Social-science 9

UP Board Solutions for Class 9 Civics Chapter 5

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 5 संस्थाओं का कामकाज

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 5 संस्थाओं का कामकाज.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अगर आपको भारत का राष्ट्रपति चुना जाए तो आप निम्नलिखित में से कौन-सा फैसला खुद कर सकते हैं?
(क) अपनी पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं।
(ख) लोकसभा में बहुमत वाले प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं।
(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।
(घ) मंत्रीपरिषद् में अपनी पसंद के नेताओं का चयन कर सकते हैं।
उत्तर:
(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन राजनैतिक कार्यपालिका का हिस्सा होता है?
(क) जिलाधीश
(ख) गृह मंत्रालय का सचिव
(ग) गृहमंत्री
(घ) पुलिस महानिदेशक
उत्तर:
(ग) गृहमंत्री

प्रश्न 3.
न्यायपालिका के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा बयान गलत है?
(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।
(ख) अगर कोई कानून संविधान की भावना के खिलाफ है तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है।
(ग) न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है।
(घ) अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो वह अदालत में जा सकता है।
उत्तर:
(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून का सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित राजनैतिक संस्थाओं में से कौन-सी संस्था देश के मौजूदा कानून में संशोधन कर सकती है?
(क) सर्वोच्च न्यायालय
(ख) राष्ट्रपति
(ग) प्रधानमंत्री
(घ) संसद
उत्तर:
(घ) संसद

प्रश्न 5.
उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार जारी किया होगा –

(क) देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है। 1. रक्षा मंत्रालय
(ख) ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ सुलभ कराई जाएँगी। 2. कृषि, खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
(ग) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूँ की कीमतें कम की जाएँगी। 3. स्वास्थ्य मंत्रालय
(घ) पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा। 4. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
(ङ) ऊँची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएँगे। 5. संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय

उत्तर:

(क) देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है। 4. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
(ख) ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ सुलभ कराई जाएँगी। 5. संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय
(ग) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूँ की कीमतें कम की जाएँगी। 2. कृषि, खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
(घ) पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा। 3. स्वास्थ्य मंत्रालय
(ङ) ऊँची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएँगे। 1. रक्षा मंत्रालय

प्रश्न 6.
देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में से उस राजनैतिक संस्था का नाम बताइए ने निम्नलिखित मामलों में अधिकारों का इस्तेमाल करती है-
(क) सड़क, सिंचाई, जैसे बुनियादी ढाँचों के विकास और नागरिकों की विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों पर किता पैसा खर्च किया जाएगा।

(ख) स्टॉक एक्सचेंज को नियमित करने संबंधी कानून बनाने की कमेटी के सुझाव पर विचार-विमर्श करती है।
(ग) दो राज्य सरकारों के बीच कानूनी विवाद पर निर्णय लेती है।
(घ) भूकंप पीड़ितों की राहत के प्रयासों के बारे में सूचना माँगती है।
उत्तर:
(क) लोकसभा (वित्त मंत्रालय)
(ख) संसद
(ग) सर्वोच्च न्यायालय
(घ) कार्यपालिका

प्रश्न 7.
भारत का प्रधानमंत्री सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चुना जाता? निम्नलिखित चार जवाबों में सबसे सही को चुनकर अपनी पसंद के पक्ष में कारण दीजिए।
(क) संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही ‘प्रधानमंत्री बन सकती है।
(ख) लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद् का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।
(ग) चूंकि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति नियुक्त करता है लिहाजा उसे जनता द्वारा चुने जाने की जरूरत ही नहीं है।
(घ) प्रधानमंत्री के सीधे चुनाव में बहुत ज्यादा खर्च आएगा।
उत्तर:
(क) संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है। यदि एक प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित व्यक्ति जिसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त नहीं है को प्रधानमंत्री बना दिया जाता है, तो उसके लिए लोकसभा में अपनी मर्जी के बिल, नीतियाँ पास कराना कठिन होगा। ऐसी स्थिति में सरकार ठीक ढंग से नहीं चल सकेगी। इसके अलावा भारत जैसे विशाल देश में जहाँ पर मतदाताओं की संख्या करोड़ों में है, किसी भी साधारण व्यक्ति चाहे वह कितना ही ईमानदार तथा बुद्धिमान क्यों न हो, चुनाव का खर्च सहन करना संभव नहीं होगा।

प्रश्न 8.
तीन दोस्त एक ऐसी फिल्म देखने गए जिसमें हीरो एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनता है और राज्य में बहुत से बदलाव लाता है। इमरान ने कहा कि देश को इसी चीज की जरूरत है। रिजवान ने कहा कि इस तरह का, बिना संस्थाओं वाले व्यक्ति का राज खतरनाक है। शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है।
कोई भी मंत्री एक दिन में कुछ भी नहीं कर सकता। ऐसी फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर:
इस प्रकार की फिल्म का कथानक कल्पना पर आधारित है यथार्थ से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है। एक व्यक्ति का शासन सदैव खतरनाक होता है। शासन का संचालन नियमों के अनुसार ही चलाया जा सकता है। मुख्यमंत्री की नियुक्ति निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के उपरांत की जाती है। साथ ही सुधारों के लिए अत्यधिक योजना बनाने की जरूरत होती है। मैं भी शंकर से सहमत हूँ। राज्य में बदलाव लाने के लिए केवल एक दिन काफी नहीं होता।

प्रश्न 9.
एक शिक्षिका छात्रों की संसद के आयोजन की तैयारी कर रही थी। उसने दो छात्राओं को अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की भूमिका करने को कहा। उसने उन्हें विकल्प भी दिया। यदि वे चाहें तो राज्यसभा में बहुमत प्राप्त दल की नेता हो सकतीं थीं और अगर चाहें तो लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्प दिया जाए तो आप क्या चुनेंगे और क्यों?
उत्तर:
मैं लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता बनना चाहूँगा क्योंकि व्यावहारिक रूप से लोकसभा-राज्यसभा से अधिक शक्तिशाली होता है। धन विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जाता है। इसे लोकसभा ही पारित कर सकती है। राज्यसभा इसे मात्र 14 दिन तक रोक सकती है और यदि राज्यसभा इस विधेयक को वापस लोकसभा को नहीं लौटाती है तब भी इस विधेयक को पास मान लिया जाएगा। लोकसभा मंत्रिमण्डल को नियंत्रित करती है। लोकसभा के सदस्य मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं जबकि राज्यसभा सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है।

प्रश्न 10.
आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढ़कर तीन विद्यार्थियों की न्यायपालिका पर अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। इसमें से कौन-सी प्रतिक्रिया, न्यायपालिका की भूमिका को सही तरह से समझती है?
(क) श्रीनिवांस का तर्क है कि चूंकि सर्वोच्च न्यायालय सरकार के साथ सहमत हो गई है लिहाजा वह स्वतंत्र नहीं
(ख) अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ फैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन का निर्देश दिया।
(ग) विजया का मानना है कि न्यायपालिका न तो स्वतंत्र है न ही किसी के अनुसार चलने वाली है बल्कि वह विरोधी समूहों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। न्यायालय ने इसे आदेश के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़िया संतुलन बनाया। आपकी राय में कौन-सा विचार सही है?
उत्तर:
इन तीनों विचारों में से-
(ख) अंजैया का विचार सही है, न्यायपालिका स्वतंत्र है। सर्वोच्च न्यायालय सरकार के निर्णय को रद्द भी कर सकता है और उसे बदलने का आदेश भी दे सकता है। अतः सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को अपने आदेश में संशोधन करने का आदेश दिया।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यायिक समीक्षा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
न्यायिक समीक्षा उच्चतम न्यायालय की वह शक्ति है जिसके माध्यम से वह विधायिका द्वारा पारित कानून अथवा कार्यपालिका द्वारा की गयी कार्रवाई की समीक्षा यह जानने के लिए कर सकता है कि उक्त कार्रवाई या कानून संविधान के अनुकूल है या प्रतिकूल। यदि न्यायालय को ऐसा लगता है कि कोई कानून अथवा आदेश संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो वह ऐसे कानून या आदेश को रद्द कर सकता है?

प्रश्न 2.
राज्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
राज्य किसी निश्चित क्षेत्र में फैली राजनैतिक इकाई, जिसके पास संगठित सरकार हो और घरेलु तथा विदेशी नीतियों को बनाने का अधिकार हो। सरकारें परिवर्तित हो सकती हैं पर राज्य बना रहता है। बोलचाल की भाषा में देश, राष्ट्र और राज्य को समानार्थी के रूप में प्रयोग किया जाता है। राज्य’ शब्द का एक अन्य प्रयोग किसी देश के अंदर की प्रशासनिक इकाइयों का प्रांतों के लिए भी होता है। इस अर्थ में राजस्थान, झारखण्ड, त्रिपुरा आदि भी राज्य कहे जाते हैं।

प्रश्न 3.
विधायिका से क्या आशय है?
उत्तर:
विधायिका जनप्रतिनिधियों की वह सभी है जिसके पास देश का कानून बनाने की शक्ति होती है। कानून बनाने के अतिरिक्त विधायिका को करों में वृद्धि करने, बजट बनाने और दूसरे वित्त विधेयकों को बनाने का विशेष अधिकार होता है।

प्रश्न 4.
न्यायपालिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक राजनैतिक संस्था जिसके पास न्याय करने एवं कानूनी विवादों के निपटारे का समाधान होता है, उसे न्यायपालिका कहते हैं। देश की सभी अदालतों को न्यायपालिका के नाम से संबोधित किया जाता है।

प्रश्न 5.
सरकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संस्थाओं का ऐसा समूह जिसके पास देश में व्यवस्थित जन-जीवन सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने, लागू करने और उसकी व्याख्या करने का अधिकार होता है। व्यापक अर्थ में सरकार किसी देश के लोगों और संसाधनों को नियंत्रित और उनकी निगरानी करती है।

प्रश्न 6.
कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तियों का ऐसा निकाय जिसके पास देश के संविधान और कानून के आधार पर नीति-निर्माण करने, निर्णय करने और उन्हें क्रियान्वित करने का अधिकार होता है, न्यायपालिका कहते हैं।

प्रश्न 7.
गठबन्धन सरकार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब विधायिका में किसी एक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है तो ऐसी दशा में दो या दो से अधिक राजनीतिक दल आपस में मिलकर जो सरकार बनाते हैं, उसे गठबन्धन सरकार कहते हैं।

प्रश्न 8.
संस्थाओं से क्या आशय है?
उत्तर:
सरकार के विभिन्न कार्यों को करने के लिए देश में अनेक व्यवस्थाएँ की जाती हैं। इन व्यवस्थाओं को ही संस्थाएँ कहते हैं। इन संस्थाओं की संरचना एवं कार्यों का वर्णन संविधान में किया गया होता है।

प्रश्न 9.
संसदीय लोकतंत्र की तीन प्रमुख संस्थाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संसदीय लोकतंत्र की तीन प्रमुख संस्थाएँ-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका होती है। इसमें विधानमंडल कानून बनाता है, कार्यपालिका उन कानूनों को लागू करती है और न्यायपालिका विवादों का समाधान करती है।

प्रश्न 10.
भारत के राष्ट्रपति के कार्यपालिका सम्बन्धी तीन शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की कार्यपालिका सम्बन्धी तीन प्रमुख शक्तियाँ इस प्रकार हैं-

  1. देश का शासन राष्ट्रपति के नाम पर चलाया जाता है।
  2. राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है और उसके परामर्श पर अन्य मंत्रियों को नियुक्त करता है।
  3. राष्ट्रपति राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति करता है।

प्रश्न 11.
संसद से क्या आशय है? संसद के दोनों सदनों का कार्यकाल बताइए।
उत्तर:
सभी लोकतंत्रीय राज्यों में जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की एक संस्था होती है, जो कानूनों का निर्माण करती है।
भारत, इंग्लैण्ड तथा फ्रांस आदि राज्यों में इसे संसद नाम दिया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में इस संस्था को कांग्रेस नाम दिया गया है। लोकसभा के सदस्यों का साधारण कार्यकाल 5 वर्ष है, परंतु राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह उसे इसके पाँच वर्ष पूरे होने से पहले भी भंग कर सकता है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है, उसके सदस्य 6 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। इसके 1/3 सदस्य प्रत्येक दो वर्ष के बाद रिटायर हो जाते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुन लिए जाते हैं।

प्रश्न 12.
लोकसभा एवं विधानसभा की चुनाव प्रक्रिया बताइए।
उत्तर:
लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। पूरे देश को उतने निर्वाचन-क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है जितने कि सदस्य चुने जाने हैं। एक निर्वाचन-क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है। राज्यसभा के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से मनोनीत किए जाते हैं जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा में प्रसिद्धि प्राप्त कर ली है। शेष 238 सदस्य राज्यों की विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।

प्रश्न 13.
राष्ट्रपति किस परिस्थिति में संकटकालीन स्थिति की घोषणा कर सकता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति निम्न तीन स्थितियों में संकटकाल की घोषणा कर सकता है-

  1. युद्ध, विदेशी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह होने की स्थिति में।
  2. किसी राज्य में संवैधानिक मशीनरी के विफल होने की स्थिति में।
  3. देश की वित्तीय स्थिति खराब होने की स्थिति में।

प्रश्न 14.
भारत के प्रधानमंत्री की तीन शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रधानमंत्री की तीन प्रमुख शक्तियाँ इस प्रकार हैं-

  1. प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद् का निर्माण करता है। मंत्रिपरिषद् के सभी सदस्य प्रधानमंत्री की सिफारिश के अनुसार ही राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति किए जाते हैं।
  2. प्रधानमंत्री मंत्रियों के बीच विभागों का विभाजन करता है।
  3. प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठकें बुलाता है तथा उनकी अध्यक्षता करता है।

प्रश्न 15.
राष्ट्रपति की तीन विधायी शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की तीन विधायी शक्तियाँ इस प्रकार हैं-

  1. राष्ट्रपति संसद को अधिवेशन बुला सकता है तथा उसे स्थगित कर सकता है।
  2. राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों द्वारा पास किए गए बिलों को स्वीकृति प्रदान करता है।
  3. राष्ट्रपति को राज्यसभा में 12 सदस्य मनोनीत करने का अधिकार है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतांत्रिक देश में संसद का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की सभी जनता के प्रतिनिधि के रूप में सर्वोच्च राजनैतिक सत्ता का प्रयोग करती है। इस तरह जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रीय सभा को संसद कहते हैं। राज्य स्तर पर इसे विधानसभा कहते हैं।
लोकतांत्रिक देशों में संसद के महत्त्व को हम निम्न रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं-

  1. संसद सरकार के पास उपलब्ध धन को भी नियंत्रित करती है।
  2. संसद देश में सार्वजनिक मुद्दों तथा राष्ट्रीय नीतियों पर परिचर्चा का सर्वोच्च मंच है। यह किसी भी मामले में सूचना की मांग कर सकती है।
  3. संसद देश में कानून बनाने वाली सर्वोच्च सत्ता है। यह वर्तमान कानूनों को बदल/समाप्त कर सकती है अथवा पुराने कानूनों के स्थान पर नए कानून ला सकती है।
  4. संसद का सरकार को चलाने वाले लोगों पर नियंत्रण होता है। संसद के समर्थन के बिना कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता।

प्रश्न 2.
भारत के राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया जाता है। संसद के सभी सदस्य अर्थात् सांसद तथा राज्य विधानसभाओं के सभी सदस्य अर्थात् विधायक उसका चुनाव करते हैं। राष्ट्रपति पद के किसी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए बहुमत प्राप्त करना होता है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि भारत का राष्ट्रपति पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता दिखाई दे।

प्रश्न 3.
लोकसभा वित्तीय मामलों में किन शक्तियों का प्रयोग करती है?
उत्तर:
भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में वित्तीय मामलों में लोकसभा की शक्ति सर्वोच्च है। लोकसभा द्वारा एक बार सरकारी बजट अथवा धन संबंधी कोई कानून पास कर देने के बाद राज्यसभा इसे अस्वीकार नहीं कर सकती। राज्यसभा इसमें केवल 14 दिनों की देरी कर सकती है अथवा इसमें संशोधन का सुझाव दे सकती है। यह लोकसभा का अधिकार है कि वह उन सुझावों को माने या न माने।

प्रश्न 4.
किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति स्वविवेक का प्रयोग कर सकता है?
उत्तर:
लोकसभा के चुनावों में जब कोई राजनीतिक दल अथवा गठबन्धन बहुमत के लिए आवश्यक सीटें जीत लेता है। तो राष्ट्रपति उस दल या गठबन्धन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्ति करता है। लेकिन जब किसी दल अथवा गठबंधन के नेता को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग करता है। तब राष्ट्रपति ऐसे दल अथवा गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जो उसके विचार में लोकसभा में बहुमत प्राप्त कर सकता हो। ऐसे मामले में, राष्ट्रपति नवनियुक्त प्रधानमंत्री को निर्धारित समय सीमा में लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने के लिए कह सकता है।

प्रश्न 5.
धन-विधेयक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
कोई भी विधेयक जब निम्नलिखित विषयों से सम्बन्धित होता है तो उसे धन-विधेयक कहते हैं-

  1. किसी भी धन को भारत की संचित निधि से दिए जाने की घोषणा करना या उसमें से धन खर्च करना।
  2. धन के आय तथा व्यय के बारे में कोई अन्य विषय।
  3. कोई कर लगाना अथवा उसे समाप्त करना।
  4. भारत सरकार द्वारा लिया गया ऋण या उससे संबंधित विषय।
  5. भारत की संचित निधि तथा आकस्मिक निधि की रक्षा तथा उसमें धन डालना अथवा निकालना।

प्रश्न 6.
लोकसभा सदस्य बनने के लिए व्यक्ति में कौन-सी योग्यताएँ होनी चाहिए।
उत्तर:
व्यक्ति को लोकसभा का सदस्य बनाने के लिए व्यक्ति में निम्न योग्यताएँ होनी चाहिए।

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. यदि वह लोकसभा का सदस्य बनना चाहता है, तो वह 25 वर्ष की आयु और राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए 30 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  3. वह भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्य न कर रहा हो।
  4. वह पागल अथवा दिवालिया न हो।
  5. वह किसी गंभीर अपराध में दंडित न किया गया हो।
  6. उसके पास वे सभी योग्यताएँ हों, जो समय-समय पर संसद निश्चित करे।

प्रश्न 7.
राष्ट्रपति को उसके पद से किस तरह हटाया जा सकता है?
उत्तर:
संविधान का उल्लंघन करने और उसकी रक्षा करने में विफल रहने पर राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है। इसके लिए सदन में 1/4 सदस्य हस्ताक्षर सहित 14 दिन का नोटिस दें। उसके पश्चात् सदन उस प्रस्ताव पर विचार करेगा। यदि सदन अपनी । कुल संख्या के बहुमत तथा उपस्थित व मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर दे, तो उसे दूसरे सदन के पास भेज दिया जाता है। यदि दूसरा सदन भी उसी प्रकार से उस प्रस्ताव को पास कर दे, तो महाभियोग प्रस्ताव संसद द्वारा पारित समझा जाएगा और राष्ट्रपति पद से हट जाएगा।

प्रश्न 8.
राष्ट्रपति की योग्यताएँ एवं कार्यकाल बताइए।।
उत्तर:
एक व्यक्ति में भारत का राष्ट्रपति चुने जाने के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  3. वह लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
  4. वह केंद्रीय सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्य न कर रहा हो।
  5. वह संसद अथवा किसी राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए।
  6. सन् 1997 में जारी किए गए अध्यादेश द्वारा इसमें निम्नलिखित दो योग्यताएँ और जोड़ दी गई हैं-
    1. उसे 15,000 जमानत के रूप में जमा करवाने होंगे।
    2. राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार का नाम निर्वाचक-मंडल के कम-से-कम 50 सदस्यों द्वारा प्रस्तावित तथा अन्य 50 सदस्यों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए।

कार्यकाल – राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष निश्चित किया गया है, परंतु संसद महाभियोग द्वारा उसे इस कार्यकाल के समाप्त होने से पहले भी पद से हटा सकती है।

प्रश्न 9.
‘अविश्वास प्रस्ताव’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
कोई भी मंत्रिपरिषद् तभी तक अपने पद पर बनी रह सकती है, जब तक उसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त रहता है। विपक्षी दल जब यह अनुभव करें कि सरकार की नीतियाँ ठीक नहीं हैं या सरकार अपना कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर रही है, तो वह संसद में सरकार के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पेश करते हैं। इस प्रस्ताव पर संसद में वाद-विवाद किया जाता है और फिर उस पर मतदान कराया जाता है। यदि सदस्यों का बहुमत अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करता है तो सरकार (मंत्रिपरिषद्) को अपना त्याग-पत्र देना पड़ता है। यदि संसद में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मत प्राप्त नहीं होते, तो वह रद्द हो जाता है और सरकार पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 10.
क्या भारत का राष्ट्रपति संकटकालीन शक्तियों का प्रयोग करके तानाशाह बन सकता है? अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
यह सत्य है कि राष्ट्रपति को अनेक संकटकालीन शक्तियाँ प्राप्त हैं किन्तु उसके ऊपर अनेक लोकतांत्रिक प्रतिबन्ध भी हैं जिससे वह तानाशाह नहीं बन सकता है।
इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. यदि राष्ट्रपति अपनी शक्तियों को दुरुपयोग करता है, तो सांसद उसके विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव पास करके उसे पद से हटा सकती है।
  2. राष्ट्रपति संकटकालीन स्थिति की घोषणा तभी कर सकता है, जब मंत्रिमंडल लिखित रूप में उसे ऐसा करने का परामर्श दे।
  3. राष्ट्रपति की घोषणा पर एक महीने के अंदर संसद की स्वीकृति लेनी पड़ती है।

प्रश्न 11.
लोकसभा और राज्यसभा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोकसभा और राज्यसभा में अंतर-

लोकसभा राज्यसभा
1. धन संबंधी बिल केवल लोकसभा में पेश किए जा सकते हैं। यह लोकसभा ही है जो देश का प्रशासन चलाने के लिए धन प्रदान करती है। 1. राज्यसभा के पास धन संबंधी मामलों में अधिक शक्ति प्राप्त नहीं है।
2. लोकसभा राज्यसभा की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है। 2. लोकसभा की अपेक्षा राज्यसभा कम शक्तिशाली है।
3. लोकसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते है। 3. राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
4. प्रत्येक लोकसभा को सामान्य कार्यकाल 5 वर्ष होता है। 5 वर्ष के बाद निर्वाचित किए गए सभी सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। लोकसभा भंग हो जाती है। 4. राज्यसभा एक स्थायी निकाय है। यह कभी भंग नहीं होता किन्तु इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
 5. लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या  552  है। 5. राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 250 से अधिक नहीं होती।

प्रश्न 12.
न्यायपालिका भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा किस तरह करती है?
उत्तर:
भारतीय संविधान द्वारा भारत के नागरिकों को प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों की सुरक्षा का उत्तरदायित्व भारत के सर्वोच्च न्यायालय को दिया गया है। यदि सरकार नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनती है या कोई नागरिक किसी दूसरे नागरिक को उसके मौलिक अधिकारों का प्रयोग स्वतंत्रतापूर्वक नहीं करने देता, तो वह नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ‘संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। इन संवैधानिक उपचारों में बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा तथा उत्प्रेषण लेख आदि का प्रयोग नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए किया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संसद तथा इसके दोनों सदनों के बारे में संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की सभी जनता की ओर से सर्वोच्च राजनैतिक सत्ता को प्रयोग करती है। भारत में इस तरह की निर्वाचित राष्ट्रीय सभा को संसद कहते हैं। इसके दो सदन हैं-लोकसभा (निम्न सदन) और राज्यसभा (उच्च सदन)।
देश में कानून बनाने वाली सर्वोच्च सत्ता संसद है। संसद वर्तमान कानूनों को परिवर्तित यो समाप्त कर सकती है अथवा पुराने कानूनों के स्थान पर नए कानून बना सकती है। संसद का सरकार को चलाने वाले लोगों पर नियंत्रण होता है। संसद् के समर्थन के बिना कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता। संसद सरकार के पास उपलब्ध धन को भी नियंत्रित करती है। संसद देश में सार्वजनिक मुद्दों तथा राष्ट्रीय नीतियों पर परिचर्चा का सर्वोच्च मंच है। यह किसी भी मामले में सूचना की माँग कर सकती है। हमारे देश में संसद दो सदनों से मिलकर बनी है-राज्यसभा तथा लोकसभा। हमारा संविधान राज्यसभा को राज्यों पर कुछ विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है। किन्तु अधिकतम मामलों में लोकसभा के पास सर्वोच्च शक्ति है।

लोकसभा – यह लोगों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुनी जाती है तथा लोगों की ओर से लोकसभा वास्तविक शक्ति का प्रयोग करती है। लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 है जिनमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों से तथा 20 सदस्य संघ शासित क्षेत्रों से चुने जाते हैं। राष्ट्रपति लोकसभा में 2 सदस्य आंग्ल-भारतीय समुदाय से मनोनीत करते हैं। लोकसभा सदस्यों की वर्तमान संख्या 545 है। लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। आपात स्थिति में लोकसभा के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

राज्यसभा – राज्यसभा के सदस्य परोक्ष रूप से विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं। दूसरे सदन का सर्वाधिक सामान्य काम विभिन्न राज्यों, क्षेत्रों और संघीय इकाइयों के हितों की निगरानी करना होता है। इसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 होती है। राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, कला, विज्ञान एवं समाज सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेष उपलब्धि प्राप्त करने वाले लोगों में से नामित किए जाते हैं। राज्यसभा स्थायी सदन है। यह कभी भंग नहीं होती अपितु इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं। वर्तमान में राज्यसभा के 245 सदस्य हैं जो विभिन्न राज्यों तथा संघ शासित क्षेत्रों से चुने गए हैं।

प्रश्न 2.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं शक्तियों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
देश में विद्यमान विभिन्न स्तरों के समस्त न्यायालयों को सामूहिक रूप से न्यायपालिका कहते हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता से आशय यह है कि यह विधायिका एवं कार्यपालिका के नियंत्रण से मुक्त है। इसीलिए न्यायपालिका को सभी लोकतांत्रिक देशों में विशेष महत्त्व दिया गया है। भारतीय न्यायपालिका पूरे देश के लिए सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों में उच्च न्यायालयों, जिला न्यायालयों तथा स्थानीय न्यायालयों से मिलकर बनी है। भारतीय न्यायपालिका पूरे विश्व में सबसे अधिक शक्तिशाली है।
भारत की न्यायपालिका एकीकृत है। इसका अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय पूरे देश में न्यायिक प्रशासन को नियंत्रित करता है। वह इनमें से किसी भी विवाद की सुनवाई कर सकता है।

  1. देश के नागरिकों के बीच;
  2. नागरिकों एवं सरकार के बीच;
  3. दो या इससे अधिक राज्य सरकारों के बीच;
  4. केन्द्र और राज्य सरकार के बीच।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ है कि यह विधायिका अथवा कार्यपालिका के नियंत्रण से मुक्त है। न्यायाधीश सरकार के निर्देशों या सत्ताधारी दलों की इच्छा के अनुसार काम नहीं करते। यही कारण है कि सभी आधुनिक लोकतंत्रों में अदालतें, विधायिका और कार्यपालिका के नियंत्रण से मुक्त होती हैं। सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों को देश के संविधान की व्याख्या करने का अधिकार है। अगर उसे लगता है कि विधायिका का कोई कानून अथवा कार्यपालिका की कोई कार्रवाई संविधान के विरुद्ध है तो यह उसे केन्द्र अथवा राज्य स्तर पर अमान्य घोषित कर सकती है। इस प्रकार जब इसके सामने किसी कानून या कार्यपालिका की कार्रवाई को चुनौती मिलती है तो वह उसकी संवैधानिक वैधता तय करती है।

इसे न्यायिक समीक्षा के नाम से जाना जाता है। न्यायिक समीक्षा सर्वोच्च न्यायालय की वह शक्ति है जिसके द्वारा वह विधायिका द्वारा पारित कानून अथवा कार्यपालिका द्वारा की गई कार्रवाई को यह जानने के लिए प्रयोग कर सकती है कि उक्त कानून या कार्रवाई संविधान द्वारा निषिद्ध है अथवा नहीं। यदि न्यायालय यह पाता है कि कोई कानून अथवा आदेश संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो यह ऐसे कानून या आदेश को अमान्य घोषित कर सकता है।

प्रश्न 3.
लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा द्वारा अपने सदस्यों में से किया जाता है। इसे १ 4,00,000 प्रतिमाह वेतन दिया जाता है।
लोकसभा अध्यक्ष के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं-

  1. वह लोकसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा सदन में शांति और व्यवस्था बनाए रखने का कार्य करता है।
  2. यदि कोई सदस्य सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करता है अथवा सदन में अनुचित शब्दों का प्रयोग करता है तो स्पीकर उसके विरुद्ध कार्यवाही कर सकता है। वह उसे सदन से बाहर जाने के लिए कह सकता है।
  3. वह सदस्यों के लिए निवास तथा अन्य सुविधाओं की व्यवस्था करता है।
  4. लोकसभा जब किसी बिल को पास कर देती है, तो वह स्पीकर के हस्ताक्षरों के बाद ही राज्यसभा अथवा राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।
  5. सदन की बैठक में गड़बड़ होने की स्थिति में वह सदन की बैठक स्थगित कर सकता है।
  6. सदन की विभिन्न समितियों की नियुक्तियों में स्पीकर का महत्त्वपूर्ण हाथ होता है।
  7. यदि किसी बिल के बारे में यह मतभेद उत्पन्न हो जाए कि वह बिल वित्त-बिल है अथवा नहीं, तो उस संबंध में स्पीकर द्वारा किया गया निर्णय ही अंतिम माना जाएगा।
  8. वह सदन में सदस्यों को बोलने की आज्ञा देता है।
  9. सदन में जब किसी बिल पर वाद-विवाद समाप्त हो जाता है, तो वह उस पर मतदान करवाता है, मतों की गिनती करवाता है तथा परिणाम घोषित करता है।
  10. साधारणतः स्पीकर सदन में मतदान में भाग नहीं लेता, परंतु किसी बिल पर समान मत पड़ने की स्थिति में वह निर्णायक मत दे सकता है।
  11. स्पीकर सदन के नेता की सलाह से सदन का कार्यक्रम निर्धारित करता है।
  12. वह लोकसभा के सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करता है।
  13. वह राष्ट्रपति तथा सदन के बीच कड़ी का काम करता है।
  14. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता भी स्पीकर करता है।
  15. स्पीकर ही इस बात का निर्णय करता है कि सदन की गणपूर्ति के लिए आवश्यक सदस्य उपस्थित हैं अथवा नहीं।

प्रश्न 4.
प्रधानमंत्री की शक्तियाँ एवं कार्यों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
प्रधानमंत्री की मुख्य शक्तियाँ एवं कार्यों का विवरण इस प्रकार है-

  1. मंत्रिपरिषद का निर्माण करना – प्रधानमंत्री का मुख्य कार्य मंत्रिपरिषद् का निर्माण करना है, प्रधानमंत्री मंत्रियों की सूची तैयार करता है और राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत करता है। राष्ट्रपति इस सूची के अनुसार ही मंत्रियों को नियुक्त करता है। प्रधानमंत्री ही विभिन्न मंत्रियों के बीच विभागों का बँटवारा करता है।
  2. मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता – प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठकें बुलाता है तथा उनकी अध्यक्षता करता है। इन बैठकों का कार्यक्रम भी प्रधानमंत्री द्वारा तैयार किया जाता है।
  3. मंत्रियों को हटाना – यदि कोई मंत्री प्रधानमंत्री की नीति से असहमत होता है, तो प्रधानमंत्री उसे त्याग-पत्र देने के लिए कह सकता है। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से कहकर उसे पद से हटवा सकता
  4. संसद का नेता – प्रधानमंत्री के परामर्श के अनुसार ही राष्ट्रपति द्वारा संसद का अधिवेशन बुलाया जाता है तथा स्थगित किया जाता है। संसद में सरकार की ओर से सभी महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ प्रधानमंत्री द्वारा ही की जाती हैं।
  5. नीति आयोग का अध्यक्ष (पूर्व में योजना आयोग) – प्रधानमंत्री नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग), जो देश के आर्थिक विकास के लिए नीतियों का निर्माण करता है, का अध्यक्ष होता है।
  6. राष्ट्र का नेता – प्रधानमंत्री राष्ट्र का भी नेता है। जब देश पर किसी भी प्रकार का कोई संकट आता है, तो समस्त देश प्रधानमंत्री की ओर देखता है। प्रधानमंत्री से ही यह आशा की जाती है कि वह देश को उस संकट से मुक्ति दिलाएगा। इस प्रकार प्रधानमंत्री ही देश का वास्तविक शासक होता है।
  7. राष्ट्रपति तथा मंत्रिमंडल के बीच कड़ी – प्रधानमंत्री राष्ट्रपति तथा मंत्रिमंडल के बीच कड़ी का काम करता है। वह राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में सूचित करता है तथा राष्ट्रपति की बात को मंत्रिमंडल के पास पहुँचाता है। मंत्री प्रधानमंत्री की पूर्व स्वीकृति से ही राष्ट्रपति से मिल सकते हैं।
  8. नीति निर्धारण करना – देश की आंतरिक तथा बाहरी (विदेश) नीति के निर्धारण में प्रधानमंत्री बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  9. नियुक्तियाँ – राष्ट्रपति सभी उच्च सरकारी पदों पर नियुक्तियाँ प्रधानमंत्री के परामर्श के अनुसार ही करता है।
  10. राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार – प्रधानमंत्री राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। राष्ट्रपति अपने सभी कार्य प्रधानमंत्री के परामर्श के अनुसार ही करता है।

प्रश्न 5.
राष्ट्रपति की शक्तियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की प्रमुख शक्तियों का विवरण इस प्रकार हैं-

  1. सभी प्रमुख नियुक्तियाँ राष्ट्रपति के नाम से की जाती हैं। इनमें भारत के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, राज्यों के राज्यपालों, चुनाव आयुक्तों और अन्य देशों में राजदूतों की नियुक्तियाँ शामिल हैं किन्तु राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग केवल मंत्रीमंडल की सलाह से करता है।
  2. सभी अंतर्राष्ट्रीय समझौते तथा संधियाँ उसी के नाम पर किए जाते हैं।
  3. वह भारत के रक्षा बलों का सुप्रीम कमांडर होता है।
  4. राष्ट्रपति देश का मुखिया होता है।
  5. वह केवल नाममात्र की शक्तियों का प्रयोग करता है। वह ब्रिटेन की महारानी के समान है जिसके कार्य अधिकतर आलंकारिक होते हैं।
  6. वह देश की सभी राजनैतिक संस्थाओं के कार्य की निगरानी करता है।
  7. सरकार के सभी क्रियाकलाप राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं।
  8. सरकार के सभी कानून तथा प्रमुख नीतिगत निर्णय राष्ट्रपति के नाम जारी किए जाते हैं।

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