प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण में उत्पन्न होने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिए । प्रारम्भिक शिक्षा में सार्वभौमीकरण किस प्रकार किया जा सकता है ?
प्रश्न – प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण में उत्पन्न होने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिए । प्रारम्भिक शिक्षा में सार्वभौमीकरण किस प्रकार किया जा सकता है ?
Describe the obstacles arises in the universalisation of Elementary Education. How universalisation be applied in primary education.
उत्तर- प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण में बाधाएँ (Obstacles Universalisation of Elementary Education)
- अंग्रेजी नीति का प्रभाव – अंग्रेजी शासकों ने अपना शासन चलाने के लिए भारत में क्लर्क तैयार करने के लिए शिक्षा की व्यवस्था की थी। उन्हें जनसाधारण की शिक्षा की कोई चिन्ता नहीं थी। आज भी केवल पढ़े-लिखे बेरोजगार लोगों को तैयार किया जा रहा है इसलिए जन शिक्षा में इसकी कोई रुचि नहीं है।
- अनिवार्य शिक्षा कानून का सही प्रकार से पालन न होना – शिक्षा को अनिवार्य करने सम्बन्धी सभी राज्यों में कानून बनाए गए हैं परन्तु इनमें कहीं-न-कहीं कुछ कमी अवश्य जिससे इस कानून का सही प्रकार से पालन न हो पाने के कारण प्राथमिक शिक्षा का प्रसार नहीं हो पा रहा है।
- सुविधाओं की कमी-प्राथमिक शिक्षा को सार्वभौमिक करने के लिए जिन सुविधाओं की आवश्यकता है उन्हें सरकार उपलब्ध करवाने में असमर्थ रही है। स्थानीय निकाय भी धनाभाव के कारण इन योजनाओं को ठीक ढंग से पूरा नहीं कर पाती।
- रूढ़िवादिता – भारत की अधिकांश जनता अशिक्षित है। अशिक्षित जनता ही सामाजिक कुरीतियों एवं बुराइयों का शिकार बनती है। बाल विवाह, पर्दा प्रथा, अन्धविश्वास, छुआछूत जैसे दोष आज भी हमारे समाज में व्याप्त हैं। इन्हीं कुरीतियों के कारण छात्रों को समय से पहले ही स्कूलों से निकाल लिया जाता है ।
- अपव्यय व अवरोधन- सार्वभौमीकरण के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है, प्राथमिक विद्यालयों में शत्-प्रतिशत नामांकन के साथ शत्-प्रतिशत छात्रों को स्कूलों में शिक्षा पूरी होने तक रोके रखना परन्तु यह देखा गया है कि बहुत से छात्र आर्थिक या अन्य समस्याओं के कारण शिक्षा को बीच ही छोड़ देते हैं या एक ही कक्षा में कई वर्षों तक रुके रहते हैं। प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण में यह बहुत बड़ी समस्या है।
- जनसंख्या में वृद्धि – जनसंख्या में वृद्धि, शिक्षा के सार्वभौमीकरण न हो पाने का एक कारण है क्योंकि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार इतने साधन नहीं जुटा पाती जितने निरन्तर जनसंख्या वृद्धि होने से, छात्रों की संख्या बढ़ जाने के कारण आवश्यक है ।
- संसाधनों की कमी- सार्वभौमीकरण न होने का एक कारण संसाधनों की कमी भी है। सरकार शिक्षा बज़ट का 5% ही आवश्यक संसाधनों के लिए व्यय करती है जिससे आवश्यक संसाधनों की पूर्ति नहीं हो पाती।
प्रारम्भिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण करने के उपाय (Measures to Universalisation of Elementary Education)
- जनसंख्या पर नियन्त्रण – प्रौढ़ शिक्षा के माध्यम से लोगों को परिवार नियोजन के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई जाए। सरकार द्वारा यह कार्य किया भी जा रहा है क्योंकि जब तक जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं होगा तब तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण नहीं किया जा सकता।
- माता-पिता को जागरूक करना – अधिकतर माता-पिता निरक्षर होने के कारण वे शिक्षा का मूल्य नहीं समझते है । उन्हें शिक्षा के महत्त्व के बारे में बताया जाना चाहिए । इसके लिए दूरदर्शन तथा प्रचार के अन्य साधनों का भली प्रकार प्रयोग किया जा सकता है, उन्हें स्वयं भी प्रौढ़ शिक्षा का महत्त्व समझना होगा ।
- प्रशासनिक व्यवस्था – स्थानीय संस्थाओं पर ही शिक्षा व्यवस्था का पूरा उत्तरदायित्व न डाला जाए सरकार भी इसमें अपना पूरा सहयोग दे साथ ही सरकारी नीतियों का पालन भी कठोरता से कराया जाए।
- आर्थिक सहायता- सरकार के द्वारा प्राथमिक शिक्षण संस्थाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए जिससे इन संस्थाओं में आवश्यक शिक्षण सामग्री की व्यवस्था की जा सके। सरकार भी शिक्षा में संख्यात्मक वृद्धि पर बल दे ।
- शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था – योग्य अध्यापकों को इस ओर आकर्षित करने के लिए उनका वेतन बढ़ाया जाए । उन्हें फण्ड, बोनस तथा आवास की व्यवस्था दी जाएं । ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए उन्हें उपयुक्त सुविधाएं दी जाएं।
