UP Board Class 10 Social Science Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार (अर्थशास्त्र)
UP Board Class 10 Social Science Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार (अर्थशास्त्र)
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार (अर्थशास्त्र)
फास्ट ट्रैक रिवीज़न
बाजार में उपभोक्ता
- किसी सामान या सेवा के अन्तिम उपयोगकर्ता को उपभोक्ता कहते हैं।
- उपभोक्ता अधिकतर अपने अधिकारों पर बल नहीं देते। इस कारण वे बाजार में शोषित किए जाते हैं।
उपभोक्ताओं की सुरक्षा की आवश्यकता
- निम्न कारणों से उपभोक्ता की सुरक्षा आवश्यक है
- उपभोक्ता का विभिन्न प्रकार से शोषण किया जाता है।
- उपभोक्ता को गलत और अधूरी सूचना देने वाली कम्पनियाँ
- विभिन्न सामानों में उचित सुरक्षा मानदण्डों की कमी
- मिलावटी और अशुद्ध खाद्य पदार्थों की बिक्री
- कुछ व्यापारी असन्तोषजनक बिक्री सेवाएँ और अशिष्ट व्यवहार करते हैं।
- उपभोक्ताओं को अपने अधिकार सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न नियमों की आवश्यकता होती है।
उपभोक्ता आन्दोलन
- भारत में उपभोक्ता आन्दोलन का उदय, उपभोक्ताओं की सुरक्षा करने के लिए किया गया था। वर्ष 1960 में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आन्दोलन का उदय हुआ ।
उपभोक्ता शिकायत केन्द्र
- भारत की उपभोक्ता अदालत या उपभोक्ता संरक्षण परिषद् उपभोक्ताओं का मार्ग दर्शन करती है।
- विभिन्न अवसरों पर ये अदालतें उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व भी करती हैं।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
- उपभोक्ता के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act, COPRA) पारित किया।
- इस अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता विवाद को निपटाने के लिए उपभोक्ता परिषद् आदि की स्थापना की गई।
- इस अधिनियम के अन्तर्गत तीन स्तरीय प्रणाली तन्त्र की स्थापना की गई है।
त्रि-स्तरीय प्रणाली
- इसके अन्तर्गत जिला स्तर तथा राष्ट्रीय स्तर पर न्यायिक तन्त्र स्थापित किए गए हैं।
- नए उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 के तहत् जिला स्तर 1 करोड़ तक तथा राज्य स्तर 1 से 10 करोड़ तक के मुकद्मों को देखता है।
उपभोक्ता अधिकार
उपभोक्ता के अधिकारों में निम्नलिखित अधिकारों को शामिल किया गया है।
सुरक्षा का अधिकार
- इसके अन्तर्गत हमें बाजारीकरण और सेवाओं की प्राप्ति के विरुद्ध सुरक्षित रहने का अधिकार मिलता है।
- इसके अन्तर्गत निर्माता को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि उत्पाद और सेवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता उचित हो।
सूचित होने का अधिकार
- इसमें सरकार ने उत्पाद के पैकेट पर सुरक्षा सुविधाओं तथा उपयोग के लिए दिशा-निर्देश के बारे में उल्लेख अनिवार्य बनाया है।
- यदि उत्पादक दोषपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है, तो उपभोक्ता शिकायत कर सकता है।
सूचना का अधिकार
- वर्ष 2005 में सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया।
- यह अधिकार जनता को सभी सरकारी कार्यों की स्पष्ट जानकारी उपलब्ध करता है।
चुनने का अधिकार
- प्रत्येक उपभोक्ता किसी माल या सेवा को चुनने का अधिकार रखता है।
- यह अधिकार उसे आयु, लिंग और सेवा की प्रकृति की चिन्ता किए बिना प्राप्त होता है।
निवारण का अधिकार
- प्रत्येक उपभोक्ता को शोषण के विरुद्ध निवारण माँगने का अधिकार है।
- सरल शब्दों में कहें तो यह नुकसान की भरपाई प्राप्त करने का अधिकार है।
प्रतिनिधित्व का अधिकार
- प्रत्येक उपभोक्ता न्यायालय में प्रतिनिधित्व किए जाने का अधिकार रखते हैं।
- इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए त्रिस्तरीय अर्द्ध-न्यायिक तन्त्र की स्थापना की गई।
गुणवत्ता मानक : आई. एस. आई. और एगमार्क
- एगमार्क और हॉलमार्क के लोगो, वस्तु की गुणवत्ता को सुनिश्चित करते हैं तथा यह खाद्य पदार्थों के लिए प्रामाणिक चिह्न है।
- जो उत्पाद उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्रभावित करते हैं, उन उत्पादकों का प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अति आवश्यक है।
जानकार उपभोक्ता एवं उपभोक्ता आन्दोलन
एक जानकार उपभोक्ता होना
- उपभोक्ता हमेशा एगमार्क, हॉलमार्क आदि चिह्न वाले उत्पाद खरीदें।
- शिकायत होने पर उपभोक्ता शिकायत केन्द्र जाएँ।
उपभोक्ता आन्दोलन आगे ले जाना
- प्रतिवर्ष 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है। इसी दिन भारतीय संसद ने COPRA, 1986 पारित किया था।
- आज भारत में 700 से अधिक उपभोक्ता समूह हैं।
उपभोक्ता आन्दोलन के साथ कुछ समस्याएँ भी जुड़ी हैं, जो निम्न हैं
- उपभोक्ता प्रक्रिया अधिक खर्चीली और अधिक समय लेने वाली है।
- उपलब्ध कानून उपभोक्ता की नुकसान भरपाई के मामले में अधिक स्पष्ट नहीं है।
- बाजारों में नियम और विनियमों का अनुसरण नहीं किया जाता है।
- इन सबके अतिरिक्त भी उपभोक्ताओं को अपनी भूमिका व महत्त्व समझने की आवश्यकता है।
खण्ड अ बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत किस रूप में हुई?
(a) सामाजिक शक्ति
(b) उपभोक्ता जागरूकता
(c) अनैतिक व्यवसाय
(d) ये सभी
उत्तर (b) उपभोक्ता जागरूकता
प्रश्न 2. भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA) कब लागू किया गया?
(a) वर्ष 1982
(b) वर्ष 1985
(c) वर्ष 1984
(d) वर्ष 1986
उत्तर (d) वर्ष 1986
प्रश्न 3. किस वर्ष व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आन्दोलन का उदय हुआ?
(a) वर्ष 1960
(b) वर्ष 1965
(c) वर्ष 1970
(d) वर्ष 1975
उत्तर (a) वर्ष 1960
प्रश्न 4. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत कितने स्तरीय न्यायिक तन्त्र की स्थापना की गई?
(a) दो स्तरीय प्रणाली
(b) तीन स्तरीय प्रणाली
(c) चार स्तरीय प्रणाली
(d) पाँच स्तरीय प्रणाली
उत्तर (b) तीन स्तरीय प्रणाली
प्रश्न 5. उपभोक्ता को न्याय पाने के लिए कहाँ जाना चाहिए?
(a) पुलिस स्टेशन
(b) सिविल न्यायालय
(c) उपयुक्त उपभोक्ता केन्द्र
(d) जिलाधिकारी (जिला मजिस्ट्रेट)
उत्तर (c) उपयुक्त उपभोक्ता केन्द्र
प्रश्न 6. निम्नलिखित में से कौन-सा उपभोक्ता का अधिकार है?
(a) चुनने का अधिकार
(b) उपभोग का अधिकार
(c) बाजार में भागीदारी का अधिकार
(d) उपभोग वस्तु अधिकार
उत्तर (a) चुनने का अधिकार
प्रश्न 7. एगमार्क किन वस्तुओं के लिए प्रामाणिक चिह्न है?
(a) उपभोग वस्तु
(b) सेवा वस्तु
(c) खाद्य पदार्थ
(d) इलेक्ट्रॉनिक वस्तु
उत्तर (c) खाद्य पदार्थ
प्रश्न 8. 24 दिसम्बर को किस रूप में मनाया जाता है?
(a) खाद्य सुरक्षा दिवस
(b) राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस
(c) सिविल सेवा दिवस
(d) जनसंख्या दिवस
उत्तर (b) राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस
प्रश्न 9. वह संगठन, जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादों के मानक तय करता है, उसे कहा जाता है
(a) ISI
(b) ISRO
(c) ISO
(d) WCF
उत्तर (c) ISO
प्रश्न 10. संयुक्त राष्ट्र ने उपभोक्ता संरक्षण के लिए दिशा-निर्देशों को कब अपनाया?
(a) वर्ष 1983 में
(b) वर्ष 1984 में
(c) वर्ष 1985 में
(d) वर्ष 1986 में
उत्तर (c) वर्ष 1985 में
प्रश्न 11. शहद खरीदते समय हमें कौन-सा निशान देखना चाहिए?
(a) ISI
(b) WCF
(c) एगमार्क
(d) ISO
उत्तर (c) एगमार्क
प्रश्न 12. स्वयं को बचाने के लिए उपभोक्ताओं को क्या चाहिए?
(a) उपभोक्ता मंच
(b) उपभोक्ता संरक्षण परिषदे
(c) उपभोक्ता आन्दोलन
(d) उपभोक्ता जागरूकता
उत्तर (d) उपभोक्ता जागरूकता
प्रश्न 13. एक उत्पाद पर MRP का अर्थ है
(a) न्यूनतम खुदरा मूल्य
(b) अधिकतम खुदरा मूल्य
(c) सूक्ष्म खुदरा मूल्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (b) अधिकतम खुदरा मूल्य
प्रश्न 14. सूचना का अधिकार अधिनियम कब पारित किया गया था?
(a) जनवरी, 2002 में
(b) जनवरी, 2004 में
(c) अक्टूबर, 2005 में
(d) जुलाई, 2007 में
उत्तर (c) अक्टूबर, 2005 में
प्रश्न 15. उपभोक्ता कल्याण संगठन के विश्व स्तरीय संस्थान को कहते हैं
(a) उपभोक्ता इण्टरनेशनल
(b) जिला उपभोक्ता न्यायालय
(c) कोपरा
(d) संयुक्त राष्ट्र
उत्तर (a) उपभोक्ता इण्टरनेशनल
प्रश्न 16. हॉलमार्क निम्न में से किन पर चिह्नित होता है?
(a) जेवर पर
(b) साइकिल पर
(c) बिजली के तार पर
(d) हीटर पर
उत्तर (a) जेवर पर
सुमेलित करें
प्रश्न 17. सुमेलित कीजिए

कथन कूट
प्रश्न 18. एक जागरूक उपभोक्ता के क्या गुण होते हैं?
1. निपुणता
2. ज्ञान
3. अक्षमता
कूट
(a) 1 और 3
(b) केवल 3
(c) 1 और 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (c) 1 और 2
खण्ड ब वर्णनात्मक प्रश्न
वर्णनात्मक प्रश्न – 1
प्रश्न 1. भारत में उपभोक्ताओं को सुरक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ी? समझाइए |
अथवा उपभोक्ताओं के शोषण के किन्हीं चार कारणों की समीक्षा करें।
उत्तर – उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमों और विनियमों की आवश्यकता होती है, क्योंकि बाजार में शोषण विभिन्न तरीकों से होता है।
उपभोक्ताओं का शोषण करने वाले कारक इस प्रकार हैं
- गलत या अधूरी जानकारी देने वाली कम्पनियाँ
- इलेक्ट्रॉनिक सामान में उचित सुरक्षा मानदण्डों में कमी
- अनेक व्यापारी अनुचित व्यापारिक प्रथाओं में लिप्त पाए जाते हैं, जैसे दुकानदार उचित वजन से कम वजन तौलते हैं।
- उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए समय-समय पर मीडिया और अन्य स्रोतों; जैसे- होर्डिंग आदि द्वारा गलत और कृत्रिम सूचना देना ।
उपरोक्त शोषणों से बचने के लिए उपभोक्ताओं को सुरक्षा की आवश्यकता पड़ी।
प्रश्न 2. उपभोक्ताओं द्वारा ‘उपभोक्ता सुरक्षा परिषद्’ की मदद कैसे ली जा सकती है?
उत्तर – ‘उपभोक्ता सुरक्षा परिषद्’ का प्रमुख कार्य उपभोक्ताओं की शिकायतों को सम्बोधित करना, उपभोक्ता शिक्षा प्रदान करना और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करना होता है।
उपभोक्ताओं द्वारा ‘उपभोक्ता सुरक्षा परिषद्’ की मदद निम्नलिखित प्रकार से ली जा सकती है
- उपभोक्ताओं की अनुचित सौदेबाजी और शोषण से होने वाली क्षति से जुड़े विषयों की सुनवाई उपभोक्ता सुरक्षा परिषद् द्वारा की जाती है।
- उपभोक्ता विवादों का निपटारा जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है।
- जिला स्तरीय प्राधिकरण 1 करोड़ तक के दावों से सम्बन्धित मुकदमों पर विचार करता है। राज्य स्तरीय प्राधिकरण 1 करोड़ से 10 करोड़ तक और राष्ट्र स्तरीय प्राधिकरण 10 करोड़ से ऊपर के दावेदारी से सम्बन्धित मुकदमों को देखता है।
प्रश्न 3. सूचना के अधिकार को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – अक्टूबर, 2005 में भारत सरकार ने एक कानून बनाया, जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम के नाम से जाना जाता है, जो अपने नागरिकों को सरकार के कामकाज के विषय में सभी प्रकार की जानकारियाँ सुनिश्चित कराता है। उदाहरण के लिए, अमृता ने सरकारी नौकरी के लिए साक्षात्कार में भाग लिया, लेकिन उसे चयन के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं हुई। अधिकारियों ने उसके प्रश्नों का उत्तर देने से मना कर दिया। उसने सूचना का अधिकार कानून के अन्तर्गत एक आवेदन दर्ज किया, जिसके उत्तर में उसे सूचित करने में देरी के कारणों के विषय में बताया गया था। बाद में उसे नियुक्ति के लिए कॉल पत्र भी मिला।
प्रश्न 4. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर – बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। लम्बे समय तक उपभोक्ताओं का शोषण उत्पादकों तथा विक्रेताओं के द्वारा किया जाता रहा। इस शोषण से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए सरकार पर उपभोक्ता आन्दोलनों के द्वारा दबाव डाला गया। यह वृहत स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के विरुद्ध और अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कम्पनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ। वर्ष 1986 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया तथा उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 कानून बनाया, जो कोपरा के नाम से प्रसिद्ध है।
प्रश्न 5. उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए ।
अथवा दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वर्णन कीजिए |
उत्तर – उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत के दो कारण निम्नलिखित हैं
- उपभोक्ता जागरूकता इसलिए आवश्यक है, क्योंकि अपने स्वार्थो से प्रेरित होकर दोनों उत्पादक और व्यापारी कोई भी गलत कार्य कर सकते हैं; जैसे- वे खराब वस्तुएँ दे सकते हैं, माप-तौल में गड़बड़ी कर सकते हैं, अपनी सेवाओं के लिए अधिक मूल्य ले सकते हैं आदि, जिसका सीधा प्रभाव उपभोक्ता पर पड़ेगा। अतः उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता बाजार के तत्काल प्रभाव को कम करने के लिए है। धन के लालच के कारण ही समय-समय पर जरूरी वस्तुओं के मूल्य बहुत बढ़ जाते हैं।
- उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि बेईमान व्यापारी थोड़े लाभ के लिए जनसाधारण के साथ धोखाधड़ी करना शुरू कर देते हैं; जैसे- दूध, घी, तेल, मक्खन, खोया और मसालों आदि में मिलावट करना शुरू कर देते हैं, जिसका सीधा प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
अतः उपरोक्त कारणों के दुष्परिणाम से बचने के लिए उपभोक्ता जागरूकता अि आवश्यक है।
प्रश्न 6. उपभोक्ता जागरूकता हेतु कोई चार उपाय सुझाइए ।
उत्तर – उपभोक्ता जागरूकता हेतु चार उपाय निम्न हैं
- उपभोक्ताओं को गुणवत्ता चिह्नित उत्पाद ही खरीदने चाहिए ।
- बिल की माँग करनी चाहिए और सही समस्याओं के लिए शिकायत करनी चाहिए।
- उपभोक्ताओं को अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान होना चाहिए। इसका अर्थ है कि अपने कर्त्तव्यों पर ध्यान देना। लोगों अथवा समूहों को अपनी जिम्मेदारियों को गम्भीरता से लेना चाहिए।
- उपभोक्ता आन्दोलनों को स्वेच्छाप्रेरित प्रयत्न तथा संघर्ष की आवश्यकता होती है, जिसमें सभी को भाग लेना चाहिए।
वर्णनात्मक प्रश्न-2
प्रश्न 1. उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताइए और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियाँ लिखिए।
अथवा उपभोक्ता के अधिकारों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986, उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा का बहुत महत्त्वपूर्ण कानूनी उपाय है। इसमें निहित कुछ महत्त्वपूर्ण उपभोक्ता अधिकार निम्नलिखित हैं
- सुरक्षा का अधिकार उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया गया है कि वे ऐसी सभी वस्तुओं की बिक्री से अपना बचाव कर सकें, जो उनके जीवन तथा सम्पत्ति आदि के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती हैं।
- सूचना पाने का अधिकार उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया गया है कि वे वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य की एवं मात्रा की गुणवत्ता सम्बन्धी सूचना प्राप्त करें।
- चुनने का अधिकार उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि वे वस्तुओं तथा सेवाओं की किस्म तथा उचित मूल्य की जानकारी रखें और यदि एक ही विक्रेता है, तो उपभोक्ता को पूर्ण अधिकार है कि वह अपनी इच्छानुसार ठीक मूल्य पर सही वस्तु का चुनाव कर सकें।
- सुनवाई का अधिकार उपभोक्ता को यह अधिकार है कि उनके हितों से जुड़ी विभिन्न संस्थाएँ उन्हें यह आश्वासन दें कि उनकी समस्याओं पर पूरा ध्यान दिया जाएगा।
- शिकायतें निपटाने का अधिकार प्रत्येक उपभोक्ता को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि जब वह उत्पादकों द्वारा शोषित हो अथवा ठगा हुआ अनुभव करें, तो उनकी शिकायत कर उनके हक में ठीक प्रकार से निपटारा हो ।
प्रश्न 2. वस्तुओं और सेवाओं से सम्बन्धित जानकारियों को प्राप्त करने के तरीकों की उदाहरण सहित व्याख्या करते हुए सरकार की भूमिका को स्पष्ट कीजिए |
उत्तर – किसी वस्तु को खरीदने पर उसके पैकेट पर उस वस्तु से सम्बन्धित अवयवों, मूल्यों, बैच संख्या, निर्माण की तिथि, खराब होने की अन्तिम तिथि और वस्तु बनाने वाली कम्पनी के पते लिखे होते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि उपभोक्ता वस्तु में किसी भी प्रकार की खराबी होने पर शिकायत कर सकता है, क्षतिपूर्ति पाने या वस्तु बदलने की माँग कर सकता है।
उदाहरण के लिए, जब हम कोई दवाई खरीदते हैं, तो उस दवा के उचित प्रयोग के बारे में निर्देश और उस दवाई के अन्य प्रभावों और खतरों से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि कुछ ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिससे उपरोक्त उदाहरण में दिए गए निर्देश व जानकारियाँ वस्तु बनाने वाले को देनी पड़ती हैं। यह इसलिए कि उपभोक्ता जिन वस्तुओं और सेवाओं को खरीदता है, उसके बारे में उपभोक्ता को सूचना पाने का अधिकार होता है। आज सरकार प्रदत्त विविध सेवाओं को उपयोगी बनाने के लिए सूचना पाने के अधिकार को बढ़ा दिया गया है। अक्टूबर, 2005 में भारत सरकार ने एक कानून लागू किया, जो ‘सूचना पाने के अधिकार’ के नाम से जाना जाता है और जो अपने नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्य-कलापों की सभी सूचनाएँ पाने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
प्रश्न 3. बाजार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती है? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाइए |
उत्तर – बाजार में उपभोक्ता की सुरक्षा के लिए नियमों व विनियमों की आवश्यकता होती है, क्योंकि अकेला उपभोक्ता प्राय: स्वयं को कमजोर स्थिति में पाता है।
खरीदी गई वस्तु या सेवा के बारे में जब भी कोई शिकायत होती है, तो विक्रेता सारा उत्तरदायित्व क्रेता पर डालने का प्रयास करता है। मानो, बिक्री हो जाने के बाद विक्रेता की कोई जिम्मेदारी ही नहीं रह जाती है। ठीक इसी प्रकार, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले बहुत-से लोगों को निम्न वेतन पर कार्य करना पड़ता है। साथ ही उन परिस्थितियों को भी सहन करना पड़ता है, जो न्यायोचित नहीं होती हैं।
यह परिस्थिति प्रायः इनके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होती है। ऐसे शोषण को रोकने के लिए और उनकी सुरक्षा हेतु नियमों व विनियमों की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह नागरिकों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, लेकिन फिर भी इसका उत्पादन बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है।
सिगरेट उत्पादक कम्पनियों से यह बात मनवाने के लिए कि उनका उत्पाद कैंसर का कारण हो सकता है, इसके लिए हमें न्यायालय में लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी। अतः उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमों और विनियमों की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 4. भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई?
अथवा भारत में उपभोक्ता आन्दोलन का परिचय दीजिए ।
अथवा उपभोक्ता आन्दोलन के कारण बताइए ।
उत्तर – भारत में उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के फलस्वरूप हुआ। यह आन्दोलन वृहत् स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के विरुद्ध और अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कम्पनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ। भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत निम्न कारणों से हुई
- उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत उपभोक्ताओं के असन्तोष के कारण हुई, क्योंकि विक्रेता कई अनुचित व्यवसायों में शामिल होते थे।
- बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। यह माना जाता था कि एक उपभोक्ता की जिम्मेदारी है कि वह एक वस्तु या सेवा को खरीदते समय सावधानी अपनाए ।
- इन्होंने वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी विक्रेताओं पर भी डाल दी। भारत में ‘सामाजिक बल’ के रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित व्यावसायिक कार्यों में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के फलस्वरूप हुआ।
- अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट की वजह से 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का उदय हुआ।
- 1970 तक उपभोक्ता संस्थाएँ बड़े पैमाने पर उपभोक्ता अधिकार से सम्बन्धित आलेखों का लेखन और प्रदर्शन का आयोजन करने लगीं।
प्रश्न 5. कुछ ऐसे कारकों की चर्चा कीजिए, जिनसे उपभोक्ता का शोषण होता है?
अथवा उपभोक्ता का शोषण किस प्रकार किया जाता है? उदाहरण देकर समझाइए |
अथवा उन तीन तरीकों की व्याख्या कीजिए जिनके द्वारा उपभोक्ताओं का बाजार में शोषण किया जाता है।
उत्तर – व्यापारी, उत्पादक और विक्रेता अनेक तरीकों से उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं, जिसका नकारात्मक प्रभाव उपभोक्ता पर पड़ता है
- कम मापना और तौलना बहुत से चालाक व लालची दुकानदार ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की चीजें कम मापकर या तौलकर उपभोक्ता का शोषण करते हैं। इसकी जानकारी उपभोक्ता को नहीं रहती है, लेकिन इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव उपभोक्ता पर पड़ता है।
- घटिया सामान व नकली उत्पाद कुछ व्यापारी, उत्पादक अत्यधिक धन के लालच में घटिया किस्म के सामान व नकली उत्पाद को विक्रेताओं के माध्यम से बाजार में उतारते हैं। वस्तुतः कम लागत और अत्यधिक लाभ के उद्देश्य से ऐसा किया जाता है, जिसका प्रभाव उपभोक्ता के स्वास्थ्य पर पड़ता है और यह भी शोषण का एक तरीका है।
- अधूरी या गलत जानकारी बहुत- -से उत्पादक अपने उत्पाद की गुणवत्ता को बढ़ा-चढ़ाकर पैकेट पर लिखते हैं, जिससे उपभोक्ता उस उत्पाद का प्रयोग करते हैं और इसका परिणाम बिल्कुल उसके विपरीत होता है और वे अपने-आप को ठगा हुआ अनुभव करते हैं।
- सुरक्षा उपायों की अवहेलना कुछ उत्पादक विभिन्न वस्तुओं को बनाते समय सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते। बहुत-सी चीजें हैं, जिन्हें सुरक्षा की दृष्टि से विशेष सावधानी की जरूरत होती है; जैसे- प्रेशर कुकर में खराब सेफ्टी वॉल्व के लगे होने से भयंकर दुर्घटना हो सकती है। ऐसे में उत्पादक थोड़े से लालच के कारण जानलेवा उपकरणों को बेचते हैं।
- असन्तोषजनक सेवा बहुत-सी वस्तुएँ ऐसी होती हैं, जिन्हें खरीदने के बाद एक लम्बे समय तक सेवाओं की आवश्यकता होती है; जैसे- फ्रिज, कूलर, वॉशिंग मशीन, स्कूटर और कार आदि । परन्तु खरीदते समय जो वायदे उपभोक्ता से किए जाते हैं, वे खरीदने के बाद पूरे नहीं किए जाते। विक्रेता और उत्पादक एक-दूसरे पर इसकी जिम्मेदारी डालकर उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं।
