मिड-डे-मील स्कीम से आपका क्या आशय है ? इस योजना के उद्देश्य एवं क्षेत्रों का वर्णन कीजिए । What do you mean by Mid-Day Meal Scheme? Describes it’s objectives and scope
मिड-डे मील योजना के उद्देश्य (Objectives of MidDay Meal Programme)
- प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की प्रवेश संख्या में वृद्धि करना।
- प्राथमिक स्तर पर अपव्यय को रोककर बालकों को प्राथमिक स्कूलों में रोके रखना ।
- छात्रों की नियमित उपस्थिति में वृद्धि करना ।
- छात्रों को पौष्टिक भोजन के द्वारा स्वास्थ्य लाभ देना।
- बिना किसी भेदभाव के एक साथ भोजन करने से भ्रातृत्व का भाव उत्पन्न करना, जातिभेद खत्म करना ।
मिड-डे मील योजना केन्द्र सरकार के द्वारा शुरू की गई। इस योजना में केन्द्र और राज्य सरकारें 75:25 के अनुपात में व् करती हैं। सरकार भोजन के लिए खाद्य सामग्री (गेहू, चावल व अन्य पदार्थ) उपलब्ध कराती है। भोजन कराने के लिए 25 बालकों पर एक रसोइया तथा एक सहायक, 25 से अधिक बालकों पर 2 रसोइये तथा दो सहायकों की व्यवस्था है जो भोजन पकाने का कार्य करते हैं ।
- फोर्टिफिकेशन (Fortification)- फोर्टिफिकेशन एक प्रयास और परीक्षण प्रक्रिया है जिसके माध्यम से खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को जोड़ा जाता है। चावल और गेहूँ जैसे स्टेपल की फोर्टिफाई लोहे और विटामिन ‘ए’ के साथ सफलतापूर्वक सफल हुआ है। पकाए हुए भोजन को भी प्री–मिक्स सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ मजबूत किया जा सकता है। एक उचित लागत मूल्य पर सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की स्थिति में सुधार किया जा सकता है। डब्लूएफपी, ओडिशा की सरकार के साथ मिलकर एक जिले में एमडीएम चावल में लौह तत्त्व का चालन किया । एक साल के भीतर एनेमिया के मामलों में 5% की गिरावट आ गई ।
- एकीकृत सुरक्षित तथा स्वच्छ आदतें (Integration of Safe and Hygenic Practices ) – एमडीएम में सुरक्षित और स्वच्छ आदतों को एकीकृत करना सुनिश्चित करना आवश्यक है। यह खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के द्वारा तैयारी एवं उपभोग के समय निर्धारित किया जा सकता है। पाक और भण्डारण सुविधाओं में स्वच्छता होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त हाथ धोने के तथा वस्तुओं को साफ करने के लिए सतत जल आपूर्ति, एप्रेन के साथ उपयुक्त किट, रसोइए के लिए दस्ताने और कैप्स, सुरक्षित खाद्य अपशिष्ट निपटान की आवश्यकता है। प्रत्येक विद्यालय में शौचालय बनाने के लिए सरकार की ओर पहल की आवश्यकता है।
- विद्यालय प्रबन्धन में सुधार (Improvement in School Management) – विद्यालय प्रबन्धन में रसोई कर्मचारी तथा छात्र स्वयं योजना के आवश्यक सहयोग के लिए प्रबन्धन करता है। रसोई में कार्य करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य की नियमित जांच होना आवश्यक है तथा उन्हें अच्छी स्वास्थ्य आदतों को अपनाना चाहिए जैसे खाना बनाने से पहले हाथ धोना आदि। स्वच्छ हाथ, स्वच्छ बर्तन, स्वच्छ खाना पकाना तथा स्वच्छ रसोई तीन महत्त्वपूर्ण सन्देश है जो विद्यालय प्रबन्धन में सम्मिलित होने चाहिए। पोषण को सफलतापूर्वक सुधारने के लिए खाद्य, स्वास्थ्य स्वच्छ पेय जल के साथ किया जा सकता है। एमडीएम भारत के पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिए सहयोग करते हैं। लेकिन इनमें स्वच्छता और पोषण सम्बन्धी मूल्य के बारे में कुछ खामियाँ है जिनको दूर करने की आवश्यकता है।
किसी भी कार्यक्रम के प्रभाव का आंकलन करने के लिए एक पूर्व और पोस्ट ‘आदर्श डिजाइन होता है जो नियन्त्रण समूह के साथ हस्तक्षेप करते है। चूँकि इस कार्यक्रम में आ जानकारी उपलब्ध नहीं थी, इसीलिए 30 स्कूलों का एक सेट नियन्त्रण समूह के रूप में एमडीएम कार्यक्रम के बिना तुलनीय सामाजिक आर्थिक. पृष्ठभूमि के लिए प्रयोग किया गया था। दोनों स्कूलों के सेट उसी भौगोलिक क्षेत्र के थे, जो अनिवार्य रूप से समान सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के थे । प्रत्येक विद्यालय में नैदानिक परीक्षा और शैक्षिक प्रदर्शन के लिए 5 लड़के तथा 5 लड़कियों का चयन प्रत्येक विद्यालय से किया गया । यदि किसी कक्षा में लड़कों या लड़कियों की संख्या दस से कम थी, तो सभी उपस्थिति छात्रों को चयन में सम्मिलित किया गया। इन चयनित विद्यालयों में निम्नलिखित का आंकलन किया गया –
- विद्यालय नामांकन (प्रत्येक गाँव में 6-11 साल के बच्चों की कुल संख्या या विद्यालय में दाखिला प्रतिशत), उपस्थिति (बच्चों ने पिछले वर्ष 60% कार्य दिवसों में उपस्थित हुए), प्रतिधारण (एक ही रोल नम्बर पर 5 वर्ष लिए जारी रखने वाले छात्रों की संख्या) तथा विद्यालय छोड़ने की दर (पिछले 5 वर्षो में छात्रों की संख्या में कमी / गिरावट ) ।
- मानवमिति (लम्बाई और वजन) तथा नैदानिक परीक्षा (बच्चों)के उप नमूने) के द्वारा बच्चों की पोषण सम्बन्धी स्थिति।
- पिछले साल वार्षिक परीक्षा में बच्चों द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर शैक्षिक प्रदर्शन |
- पोषक तत्त्व तथा उनके उपभोग के परिणाम ।
- नामांकन स्थिति (Enrollment Status ) – छात्रों की कुल संख्या ( 6 – 11 वर्ष) जो स्कूल नामांकन के योग्य थे। उनकी कुल जनसंख्या की 14% थी । अतः एमडीएम कार्यक्रम के साथ स्कूलों में दाखिला संख्या 68% तक हो गई ।
- उपस्थिति (Attendance) – मिड-डे मील के प्रभाव से छात्रों की उपस्थिति में बढ़ोत्तरी हो गई ।
- प्रतिधारण दर ( Retention Rate) – एमडीएम स्कूलों में कक्षा एक में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या (80.2%) किया जो गैर एमडीएम स्कूलों से बेहतर थी। इन छात्रों को अगले 4 वर्षों के लिए दाखिला एवं पदोन्नति दी गई। मिड डे मील • कार्यक्रम ने लड़कियों की प्रतिधारण को कम किया है। मिड डे मील ने प्रतिधारण दर को उचित तरीके से कम किया है।
- ड्रॉप आउट (Drop Out) – मिड डे मील ने विद्यालय में छात्रों की संख्या को बढ़ाने में सहयोग किया जो छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं उनके लिए ये कार्यक्रम आकर्षण का केन्द्र है जिससे वे विद्यालय में रुकने के लिए बाध्य हो गए ।
- शैक्षिक प्रदर्शन ( Scholastic Performance) – पूर्ववर्ती वार्षिक परीक्षा में प्रत्येक बच्चे द्वारा प्राप्त अंक स्कूल के रिकॉर्ड से एकत्र किए गए थे जो सामान्य तौर पर विश्लेषण के उद्देश्य के लिए स्कूलों में अपनाए गए ग्रेड के अनुसार वितरित किए गए थे। मिड-डे मील स्कूलों में ग्रेड A वाले छात्रों का अनुपात बढ़ गया है। मिड-डे मील के प्रभाव से छात्रों की स्कूल गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है। कुल दाखिला दर को प्रोत्साहन मिला है। शैक्षिक सुविधाओं के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य के अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे है। विद्यालय में बालिकाओं की संख्या में वृद्धि तथा छात्रों के पोषण स्तर को बढ़ाने के लिए मिड-डे मील उत्तरदायी है। मिड-डे मील में उपलब्ध पोषक भोजन की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा रहा है। प्रत्येक राज्य के मिड-डे मील मानक वहाँ की आवश्यकता के अनुसार ही निर्धारित किए गए है।
- इस योजना को लागू करने के बाद से प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति एवं जनजाति व मुस्लिम छात्रों का नामांकन बढ़ा है।
- इस योजना के बाद से ही बीच में स्कूल छोड़ जाने वाले छात्रों की संख्या में कमी आयी है अर्थात् अपव्यय की समस्या का समाधान हुआ है।
- इस योजना के कारण गरीब परिवारों के बच्चे जिन्हें पौष्टिक आहार नहीं मिलता था उन्हें पौष्टिक आहार मिलने लगा है जिससे उनका पोषण हुआ है। छात्रों के एक साथ बैठकर खाने से जातिगत भेदभाव में कमी आयी है।
- जो धनराशि सरकार से इस योजना के लिए स्कूलों को प्रदान की जा रही है उसका सही प्रयोग नहीं किया जा रहा है।
- आए दिन समाचार पत्रों में खबरें प्रकाशित होती रहती हैं कि मिड-डे मील खाने से छात्रों की तबीयत खराब हो गई। इसका प्रमुख कारण है मिड-डे मील बनाते समय – सफाई का ठीक प्रकार से ध्यान न रखना ।
- इस योजना के प्रति स्कूल गम्भीर नहीं हैं जिससे यह योजना ठीक प्रकार से चल नहीं पा रही है। कोई भी योजना छात्रों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देती है, इस योजना के प्रति गम्भीरता न होने से यह बालकों के लिए लाभदायी से ज्यादा कष्टदायी सिद्ध हो रही है।
