1st Year

आधुनिकीकरण की अवधारणा व्यक्त कीजिए । शिक्षा के आधुनिकीकरण से आपका क्या आशय है? आधुनिकीकरण का शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्रश्न  – आधुनिकीकरण की अवधारणा व्यक्त कीजिए । शिक्षा के आधुनिकीकरण से आपका क्या आशय है? आधुनिकीकरण का शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ता है? Express the concept of modernisation. What do you mean by modernisation of Education?
या
आधुनिकीकरण के अर्थ पर टिप्पणी लिखिए। Write a short note on Concept of Modernisation. 
या
आधुनिकीकरण के प्रमुख गुण लिखिए। Merits of Modernisation. 
उत्तर- आधुनिकीकरण की अवधारणा
शिक्षा मनुष्य के व्यवहार एवं विचारों में परिवर्तन करने का मुख्य साधन है। आधुनिकीकरण ने निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था और उच्च कोटि की विज्ञान तकनीकी, प्रशासन शिक्षा आदि के द्वारा आर्थिक विकास, प्राकृतिक संसाधनों की खोज जनसंख्या नियंत्रण आदि तत्त्वों का शिक्षा में समावेश किया। प्राचीन भारतीय समाज में शिक्षा मात्र ज्ञान के लिए उपयुक्त मानी जाती थी परन्तु वर्तमान समय में शिक्षा व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास का साधन मानी जाती है। आधुनिकीकरण एक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत ये जानकारी प्राप्त होती है कि किस प्रकार से सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिवर्तन मध्यकाल से आधुनिक काल ( 17वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी) के दौरान हुए। आधुनिकीकरण वास्तव में बदलते परिवेश के अनुसार, समाज, अर्थ एवं राजनीति के परिवर्तन की प्रक्रिया है। जो देश समय के साथ अपने को परिवर्तित नहीं कर पाते हैं, वे विश्व व्यवस्था में पिछड़ जाते हैं और उनकी गिनती विश्व के पिछड़े देशों में होती है। इसके अतिरिक्त शक्तिशाली एवं विकसित देश उन्हें (अल्प विकसित एवं पिछड़े देशों) पर अधिकार कर उन्हें अपना उपनिवेश बना लेते हैं। उदाहरण के लिए – यूरोप के देशों द्वारा एशिया महाद्वीप के अधिकांश देशों को अपना उपनिवेश बना लेना ।

आधुनिकीकरण के आयाम- सामाजिक आयाम, आर्थिक आयाम, राजनैतिक आयाम

शिक्षा एवं आधुनिकीकरण
शिक्षा एवं आधुनिकता दोनों परस्पर सम्बन्धित हैं। ये प्रत्येक दशा में एक दूसरे की सहायता करती है। शिक्षा आधुनिकीकरण प्राप्त करने में सहायक होती है और आधुनिकता से एक बेहतर शिक्षा का निर्माण हो सकता है। यह कुशल कार्यकर्ताओं के उत्पादन में तथा उन्हें समाज के पदों पर आसीन करने में सहायता करता है । यह विभिन्न क्षेत्रों जैसे आर्थिक, औद्योगिक, तकनीकी और सामाजिक क्षेत्रों में अपना गहन योगदान देती है। थॉमस के अनुसार, “गाँधी, नेहरु एवं अन्य सुधारकों ने नवभारत का निर्माण करने का प्रयास किया है। उनको परम्परागत संस्थाओं के महत्त्व को कम करने में सफलता प्राप्त हुई है। यह सम्भवतः नवीन सामाजिक व्यवस्था की स्थापना में पहला कदम है जिसकी स्थापना की प्रक्रिया अब भी जारी है ।”
शिक्षा के आधुनिकीकरण का अर्थ
शिक्षा का आधुनिकीकरण से तात्पर्य शैक्षिक प्रसार की गति को तीव्रता प्रदान करना है। देश के व्यक्तियों को जिस तीव्रता से शिक्षा प्रदान की जाएगी उतनी ही तीव्रता से आधुनिकीकरण विस्तृत होगा। आधुनिकीकरण के प्रसार के लिए हमें बुद्धिजीवी समाज की आवश्यकता होगी जो कि शिक्षा एवं प्रशिक्षण के • माध्यम से ही पूर्ण होगा। अतः आधुनिकीकरण द्वारा शिक्षा प्रणाली, स्तर, पाठ्यक्रम एवं तकनीकी के प्रयोग से शिक्षा का आधुनिकीकरण हो गया है जो कि वर्तमान युग में देश एवं राष्ट्र के विकास में अहम् भूमिका निभाता है।
आयोगों एवं समितियों के अनुसार शिक्षा के आधुनिकीकरण की संकल्पना
शिक्षा प्रभावशाली आधुनिकता प्राप्त करने में मुख्य सहायक तत्त्व है परन्तु आज नवीन तथा पूर्ण शिक्षा की आवश्यकता है। केवल उचित प्रकार की शिक्षा ही इच्छित उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक हो सकती है। आधुनिकीकरण की शिक्षा के लिए भारतीय शिक्षा आयोग, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, आचार्य राममूर्ति समिति ने शिक्षा प्रणाली में निम्नलिखित क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने के संकेत दिए हैं |
  1. शिक्षा को उचित दिशा प्रदान करना (Giving Right राष्ट्र या समुदाय को तथा Direction to Education) – एक तकनीकी तथा आर्थिक प्रगति की प्राप्ति के बारे में सोचने से पहले लोगों को दी जाने वाली उचित शिक्षा प्रणाली के बारे में सोचना चाहिए। अधिक तथा अच्छा भोजन प्राप्त करने के लिए, फैक्ट्रियाँ स्थापित करने के लिए, खुशहाल स्वास्थ्यवर्धक जीवन के लिए, वैज्ञानिक ज्ञान के प्रयोग करने के लिए या अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार तथा वाणिज्य में लाभ लेने के लिए शिक्षा एक अनिवार्य अवस्था है। व्यक्तिगत तथा सामूहिक प्रगति के लिए अधिकारों तथा कर्त्तव्यों के प्रति उचित भावना, व्यक्तिगत तथा सामाजिक परिपक्वता तथा कार्य एवं प्रबन्धन की कुशलता, उचित दृष्टिकोण तथा समर्पण की भावना से युक्त होना आवश्यक है। इन सब तत्त्वों का विकास उचित प्रकार की शिक्षा के बिना सम्भव नहीं है।
  2. दृष्टिकोण में परिवर्तन ( Change in Outlook)–शिक्षा व्यक्तियों, समूहों तथा एक सम्पूर्ण व्यवस्था के रूप में राष्ट्र के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में स्वास्थ्यवर्धक परिवर्तन लाती है तथा वस्तुओं, संस्थाओं, घटनाओं तथा प्रक्रियाओं के प्रति भी दृष्टिकोण परिवर्तित करती है। वे अपने ही दर्शन का विकास तथा पालन करते हैं। यह आवश्यक रूप से अभिवृत्तियों तथा मूल्यों का विकास है जो शिक्षा के महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक है।
  3. बौद्धिक प्रणाली का संरक्षण तथा विकास (Preservation and Enrichment of Intellectual System) – शिक्षा की सहायता से नवयुवक यह सीखता है कि परम्परागत बौद्धिक प्रणाली को नए प्रारूप में निरन्तर कैसे परिवर्तित किया जाए जिससे आधुनिक जीवन के भौतिक तथा अभौतिक तत्त्वों में आधुनिकता लाई जा सके। वर्तमान दशकों में सम्पूर्ण विश्व में लगभग प्रत्येक क्षेत्र में ज्ञान का विस्फोट हुआ है और इसके साथ समन्वय बनाए रखना शिक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौती है। यह विज्ञान तथा तकनीकी के क्षेत्र में विशेष रूप से आवश्यक है जिससे मानव जीवन के सभी क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जा सके। एक ओर शिक्षा का महत्त्वपूर्ण कार्य है, ज्ञान का संरक्षण तथा दूसरी ओर विभिन्न प्रकारों के अनुसंधान तथा माध्यमों से नवीन ज्ञान का निर्माण करना तथा ग्रहण करना। इसके अतिरिक्त समाज में चल रहे परिवर्तन शैक्षिक प्रक्रिया को लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप बनाए रखने का प्रयत्न करते हैं। यह शिक्षा ही है जिसके द्वारा अधिगम की उच्च संस्थाओं का निर्माण किया गया है तथा ऐसे प्रशासन का विकास किया गया है जो सामाजिक परिवर्तन तथा आर्थिक विकास के लिए उत्तरदायी है।
  4. सामाजिक तथा. नैतिक मूल्यों का. विकास (Development of Social and Moral Values)आधुनिकीकरण को एक जीवन शक्ति बनाने के लिए केवल विस्तृत ज्ञान तथा मनुष्य के भौतिक संसाधनों से ही सुदृढ़ता प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है अपितु सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों से भी प्राप्त करना आवश्यक है। भौतिक प्रगति पर अत्यधिक बल मानव के आन्तरिक गुणों को कमजोर बनाता है जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक तथा नैतिक झगड़े बढ़ते हैं। इसलिए आवश्यक है कि शिक्षा प्रणाली को मूल्य केन्द्रित बनाया जाए जिसे सामाजिक जीवन तथा नैतिकता से सम्बन्धित मूल्यों तथा अन्तर्दृष्टि सहित विज्ञान तथा तकनीक से प्राप्त कौशलों तथा ज्ञान से सन्तुलन बनाए रखा जा सके। वास्तव में किसी भी शिक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता इसके . आकार की अपेक्षा इसकी कुशलता में देखी जानी चाहिए जिसके अन्तर्गत समाज में आधुनिकीकरण की प्रगति में शैक्षिक संसाधनों का प्रयोग किया जाता है।
  5. गत्यात्मकता (Dynamics) – शिक्षा की कुशलता परिवर्तन के प्रभावी तत्त्व के रूप में स्वयं शिक्षा के आधुनिकीकरण सम्बन्धित है। शिक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक है कि वह परिवर्तित लक्ष्यों, नई तकनीक तथा बढ़ते हुए ज्ञान की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निरन्तर स्वयं की पुनः संरचना करती रहे। एक पुरानी तथा स्थिर शिक्षा के द्वारा तीव्र गति से परिवर्तनशील समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं की जा सकती, वास्तव में यदि समाज में आधुनिकता का पदार्पण हो रहा हो तो शिक्षा कैसे स्थिर रह सकती है ।
  6. विज्ञान तथा तकनीक का प्रयोग (Applications of Science and Technology ) – जीवन के विभिन्न सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में विज्ञान तथा तकनीक के प्रयोग पर बल दिया जाना चाहिए । जीवन के प्रत्येक पहलू में परिवर्तन हो रहा है इसलिए लोगों परिवर्तन की वास्तविकता के प्रति, परिवर्तन की प्रकृति के प्रति, इसकी आवश्यकता के प्रति तथा सबसे महत्त्वपूर्ण इसके परिणाम के लिए प्रशंसात्मक दृष्टिकोण तथा बौद्धिक सूझ-बूझ विकसित होनी चाहिए। अध्ययन के लिए पाठ्यक्रमों का निर्माण पाठ्यपुस्तकें लिखने एवं शिक्षण तकनीक के प्रयोग में यह आधारभूत सिद्धान्तों में से एक होना चाहिए।
  7. नवीन चुनौतियों का प्रत्युत्तर (Response to the New Challenges) – विज्ञान में बढ़ती हुई प्रगति, विश्व में ज्ञान का विस्फोट तथा तीव्र सामाजिक परिवर्तन ने शिक्षा को नवीन चुनौतियों के प्रति उत्तरादायी बना दिया है। शायद शिक्षा की सम्पूर्ण विचारधारा एवं इसके लक्ष्यों के संयन्त्र में पूर्णतया परिवर्तन होना चाहिए। इस क्षेत्र में भारतीय शिक्षा आयोग के विचारों का समर्थन करने तथा उसको दोहराने के अतिरिक्त अच्छा कुछ भी नहीं है। “शिक्षा के उद्देश्य पर भिन्नता से विचार करना होगा। इसे अधिक समय तक प्राथमिक रूप से केवल ज्ञान देने का या अन्तिम वस्तु की तैयारी का साधन नहीं समझा जाना चहिए अपितु जागरूकता के विकास के साथ ही उचित रुचियों, अभिवृत्तियों तथा मूल्यों का विकास और ऐसे आवश्यक कौशलों, जैसे स्व अध्ययन और सोचने की क्षमता तथा स्वयं के लिए निर्णय लेने की क्षमता का विकास समझा जाना चाहिए जिसके बिना एक लोकतांत्रिक समाज का उत्तरदायी सदस्य बनना सम्भव नहीं है । “
  8. योग्यताओं, क्षमताओं एवं कौशलों का विकास (Development of Capacities, Capabilities and Skills) – वर्तमान समय में शिक्षा का प्रमुख कार्य यह होगा कि प्रत्येक नागरिक की योग्यताओं, क्षमताओं एवं कौशलों का पूर्ण रूप से विकास होना चाहिए तथा उसे सामाजिक व आर्थिक विकास में अपना योगदान देना चाहिए। यह तभी सम्भव है जब सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों तथा व्यावसायिक संस्थाओं के अध्ययन के पाठ्यक्रमों को इस प्रकार परिवर्तित किया जाए कि उसमें से पुरातन तथा अनुपयोगी भाग को हटा दिया जाए अर्थात् पाठ्यक्रम की अवधि बढ़ाना, अनुसंधानों की नवीन प्राप्तियों को लागू करना और आधुनिक ज्ञान के लिए उपयुक्त सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली को नया रूप देने के लिए जन – संचार का प्रयोग करना आदि ।
आधुनिकीकरण का शिक्षा पर प्रभाव
  1. विद्यालयों की स्थिति में सुधार – सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन के साथ-साथ नवीन औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित हुईं जिनमें कार्य करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था तथा आवास निर्माण के साथ-साथ विद्यालय की स्थापना भी परिसर में की गई। ये सभी सुविधाओं से युक्त किए गए। आधुनिकीकरण के प्रभाव के कारण ही आधुनिक विद्यालयों नवीन शिक्षा व्यवस्था उत्कृष्ट बन गयी है ।
  2. विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि आधुनिकीकरण की गति में विभिन्न मूल्यों एवं मनोवृत्तियों के कारण परिवर्तन हुए जिससे लोगों का शिक्षा के प्रति रूझान बढ़ा तथा शिक्षा के महत्त्व को समझकर विद्यार्थियों द्वारा अधिक से अधिक नामांकन कराए क्योंकि शिक्षा ही व्यक्ति को तकनीकी नवीनताओं के लिए दक्षता एवं अभिरुचि पैदा करती है।
  3. विद्यालयों की संख्या में तीव्र वृद्धि औद्योगीकरण ने गाँव एवं शहर के बीच की दूरी को कम किया। जिससे छात्रों की संख्या निरन्तर बढ़ने लगी जिसके फलस्वरूप नए-नए विद्यालयों की स्थापना होती गई। शहरों में ही नहीं गाँवो में अधिकाधिक विद्यालयों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है।

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