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अम्ल, क्षार एवं लवण | अम्ल क्षार एवं लवण की परिभाषा

अम्ल, क्षार एवं लवण | अम्ल क्षार एवं लवण की परिभाषा

अम्ल व क्षार की परिभाषा सर्वप्रथम 1887 ई . में आरेनियस ने इस प्रकार दी ‘ जो पदार्थ जलीय विलयन में अपघटित होकर हाइड्रोजन आयन ( H+ ) देते है अम्ल कहलाते है । तथा जो पदार्थ जलीय विलयन में अपघटित होकर हाइड्रॉक्सिल आयन देते है , क्षार कहलाते है ’ ।

लवण (Salt) : अम्ल (Acid) एवं क्षार (Alkali) आपस में अभिक्रिया करके एक दूसरे के गुणों को नष्ट कर देते हैं। जिसके फलस्वरूप एक नए पदार्थ का निर्माण होता है, जिसे लवण (Lavan) कहते हैं।

अम्ल, क्षार एवं लवण
अम्ल (Acid)
◆ अम्ल वे पदार्थ हैं जिनमें हाइड्रोजन पाया जाता है एवं जलीय विलयन में वे हाइड्रोजन आयन उत्पन्न करते हैं। अम्ल साधारणतया खट्टे फलों, जैसे- नींबू, इमली आदि में पाये जाते हैं। नींबू में साइट्रिक अम्ल व इमली में टार्टरिक अम्ल पाये जाते हैं। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल, ऑक्जेलिक अम्ल, ऐसीटिक अम्ल, फार्मिक अम्ल आदि कुछ मुख्य
अम्ल हैं-
◆ आरहेनियम के अनुसार : अम्ल एक यौगिक है, जो जल में घुलकर H+ आयन देता है।
◆ बॉरॉन्सटेड एवं लॉरी सिद्धांत के अनुसार : अम्ल वह पदार्थ है, जो किसी दूसरे पदार्थ को प्रोटॉन प्रदान करने की क्षमता रखता है।
◆ लुईस इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त के अनुसार : अम्ल वह यौगिक है, जिसमें इलेक्ट्रॉन की एक निर्जन जोड़ी (Lone Pair of Electron) स्वीकार करने की प्रवृत्ति होती है।
◆ अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं।
◆ अम्ल का जलीय विलयन नीले लिटमस को लाल कर देता है।
कुछ अम्लों के उपयोगः
(i) कुछ अम्ल खाने के काम में आता है, जैसे- खट्टे दूध (लैक्टिक अम्ल), सिरका एवं अचार (एसीटिक अम्ल), सोडावाटर एवं अन्य पेय (कार्बोनिक अम्ल), अंगूर एवं इमली (टार्टरिक अम्ल), सेव (मैलिक अम्ल), नींबू एवं नारंगी (साइट्रिक अम्ल)।
(ii) खाना पचाने में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (ICI) का उपयोग होता है।
(iii) नाइट्रिक अम्ल का प्रयोग सोना और चाँदी के शुद्धीकरण में किया जाता है।
(iv) लोहा पर जस्ते की परत चढ़ाने से पहले लोहा को साफ करने में सल्फ्यूरिक अम्ल (H SO) एवं नाइट्रिक अम्ल (H2SO4 ) का प्रयोग किया जाता है।
नोट : कपड़ों पर लगे जंग के धब्बे को हटाने के लिए ऑक्जेलिक अम्ल प्रयुक्त किया जाता है।
◆ अम्लराज (Aqua Regia) : यह 3:1 के अनुपात में सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सांद्र नाइट्रिक
अम्ल का ताजा मिश्रण होता है। यह सोना एवं प्लैटिनम को गलाने में समर्थ होता है।
प्रमुख अम्ल, स्रोत, बनाने की विधि एवं उपयोग
अम्ल प्राकृतिक स्रोत औद्योगिक निर्माण की विधि उपयोग
सल्फ्यूरिक अम्ल हराकसीस सीसकक्ष (Lead Chamber) व सम्पर्क विधि
पेट्रोलियम के शोधन में, कई प्रकार के विस्फोटक बनाने में रंग व औषधियाँ बनाने में, संचायक बैटरियों में।
नाइट्रिक अम्ल फिटकरी व शोरा  साल्टपीटर व वर्क लैंड अर्क प्रक्रम द्वारा
औषधियाँ, उर्वरक बनाने में.
 फोटोग्राफी में व विस्फोटक
पदार्थ बनाने में।
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल प्रयोगशाला में अभिकर्मक के
रूप में, रंग व औषधि बनाने में, अम्लराज बनाने में।
एसीटिक अम्ल  फलों के रसों में,

सुगन्धित तेलों में

ऐसीटिलीन से, सिरका (Vinegar) से  विलायक के रूप में, ऐसीटोन
बनाने में व खट्टे खाद्य पदार्थ
बनाने में।
फार्मिक अम्ल लाल चीटियों में,

बरों व बिच्छू में

जीवाणु नाशक के रूप में, फलों को संरक्षित व रबर के स्कन्दन में, चमड़ा व्यवसाय में।
आक्जेलिक सारेल का वृक्ष सोडियम फार्मेट से फोटोग्राफी में, कपड़ों की छपाई व रंगाई में, चमड़े के विरजक के रूप में।
बेन्जोइक अम्ल घास, पत्ते व मूत्र बेन्जाइल क्लोराइड से
दवा व खाद्य पदार्थों के संरक्षण
के रूप में।
साइट्रिक अम्ल खट्टे फलों में
कच्ची शर्करा के किण्वन से
धातुओं को साफ करने में, खाद्य पदार्थों व दवाओं के बनाने में व कपड़ा उद्योगों में
क्षार /भस्म (Base)
◆ क्षार/भस्म वे पदार्थ हैं जिनमें हाइड्राक्सिल समूह पाया जाता है तथा जिनके जलीय विलयन में
हाइड्राक्सिल आयन (OH) उपस्थित रहते हैं। क्षार लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं।
कास्टिक सोडा सोडियम हाइड्राक्साइड व कास्टिक पोटाश (पोटैशियम हाइड्राक्साइड) प्रमुख
क्षार हैं।
◆ ब्रान्सटेड लॉरी के सिद्धान्त के अनुसार : वह यौगिक जिसमें प्रोटॉन ग्रहण करने की क्षमता हो भस्म कहलाता है।
◆ लुई इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त के अनुसार : वह यौगिक जिसमें इलेक्ट्रॉन की एक निर्जन जोड़ी (Lone Pair of Electron) प्रदान करने की क्षमता होती है, भस्म कहलाता है।
■ भस्म दो प्रकार के होते हैं- (i) जल में विलेय भस्म और (ii) जल में अविलेय ‘भस्म।
(i) जल में विलेय भस्म : वैसा भस्म जो जल में विलेय हो क्षार कहलाता है। यह लाल
लिटमस पत्र को नीला कर देता है तथा स्वाद में कड़वा होता है। जैसे- पोटैशियम
हाइड्रोक्साइड (KOH), सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) आदि।
(ii) जल में अविलेय भस्म : ये अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर लवण एवं जल बनाते हैं, लेकिन
क्षार के अन्य गुण प्रदर्शित नहीं करते हैं। जैसे- ZnO, Cu(OH), FeO, FeO आदि।
कुछ भस्मों के उपयोग
(i) कैल्सियम हाइड्रोक्साइड [Ca(OH)₂]
(a) घरों में चूना पोतने में (b) गारा एवं प्लास्टर बनाने में (c) ब्लीचिंग पाउडर बनाने में (d) चमड़ा के ऊपर का बाल साफ करने में (e) जल को मृदु बनाने में (f) अम्ल के जलन पर मरहम पट्टी करने में।
(ii) कॉस्टिक सोडा या सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH)
(a) साबुन बनाने में (b) पेट्रोलियम साफ करने में (c) दवा बनाने में (d) कपड़ा एवं कागज बनाने में।
(iii) मिल्क ऑफ मैग्नीशियम या मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (Mg(OH)₂ : पेट की अम्लीयता को दूर करने में।
लवण (Salt)
◆ अम्ल एवं भस्म/क्षार की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप लवण एवं जल का निर्माण होता है। इसे निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त किया जाता है-
NaOH+HCl → NaCl+H0
◆ साधारण नमक, जिसे सोडियम क्लोराइड कहते हैं, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल व सोडियम हाइड्रॉक्साइड की परस्पर अभिक्रिया से बनता है।
कुछ लवणों के उपयोगः
(i) साधारण नमक या सोडियम क्लोराइड (NaCl) : खाने के रूप में एवं अचार के परिरक्षण में इसका उपयोग होता है।
(ii) खाने का सोडा या सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO₃) : पेट की अम्लीयता को दूर करने एवं अग्निशामक यंत्रों में इसका उपयोग किया जाता है।
(iii) कास्टिक सोडा या सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) : इसका उपयोग अपमार्जक का चूर्ण बनाने में किया जाता है।
(iv) धोवन सोडा या सोडियम कार्बोनेट (NA₂CO₃ 10H₂0) : इसका उपयोग कपड़ा धोने में होता है।
(v) पोटैशियम नाइट्रेट (KNO₃) : बारूद बनाने में इसका उपयोग होता है।
pH का मान (pH Value)
● pH मूल्य एक संख्या होती है जो पदार्थों की अम्लीयता व क्षारीयता को निर्धारित करती है। इसका मान हाइड्रोजन आयन (H+) के सांद्रण के व्युत्क्रम के लघुगुणक के बराबर होता है।
● pH का मान O से लेकर 14 के बीच होता है। जिन विलयनों के pH का मान 7 से कम होता है, वे अम्लीय होते हैं तथा जिनका मान 7 से अधिक होता है वे क्षारीय होते है।
● उदासीन विलयनों के pH का मान 7 होता है। शुद्ध जल का pH मान 7 होता है, इस प्रकार शुद्ध जल उदासीन होता है।
● मनुष्य के रक्त व आँतों का माध्यम क्षारीय होता है। जबकि अमाशय अम्लीय होता है।
● रक्त का pH माना लगभग 7.4 होता है।
● उद्योगों में अल्कोहल, शक्कर, कागज आदि के उत्पादन में pH मूल्य का प्रयोग किया जाता है।

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