Social-science 10

UP Board Class 10 Social Science Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक (अर्थशास्त्र)

UP Board Class 10 Social Science Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक (अर्थशास्त्र)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक (अर्थशास्त्र)

फास्ट ट्रैक रिवीज़न
  • उत्पादन गतिविधियों तथा सेवाओं को महत्त्वपूर्ण मानदण्डों के आधार पर विभिन्न समूहों में वर्गीकृत करके समझा जा सकता है।
आर्थिक गतिविधियों का क्षेत्र
  • धन कमाने के उद्देश्य से की जाने वाली गतिविधियों को आर्थिक गतिविधियों के नाम से जाना जाता है। आर्थिक गतिविधियों को निम्नलिखित तीन अलग-अलग तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है
    1. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र
    2. संगठित और असंगठित क्षेत्र
    3. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र
भारत के प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र
प्राथमिक क्षेत्र
  • इसके अन्तर्गत प्राकृतिक संसाधनों को प्राथमिक उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है।
  • इसे कृषि व सहायक क्षेत्रक (Agricultural and Related Sector) भी कहते हैं।
  • इनमें कृषि, डेयरी, मत्स्यन, खनन और तेल एवं गैस की निकासी इत्यादि को शामिल किया जाता है।
द्वितीयक क्षेत्र
  • इसमें प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। इस क्षेत्र में वस्तुएँ सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होतीं, बल्कि निर्मित की जाती हैं।
  • यह प्रक्रिया विनिर्माण, कारखाने, कार्यशाला या घर में पूर्ण रूप से की जा सकती है। इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहा जाता है।
तृतीयक क्षेत्र
  • प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों के विकास में सहायक गतिविधियों को तृतीयक क्षेत्र में शामिल किया गया है। तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्रक भी कहते हैं।
  • इसके अन्तर्गत परिवहन, बैंकिंग, बीमा, संचार – भण्डारण, सूचना प्रौद्योगिकी व सॉफ़्टवेयर उद्योग आते हैं।
तीनों क्षेत्रों की तुलना
  • आर्थिक रूप से प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक तीनों क्षेत्र आपस में एक-दूसरे पर निर्भर हैं
  • अन्तिम सामान और सेवाएँ ये वस्तुएँ सीधे उपभोक्ता द्वारा प्रयोग में लाई जाती हैं। इस स्थिति के बाद इसमें किसी प्रकार की उत्पादन सम्बन्धित गतिविधि नहीं होती है।
  • सकल घरेलू उत्पाद किसी वर्ष में इन तीनों क्षेत्रों में उत्पादित सभी अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य की राशि को देश का सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product, GDP) कहा जाता है। इसकी गणना केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा की जाती है।
क्षेत्रों में ऐतिहासिक परिवर्तन
  • समय के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियाँ प्राथमिक क्षेत्र से द्वितीयक क्षेत्र और द्वितीयक क्षेत्र से तृतीयक क्षेत्र में स्थानान्तरित हो जाती हैं।
  • वर्तमान में तृतीयक क्षेत्र (सेवा क्षेत्र) आर्थिक गतिविधियों का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।
भारत में प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्र
  • वर्ष 1973-74 में सकल घरेलू उत्पाद में प्राथमिक क्षेत्र का प्रभुत्व अधिक था, लेकिन वर्ष 2013-14 से घरेलू सकल उत्पाद में तृतीयक क्षेत्र का प्रभुत्व अधिक हो गया है।
उत्पादन में तृतीयक क्षेत्र का बढ़ता महत्त्व
  • प्राथमिक और माध्यमिक क्षेत्र में अच्छे विकास के कारण सेवा क्षेत्र में विकास ‘अधिक तेजी से हुआ।
  • सेवा क्षेत्र केवल एक छोटा खण्ड उच्च, कुशल और शिक्षित श्रमिकों को रोजगार देता है।
विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को रोजगार
  • हालाँकि, प्राथमिक क्षेत्र की GDP में हिस्सेदारी कम है, परन्तु अब यह 50% से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
  • माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्र ने पर्याप्त रोजगार उत्पन्न नहीं किए हैं।
अधिक रोजगार विकसित करना
  • तकनीकी और संस्थागत उपाय इसके अन्तर्गत तकनीकी सुविधाएँ; जैसे – संकर बीज, कृषि की आधुनिक तकनीक के बारे में बताया जाता है। संस्थागत समर्थन (बाजार, भण्डारण की सुविधा) ने किसानों के रोजगार में वृद्धि की है।
  • सम्बद्ध कृषि का संवर्द्धन किसानों को सम्बद्ध कृषि ( मत्स्यपालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन) के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  • लघु उद्योगों और बैंक ऋण की ओर ध्यान केन्द्रित करना ग्रामीण आदि क्षेत्रों में कुटीर उद्योग की स्थापना से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान किया जा सकता है। इसमें वाणिज्यिक बैंक कम दरों पर ब्याज उपलब्ध कराकर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • ग्रामीण अवसंरचना में सुधार सरकार को गाँवों और बाजार के मध्य अवसंरचना में अधिक निवेश करना चाहिए। यह किसानों को और अधिक उत्पादक रोजगार प्रदान करेगा।
  • शिक्षा स्वास्थ्य और पर्यटन में सुधार गाँवों में स्वास्थ्य स्थिति को सुधारने के लिए अतिरिक्त रोजगार सृजन किया जाए। विद्यालयों की स्थापना की जाए। पर्यटन और क्षेत्रीय शिल्प उद्योग ग्रामीणों की आय और उनके रोजगार में वृद्धि कर सकते हैं।
नरेगा 2005
  • वर्ष 2005 में राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम तैयार किया गया। बाद में इसका नाम महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम में बदल गया।
  • यह योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी से पीड़ित महिलाओं को लक्षित करती है।
  • इस योजना के अन्तर्गत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष में 100 दिन के रोजगार की गारण्टी दी गई है। यदि सरकार रोजगार उपलब्ध कराने में असफल रहती है, तो वह लोगों को बेरोजगारी भत्ता देगी।
  • अधिनियम के अन्तर्गत उन कामों को वरीयता दी जाएगी, जिनसे भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
संगठित और असंगठित क्षेत्र संगठित क्षेत्र
  • जहाँ रोजगार की अवधि नियमित व सुनिश्चित होती है, संगठित क्षेत्र कहलाते हैं।
  • इन क्षेत्रों को कारखाना अधिनियम, मजदूरी अधिनियम तथा ग्रेच्युटी अधिनियम का पालन करना पड़ता है।
  • इन क्षेत्रों में श्रमिकों को रोजगार की सुरक्षा के लाभ मिलते हैं।
असंगठित क्षेत्र
  • इस क्षेत्र के उद्यम सरकार के साथ पंजीकृत नहीं होते हैं।
  • मरम्मत कार्यकर्ता तथा घरेलू नौकर आदि इसके अन्तर्गत आते हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्र में भूमि रहित कृषि मजदूर, छोटे और सीमान्त किसान आदि इसमें शामिल होते हैं। इस क्षेत्र में कृषि में 80% लोग कार्यरत् हैं।
  • इस क्षेत्र में बिना कारण के कामगार को किसी भी समय नौकरी छोड़ने के लिए कहा जा सकता है।
असंगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की सुरक्षा
इस क्षेत्र में कार्यरत् कर्मचारियों का संरक्षण निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है
  • सरकार को उन्हें अनिवार्य बीमा प्रदान करना चाहिए।
  • ग्रामीण क्षेत्र में कृषि के अतिरिक्त रोजगार के विकल्प का विकास करना चाहिए।
  • इस उद्देश्य के लिए अर्थव्यवस्था में कौशल विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
स्वामित्व के आधार पर क्षेत्र
स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था के दो क्षेत्र निम्नलिखित हैं
सार्वजनिक क्षेत्र
  • सार्वजनिक क्षेत्र में अधिकांश परिसम्पत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है। और सरकार सेवाएँ उपलब्ध कराती है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र कल्याण के उद्देश्य से कार्य करते हैं।
निजी क्षेत्र
  • निजी क्षेत्र में परिसम्पत्तियों पर स्वामित्व और सेवाओं के वितरण की जिम्मेदारी एकल व्यक्ति या कम्पनी के हाथों में होती है। निजी क्षेत्र लाभ के उद्देश्य से कार्य करते हैं।
निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका
  • संचार, सड़कों का विकास और रोजगार पैदा करने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना है।
  • किसानों से खाद्यान्न खरीदने का समर्थन करना और न्यूनतम कीमत पर आपूर्ति करके गरीब लोगों का समर्थन करना ।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन प्राथमिक क्षेत्र के अन्तर्गत आता है?
(a) खनन
(b) विनिर्माण
(c) सूचना
(d) बैंकिंग
उत्तर (a) खनन
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा व्यक्ति अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र से सम्बन्धित है?
(a) मछुआरा
(b) शिक्षक
(c) डाकिया
(d) व्यापारी
उत्तर (a) मछुआरा
प्रश्न 3. एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन …….. में सम्मिलित है।
(a) प्राथमिक क्षेत्रक
(b) द्वितीयक क्षेत्रक
(c) तृतीयक क्षेत्रक
(d) सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रक
उत्तर (a) प्राथमिक क्षेत्रक
प्रश्न 4. औद्योगिक क्रियाओं को किस आर्थिक क्षेत्रक के अन्तर्गत रखा जाता है?
(a) प्रथम क्षेत्रक
(b) द्वितीय क्षेत्रक
(c) तृतीय क्षेत्रक
(d) चतुर्थ क्षेत्रक
उत्तर (b) द्वितीय क्षेत्रक
प्रश्न 5. भारत में आर्थिक गतिविधियों में तृतीयक क्षेत्र में कौन शामिल है?
(a) कृषि
(b) उद्योग
(c) सेवाएँ
(d) कृषि सम्बन्धी गतिविधियाँ
उत्तर (c) सेवाएँ
प्रश्न 6. अन्तिम वस्तुएँ एवं सेवाएँ क्या होती हैं?
(a) सीधे उपभोक्ता द्वारा प्रयोग
(b) सीधे विक्रेता द्वारा प्रयोग
(c) उत्पादन की सीमा
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर (a) सीधे उपभोक्ता द्वारा प्रयोग
प्रश्न 7. किसी विशेष वर्ष में उत्पादित ……. के मूल्य के कुल योगफल को जी. डी. पी. कहते हैं।
(a) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(b) सभी अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं
(c) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(d) सभी मध्यवर्ती एवं अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं
उत्तर (b) सभी अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं
प्रश्न 8. निम्नलिखित में से किस वर्ष महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी एक्ट चलाया गया?
(a) वर्ष 2008 में
(b) वर्ष 2010 में
(c) वर्ष 2005 में
(d) वर्ष 2000 में
उत्तर (c) वर्ष 2005 में
प्रश्न 9. संगठित क्षेत्र के अन्तर्गत कौन-सा अधिनियम शामिल है?
(a) कारखाना अधिनियम
(b) मजदूरी अधिनियम
(c) ग्रेच्युटी अधिनियम
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
प्रश्न 10. निम्नलिखित में से कौन-सा व्यक्ति असंगठित क्षेत्र के अन्तर्गत आता है?
(a) कृषि मजदूर
(b) बैंक मैनेजर
(c) राजपत्रित अधिकारी
(d) सैनिक
उत्तर (a) कृषि मजदूर
प्रश्न 11. भारत में जीविका का प्रमुख स्रोत है?
(a) उद्योग
(b) कृषि
(c) व्यवसाय
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (b) कृषि
प्रश्न 12. निम्न में से कौन-सा संगठित क्षेत्र का लाभ है?
(a) व्यापार सुरक्षा
(b) स्वास्थ्य सुरक्षा
(c) रोजगार की सुरक्षा
(d) ये सभी
उत्तर (c) रोजगार की सुरक्षा
प्रश्न 13. स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था क्षेत्रक को कितने भागों में विभाजित किया गया है?
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर (b) दो
प्रश्न 14. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र किस आधार पर विभाजित हैं?
अथवा सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों का वर्गीकरण निम्नलिखित में से किस आधार पर निर्धारित किया जाता है?
(a) रोजगार की शर्तों
(b) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(c) उद्यमों के स्वामित्व
(d) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
उत्तर (c) उद्यमों के स्वामित्व
प्रश्न 15. द्वितीयक क्षेत्रक को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
(a) प्राथमिक क्षेत्रक
(b) खनन क्षेत्रक
(c) औद्योगिक क्षेत्रक
(d) कृषि क्षेत्रक
उत्तर (c) औद्योगिक क्षेत्रक
प्रश्न 16. वर्ष 2017-18 में द्वितीयक क्षेत्रक में कितने प्रतिशत श्रम को रोजगार प्राप्त था?
(a) 49%
(b) 11%
(c) 15%
(d) 25%
उत्तर (d) 25%
प्रश्न 17. ‘ग्रीन इण्डिया मिशन’ किस वर्ष में आरम्भ किया गया था?
(a) 2013
(b) 2012
(c) 2014
(d) 2011
उत्तर (c) 2014
प्रश्न 18. निम्न में से किसको कृषि क्षेत्रक कहते हैं?
अथवा निम्नलिखित में किसको कृषि और सहायक क्षेत्रक भी कहते हैं?
(a) प्राथमिक क्षेत्रक
(b) द्वितीयक क्षेत्रक
(c) तृतीयक क्षेत्रक
(d) चतुर्थक क्षेत्रक
उत्तर (a) प्राथमिक क्षेत्रक
प्रश्न 19. सार्वजनिक उद्यम का स्वामित्व निम्नलिखित में से किसके पास होता है?
(a) निजी स्वामी
(b) सरकार
(c) सरकार और निजी हाथों में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (b) सरकार
प्रश्न 20. निम्नलिखित में से कौन-सी आर्थिक गतिविधियाँ तृतीयक क्षेत्रक में नहीं आतीं?
(a) बैंकिंग
(b) मधुमक्खीपालन
(c) अध्यापन
(d) किसी कॉल सेण्टर में काम करना
उत्तर (b) मधुमक्खीपालन
प्रश्न 21. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का आर्थिक क्षेत्र है।
(a) प्राथमिक
(b) द्वितीयक
(c) तृतीयक
(d) चतुर्थ
उत्तर (c) तृतीयक
प्रश्न 22. सार्वजनिक क्षेत्र के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
(a) बड़ी कम्पनियों के पास सबसे अधिक सम्पत्ति है।
(b) सरकार के पास सम्पत्ति है।
(c) लोगों का एक समूह अधिकांश सम्पत्ति का मालिक है।
(d) एक व्यक्ति के पास अधिकांश सम्पत्ति है।
उत्तर (b) सरकार के पास सम्पत्ति है।
प्रश्न 23. सेवा क्षेत्र निम्नलिखित में से किस क्षेत्र के अन्तर्गत रखा जाता है? अथवा सेवाओं को किस क्रियाकलाप क्षेत्रक के अन्तर्गत रखा जाता है?
(a) प्राथमिक क्षेत्र
(b) द्वितीयक क्षेत्र
(c) तृतीयक क्षेत्र
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (c) तृतीयक क्षेत्र
सुमेलित करें
प्रश्न 24. सुमेलित कीजिए
प्रश्न 25. सुमेलित कीजिए
कथन कूट
प्रश्न 26. सकल घरेलू उत्पाद के सन्दर्भ में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. उत्पादित अन्तिम सभी वस्तुएँ शामिल।
2. सकल घरेलू उत्पाद का आकलन केंद्रीय सांख्यिकी द्वारा ।
3. मात्रात्मक वृद्धि।
4. मध्यवर्ती उत्पादित वस्तुएँ।
कूट
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 2 और 4
उत्तर (b) 1 और 2
प्रश्न 27. प्राथमिक क्षेत्र में शामिल हैं
1. मत्स्यन
2. खनन
3. तेल
4. कृषि
कूट
(a) केवल 2
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
वर्णनात्मक प्रश्न – 1
प्रश्न 1. आर्थिक क्रियाओं से क्या अभिप्राय है? प्रमुख आर्थिक क्रियाओं का वर्णन कीजिए।
अथवा आर्थिक क्रियाओं के तीन प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए ।
अथवा आर्थिक गतिविधियाँ किसे कहा जाता है? आर्थिक गतिविधि को कितने तरीकों से विभाजित किया जाता है? 
उत्तर – धन कमाने के उद्देश्य से की जाने वाली गतिविधियों को आर्थिक गतिविधियाँ कहा जाता है।
इनमें से कुछ गतिविधियाँ आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करती हैं और दूसरों को सेवाएँ प्रदान करती हैं। गतिविधियों को उनके सामान्य गुणों के अनुसार विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।
आर्थिक गतिविधियों को तीन अलग-अलग तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है
(i) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र
(ii) संगठित और असंगठित क्षेत्र
(iii) सार्वजनिक और निजी क्षेत्र
प्रश्न 2. अर्थव्यवस्था के द्वितीयक क्षेत्रक से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित लिखिए। 
उत्तर – जब प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के द्वारा अन्य रूपों में बदला जाता है, तो वे द्वितीयक क्षेत्रक कहलाते हैं; जैसे— कपास से रेशा, गन्ने से चीनी आदि । इसमें विनिर्माण और निर्माण को शामिल किया जाता है। यह प्रक्रिया विनिर्माण, कारखाने, कार्यशाला या घर में पूर्ण की जा सकती है। उदाहरण के लिए; गन्ने से चीनी या गुड़ और कपास से रेशा या कपड़ा आदि बनाना । द्वितीयक क्षेत्र में विकास विभिन्न प्रकार के उद्योगों से जुड़ा हुआ है, जिन्हें औद्योगिक क्षेत्र कहा जाता है।
प्रश्न 3. किस प्रकार तृतीयक क्षेत्र के विकास का महत्त्व बढ़ता जा रहा है?
उत्तर – तृतीयक क्षेत्र के बढ़ते महत्त्व को निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर समझा जा सकता है
  • प्राथमिक और माध्यमिक क्षेत्र में अच्छे विकास ने परिवहन, व्यापार, भण्डारण आदि जैसे सेवा क्षेत्र के विकास की माँग को प्रेरित किया है।
  • जीवन शैली के साथ वैश्वीकरण के कारण कुछ नई सेवाओं ने सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी जैसे भारतीय बाजारों में प्रवेश किया है, जो सभी के लिए महत्त्वपूर्ण और आवश्यक बन गए हैं।
  • इसके द्वारा गुणवत्तापूर्ण रोजगार का सृजन किया जाता है, जो उच्च, कुशल और शिक्षित श्रमिकों को प्राप्त होता है।
प्रश्न 4. संगठित क्षेत्र किसे कहते हैं? इसकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – संगठित क्षेत्र 
वे उद्यम या कार्य स्थल, जहाँ रोजगार की अवधि नियमित व सुनिश्चित होती है, संगठित क्षेत्र कहलाते हैं। इस क्षेत्र में कुछ औपचारिक प्रक्रियाएँ होती हैं।
संगठित क्षेत्र की विशेषताएँ
इस क्षेत्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
  • इन उद्यमों को सरकार द्वारा पंजीकृत किया जाता है और इन्हें कारखाना अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, ग्रेच्युटी अधिनियम के भुगतान आदि जैसे विभिन्न कानूनों के तहत बनाए गए नियमों का पालन करना पड़ता है।
  • संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को रोजगार की सुरक्षा के लाभ मिलते हैं, यदि उनसे निश्चित समय से अधिक कार्य कराया जाता है, तो घण्टे की संख्या के आधार पर अतिरिक्त ओवरटाइम मिलता है।
  • उन्हें चिकित्सा लाभ मिलता है और प्रबन्धन को स्वच्छ पेयजल एवं एक सुरक्षित कामकाजी वातावरण जैसी सुविधाएँ सुनिश्चित करनी पड़ती हैं।
प्रश्न 5. खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए ।
उत्तर – खुली बेरोजगारी
यह वह परिस्थिति है, जिसमें किसी देश में श्रम शक्ति तो अधिक होती है, किन्तु औद्योगिक ढाँचा छोटा होता है। वह सारी श्रम शक्ति को समान अवसर प्रदान नहीं कर पाता अर्थात् श्रमिक काम करना चाहता है, किन्तु उसे काम नहीं मिलता। यह बेरोजगारी भारत के अधिकतर औद्योगिक क्षेत्रों में पाई जाती है।
प्रच्छन्न बेरोजगारी
यह वह परिस्थिति है, जिसमें व्यक्ति काम लगे हुए दिखाई देते हैं, किन्तु वास्तव में वे बेरोजगार होते हैं; जैसे—भूमि के छोटे टुकड़े पर छः लोग काम कर रहे हैं, किन्तु उत्पादन उतना ही हो रहा है जितना तीन लोगों के काम करने से होता है। ऐसे में तीन अतिरिक्त लोग, जो काम में लगे हुए हैं, वह प्रच्छन्न रूप से बेरोजगार हैं, क्योंकि उनके काम करने से उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रश्न 6. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) के उद्देश्य लिखिए। 
उत्तर – महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) को एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों की गारण्टीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रारम्भ किया गया था।
मनरेगा का एक और उद्देश्य है टिकाऊ सम्पत्ति; जैसे- सड़कों, कुओं, तालाबों एवं नहरों का निर्माण करना, आवेदक के निवास के 5 किमी के भीतर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना और काम के एवंज में न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करना । यदि आवेदन करने के 15 दिनों के अन्दर आवेदक को काम नहीं मिलता है, तो वह बेरोजगारी भत्ता पाने का हकदार है। मनरेगा के अन्तर्गत रोजगार को एक कानूनी अधिकार बना दिया गया है।
प्रश्न 7. आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती हैं? 
उत्तर – रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर आर्थिक गतिविधियों को निम्नलिखित दो वर्गों में बाँटा जा सकता है
  1. संगठित क्षेत्रक इस क्षेत्रक में सभी गतिविधियाँ एक पद्धति के अन्तर्गत होती हैं अर्थात् संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्यस्थल आते हैं, जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है और लोगों के पास सुनिश्चित रोजगार होता है।
  2. असंगठित क्षेत्रक असंगठित क्षेत्रक छोटी और बिखरी इकाइयों से निर्मित होता है। यहाँ नियम-कानून की अवहेलना होती है। इसमें कोई पद्धति नहीं होती।
प्रश्न 8. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों की प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन कई दृष्टिकोण से उपयोगी है। इससे अर्थशास्त्रियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में उपस्थित समस्याओं और अवसरों को समझने में मदद मिलती है। इससे मिली सूचना के आधार पर सरकार समाज कल्याण हेतु कार्यक्रम का क्रियान्वयन कर सकती है तथा सुधारों को लागू कर सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो और रोजगार के नए अवसर तैयार हों।
प्रश्न 9. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद पर ही क्यों केन्द्रित करना चाहिए? क्या अन्य वाद-पदों का परीक्षण किया जा सकता है? चर्चा करें।
उत्तर – अध्याय में आए प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक तीनों क्षेत्रों के लिए मुख्य रूप से रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार में वृद्धि पंचवर्षीय योजनाओं के सामान्य लक्ष्य हैं और वे देश की अर्थव्यवस्था के आकार को भी निर्धारित करते हैं। रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद पर ध्यान देने से हमें अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्रों द्वारा प्रतिव्यक्ति आय, उत्पादकता, रोजगार दर में बदलाव और सकल घरेलू उत्पाद में योगदान जैसे महत्त्वपूर्ण कारकों की गणना और निगरानी करने में मदद मिलती है और इस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने में मदद मिलती है।
हाँ, जिन अन्य मुद्दों की जाँच की जानी चाहिए वे हैं
(i) संतुलित क्षेत्रीय विकास
(ii) देश के लोगों के बीच आय और धन में समानता
(iii) गरीबी उन्मूलन
(iv) प्रौद्योगिकी का आधुनिकीकरण
(v) देश की आत्मनिर्भरता
प्रश्न 10. “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।” क्या आप इससे सहमत हैं ? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए । 
उत्तर – नहीं, मैं इससे सहमत नहीं हूँ। इसके कारण हैं
  1. GDP के सन्दर्भ में वर्ष 2013-14 में भारत में प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक को प्रतिस्थापित करते हुए तृतीयक क्षेत्रक सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्रक के रूप में उभरा है।
  2. रोजगार के सन्दर्भ में भी तृतीयक क्षेत्रक के रोजगार की वृद्धि दर बढ़ी है । यह वर्ष 1977-78 में 18% थी, जो बढ़कर वर्ष 2017-18 में 31% हो गई है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र शिक्षित लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है।
वर्णनात्मक प्रश्न-2
प्रश्न 1. अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक से क्या तात्पर्य है? द्वितीयक क्षेत्रक की विशेषताओं की विवेचना कीजिए ।
अथवा प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों की विशेषताओं की विवेचना कीजिए ।
उत्तर – अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्रक होते हैं – प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक। ये सभी क्षेत्रक राष्ट्रीय आय के सृजन तथा वृद्धि में रोजगार के अवसरों के सृजन में वस्तु और सेवाओं की पूर्ति करने में तथा आधारिक संरचना के सृजन में योगदान देते हैं।
प्राथमिक क्षेत्र की विशेषताएँ
  • प्राथमिक क्षेत्र में कृषि, वन, मछली पकड़ना, खनन और तेल एवं गैस की निकासी शामिल हैं।
  • अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद कृषि, डेयरी, मछली पकड़ने, वानिकी आदि से प्राप्त होते हैं, इसलिए इसे कृषि एवं सहायक क्षेत्रक भी कहा जाता है।
  • इन गतिविधियों के अन्तर्गत वे क्षेत्र आते हैं, जहाँ विषम जलवायविक व भौगोलिक दशाएँ विद्यमान होती हैं।
  • इस क्षेत्र के अधिकतर निवासी आदिम सामाजिक जीवन जी रहे होते हैं।
  • ये वे क्षेत्र हैं, जहाँ अभी तक आधुनिक प्रौद्योगिकी व तकनीकी का विकास व हस्तक्षेप नहीं हुआ है।
जब प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के द्वारा अन्य रूपों में बदला जाता है तो वे द्वितीयक क्षेत्रक कहलाते हैं; जैसे- कपास के रेशे, गन्ने से चीनी आदि ।
द्वितीयक क्षेत्र की विशेषताएँ
  • द्वितीयक क्षेत्र में विनिर्माण और निर्माण शामिल हैं।
  • यह प्रक्रिया विनिर्माण कारखाने, कार्यशाला या घर से पूर्ण की जा सकती है। उदाहरण के लिए, गन्ने से चीनी या गुड़ और कपास से रेशा या कपड़ा आदि बनाते हैं।
प्रश्न 2. तृतीयक क्षेत्रक क्या है? इसकी विशेषताओं की समीक्षा कीजिए ।
अथवा तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न कैसे हैं? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर – तृतीयक क्षेत्रक
प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों के विकास में मदद करने वाली गतिविधियों को तृतीयक क्षेत्र में शामिल किया गया है। ये गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती हैं, बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग प्रदान करती हैं; जैसे- परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंकिंग तृतीयक गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं। चूँकि ये गतिविधियाँ वस्तुओं के अतिरिक्त सेवाओं का सृजन करती हैं, इसलिए तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक’ कहा भी जाता है।
तृतीयक क्षेत्र में कुछ आवश्यक सेवाएँ भी शामिल हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं के उत्पादन में सहायता नहीं करती हैं; जैसे- डॉक्टर, वकील, शिक्षक, सूचना प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर उद्योग, इण्टरनेट कैफे, ए.टी.एम. बूथ, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग, ज्ञान प्रक्रिया आउटसोर्सिंग और कॉल सेण्टर आदि ।
तृतीयक क्षेत्रक की विशेषताएँ
  • तृतीयक क्षेत्रक में सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। उदाहरणस्वरूप; कपास का उत्पादन प्राथमिक क्षेत्रक में और कपास के रेशे से वस्त्र तैयार करना द्वितीयक क्षेत्रक में, लेकिन तृतीयक क्षेत्रक में इन्हें बाजार में बेचा जाता है। इन्हें ट्रकों व अन्य परिवहन माध्यमों से थोक बाजार तथा खुदरा दुकानों तक पहुँचाया जाता है।
  • तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं।
  • तृतीयक क्षेत्रक में श्रमिकों को मानसिक क्षमता की अधिक जरूरत पड़ती है। उदाहरण के लिए; डिजाइनर, शेफ, शिक्षक, वकील आदि, लेकिन प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रक में श्रमिकों को शारीरिक परिश्रम की जरूरत पड़ती है। उदाहरण के लिए, बढ़ई, किसान, राजमिस्त्री आदि ।
प्रश्न 3. असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है – मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य । उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। 
अथवा असंगठित क्षेत्र में कार्यरत् श्रमिकों की समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
अथवा अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की किन्हीं तीन समस्याओं का उल्लेख कीजिए । 
उत्तर – असंगठित क्षेत्रक के मजदूरों (श्रमिकों) को मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है। इसे निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
मजदूरी असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की कार्य अवधि निश्चित नहीं है अर्थात् इन्हें बहुत अधिक शोषण का शिकार होना पड़ता है। इनके रोजगार की कोई गारण्टी भी नहीं है। ये श्रमिक अत्यन्त गरीब होते हैं। अत: न्यूनतम मजदूरी पर भी कार्य करने को तैयार हो जाते हैं। इनके लिए कार्य अवधि ओवरटाइम और एक निश्चित मजदूरी की गारण्टी होनी चाहिए ।
सुरक्षा असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों हेतु रोजगार सुरक्षा सहित अन्य प्रकार के सुरक्षा बीमा की भी व्यवस्था करनी चाहिए, क्योंकि ये अत्यन्त जोखिम वाले स्थानों; जैसे— ईंट भट्ठा उद्योग, कोयले की खानों, माइनिंग आदि स्थानों पर कार्य करते हैं, जिनमें जान का खतरा हमेशा बना रहता है। अतः इन्हें यहाँ संरक्षण की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य श्रमिक अत्यन्त गरीब होते हैं। इन्हें पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता। ये विपरीत स्वास्थ्य परिस्थितियों में भी काम करते हैं। अतः स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु भी संरक्षण होना चाहिए ।
प्रश्न 4 : संगठित और असंगठित क्षेत्रों में अन्तर कीजिए ।
अथवा संगठित एवं असंगठित क्षेत्रकों में विभेद कीजिए एवं असंगठित क्षेत्रकों के कर्मचारियों की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा संगठित तथा असंगठित क्षेत्र के रोजगारों में अन्तर स्पष्ट कीजिए । संगठित क्षेत्र के रोजगार को मिलने वाले लाभों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – संगठित क्षेत्र
  • वे उद्यम या कार्य स्थान, जहाँ रोजगार की अवधि नियमित व सुनिश्चित होती है, संगठित क्षेत्र ( Organised Sector ) कहलाते हैं। इस क्षेत्र में कुछ औपचारिक प्रक्रियाएँ होती हैं। इन उद्यमों को सरकार द्वारा पंजीकृत किया जाता है और इन्हें कारखाना अधिनियम (Factory Act), न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (Minimum Wages Act), ग्रेच्युटी अधिनियम के भुगतान (Payment of Gratuity Act) आदि जैसे विभिन्न कानूनों के तहत बनाए गए नियमों का पालन करना पड़ता है।
असंगठित क्षेत्र
  • असंगठित क्षेत्र (Unorganised Sector) के उद्यम सरकार के साथ पंजीकृत नहीं हैं। छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयाँ, जो सरकारी नियन्त्रण से बाहर होती हैं, असंगठित क्षेत्रक कहलाती हैं।
असंगठित क्षेत्रक की समस्या
इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 3 देखें।
संगठित क्षेत्र के रोजगार को मिलने वाले लाभ
  1. काम के घण्टे निश्चित हैं।
  2. इसमें कर्मचारियों को चिकित्सा देखभाल, पेंशन, छुट्टी जैसे—अतिरिक्त लाभ मिलते हैं।
  3. संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों को स्वच्छ वातावरण मिलता है।
प्रश्न 5. सार्वजनिक क्षेत्र किस प्रकार से आर्थिक विकास में योगदान करता है?
अथवा देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्र के योगदान पर एक टिप्पणी लिखिए |
अथवा व्याख्या कीजिए कि किसी देश के विकास में सार्वजनिक क्षेत्र किस प्रकार योगदान करते हैं?
उत्तर – किसी देश में आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्रक का उद्देश्य अत्यधिक लाभ कमाना नहीं होता । सभी महत्त्वपूर्ण गतिविधियों का संचालन सार्वजनिक क्षेत्रक के द्वारा किया जाता है। ऐसी गतिविधियाँ, जिनकी आवश्यकता समाज के प्रत्येक व्यक्ति को होती है; जैसे – सड़क, पुल, रेलवे, पत्तन, बिजली आदि का निर्माण और बाँध आदि से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना सार्वजनिक क्षेत्रक का कार्य है। सरकार ऐसे भारी व्यय स्वयं उठाती है। सरकार किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए उनसे ही चावल और गेहूँ खरीदती है और फिर सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा समाज के गरीब और वंचित वर्ग तक उस अनाज कों पहुँचाती है।
सभी के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएँ उपलब्ध कराना सार्वजनिक क्षेत्रक में आता है। इस प्रकार किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक अपनी कार्यदक्षता को दर्शाता है।
सार्वजनिक क्षेत्र की विशेषताएँ
  • यह बुनियादी ढाँचे के निर्माण और अभिव्यक्ति के माध्यम से तेजी से आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
  • यह रोजगार के अवसर पैदा करता है।
  • यह विकास के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराता है।
  • यह आय (धन) की समानता सुनिश्चित करता है और इस प्रकार सन्तुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करता है।
  • यह लघु मध्यम एवं कुटीर उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करता है।
  • यह मध्यम दरों पर वस्तुओं की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
  • स्वास्थ्य और शैक्षिक सेवाओं के माध्यम से सामुदायिक विकास यानी मानव विकास सूचकांक (एच.डी.आई.) में योगदान देता है।
प्रश्न 6. भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक रोजगार विकसित करने के माध्यमों को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक रोजगार विकसित करने के माध्यम
अधिक रोजगार विकसित करने के विभिन्न माध्यम इस प्रकार हैं
  • तकनीकी और संस्थागत उपाय तकनीकी सुविधाएँ; जैसे – सिंचाई, संकर बीज की उपलब्धता, कृषि की आधुनिक तकनीक के बारे में जागरूकता, कृषि योग्य भूमि की उत्पादकता में वृद्धि और कृषि में मानव बल की आवश्यकता को बढ़ाती हैं। बाजार, परिवहन, भण्डारण की सुविधा और अन्य प्रसंस्करण इकाइयों जैसे संस्थागत समर्थन से उप-शहरी क्षेत्र अन्य क्षेत्रों में किसानों के रोजगार में वृद्धि करेगा।
  • सम्बद्ध – कृषि का संवर्द्धन कृषि क्षेत्र में विविधता लाने की आवश्यकता है, क्योंकि इसमें 60% से अधिक लोग कार्यरत हैं। किसानों को फसलों की कृषि सिल्क के साथ-साथ सम्बद्ध कृषि गतिविधियों; जैसे- मत्स्यपालन, बागवानी, के लिए पशुपालन, शहद के लिए मधुमक्खी पालन आदि करने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  • लघु उद्योगों और बैंक ऋण की ओर ध्यान केन्द्रित करना अधिकांश किसान रिश्तेदारों और मित्रों, व्यापारियों, साहूकारों जैसे ऋण के अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर करते हैं, जो बहुत अधिक ब्याज दर लेते हैं, इसलिए वाणिज्यिक बैंकों द्वारा सस्ती दरों पर किसानों को ऋण प्रदान करने से उन्हें स्थापित करने में मदद मिलेगी। ग्रामीण और अर्द्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने से बड़ी संख्या में लोगों के लिए रोजगार पैदा हो सकता है। जिससे उदाहरण के लिए; चावल और दाल मिलों की स्थापना, कुछ किसान उन मिलों में काम कर सकें। कृषि उत्पादों; जैसे – आलू, टमाटर, चावल, गेहूँ और अन्य के लिए शीत भण्डार गृह एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना की जा सकती है।
  • ग्रामीण अवसंरचना में सुधार ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं; जैसे – सड़क, परिवहन, बैंकिंग, गोदाम, बाजार आदि की कमी है। सरकार को गाँवों और बाजारों के मध्य अच्छे संयोजन के लिए अधिक निवेश करना चाहिए। यह किसानों को और अधिक उत्पादक रोजगार प्रदान करेगा, साथ ही परिवहन और व्यापार जैसी सेवाओं में नियोजित अन्य व्यक्तियों को भी लाभान्वित करेगा।

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