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UP Board Class 10 Social Science Chapter 4 राजनीतिक दल (नागरिकशास्त्र)

UP Board Class 10 Social Science Chapter 4 राजनीतिक दल (नागरिकशास्त्र)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 4 राजनीतिक दल (नागरिकशास्त्र)

फास्ट ट्रैक रिवीज़न
  • राजनीतिक दल लोकतन्त्र में दिखाई देने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था है।
  • अधिकतर, साधारण नागरिकों के लिए लोकतन्त्र का अर्थ राजनीतिक दल ही हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक राजनीतिक दल की प्रकृति और उसके कार्य को समझे।
राजनीतिक दल का अर्थ
  • राजनीतिक दल लोगों का ऐसा संगठित समूह है, जो चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है। राजनीतिक दल, लोगों को यह समझाने का प्रयास करते हैं कि उनकी नीतियाँ दूसरों की तुलना में उचित हैं, ये चुनावों के माध्यम से समर्थन पाकर अपनी नीतियाँ लागू करना चाहते हैं।
  • राजनीतिक दल किसी समाज में मौलिक राजनीतिक विभाजन को दर्शाते हैं।
  • किसी भी राजनीतिक दल में तीन मुख्य तत्त्व होते हैं; नेता, सक्रिय सदस्य एवं अनुयायी या समर्थक।
राजनीतिक दल के कार्य
  • राजनीतिक दल का मुख्य कार्य चुनाव लड़ना है। अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों चुनाव राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के मध्य सम्पन्न होते हैं।
  • अमेरिका जैसे कुछ लोकतान्त्रिक देशों में उम्मीदवार का चुनाव, दल के सदस्य और समर्थक करते हैं।
  • राजनीतिक दल नीतियों एवं कार्यक्रमों को मतदाताओं के सामने रखते हैं तथा मतदाता अपनी पसन्द की नीतियाँ और कार्यक्रम चुनते हैं।
  • राजनीतिक दल देश के लिए कानून बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोई भी कानून तब तक बिल नहीं बन सकता, जब तक बहुमत पार्टी इसे समर्थन नहीं देती।
  • राजनीतिक दल सरकार बनाते और चलाते हैं, साथ ही नीतियों और बड़े फैसलों के मामले में निर्णय नेता ही लेते हैं तथा ये नेता विभिन्न दलों के होते हैं।
  • चुनाव में हारने वाले राजनीतिक दल, शासक दल (जिसकी सरकार बनी हो ) के विरोधी पक्ष (Opposition) की भूमिका निभाते हैं।
  • जनमत-निर्माण राजनीतिक दल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मुद्दों को उठाकर उन्हें लोगों के सामने स्पष्ट करते हैं। राजनीतिक दल कई बार लोगों की समस्याओं को लेकर आन्दोलन भी करते हैं।
  • राजनीतिक दल सरकार द्वारा चलाए जाने वाले कल्याणकारी कार्यक्रमों तथा योजनाओं को लोगों तक पहुँचाते हैं।
राजनीतिक दलों की आवश्यकता
  • राजनीतिक दलों की आवश्यकता इसलिए होती है, क्योंकि ये अनेक कार्य करते हैं, राजनीतिक दलों के बिना आधुनिक लोकतन्त्र स्थापित नहीं हो सकता।
  • समाज को एक ऐसे तन्त्र की आवश्यकता है, जो सरकार का समर्थन करे, उस पर अंकुश रखे, नीतियाँ बनाए, उनका समर्थन करे, राजनीतिक दल इन्हीं आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
राजनीतिक पार्टी व्यवस्था / प्रणाली
  • विश्व के विभिन्न देशों की पार्टी व्यवस्था भिन्न-भिन्न है। इसकी तीन श्रेणियाँ क्रमशः एक दलीय शासन व्यवस्था, दो दलीय शासन व्यवस्था तथा बहुदलीय शासन व्यवस्था होती हैं।
    • एक दलीय शासन व्यवस्था में केवल एक पार्टी को सरकार नियन्त्रित करने की अनुमति होती है। चीन में इसी प्रकार की पार्टी व्यवस्था है।
    • दो दलीय शासन व्यवस्था में दो पार्टियों को बहुमत हासिल करने एवं सरकार बनाने का अवसर मिलता है।
      सामान्यतः दो मुख्य पार्टियों के मध्य शक्ति का विभाजन होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में इसी प्रकार की शासन व्यवस्थाएँ हैं।
  • बहुदलीय शासन व्यवस्था के अन्तर्गत दो से अधिक राजनीतिक दलों में सत्ता हासिल करने के लिए चुनाव लड़ा जाता है।
  • भारत में चुनाव आयोग द्वारा 750 से अधिक पार्टियाँ बहुपक्षीय प्रणाली के अन्तर्गत पंजीकृत हैं, यह विभिन्न प्रकार के हितों और विचारों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्रदान करने की अनुमति देती हैं।
दलों का गठबन्धन
  • भारत में गठबन्धन में एकसाथ आने वाले विभिन्न दलों द्वारा सरकार का गठन होता है।
  • जब बहुदलीय व्यवस्था में कई पार्टियाँ चुनाव लड़ने और जीतने के उद्देश्य से हाथ मिलाती हैं, तो इसे गठबन्धन या मोर्चा की सरकार कहा जाता है।
आदर्श पार्टी प्रणाली
  • एक आदर्श पार्टी प्रणाली एक लम्बे समय की कार्यप्रणाली के बाद स्वयं विकसित होती है। इसमें समाज की प्रकृति, राजनीतिक विभाजन, राजनीति का इतिहास एवं चुनाव प्रणाली सभी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • भारत में बहुदलीय शासन व्यवस्था है, जिसका मुख्य कारण यह है कि दो या तीन पार्टियाँ इतने बड़े देश की भौगोलिक और सामाजिक विविधताओं को समेट पाने में अक्षम हैं।
राजनीतिक दलों में जन भागीदारी
  • राजनीतिक दल नागरिकों के बीच अलोकप्रियता और उदासीनता के संकट का सामना कर रहे हैं।
  • दक्षिणी एशिया की जनता राजनीतिक दलों पर विश्वास नहीं करती है, राजनीतिक दलों के कामकाज में लोगों की भागीदारी का स्तर काफी ऊँचा है।
  • कनाडा, जापान, स्पेन तथा दक्षिणी कोरिया जैसे कई उन्नत देशों की तुलना में कुछ राजनीतिक दल के सदस्यों का अनुपात भारत में उच्च है।
  • पिछले तीन दशकों में भारत में राजनीतिक दलों और उनके सदस्यों के अनुपात में लगातार तेजी से वृद्धि हुई है।
राजनीतिक दलों के प्रकार
  • राजनीतिक दलों के सन्दर्भ में लोकतन्त्र में दो प्रकार के राजनीतिक दल हैं- राष्ट्रीय दल तथा प्रान्तीय दल।
राष्ट्रीय दल
  • वे दल जो संघ की कई या सभी इकाइयों में मौजूद हैं, भारत में राष्ट्रीय दल और राज्य दल दोनों हैं।
  • एक पार्टी जो चार राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनावों में कुल वोटों का कम-से-कम 6% प्राप्त करती है तथा लोकसभा में कम-से-कम 4 सीटें जीतती उसे राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दी जाती है।
  • इन दलों को एक अनूठा प्रतीक दिया जाता है, केवल उस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार ही चुनाव प्रतीक का उपयोग करते हैं।
  • इस उद्देश्य के लिए चुनाव आयोग द्वारा इस विशेषाधिकार और कुछ अन्य विशेष सुविधाएँ प्राप्त करने वाली पार्टियाँ मान्यता प्राप्त हैं, यही कारण है कि इन पार्टियों को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल कहा जाता है।
  • भारत के कुछ महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी, आम आदमी पार्टी व नेशनल पीपल्स पार्टी हैं।
प्रान्तीय दल (राज्य दल)
  • राष्ट्रीय राजनीतिक दल के अतिरिक्त जितनी भी पार्टियाँ हैं, उन्हें चुनाव आयोग प्रान्तीय दल के रूप में मान्यताएँ देता है।
  • इन्हें आमतौर पर क्षेत्रीय पार्टियों के रूप में जाना जाता है, फिर भी ऐसी पार्टियों को उनकी विचारधारा या दृष्टिकोण में क्षेत्रीय नहीं होना चाहिए।
  • एक पार्टी जो एक राज्य की विधानसभा के चुनाव में कुल वोट का कम-से-कम 6% प्राप्त करती है तथा कम-से-कम 2 सीटें जीतती है, उसे राज्य दल (State Party) के रूप में मान्यता दी जाती है।
  • कुछ क्षेत्रीय दल ऐसे हैं, जो कुछ अन्य राज्यों में सफल हुए हैं तथा राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक संगठन के तौर पर उभर रहे हैं।
प्रान्तीय दल की स्थिति
  1. पिछले तीन दशकों में इन पार्टियों की संख्या और शक्ति का विस्तार हुआ है, जिसने भारत की संसद को राजनीतिक रूप से अधिक-से-अधिक विविध बनाया।
  2. लोकसभा में कोई भी राष्ट्रीय पार्टी अपने आप में बहुमत हासिल करने में सक्षम नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय पार्टियों को राज्य पार्टियों के साथ गठबन्धन करने के लिए मजबूर किया जाता है।
राजनीतिक दलों के लिए चुनौतियाँ
  • सम्पूर्ण दुनिया में लोग राजनीतिक दलों के प्रदर्शन से असन्तुष्ट हैं। असन्तोष और आलोचना ने राजनीतिक दलों के काम में चार समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किया है।
  • पहली चुनौती : दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र की कमी के अन्तर्गत अधिकांश राजनीतिक दलों में सत्ता एक या कुछ नेताओं के हाथों में केन्द्रित है।
    पार्टी के साधारण सदस्यों को पार्टी के अन्दर की घटनाओं के विषय में पर्याप्त जानकारी नहीं मिलती, नेता पार्टी के नाम पर निर्णय लेने के लिए अधिक शक्ति ग्रहण करते हैं।
    दूसरी चुनौती : वंशवादी उत्तराधिकार में कई राजनीतिक दलों के शीर्ष पदों पर साधारण रूप में एक परिवार के सदस्यों का नियन्त्रण रहता है।
    यह लोकतन्त्र के लिए भी बुरा है, क्योंकि जिन लोगों के पास पर्याप्त अनुभव या लोकप्रिय समर्थन नहीं है, वे सत्ता के पदों पर कब्जा करने के लिए आते हैं।
    तीसरी चुनौती : पैसा और बाहुबल की शक्ति यह चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के लिए एक प्रमुख चुनौती है, चूँकि पार्टियाँ केवल चुनाव जीतने पर केन्द्रित हैं, इसलिए वे चुनाव जीतने के लिए किसी भी विधि का उपयोग करते हैं।
    चौथी चुनौती : मतदाताओं को सार्थक विकल्प अक्सर पार्टियाँ मतदाताओं को एक सार्थक विकल्प प्रदान करने में असमर्थ प्रतीत होती हैं। सार्थक विकल्प देने के लिए पार्टियों को काफी भिन्न होना चाहिए।
राजनीतिक दलों में सुधार
चुनौतियों का सामना करने के लिए राजनीतिक दलों को सुधारने की आवश्यकता है। हमारे देश में राजनीतिक दलों और इसके नेताओं को सुधारने के लिए जो प्रयास किए गए हैं, वे निम्न प्रकार से हैं
  • विरोधी कानून इसके अनुसार, विधायक या सांसद चुनाव के बाद पार्टी को बदल नहीं सकते अर्थात् दल-बदल की नीति नहीं अपना सकते।
  • यदि कोई विधायक या सांसद पार्टी को बदलता है, तो वह विधानसभा या लोकसभा में अपनी सीट खो देगा।
  • सम्पत्ति और आपराधिक मामलों का विवरण धन तथा अपराधियों के प्रभाव को कम करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है। अब सभी उम्मीदवारों के लिए अपनी सम्पत्ति का विवरण एक शपथ-पत्र (Affidavit ) के माध्यम से देना तथा उनके विरुद्ध लम्बित आपराधिक मामलों की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है।
  • आयकर रिटर्न दाखिल करें चुनाव आयोग ने एक आदेश पारित किया है, जो राजनीतिक दलों को अपने संगठनात्मक चुनाव कराने और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आवश्यक हो गया है।
  • राजनीतिक दलों के आन्तरिक मामलों को विनियमित करने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए, जो पार्टी के विवादों के मामले में न्यायाधीश के रूप में कार्य करे।
  • महिला उम्मीदवारों के लिए कम-से-कम लगभग एक तिहाई टिकट देने के लिए राजनीतिक दलों को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।
  • सरकार को अपने चुनाव खर्चों का समर्थन करने के लिए पार्टियों को पैसा देना चाहिए।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. लोकतन्त्र में दिखाई देने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था कौन-सी है ?
(a) स्वयं सहायता समूह
(b) राजनीतिक दल
(c) समाचार-पत्र
(d) नौकरशाही
उत्तर (b) राजनीतिक दल
प्रश्न 2. अमेरिका जैसे कुछ लोकतान्त्रिक देशों में उम्मीदवार का चुनाव कौन करते हैं?
(a) राजनीतिक दल के सदस्य और समर्थक
(b) जनप्रतिनिधि
(c) प्रधान न्यायाधीश
(d) राष्ट्रीय दल
उत्तर (a) राजनीतिक दल के सदस्य और समर्थक
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किस व्यवस्था के लिए राजनीतिक दल आवश्यक शर्त है?
(a) राजतन्त्र
(b) लोकतन्त्र
(c) तानाशाही
(d) सत्तावाद
उत्तर (b) लोकतन्त्र
प्रश्न 4. राजनीतिक दलों के सामने कौन-सी चुनौतियाँ हैं ?
(a) आन्तरिक लोकतन्त्र का न होना
(b) धन और अपराधी तत्त्वों का प्रयास
(c) परिवारवाद
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर (d) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5. संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूनाइटेड किंगडम में किस प्रकार की शासन व्यवस्थाएँ हैं?
(a) बहुदलीय शासन व्यवस्था
(b) एक दलीय शासन व्यवस्था
(c) दो दलीय शासन व्यवस्था
(d) सार्वजनिक शासन व्यवस्था
उत्तर (c) दो दलीय शासन व्यवस्था
प्रश्न 6. जब बहुदलीय व्यवस्था में कई पार्टियाँ चुनाव लड़ने तथा जीतने के उद्देश्य से हाथ मिलाती हैं, तो इसे किस प्रकार की सरकार कहा जाता है?
(a) स्थानीय सरकार
(b) गठबन्धन सरकार
(c) केन्द्रीयकरण सरकार
(d) एकीकरण सरकार
उत्तर (b) गठबन्धन सरकार
प्रश्न 7. चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता सँभालने के लिए एकजुट हुए लोगों के समूह को …….. कहते हैं।
(a) राजनीतिक पार्टी
(b) कम्युनिस्ट पार्टी
(c) स्थानीय दल
(d) पंचायती दल
उत्तर (a) राजनीतिक पार्टी
प्रश्न 8. ऐसी प्रणाली / संस्था जिसमें समाज की प्रकृति, राजनीतिक विभाजन, राजनीति का इतिहास तथा चुनाव प्रणाली सभी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। क्या कहा जाता है?
(a) आदर्श पार्टी प्रणाली
(b) सकारात्मक प्रणाली
(c) एकत्रीकरण पार्टी प्रणाली
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (a) आदर्श पार्टी प्रणाली
प्रश्न 9. भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धान्त क्या है?
(a) बहुजन समाज
(b) क्रान्तिकारी लोकतन्त्र
(c) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
(d) आधुनिकता
उत्तर (c) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
प्रश्न 10. इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी का संस्थापक है?
(a) कांशीराम
(b) साहू महाराज
(c) बी. आर. अम्बेडकर
(d) ज्योतिबा फुले
उत्तर (a) कांशीराम
प्रश्न 11. एक पार्टी जो एक राज्य की विधानसभा के चुनाव में कुल वोट का कम-से-कम 6% प्राप्त करती है, तो इसे किस रूप में मान्यता दी जाती है?
(a) स्थानीय दल
(b) क्षेत्रीय दल
(c) राज्य दल
(d) पंचायती दल
उत्तर (c) राज्य दल
प्रश्न 12. हमारे देश में राजनीतिक दलों और इसके नेताओं को सुधारने के लिए जो प्रयास किए गए हैं, निम्न में से वह कौन-से हैं?
(a) विरोधी कानून (Anti Defection Law)
(b) सम्पत्ति एवं आपराधिक मामलों का विवरण
(c) आयकर रिटर्न
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर (d) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 13. राजनीतिक दलों में सुधार के लिए किसने धन एवं अपराधियों के प्रभाव को कम करने के लिए एक आदेश पारित किया है?
(a) सर्वोच्च न्यायालय
(b) राष्ट्रपति
(c) भारतीय संसद
(d) निर्वाचन आयोग
उत्तर (a) सर्वोच्च न्यायालय
प्रश्न 14. उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल कौन-सा है ?
(a) बहुजन समाज पार्टी
(b) समाजवादी पार्टी
(c) कांग्रेस पार्टी
(d) बी. जे. पी.
उत्तर (b) समाजवादी पार्टी
प्रश्न 15. निम्न में से राजनीतिक दलों का कौन-सा कार्य है?
(a) चुनाव लड़ना
(b) कानून निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना
(c) सरकार बनाना एवं चलाना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर (d) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 16. एक साधारण नागरिक निम्न में से किससे मिलने में असामान्य महसूस नहीं करता है?
(a) जिलाधिकारी से
(b) प्रखण्ड विकास पदाधिकारी से
(c) राजनीतिक कार्यकर्ता से
(d) वकील से
उत्तर (c) राजनीतिक कार्यकर्ता से
प्रश्न 17. एक आदर्श दल (पार्टी) के निर्माण में निम्न में से कौन-से कारक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?
(a) समाज की प्रकृति
(b) राजनीतिक इतिहास
(c) चुनाव प्रणाली
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
प्रश्न 18. भारत में चुनाव आयोग द्वारा लगभग कितनी पार्टियाँ (दल) बहुपक्षीय प्रणाली के अन्तर्गत पंजीकृत हैं?
(a) 750 से अधिक
(b) 650 से अधिक
(c) 850 से अधिक
(d) 550 से अधिक
उत्तर (a) 750 से अधिक
सुमेलित करें
प्रश्न 19. सूची I ( संगठन / दल) और सूची II ( गठबन्धन/मोर्चा) के नामों का मिलान कीजिए और नीचे दिए गए कुछ नामों के आधार पर सही उत्तर चुनिए ।
प्रश्न 20. सुमेलित कीजिए
कथन कूट
प्रश्न 21. पार्टियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर ध्यान दीजिए।
1. राजनीतिक दलों पर लोगों का अधिक विश्वास नहीं है।
2. दलों में अकसर बड़े नेताओं के घोटालों की गूँज सुनाई देती है।
3. सरकार चलाने के लिए पार्टियों का होना आवश्यक नहीं ।
निम्न कथनों में से कौन-से सही हैं ?
(a) 1, 2 और 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर (b) 1 और 2
प्रश्न 22. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें।
1. कोई भी पार्टी जो चार राज्यों में लोकसभा या विधानसभा चुनावों में कुल वोटों का कम-से-कम 6% मत प्राप्त करती है तथा लोकसभा चुनाव में 4 सीटें जीतती है, उसे राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दी जाती है।
2. वर्तमान समय में 6 राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं।
3. राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिह्न का आवण्टन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा कथन गलत है?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर (c) केवल 3
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
वर्णनात्मक प्रश्न- 1
प्रश्न 1. अपने प्रदेश के दो क्षेत्रीय दलों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – क्षेत्रीय दल
भारत में राष्ट्रीय पार्टियों के अतिरिक्त अन्य सभी प्रमुख दलों को निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दी है। सामान्यत: इन्हें क्षेत्रीय दल कहा जाता है। पिछले तीन दशकों में क्षेत्रीय दलों की संख्या और ताकत में वृद्धि हुई है। इससे भारतीय संसद विविधताओं से और भी ज्यादा सम्पन्न हुई है। इससे हमारे देश में संघवाद और लोकतन्त्र मजबूत हुए हैं। एक पार्टी जो एक राज्य की विधानसभा के चुनाव में कुल वोट का कम से कम 6% प्राप्त करती है तथा कम-से-कम 2 सीटें जीतती है, उसे राज्य दल या क्षेत्रीय दल कहते हैं।
उत्तर प्रदेश के दो क्षेत्रीय दल निम्नलिखित हैं
  1. समाजवादी पार्टी इस पार्टी की स्थापना वर्ष 1992 में स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के द्वारा की गई थी।
  2. अपना दल इस पार्टी की स्थापना वर्ष 1995 में सोनेलाल पटेल ने की थी।
प्रश्न 2. किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं?
अथवा राजनीतिक दल के किन्हीं चार कार्यों को बताइए।
उत्तर – किसी भी राजनीतिक दल के निम्नलिखित गुण होते हैं।
  • राजनीतिक दल लोगों का एक ऐसा संगठित समूह होता है, जो चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से काम करता है । राजनीतिक दल समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर कुछ महत्त्वपूर्ण नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करते हैं।
  • सामूहिक हित को लेकर सबकी राय भिन्न-भिन्न होती है। इसी आधार पर ये लोगों को समझाने का प्रयास करते हैं कि उनकी नीतियाँ दूसरी पार्टी से बेहतर हैं।
  • राजनीतिक दल समाज में लोगों का समर्थन पाकर चुनाव जीतने के बाद उन नीतियों को लागू करने का प्रयास करते हैं।
  • राजनीतिक दल किसी समाज के बुनियादी राजनीतिक विभाजन को भी दर्शाते हैं।
  • राजनीतिक पार्टी समाज का एक हिस्सा होता है, इसलिए इसका झुकाव समाज के उस वर्ग या समुदाय विशेष की ओर होती है।
प्रश्न 3. राजनीतिक पार्टी प्रणाली को कितनी श्रेणियों में विभाजित किया जाता है?
उत्तर – विश्व के विभिन्न देशों की पार्टी व्यवस्था भिन्न-भिन्न है । राजनीतिक पार्टी प्रणाली को निम्नलिखित दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है
  1. एकदलीय शासन व्यवस्था इस व्यवस्था में केवल एक पार्टी को सरकार नियन्त्रित करने की अनुमति है।
    चीन में इसी प्रकार की पार्टी व्यवस्था है। यहाँ केवल कम्युनिस्ट पार्टी को शासन करने की अनुमति है। लोकतन्त्र के लिए यह प्रणाली एक अच्छा विकल्प नहीं है, क्योंकि यह प्रतिस्पद्ध पार्टियों को सत्ता प्राप्त करने का एक उचित अवसर प्रदान नहीं करती है।
  2. दो दलीय शासन व्यवस्था इस व्यवस्था में दो पार्टियों को बहुमत हासिल करने और सरकार बनाने का अवसर मिलता है। सामान्यतः दो मुख्य पार्टियों के मध्य शक्ति विभाजन होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में इसी प्रकार की शासन व्यवस्थाएँ हैं।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय दल से आप क्या समझते हैं? व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – राष्ट्रीय दल का अर्थ
एक पार्टी जो चार राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनावों में कुल वोटों का कम-से-कम 6% प्राप्त करती है और लोकसभा में कम-से-कम 4 सीटें जीतती है, उसे राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दी जाती है।
आयोग सभी पार्टियों को समान रूप से मानता है, लेकिन यह बड़ी और स्थापित पार्टियों के लिए कुछ विशेष सुविधाएँ प्रदान करता है। इन दलों को एक चुनाव प्रतीक दिया जाता है, केवल उस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार ही उस चुनाव प्रतीक का उपयोग कर सकते हैं।
इन दलों की विभिन्न राज्यों में इकाइयाँ होती हैं। चुनाव आयोग सभी दलों को समान मानता है, किन्तु बड़े और स्थापित दलों को कुछ विशेष सुविधाएँ देता है। यही कारण है कि इन पार्टियों को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (Recognised Political Parties) कहा जाता है।
प्रश्न 5. विधायकों तथा संसद सदस्यों को दलबदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी? संविधान में क्या संशोधन किया गया? 
उत्तर – लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में राजनीतिक दलों की काफी अहम भूमिका होती है। सैद्धान्तिक तौर से राजनीतिक दलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका यह है कि वे सामूहिक रूप से लोकतान्त्रिक फैसला लेते हैं, परन्तु आजादी के बाद राजनीतिक दलों ने सामूहिक जनादेश की अनदेखी की है। विधायकों और सांसदों के जोड़-तोड़ से सरकारे बनने और गिरने लगीं।
विधायकों और सांसदों को दलबदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया। निर्वाचित प्रतिनिधियों के मन्त्रीपद या पैसे के लोभ में दलबदल करने में आई तेजी को देखते हुए ऐसा किया गया।
नए कानूनों के अनुसार अपना दल बदलने वाले सांसद या विधायक को अपनी सीट गँवानी होगी। इस नए कानून से दल-बदल में कमी आई है पर इससे पार्टी में विरोध का कोई स्वर उठाना और भी मुश्किल हो गया है। पार्टी नेतृत्व जो कोई फैसला करता है सांसद और विधायक को उसे मानना ही होता है।
प्रश्न 6. गठबन्धन सरकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – गठबन्धन सरकार
गठबन्धन सरकार, सरकार का एक रूप है, जिसमें राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए सहयोग करते हैं। ऐसी व्यवस्था का सामान्य कारण यह है कि चुनाव के बाद किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ है।
गठबन्धन सरकार की विशेषताएँ
गठबन्धन सरकार की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
  1. गठबन्धन राजनीति का मूलमन्त्र समझौता है और इसमें कठोर हठधर्मिता का कोई स्थान नहीं है।
  2. गठबन्धन समायोजन का उद्देश्य सत्ता पर कब्जा करना है।
  3. गठबन्धन की राजनीति स्थिर नहीं, बल्कि एक गतिशील मामला है, क्योंकि गठबन्धन के समूह विघटित हो सकते हैं और नए समूह बना सकते हैं।
  4. गठबन्धन राजनीति की पहचान विचारधारा नहीं, बल्कि व्यावहारिकता है।
वर्णनात्मक प्रश्न-2
प्रश्न 1. भारत में वंशवाद राजनीतिक दलों के लिए किस प्रकार चुनौती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भारत में वंशवाद राजनीतिक दलों के लिए निम्नलिखित रूप से चुनौती है
  • वंशवाद के कारण निचले स्तर के कार्यकर्ता शीर्ष पद पर नहीं पहुँच पाते हैं। यदि संसद में सभी संसद सदस्यों के आधारभूत आँकड़ों को देखा जाए, तो पता चलता है कि 50% से भी कम संसद सदस्य निचले स्तर से राजनीति में आए हैं, जबकि अधिकतर महिलाएँ अपने पारिवारिक सम्बन्धों के कारण ही राजनीति में आती हैं।
  • राजनीति में वंशवाद के कारण अनेक पार्टियाँ शीर्ष नेता के लिए नियमित चुनाव कराने में भी असमर्थ रहती हैं।
  • अधिकांश राजनीतिक दल अपना कामकाज पारदर्शी तरीके से नहीं करते, इसलिए सामान्य कार्यकर्ता के नेता बनने और ऊपर आने की सम्भावना काफी कम होती है।
  • राजनीतिक दल में आन्तरिक लोकतन्त्र की कमी के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण वंशवाद है। आन्तरिक लोकतन्त्र की कमी के कारण कुछ नेता पार्टी के नाम पर निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त कर लेते हैं।
  • जो लोग नेता होते हैं वे अनुचित लाभ लेते हुए अपने नजदीकी लोगों और यहाँ तक कि अपने ही परिवार के लोगों को आगे बढ़ाते हैं। अनेक दलों में शीर्ष पद पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते हैं।
प्रश्न 2. आधुनिक युग में राजनीतिक दलों को किन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? टिप्पणी कीजिए।
अथवा राजनीतिक दलों की क्या चुनौतियाँ हैं? किन्हीं दो को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – राजनीतिक दलों की चुनौतियाँ
आधुनिक युग में राजनीतिक दलों को निम्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है
  • दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र की कमी अधिकांश राजनीतिक दलों में सत्ता एक या कुछ नेताओं के हाथों में केन्द्रित है। पार्टी के साधारण सदस्यों को पार्टी के अन्दर की घटनाओं के विषय में पर्याप्त जानकारी नहीं मिलती। नेता पार्टी के नाम पर निर्णय लेने के लिए अधिक शक्ति ग्रहण करते हैं।
  • वंशवादी उत्तराधिकार कई राजनीतिक दलों के शीर्ष पदों पर साधारण रूप में एक परिवार के सदस्यों का नियन्त्रण रहता है। यह लोकतन्त्र के लिए भी बुरा है, क्योंकि जिन लोगों के पास पर्याप्त अनुभव या लोकप्रिय समर्थन नहीं है, वे सत्ता के पदों पर अधिकार करने के लिए आते हैं।
  • पैसा और बाहुबल की शक्ति चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के लिए एक प्रमुख चुनौती है। चूँकि पार्टियाँ केवल चुनाव जीतने पर केन्द्रित हैं, इसलिए चुनाव जीतने के लिए किसी भी विधि का उपयोग करते हैं। इस तरह की विधियों में निम्न शामिल होते हैं
    • वे उन उम्मीदवारों को नामांकित करते हैं, जो पैसों को इकट्ठा या बढ़ा सकते हैं।
    • समृद्ध लोगों और पार्टियों को धन देने वाली संस्थाएँ पार्टी की नीतियों और निर्णयों पर प्रभाव डालती हैं। कुछ मामलों में, पार्टियों का समर्थन करती हैं, जिससे वे चुनाव जीत सकें ।
  • मतदाताओं को सार्थक विकल्प अक्सर पार्टियाँ मतदाताओं को एक सार्थक विकल्प प्रदान करने में असमर्थ प्रतीत होती हैं। सार्थक विकल्प देने के लिए, पार्टियों को काफी भिन्न होना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमारे देश में भी आर्थिक नीतियों पर सभी प्रमुख दलों में अन्तर कम हो गया है, जो वास्तव में अलग-अलग नीतियाँ चाहते हैं, उनके पास कोई विकल्प नहीं है।
प्रश्न 3. राजनीतिक दलों को किस प्रकार सुधारा जा सकता है?
उत्तर – राजनीतिक दलों में सुधार
भारत में राजनीतिक दलों में सुधार निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है
  • चुनाव का खर्च सरकार द्वारा उठाए जाने का प्रावधान होना चाहिए। देश में बहुत सारे लोगों का विचार है कि धन सत्ता के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से चुनावों का खर्च सरकार को वहन करना चाहिए।
  • राजनीतिक दलों के आन्तरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए।
  • सभी राजनीतिक दल अपने सदस्यों की सूची रखें, अपने संविधान का पालन करें, पार्टी में विवाद की स्थिति में एक स्वतन्त्र अधिकारी को पंच बनाएँ । सबसे बड़े पदों के लिए खुला चुनाव कराएँ ।
  • यह देखा जाता है कि देश में बड़ी संख्या में प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं तथा कभी-कभी इसकी संख्या अधिक हो जाती है, जोकि चुनाव अधिकारी के लिए एक समस्या बन जाती है इसलिए गैर – संजीदा प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए हतोत्साहित करता है।
  • राजनीतिक दलों में सुधार के लिए आम नागरिक दबाव समूह आन्दोलन और मीडिया की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि अगर दलों को लगे कि सुधार न करने से उनका जनाधार गिरने लगेगा या उनकी छवि खराब हो जाएगी, तो इसे लेकर राजनीतिक पार्टियाँ गम्भीर होने लगती हैं।
  • इस प्रकार लोकतन्त्र की गुणवत्ता लोगों की भागीदारी से तय होती है। यदि आम नागरिक स्वयं राजनीति में हिस्सा न लें और बाहर से ही बातें करते रहें तो सुधार सम्भव नहीं है।
प्रश्न 4. राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य क्या हैं? व्याख्या करें।
अथवा एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के किन्हीं संचार कार्यों का उल्लेख कीजिए।
अथवा राजनीतिक दलों का क्या तात्पर्य है? लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की विवेचना कीजिए । 
उत्तर – राजनीतिक दल का अर्थ 
राजनीतिक दल लोगों का ऐसा संगठित समूह है, जो चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है। समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर यह समूह कुछ नीतियाँ और कार्यक्रम निर्धारित करता है। राजनीतिक दल, लोगों को यह समझाने का प्रयास करते हैं कि उनकी नीतियाँ दूसरों की तुलना में उचित हैं।
ये चुनावों के माध्यम से समर्थन पाकर अपनी नीतियाँ लागू करना चाहते हैं। राजनीतिक दल किसी समाज में मौलिक राजनीतिक विभाजन को दर्शाते हैं। सभी दलों ने समाज के कुछ हिस्सों का समर्थन किया है। किसी भी राजनीतिक दल में तीन मुख्य तत्त्व होते हैं; नेता, सक्रिय सदस्य एवं अनुयायी या समर्थक।
राजनीतिक दल के कार्य
राजनीतिक दल राजनीतिक पदों को भरते हैं और राजनीतिक सत्ता का प्रयोग या कार्य निम्नलिखित रूप से करते हैं; जैसे-
  • राजनीतिक दल का मुख्य कार्य चुनाव लड़ना है। अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में चुनाव ‘राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के मध्य सम्पन्न होते हैं। ये उम्मीदवार पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता या पार्टी के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
  • अमेरिका जैसे कुछ लोकतान्त्रिक देशों में उम्मीदवार का चुनाव दल के सदस्य और समर्थक करते हैं।
  • राजनीतिक दल नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाताओं के सामने रखते हैं और मतदाता अपनी पसंद की नीतियाँ और कार्यक्रम चुनते हैं।
  • राजनीतिक दल देश के लिए कानून बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोई भी कानून तब तक बिल नहीं बन सकता जब तक बहुमत पार्टी इसे समर्थन नहीं देती। राजनीतिक दल सरकार बनाते और चलाते हैं, साथ-ही-साथ नीतियों और बड़े फैसलों के मामले में निर्णय नेता ही लेते हैं और ये नेता विभिन्न दलों के होते हैं।
  • चुनाव में हारने वाले राजनीतिक दल शासक दल के विरोधी पक्ष (opposition) की भूमिका निभाते हैं।
  • जनमत-निर्माण में राजनीतिक दल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मुद्दों को उठाकर उन्हें लोगों के सामने स्पष्ट करते हैं। राजनीतिक दल कई बार लोगों की समस्याओं को लेकर आन्दोलन भी करते हैं।
प्रश्न 5. लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? 
अथवा “राजनीतिक दल लोकतन्त्र की एक अनिवार्य शर्त है ।” व्याख्या कीजिए |
उत्तर – लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों की आवश्यकता इसलिए होती है, क्योंकि ये अनके कार्य करते हैं। राजनीतिक दलों के बिना आधुनिक लोकतन्त्र का अस्तित्व नहीं हो सकता। दलों के अस्तित्व के बिना निम्न स्थितियाँ हो सकती हैं
  • चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार स्वतन्त्र होगा और किसी भी बड़े नीति परिवर्तन के बारे में लोगों को कोई भी वादा करने में सक्षम नहीं होगा।
  • सरकार का गठन तो हो सकता है, लेकिन इसकी उपयोगिता हमेशा अनिश्चित रहेगी। किसी क्षेत्र में क्या कार्य करना है, इसके लिए निर्वाचित प्रतिनिधि अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं, लेकिन देश कैसे चलाया जाएगा, इसके लिए कोई भी उत्तरदायी नहीं होगा ।
  • पंचायती चुनाव भारत के कई राज्यों में पंचायत के लिए गैर पक्ष आधारित चुनाव हैं। हालाँकि पार्टियाँ औपचारिक रूप से चुनाव नहीं करती हैं।
  • सामान्यत: यह देखा जाता है कि गाँव एक से अधिक समूहों में विभाजित हो जाता है और प्रत्येक समूह सभी पदों के लिए अपने उम्मीदवारों का पैनल उतारता है।
  • यह राजनीतिक दल की उपस्थिति को आवश्यक बनाता है। समाज को एक ऐसे तन्त्र की आवश्यकता है, जो सरकार का समर्थन करे, उस पर अंकुश रखे, नीतियाँ बनाए और उनका समर्थन करे। राजनीतिक दल इन्हीं सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि “राजनीतिक दल लोकतन्त्र की एक अनिवार्य शर्त है । “

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