने क्रान्ति के समय यह घोषणा की कि फ्रांसीसी राष्ट्र का यह भाग्य और लक्ष्य था कि वह यूरोप के लोगों को निरंकुश शासकों से मुक्त कराए।
  • जैकोबिन क्लबों की स्थापना करना जब फ्रांस की घटनाओं की खबर यूरोप के विभिन्न शहरों में पहुँची, तो छात्र तथा शिक्षित मध्य वर्गों के अन्य सदस्य जैकोबिन क्लबों की स्थापना करने लगे।
  • नेपोलियन का उदय और उसका प्रभाव फ्रांसीसी क्रान्ति द्वारा निर्मित की गई। परिस्थितियों ने नेपोलियन के लिए मार्ग खोल दिया, जिसके कारण उसने यूरोप की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अनेक कदम उठाए।
प्रश्न 7. मारीआना और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था? [NCERT]
उत्तर – मारीआना
मारीआना एक ईसाई लोकप्रिय नाम है, जिसे फ्रांस ने जन राष्ट्र के विचार को रेखांकित करने के लिए नारी रूप में चित्रित किया। अतः फ्रांस ने अपने स्वतन्त्रता के नारी प्रतीक को यही नाम दिया। मारीआना की प्रतिमाएँ सार्वजनिक स्थानों पर लगाई गईं, ताकि जनता को राष्ट्रीय एकता एवं प्रतीक का स्मरण होता रहे। इसके चित्र सिक्कों व डाक टिकटों पर भी अंकित किए गए।
जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र की नारी रूपक थी । जर्मेनिया के प्रत्यक्ष साक्ष्य अभिव्यक्ति के लिए वह बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती हैं, जिसे जर्मन वीरता का प्रतीक माना जाता है। जर्मेनिया के हाथ में जो तलवार दी गई उस पर ” जर्मन तलवार जर्मन राइन की रक्षा करती है” अंकित है । जर्मेनिया का चित्र स्वतन्त्रता, न्याय और गणतन्त्र जैसे विचारों को प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त करता है।
प्रश्न 8. 19वीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए । 
उत्तर – 19वीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास के लिए प्रमुख चार उत्तरदायी कारण निम्नलिखित थे
  1. फ्रांसीसी क्रान्ति का प्रभाव फ्रांसीसी क्रान्ति 1789 ई. में हुई थी, जिसने विश्वभर में जनतन्त्र का प्रसार किया ।
  2. औद्योगीकरण एवं मध्यवर्ग का प्रभाव यह प्रक्रियाएँ यूरोप के देशों में नए सामाजिक समूहों को अस्तित्व में लाई । उदाहरण के लिए, औद्योगिक श्रमिक, व्यवसायी, सेवा क्षेत्र के लोग आदि ।
  3. रूमानीवाद का प्रभाव 18वीं सदी से यूरोप में रूमानी संस्कृति का प्रादुर्भाव था, जो समाज में एकलयात्मक, साहित्यिक, बुद्धिवादी तथा राष्ट्रवादी भावनाओं के एक मुख्य रूप का विकास करना चाहते थे ।
  4. उदारीकरण तत्कालीन समाज में आर्थिक उदारवाद की भावना के साथ-साथ राष्ट्र राज्यों को भी बढ़ावा दिया। उदारवाद व्यक्ति की स्वतन्त्रता और सभी के लिए समान कानून की वकालत करता रहा ।
प्रश्न 9. उदारवादियों की 1848 ई. की क्रान्ति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया? [NCERT]
उत्तर – उदारवादियों की 1848 ई. की क्रान्ति का अर्थ राजतन्त्र का अन्त और गणतन्त्र की स्थापना करना था। इस क्रान्ति को लाने में मध्यम वर्ग का बहुत बड़ा योगदान था। यही कारण था कि यहाँ राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन हुए, जो निम्नलिखित थे
  • राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन राजतन्त्र का अन्त कर गणतन्त्र की स्थापना की गई। महिलाओं को राजनैतिक मताधिकार दिए जाने की माँग की जाने लगी। जर्मनी, इटली, पोलैण्ड, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्यों में उदारवादी मध्यम वर्गों के स्त्री पुरुषों ने संविधानवाद की अपनी माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ा।
  • सामाजिक क्षेत्र के परिवर्तन कुलीन वर्गों की अपेक्षा मध्यम वर्ग के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, जिससे कुलीन वर्ग की श्रेष्ठता कम हुई। महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा दिया गया तथा सभी क्षेत्रों में भागीदारी के महत्त्व को भी समझा गया।
  • आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन भू-दासता और बँधुआ मजदूरी का अन्त किया गया। 1848 ई. में खाद्य सामग्री का अभाव एवं बढ़ती बेरोजगारी की समस्या के कारण जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था। अतः इसके समाधान के लिए उदारवादियों के द्वारा क्रान्ति एवं प्रदर्शन किया गया।
प्रश्न 10. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाइए। Imp [2020, NCERT ]
अथवा जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया के बारे में एक संक्षिप्त लेख लिखिए । [2022]
अथवा ऑटोवॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का जनक क्यों कहा जाता है ? [2023]
उत्तर – 1848 ई. के बाद यूरोप में राज्य शक्ति और राजनीतिक वर्चस्व पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए रूढ़िवादियों ने अकसर राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रयोग किया। जर्मनी में मध्यवर्गीय लोगों के बीच राष्ट्रवादी भावनाएँ व्यापक थीं। 1848 ई. में जर्मन सम्प्रदाय के विभिन्न क्षेत्रों को मिलाकर निर्वाचित संसद द्वारा नियन्त्रित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया गया था।
प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व किया। प्रशा के प्रमुख मन्त्री ऑटोवॉन बिस्मार्क को इस प्रक्रिया का जनक माना जाता है, जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की सहायता ली थी । जर्मनी के एकीकरण के समय हुई बड़ी घटनाएँ निम्न थीं
  • ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस के साथ 7 वर्षों तक लड़ा गया युद्ध प्रशा की जीत के साथ समाप्त हो गया और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।
  • 18 जनवरी, 1871 को जर्मन राज्यों के शासकों, सेना के प्रतिनिधियों, प्रमुख मन्त्री ऑटोवॉन बिस्मार्क सहित प्रशा के महत्त्वपूर्ण मन्त्रियों की एक बैठक वर्साय के महल में हुई, जिसमें काइजर विलियम प्रथम की अध्यक्षता में नए जर्मन साम्राज्य की घोषणा की गई थी।
  • जर्मनी में मुद्रा, बैंकिंग, कानूनी और न्यायिक प्रणाली के आधुनिकीकरण पर नए राज्य ने बल दिया।
प्रश्न 11. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दीजिए। Imp [2022, NCERT ]
उत्तर – यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण निम्नलिखित हैं
  1. कार्ल कैस्पर फ्रिट्ज का ‘स्वतन्त्रता के वृक्ष का रोपण’ सम्बन्धित चित्र जर्मन चित्रकार कार्ल कैस्पर फ्रिट्ज़ द्वारा बनाए गए इस रंगीन चित्र का विषय फ्रेंच सेनाओं द्वारा ज्वेब्रकेन शहर पर कब्ज़ा है। अपनी नीली, सफेद और लाल पोशाकों से पहचाने जाने वाले फ्रांसीसी सैनिकों को दमनकारियों के रूप में प्रस्तुत किया है, जो एक किसान की गाड़ी छीनते हुए कुछ युवा महिलाओं को तंग कर रहे हैं और एक किसान को घुटने टेकने पर मजबूर कर रहे हैं।
  2. फ्रेडरिक सॉरयू का ‘यूटोपिया’ 1848 ई. में एक फ्रांसीसी कलाकार फ्रेडरिक सॉरयू ने चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई। इनमें उसने सपनों का एक संसार रचा, जो उसके शब्दों में ‘जनतान्त्रिक और सामाजिक गणतन्त्रों से मिलकर बना था। सभी उम्र के और सामाजिक वर्ग के लोग लम्बी कतार में स्वतन्त्रता की प्रतिमा की वन्दना करते जा रहे हैं।
  3. यूजीन देलाक्रोआ की ‘द मसैकर ऐट किऑस’ फ्रांसीसी चित्रकार देलाक्रोआ सबसे महत्त्वपूर्ण फ्रेंच रूमानी चित्रकारों में से एक था। यह विशाल चित्र एक घटना को चित्रित करता है।
प्रश्न 12. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बताइए कि 19वीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए? [NCERT]
उत्तर – 19वीं शताब्दी में यूरोप में इटली और जर्मनी दो एकीकृत राष्ट्र बने, जिनका विकास निम्नलिखित चरणों में पूर्ण हुआ
  1. जर्मनी राष्ट्र का विकास 1848 ई. के बाद यूरोप में राज्य शक्ति और राजनीतिक वर्चस्व पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए रूढ़िवादियों ने अकसर राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रयोग किया। जर्मनी में मध्यवर्गीय लोगों के बीच राष्ट्रवादी भावनाएँ व्यापक थीं। 1848 ई. में जर्मन सम्प्रदाय के विभिन्न क्षेत्रों को मिलाकर निर्वाचित संसद द्वारा नियन्त्रित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया गया था। प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व किया। प्रशा के प्रमुख मन्त्री ऑटोवॉन बिस्मार्क को इस प्रक्रिया का जनक माना जाता है, जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की सहायता ली थी।
  2. इटली का एकीकरण 19वीं सदी के मध्य में इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था, जिनमें से केवल सार्डिनिया पीडमॉण्ट में एक इतालवी राजघराने का शासन था। इसके उत्तरी भाग पर ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्ग, मध्य क्षेत्र पर पोप तथा दक्षिणी क्षेत्र स्पेन बूब शासकों के अधीन था। यहाँ की इतालवी भाषा ने साझा रूप प्राप्त नहीं किया था। इटली के एकीकरण में यहाँ के प्रमुख व्यक्तियों ने योगदान दिया था।
प्रश्न 13. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था ? [NCERT ]
उत्तर – ब्रिटेन में भी राष्ट्रवाद का विकास एक लम्बी अवधि एवं संवैधानिक प्रक्रिया द्वारा हुआ। इसे रक्तहीन क्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप से भिन्न होने के अनेक कारण थे
  • 18वीं शताब्दी से पहले ब्रिटेन राष्ट्र नहीं, बल्कि यह एक द्वीप समूह था, जिसमें रहने वाले लोगों को अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश कहा जाता था। इनकी पहचान नृजातीय थी।
  • इन सभी नृजातीयों की अपनी-अपनी सांस्कृतिक एवं राजनीतिक पहचान थी । धीरे-धीरे यहाँ धन-जन, अहमियत और सत्ता की वृद्धि होती गई और यह द्वीप समूह अन्य राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने लगा।
  • 1688 ई. में एक लम्बे संघर्ष के द्वारा आंग्ल संसद ने द्वीप समूहों से राजतन्त्र की ताकत छीन ली। इस संसद के माध्यम से ही एक नए राष्ट्र-राज्य का निर्माण हुआ, जिसके केन्द्र में इंग्लैण्ड रहा ।
  • ब्रिटेन के एकीकरण की प्रक्रिया में इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन (1707) से यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन किया गया। इससे इंग्लैण्ड का स्कॉटलैण्ड पर प्रभुत्व स्थापित हो गया। साथ ही ब्रिटेन की संसद में आंग्ल सदस्यों का ही वर्चस्व स्थापित हो गया।
  • आयरलैण्ड कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेण्ट जैसे दो धार्मिक गुटों में बँटा हुआ था। यहाँ पर अंग्रेजों ने प्रोटेस्टेण्ट धर्म का समर्थन किया और कैथोलिक देश पर प्रभुत्व स्थापित कर लिया।
प्रश्न 14. ज्युसेपे मेत्सिनी पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर – ज्युसेपे मेत्सिनी इटली के राजनेता, पत्रकार और एक क्रान्तिकारी थे। इनका जन्म 1807 ई. में जेनोआ में हुआ था। वे कार्बेनारी के सेक्रेट सोसायटी के सदस्य थे। इन्हें 24 वर्ष की युवावस्था में ही वर्ष 1831 में लिंगुरिया में क्रान्ति के आरोप में देश से निष्कासित कर दिया गया था। उसके बाद उन्होंने दो और गुप्त सोसायटी की स्थापना की, जिसमें पहली मार्सेई में ‘यंग इटली’ और दूसरी बर्न में ‘यंग यूरोप’ था ।
मेत्सिनी का विश्वास था कि “ईश्वर की मर्जी के अनुसार, राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई है।”
मेत्सिनी राजतन्त्र के घोर विरोधी थे और उन्हीं मॉडल पर जर्मनी, पोलैण्ड, फ्रांस, स्विट्जरलैण्ड में भी गुप्त संगठन बनाया। इनसे रूढ़िवादी विचारधारा के लोग डरते थे, क्योंकि इन्होंने पुरानी मान्यता व रूढ़ी विचारों को खण्डित करके आधुनिक विचारों को बढ़ावा दिया।
1845 ई. में मैटरनिख की पराजय के बाद मेत्सिनी ने पुन: इटली के एकीकरण का प्रयास किया। इन्हें इटली का ‘मसीहा’ कहा जाता है।
वर्णनात्मक प्रश्न-2
प्रश्न 1. राष्ट्रवाद से क्या तात्पर्य है? यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय होने में कौन-सी परिस्थितियाँ सहायक हुईं?
उत्तर – राष्ट्रवाद से तात्पर्य
राष्ट्रवाद से तात्पर्य, लोगों का एक समूह इतिहास, परम्परा, भाषा, जातीयता या राष्ट्रवाद के जातिवाद और संस्कृति के आधार पर स्वयं को एकीकृत करने से है। आधार पर लोग स्वयं के निर्णयों के आधार पर स्वयं का सम्प्रभु राजनीतिक समुदाय बनाते हैं।
यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय में सहायक परिस्थितियाँ
यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय होने में निम्न परिस्थितियाँ सहायक सिद्ध हुईं
  • नए मध्यम वर्ग का उदय यूरोप के पश्चिमी और मध्य भागों में औद्योगीकरण के कारण नए सामाजिक समूह श्रमिक वर्ग के लोग और मध्यम वर्ग; जैसे – उद्योगपति, व्यापारी और सेवा क्षेत्र के लोग अस्तित्व में आए। कुलीनों को प्राप्त विशेषाधिकारों की समाप्ति के पश्चात् शिक्षित और उदारवादियों के मध्य राष्ट्रीय एकता के विचार लोकप्रिय हुए।
  • उदारवाद की विचारधारा का प्रसार नए मध्यम वर्गों के लिए उदारवाद का अर्थ व्यक्तियों के लिए स्वतन्त्रता और कानून के समक्ष सभी को समान अधिकार था। फ्रांस में वोट देने और निर्वाचित करने का अधिकार विशेष रूप से अधिक सम्पत्ति वाले लोगों को दिया गया था।
    सम्पत्ति विहीन पुरुषों और महिलाओं को इस अधिकार से वंचित रखा गया था। आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद बाजार की आजादी के पक्ष में था। 1834 ई. में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन का गठन किया गया, जिसने शुल्क अवरोध को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या दो कर दी, जो उससे पहले तीस से भी अधिक थी।
  • रूढ़िवाद की नई भावना 1815 ई. में नेपोलियन की हार बाद यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना से प्रेरित थीं। रूढ़िवादियों का मानना था कि राज्य और समाज की स्थापित परम्परागत संस्थाओं; जैसे- राजशाही, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच सम्पत्ति और परिवार को संरक्षित किया जाना चाहिए।
  • क्रान्तिकारियों का उदय यूरोप के अनेक क्षेत्रों में उदारवाद और राष्ट्रवाद क्रान्ति से जुड़ा हुआ था, जैसे इतालवी और जर्मन राज्य, ऑटोमन साम्राज्य, आयरलैण्ड और पोलैण्ड के प्रान्त । प्रथम विद्रोह फ्रांस में जुलाई, 1830 में हुआ। जुलाई क्रान्ति से ब्रूसेल्स में भी एक विद्रोह फैला, जिसने बेल्जियम को यूनाइटेड किंगडम ऑफ द नीदरलैण्ड से अलग कर दिया।
  • भाषा भाषा ने राष्ट्रीय भावना के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूसी कब्जे के बाद इसके सदस्यों ने राष्ट्रवाद के विरोध के लिए भाषा का सहारा लिया तथा पोलैण्ड में रूसी भाषा को प्रारम्भ किया।
  • यूनान का स्वतन्त्रता संग्राम इस घटना ने पूरे यूरोप में राष्ट्रीय भावना का संचार किया। 1821 ई. में यूनानियों ने स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष प्रारम्भ किया तथा वर्ष 1832 में इसे एक राष्ट्र के रूप में ( कुस्तुनतुनिया सन्धि के बाद) मान्यता प्राप्त हुई।
प्रश्न 2. 1815 ई. में नेपोलियन की हार के बाद यूरोप में स्थापित रूढ़िवादी शासन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – 1815 ई. में नेपोलियन की पराजय के बाद यूरोप में रूढ़िवादी शासन स्थापित हुआ, जिसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
  1. पारम्परिक संस्थाओं में विश्वास रूढ़िवादी विचारधारा वाले लोगों का मानना था कि राज्य और समाज द्वारा स्थापित पारम्परिक संस्थाएँ; जैसे— राजतन्त्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, सम्पत्ति आदि परिवार को बनाए रखते हैं।
  2. आधुनिकीकरण में विश्वास रूढ़िवादी आधुनिकीकरण में विश्वास करते थे तथा उसका ही समर्थन करते रहे। उनका मत था कि इससे राजतन्त्र जैसी पारम्परिक संस्थाओं की मजबूती में सहायता मिलेगी।
  3. निरंकुश शासन व्यवस्था को मजबूती रूढ़िवादी शासन व्यवस्थाएँ निरंकुश थीं। इनके विचार में एक आधुनिक सेवा, कुशल नौकरशाही, गतिशील अर्थव्यवस्था, सामन्तवाद और भू-दासत्व की समाप्ति – यूरोप के निरंकुश राजतन्त्रों को शक्ति प्रदान कर सकते थे, क्योंकि यह अपने शासन पर किसी की आलोचना सहन नहीं करती थी।
  4. वियना कांग्रेस 1815 ई. की वियना कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य नेपोलियन के साथ युद्ध के दौरान हुए सभी बदलावों को समाप्त करना था।
    इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर 1815 ई. में ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया जैसी यूरोपीय शक्तियों के प्रतिनिधि यूरोप के लिए एक समझौता तैयार करने के लिए एकत्रित हुए ।
  5. नियन्त्रण रूढ़िवादी शासन व्यवस्था अपनी आलोचना एवं असहमति सहन नहीं कर पाती थी । इन्होंने उन शासन गतिविधियों को दबाने का प्रयास किया, जो निरंकुश सरकारों पर प्रश्न खड़े करें। अधिकांश सरकारों ने सेंसरशिप के नियम भी बनाए, जिनका उद्देश्य अखबारों, किताबों, नाटकों और गीतों में व्यक्त उन बातों पर नियन्त्रण लगाना था ।
प्रश्न 3. इटली का एकीकरण कैसे हुआ?
अथवा इटली के एकीकरण को संक्षेप में लिखिए ।
अथवा इटली के एकीकरण में मेत्सिनी, कावूर और गैरीबाल्डी के योगदान का वर्णन कीजिए। 
अथवा इटली के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तीन नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर – 19वीं शताब्दी के मध्य में इटली को सात राज्यों में विभाजित किया गया था। इनमें से केवल एक राज्य सार्डिनिया – पीडमॉण्ट (Sardinia Piedmont) को एक इतालवी राजसी सभा द्वारा शासित किया गया था।
इटली के एकीकरण में प्रसिद्ध व्यक्तियों का योगदान
इटली के एकीकरण में शामिल प्रसिद्ध व्यक्ति निम्न थे
  • ज्युसेपे मेत्सिनी (Giuseppe Mazzini) 1830 के दशक के दौरान एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए ज्युसेपे मेत्सिनी ने एक कार्यक्रम तैयार किया। उन्होंने दो भूमिगत समाजों का गठन किया- पहला, मारसेल्स में युवा इटली और दूसरा, बर्न में युवा यूरोप । मैटरनिख ने उन्हें हमारे सामाजिक आदेश का सबसे बड़ा दुश्मन बताया।
  • काउंटी कैंबिलो डी कावूर (Count Camillo de Cavour) इटली के एकीकरण में प्रमुख मन्त्री कावूर की कूटनीति का बहुत अधिक योगदान था, जो 1852 से 1860 ई. तक पीडमॉण्ट के मन्त्री बने। कावूर फ्रांस से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट की एक चतुर कूटनीतिक सन्धि के माध्यम से 1859 ई. में ऑस्ट्रियाई सेना को पराजित करने में सफल हुए।
  • ज्युसेपे गैरीबाल्डी (Giuseppe Garibaldi) ये इटली के एकीकरण में एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे। इन्होंने 1833 ई. में मेत्सिनी से मुलाकात की और ‘यंग इटली’ के आन्दोलन में शामिल हो गए। इन्होंने 1834 ई. में पीडमॉण्ट में एक गणतन्त्रीय विद्रोह में भाग लिया। गैरीबाल्डी ने 1867 ई. में ‘रेड शर्श’ स्वयंसेवकों की सेना का नेतृत्व किया, जो पेपल राज्यों से लड़ने रोम गई, जहाँ फ्रांसीसी सैनिक तैनात थे। 1870 ई. में प्रशा से युद्ध के दौरान फ्रांस ने रोम से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया और अंत में पेपल राज्य इटली में शामिल हो गए।
एकीकरण के समय हुई प्रमुख घटनाएँ
  • संयुक्त इटली की घोषणा 1860 ई. में हुई। सेना (नियमित सैनिकों और सशस्त्र स्वयंसेवकों) ने दक्षिणी इटली और दो सिसलियों के राज्य में प्रवेश किया और स्पेनिश किसानों को बाहर निकालने के लिए स्थानीय किसानों का समर्थन जीतने में सफल रही।
  • 1861 ई. में विक्टर इमेनुएल द्वितीय को संयुक्त इटली का राजा घोषित किया गया था। टस्कानी, मोडेना, पर्मा और पोप के राज्यों ने सार्डिनिया के साथ हाथ मिला लिया।
  • मार्च, 1860 तक पूरे मध्य इतालवी राज्यों को सर्वसम्मति से पीडमॉण्ट के साथ एकजुट किया गया। रोम सार्डिनिया का एक हिस्सा बन गया। इस तरह इटली का अन्तिम एकीकरण भी 1871 ई. में किया गया।
प्रश्न 4. यूरोप में संस्कृति के माध्यम से राष्ट्रवाद का विकास किस प्रकार हुआ ? स्पष्ट कीजिए । 
उत्तर – यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्धों या क्षेत्रीय विस्तार से नहीं हुआ, बल्कि संस्कृति ने भी इस विकास को विस्तार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका वर्णन इस प्रकार है
  • रूमानीवाद रूमानीवाद एक ऐसा आंदोलन था, जो लोगों में एक खास तरह की भावना का विकास करना चाहता था। रूमानी कलाकार और कवियों ने तर्क एवं विज्ञान के महत्त्व की आलोचना की और उसकी जगह भावनाओं, अंतर्दृष्टि और रहस्यवाद पर अधिक बल दिया। इनका मत था कि एक साझा संस्कृति को राष्ट्र का आधार बनाया जाए।
  • राष्ट्रीय भावना भाषा एवं बोलियाँ तथा संगीत ने राष्ट्रीय भावना के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्थानीय बोलियों के माध्यम से स्थानीय लोक साहित्य को एकत्र किया गया, जिससे आधुनिक राष्ट्रीय संदेश अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके जहाँ अधिकांश लोग निरक्षर थे।
  • भाषा एवं लोक साहित्य भाषा ने भी राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूसी कब्जे के बाद पोलिश भाषा का महत्त्व समाप्त कर दिया गया तथा रूसी भाषा को एक हथियार बनाया। पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष में प्रतीक के रूप में देखी जाने लगीं।
प्रश्न 5. उदारवादी राष्ट्रवाद का अर्थ बताइए एवं राष्ट्रवाद का विकास किस प्रकार हुआ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – उदारवादी राष्ट्रवाद का अर्थ
19वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में राष्ट्रीय एकता के विचार उदारवाद की विचारधारा अधिक जुड़े थे। नए मध्यम वर्ग के लिए उदारवाद का अर्थ व्यक्तियों के लिए स्वतन्त्रता और कानून के समक्ष सभी को समान अधिकार था। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं
  • फ्रांस में वोट देने और निर्वाचित करने का अधिकार विशेष रूप से अधिक सम्पत्ति वाले लोगों को दिया गया था। सम्पत्ति विहीन पुरुषों और महिलाओं को इस अधिकार से वंचित रखा गया था।
  • आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद बाजार की आजादी के पक्ष में था। साथ ही यह राज्य द्वारा लगाए गए वस्तुओं और पूँजी के आवागमन पर नियन्त्रण को समाप्त करने के पक्ष में भी था।
  • 1834 ई. में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन का गठन किया गया।
राष्ट्रवाद का विकास
राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्ध और क्षेत्रीय विस्तार के माध्यम से नहीं हुआ था, बल्कि राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कला, कविता, कहानियाँ और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को व्यक्त और आकार देने में सहायता की । प्रेमपूर्ण कलाकारों ओर कवियों ने तर्क-वितर्क और विज्ञान की महिला की आलोचना की।
भावनाओं, अन्तर्ज्ञान और रहस्यमय भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए उन्होंने एक राष्ट्र के आधार पर रूप में एक साझा सामूहिक विरासत की भावना पैदा करने का प्रयास किया। जर्मन दार्शनिक मोहन गॉटफ्रीड हेडर (1744-1803) ने दावा किया कि आम लोगो के बीच जर्मन संस्कृति निहित थी। वॉक पोलैण्ड, जो अथ एक स्वतन्त्र क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में नहीं था। वह संगति और भाषा के माध्यम से राष्ट्रवादी महसूस कर रहा था।
प्रश्न 6. बाल्कन प्रदेशों में तनाव क्यों पनपा ? चर्चा करें
उत्तर – बाल्कन भौगोलिक और जातीय भिन्नता का एक क्षेत्र था, जिसमें आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बोनिया, ग्रीस, मैसेडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मॉण्टिनिग्रो शामिल थे।
बाल्कन तुर्क साम्राज्य के नियन्त्रण में था। बाल्कन तीव्र संघर्ष का क्षेत्र बन गया था, क्योंकि रूस, जर्मनी, इंग्लैण्ड आदि बाल्कन के ऊपर अन्य शक्तियों को कम करके अपना नियन्त्रण बढ़ाने के लिए उत्सुक थे। 1871 ई. के बाद यूरोप में बाल्कन क्षेत्र गम्भीर राष्ट्रवादी तनाव का केन्द्र बन गया था, जिसके निम्नलिखित कारण थे
  • बाल्कन क्षेत्र अपनी भौगोलिक अवस्थिति व जातीय भिन्नता का होना।
  • इस क्षेत्र में स्लाव भाषा बोलने वाले बहुतायत में थे, जो तुर्कों से भिन्न थे।
  • तुर्की और ईसाइयों के बीच मतभेद से गम्भीर स्थिति का बनना ।
  • यूरोपीय देश भी व्यापार हेतु अपना प्रभुत्व स्थापित करने तथा नियन्त्रण करने की प्रतिस्पर्धा में लगे रहना ।
  • आपसी मतभेद के कारण प्रतिस्पर्धा और हथियारों की होड़ से तनाव का बना रहना।
उपर्युक्त कारण के साथ यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास व स्वतन्त्रता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इन क्षेत्रों में तनाव पनपा था और स्थितियाँ भयंकर रूप ले रही थी, क्योंकि 19वीं शताब्दी के अन्त तक राष्ट्रवाद अपने आदर्शवादी, उदारवादी व जनतान्त्रिक स्वभाव को बनाए रखने में असफल हो रहा था तथा राष्ट्रवादी समूह तेजी से असहिष्णुता का मार्ग अपना रहे थे।
प्रश्न 7. इटली के इतिहास में गैरीबाल्डी की प्रसिद्धि पर चर्चा करें।
उत्तर – ज्युसेपे गैरीबाल्डी (1807-82 ई.) इटली के स्वतन्त्रता सेनानियों में सबसे प्रसिद्ध था, जिसका सम्बन्ध एक ऐसे परिवार से था, जो तटीय व्यापार में संलग्न था। गैरीबॉल्डी स्वयं एक कुशल नाविक भी था। वह ‘यंग इटली’ आन्दोलन से जुड़ा तथा उसने 1834 ई. में पीडमॉण्ट के गणतन्त्रीय विद्रोह में भाग लिया। इस विद्रोह को कुचल दिया गया था, जिससे इसे 1848 ई. तक दक्षिण अमेरिका में निर्वासित जीवनयापन करना पड़ा था।
1854 ई. में गैरीबॉल्डी ने विक्टर इमेनुएल – II का समर्थन किया, जो इटली को एकीकृत करने का प्रयास कर रहा था। 1860 ई. में गैरीबॉल्डी ने दक्षिण इटली की तरफ मार्च किया तथा हजारों लोगों के साथ नेतृत्व किया। इस अभियान में धीरे-धीरे स्वयं सेवकों की संख्या बढ़ती गई और लगभग 30,000 तक पहुँच गई, जो ‘रेड शर्ट्स’ के नाम से लोकप्रिय हुआ, लेकिन ये फ्रांसीसी और पेपल सैनिकों के सामने टिक नहीं पाए ।
1870 ई. में जब प्रशा युद्ध के दौरान फ्रांस ने रोम से अपने सैनिक हटा लिए, तब जाकर पेपल राज्य अन्तत: इटली में सम्मिलित हुआ और एकीकरण सम्पन्न हुआ। फलतः गैरीबॉल्डी राष्ट्रीय स्वतन्त्रता और गणतान्त्रिक आदर्शों के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व बन गए, जिसे इटली का सबसे बड़ा नायक माना जाने लगा। इन्होंने कैथोलिक धर्म में पले-बढ़े होने के बावजूद धर्म को त्याग दिया और एक आस्तिक सर्मथक बन गया । अन्ततः 2 जून, 1882 को 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
प्रश्न 8. यूरोप के उदारवादी आन्दोलन में महिलाओं के राजनीतिक अधिकार तथा उनकी भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर – यूरोप में उदारवादी आन्दोलन (1848 ई.) के समय गरीबी बेरोजगारी और भुखमरी से ग्रस्त किसान-मजदूर के साथ विद्रोह में महिलाओं का भी सहयोग मिला। इस आन्दोलन में मध्यम वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही थी। राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन जैसे राजतन्त्र का अन्त करके गणतन्त्र की स्थापना, सार्वजनिक मताधिकार के आधार पर प्रतिनिधि सभा का निर्माण, प्रेस की स्वतन्त्रता, संगठन बनाने की स्वतन्त्रता के साथ महिलाओं के राजनीतिक अधिकार की माँग उठने लगी। महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा दिया जाने लगा तथा सभी क्षेत्रों में महत्त्व व सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा।
जिसने लुइ जे ऑटो-पीटर्स (1819-95 ई.), उनमें से एक राजनीतिक कार्यकर्ता थी, महिलाओं की पत्रिका और एक नारीवादी राजनीतिक संगठन की स्थापना की, जिससे धीरे-धीरे महिलाओं के उत्साह को बढ़ावा मिला। ये अब राजनैतिक बैठकों और प्रदर्शनों में भाग लेने लगीं। इसके बावजूद भी उन्हें असेम्बली के चुनाव में मताधिकार से वंचित रखा गया था। जब सेण्ट पॉल चर्च में फ्रैंकफर्ट संसद की सभा आयोजित की गई थी, तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की भाँति दर्शक दीर्घा में खड़े होने दिया गया।
उदारवादी आन्दोलन के अन्दर महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा विवादास्पद रहा था, हालाँकि आन्दोलन में वर्षों से बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया था। इस प्रकार विभिन्न कार्यों की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए पुरुषों के समान भागीदारी सुनिश्चित करने का सफल प्रयास करती रही।

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