1st Year

बालक एवं किशोरों पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ता है? समझाइए । What are the impacts of globalisation on children and adolescents. Explain

प्रश्न – बालक एवं किशोरों पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ता है? समझाइए । What are the impacts of globalisation on children and adolescents. Explain.
या
बालक एवं किशोरों पर वैश्वीकरण के पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिए । वैश्वीकरण एवं आर्थिक परिवर्तन के प्रभाव को समझाइए । Describe the Impact of Globalisation on Childhood and Adolescents. Explain the effect of Economic Changes and Globalisation.
उत्तर- बालक एवं किशोरों पर वैश्वीकरण का प्रभाव
युवा लोगों के साथ-साथ किशोर एवं बालक भी वैश्वीकरण से प्रभावित हो रहे हैं। वैश्वीकरण के द्वारा सभी वर्ग के लोगों में एकरूपता लाने का प्रयास किया जा रहा है। समसामयिक विश्व में वैश्वीकरण का विचार मानवीय जीवन के प्रायः प्रत्येक पहलू को प्रभावित करने की कोशिश की है वैश्वीकरण के मुख्यतः दो उद्देश्य हैं – विश्व समुदाय का एकीकरण तथा वैश्विक पूँजीवाद को बढ़ावा देना। भारत सरकार द्वारा 1991 से प्रारम्भ नई आर्थिक नीति जिसे निजीकरण, उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के रूप में जाना जाता है, वास्तव में मुख्य रूप से यह वैश्वीकरण की ही नीति थी वर्ष 2011 को इस नीति को प्रारम्भ हुए 20 वर्ष हो चुके हैं।
सैद्धान्तिक रूप में वैश्वीकरण का अभिप्राय है बिना कोई बाधा के दुनिया के विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करते हुए वस्तुओं एवं सेवाओं, प्रौद्योगिकी, पूँजी एवं मानव संसाधनों का मुक्त प्रवाह ।
बालकों एवं किशोरों पर वैश्वीकरण के पड़ते प्रभाव को देखते हुए विश्व आयोग ने स्पष्ट शब्दों में उल्लेख किया है कि, “वैश्वीकरण का मार्ग बदलना होगा इससे बहुत थोड़े लोगों को लाभ प्राप्त होता है। “वैश्वीकरण का बालकों पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ता है जिसका वर्णन आगे किया जा रहा है।

वैश्वीकरण का बालकों पर सकारात्मक प्रभाव

  1. वैश्वीकरण से बालकों शैक्षिक स्पर्धा का बढ़ावा मिलता है।
  2. अधिक प्रतिस्पर्धा होने से शैक्षिक गुणवत्ता लगातार अच्छी होती जाती है ।
  3. वैश्वीकरण से शिक्षा का स्तर ऊँचा हुआ है जिससे देश में स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण का निर्माण हुआ है।
  4. वैश्वीकरण के कारण देश के बाहर रोजगार प्राप्त करने के अवसर बढ़ गए हैं ।
  5. वैश्वीकरण बालकों के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है।
  6. वैश्वीकरण विभिन्न देशों में चल रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों का  एक स्पष्ट बिम्ब प्रस्तुत करता है जिसके माध्यम से छात्र परिश्रम करके अपने शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं ।
  7. वैश्वीकरण एक वैचारिक मत है जो विभिन्न देशों के विकास को दर्शाता है जिससे प्रभावित होकर छात्र विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान देकर देश के विकास में सहयोग करते हैं ।
  8. वैश्वीकरण के कारण वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांति आई है, जिसके कारण नई-नई शैक्षिक तकनीकियों का शिक्षा में समावेश किया जा रहा है। जहाँ पहले शिक्षा केवल व्याख्यान विधि के द्वारा निश्चित पाठ्यक्रम के आधार पर दी जाती थी, आज वहीं पर यह शिक्षा बालकों को प्रोजेक्टर, वीडियो कॉफ्रेंसिग के आधार पर प्रश्नोत्तर विधि, प्रदर्शनविधि आदि के आधार पर दी जाने लगी है।
  9. वैश्वीकरण के कारण सभी बालकों के बीच विनिमय समानता एवं परम्पराओं के विनिमय को गति मिल रही है जिससे बालकों के सोच एवं विचारों में व्यापक परिवर्तन हो रहा है।
वैश्वीकरण का नकारात्मक प्रभाव – 
  1. वैश्वीकरण के माध्यम . से विकसित देशों के द्वारा विकासशील देशों के शोषण की सम्भावना बनी रहती है ।
  2. विकासशील देश विकसित देशों की स्पर्धा के शिकार होते हैं जिससे बालकों को नवीन अवसर नहीं उपलब्ध हो पाते हैं।
  3. वैश्वीकरण के कारण बेरोजगारी निम्न मजदूरी तथा कार्य की अनिश्चित्ता पर प्रभाव पड़ता जा रहा है।
  4. वैश्वीकरण का प्रभाव सभी स्थानों पर एक जैसा नहीं है एक तरफ इसने विकसित देशों बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, धनी उत्पादकों एवं धनी उपभोक्ताओं को लाभ पहुँचाया है। वहाँ इससे छोटे उद्योगपतियों एवं विकासशील देशों को काफी हानि पहुँचाई है।
  5. विकसित देशों की स्वार्थप्रिय नीतियों से विकासशील देशों के निर्यात को हानि पहुँचने का भय बना रहता है।
  6. वैश्वीकरण के कारण शिक्षा एक आध्यात्मिक व नैतिक प्रक्रिया के स्थान पर व्यावसायिक प्रक्रिया बन गई है।
  7. शैक्षिक उद्देश्यों में भौतिक समृद्धि को ऊपर रखा जाता है तथा सभी बालकों एवं किशोरों का उद्देश्य येन–केन प्रकारेण डिग्री प्राप्त करना रह गया है।
  8. शिक्षक-शिक्षार्थी सम्बन्धों में औपचारिकता का समावेश हो गया है। सेवा के रूप में धर्म का कार्य माना जाने वाला शिक्षण कार्य एक व्यवसाय वं जीविकोपार्जन का साधन बनकर रह गया है ।
वैश्वीकरण एवं आर्थिक परिवर्तन –
  1. परिवार की आर्थिक स्थिति – वैश्वीकरण के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति में भी परिवर्तन दृष्टिगत होता है। एक धनीवर्ग के बालक व किशोर की अपेक्षा कमजोर (गरीब) वर्ग के बच्चों के आर्थिक, सामाजिक स्थिति में परिवर्तन होता है। यही स्थिति विश्व स्तर पर हैं। विकसित देशों को अपेक्षा विकासशील देशों में बालकों के विकास के *लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं, जिससे बच्चों में भी यह परिवर्तन परिलक्षित होता है।
  2. प्रतिस्पर्धा की भावना – विश्वस्तर पर आर्थिक स्थिति में अन्तर होने के कारण प्रतिस्पर्धा की भावना न केवल विश्व स्तर पर है बल्कि यह वर्तमान समय मे किशोरों एवं बालकों में भी देखा जा सकता है।
  3. रोजगार के अवसर – वैश्वीकरण का प्रत्यक्ष परिवर्तन रोजगार के अवसरों को प्रदर्शित होता है। विकसित एवं विकाशील देश उच्च शिक्षा एवं नवीन तकनीकों के आधार पर बालकों को रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध करा रहे हैं वही श्रमिक वर्ग के रोजगारों का कुछ सीमा तक हनन भी हो रहा है । औद्यौगिक विवाद एवं बचाव के लिए संविदात्मक (Contractual) रोजगार दिए जाने पर बल दिया जा रहा है।
  4. धनार्जन व आर्थिक समायोजन – धनार्जन व आर्थिक समायोजन के कारण किशोर व बालकों से आर्थिक गुणों का तीव्र विकास हो रहा है। वैश्वीकरण के युग में सभी किशोर आर्थिक रूप से समायोजन करने की इच्छा रखते हैं।

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