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अभिप्रेरणा एवं अधिगम | Motivation and Learning

अभिप्रेरणा एवं अधिगम | Motivation and Learning

अभिप्रेरणा एवं अधिगम
                                 Motivation and Learning
CTET परीक्षा के विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण करने से यह
ज्ञात होता है कि इस अध्याय से वर्ष 2011 में 2 प्रश्न, 2012 में 1 प्रश्न,
2013 में 1 प्रश्न, 2014 में 5 प्रश्न, तथा 2015, 2016 में 2 प्रश्न पूछे
गए हैं। इस अध्याय से शिक्षा के क्षेत्र में अधिगम का महत्व तथा शिक्षकों
के लिए अभिप्रेरणा का महत्त्व आदि भाग से प्रश्न पूछे गये हैं।
21.1 अभिप्रेरणा
अभिप्रेरणा (Motivation) का शाब्दिक अर्थ होता है किसी कार्य को करने की इच्छा
शक्ति का होना। अभिप्रेरणा वह आन्तरिक शक्ति है जो उनके उद्दीपन (Stimulus) का
परिणाम होती है, जिसके माध्यम से बालक निश्चित व्यवहार की दिशा में सक्रिय तथा
नियन्त्रित होता है, यह हमेशा सीखने के लिए छात्रों में उत्सुकता (Curiosity) उत्पन्न
कर उसे निरन्तर क्रियाशील बनाए रखती है इसलिए बी. एफ स्किनर ने अभिप्रेरणा को
सीखने का राजमार्ग बताया है। यह व्यक्ति के समग्र विकास एवं सफलता प्राप्त करने का
महत्त्वपूर्ण स्रोत है। अभिप्रेरणा सामान्यतः किसी आवश्यकता से प्रारम्भ होती है तथा
लक्ष्य प्राप्ति के उपरान्त समाप्त हो जाती है। अभिप्रेरणा के अर्थ को स्पष्ट करने हेतु
मनोवैज्ञानिकों द्वारा कुछ परिभाषाएँ दी गई हैं, जो इस प्रकार हैं
गुड के अनुसार, “क्रिया को उत्तेजित करने, नियन्त्रित करने तथा नियन्त्रित रखने की
प्रक्रिया को अभिप्रेरणा कहते हैं।”
बर्नार्ड के अनुसार, “जिस लक्ष्य के प्रति पहले कोई आकर्षण नहीं था, उस लक्ष्य
के प्रति कार्य की उत्तेजना ही अभिप्रेरणा है।”
वुडवर्थ के अनुसार, “प्रेरक व्यक्ति की वह स्थिति है जो उसे निर्धारित व्यवहार
करने हेतु तथा निर्धारित उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु उत्तेजित करती है।”
अभिप्रेरणा के अन्य महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त
सिद्धान्त                                  सिद्धान्त के प्रतिपादक
मूल प्रवृत्ति का सिद्धान्त              मैक्डूगल
मनोविश्लेषण का सिद्धान्त          सिगमण्ड फ्रायड
अन्तर्नाद का सिद्धान्त                हल
प्रोत्साहन का सिद्धान्त               बोल्स तथा कॉफमैन
शरीर क्रिया का सिद्धान्त            मॉर्गन
अधिगम सिद्धान्त                     कर्ट लेविन
21.1.1 अभिप्रेरणा की संकल्पना
• मानव व्यवहार को निर्देशित करने में अभिप्रेरणा का महत्त्वपूर्ण
स्थान है।
• अभिप्रेरणा की अनेक विशेषताएँ हैं। सर्वप्रथम यह हमें अपने
निर्धारित उद्देश्यों तक पहुँचने के लिए प्रेरित करती है तथा अपर
उद्देश्यों तक पहुँचने के लिए हमे अभिप्रेरित और क्रियाशील
रखती है।
• अभिप्रेरणा की कमी हमें शिथिल (कमजोर) और विचलित
अनुभव कराएगी और अधिक अभिप्रेरणा हमें अपने उद्देश्य से
भटका देगी। इस प्रकार हमें एक सन्तुलित प्रेरणा या संयमित स्तर
पर उत्तेजना की आवश्यकता होती है।
• दूसरी ओर हम कुछ बाह्य उद्दीपनों; जैसे―रुपए, अच्छे अंक,
भोजन आदि को प्राप्त करने वाली उत्तेजनाएँ मानकर एक विशिष्ट
प्रकार का व्यवहार करने के लिए प्रेरित होते हैं। क्योकि ये
उत्तेजनाएँ व्यक्ति को उद्देश्यपूर्ण करने को प्रेरित करती हैं।
• अभिप्रेरणा व्यक्ति के विचारों और आकांक्षाओं का परिणाम है।
यह दो प्रकार की हो सकती है- स्वाभाविक अभिप्रेरणा जो
व्यक्ति में अन्दर से आती है, और यह किसी कार्य को करने से
प्राप्त हुई प्रसन्नता पर निर्भर करती है तथा बाह्य अभिप्रेरणा जोकि
बाहरी पुरस्कारों; जैसे-रुपए, वेतन और प्राप्तांकों आदि पर निर्भर
करती है।
• जब हम मेहनत से कार्य करते हैं और उच्च श्रेणी का परिणाम
पाते हैं, तब प्रेरणा आन्तरिक होती है बाह्य नहीं।
• हम बाह्य पुरस्कारों से भी प्रभावित होते हैं। जीवन में दोनों प्रकार
की अभिप्रेरणाएँ महत्त्वपूर्ण हैं।
• आवश्यक अभिप्रेरणाओं को इस प्रकार क्रमबद्ध किया जा सकता
है। अन्ततः अभिप्रेरक आवश्यकताओं को क्रमबद्ध करते हैं;
जैसे―मूल प्रेरक, भूख और प्यास जिन्हें सबसे पहले सन्तुष्ट
करना आवश्यक है।
• तत्पश्चात् उच्चकोटि की आवश्यकताएँ, जैसे- उपलब्धि, सन्तुष्टि,
शक्ति आदि का क्रम आता है।
21.1.2 अभिप्रेरणा के प्रकार
अभिप्रेरणा के दो प्रकार होते हैं
1. आन्तरिक अभिप्रेरणा (Internal Motivation) वे
आन्तरिक शक्तियाँ, जो व्यक्ति के व्यवहार को उत्तेजित करती
है, आन्तरिक अभिप्रेरणा कहलाती हैं। भूख, प्यास, नींद, प्यार
तथा काम इसी का उदाहरण है।
2. बाह्य अभिप्रेरणा (External Motivation) पहले से
निर्धारित कोई ऐसा उद्देश्य जिसे प्राप्त करना व्यक्ति का
उद्देश्य हो, बाह्य अभिप्रेरणा कहलाती है। रुचि, इच्छा,
आत्मसम्मान, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं विशेष उपलब्धि,
सत्ताप्रेरक तथा पुरस्कार इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
21.1.3 अभिप्रेरणा की विशेषताएँ
नोवैज्ञानिको ने अभिप्रेरणा की निम्नलिखित विशेषताएं बताई हैं, जो इस
प्रकार हैं
• अभिप्रेरणा गतिशीलता/क्रियाशीलता की प्रतीक होती है। भावनात्मक प्रदर्शन
के द्वारा छात्रों को अभिप्रेरित करने के लिए अध्यापक इस विधि का प्रयोग
करता है। किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए अभिप्रेरणा एक स्रोत है।
• समान्यतया अभिप्रेरणा व्यक्ति के व्यवहार को उत्तेजित करती है।
अभिप्रेरित व्यवहार अर्जित तथा जाग्रत होता है। यह किसी क्रिया को
उत्तेजित रखने, निरन्तरता बनाए रखने एवं नियन्त्रित रखने की प्रक्रिया है।
• अभिप्रेरणा किसी कार्य को करने के लिए ऊर्जा (Energy) प्रदान
करती है।
                            प्रेरणा (Motivation) के तत्त्व
प्रेरणा दो प्रकार की होती है, सकारात्मक और नकारात्मक।
सकारात्मक प्रेरणा (Positive Motivation) इस प्रेरणा में बालक किसी कार्य
को अपनी स्वयं की इच्छा से करता है। इस कार्य को करने से उसे सुख और
सन्तोष प्राप्त होता है।
नकारात्मक प्रेरणा (Negative Motivation) इस प्रेरणा में बालक किसी कार्य
को अपनी स्वयं की इच्छा से न करके, किसी दूसरे की इच्छा या बाह्य प्रभाव
के कारण करता है। इस प्रकार को करने से उसे किसी वांछनीय या निश्चित
लक्ष्य की प्राप्ति होती है।
21.2 आवश्यकता-पदानुक्रम सिद्धान्त
मनोवैज्ञानिक अब्राहम मास्लो ने आवश्यकता-पदानुक्रम सिद्धान्त (Hierarchy
Theory of Needs) का प्रतिपादन किया, जिसे मास्लो की आठ
विकासात्मक अवस्था प्रतिमान के नाम से भी जाना जाता है। आरम्भ में
मॉस्लो ने पाँच विकासात्मक मॉडल दिया तथा कालांतर (बाद में) में उसने
तीन मॉडल और जोड़ दिए।
मास्लो के अनुसार, आवश्यकताओं के कई स्तर होते हैं, जिन्हें व्यक्तिगत
पूर्णता के उच्चतम स्तर तक पहुंचने के लिए एक व्यक्ति को पूरा करने का
प्रत्यन्त करना पड़ता है। इस प्रकार एक व्यक्ति को सबसे निचले स्तर पर
अपनी प्राथमिक (शारीरिक) आवश्यकताओं को पूरा करने योग्य होना
चाहिए। जब एक बार ये आवश्यकताएं पूरी हो जाती है तब सुरक्षा महत्त्वपूर्ण
हो जाती है। तत्पश्चात् किसी से जुड़े होने की आवश्यकता और स्नेह करने
और स्नेह करवाने की आवश्यकता आती है।
• किसी समूह से जुड़े होने की इच्छा, जैसे―परिवार, मित्र और धार्मिक
संगठन, हमें स्नेह किए जाने का और दूसरों द्वारा स्वीकार किए जाने का
अनुभव कराते हैं। जब हम ऊपर दी गई आवश्यकताओं की सफलता से
सन्तुष्ट होते हैं तब हम आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास और आत्म-मूल्य
जैसी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहते हैं।
• अन्य आवश्यकता ज्ञान और अनुभव सम्बन्धी आवश्यकताएँ हैं, जो अपने
ज्ञान और समझ को समाहित करती हैं। तत्पश्चात् आज्ञा और सुन्दरता की
आवश्यकता आती है। अन्ततः एक व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच
जाता है जिसे हम आत्मसिद्धि कहते हैं। इस प्रकार के व्यक्ति में आत्मज्ञान
की विशेषताएं होती हैं,ऐसा व्यक्ति समाज के प्रति जिम्मेदार होता है और
जीवन की सभी चुनौतियों के लिए तैयार होता है।
• आवश्यकताओं की उपरोक्त सूची को पदानुक्रम या शृंखलाओं की पंक्ति
कहते है।
ph
             मास्लो द्वारा प्रतिपादित आवश्यकताओं का पदानुक्रम
• जैसे-जैसे जीवन बीतता है व्यक्ति समझदारी और ज्ञान प्राप्त करता जाता है
और वह सीखता है कि कैसे परिस्थितियों का सामना करे। इस प्रकार वह
पदानुक्रम या सीढ़ी पर ऊपर की ओर चढ़ता जाता है।
• व्यक्ति किस परिस्थिति का सामना कर रहा है? यह प्रश्न इस बात का
निर्धारण करता है कि व्यक्ति पदानुक्रम पर ऊपर चढ़ता है या नीचे
आता है।
• यह पदानुक्रम बहुत-सी संस्कृतियों के लिए सत्य नहीं है। यह गया है
कि कुछ देशों; जैसे- स्वीडन और नार्वे में उच्च जीवन शैली बहुत
महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है और आत्मसिद्धि से ज्यादा सामाजिक
आवश्यकताएँ महत्त्वपूर्ण हैं।
• कुछ संस्कृतियों में आत्मसिद्धि की आवश्यकता से सुरक्षा की आवश्यकता
ज्यादा प्रबल है इसी तरह काम की सन्तुष्टि से ज्यादा नौकरी की सुरक्षा का
महत्त्व है।
21.3 मूल आवश्यकताओं पर संस्कृति एवं पर्यावरण का प्रभाव
हमारी शारीरिक आवश्यकताएँ; जैसे-भूख, प्यास आदि पर्यावरण के कारकों
से प्रभावित हैं। हमारे रक्त में शर्करा की मात्रा होने के कारण तथा अन्य
कारणों से भी भूख लगती है।
पर्यावरण के निम्नलिखित कारकों का प्रभाव भूख और खाने की प्रकृति पर
पड़ता है
• मूल आवश्यकताओं पर संस्कृति का व्यापक प्रभाव पड़ता है। यहाँ मूल
आवश्यकता का अर्थ है भोजन, वस्त्र एवं आवास
• संस्कृति का खान-पान पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, जिस प्रकार की हमारी
संस्कृति होगी हमारा रहन-सहन का स्तर, वेश-भूषा वैसी ही होगी।
उदाहरणस्वरूप आदिवासी समुदाय जगलों में रहते है, फूस के मकान में
रहते हैं। अपने जीविकोपार्जन हेतु जंगली उत्पाद पर निर्भर रहते है, उनका
समाज, धर्म …………. सभी दूसरे से अलग होता है अर्थात् उनके जीवन में
संस्कृति का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
• भूल आवश्यकताओं पर पर्यावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है।
• यहाँ पर्यावरण के अन्तर्गत परिवार, समाज, पास-पड़ोस, विद्यालय इत्यादि
आता है। इन सभी पर्यावरणीय कारकों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर
पड़ता है।
• व्यक्ति अपने आस-पास के पर्यावरण से सम्मान की आकांक्षा, प्रतिष्ठा
की आकांक्षा रखता है। जो व्यक्ति या विद्यार्थी अपने आस-पास के
पर्यावरण में मुखर व्यक्तित्व का होता है उसमें नेतृत्व का गुण धीरे-धीरे
विकसित हो जाता है तथा आस-पास के पर्यावरण में उसकी भूमिका बढ़
जाती है।
गौण आवश्यकताएँ
• मनोवैज्ञानिक व सामाजिक अभिप्रेरक हमें गौण आवश्यकताओं
(Secondary Requirements) की ओर अग्रसर करते हैं। यह सामाजिक
अभिप्रेरक इसलिए हैं, क्योंकि यह एक सामाजिक समूह में सीखे जाते हैं।
खासकर एक परिवार में जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते है और वे दूसरों के
साथ संवाद करते है तब वे कुछ विशिष्ट आवश्यकताएँ ग्रहण करते है
जोकि एक सामूहिक परिवेश में पूरी होती है। जैसे कि उपलब्धि की
अभिप्रेरणा बच्चे को अपने माता-पिता, या आदर्शों से मिलती है एवं
बालक सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव के द्वारा भी उपलब्धि ग्रहण करते हैं।
कुछ सामान्य सामाजिक उद्देश्य है
– उपलब्धि
– सम्बन्ध
– शक्ति
– पालन-पोषण
– आक्रामकता
– जिज्ञासा
• सामाजिक अभिप्रेरकों के प्रकार और उनकी शक्ति हर व्यक्ति के लिए
भिन्न-भिन्न होते हैं। उदाहरण के लिए आपको सम्बन्धन और उपलब्धि
की अधिक आवश्यकता है। जबकि आपके मित्र को उपलब्धि की सामान्य
और सम्बन्धन की निम्न स्तर की आवश्यकता है या आपको सम्बन्धन
की अधिक आवश्यकता है और जिज्ञासा अधिक महत्त्वपूर्ण अभिप्रेरक है।
• हम आवश्यकताओं को तीन प्राथमिक प्रकारों में बाँट सकते हैं। अस्तित्व
सम्बन्धी आवश्यकता जिसमें जीवित रहने के लिए सभी जरूरी प्राथमिक
आवश्यकताएं शामिल होती हैं।
• सम्बन्धों से सम्बन्धी आवश्यकताओं में सुरक्षा, जुड़ाव, सम्मान दूसरे
सामाजिक सम्बन्धों सम्बन्धी आवश्यकताएँ सम्मिलित होती है और प्रगति
की आवश्यकताओं में उन तथ्यों को शामिल किया जाता है जिसमें
व्यक्तियों को उनके पूरे सामर्थ्य के अनुसार विकसित होने में सहायता
करता है।
21.4 प्रेरणा देने वाले घटक
प्रेरणा देने वाले घटक (Inspiration Factors) निम्न हैं
उत्तेजना
किसी कार्य को करने की तीव्र अभिलाषा उत्तेजना (Stimulus) कहलाती है।
डोनाल्ड हैब के अनुसार, “उत्तेजना अथवा जागरूकता शक्ति प्रदान
करती है, लेकिन दिशा-निर्देश प्रदान नहीं करती। यह एक इंजन के
समान है लेकिन उसका मार्ग परिवर्तित करने वाला साधन नहीं।”
उत्तेजना निम्न, मध्य एवं उच्च हो सकती है।
आकांक्षा
आकांक्षा (Ambitious) का उत्तेजना स्तर से सीथा सम्बन्ध है। हम उस स्थिति
में उत्तेजित हो उठते हैं जब हम देखते कुछ है और देखना कुछ और चाहते हैं।
प्रोत्साहन
प्रोत्साहन (Encourage) लक्ष्य तक पहुँचने के साथन होते हैं। इनका स्वरूप
पुरस्कार के रूप में भी हो सकता है और संकेत के रूप में भी। स्किनर के
अनुसार, “पुनर्बलन ही प्रोत्साहन है, अर्थात् धनात्मक तथा ऋणात्मक पुनर्बलन ही
प्रोत्साहन का काम करते हैं।”
दण्ड
दण्ड (Punishment) एक उद्दीपन के समान है, जिससे व्यक्ति बचने का
प्रयास करता है अथवा उससे दूर भागना चाहता है। बोम्पस स्मिथ के अनुसार,
“विद्यालयी दण्ड प्रतिशोध नहीं होता है। इसका उद्देश्य प्रशिक्षण है, सर्वप्रथम
अपराधी का प्रशिक्षणा दूसरे, उसके अवलोकन से अन्य बालकों का प्रशिक्षण।
साथ ही, ठसे तथा दूसरों को पुनः अपराध करने से बचाना है।”
सीखने में प्रेरणा का स्थान
सीखने में प्रेरणा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है, जिसका विवरण निम्न
प्रकार है
1. बाल-व्यवहार में परिवर्तन (Changing in Child Behaviour)
शिक्षक प्रशंसा, निन्दा, पुरस्कार भर्त्सना आदि कृत्रिम प्रेरकों का
बुद्धिमानी से प्रयोग करके बालकों के व्यवहार को निर्देशित और
परिवर्तित कर सकता है।
2. चरित्र-निर्माण में सहायता (Help in Character Build
up) शिक्षक, बालको को उत्तम गुणों और आदर्शों को प्राप्त करने के
लिए प्रेरित कर सकता है। इस प्रकार, वह उनके चरित्र निर्माण में
सहायता दे सकता है।
3. ध्यान केन्द्रित करने में सहायता (Help in Attention
Concentration) क्रो एवं क्रो के अनुसार, “शिक्षक, बालकों को प्रेरित
करके उन्हें अपने ध्यान को पाठ्य-विषय पर केन्द्रित करने में सहायता दे
सकता है।”
4. मानसिक विकास (Mental Development) क्रो एवं क्रो के
अनुसार, “प्रेरक, छात्रों को अपनी सीखने की क्रियाओं में प्रोत्साहन देते
हैं।” अत: शिक्षक, प्रेरकों का प्रयोग करके छात्रों को ज्ञान का अर्जन
करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। इस प्रकार, वह उनके मानसिक
विकास में अपूर्व योगदान दे सकता है।
5. रुचि का विकास (Development of Interest) थॉमसन के
अनुसार, “प्रेरणा, छात्र में रचि उत्पन्न करने की कला है।”अतः
शिक्षक, प्रेरणा का प्रयोग करके बालकों में कार्य या अध्ययन के प्रति
रुचि का विकास कर सकता है। इस प्रकार, वह उनके लिए ज्ञान प्राप्त
करने का कार्य सरल बना सकता है।
6. अनुशासन की भावना का विकास (Development of Sense of
Discipline) शिक्षक, बालकों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित कर
सकता है। इस प्रकार, यह उनमें अनुशासन की भावना का विकास करके
अनुशासनहीनता की समस्या का समाधान कर सकता है।
21.5 अधिगम
सो कार्य को सोच विचार कर करना तथा एक निश्चित परिणाम तक
पहुँचना ही अधिगम है।
गिलफोर्ड के अनुसार, “सीखना व्यवहार के फलस्वरूप व्यवहार में
कोई भी परिवर्तन है।’
क्रो एवं क्रो के अनुसार, “ज्ञान एवं अभिवृत्ति की प्राप्ति ही सीखना
है।”
स्किनर के अनुसार, “व्यवहार के अर्जन में उन्नति की प्रक्रिया को
सीखना कहते है।”
अधिगम निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है तथा सीखना विकास की प्रक्रिया
का एक माध्यम है।
– सीखना एक परिवर्तन है।
– सीखना सार्वभौमिक है।
– सीखना उद्देश्यपूर्ण है, अर्थात् इसके अभाव में व्यक्ति नहीं सीख
सकता।
– सीखना अनुभवों का संगठन है।
– सीखना नवीन कार्य करना है।
– सीखना खोज करना है, मर्सेल के अनुरूप, “सीखना उस बात को
खोजने व जानने का कार्य है, जिसे एक व्यक्ति खोजना एवं जानना
चाहता है।”
21.5.1 अधिगम में अभिप्रेरणा का महत्त्व
अभिप्रेरणा अध्यापक एवं छात्र दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है, अधिगम में
अभिप्रेरणा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिससे छात्रों की कार्यकुशलता में
वृद्धि होती है इसके विभिन्न बिन्दु इस प्रकार हैं
• अभिप्रेरणा छात्रों में उत्सुकता या जिज्ञासा उत्पन्न करती है।
• यह छात्रों को कार्य के लिए आन्तरिक ऊर्जा प्रदान करती है तथा
निरन्तरता की प्रवृत्ति को बनाए रखती है।
• यह छात्रों की सीखने की अभिरुचि को बढ़ाता है।
• यह छात्रों में नैतिक, सांस्कृतिक, चारित्रिक तथा सामाजिक मूल्यों को
बढ़ाता है।
• यह छात्रों को लक्ष्यउन्मुख (Goal-oriented) बनाता है।
अधिगम के लिए छात्रों में अभिप्रेरणा बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण
सुझाव
– विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले विषय की उपयोगिता हो।
– उपयुक्त शिक्षण विधि।
– छात्रों को दिया जाने वाला पुनर्बलन जिसके अन्तर्गत पुरस्कार, दण्ड,
प्रशंसा तथा निन्दा इत्यादि आता है।
– छात्रों के मध्य प्रतियोगिता, वाद-विवाद, खेल इत्यादि का आयोजन
होना चाहिए।
• शिक्षकों के लिए अभिप्रेरणा का महत्त्व
– पढ़ाने की शैली सरल हो।
– एक सफल प्रेरक के रूप में स्वयं को छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करना
चाहिए।
– विषय वस्तु को व्यावहारिकता के साथ जोड़कर पढ़ाना चाहिए।
– शिक्षक को शिक्षण के लिए एक नवीन दृष्टिकोण तथा प्रयोगों को
अपनाना चाहिए।
– पुरस्कार के माध्यम से शिक्षकों को विद्यालय में प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण
उत्पन्न करना चाहिए।
– छात्रों में जिज्ञासा/उत्सुकता का भाव उत्पन्न करना चाहिए।
– शिक्षको को उच्च नैतिक मूल्य प्रस्तुत करना चाहिए।
– शिक्षकों को लोकतान्त्रिक मूल्यों से प्रेरित होना चाहिए।
– अध्यापकों को स्वयं अपने कार्य के प्रति अभिप्रेरित होना चाहिए।
21.5.2 अधिगम में योगदान देने वाले कारक-व्यक्तिगत एवं पर्यावरणीय
मनोवैज्ञानिकों ने अनुसन्धान के आधार पर यह माना कि अधिगम की प्रक्रिया में
व्यक्तिगत एवं पर्यावरणीय दोनों कारकों का असाधारण योगदान होता है, इनके
बिना अधिगम की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकती। इन दोनों कारकों का वर्णन इस
प्रकार किया जा रहा है
1. व्यक्तिगत कारक
(i) शारीरिक व मानसिक दशाएँ (Physical and Mental Situations)
बच्चों का शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहना अधिगम के लिए
अति आवश्यक है। निम्न बच्चों की बुद्धि-लब्धि सामान्य से बेहतर होती
है उसमें सीखने की प्रवृत्ति अधिक होती है।
(ii) बुद्धि (Intelligence) यह सोचने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग है। यह
बालकों में खोजी दृष्टिकोण की मानसिकता को बढ़ाती है। बच्चे अपने
प्रयोगों के माध्यम से नवीन सिद्धान्त/अवधारणा खोजते रहते हैं।
(iii) अनुशासन (Discipline) अनुशासन की शुरुआत छात्र जीवन से ही
हो जाती है। अगर छात्र अनुशासित होगे तो वे पढ़ाई के प्रति
संवेदनशील होगे तथा अपना हर कार्य एक नियम के अनुरूप करेंगे।
अनुशासित बालक विद्यालय का कार्य, होमवर्क तथा अन्य कार्यों के प्रति
सजग होते हैं।
(iv) पाठ्यक्रम की व्यवस्था (Arrangement of Curriculum) अध्ययन
के दौरान, सुविधा के दृष्टिकोण से पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे अध्यायों में
विभाजित करके छात्रों को पढ़ना चाहिए। यह पढ़ने की सरल व
वैज्ञानिक विधि है।
(v) ध्यान (Concentration) बालकों को अध्ययन के दौरान ध्यान केन्द्रित
करके पढ़ना चाहिए ताकि पढ़ी हुई विषय-वस्तु याद रहे।
(vi) योग्यता/क्षमता (Ability/Capacity) बालकों को अपनी क्षमता के
अनुरूप अध्ययन करना चाहिए।
2. पर्यावरणीय कारक
(i) पर्यावरण का प्रभाव (Impact of Environment) सीखने की
प्रक्रिया में पर्यावरण/वातावरण का अधिक महत्त्व है। यदि किसी
कक्षा के अधिकतम विद्यार्थी पढ़ाई के प्रति जागरूक है तो कमजोर
छात्र भी उनसे प्रेरित होकर पहले की तुलना में अधिक मेहनत
करेंगे।
(ii) वंशानुक्रम (Heredity) वंशानुक्रम से भी सीखने की प्रक्रिया को
बल मिलता है, क्योंकि कुछ योग्यताएँ, गुण तथा विशेषताएं बच्चों
में वंशानुक्रम के माध्यम (माता-पिता) से आ जाती है।
(iii) कक्षा का परिवेश (Environment of Class) कक्षा का वातावरण
भी बच्चों को सीखने में मदद करता है। यदि कक्षा प्रकाश युक्त हो,
बैठने की अच्छी व्यवस्था हो, बिजली की व्यवस्था हो, ह्वाइट बोर्ड
इत्यादि हो तो उसका बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
(iv) सामाजिक व सांस्कृतिक वातावरण (Social and Cultural
Environment) यदि समाज तथा संस्कृति शिक्षित एवं जागरूक
होगा तो उस समाज के बच्चे में सीखने की उत्सुकता अधिक होगी।
आडम्बर मुक्त समाज में बच्चों का स्वतन्त्र मानसिक विकास,
प्रगतिशीलता का सूचक है। प्रगतिशील समाज व संस्कृति
आधुनिकता के पोषक हैं।
(v) स्वस्थ प्रतियोगिता (Healthy Competition) बालकों के
विकास के लिए समय-समय पर विद्यालय में प्रतियोगिता का
आयोजन होना चाहिए; जैसे-निबन्ध प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान
प्रतियोगिता, खेल प्रतियोगिता इत्यादि। इसके माध्यम से बालकों में
पढ़ाई के प्रति संवेदनशीलता आएगी।
(vi) अभ्यास एवं परिणाम पर बल (Focus on Practice and
Result) शिक्षकों को शिक्षण के दौरान बालकों को बताना चाहिए
कि पड़े हुए अध्याय को बार-बार पढ़ना चाहिए ताकि इसे लम्बे
समय तक याद रखा जा सके। बच्चों को यह भी बताना चाहिए कि
आपने क्या पढ़ा, इसका मूल्यांकन स्वयं करना चाहिए इससे यह
पता चलेगा कि आपने कितना विकास किया?
(vi) समूह अध्ययन (Group Study) बालकों को संवेदनशील छात्रों
का एक समूह बनाकर अध्ययन करना चाहिए ताकि विषय-वस्तु से
सम्बन्धित कुछ समस्या का समाधान समूह के माध्यम से हो जाए।
                                     अभ्यास प्रश्न
1. अभिप्रेरणा क्या है?
(1) किसी कार्य को करने की इच्छा शक्ति
(2) किसी कार्य को नहीं करने की इच्छाशक्ति
(3) अभिप्रेरणा सामान्यतया बालकों में निराशा का
भाव उत्पन्न करती है
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
2. निम्नलिखित में से किस मनोवैज्ञानिक ने
अभिप्रेरणा को सीखने का राजमार्ग बताया?
(1) स्किनर
(2) रस्किन
(3) क्रो एवं क्रो
(4) गेट्स
3. “जिस लक्ष्य के प्रति पहले कोई आकर्षण
नहीं था, उस लक्ष्य के प्रति कार्य करने की
उत्तेजना ही अभिप्रेरणा है।” अभिप्रेरणा के
सन्दर्भ में यह कथन किस मनोवैज्ञानिक
का है?
(1) वुडवर्थ
(3) बर्नार्ड
(2) गुड
(4) स्किनर
4. एक विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में दाखिला
लेने के लिए कठिन परिश्रम करता है, ताकि
वह प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हो सके। यह
विद्यार्थी आन्तरिक रूप से
अभिप्रेरित है।
(1) वैयक्तिक
(2) आनुभविक
(3) आन्तरिक
(4) बाह्य
5. आन्तरिक रूप से अभिप्रेरित विद्यार्थी
(1) के लिए पुरस्कार की बिलकुल भी आवश्यकता
नहीं है
(2) के लिए बाह्य पुरस्कार उसकी अभिप्रेरणा को
बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है
(3) का बाह्य रूप से अभिप्रेरित विद्यार्थी की तुलना
में अभिप्रेरणा स्तर कम होता है
(4) के लिए औपचारिक शिक्षा की आवश्यकता
नहीं है
6. यदि कोई व्यक्ति आत्म सम्मान, सामाजिक
प्रतिष्ठा एवं विशेष उपलब्धि की आकांक्षा
रखता है तो उसके बारे में कहा जा सकता
है कि वह
(1) आन्तरिक रूप से अभिप्रेरित है
(2) बाहा रूप से अभिप्रेरित है
(3) आन्तरिक एवं बाह्य दोनों रूप से अभिप्रेरित है
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
7. निम्न में से कौन एक अभिप्रेरणा की
विशेषता नहीं है?
(1) इसमें क्रियाशीलता होती है
(2) यह व्यक्ति के व्यवहार को उत्तेजित करती है
(3) यह किसी कार्य को करने के लिए ऊर्जा प्रदान
करती है
(4) यह व्यक्ति के कार्य में बाधा उत्पन्न करती है।
8. मॉस्लो के आवश्यकता पदानुक्रम सिद्धान्त
के अनुसार कौन-सी आवश्यकता सबसे
अन्त में पूरी होती है?
(1) सम्मान
(2) आत्म-यथार्थता
(3) सुरक्षा
(4) सामाजिक
9. मॉस्लो के अनुसार, निम्नलिखित प्रेरणाओं में
सबसे अधिक शक्तिशाली प्रेरणाएँ कौन-सी हैं?
(1) दैहिक आवश्यकताएँ
(2) व्यक्तिगत सामाजिक
(3) अर्जित प्रेरणाएँ
(4) सामान्य सामाजिक
10. अभिप्रेरणा से सम्बन्धित सिद्धान्त एवं उसके
प्रतिपादक का नाम दिया गया है, निम्न में से
कौन-सा युग्म सही नहीं है?
(1) मूल प्रवृत्ति का सिद्धान्त-मैक्डूगल
(2) मनोविश्लेषण का सिद्धान्त-मॉस्लो
(3) शरीर क्रिया का सिद्धान्त-मॉर्गन
(4) अधिगम सिद्धान्त-कर्ट लेविन
11. उपलब्धि अभिप्रेरणा है
(1) चुनौतीपूर्ण कार्य करने में डटे रहने की प्रवृत्ति
(2) असफलता से बचने की प्रवृत्ति
(3) सफलता व असफलता को समान रूप से
स्वीकार करने की तत्परता
(4) बिना विचारे, जल्दबाजी में कार्य करने की
प्रवृत्ति
12. किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से न
करके दूसरे की इच्छा से करना पड़ता है तो
अभिप्रेरणा की कौन-सी स्थिति होगी?
(1) सकारात्मक स्थिति
(2) नकारात्मक स्थिति
(3) उदासीन स्थिति
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
13. निम्नलिखित में से प्रेरणा देने वाला घटक है
(1) आकांक्षा
(2) प्रोत्साहन
(3) दण्ड
(4) उपरोक्त सभी
14. प्रेरणा किसकी व्याख्या करती है?
(1) व्यवहार क्या है
(2) व्यवहार के प्रभाव
(3) व्यवहार क्यों घटित होता है
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
15. “प्रेरणा छात्र में रुचि उत्पन्न करने की कला
है।” दिया गया कथन किस मनोवैज्ञानिक
का है?
(1) थॉमसन
(2) गिलफोर्ड
(3) क्रो एवं क्रो
(4) पियाजे
16. सीखने में प्रेरणा की भूमिका होती है
(1) यह बाल व्यवहार में परिवर्तन लाती है
(2) यह चरित्र निर्माण में सहायता करती है
(3) यह मानसिक विकास को बढ़ाती है
(4) उपरोक्त सभी
17. सीखने में प्रेरणा का स्थान अत्यन्त
महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे बालकों में
(1) व्यक्तिगत विभिन्नताओं में कमी होती है
(2) शारीरिक विकास होता है
(3) अनुशासन की भावना का विकास होता है
(4) सामाजिक गुण सीमित रहते हैं
18. अधिगम के सन्दर्भ में निम्न में से क्या सही है?
A. यह निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है
B. यह विकास की प्रक्रिया है।
C. यह उद्देश्यपूर्ण होता है
D. यह अनुभवों का संगठन है।
(1) A और B
(2) B और C
(3) C 3RD
(4) उपरोक्त सभी
19. अधिगम के सन्दर्भ में दिया गया कथन
“व्यवहार के अर्जन में उन्नति की प्रक्रिया
को सीखना कहते हैं।” किस मनोवैज्ञानिक
का है?
(1) स्किनर
(2) वाइगोत्स्की
(3) गिलफोर्ड
(4) क्रो एवं क्रो
20. अधिगम में अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
(1) यह छात्रों में उत्सुकता उत्पन्न करती है
(2) छात्रों को कार्य के लिए आन्तरिक ऊर्जा प्रदान
करती है
(3) यह छात्रों में नैतिक मूल्यों को बढ़ाता है
(4) उपरोक्त सभी
21. छात्रों को अधिगम के प्रति आकर्षित करने
के लिए अभिप्रेरणा महत्त्वपूर्ण भूमिका
निभाती है, इसे बढ़ाने के लिए शिक्षकों को
क्या करना चाहिए?
(1) छात्रों के मध्य प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण उत्पन्न
करना चाहिए
(2) अच्छे विद्यार्थी को पुरस्कृत करना चाहिए
(3) पढ़ाए जाने वाले विषय की उपयोगिता हो
(4) उपरोक्त सभी
22. शिक्षक एक राष्ट्र निर्माता होता है, इस
दृष्टिकोण से यह जरूरी है कि शिक्षक भी
पढ़ाने के प्रति अभिप्रेरित हो, यहाँ शिक्षकों
से सम्बन्धित अभिप्रेरणा का अर्थ है।
A एक सफल प्रेरक के रूप में छात्रों के
समक्ष स्वयं को प्रस्तुत करें।
B. छात्रों में जिज्ञासा का भाव उत्पन्न करना
चाहिए।
C. शिक्षकों को उच्च नैतिक मूल्य प्रस्तुत
करना चाहिए।
D. शिक्षक को पढ़ाने के सन्दर्भ में नवीन
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
(1) A और B
(2) B और C
(3) C और D
(4) ये सभी
23. अध्ययन की सुविधा के दृष्टिकोण से एक
विद्यार्थी को पाठ्यक्रम को पढ़ना चाहिए।
(1) उसे पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे अध्यायों में विभाजित
करके पदना चाहिए
(2) उसे पाठ्यक्रम को बिना विभाजित किए ही पदना
दाहिए
(3) पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटना
वैज्ञानिक विधि नहीं है
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
24. बालकों को पढ़ते वक्त निम्न में से किस बात
पर अधिक बल देना चाहिए?
(1) विषय वस्तु को रटने पर
(2) ध्यान लगाकर पदने पर
(3) बात-चीत करते हुए पदने पर
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
25. बालकों की सीखने की प्रक्रिया में कौन-सा
पर्यावरणीय कारक योगदान देता है?
(1) पर्यावरण का प्रभाव
(2) वंशानुक्रम
(3) कक्षा का परिदेश
(4) ये सभी
26. अधिगम की प्रक्रिया में निम्न में से कौन/सा
व्यक्तिगत कारक योगदान देता है?
(1) बालकों को सीखने की रुचि
(2) शारीरिक व मानसिक दशाएँ
(3) बुद्धि
(4) उपरोक्त सभी
27. निम्नलिखित में से कौन एक सोचने की प्रक्रिया
का अभिन्न अंग है?
(1) बुद्धि
(2) रुचि
(3) अनुकरण
(4) अनुशासन
28. निम्नलिखित दिए गए कथनों में कौन सही है?
A. बालकों को सीखने के लिए उन्हें प्रेरित करना
चाहिए
B. बच्चों को सीखने के लिए शारीरिक व
मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत
जरूरी है
C. बुद्धि बालकों में खोजी दृष्टिकोण को
बढ़ाती है
D. अनुशासन छात्र जीवन का महत्त्वपूर्ण
अंग है
(1) A और B सही हैं
(2) A और C सही है।
(3) AB और D सही हैं।
(4) उपरोक्त सभी सही हैं
29. अधिगम की प्रक्रिया में कौन-सा पर्यावरणीय
कारक इस बात पर बल देता है यदि समाज
विकसित व शिक्षित होगा तो उस समाज के
बच्चे भी पढ़ाई के प्रति सजग होंगे तथा सीखने
के प्रति जिज्ञासु बने रहेंगे।
(1) सामाजिक व सांस्कृतिक कारक
(2) आर्थिक कारक
(3) राजनीतिक कारक
(4) समूह-अध्ययन कारक
30. अध्यापकों को शिक्षण के दौरान
शिक्षार्थियों को इस बात के लिए प्रेरित
करना चाहिए पाठ्यक्रम का अभ्यास
करते रहना चाहिए, ताकि पाठ लम्बे
समय तक याद रहे। अध्यापकों को छात्रों
को स्वमूल्यांकन पर भी बल देना
चाहिए। उक्त कथन किस पर्यावरणीय
कारक की ओर संकेत करता है?
(1) अभ्यास एवं परिणाम से सम्बन्धित कारक
(2) सामाजिक कारक
(3) वंशानुक्रम कारक
(4) समूह अध्ययन कारक
31. अध्यापक कक्षा में छात्रों को समूह
अध्ययन एवं विषय वस्तु से सम्बन्धित
परिचर्या के लिए प्रोत्साहित करें।
निम्नलिखित कथनों में कौन-सी विशेषता
समूह अध्ययन की है?
(1) यह संवेदनशील छात्रों का समूह होता है
(2) ये अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते हैं
(3) विषय-वस्तु पर परिचर्या के माध्यम से
इससे सम्बन्धित समस्या का समाधान हो
जाता है
(4) उपरोक्त सभी
32. एक अध्यापक विद्यालय में खेल
प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता तथा
सामान्य ज्ञान पूछताछ प्रतियोगिता का
आयोजन करता है, इसके पीछे अध्यापक
का क्या उद्देश्य है?
(1) छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण का
निर्माण करना
(2) छात्र पढ़ाई के प्रति सजग हो
(3) छात्रों की अभिरुचि को पहचानना
(4) उपरोक्त सभी
          विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
33. सीखने की प्रक्रिया में, अभिप्रेरणा
                                               [CTET June 2011]
(1) शिक्षार्थियों की स्मरण-शक्ति को पैना
बनाती है
(2) पिछले सीखे हुए को नए अधिगम से अलग
करती है
(3) शिक्षार्थियों को एक दिशा में सोचने के
योग्य बनाती है
(4) शिक्षार्थियों में सीखने के प्रति रुचि का
विकास करती है
34. …..” को एक अभिप्रेरित शिक्षण का
संकेतक माना जाता है।           [CTETJune 2011]
(1) कक्षा में अधिकतम उपस्थिति
(2) शिक्षक द्वारा दिया गया उपचारात्मक कार्य
(3) विद्यार्थियों द्वारा प्रश्न पूछना
(4) कक्षा में एकदम खामोशी
35. निम्नलिखित में से कौन-सा सीखने के
लिए अधिकतम रूप से अभिप्रेरित करता
है?                                    [CTET Nov 2012]
(1) बहुत सरल या कठिन लक्ष्यों का चयन करने
की प्रवृत्ति
(2) लक्ष्यों को प्राप्त करने में व्यक्तिगत सन्तुष्टि
(3) बाह्य कारक
(4) असफलता से बचने के लिए अभिप्रेरण
36. राजेश अति लोलुप पाठक है। वह अपने
कोर्स की पुस्तकें पढ़ने के अतिरिक्त प्रायः
पुस्तकालय जाता है और भिन्न प्रकरणों
पर पुस्तकें पढ़ता है। इतना ही नहीं राजेश
भोजन अवकाश में अपने परियोजना का
कार्य करता है। उसे परीक्षाओं के लिए
पढ़ने के लिए अपने शिक्षकों अथवा
अभिभावकों द्वारा कभी भी कहने की
जरूरत नहीं है और वह वास्तव में सीखने
का आनन्द लेता नजर आता है। उसे
……” के रूप में सर्वाधिक बेहतर रूप में
वर्णित किया जा सकता है।
                                   [CTET July 2013]
(1) आन्तरिक रूप से अभिप्रेरित शिक्षार्थी
(2) तथ्य आधारित शिक्षार्थी
(3) शिक्षक अभिप्रेरित शिक्षार्थी
(4) मापन आधारित शिक्षार्थी
37. एक विद्यार्थी उच्चस्तरीय सृजनशील
रंगमंचीय कलाकार बनना चाहता है।
उसके लिए निम्नलिखित में से कौन-सा
उपाय सबसे कम प्रेरक होगा?
                                      [CTET Feb 2014]
(1) राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं को जीतने का
प्रयास करना ताकि छात्रवृत्ति पाई जा सके
(2) अपने रंगमंचीय कलाकार साथियों के साथ
समानुभूतिपूर्ण, स्नेही तथा सहयोगी सम्बन्ध
विकसित करना
(3) उन रंगमंचीय कौशलों को अधिक समय देना
जिनसे वह प्रफुलित होता है
(4) संसार के श्रेष्ठ रंगमंचीय कलाकारों की
निष्पत्ति से सम्बद्ध साहित्य पढ़ने के लिए
तथा उससे सीखने के प्रयास के लिए कहना
38. एक आन्तरिक बल जो प्रोत्साहित करता है
और व्यवहारपरक प्रतिक्रिया के लिए बाध्य
करता है एवं उस प्रतिक्रिया को विशिष्ट दिशा
उपलब्ध कराता है, [CTET Sept 2014]
(1) अभिप्रेरण
(2) अध्यवसाय
(3) संवेग
(4) वचनबद्धता
39. निम्न में से कौन-सी शब्दावली प्रायः
अभिप्रेरणा के साथ अन्तः बदलाव के साथ
इस्तेमाल की जाती है? [CTET Sept 2014]
(1) पुरस्कार (प्रेरक)
(2) संवेग
(3) आवश्यकता
(4) उत्प्रेरणा
40. ………. प्रेरणाएँ अनुभूतियों के सन्तुष्टिकरण
की अवस्थाओं तक पहुँचने और वैयक्तिक
लक्ष्यों को प्राप्त करने की आवश्यकता को
सम्बोधित करती हैं।         [CTET Sept 2014]
(1) प्रभावी
(2) भावात्मक
(3) संरक्षण-उन्मुखी
(4) सुरक्षा-उन्मुखी
41. इनमें से कौन-सा सिद्धान्तकार यह मत स्पष्ट
करता है कि बच्चे अपनी वृद्धि व विकास
हेतु कठोर अध्ययन करते हैं?             [Feb 2014]
(1) बैण्डूरा
(2) मॉस्लो
(3) स्किनर
(4) पियाजे
42. विद्यार्थियों को स्वच्छता के लिए प्रेरित करने
हेतु उन्हें स्वच्छता समिति का सदस्य बनाना,
प्रतिबिम्बित करता है             [CTET Feb 2015]
(1) प्रेरणा की सामाजिक-सांस्कृतिक संकल्पनाएँ
(2) प्रेरणा का व्यवहारवादी उपागम
(3) प्रेरणा का मानवतावादी उपागम
(4) प्रेरणा का संज्ञानात्मक उपागम
43. प्राथमिक विद्यालय शिक्षक को अपने
शिक्षार्थियों को अभिप्रेरित करने के लिए
निम्नलिखित में से किस रणनीति को अपनाना
चाहिए?                    [CTET Sept 2015]
(1) प्रत्येक गतिविधि के प्रेरक के रूप में प्रोत्साहन,
पुरस्कार और दण्ड का उपयोग करना
(2) बच्चों को उनकी रुचियों के अनुसार अपने लक्ष्य
निर्धारित करने और उन्हें पाने के उद्यम में
सहायता करना
(3) पूरी कक्षा के लिए मानक लक्ष्य निर्धारित
और उनकी उपलब्धि के आकलन के लिए
कठोर मानदण्ड निर्धारित करना
(4) प्रत्येक विद्यार्थी में अंक लाने के लिए स्पर्धा को
प्रोत्साहित करना
44. कोई शिक्षिका अपने विद्यार्थियों को क्या कहे
कि उन्हें भीतरी प्रेरणा के साथ कार्य करने
के लिए प्रोत्साहित कर सकें?
                                     [CTET Sept 2016]
(1) “तुम उसके जैसे क्यों नहीं हो सकते? देखो
उसने इसे एकदम ठीक कर दिया।”
(2) ‘काम जल्दी पूरा करो तो तुम्हें एक टॉफी
मिलेगी।”
(3) “इसे करने की कोशिश करो, तुम सीख
जाओगे।”
(4) “चलो, इसे उसके करने से पहले समाप्त कर
लो।”
45. कोई शिक्षिका अपने विद्यार्थियों को अध्ययन
करने हेतु आन्तरिक रूप से उत्प्रेरित करने
के लिए कैसे प्रोत्साहित कर सकती है?
                                     [CTET Sept 2016]
(1) प्रतियोगितात्मक परीक्षण से
(2) व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करने और उनमें
निपुणता पाने में उन्हें मदद देकर
(3) साफ दिखाई पड़ने वाले इनाम देकर,
जैसे-टॉफी
(4) उनमें चिन्ता और डर पैदा करके
                                          उत्तरमाला
1. (1) 2. (1) 3. (3) 4. (3) 5. (2) 6. (2) 7. (4) 8. (2) 9. (3) 10. (2)
11. (1) 12. (2) 13. (4) 14. (3) 15. (1) 16. (4) 17. (3) 18. (4)
19. (1) 20. (4) 21. (4) 22. (4) 23. (1) 24. (2) 25. (4) 26. (4)
27. (1) 28. (4) 29. (1) 30. (1) 31. (4) 32. (4) 33. (4) 34. (3)
35. (2) 36. (1) 37. (1) 38. (1) 39. (3) 40. (2) 41. (2) 42. (1)
43 (2) 44. (3) 45. (3)
                                                     □□□

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