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UP Board Class 10 Social Science Chapter 2 संघवाद (नागरिकशास्त्र)

UP Board Class 10 Social Science Chapter 2 संघवाद (नागरिकशास्त्र)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 2 संघवाद (नागरिकशास्त्र)

फास्ट ट्रैक रिवीज़न
संघवाद की अवधारणा
  • संघवाद एक ऐसी शासन व्यवस्था है, जिसमें शासन की सभी शक्तियों का केन्द्रीय सरकार तथा प्रान्तीय (राज्य) सरकारों के बीच बँटवारा कर दिया जाता है।
  • इन बँटवारों में प्रथम स्तर की संघीय सरकार जिसके अधीन राष्ट्रीय महत्त्व होते हैं तथा द्वितीय स्तर की प्रान्तीय या राज्य सरकार होती है, जो शासन के दैनिक कार्य को देखती है।
संघवाद की विशेषताएँ
  • विभिन्न स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह परं शासन करती हैं, परन्तु कानून बनाने (Make Law), कर वसूलने (Tax Collection) तथा प्रशासनिक कार्यों (Administrative) पर दोनों का अपना-अपना अधिकार क्षेत्र होता है।
  • संविधान, सरकार के प्रत्येक स्तर के अस्तित्व (Existence) और प्राधिकार (Authorisation) की गारण्टी और सुरक्षा (Security) देता है।
  • संविधान में संशोधन पर मौलिक प्रावधानों (Fundamental Provisions) को केवल संघ परिवर्तित नहीं कर सकता, ऐसे परिवर्तन करने के लिए संघ एवं राज्य दोनों स्तर की सरकारों की सहमति की आवश्यकता होती है।
  • अदालतों को संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार होता है। सर्वोच्च न्यायालय विवादों को सुलझाने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राज्य और केन्द्र सरकारों के मध्य सत्ता का बँटवारा
  • राज्य और केन्द्र सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा प्रत्येक संघीय सरकार में निम्नलिखित दो माध्यमों से होता है।
    • पहले माध्यम में दो या दो से अधिक स्वतन्त्र राष्ट्र साथ मिलकर एक बड़ी इकाई का निर्माण करते हैं। दोनों स्वतन्त्र राष्ट्र अपनी सम्प्रभुता को साथ रखते हैं तथा अपनी अलग-अलग पहचान को भी बनाए रखते हैं।
    • दूसरे माध्यम में राज्यों की अपेक्षा केन्द्र सरकार अधिक शक्तिशाली होती है।
  • यदि कोई बड़े देश द्वारा अपनी आन्तरिक विविधता के कारण राज्यों का गठन करता है तथा फिर राज्य एवं संघ सरकारों के बीच सत्ता का विभाजन होता है, तो यह संघीय शासन का संगठन होता है।
संघीय शासन व्यवस्था बनाम एकात्मक शासन
  • संघीय शासन (Federal System) व्यवस्था में सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतन्त्र होकर अपना कार्य करती हैं, जबकि एकात्मक शासन ठीक इसके विपरीत कार्य करती है, इस शासन व्यवस्था में शासन का एक ही स्तर होता है तथा शेष इकाइयाँ इसके अधीन कार्य करती हैं।
  • संघीय शासन व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार, प्रान्तीय या स्थानीय सरकार को आदेश दे सकती है, परन्तु कुछ विषयों में केन्द्र सरकार राज्य सरकार को आदेश नहीं दे सकती है।
भारत में संघीय शासन व्यवस्था
  • भारतीय संविधान के पहले अनुच्छेद ने भारत को राज्यों का संघ घोषित किया।
  • भारतीय संघ का गठन संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धान्त के आधार पर हुआ है।
दो स्तरीय एवं त्रि-स्तरीय शासन व्यवस्था
  • भारतीय संविधान ने मौलिक रूप से दो स्तरीय शासन संघ सरकार या केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार व्यवस्था का प्रावधान किया है।
  • भारत में संघीय शासन व्यवस्था में तीसरे स्तर के शासन को जोड़ा गया, जिसे पंचायत या नगरपालिका कहते हैं।
  • संघ तथा राज्य सरकारों के बीच शक्तियों को तीन भागों में बाँटा (संघ, राज्य व समवर्ती सूची) गया है, जिन्हें तीन सूचियों के रूप में जाना जाता है, जो निम्नलिखित हैं
    • संघ सूची के विषयों से सम्बन्धित कानून बनाने का अधिकार केन्द्र को सौंपा जाता है।
    • राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने का कार्य राज्य कार्यपालिका द्वारा किया जाता है।
    • समवर्ती सूची के विषयों के सम्बन्ध में विधि बनाने की शक्ति केन्द्र तथा राज्य दोनों में निहित है।
केन्द्रशासित प्रदेशों की स्थिति
  • भारतीय संघ की कई इकाइयाँ ऐसी , जिनको बहुत ही कम अधिकार प्राप्त हैं, जिन क्षेत्रों को राज्य वाले अधिकार प्राप्त नहीं हैं, उन क्षेत्रों का शासन चलाने का विशेष अधिकार केन्द्र सरकार को प्राप्त है, जिसे केन्द्रशासित प्रदेश कहते हैं।
  • जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के नाम से दो केन्द्रशासित प्रदेश के गठन के पश्चात् अब राज्यों की संख्या 28 तथा केन्द्रशासित प्रदेशों की संख्या 8 हो गई है।
केन्द्र और राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का बँटवारा
  • हमारा संविधान संघ एवं राज्य सरकार के मध्य सत्ता को साझा करने की सीमा को निर्धारित करता है।
  • केन्द्र एवं राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के बँटवारे से सम्बन्धित कोई भी विवाद होने पर उन विवादों की सुनवाई उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय करता है।
  • सरकार चलाने और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिए राजस्व की उगाही के सम्बन्ध में केन्द्र एवं राज्य सरकारों को कर (Tax) लगाने एवं संसाधन जमा करने के अधिकार हैं।
संघीय व्यवस्था कैसे चलती है ?
संघीय व्यवस्था के सफल कार्य के लिए संवैधानिक प्रावधान आवश्यक है, परन्तु इतना पर्याप्त नहीं है। भारत में संघीय व्यवस्था की सफलता का श्रेय यहाँ की लोकतान्त्रिक राजनीति के चरित्र को देना होगा।
भाषायी राज्य एवं भाषायी नीति
  • भाषा के आधार पर राज्यों का गठन सर्वप्रथम वर्ष 1956 में हुआ ।
  • स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में नए राज्यों को बनाने के लिए कई पुराने राज्यों की सीमाएँ बदली गईं, ताकि एक भाषा को बोलने वाले व्यक्ति एक राज्य में ही रहें।
  • कुछ राज्यों का गठन भाषा के आधार पर नहीं, बल्कि संस्कृति, भूगोल अथवा जातीयताओं (Ethnicity) के आधार पर किया गया, ऐसे राज्यों में नागालैण्ड, उत्तराखण्ड एवं झारखण्ड जैसे राज्य शामिल हैं।
  • हमारे संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया, हिन्दी को राजभाषा माना, पर भारत में केवल 40% लोगों की मातृभाषा ही हिन्दी है।
  • भारतीय संविधान में हिन्दी के अतिरिक्त 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।
  • भारत की 22 अनुसूचित भाषाएँ (असमिया, मणिपुरी, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सन्थाली, सिन्धी, तमिल, तेलुगू एवं उर्दू आदि) हैं।
भारत में भाषायी विविधता
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लोगों की 1300 से अधिक अलग-अलग भाषाओं को मातृभाषा के रूप में दर्ज किया गया था।
  • समूहबद्धता के बाद भी जनगणना में 121 प्रमुख भाषाएँ पाई गई, जिनमें से 22 भाषाओं को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में रखा गया है।
केन्द्र-राज्य सम्बन्ध
  • भारतीय संविधान में संघ एवं राज्य सरकारों के मध्य शक्तियों को निर्धारित किया गया है, फिर भी केन्द्र सरकार, राज्य सरकार को विभिन्न तरीकों द्वारा प्रभावित कर सकती है। वर्ष 1990 के बाद स्थिति में परिवर्तन हुए तथा इसी समय केन्द्र में गठबन्धन सरकार (Coalition Government) की शुरुआत हुई ।
  • गठबन्धन सरकार साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई संस्कृति का उदय हुआ।
भारत में विकेन्द्रीकरण
  • जब केन्द्र तथा राज्य सरकार में शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं, तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं।
  • सत्ता के विकेन्द्रीकरण के पीछे यह अवधारणा है कि अनेक मुद्दों और समस्याओं को स्थानीय स्तर पर सुलझाया जा सके।
स्थानीय सरकार
  • तीसरे स्तर की सरकार (Third – Tier Government) को स्थानीय सरकार (Local Government) कहा जाता है। इस स्तर की सरकार के अन्तर्गत गाँव में ग्राम पंचायत एवं शहरों में नगरपालिका जैसी संस्थाओं की स्थापना की गई थी।
  • वर्ष 1992 से संविधान संशोधन कर स्थानीय शासन व्यवस्था को अधिक शक्तिशाली एवं प्रभावी बनाया गया तथा इसे इसी वर्ष संवैधानिक दर्जा भी दिया गया था।
  • महिलाओं के लिए भी एक-तिहाई पद आरक्षित किए गए हैं।
  • प्रत्येक राज्य में स्थानीय पंचायत और नगरपालिका (Municipal) चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission, SEC) जैसी स्वतन्त्र संस्था का गठन किया गया है।
  • स्थानीय निकायों का चुनाव प्रत्येक पाँच वर्ष पर कराया जाता है।
पंचायती राज व्यवस्था
  • गाँवों के स्तर पर उपस्थित स्थानीय शासन व्यवस्था को पंचायती राज के नाम से जाना जाता है, प्रत्येक गाँव में एक ग्राम पंचायत होती है, जो एक तरह की परिषद् होती है।
  • ग्राम पंचायतों के सभी कार्य ग्राम सभा की देख-रेख में होते हैं। कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर पंचायत समिति का गठन किया जाता है, जिसे मण्डल या प्रखण्ड स्तरीय पंचायत भी कहते हैं।
जिला परिषद्
  • जिले (District) की सभी पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन किया जाता है, जिसमें सदस्य चुनकर आते हैं।
  • जिला परिषद् में उस जिले से चुने गए लोकसभा एवं विधानसभा के सांसद एवं विधायक तथा जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी जिला परिषद् के सदस्य होते हैं।
नगरपालिका / नगर निगम
  • शहरों में स्थानीय स्वशासन को नगरपालिका कहते हैं। इसी प्रकार बड़े शहरों में नगर निगम (Municipal Corporations) होता है।
  • नगरपालिका एवं नगर निगम दोनों स्तरों के कामकाज जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि करते हैं।
  • नगरपालिका प्रमुख नगरपालिका के राजनीतिक प्रधान होते हैं। नगर निगम के चुने गए प्रतिनिधि को मेयर (Mayor) कहते हैं।
स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा
  • स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा देने से भारतीय लोकतन्त्र की जड़ें और मजबूत हुई हैं।
  • 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के अन्तर्गत स्थानीय स्वशासन प्रणाली को संवैधानिक दर्जा दिया गया है।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. संघात्मक शासन प्रणाली में अधिकारों का विभाजन होता है
(a) केन्द्र एवं राज्यों (इकाइयों) के मध्य
(b) एक राज्य एवं अन्य राज्यों के बीच
(c) व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के मध्य
(d) व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका के मध्य
उत्तर (a) केन्द्र एवं राज्यों (इकाइयों) के मध्य
प्रश्न 2. भारत में संघीय व्यवस्था है, क्योंकि
(a) यहाँ शक्तियों का विकेन्द्रीकरण है
(b) यहाँ शक्तियों का केन्द्रीकरण है
(c) संविधान लचीला है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर (a) यहाँ शक्तियों का विकेन्द्रीकरण है
प्रश्न 3. भारत के संघीय शासन व्यवस्था में तीसरे स्तर के शासन को जोड़ा गया, इसे क्या कहा गया?
(a) पंचायत या नगरपालिका
(b) स्थानीय सरकार
(c) सामाजिक संगठन
(d) आर्थिक संस्था
उत्तर (a) पंचायत या नगरपालिका
प्रश्न 4. संविधान की आठवीं अनुसूची में कितनी भाषाओं को मान्यता दी गई है?
(a) 20
(b) 21
(c) 22
(d) 23
उत्तर (c) 22
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन-सा संघीय राज्य नहीं है?
(a) मणिपुर
(b) हिमाचल प्रदेश
(c) अरुणाचल प्रदेश
(d) दिल्ली
उत्तर (d) दिल्ली
प्रश्न 6. सत्ता के क्षैतिज वितरण से क्या तात्पर्य है?
(a) सत्ता का संघीय वितरण
(b) सत्ता का अलगावादी वितरण
(c) कार्यपालिका, व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा
(d) केन्द्र और राज्य सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा
उत्तर (c) कार्यपालिका, व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा
प्रश्न 7. निम्नलिखित में से कौन-सा संघीय राज्य नहीं है?
(a) मणिपुर
(b) त्रिपुरा
(c) हिमाचल प्रदेश
(d) जम्मू-कश्मीर
उत्तर (d) जम्मू-कश्मीर
प्रश्न 8. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय संघ सूची से सम्बन्धित है?
(a) प्रतिरक्षा
(b) कृषि
(c) शिक्षा
(d) व्यापार
उत्तर (a) प्रतिरक्षा
प्रश्न 9. भारतीय संविधान में भाषाओं को किस अनुसूची में रखा गया है?
(a) तीसरी
(b) पाँचवी
(c) आठवीं
(d) बारहवीं
उत्तर (c) आठवीं
प्रश्न 10. भारत में कुल कितने संघीय राज्य हैं?
(a) 27
(b) 28
(c) 32
(d) 30
उत्तर (b) 28
प्रश्न 11. भारत में कितने संघ राज्य क्षेत्र (केन्द्रशासित प्रदेश) हैं?
अथवा भारत में केन्द्रशासित प्रदेशों की संख्या कितनी है?
(a) 6
(b) 7
(c) 8
(d) 9
उत्तर (c) 8
प्रश्न 12. निम्नलिखित में से कौन-सी संघात्मक शासन की विशेषता नहीं है?
(a) शक्तियों का वितरण
(b) शक्तियों का केन्द्रीकरण
(c) सर्वोच्च न्यायपालिका
(d) कठोर संविधान
उत्तर (b) शक्तियों का केन्द्रीकरण
प्रश्न 13. भारत में अवशिष्ट शक्तियाँ किसको प्राप्त है?
(a) राज्य
(b) संघ
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (b) संघ
प्रश्न 14. एकदलीय व्यवस्था बढ़ावा देती है
(a) लोकतान्त्रिक व्यवस्था को
(b) अधिनायकवादी व्यवस्था को
(c) कुलीन तन्त्र को
(d) राजतन्त्र को
उत्तर (b) अधिनायकवादी व्यवस्था को
प्रश्न 15. भारतीय संविधान कब लागू किया गया?
(a) 15 अगस्त
(b) 14 अगस्त
(c) 10 दिसम्बर
(d) 26 जनवरी
उत्तर (d) 26 जनवरी
प्रश्न 16. संविधान में उल्लिखित तीन सूचियों में से, निम्नलिखित में से कौन-सा विषय समवर्ती सूची में शामिल है?
(a) शिक्षा
(b) कृषि
(c) पुलिस
(d) रक्षा
उत्तर (a) शिक्षा
प्रश्न 17. हिन्दी के अतिरिक्त और कितनी भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है?
(a) 23
(b) 24
(c) 22
(d) 21
उत्तर (d) 21
प्रश्न 18. भारत की राजभाषा कौन-सी है ?
(a) तमिल
(b) सिंहली
(c) हिन्दी
(d) अंग्रेजी
उत्तर (c) हिन्दी
प्रश्न 19. भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा कौन-सी है?
(a) पंजाबी
(b) कश्मीरी
(c) हिन्दी
(d) उर्दू
उत्तर (c) हिन्दी
प्रश्न 20. भारत में लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण हेतु किया गया संवैधानिक प्रावधान है
(a) महिलाओं का संसद में प्रतिनिधित्व
(b) स्थानीय स्वशासी निकायों को संवैधानिक दर्जा का नियमित चुनाव
(c) न्यायपालिका को स्वतन्त्रता
(d) केन्द्र तथा राज्य के कार्यों का वर्गीकरण
उत्तर (b) स्थानीय स्वशासी निकायों को संवैधानिक दर्जा का नियमित चुनाव
प्रश्न 21. नगर निगम के प्रमुख को क्या कहते हैं?
(a) मेयर
(b) चेयरमैन
(c) सचिव
(d) प्रधान
उत्तर (a) मेयर
प्रश्न 22. निम्नलिखित में से कौन संघीय सूची का विषय है?
(a) रक्षा
(b) कृषि
(c) व्यापार
(d) शिक्षा
उत्तर (a) रक्षा Imp [2024, 23]
प्रश्न 23. निम्नलिखित में से कौन सा शासन का अंग नहीं है?
(a) कार्यपालिका
(b) नगरपालिका
(c) न्यायपालिका
(d) ये सभी
उत्तर (b) नगरपालिका
प्रश्न 24. निम्नलिखित में से कौन-सा संघ सूची का विषय है?
(a) व्यापार
(b) शिक्षा
(c) कृषि
(d) विदेशी कार्य
उत्तर (d) विदेशी कार्य
प्रश्न 25. भारत में पंचायती राज की स्थापना कब हुई थी ?
(a) वर्ष 1980
(b) वर्ष 1990
(c) वर्ष 1992
(d) वर्ष 2004
उत्तर (c) वर्ष 1992
सुमेलित करें
प्रश्न 26. सुमेलित कीजिए
प्रश्न 27. सुमेलित कीजिए
कथन कूट
प्रश्न 28. केन्द्र और राज्यों के मध्य निम्न में से शक्तियों का बँटवारा किया गया है
1. संघ सूची
2. राज्य सूची
3. मध्यवर्ती सूची
4. समवर्ती सूची
कूट
(a) 1, 2 और 3
(b) 1, 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर (c) 1, 2 और 4
प्रश्न 29. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
1. संघीय शासन व्यवस्था में सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतन्त्र होकर कार्य करती है।
2. एकात्मक व्यवस्था में शासन का एक ही स्तर होता है।
3. भारत में एकात्मक शासन व्यवस्था है।
उपरोक्त में से सत्य कथन की पहचान करें
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर (a) 1 और 2
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
वर्णनात्मक प्रश्न- 1
प्रश्न 1. भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताइए ।
उत्तर – भारत तथा बेल्जियम के बीच मिलती-जुलती विशेषता भारत और बेल्जियम दोनों में समानता के अनुसार अर्थात् सबको साथ लेकर चलने वाली नीति के अनुसार शासन किया जाता है।
भारत तथा बेल्जियम के बीच संघवाद की अलग विशेषता बेल्जियम की शासन व्यवस्था में तीन प्रकार की सरकारें पाई जाती हैं-केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा सामुदायिक सरकार ( धार्मिक और भाषायी समूह के आधार पर), परन्तु भारत में केवल दो प्रकार की सत्ता होती है-केन्द्र सरकार और राज्य सरकार। भारत में बेल्जियम की तरह तीसरे प्रकार की सामुदायिक सरकार तो नहीं है, किन्तु तीसरे स्तर की शासन व्यवस्था – पंचायत/नगरपालिका (स्थानीय शासन) को अवश्य जोड़ा गया है, जो स्थानीय मामलों की देख-रेख करती है।
प्रश्न 2. शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या- क्या मुख्य अन्तर हैं? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में मुख्य अन्तर
संघीय सरकार एकात्मक सरकार
संघीय सरकार में शासन से सम्बन्धित विषयों का विभाजन होता है। एकात्मक सरकार में विषयों का विभाजन नहीं होता है।
संघीय सरकार में सत्ता केन्द्रीय प्राधिकरण तथा इसके विभिन्न अंगों के बीच बँटी रहती है। एकात्मक सरकार में एक ही सरकार होती है, जिसके नियन्त्रण में पूरी सत्ता होती है।
भारत, अमेरिका, कनाड़ा, जैसे देशों में शासन की संघीय व्यवस्था को अपनाया गया है। विश्व में इंग्लैण्ड, इटली, जापान आदि देशों ने एकात्मक सरकार की व्यवस्था को अपनाया है।
संघीय सरकार में स्थानीय स्तर के शासन के पास भी सत्ता तथा स्वतन्त्रता होती है। एकात्मक सरकार में स्थानीय स्तर पर न तो सत्ता होती है और न ही आजादी है।
प्रश्न 3. भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप जिसे ठीक समझते हैं, उसके पक्ष में तर्क और उदाहरण दीजिए। 
संगीता प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है।
अरमान भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति सचेत हो गए हैं।
हरीश इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अंग्रेजी के प्रभुत्व को मजबूत करने भर का काम किया है।
उत्तर – हम संगीता की बात से सहमत हैं, जो यह कहती है कि भारत की भाषा – नीति ने देश की सभी भाषाओं को आदर तथा सम्मान दिया है, जिससे – राष्ट्रीय एकता मजबूत हुई है। भारत के लोग इस भाषा – नीति से सन्तुष्ट हैं, क्योंकि हिन्दी को राजभाषा के रूप में घोषित किया गया है और साथ ही अन्य 21 भाषाओं को भी संविधान द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। इसके साथ ही राज्यों की भी अपनी भाषाएँ हैं और इन्हीं राज्य की भाषाओं में राज्य सरकार का काम-काज चलता है तथा राज्य के लोगों द्वारा बोला जाता है। दूसरी बात यह है कि हिन्दी का विकास करना संघीय सरकार की नीति है, परन्तु इसे किसी राज्य पर जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता ।
प्रश्न 4. जिला परिषद् एवं नगर निगम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – जिला परिषद् 
जिले की सभी पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन किया जाता है। जिला परिषद् के अधिकतर सदस्यों का चुनाव होता है। जिला परिषद् में उस जिले से चुने गए लोकसभा और विधानसभा के सांसद और विधायक तथा जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी सदस्य होते हैं। जिला परिषद् का प्रधान, जिला परिषद् का राजनीतिक प्रधान होता है।
नगरपालिका और नगर निगम
दोनों स्तरों के काम-काज जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि करते हैं। नगरपालिका प्रमुख, नगरपालिका के राजनीतिक प्रधान होते हैं। नगर निगम के चुने गए प्रतिनिधि को मेयर (Mayor) कहते हैं। भारत में नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों के लिए करीब 36 लाख लोगों का चुनाव होता है।
प्रश्न 5. सत्ता के विकेन्द्रीकरण में स्थानीय शासन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
अथवा विकेन्द्रीकरण क्या है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या व्यवस्था दी गई? किन्हीं चार का उल्लेख कीजिए ।
अथवा भारत में विकेन्द्रीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – सत्ता का विकेन्द्रीकरण 
सत्ता के विकेन्द्रीकरण से तात्पर्य सत्ता को एक स्थान पर केन्द्रित न कर उसका, विभिन्न स्तर पर विभाजन करना है, जिससे सत्ता सबकी भागीदारी हो जाती है। सत्ता का विकेन्द्रीकरण होना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि भारत में स्थानीय स्तर पर कई ऐसे मुद्दे हैं जिनका समाधान स्थानीय स्तर पर ही हो सकता है। वस्तुतः लोगों को अपने क्षेत्र की अच्छी समझ होती है। सत्ता के विकेन्द्रीकरण द्वारा स्थानीय लोगों को निर्णयों में सीधे भागीदार बनाना सम्भव हो पाता है। इससे आम लोगों की लोकतन्त्र में भागीदारी की आदत पड़ती है। लोकतन्त्र के लिए यह आदर्श स्थिति है।
विकेन्द्रीकरण के लिए भारतीय संविधान में व्यवस्था
भारतीय संविधान में विकेंद्रीकरण के लिए 74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 में व्यवस्था की गई है। यह संशोधन 1 जून, 1993 को लागू हुआ था । इसके लिए निम्न व्यवस्था की गई है
  • अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ी जातियों के लिए स्थानीय शासन में भागीदारी के लिए सीटें आरक्षित की गईं।
  • कम-से-कम एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
  • प्रत्येक राज्य में पंचायत और नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग नामक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया गया।
  • राज्य सरकारों को अपने राजस्व और अधिकारों का कुछ हिस्सा इन स्थानीय स्वशासी निकायों को देना पड़ता है।
प्रश्न 6. भारत में राजनीतिक क्षमता के विकेन्द्रीकरण के पीछे क्या मूल सोच थी?
उत्तर – जब शक्तियाँ केन्द्र सरकार और राज्य सरकार से लेकर स्थायी सरकारों को दी जाती हैं, तो उसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं।
सत्ता के विकेन्द्रीकरण के पीछे महत्त्वपूर्ण सोच यह है कि अनेक मुद्दों और समस्याओं से निपटारा स्थानीय स्तर पर ही बेहतर ढंग से किया जा सकता है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर लोगों को अपने इलाके की समस्याओं की बेहतर समझ होती है तथा लोगों को इस बात की भी अच्छी समझ होती है कि पैसा कहाँ खर्च किया जाए। विकेन्द्रीकरण के माध्यम से लोगों को फैसलों में सीधे भागीदार बनाना भी सम्भव हो जाता है। इस प्रकार स्थानीय सरकारों की स्थापना स्व- शासन के लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों को वास्तविक बनाने का एक अच्छा उपाय भी है।
वर्णनात्मक प्रश्न-2
प्रश्न 1. भारत एक संघीय देश है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।
अथवा भारत में संघीय व्यवस्था कैसी है? इसके चार लक्षण बताइए |
अथवा भारत में संघीय व्यवस्था की किन्हीं चार विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
अथवा संघवाद क्या है? भारत की संघात्मक शासन-व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
अथवा संघवाद का क्या अर्थ है? संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए |
अथवा संघवाद क्या है? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
अथवा संघवाद की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा सरकार की संघीय व्यवस्था की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – संघवाद
संघवाद संवैधानिक राज संचालन की उस प्रवृत्ति का प्रारूप है, जिसके अन्तर्गत विभिन्न राज्य एवं संविदा द्वारा एक संघ की स्थापना करते हैं। इस संविदा के अनुसार, एक संघीय सरकार एवं अनेक राज्य सरकारें संघ की विभिन्न इकाइयाँ हो जाती हैं।
संघवाद की विशेषताएँ
संघीय देश की निम्नलिखित विशेषताएँ (लक्षण) हैं
  1. सत्ता का बँटवारा संविधान स्पष्ट रूप से शक्तियों को तीन स्तर पर बाँटती है – केन्द्र या संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची। संघ सूची के अन्तर्गत प्रतिरक्षा (Defence), विदेशी मामले ( Foreign Affairs), बैंकिंग, संचार तथा मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के विषय आते हैं। संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार को होता है । राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, कृषि इत्यादि जैसे विषय आते हैं। राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य सरकारों को होता है।
  2. समवर्ती सूची इस सूची में शिक्षा, वन, मजदूर संघ इत्यादि विषय आते हैं। इस पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र व राज्य दोनों सरकारों को है। शासन की तीन स्तरीय व्यवस्था संघीय व्यवस्था के अन्तर्गत अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही स्तर के नागरिकों पर शासन करती हैं। इस प्रकार शासन के तीन स्वरूप होते हैं-केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकार ।
  3. असमान अधिकारों का वितरण सभी प्रशासनिक इकाइयों को समान अधिकार प्राप्त नहीं होता है। संघीय व्यवस्था में सबको साथ लेकर चलना होता है, परन्तु सभी इकाइयों को बराबर का अधिकार नहीं होता है।
  4. सरकार की दोनों स्तरों की सहमति संघीय शासन व्यवस्था में संविधान के मौलिक प्रावधानों को कोई एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती। यह व्यवस्था भारत में भी है। यहाँ भी संसद अकेले व्यवस्था में बदलाव नहीं कर सकती।
  5. क्षेत्र अधिकार संघीय व्यवस्था में संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में न्यायपालिका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। केन्द्र और राज्य के बीच शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने पर फैसला उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।
प्रश्न 2. भारत में केन्द्र और राज्यों के बीच सत्ता के बँटवारे की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन करें। 
उत्तर – केन्द्र और राज्यों के सम्बन्धों की व्यावहारिकता को निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है
  • भारतीय संघ को सहकारी संघवाद की संज्ञा प्रदान की जाती है। इसका तात्पर्य यह है कि केन्द्र और राज्यों के सम्बन्ध सहयोगात्म रहे हैं तथा केन्द्र तथा राज्यों के बीच टकराव अथवा तनाव की प्रस्थिति उत्पन्न नहीं हुई है।
  • वर्ष 1967 के पश्चात अनेक राज्यों में गैर-कांग्रेसी मन्त्रिमण्डलों का निर्माण हुआ तथा केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार का अस्तित्व रहा। इस काल में केन्द्र ने राज्यपाल के माध्यम से अनेक गैर-कांग्रेसी सरकारों को भंग किया। अतः राज्यों तथा केन्द्र के सम्बन्ध तनावपूर्ण हो रहे हैं।
  • केन्द्र की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्यों तक है। केन्द्र की सरकार किन्हीं भी कार्यों को पूर्ण करने के लिए राज्य सरकारों को आदेश और निर्देश दे सकती है।
  • सम्पूर्ण देश के लिए एक ही सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई है। भारतीय न्यायप्रणाली इकहरी न्यायप्रणाली है। राज्यों के उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय की अधीनता में कार्य करते हैं। इस प्रकार केन्द्र एवं राज्यों के बीच सम्बन्धों का मिला-जुला परिणाम रहा है।
  • स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद अनेक वर्षों तक कांग्रेस पार्टी का केन्द्र तथा राज्यों की राजनीति पर पूर्ण आधिपत्य रहा। दोनों ही स्तरों पर कांग्रेस पार्टी की सरकार रही। अत: केन्द्र तथा राज्यों के सम्बन्ध सौहार्दपूर्ण रहे।
  • आर्थिक रूप से भी राज्य केन्द्र के अधीन है। केन्द्र द्वारा ही राज्यों के आर्थिक विकास के लिए अनुदान दिया जाता है। अतः राज्यों की केन्द्र पर आर्थिक निर्भरता है।
प्रश्न 3. सरकार पंचायती राज संस्थाओं पर कैसे नियंत्रण रखती है?
उत्तर – सरकार पंचायती राज संस्थाओं पर नियंत्रण रखती है और उन्हें आदेश भी देती है। राज्य सरकार निम्नलिखित ढंग से पंचायती राज की संस्थाओं पर नियंत्रण रखती है
  • पंचायती राज की संस्थाओं की स्थापना राज्य सरकार द्वारा की जाती है और इस संस्थाओं के संगठन, कार्य तथा क्षेत्र का निर्धारण सरकार द्वारा ही किया जाता है।
  • पंचायती राज संस्थाएँ नीति-निर्माण में स्वतंत्र नहीं हैं। इन संस्थाओं द्वारा पास किए गए प्रस्तावों और नीतियों पर सरकार की स्वीकृति लेनी पड़ती है।
  • पंचायती राज संस्थाओं के सभी प्रथम अधिकारियों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है। सरकार या उसका अधिकार पंचायती राज संस्थाओं को अपने कर्त्तव्यों का पालन करने के लिए आदेश दे सकता है।
  • पंचायती राज संस्था वित्त के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है। इन संस्थाओं को सरकार से अनुदान प्राप्त होता है।
  • सरकार डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से पंचायत और पंचायत समिति के बजट पर नियंत्रण करवाती है। विशेष परिस्थितियों में पंचायती राज संस्थाओं को सरकार निलंबित या भंग कर सकती है।
प्रश्न 4. भारत में स्थानीय स्वशासन से आप क्या समझते हैं? इस शासन के किन्हीं दो गुणों एवं किन्हीं दो दोषों का उल्लेख कीजिए । 
अथवा भारत में स्थानीय स्वशासन के किन्हीं तीन गुणों एवं समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – तीसरे स्तर की सरकार को स्थानीय सरकार कहा जाता है। इस स्तर की सरकार के अन्तर्गत गाँव में ग्राम पंचायत और शहरों में नगरपालिका जैसी संस्थाओं की स्थापना की गई थी, परन्तु इन्हें राज्य सरकारों के सीधे नियन्त्रण में रखा गया था। स्थानीय सरकारों के लिए नियमित रूप से चुनाव भी नहीं कराए जाते थे। इस स्तर की सरकारों के पास अपना कोई अधिकार नहीं था ।
स्थानीय सरकार के दो गुण
  1. यह देश के आम नागरिकों के सबसे करीब होती है इसलिए यह लोकतन्त्र में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने में सक्षम है।
  2. इसमें महिलाओं के लिए एक-तिहाई पद आरक्षित किए गए हैं।
  3. स्थायी स्तर पर उत्पन्न समस्याओं का स्थानीय स्तर पर ही समाधान ।
स्थानीय सरकार के दो दोष
  1. स्थानीय सरकारों को दिया गया धन उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता ।
  2. कर्मचारियों की कमी और बुनियादी ढाँचे की कमी जैसे मुद्दे सदैव स्थानीय निकायों के कामकाज में बाधा डालते हैं।
  3. राजनैतिक हस्तक्षेप से कार्य व्यवधान |

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