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चुंबकत्व किसे कहते हैं | चुंबकीय बल किसे कहते हैं | चुंबकत्व क्या है

चुंबकत्व किसे कहते हैं | चुंबकीय बल किसे कहते हैं | चुंबकत्व क्या है

भौतिकी में चुम्बकत्व वह प्रक्रिया है, जिसमें एक वस्तु दूसरी वस्तु पर आकर्षण या प्रतिकर्षण बल लगाती है। जो वस्तुएँ यह गुण प्रदर्शित करती हैं, उन्हें चुम्बक कहते हैं। निकल, लोहा, कोबाल्ट एवं उनके मिश्रण आदि सरलता से पहचाने जाने योग्य चुम्बकीय गुण रखते हैं। ज्ञातव्य है कि सब वस्तुएं न्यूनाधिक मात्रा में चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति से प्रभावित होती हैं।

चुम्बकत्व
◆  प्रकृति में स्वतंत्र रूप से पाये जाने वाले चुम्बकों को प्राकृतिक चुम्बक (Natural Magnet) कहते हैं। यह लोहे का ऑक्साइड (Fe3O4) है। प्राकृतिक चुम्बक की आकर्षण शक्ति बहुत कम होती है तथा उनकी कोई निश्चित आकृति नहीं होती है।
◆ कृत्रिम विधियों द्वारा बनाये गये चुम्बक को कृत्रिम चुम्बक (Artificial Magnet) कहते हैं। ये मुख्यतः लोहे, इस्पात एवं कोबाल्ट आदि से बनाये जाते हैं। इनकी आकर्षण शक्ति अधिक होती है। कृत्रिम चुंबक तीन प्रकार के होते हैं- (i) छड़ चुम्बक (Bar Magnet) (ii) नाल चुम्बक (Horse-Shoe Magnet) (ii) सूई चुम्बक (Needle Magnet) इनके इन रूपों का नामकरण
आकार के अनुसार किया गया है।
चुम्बक के गुण (Properties of Magnet)
(i) आकर्षण (Attraction) : चुम्बक में लोहे, इस्पात आदि धातुओं के टुकड़े को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता होती है। इन धातुओं की टुकड़े की मात्रा चुम्बक के दोनों सिरों पर सबसे अधिक एवं मध्य में सबसे कम होती है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि आकर्षण शक्ति उसके दोनों किनारों पर सबसे अधिक एवं मध्य में सबसे कम होती है। चुम्बक के किनारे के दोनों सिरों को चुम्बक का ध्रुव (Poles) कहते हैं।
(ii) दिशात्मक गुण (Directional Property) : यदि किसी चुम्बक को धागे से बाँधकर स्वतंत्रतापूर्वक लटका दिया जाये तो उसके दोनों सिरे सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर संकेतित होते हैं। चुम्बक का जो सिरा उत्तर की ओर होता है उसे उत्तरी ध्रुव (North Pole) और जो सिरा दक्षिण की ओर होता है उसे दक्षिण ध्रुव (South Pole) कहते हैं। चुम्बक के उत्तरी ध्रुव
को N से एवं दक्षिणी ध्रुव को S से प्रदर्शित करते हैं।
(iii) ध्रुवों में आकर्षण-प्रतिकर्षण (Attraction and De-attraction in Poles) : चुम्बक के समान ध्रुवों के बीच प्रतिकर्षण व विपरीत ध्रुवों के बीच आकर्षण होता है।
◆ चुम्बक के उत्तरी ध्रुव व दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखा को चुम्बकीय अक्ष (Magnetic Axis) कहा जाता है।
◆ चुम्बक चुम्बकीय पदार्थों में प्रेरण (Induction) द्वारा चुम्बकत्व उत्पन्न कर देता है।
◆ चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) : चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र, जिसमें चुम्बक के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है। चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, चुम्बकीय सुई (Magnetic Needle) से निर्धारित की जाती है। चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक गौस (Gauss) होता है।
◆ चुम्बकीय सुई (Magnetic Needle) : चुम्बकीय सुई का उपयोग दिशा ज्ञात करने में किया जाता है। यह सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरती है। यदि हम चुम्बकीय सुई को लेकर पृथ्वी का पूरा चक्कर लगायें तो सुई पृथ्वी तल के दो स्थानों पर, तल के लंबवत् हो जाती है, स्थानों को पृथ्वी का चुम्बकीय ध्रुव (Magnetic Poles) कहते हैं।
◆ चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (Intensity of Magnetic Field) : चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लंबवत् एकांक लंबाई का ऐसा चालक तार रखा जाये जिसमें एकांक प्रबलता की धारा प्रवाहित हो रही हो तो चालक पर लगने वाला बल ही चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की माप होगी। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है। इसका मात्रक न्यूटन/ऐम्पीयर मीटर अथवा वेबर/मी² या टेसला (T) होता है।
◆ चुम्बकीय बल रेखाएँ (Magnetic Lines of Force) : चुम्बकीय क्षेत्र में बल रेखाएँ वे काल्पनिक रेखाएँ हैं, जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को अविरत प्रदर्शन करती है। चुम्बकीय बल रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।
चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण
(i) चुम्बकीय बल रेखाएँ सदैव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं तथा वक्र बनाती हुई दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश कर जाती हैं और चुम्बक के अंदर से होती हुई पुनः उत्तरी ध्रव पर वापस आती हैं।
(ii) दो बल-रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती।
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र जहाँ प्रबल होता है, वहाँ बल-रेखाएँ पास-पास होती हैं।
(iv) एक समान चुम्बकीय क्षेत्र की बल-रेखाएँ परस्पर समांतर एवं बराबर-बराबर दूरियों पर होती हैं।
चुम्बकीय पदार्थ (Magnetic Substances)
(i) प्रति-चुम्बकीय पदार्थ (Dia-Magnetic Substance) : वे पदार्थ जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र के विपरीत दिशा में चुंबकित हो जाते हैं, प्रति-चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरणार्थ- जस्ता, विस्मथ, ताँबा, चाँदी, सोना, हीरा, नमक, जल आदि।
(ii) अनु-चुम्बकीय पदार्थ (Para-Magnetic Substance) : वे पदार्थ जो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में मामूली रूप से चुम्बकीय होते हैं, अनु-चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरणार्थ- सोडियम, एल्युमिनियम, मैंगनीज, कॉपर, प्लैटिनम, ऑक्सीजन, पोटैशियम आदि।
(iii) लौह-चुम्बकीय पदार्थ (Ferromagnetic Substances) : वे पदार्थ जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की दिशा में प्रबल रूप से चुंबकित हो जाते हैं, लौह-चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरणार्थ- लोहा, इस्पात, निकिल, मिश्रधातु, कोबाल्ट आदि।
◆ चुम्बकीय प्रेरण (Magnetic Induction) : किसी चुम्बकीय पदार्थ में चुम्बक के प्रभाव से चुम्बकत्व उत्पन्न करने की क्रिया को चुम्बकीय प्रेरण कहा जाता है।
◆ डोमेन (Domains) : लौह चुम्बकीय पदार्थों के भीतर परमाणुओं की असंख्य, अतिसूक्ष्म संरचनाओं को डोमेन कहा जाता है। एक डोमेन में  1018 से लेकर 1021 तक परमाणु होते हैं। लौह चुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकीय गुण इन्हीं डोमेनों के परस्पर प्रतिस्थापन व घूर्णन के फलस्वरूप होता है।
◆ क्यूरी ताप (Curie Temperature) : क्यूरी ताप वह ताप है जिसके ऊपर पदार्थ अनु-चुम्बकीय (Para-Magnetic) व जिसके नीचे लौह-चुम्बकीय (Ferro-Magnetic) होता है। लोहा एवं निकिल के लिए क्यूरी ताप का मान क्रमश: 770°C तथा 358°C होता है।
◆ क्यूरी बिन्दु (Curie Point) : वह तापक्रम (690°C से 970°C) जिस पर चुम्बक अपना चुम्बकत्व खो देता है, क्यूरी बिन्दु कहलाता है।
◆ स्थायी चुम्बक (Permanent Magnet) बनाने के लिए इस्पात (Steel) का प्रयोग किया जाता है। लाउडस्पीकर एवं विद्युत मापक यन्त्रों के चुम्बक इस्पात के बने होते हैं।
◆ नर्म लोहे से निर्मित चुम्बक का चुम्बकन और विचुम्बकन दोनों ही सरलता से हो जाते हैं। इसके विपरीत इस्पात से चुम्बक का चुम्बकन और विचुम्बकन दोनों की कठिन है।
◆ भू-चुम्बकत्व (Earth Magnetism) : किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को तीन तत्त्वों द्वारा व्यक्त किया जाता है- (i) दिक्पात कोण (ii) नमन/नति कोण (iii) चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक।
(i) दिक्पात कोण (Angle of Declination) : किसी स्थान पर भौगोलिक याम्योत्तर और चुम्बकीय याम्योत्तर के बीच जो कोण बनता है, उसे दिक्पात कोण कहा जाता है।
(ii) नमन/नति कोण (Angle of Dip or Inclination) : किसी स्थान पर पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र क्षैतिज तल के साथ जितना कोण बनाता है, उसे उस स्थान का नमन/नति कोण कहते हैं। पृथ्वी के ध्रुव पर नमन कोण का मान 90° तथा विषुवत् रेखा पर 0° होता है।
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक (Horizontal Component of Magnefic Field) : पृथ्वी के सम्पूर्ण का चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक (H) अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होता है, परन्तु इसका मान लगभग 0.4 गौस (Gauss) या 0.4×10-⁴​ टेसला होता है।

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