Social-science 10

UP Board Class 10 Social Science Chapter 3 जल संसाधन (भूगोल)

UP Board Class 10 Social Science Chapter 3 जल संसाधन (भूगोल)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 3 जल संसाधन (भूगोल)

फास्ट ट्रैक रिवीज़न

  • जल जीवन के लिए आवश्यक एवं बहुमूल्य संसाधन है। पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है।
  • प्रयोग में आने वाला स्वच्छ जल ( अलवणीय जल) सतही अपवाह और भौमजल स्रोतों से प्राप्त होता है, जिनका पुनर्भरण एवं नवीकरण जलीय चक्र (Hydrological Cycle) द्वारा होता रहता है।
जल संसाधन का अर्थ
  • पृथ्वी के भूतल पर द्रव, ठोस एवं वाष्प के रूप में उपलब्ध जल को जल संसाधन कहते हैं। पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल में से लगभग 97.5% भाग समुद्रों में खारे पानी के रूप में है तथा 2.5% भाग मीठे पानी का है।
  • मीठे पानी का दो-तिहाई भाग ग्लेशियर तथा ध्रुवीय बर्फ के रूप में है, जबकि शेष दूषित जल धरातलीय जल के रूप में उपलब्ध होता है।
जल का महत्त्व
  • जल पृथ्वी की समस्त वनस्पतियों, पशु-पक्षियों तथा मानव जीवन का मूल आधार है।
  • जल का उपयोग कृषि, उद्योगों, परिवहन, ऊर्जा, मत्स्यपालन, पर्यटन व विभिन्न प्रकार के घरेलू कार्यों में किया जाता है।
जल दुर्लभता
जल की माँग की तुलना में जल की मात्रा का कम होना जल दुर्लभता (Water Scarcity) कहलाता है।
जलाभाव अथवा जल की कमी के कारण
स्वीडन के एक विशेषज्ञ फाल्कनमार्क के अनुसार, जल की कमी (Water Stress) तब होती है, जब प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिवर्ष 1,000 से 1,600 घन मी के बीच जल उपलब्ध होता है। जल की कमी के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं
  • अत्यधिक प्रयोग व समाज के विभिन्न वर्गों में जल का असमान वितरण
  • अत्यधिक जनसंख्या
  • कृषि सिंचाई में बड़ी मात्रा में उपयोग
  • बढ़ता औद्योगीकरण और शहरीकरण
  • जल प्रदूषण
नोट : द सिटीजंस फिफ्थ रिपोर्ट, सी एस ई 1999 के अनुसार, बड़ी नदियाँ; जैसे – गंगा और यमुना, कोई भी शुद्ध नहीं हैं और छोटी नदियाँ जहरीली धाराओं में परिवर्तित हो गई हैं।
जल संरक्षण और प्रबन्धन की आवश्यकता
जल संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन समय की माँग के लिए आवश्यक है। इसे निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है
  • पानी की माँग को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए।
  • विषाक्त पानी (Toxic Water) पीने से होने वाले स्वास्थ्य खतरों से लोगों को बचाने के लिए।
  • खाद्यान्न सुनिश्चित करने के लिए।
  • अपनी आजीविका (Livelihood) और उत्पादक क्रियाओं (Productive Activities) की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिए।
  • प्राकृतिक पारितंत्रों (Natural Ecosystems) को निम्नीकृत (Degradation) होने से बचाने के लिए।
  • जल संसाधनों के अतिशोषण और कुप्रबंधन (Mismanagement) को रोकने के लिए।
  • सिंचित कृषि में जल का सर्वाधिक प्रयोग होता है, इसलिए इस क्षेत्र में शुष्क कृषि तकनीकों तथा सूखा प्रतिरोधी फसलों को उगाकर जल का संरक्षण करने की आवश्यकता है।
बहुउद्देशीय नदी परियोजनाएँ एवं समन्वित जल संसाधन प्रबन्धन
  • स्वतन्त्रता के पश्चात् इस समस्या को कम करने के लिए बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं को शुरू किया गया है।
  • जवाहरलाल नेहरू ने बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं को गर्व से ‘आधुनिक भारत का मन्दिर’ कहा था। उनके अनुसार, इन परियोजनाओं के कारण कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था, औद्योगीकरण और नगरीय अर्थव्यवस्था समन्वित रूप से विकास करेंगी।
प्राचीन भारत में जलीय कृतियाँ
  • ईसा से एक शताब्दी पूर्व इलाहाबाद के निकट श्रिगंवेरा में गंगा नदी की बाढ़ के जल को संरक्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट जल संग्रहण तन्त्र बनाया गया था।
  • चन्द्रगुप्त मौर्य के समय वृहत स्तर पर बाँध, झील और सिंचाई तन्त्रों का निर्माण कराया गया।
  • कलिंग (ओडिशा), नागार्जुनकोण्डा ( आन्ध्र प्रदेश), बेल्लारी (कर्नाटक) और कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में उत्कृष्ट सिंचाई तन्त्र होने के साक्ष्य प्राप्त हुए।
  • भोपाल में सबसे बड़ी कृत्रिम झील स्थित है, जो 11वीं शताब्दी में बनाई गई थी।
  • 14वीं शताब्दी में इल्तुतमिश ने दिल्ली में सिरी फोर्ट क्षेत्र की जल सप्लाई के लिए ‘हौज खास’ बनवाया ।
बहुउद्देशीय परियोजना के उद्देश्य
बहुउद्देशीय परियोजनाओं के प्राथमिक उद्देश्यों में निम्नलिखित बिन्दु शामिल हैं
  • विद्युत ऊर्जा का उत्पादन (ऊर्जा आवश्यकताओं के 22% भाग की प्राप्ति)
  • मृदा संरक्षण
  • सिंचाई में उपयोग
  • मत्स्यन
  • पर्यटन (नौकायन के तहत ) को बढ़ावा
  • बाढ़ नियन्त्रण
  • वृक्षारोपण (जलाशयों के आस-पास )
  • जल परिवहन
परियोजना के प्रतिकूल प्रभाव एवं सीमाएँ
इस प्रकार की परियोजना के प्रतिकूल प्रभाव एवं अन्तर्निहित सीमाएँ निम्नलिखित हैं
  • पर्यावरणीय प्रभाव
  • समाज पर प्रभाव
  • फसल प्रतिरूप में बदलाव
  • सतह में तलछट का भारी जमाव
  • मृदा की उर्वरता पर प्रभाव
  • जलीय जीव पर प्रभाव
  • प्रादेशिक जल विवाद
बहुउद्देशीय परियोजनाओं के विरुद्ध आन्दोलन
बहुउद्देशीय परियोजनाओं के विरुद्ध हुए आन्दोलन पर्यावरण, विस्थापन, पुनर्वास, आजीविका की समस्या को लेकर किए जाते हैं; जैसे-
  • गुजरात में नर्मदा नदी पर बनाए गए सरदार सरोवर बाँध परियोजना के विरुद्ध नर्मदा बचाओ आन्दोलन किया गया।
  • इसी प्रकार भागीरथी नदी पर टिहरी बाँध परियोजना के विरुद्ध सामाजिक आन्दोलन, उत्तर प्रदेश में सोन नदी पर रिहन्द घाटी परियोजना के विरुद्ध सार्वजनिक आन्दोलन हुए।
  • कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच बहुउद्देशीय परियोजनाओं की लागतों और लाभों को साझा करने के सम्बन्ध में अन्तर्राज्यीय जल विवाद भी सामान्य है।
प्रमुख नदी परियोजना
नदी परियोजना नदी
सलाल परियोजना चेनाब
भाखड़ा नांगल परियोजना सतलुज
टिहरी भागीरथी (गंगा)
नरौरा गंगा
राणा प्रताप सागर चम्बल
गांधी सागर चम्बल
कोटा बैराज चम्बल
सरदार सरोवर नर्मदा
कोयना कृष्णा
नागार्जुन सागर कृष्णा
तुंगभद्रा कृष्णा
हीराकुड महानदी
दामोदर परियोजना दामोदर
मैटूर कावेरी
तिलैया दामोदर
कृष्ण राज सागर कावेरी
वर्षा जल संग्रहण
  • वर्षा के जल का पुनः उपयोग करने के लिए उसका संरक्षण एवं भण्डारण करना वर्षा जल संग्रहण (Rainwater Harvesting) कहलाता है।
  • वर्षा जल संग्रहण के कई लाभ होते हैं, यथा- प्राकृतिक जल का सबसे शुद्ध रूप व पीने के पानी का प्रमुख स्रोत तथा इसका प्रयोग कृषि कार्यों के लिए भी किया जा सकता है।
भारत में वर्षा जल ग्रहण विधि
भारत में वर्षा जल ग्रहण के लिए प्रयोग की जाने वाली विधि निम्नलिखित है
  • खादीन और जोहड़ (शुष्क व अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में)
  • छत वर्षा जल संग्रहण (शुष्क क्षेत्रों में)
  • टैंक (शुष्क और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में)
  • बाढ़ जल वाहिकाएँ (बाढ़ के मैदानी भागों में)
  • गुल या कुल (पहाड़ी व पर्वतीय क्षेत्रों में)
  • बाँस ड्रिप सिंचाई (नदी व झरनों वाले क्षेत्रों में)
जल की उचित वितरण व्यवस्था
जल के उचित वितरण के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जा सकता है
  • जल का वितरण पाइपों द्वारा किया जाना चाहिए, जिससे जल साफ रहे व ज हानि न हो।
  • जल संचय करने वाले जलाशयों व नहरों आदि को पक्का बनाया जाए, जिससे इनके द्वारा सोखे जाने वाले जल को बचाया जा सके।
  • खेतों में सिंचाई के लिए बौछार प्रणाली (Sprinkles System) का प्रयोग करके जल को बचाया जा सकता है।
शिलांग में वर्षा जल ग्रहण
  • शिलांग (मेघालय) में छत वर्षा जल संग्रहण प्रचलित है। चेरापूँजी और मासिनराम (जहाँ विश्व की सबसे अधिक वर्षा होती है), शिलांग से 55 किमी की दूरी पर ही स्थित है और यह शहर पीने के जल की कमी की गंभीर समस्या का सामना करता है।
  • शहर के लगभग प्रत्येक घर में छत वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था है। घरेलू जल आवश्यकता की कुल माँग के लगभग 15-25% हिस्से की पूर्ति छत जल संग्रहण व्यवस्था से ही होती है।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा जल सर्वाधिक खारा होता है?
(a) वर्षा जल
(b) अधोभौमिक जल
(c) समुद्री जल
(d) नदी का जल
उत्तर (C) समुद्री जल
प्रश्न 2. निम्नलिखित में एक कौन-सा कारक जल की कमी के लिए उत्तरदायी नहीं है?
(a) समाज के विभिन्न वर्गों में असमान वितरण
(b) अत्यधिक जनसंख्या
(c) जल प्रदूषण
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 3. जलमण्डल का कितना प्रतिशत भाग समुद्री जल के रूप में उपलब्ध है ?
(a) 95%
(b) 96%
(c) 97.5%
(d) 98%
उत्तर (c) 97.5%
प्रश्न 4. जल प्रदूषण के कारण निम्न में से कौन-सी समस्या उत्पन्न होती है ?
(a) जलाशय में तलघट का जमना
(b) जल जनित बीमारियाँ
(c) औद्योगिक कचरे का निर्वहन
(d) जलीय जीवन का बढ़ना
उत्तर (b) जल जनित बीमारियाँ
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन-सा अलवणीय जल का स्रोत है?
(a) वर्षण
(b) सतही जल
(c) भौमजल
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
प्रश्न 6. निम्नलिखित में एक कौन-सा / से जल संसाधन का स्रोत है/हैं?
(a) महासागरीय जल
(b) स्थलीय जल
(c) भूमिगत जल अथवा अधोभौमिक जल
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर (d) उपरोक्त सभी
प्रश्न 7. बहुउद्देशीय नदी परियोजना ‘आधुनिक भारत के मन्दिर’ है यह कथ निम्नलिखित में से किस व्यक्ति का है?
(a) जवाहरलाल नेहरू
(b) महात्मा गाँधी
(c) लालबहादुर शास्त्री
(d) भीमराव अम्बेडकर
उत्तर (a) जवाहरलाल नेहरू
प्रश्न 8. इनमें से कौन 11वीं शताब्दी में निर्मित प्राचीन भारत की सबसे बड़ कृत्रिम झीलों में से एक है?
(a) गोन्दिसागर झील
(b) हॉज खास
(c) भोपाल झील
(d) डल झील
उत्तर (c) भोपाल झील
प्रश्न 9. निम्नलिखित में से कौन-सा वक्तव्य बहुउद्देशीय परियोजनाओं के पक्ष में दिया गया तर्क नहीं है?
(a) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ उन क्षेत्रों में जल लाती हैं, जहाँ जल की कमी होती है।
(b) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ जल बहाव को नियन्त्रित करके बाढ़ पर नियन्त्रण करती हैं।
(c) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ हमारे उद्योग और घरों के लिए विद्युत पैदा करती हैं।
(d) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से वृहत स्तर पर विस्थापन होता है। और आजीविका समाप्त होती है।
उत्तर (d) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से वृहत स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका समाप्त होती है।
प्रश्न 10. निम्नलिखित में से एक कौन-सा बहुउद्देशीय परियोजना के उद्देश्यों में शामिल है?
(a) बाढ़ नियन्त्रण
(b) सिंचाई में उद्योग
(c) जल परिवहन
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
प्रश्न 11. निम्नलिखित में से कौन-सी परियोजना भारत की सबसे बड़ी परियोजना है?
(a) भाखड़ा नांगल परियोजना
(b) दामोदर घाटी परियोजना
(c) हीराकुड परियोजना
(d) रिहन्द बाँध परियोजना
उत्तर (a) भाखड़ा नांगल परियोजना
प्रश्न 12. भारत की प्रथम नदी घाटी परियोजना निम्न में कौन-सी है ?
(a) टिहरी बाँध परियोजना
(b) नागार्जुन सागर बाँध परियोजना
(c) इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना
(d) दामोदर घाटी परियोजना
उत्तर (d) दामोदर घाटी परियोजना
प्रश्न 13. निम्नलिखित में से कौन-सी परियोजना पश्चिम बंगाल तथा झारखण्ड को संयुक्त रूप से लाभान्वित करती है?
(a) तुंगभद्रा
(b) टिहरी
(c) दामोदर घाटी
(d) नागार्जुन सागर
उत्तर (c) दामोदर घाटी
प्रश्न 14. हीराकुड बहुउद्देशीय परियोजना किस राज्य में स्थित है?
(a) बिहार
(b) पश्चिम बंगाल
(c) ओडिशा
(d) झारखण्ड
उत्तर (c) ओडिशा
प्रश्न 15. हीराकुड परियोजना किस नदी पर निर्मित है?
(a) रिहन्द
(b) दामोदर
(c) महानदी
(d) कृष्णा
उत्तर (c) महानदी
16. रिहन्द बाँध परियोजना किस राज्य में बनाई गई है?
(a) पंजाब
(b) आन्ध्र प्रदेश
(c) बिहार
(d) उत्तर प्रदेश
उत्तर (d) उत्तर प्रदेश
प्रश्न 17. निम्नलिखित में से उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना कौन-सी है?
(a) माताटीला
(b) रामगंगा
(c) रिहन्द
(d) गण्डक
उत्तर (c) रिहन्द
सुमेलित करें
प्रश्न 18. निम्नलिखित को सुमेलित करते हुए सही विकल्प का चयन कीजिए ।
प्रश्न 19. निम्न विकल्पों को सही सुमेलित कीजिए
कथन कूट
प्रश्न 20. किस राज्य में बाँस ड्रिप सिंचाई प्रणाली प्रचलित है ?
1. राजस्थान
2. मेघालय
3. पश्चिम बंगाल
4. बिहार
विकल्प
(a) केवल 1
(b) 2 एवं 4
(c) 1 एवं 3
(d) केवल 2
उत्तर (d) केवल 2
प्रश्न 21. बहुद्देशीय परियोजनाओं के उद्देश्य में शामिल नहीं है
1. मृदा संरक्षण करना
2. बाढ़ नियन्त्रण करना
3. विद्युत उत्पादन
4. सतहों पर तलछट का जमाव
कूट
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 4
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर (c) केवल 4
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
वर्णनात्मक प्रश्न- 1
प्रश्न 1. जल संसाधनों से क्या अभिप्राय है? भारत के लिए इनका क्या महत्त्व है?
उत्तर – जल संसाधन से अभिप्राय
जल संसाधन जल के वे स्रोत हैं, जो मनुष्यों के लिए उपयोगी होते हैं। जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी पर जीवन सम्भव है। जल एक अल्प प्राकृतिक संसाधन है।
जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं, जो मानव के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की सम्भावना हो, इनमें भी सबसे अधिक माँग ताजे जल की है, जो मुख्यतः पेयजल के रूप में प्रयोग किया जाता है।
पृथ्वी पर जल की कुल उपलब्ध मात्रा को ‘जल मण्डल’ कहा जाता है, जिसमें से 97.5% भाग समुद्रों में खारे जल के रूप में है, केवल 2.5% भाग ही मीठा जल है।
मीठे जल का भी दो-तिहाई भाग ग्लेशियरों तथा ध्रुवीय बर्फ के क्षेत्रों में है, शेष पिघला जल धरातलीय जल के रूप में उपलब्ध होता है।
जल संसाधन का महत्त्व
  • भारत के लिए जल संसाधन का अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि यह भारत की जनसंख्या के लिए पेयजल उपलब्ध कराने, फसलों की सिंचाई तथा औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अनिवार्य उपयोगिता सिद्ध करता है।
  • मत्स्यपालन तथा पर्यटन जैसे उद्योग तो इस पर प्रमुख रूप से आश्रित हैं।
  • भारत की विशाल जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, जो जल संसाधन पर आश्रित है।
प्रश्न 2. जल की उपलब्धता के आधार पर जल संसाधन के प्रमुख स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर – जल के स्रोत
जल की उपलब्धता के आधार पर जल संसाधन के तीन प्रकार के स्रोत होते हैं, जो निम्नलिखित हैं
  1. महासागरीय जल महासागरीय जल के अन्तर्गत महाद्वीपों के मध्य स्थित सागर, लघु सागर तथा खाड़ी का जल भी शामिल है। समुद्री जल भारत की मुख्य भूमि के तीन ओर लगभग 6100 किमी लम्बा समुद्र तट है । इस प्रकार भारत का प्रायद्वीपीय भाग समुद्री जल संसाधन से सम्पन्न है ।
  2. स्थलीय जल धरातल अर्थात् भूमि की सतह पर पाए जाने वाले जल को स्थलीय जल कहा जाता है।
    यह मुख्यतः तीन रूपों – वर्षा जल, नदी जल व जलाशयों, तालाबों एवं झीलों के रूप में पाया जाता है। भारत के तालाबों में 90% तालाब दक्षिणी भारत में हैं। विश्व में अलवणीय जल का 70% भाग अण्टार्कटिका, ग्रीनलैण्ड और पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ की चादरों और हिमनदों के रूप में पाया जाता है।
  3. भूमिगत जल अथवा अधोभौमिक जल वर्षा जल का कुछ भाग भू-तल की मिट्टी द्वारा सोख लिया जाता है, जो भूमि में एकत्रित हो जाता है। इसे ही भूमिगत अथवा अधोभौमिक जल कहा जाता है।
प्रश्न 3. दामोदर घाटी परियोजना के तीन लाभों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – दामोदर घाटी परियोजना के लाभ
दामोदर घाटी परियोजना के तीन लाभ निम्नलिखित हैं-
  1. इस परियोजना के कारण पश्चिम बंगाल बाद मुक्त हुआ है, इसके अतिरिक्त बाढ़ से होने वाली मृदा क्षरण, भूमि क्षरण की समस्या से भी मुक्ति मिली है।
  2. इस परियोजना से लगभग 6687.2 मेगावाट विद्युत उत्पन्न की जा रही है जिसका उपयोग झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के औद्योगिक क्षेत्रों को विद्युत आपूर्ति के लिए किया जा रहा है।
  3. इस परियोजना के द्वारा पश्चिम बंगाल एवं झारखण्ड में सिंचाई की जा रही है, जिससे खाद्यान्नों एवं जूट का अतिरिक्त उत्पादन हो रहा है।
प्रश्न 4. नागार्जुन सागर परियोजना के कोई चार लाभ लिखिए। 
उत्तर – नागार्जुन सागर परियोजना के लाभ
इस परियोजना के प्रमुख चार लाभ निम्नलिखित हैं
  1. आन्ध्र प्रदेश की 8.67 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई की जा रही है। यह एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिससे 815.6 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है, जो आन्ध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में घरेलू व औद्योगिक उपयोग में ली जा रही है।
  2. इस परियोजना के नागार्जुन सागर जलाशय में मत्स्यपालन किया जा रहा है, जो स्थानीय लोगों को आजीविका उपलब्ध करा रहा है।
  3. नागार्जुन सागर के निर्माण के दौरान की गई खुदाई में तीसरी सदी के बौद्ध विहार के अवशेष मिले हैं, जिन्हें नागार्जुनीकोण्डा संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है।
  4. नागार्जुन सागर में पर्यटन एवं रोमांचक जल क्रीड़ाएँ संचालित की जा रही हैं, जिनसे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिला है।
प्रश्न 5. बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के किन्हीं चार महत्त्वों को बताइए |
उत्तर – बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के तहत् नदियों पर बड़े बाँध बनाकर ऊर्जा, सिंचाई, पर्यटन स्थलों आदि का विकास किया जाता है। बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के चार महत्त्व निम्नलिखित हैं
  1. विद्युत ऊर्जा का उत्पादन वर्ष 2005-06 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, इन परियोजनाओं से 30,000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हुआ (मार्च, 2000 में 37,000) था। भारत इस माध्यम से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 22% भाग प्राप्त करता है।
  2. मृदा संरक्षण ये परियोजनाएँ नदी के पानी की गति को धीमी करके मिट्टी का संरक्षण करती हैं।
  3. बाढ़ नियन्त्रण ये परियोजनाएँ अपने जलाशयों में अतिरिक्त पानी जमा करके बाढ़ को नियन्त्रित करती हैं।
  4. सिंचाई शुष्क मौसम में इन परियोजनाओं के जलाशयों में संरक्षित जल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है।
प्रश्न 6. बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ और हानियों की तुलना कीजिए । 
उत्तर – बहुउद्देशीय परियोजनाओं के लाभ एवं हानियों की तुलना निम्नलिखित हैं
लाभ हानियाँ
विद्युत उत्पादन नदियों का प्राकृतिक बहाव प्रभावित
इसके जल का घरेलू, औद्योगिक उपयोग जलाशयों में तलछट का जमाव
जलापूर्ति भूमि निम्नीकरण
बाढ़ नियन्त्रण भूकम्प की सम्भावना का बढ़ना
नौकायन और मनोरंजन बाँध की असफलता से बाढ़
आन्तरिक नौपरिवहन प्रदूषण एवं जलजनित बीमारियाँ
सिंचाई एवं मत्स्यपालन मृदा अपरदन एवं वनों की कटाई
मृदा संरक्षण एवं वनारोपण
प्रश्न 7. राजस्थान के अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर – राजस्थान के अर्द्ध-शुष्क तथा शुष्क क्षेत्रों में जल संग्रहण बीकानेर, फलोदी, बाड़मेर इत्यादि में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक घर में वर्षा जल संग्रह की प्रक्रिया अपनाई गई है। इसके लिए भूमिगत टैंक, जिसे ‘टाका’ कहा जाता है, का निर्माण होता है। टांका सुविकसित, छत वर्षा जल संग्रहण तन्त्र का अभिन्न अंग है, जिसे घर के आँगन में बनाया जाता है।
घरों की ढाल वाली छतों से पाइप के माध्यम से छत पर संगृहीत वर्षा जल को भूमिगत टैंक (टांका) में पहुँचाया जाता है। इस जल का प्रयोग जल की कमी वाले क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु में पेयजल स्रोत के रूप में प्रमुख रूप से किया जाता है। इस जल को ‘पालर पानी’ भी कहा जाता है। ‘पालर पानी’ प्राकृतिक जल का शुद्धतम रूप है, जो गर्मी के दिनों में कमरों को ठण्डा भी रखता है ।
प्रश्न 8. व्याख्या करें की जल किस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है?
उत्तर – नवीकरण योग्य संसाधन वे संसाधन जिन्हें पुन: उत्पन्न या प्राप्त किया जा सकता है, नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। जल संसाधन एक नवीकरणीय संसाधन है, क्योंकि यह एक बार उपयोग करने के पश्चात् समाप्त नहीं होता, बल्कि इसको पुनः प्राप्त किया जा सकता है। इसका निरन्तर पुनर्भरण एवं नवीकरण जलीय चक्र (Hydrological Cycle) द्वारा होता रहता है।
प्रश्न 9. नीचे दी गई सूचना के आधार पर स्थितियों को जल की कमी से प्रभावित ‘या’ जल की कमी से अप्रभावित में वर्गीकृत कीजिए ।
(a) अधिक वर्षा वाले क्षेत्र
(b) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
(c) अधिक वर्षा वाले, परन्तु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र
(d) कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र
उत्तर
जल की कमी से प्रभावित जल की कमी से अप्रभावित
अधिक वर्षा वाले, परन्तु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र
कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
वर्णनात्मक प्रश्न – 2
प्रश्न 1. भारत में जल दुर्लभता के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का उल्लेख कीजिए |
अथवा औद्योगीकरण तथा नगरीकरण ने भारत में जल दुर्लभता में किस प्रकार बढ़ोतरी की है?
अथवा जल दुर्लभता क्या है और इसके मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर – जल दुर्लभता का अर्थ 
जल की माँग की तुलना में जल की मात्रा का कम होना जलाभाव कहलाता है अथवा जल के विशाल भण्डार तथा नवीकरणीय गुणों के होते हुए यदि जल की कमी अनुभव की जाए, तो उसे जल दुर्लभता कहते हैं।
जल दुर्लभता के कारण
भारत में जल दुर्लभता के उत्तरदायी चार कारण निम्नलिखित हैं
  1. बढ़ती जनसंख्या भारत की जनसंख्या की बढ़ती प्रवृत्ति जल दुर्लभता के लिए उत्तरदायी कारकों में से एक प्रमुख कारण है। बढ़ती जनसंख्या के घरेलू उपभोग के साथ-साथ उसके लिए अधिक अनाज उगाने के लिए भी जल की आवश्यकता अधिक होती है।
  2. शहरीकरण भारत की बढ़ती जनसंख्या के कारण नगरों पर भारी दबाव बढ़ता है, जिससे तीव्र और अनियन्त्रित नगरीकरण देखने को मिलता है, जिससे शहरों में घरेलू उपभोग के लिए जल की आवश्यकता में अपार वृद्धि होती है, जिससे जल का अतिशोषण होता है और जल दुर्लभता की प्रवृत्ति और प्रबल होती जाती है।
  3. कृषि का वाणिज्यिकरण हरित क्रान्ति की सफलता के बाद से ही किसान वाणिज्यिक फसलों के अधिक उत्पादन पर बल देते हैं। वाणिज्यिक फसलों के लिए अधिक जल तथा निवेश की आवश्यकता होती है। इसमें उत्पादित फसलें अधिक जलगहन होती हैं। इससे नलकूप और कुओं जैसे भौमजल निष्कासन के स्रोत का जलस्तर नीचा होता है।
  4. औद्योगीकरण स्वतन्त्रता के बाद भारत में तीव्र गति से उद्योगों का विकास हुआ। उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव लगातार बढ़ता चला गया और इससे जल का अति दोहन हुआ और जल प्रदूषण भी बढ़ा। जल-विद्युत उत्पादन के द्वारा भी जल दुर्लभता में वृद्धि देखने को मिलती है।
प्रश्न 2. बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं से पैदा होने वाली प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं से उत्पन्न होने वाली प्रमुख समस्याएँ
बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं से उत्पन्न होने वाली प्रमुख समस्याओं का वर्णन निम्न प्रकार है
  • पर्यावरणीय प्रभाव वनस्पति और जीवों के साथ ही मानव बस्तियाँ भी बाँध द्वारा बनाए जलाशय में जलमग्न हो जाती हैं और वहाँ रहने वालों को विस्थापित कर दिया जाता है, जिसके कारण अनेक गैर-सरकारी संगठनों के द्वारा इसका विरोध भी किया जाता है।
  • मृदा की उर्वरता पर प्रभाव प्राकृतिक रूप से आने वाली बाढ़ के कारण प्रत्येक वर्ष मृदा पर एक उर्वर परत का विकास होता है, लेकिन बाढ़ में कमी होने के कारण मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है और लवणता भी बढ़ जाती है।
  • समाज पर प्रभाव बड़ी नदी परियोजनाएँ स्थानीय समुदायों की जीविका और सांस्कृतिक परम्परा के समाप्त होने का कारण बनती हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय जनसंख्या बड़े पैमाने पर विस्थापन करती है। गरीब व भूमिहीन कृषक वर्ग कृषि भूमि के दूर हो जाने से स्वयं को असहाय अनुभव करते हैं। इससे धनी किसान वर्ग और भूमिहीनों के बीच सामाजिक दूरियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • जलीय जीव पर प्रभाव बाँध के जलाशय में मछलियों को पर्याप्त पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते हैं और न ही वे अण्डे देने के लिए बाँध से बाहर पलायन कर पाती हैं।
  • फसल प्रतिरूप (Cropping Pattern) में बदलाव सिंचाई ने अनेक क्षेत्रों में फसल के प्रतिरूपों को परिवर्तित कर दिया है, जहाँ किसान जलगहन और वाणिज्य फसलों (Commercial Crops ) को करने के लिए आकर्षित हैं। इससे मृदा का लवणीकरण (Salinisation) जैसे गंभीर पारिस्थितीकीय परिणाम हो सकते हैं।
  • जल का अत्यधिक प्रयोग बहुउद्देशीय परियोजनाओं के कारण भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है और अत्यधिक जल के प्रयोग से जल-जनित (Water borne) बीमारियाँ, फसलों में कीटाणु जनित बीमारियाँ और प्रदूषण फैलते हैं।
प्रश्न 3. बहुउद्देशीय परियोजनाओं के विरुद्ध हुए जन-आन्दोलनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – बहुउद्देशीय परियोजना के विरुद्ध हुए जन आन्दोलन
विगत वर्षों में बहुउद्देशीय परियोजनाओं और बड़े बाँधों को उनके कई प्रतिकूल प्रभावों के कारण आम जनता और सिविल सोसायटी के विरोध का सामना करना पड़ा है, जिनमें से कुछ घटनाओं का वर्णन निम्नलिखित है
  • गुजरात में नर्मदा नदी पर बनाई गई सरदार सरोवर बाँध परियोजना स्थानीय समुदाय के बड़े पैमाने पर विस्थापन का कारण है। नर्मदा बचाओ आन्दोलन नामक एक गैर-सरकारी संगठन ने कई पर्यावरणविदों, आदिवासी लोगों, किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ उचित पुनर्वास और पारिस्थितिक सुरक्षा की माँग की। इसी प्रकार भागीरथी पर टिहरी बाँध परियोजना में बड़े पैमाने पर विस्थापन ने कई सामाजिक आन्दोलनों की शुरुआत की।
  • उत्तर प्रदेश में सोन नदी पर रिहन्द घाटी परियोजना ने बड़े पैमाने पर विस्थापन किया, जिसके कारण इसे सार्वजनिक आन्दोलन का सामना करना पड़ा।
  • गुजरात में साबरमती घाटी के अधिक पानी से सूखे क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में आपूर्ति किए जाने पर किसान दंगों के लिए तैयार हो गए थे। कावेरी नदी के पानी को साझा करने के लिए कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच बहुउद्देशीय परियोजनाओं की लागतों और लाभों को साझा करने के सम्बन्ध में अन्तर्राज्यीय जल विवाद भी हैं।
प्रश्न 4. बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना
जिन नदी घाटी परियोजनाओं के द्वारा एक साथ अनेक उद्देश्यों की पूर्ति होती है, उन्हें बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ कहा जाता है। भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें आधुनिक भारत के मन्दिर की संज्ञा दी थी, क्योंकि इनके द्वारा देश के सर्वांगीण विकास की रूपरेखा तैयार की जा सकती है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् देश में खाद्यान्न उत्पादन, औद्योगिक विकास एवं भूमि संरक्षण में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने के लिए इन परियोजनाओं को प्रारम्भ किया गया था।
बहुउद्देशीय परियोजनाओं का महत्त्व/लाभ/उद्देश्य
इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं।
  • सिंचाई नदियों में बाँध बनाकर, विशाल जलाशय में जल एकत्र कर नहरें निकाली जाती हैं, जिनसे शुष्क क्षेत्रों में पेय तथा सिंचाई जल की आपूर्ति की जाती है। इन्दिरा गाँधी नहर इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसने राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों को काफी हद तक हरा-भरा बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह की है।
  • जल-विद्युत उत्पादन वर्तमान औद्योगिक युग में विद्युत एक अपरिहार्य ऊर्जा संसाधन बन गया है, जिसका निर्माण जल-विद्युत द्वारा भी किया जाता है। नदियों में बाँध बनाकर उनमें जल-विद्युत संयन्त्र स्थापित कर विद्युत निर्माण किया जाता है। भारत में उद्योगों के विकास में इन जल-विद्युत संयन्त्रों की उल्लेखनीय भूमिका है। इसके अभाव में औद्योगिक विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  • बाढ़ नियन्त्रण विनाशकारी बाढ़ों पर नियन्त्रण स्थापित करने में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं की उल्लेखनीय भूमिका रही है। दामोदर नदी घाटी परियोजना इसका उल्लेखनीय उदाहरण है। पूर्व में दामोदर नदी को विनाशक बाढ़ों के कारण बंगाल का शोक कहा जाता था, किन्तु अब स्थिति बदल चुकी है।
  • मत्स्यपालन बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में निर्मित बाँधों द्वारा विशाल जलाशयों का निर्माण होता है, जिनमें मत्स्यपालन से हजारों लोगों को आजीविका उपलब्ध कराई जा रही है।
  • उद्योग-धन्धों का विकास ऊर्जा उद्योगों की अनिवार्य आवश्यकता ऊर्जा है। जल-विद्युत द्वारा उद्योगों को प्रचुर मात्रा में सस्ती विद्युत उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे देश का औद्योगिक विकास हो रहा है।
  • नौवहन बहुउद्देशीय परियोजनाओं के अन्तर्गत निर्मित नहरों में जल परिवहन की सम्भावनाएँ उपलब्ध होती हैं।
  • वनीकरण नदी घाटी क्षेत्रों में वनीकरण किया जाता है, जिससे न केवल वन उपज की प्राप्ति होती है, बल्कि पर्यावरणीय सन्तुलन भी बना रहता है।
  • पर्यटन का विकास बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में निर्मित जलाशयों से पर्यटन का विकास होता है। इनमें नौका विहार तथा विभिन्न प्रकार की स्थानीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय जलीय खेलकूदों की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं, जिससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय निवासियों को आजीविका प्राप्त होती है।
प्रश्न 5. जल दुर्लभता क्या है? वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों का वर्णन कीजिए |
अथवा परम्परागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपनाकर जल संरक्षण एवं भण्डारण किस प्रकार किया जा रहा है?
उत्तर – ‘जल दुर्लभता’ इसके उत्तर के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1 देखें ।
वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियाँ
वर्षा जल संग्रहण की पद्धितियाँ निम्नलिखित हैं
  1. खादीन और जोहड़ शुष्क और अर्द्ध-शुष्क (Arid and Semi- arid) क्षेत्रों में खेतों में वर्षा जल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाए जाते हैं, जिससे मृदा को सिंचित किया जा सके और संरक्षित जल को खेती के लिए उपयोग में लाया जा सके; जैसे- राजस्थान के जैसलमेर में खादीन और अन्य क्षेत्रों में जोहड़ इसके उदाहरण हैं।
  2. छत वर्षा जल संग्रहण इसका मुख्य रूप से प्रयोग पश्चिमी भारत विशेष रूप से राजस्थान के अर्द्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों विशेषकर बीकानेर, फलोदी, बाड़मेर और थार मरुस्थल के शहरों व गाँवों में किया गया।
    टाँका छत वर्षा जल संग्रहण प्रणाली का हिस्सा है। इसका आकार एक बड़े कमरे के जितना होता है।
    टाँका घरों की ढाल वाली छतों से पाइप द्वारा जुड़े होते थे। छतों से वर्षा जल इन पाइपों से होकर भूमिगत टाँका तक पहुँचता था, जहाँ इसे एकत्रित किया जाता था। टाँका में वर्षा जल आने वाली वर्षा ऋतु तक संगृहीत किया जा सकता है। यह इसे जल की कमी वाली ग्रीष्म ऋतु तक पीने का जल उपलब्ध कराने वाला जल स्रोत बनाता है। वर्षा जल को ‘पालर पानी’ भी कहा जाता है । आज पश्चिमी राजस्थान में इंदिरा गाँधी नहर से बारहमासी जल उपलब्ध होने के कारण छत वर्षा जल संग्रह विधि का प्रयोग कम हो गया है।
  3. बाढ़ जल वाहिकाएँ पश्चिम बंगाल के बाढ़ के मैदानों में लोगों ने अपने खेतों की सिंचाई करने के लिए बाढ़ जल वाहिकाओं का विकास किया है।
  4. गुल या कुल पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों ने गुल अथवा कुल जैसी वाहिकाएँ नदी की धारा का मार्ग बदलकर खेतों में सिंचाई के लिए बनाई हैं ।। उदाहरण के लिए, पश्चिमी हिमालय; जैसे – हिमाचल प्रदेश में कृषि के लिए गुल अथवा कुल का बनाना।
  5. बाँस ड्रिप सिंचाई प्रणाली मेघालय में यह 200 वर्ष पुरानी विधि प्रचलित है। इस विधि में पहाड़ियों में धाराओं और झरनों के पानी को बाँस का पाइप के रूप में उपयोग करके कृषि क्षेत्रों में पहुँचाया जाता है। लगभग 18 से 20 लीटर सिंचाई पानी बाँस के पाइप में आ जाता है तथा उसे सैकड़ों मीटर की दूरी तक ले जाया जाता है। अंत में पानी का बहाव 20 से 80 बूँद प्रति मिनट तक कम करके पौधे पर छोड़ देते हैं।
प्रश्न 6. टिहरी बाँध परियोजना की स्थिति एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए। अथवा टिहरी बाँध किस राज्य की किस नदी पर निर्मित किया गया है?
उत्तर – टिहरी बाँध परियोजना की स्थिति
टिहरी बाँध परियोजना भारत की एक प्रमुख जल-विद्युत परियोजना है। टिहरी बाँध परियोजना उत्तराखण्ड के टिहरी जिले में हिमालय से निकलने वाली दो नदियों – भागीरथी एवं भिलंगना के संगम पर बना है।
यह बाँध 260.5 मी ऊँचा तथा 575 मी लम्बा है, जो विश्व का पाँचवाँ तथा भारत का सबसे ऊँचा बाँध है। इस बाँध का निर्माण वर्ष 1994 में प्रारम्भ किया गया था, जो वर्ष 2006 से कार्यरत है। इस बाँध परियोजना के अन्तर्गत तीन जल-विद्युत संयन्त्र स्थापित किए गए हैं
(i) टिहरी बाँध एवं जल विद्युत संयन्त्र
(ii) कोटेश्वर जल विद्युत संयन्त्र
(iii) टिहरी पम्प स्टोरेज संयन्त्र
टिहरी परियोजना का महत्त्व
टिहरी जल-विद्युत परियोजना का मुख्य उद्देश्य जल-विद्युत निर्माण करना है। इससे प्राप्त विद्युत का उपयोग उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली में औद्योगिक व घरेलू उपयोग के लिए किया जा रहा है, साथ ही गंगा-यमुना दोआब में 3 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई तथा दिल्ली में पेयजल की आपूर्ति भी की जा रही है, जिससे प्रतिवर्ष 7,400 क्यूसेक व्यर्थ बह जाने वाले जल का सदुपयोग किया जाएगा। इस परियोजना में निर्मित 26 वर्ग किमी के टिहरी जलाशय में मत्स्य पालन, पर्यटन एवं रोमांचक खेल की गतिविधियाँ भी सम्पन्न हो रही हैं, जो राज्य में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा दे रही हैं।

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