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भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी

भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी

भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी

विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी – भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी

◆ रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की स्थापना वर्ष 1958 में की गई। इस समय इसे कुछ अन्य प्रौद्योगिकीय संस्थानों के साथ मिलाकर स्थापित किया गया था ।
◆ 1980 में स्वतंत्र रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग को गठित किया गया।
◆ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के प्रमुख एवं महानिदेशक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार होते हैं। इस संगठन का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
◆ रक्षा उत्पादन विभाग एवं रक्षा आपूर्ति विभाग का 1984 में विलय करके ‘रक्षा उत्पादन एवं आपूर्ति विभाग’ की स्थापना की गयी।
भारतीय प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
◆ भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने जुलाई, 1983 में ‘समेकित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम’ (Integrated Guided Missile Development ProgrammeIGMDP) की नींव रखी। इस कार्यक्रम के संचालन का भार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को सौंपा गया। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है –
1. पृथ्वी ( Prithvi) : यह जमीन से जमीन पर मार करने वाला कम दूरी का बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। ‘पृथ्वी’ प्रक्षेपास्त्र का प्रथम परीक्षण फरवरी, 1998 को चाँदीपुर अंतरिम परीक्षण केंद्र से किया गया। पृथ्वी की न्यूनतम मारक क्षमता 40 किमी तथा अधिकतम मारक क्षमता 250 किमी है।
2. त्रिशूल (Trishul) : यह कम दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 500 मी से 9 किमी तक है। यह मैक-2 की गति से निशाने को बेध सकता है।
3. आकाश (Aakash) : यह जमीन से हवा में मार करने वाला मध्यम दूरी का बहुलक्षीय प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता लगभग 25 किमी है। आकाश पहली ऐसी भारतीय प्रक्षेपास्त्र है, जिसके प्रणोदक में रामजेट सिद्धांतों का प्रयोग किया गया है। इसकी तकनीक को दृष्टिगत करते हुए इसकी तुलना अमरीकी पैट्रियाट मिसाइल से की जा सकती है। यह परम्परागत एवं परमाणु आयुध को ढोने की क्षमता रखता है तथा इसे मोबाइल लांचर से भी छोड़ा जा सकता है।
4. अग्नि (Agnt) : अग्नि श्रेणी में तीन प्रक्षेपास्त्र हैं: अग्नि-1, अग्नि-II एवं अग्नि-III । अग्नि जमीन से जमीन पर मार करने वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टक मिसाइल है। अग्नि-III की मारक क्षमता 3000 किमी से 3500 किमी तक है। अग्नि-III को पाकिस्तान की हत्फ-3 तथा इजराइल की जेरिकी – 2 की श्रेणी में रखा जा सकता है। अग्नि-III परम्परागत तथा परमाणु दोनों प्रकार के विस्फोटकों को ढ़ोने की क्षमता रखती है।
5. नाग (Nag) : यह टैंक रोधी निर्देशित प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 4 किमी है। इसका प्रथम सफल परीक्षण नवम्बर, 1990 में किया गया। इसे ‘दागो और भूल जाओ’ टैंक रोधी प्रक्षेपास्त्र भी कहा जाता है, क्योंकि इसे एक बार दागे जाने के पश्चात पुनः निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
रक्षा उत्पादन एवं आपूर्ति विभाग से जुड़े सार्वजनिक संस्थान
संस्थान मुख्यालय स्थापना वर्ष
हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लि० बंगलुरु 1964
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि० बंगलुरु 1954
भारत अर्थ मूबर्स लि० बंगलुरु 1964
मझगाव डॉक लि० मुम्बई 1960
गोवा शिपयार्ड लि० वास्को-डि-गामा
भारत डायनामिक्स लि० हैदराबाद 1970
मिश्र धातु निगम लि० हैदराबाद 1973
गार्डन रीच वर्क शॉप लि० कलकत्ता 1934
कुछ अन्य भारतीय प्रक्षेपास्त्र
1. धनुष (Dhanush) : यह जमीन से जमीन पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों में से एक है। यह ‘पृथ्वी’ प्रक्षेपास्त्र का ही नौसैनिक रूपान्तरण है। इसकी मारक क्षमता 150 किमी तथा इस पर लगभग 500 किग्रा आयुध प्रक्षेपित किया जा सकता है।
2. सागरिका ( Sagrika) : यह सबमेरीन लाँच बैलिस्टिक मिसाइल है। समुद्र के भीतर से इसका पहला परीक्षण फरवरी, 2008 में किया गया। यह परम्परागत एवं परमाणु दोनों ही तरह के आयुध ले जाने में सक्षम है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा तैयार किया गया है। भारत ऐसा पाँचवाँ देश है, जिसके पास पनडुब्बी से बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता है। (चार अन्य देश हैं : यू. एस. ए. फ्रांस, रूस एवं चीन ) ।
3. अस्त्र (Astra) : यह मध्यम दूरी का हवा से हवा में मार करने वाला और स्वदेशी तकनीक से विकसित प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 10 से 25 किमी है। यह भारत का प्रथम हवा से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है ।
4. ब्रह्मोस (Brahmos) : यह भारत एवं रूस की संयुक्त परियोजना के तहत विकसित किया जाने वाला प्रेक्षपास्त्र है। इसका नाम ब्रह्मोस (Brahmos) भारत की नदी ब्रह्मपुत्र (Brahmaputra) के Brah तथा रूस की नदी मस्कवा (Moskva) के Mos से मिलकर बना है। यह सतह से सतह पर मार करने वाला मध्यम दूरी का सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसका प्रथम सफल परीक्षण जून, 2001 में किया गया था। इसका तीसरा सफल परीक्षण मार्च 2009 में किया गया। यह भी दागी और भूल जाओ ( Fire and Forget) की पद्धति पर ही विकसित किया गया है। इस क्रूज मिसाइल को जून, 2007 में भारतीय थल सेना में सम्मिलित किया गया। लगभग 290 किमी तक 200 किलोग्राम वजनी परमाणु बम ले जाने में सक्षम ब्रह्मोस ध्वनि की लगभग तीन गुना तेज गति से चलती है।
बैलिस्टिक मिसाइल : बैलिस्टिक से आशय ऐसे प्रक्षेपण से है, जिसमें किसी वस्तु को प्रक्षेपित करने में आवश्यक बल लगाया जाये किन्तु जमीन पर स्थित लक्ष्य पर गिरने के लिए उसे गुरुत्वाकर्षण के सहारे छोड़ दिया जाये।

क्रूज मिसाइल : इस श्रेणी की मिसाइल अपने लक्ष्य को खोज कर प्रहार करती है।

5. प्रद्युम्न (Pradhuman ) : यह प्रक्षेपास्त्र दुश्मन के प्रक्षेपास्त्र को हवा में बहुत ही कम दूरी पर मार गिराने में सहायक है। यह एक इंटरसेप्टर प्रक्षेपास्त्र है। भारत ने स्वदेश निर्मित एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD-02) मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के पूर्वी तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से 6 दिसम्बर, 2007 को किया।
युद्धक टैंक अर्जुन : इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा किया गया है। इस युद्धक टैंक की गति अधिकतम 70 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है। यह रात के अंधेरे में भी काम कर सकता है। इस टैंक में लगा एक विशेष प्रकार का फिल्टर जवानों को जहरीली गैसों एवं विकिरण प्रभाव से रक्षा करता है। इस फिल्टर का निर्माण बार्क (BARC) ने किया है। अर्जुन टैंक को विधिवत रूप से भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है।
T-90 एस. भीष्म टैंक: इसका निर्माण चेन्नई के समीप आवडी टैंक कारखाने में किया गया है। यह चार किमी के दायरे में प्रक्षेपास्त्र दाग सकता है। यह दुश्मन की प्रक्षेपास्त्र से स्वयं को बचाने की क्षमता रखता है तथा जमीन में बिछाई गयी बारूदी सुरंगों से भी अपनी रक्षा करने की क्षमता रखता है।
हल्के लड़ाकू विमान तेजस (Tejas) : यह स्वदेश निर्मित प्रथम हल्का लड़ाकू विमान है। इसके विकास में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसमें अभी जी.ई. 404 अमेरिकी कपनी जनरल इलेक्ट्रॉनिक का इंजन लगा है, जिसे भविष्य में स्वदेश निर्मित कावेरी इंजन लगाकर हटाया जाएगा। विश्व के सबसे कम वजन वाले बहुआयामी सुपर सोनिक लड़ाकू विमान 600 किमी/घंटे से उड़ान भरती है और हवा से हवा में, हवा से धरती पर तथा हवा से समुद्र में मार करने में सक्षम है।
पायलट रहित प्रशिक्षण विमान-निशांत : यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित पायलट रहित प्रशिक्षण विमान है। इसे जमीन से 160 किमी के दायरे में नियंत्रित किया जा सकता है। इस विमान का मुख्य उद्देश्य युद्ध क्षेत्र में पर्यवेक्षण और टोह लेने की भूमिकाओं का निर्वाह करना है।
पायलट रहित विमानलक्ष्य : इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा किया गया है। इसका उपयोग जमीन से वायु तथा वायु से वायु में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों से तथा तोपों से निशाना लगाने के लिए प्रशिक्षण देने हेतु एक लक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह जेट इंजन से चलता है तथा 10 बार प्रयोग में लाया जा सकता है। 100 km के दायरे में इसे रिमोट से नियंत्रित किया जा सकता है। इसका प्रयोग तीनों सेनाओं द्वारा किया जा रहा है।
एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव : इसे डी. आर. डी. ओ. द्वारा विकसित किया गया है। अधिकतम 245 किमी / घंटे की गति से उड़ान भरने वाला यह हेलीकॉप्टर 4 घंटे तक आकाश में रहकर 800 किमी की दूरी तय कर सकता है। यह दो इंजन वाला हेलीकॉप्टर है जिसमें दो चालकों सहित 14 व्यक्तियों को ले जाया जा सकता है।
आई.एल. 78 : यह आसमान में उड़ान के दौरान ही लड़ाकू विमानों में ईधन भरने वाला प्रथम विमान है जिसे भारत ने मार्च, 2003 में उज्बेकिस्तान से प्राप्त किया है। इस विमान में 35 टन वैमानिकी ईंधन के भण्डारण की सुविधा है। आगरा के वायु सैनिक अड्डे पर इन विमानों को रखने की विशेष व्यवस्था है।
काली – 5000 : काली – 5000 का विकास बार्क (BARC) द्वारा किया जा रहा है। यह एक शक्तिशाली बीम अस्त्र है जिसमें कई गीगावाट शक्ति की माइक्रोवेव तरंगे उत्सर्जित होंगी, जो शत्रु के विमानों एवं प्रक्षेपास्त्रों पर लक्षित करने पर उनकी इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों और कम्प्यूटर चिप्स को समाप्त करके उन्हें ध्वस्त करने में सक्षम होंगी।
पिनाका : यह मल्टी बैरल रॉकेट लांचर है। स्वदेशी तकनीक से डी.आ.डी.ओ. द्वारा विकसित इस रॉकेट प्रक्षेपक को ए.आर. डी.ई. पूणे में निर्मित किया गया है तथा इसका नाम भगवान शंकर के धनुष ‘पिनाक’ के नाम पर ‘पिनाका’ रखा गया। इसके द्वारा मात्र 40 सेकंड में ही 100-100 किग्रा वजन के एक के बाद एक 12 रॉकेट प्रक्षेपित किए जा सकते हैं, जो कम से कम 7 और अधिक से अधिक 39 किमी दूर तक दुश्मन के खेमे में तबाही मचा सकते हैं।
विविध:
◆ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं। CSIR (Council of Scientific and Industrial Research) की स्थापना हुई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
◆ विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र की स्थापना तिरुवनंतपुरम (थुम्बा गाँव) में 1963 ई० में की गयी थी। इस स्थान का चुनाव करने का प्रमुख कारण यह है कि यह केन्द्र भू- चुम्बकीय विषुवत् रेखा पर स्थित है।
◆ पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करती है, इसी का लाभ उठाने के लिए कृत्रिम उपग्रहों को पश्चिमी दिशा से पूर्वी दिशा में प्रक्षेपित किए जाते हैं।
◆ ‘परखनली शिशु के मामले में निषेचन परखनली के अन्दर होता है, इसके बाद भ्रूण को माता के गर्भ में रखा जाता है।
◆ 25 जुलाई, 1978 ई० को ग्रेट ब्रिटेन में श्रीमती लेस्ली ब्राउन ने विश्व के प्रथम परखनली शिशु लुइस ब्राऊन को जन्म दिया। भारत में जन्म लेने वाला प्रथम परखनली शिशु विवादित है। डॉ० सुभाष मुखोपाध्याय के देखरेख में कानूप्रिया ने प्रथम परखनली बेबी दुर्गा का जन्म 3 अक्टूबर 1978 ई० को दिया, जिसे उस समय स्वीकृति नहीं मिली। 16 अगस्त, 1986 को मुम्बई के K.E.M. अस्पताल में इंदिरा हिन्दूजा की देखरेख में भारत के दूसरे परखनली शिशु हर्षा का जन्म हुआ। मुखोपाध्याय के साथ हुए विवाद के कारण कुछ रिकॉर्ड हर्षा को भारत का प्रथम परखनली शिशु मानता है।
◆ इयान विल्मुट, जो रोजलिंग इन्स्टीच्यूट (स्कॉटलैंड) के वैज्ञानिक थे, ने 5 जुलाई, 1996 को सर्वप्रथम एक वयस्क भेड़ से कोशिका लेकर ‘डॉली’ नामक क्लोन का निर्माण किया था।
◆ 1953 ई० में सर्वप्रथम बाईपास सर्जरी का प्रयोग यू०एस०ए० में हुआ था।
◆ 3 दिसम्बर, 1967 ई० को हृदय का प्रथम प्रत्यारोपण दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टर क्रिश्चियन बनार्ड ने किया था ।
◆ अपरूपान्तरण (Metastasis) एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा कैंसर कोशिकाओं में और अधिक विभाजन का सफलतापूर्वक संदामन किया जाता है।
◆ मौसम संबंधी परिवर्तनों के बारे में जानकारी प्राप्त करने लिए हीलियम गैस से भरे गुब्बारें प्रयोग में लाये जाते हैं।
◆ किसी वस्तु के त्रिविमिय प्रतिरूप को अंकित तथा पुनरावृत्ति करने की तकनीक का नाम होलोग्राफी है। यह लेसर किरणों द्वारा की गई फोटोग्राफी है जिसमें वस्तु का चित्र त्रिआयामी हो जाता है ।
◆ विज्ञान का क्षेत्र जो मानव एवं यन्त्र के मध्य स्वचलन एवं संचार का अध्ययन करता है, साइबनेंटिक्स (cybernatics) कहलाता है। यह विज्ञान की आधुनिकतम शाखा है, इसकी परिकल्पना 1949 ई० सर्वप्रथम नारबर्ट वीनर ने की थी। इसे नियंत्रण का विज्ञान भी कहते हैं।
◆ 19 दिसम्बर, 1945 में मुम्बई से टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ फण्डामेन्टल रिसर्च की स्थापना की गयी थी ।
◆ नेशनल स्कूल आफ डिजाइन पुणे में है।
◆ एडमिरल गोरशोकोव एक विमान वाहक पोत है, जिसे भारत ने रूस से खरीदा है। यह विमानवाहक पोत विराट का स्थान ग्रहण करेगा। यह हिन्द महसागर में भारत की उपस्थिति को मजबूती प्रदान करेगा।
◆ आई० सी० चिप्स सिलिकॉन की बनी होती है। इसका निर्माण 1958 ई० में जे० एस० किल्वी० ने किया था।
◆ के० कम्प्यूटर : जापान द्वारा विकसित सर्वाधिक तीव्रता के साथ चलने वाला कम्प्यूटर है। इसकी गति 8.3 पेंटाफ्लाप्स/ सेकंड है ।
◆ सागा- 220 : इसरो द्वारा विकसित भारत का सर्वाधिक तेज गति से चलने वाला सुपर कम्प्यूटर जिसे 02 मई 2011 को विक्रम साराभाई अन्तरिक्ष केन्द्र स्थित सतीश धवन सुपर कम्प्यूटिंग प्रयोगशाला | में स्थापित किया गया।
◆ कोरोनोग्राफ : अंतरिक्ष में उठने वाले तूफानों की पूर्व जानकारी उपलब्ध कराने वाला उपकरण कोरोनोग्राफ कहलाता है। इस उपकरण की सहायता से सूर्य में नौ बड़े तूफानों का पता लगाया गया है, जिन्हें कोरोनल मास इंजेक्शन कहा जाता है।
◆ पालीग्राफ : झूठ पकड़ने वाली मशीन को पालीग्राफ कहते हैं। यह मशीन शरीर में होने वाली चार भौतिक गतिविधियों का एक साथ ग्राफिक्स तैयार करता है। यह मशीन इस सिद्धान्त पर आधारित है कि मनुष्य के दिमाग में जो कुछ होता है उसका प्रभाव भौतिक गतिविधियों पर अवश्य पड़ता है।
◆ फैक्स: इसका पूरा नाम फारअवे जेरॉक्स है। इससे एक स्थान से दूसरे स्थान पर जेरॉक्स कॉपी भेजा जा सकता है।
◆ रेवा: भारत की प्रथम बैटरी से चलने वाली कार है ।
◆ री एजेंट : यह एक प्रकार का रसायन है जिसका उपयोग दूध में मिलावट का पता लगाने हेतु किया जाता है। इस रसायन की एक बूँद का प्रयोग करके मात्र कुछ सेकेण्ड में यह पता चल जाता है कि दूध ‘प्राकृतिक’ है अथवा ‘सिंथेटिक’ है।
◆ सीडी स्ट्रिप : यह सरसों के तेल में ‘बटर यलो’ की मिलावट की जाँच के लिए विकसित एक तकनीक है। इस तकनीक के तहत मिलावट की जाँच हेतु रसायन युक्त एक छोटे कागज पर एक बूँद तेल डालने के बाद यदि वह गुलाबी हो जाए, तो तेल में बटर यलो की मिलावट की पुष्टि हो जाती है।
◆ सार्स : रहस्यमय निमोनिया के रूप में चर्चित घातक बीमारी सार्स यानी ‘सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रॉम’ के विषाणु को ‘पैरामिक्सोवायरस ‘ के रूप में चिह्नित किया गया है, जो कोरोनोवायरस परिवार से सम्बन्धित है। इसके रोगी में निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। लगातार खाँसी आने और सांस में तकलीफ बने रहने के कारण रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।
◆ नैवीरेपीन : वैज्ञानिकों ने एड्सग्रस्त महिलाओं के गर्भस्थ शिशु को इस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए एक सस्ती दवा ‘नैवीरेपीन’ का विकास किया है। इस दवा की मात्र दो खुराकों से ही प्रतिवर्ष लाखों शिशुओं को एड्स बीमारी से बचाया जा सकता है। शिशु को यह दवा 18 माह की आयु तक दी जाती है।
◆ अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनी मोनोसांटो ने कृषि जगत में विकास के लिए कीटप्रतिरोधी क्षमता वाले कपास का बीज तैयार किया है। उसने वैसीलस थुरिजिएनसिस (B.T.) जीवाणुओं को इसके लिए कपास में अंतरित किया। इस बायोटेक्निोलॉजिकल रिसर्च की मदद से आलू, टमाटर तथा सरसों के कीट प्रतिरोधी बीज तैयार कर लिए गए हैं।
◆ हाइब्रिडोमा तकनीक का विकास 1975 ई० में डॉ० मिलस्टोन कोस्लर एवं जर्मे द्वारा किया गया। इस तकनीक द्वारा एक क्लोनी प्रतिरक्षियों का वाणिज्यिक उत्पादन किया जाता है।
◆ टर्मिनेटर बीज जेनेटिक इंजीनियरों द्वारा तैयार किया गया ऐसा बीज है, जिनके अंकुरण से पौधे तो तैयार होते हैं, किन्तु उनसे अंकुलक्षण बीज का उत्पादन नहीं होता है।
◆ ईकोमार्क उन भारतीय उत्पादों को दिया जाता है, जो पर्यावरण के लिए अनुकूल होते हैं। यह भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा दिया जाता है।
◆ टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के जनक प्रो० सर रॉबर्ट एडवर्ड्स (1925-2013) थे जिन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक प्रयोगशाला में 1968 में इस तकनीक का आविष्कार किया था। तत्पश्चात् 1978 में इनके निरंतर प्रयासों के फलस्वरूप ओल्डहैड जनरल अस्पताल में लुइस ब्राऊन नामक प्रथम टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म संभव हुआ। इसके लिए एडवर्ड्स को 2010 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कंपनी मुख्यालय
वोडाफोन यूनाइटेट किंगडम, लंदन
एडोब सिस्टम कैलीफोर्निया (अमेरिका)
सैमसंग सियोल द. कोरिया
हेवलेट पैकर्ड पालो अल्टो, अमेरिका
हिटाची चियोडा, टोक्यो, जापान
आईबीएम अरमान्क, अमेरिका
सोनी मिनाटो, जापान
तोशिबा मिनाटो, जापान
पैनासोनिक काडोमा, जापान
डेल राउंड रॉक, अमेरिका
वालमार्ट अमेरिका
नोकिया इसपू, फिनलैंड
माइक्रोसॉफ्ट रेडमांड, अमेरिका
एप्पल इंक कूपरटीनो, अमेरिका
कैनन इंक ओताकू, जापान
इंटेल सैन्टा क्लारा, अमेरिका
फुजीफिल्म टोक्यो, जापान
कोडक रोचेस्टर, अमेरिका
मीत्सुविशी टोक्यो, जापान
गूगल माउन्टेनव्यू, अमेरिका
याहू सन्नीवेल अमेरिका
एसेर इंक न्यू ताइपेई, ताइवान
फिलीप्स एमसटर्डम्, नीदरलैंड
लेनोवो बीजिंग, चीन

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