कैरोल गिलीगन के नैतिक विकास सिद्धान्त मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डालिए । Highlight the important points of Carol Gilligan’s Theory.
प्रश्न – कैरोल गिलीगन के नैतिक विकास सिद्धान्त मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डालिए । Highlight the important points of Carol Gilligan’s Theory.
उत्तर- कैरोल गिलीगन का नैतिक विकास का सिद्धान्त कैरोल गिलीगन का जन्म न्यूयार्क सिटी में 28 नवम्बर 1936 को हुआ था। ये कोलबर्ग की शोध सहायक थी जिनका नैतिक विकास पर कार्य काफी प्रसिद्ध हुआ। कैरोल गिलीगन का मुख्य ध्यान लड़कियों में नैतिक विकास पर था। गिलीगन ने कोलबर्ग के कार्य की आलोचना की है। पहली आलोचना तो यह है कि उनका यह अध्ययन गोरे व्यक्तियों एवं लड़कों पर था। गिलिगन ने यह अनुभव किया कि कोहलबर्ग का सिद्धान्त नैतिक विकास के लिंग भिन्नता को पर्याप्त रूप से सम्बोधित नही करता है। क्योंकि कोह्लबर्ग के अध्ययन में भाग लेने वाले प्रमुखतः पुरुष ही थे और उनके सिद्धान्त में देखभाल दृष्टिकोण (Caring Perspective) को सम्मिलित नहीं किया गया था। गिलीगन ने अनुभव किया कि कोहलबर्ग के मन में महिलाओं के प्रति द्वेष भावना (Biased Opinion) थी। दूसरा उनके नैतिक विकास के अवस्था सिद्धान्त में पुरुषों के अधिकारों तथा नियमों को महिलाओं के विकास की अपेक्षा उच्च अवस्था का माना गया । गिलिगन ने तर्क दिया कि स्त्री और पुरुष सामान्यतः अलग-अलग समूहीकृत होते हैं। महिलाएँ पुरुषों की अपेक्षा अधिक पारस्परिक सम्बन्धों पर जोर देती हैं तथा दूसरों की भलाई की जिम्मेदारी लेती हैं। गिलिगन ने सुझाव दिया कि यह भिन्नता माता के साथ बालक के सम्बन्ध के कारण है तथा महिलाओं को परम्परागत रूप से एक नैतिक परिप्रेक्ष्य सिखाया जाता है जो समुदाय पर केंन्द्रित होता है एवं व्यक्तिगत सम्बन्धों की देखभाल करता है। गिलीगन ने महिलाओं को सुनने तथा स्वयं और स्वार्थ के अर्थ पर पुनः चिन्तन करने के पश्चात् एक नए मनोविज्ञान के निर्माण में सहायता की है। गिलीगन ने निम्न चार प्रश्न पूछे –
- कौन बोल रहा है? (Who is speaking ?
- कहाँ पर बोल रहा है? (Where is speaking ?
- क्या कहानी बताई जा रही है? (Telling what Story ?
- किस सांस्कृतिक ढाँचे में (In what Cultural Framework?) कहानी प्रस्तुत की जा रही है ?
देखभाल आधारित नैतिकता के निम्नलिखित नियम हैं-
- यह नियम परस्पर सम्बन्ध और सार्वभौमिकता पर बल देता है ।
- कार्य का सही तात्पर्य हिंसा से बचना तथा जरूरतमंदों की मदद करना है।
- देखभाल आधारित नैतिकता लड़कियों में अधिक सामान्य है क्योंकि वे माता से अधिक जुड़ी होती हैं।
- चूंकि लड़कियाँ अपनी माता से जुड़ी रहती हैं तो वे निष्पक्षता के मुद्दों पर चिन्तित रहती हैं।
न्याय आधारित नैतिकता निम्न नियम पर आधारित है-
- यह सिद्धान्त दुनिया को स्वायत्त (Autonomous) व्यक्तियों से निर्मित मानता है जो एक दूसरे से अन्तर्क्रिया करते हैं।
- कार्य का तात्पर्य असमानता से बचना है। लड़कों में यह विचार अधिक सामान्य होता है, क्योंकि वे स्वयं तथा उनकी माता में अन्तर करते हैं ।
- क्योंकि वे माता से अलग होते हैं इसलिए उनमें असमानता की अवधारणा अधिक होती है।
न्याय आधारित दृष्टिकोण वाले व्यक्ति किसी भी दुविधा को विभिन्न दावों के बीच संघर्ष रूप में देखते हैं। ऐसे पुरुष तथा स्त्री एक वैध दावा नहीं कर सकते, उनमें से केवल एक ही सही हो सकता है। दुविधा का समाधान संघर्ष नहीं है। क्योंकि इसमें एक तरफ सब कुछ मिलता है और दूसरी तरफ कुछ नहीं मिलता है। देखभाल आधारित दृष्टिकोण इस समस्या को अलग तरीके से पेश करता है। यह वैयक्तिक वैध या अवैध दावों के बजाय एक साथ समस्या को निर्धारित करता है। यदि व्यक्तियों के बीच कोई विवाद है तो यह समस्या का हिस्सा है। यहाँ समस्या का हल एक तरफा न होकर उसका सम्पूर्ण समाधान करना है। यह दृष्टिकोण समझौता और रचनात्मक समाधान को सम्मिलित करता है। शोधकर्ताओं के अनुसार पुरुष न्याय आधारित परिप्रेक्ष्य तथा स्त्री देखभाल आधारित परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करती हैं। कई महिलावादियों (Feminists) ने इस बात पर बल दिया कि पुरुषों और महिलाओं में कोई अन्तर नहीं है। गिलीगन के अनुसार, महिलाओं में नैतिक और मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियाँ (Psychological Tendencies) पुरुषों की अपेक्षा भिन्न होती हैं। गिलीगन के अनुसार पुरुष नियमों और न्याय के रूप में सोचते हैं जबकि महिलाएँ केयरिंग (Caring) और सम्बन्धों (Relationship) के बारे में सोचने की ओर झुकाव रखती हैं। उनके अनुसार पश्चिमी समाज इन दोनों को समान रूप से महत्त्व देने लगा है।
गिलीगन के नैतिक विकास सिद्धान्त की तीन अवस्थाएँ
- स्वार्थी नैतिकता (Selfish Morality)
- समाजिक नैतिकता (Social Morality) या पारम्परिक नैतिकता (Conventional Morality)
- उत्तर- पारम्परिक या सैद्धान्तिक नैतिकता (PostConventional or Principled Morality)
महिलाओं को अपनी तथा दूसरों की रुचियों या आवश्यकताओं की अभिव्यक्ति करना अवश्य सीखना चाहिए। गिलीगन का विचार है कि महिलाएँ जज करने (To Judge) से हिचकिचाती हैं, क्योंकि वे सम्बन्धों की जटिलताओं को महसूस करती हैं।
क्रिस्टिना हॉफ सोमर्स (Christina Hoff Sommers) ने गिलीगन के कार्य की भी आलोचना की है। उनके अनुसार गिलीगन अपने कार्य के पक्ष में आँकड़े या तथ्य प्रस्तुत करने में असफल रही हैं। सोमर्स ने इस बात की निन्दा की है कि गिलीगन ने एनेक्डाटल प्रमाणों (Anecdotal Evidences) का प्रयोग किया है, शोधकर्ताओं ने अपने कार्य को दोबारा से दोहरा कर नहीं देखा तथा जो नमूना (Sample) लिया गया वह बहुत ही छोटा था । सोमर्स के अनुसार, गिलीगन को इन क्षेत्रों के पुरुषों पर परीक्षण करना चाहिए था जैसे न्यूरो साइन्स या एवोल्यूशनरी मनोविज्ञान (Neuro Science or Evolutionary Psychology) न कि शिक्षा के क्षेत्र के पुरुषों पर। सोमर्स के अनुसार, ही लड़कियों और महिलाओं के लिए यह बता देना कि वे वाणी रहित (Voiceless) है, कभी भी सहायक सिद्ध नहीं हो सकता 1 गिलीगन की प्रतिक्रिया के रूप में यह बात सामने आई कि गिलीगन के ये शोध-परिणाम एक मुख्य पत्रिका में प्रकाशित हुए थे और सोमर्स की यह टिप्पणियाँ सही नही है। कैरोल गिलीगन ने किशोरों में नैतिक विकास, महिलाओं के विकास और द्वन्द्व समाधान (Conflict Resoultion) पर शोध कार्य किए हैं। कैरोल गिलीगन का विश्वास है कि मनोविज्ञान ने महिलाओं को निरन्तर रूप से और क्रमबद्ध रूप से गलत समझा है – उनके प्रेरकों (Motives), उनकी नैतिक जिम्मेदारियों, उनकी मनोवैज्ञानिक वृद्धि आदि को गलत समझा है।
कैरोल गिलीगन के सिद्धान्त के मुख्य बिन्दु
- लैंगिक विभिन्नताएँ (Gender Differences) गिलीगन के अनुसार महिलाएँ पुरुषों से भिन्न तरीकों से सोचती और बोलती हैं। उनका विश्वास है कि नैतिक परिवेश में ये अन्तर स्वयं की अलग-अलग छवियों के कारण होते हैं। सदियों से नैतिकता के दो पक्ष स्वीकार्य हैं-न्याय और प्रेम (Justice and Love) | प्रेम के स्थान पर अच्छाई (Goodness), उपयोगिता (Utility) और लाभ (Benefience) आदि सम्प्रत्ययों का प्रयोग भी किया जाता है। गिलीगन ने औरतों के लिए ‘केयर (Care) शब्द का चयन किया है। न्याय की नैतिकता के अन्तर्गत यदि कुछ गलत हो जाता है तो पुरुष स्वयं को दोषी मानते हैं। इसी प्रकार यदि दूसरों को कुछ कष्ट होता है तो महिलाएँ स्वयं को इसके लिए उत्तरदायी समझती है क्योंकि उन्होंने उस कष्ट को रोकने के लिए कुछ नहीं किया • अर्थात् केयर (Care) नहीं की।
- स्व की छवियाँ-पुरुष का अलगाव, महिला की सम्बद्धता (Images of Self-Male Separation, Female Connectedness ) – आप स्वयं का स्वयं को किस प्रकार विवरण देंगे? गिलीगन का यह सभी महिलाओं को एक निमन्त्रण था ताकि वे अपनी छवियों ( Images) को बुलन्द कर सकें। उनके उत्तर कुछ अस्पष्ट थे लेकिन वे सभी उनके जीवन को रास्ता दिखाने वाले थे। उनके उत्तरों में पहचान और समीपता का मिश्रण था। महिलाएँ बेटी थीं, पत्नी थीं, माँ थीं, प्रेमिका थीं तथा मित्र थीं। संक्षेप में उन्होंने स्वयं के सम्बन्धों को परिभाषित करते हुए बताया कि वे कौन हैं? इसके विपरीत, पुरुषों ने स्वयं के सन्दर्भ को प्रदर्शित करने वाले शब्दों को चुना जो कि स्पष्ट रूप से वैयक्तिक था, जबकि महिलाओं ने लगाव (Attachment) के शब्दों को चुना। गिलीगन इस बात से सहमत हैं कि लैंगिक अन्तर (Gender Differences) बाल्यकाल के अनुभवों में ही दिखाई पड़ जाते हैं और उसके द्वारा पैदा होते हैं जो उनमें सांवेगिक वातावरण पैदा करता हैं, जैसे शिशु की माता । जीवन के प्रारम्भ में लड़कियाँ यह अनुभव करती हैं कि वे अपनी माँ की तरह हैं लेकिन लड़के यह समझते है कि वे अपनी माँ की तरह नहीं हैं। परिणामस्वरूप पुरुषों की प्रौढ़ जनसंख्या स्वयं को दूसरों से अलग समझती है और महिलाएँ सम्बद्धता (Connectedness) के रूप में सोचती हैं। लैंगिक और नैतिकता की भावना (Gender and Moral Judgement Sperit) किशोरावस्था (Adolescence) में तब सबल (Strong) होती है जब युवा पुरुष और महिलाएँ अत्यधिक आत्म-चेतन (Self-conscious) होते हैं। किशोरों, विशेषकर लड़कों में (Justice ) तथा नैतिक परिपक्वता होती है। महिला किशोरियों में ‘केयर (Care) अन्तिम जिम्मेदारी होती है जो स्वयं को दूसरों से सम्बद्ध करती हैं।
- मनोविज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को पुरूष समझना (To Understand Women as Men in Psychology) गिलीगन का विश्वास है कि मनोविज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को ऐसे माना गया है जैसे कि वे पुरूष हों। उन मनोवैज्ञानिकों की, जिन्होंने नैतिक और बौद्धिक विकास का अध्ययन किया है, धारणा है कि पुरुष विशेष तरीके से अनुभव करते हैं। महिलाएँ जब पुरुषों द्वारा निर्धारित पथ का अनुसरण नहीं करतीं, तब यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि महिलाओं में ही कोई दोष है।
- सभी लोग पुरुष नहीं (Not All People are Men) गिलीगन के अनुसार- कोहलबर्ग का सिद्धान्त पुरुषों के अध्ययन पर आधारित है। गिलीगन का अध्ययन महिलाओं पर आधारित हैं।
