शिक्षण प्रतिमान के कार्य / क्षेत्रों की विवेचना कीजिए। Describe the functions/scope of teaching model.
प्रश्न – शिक्षण प्रतिमान के कार्य / क्षेत्रों की विवेचना कीजिए। Describe the functions/scope of teaching model.
या
शिक्षण प्रतिमान के प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं? समझाइए। What are the major functions of teaching model? Explain.
उत्तर- शिक्षण प्रतिमान के कार्य / क्षेत्र (Functions/Scope of Model of Teaching)
प्रतिमान के द्वारा शिक्षण प्रक्रिया को एक नई दिशा प्राप्त होती है। इनके प्रयोग से शिक्षण रोचक एवं प्रभावशाली बन जाता है। फिर भी हमारे मन में कुछ मौलिक प्रश्नों का प्रादुर्भाव होने लगता है कि क्यों हमें प्रतिमान बनाने चाहिए? इसके विशेष उद्देश्य क्या हो सकते हैं? एवं इनके कया कार्य या क्षेत्र हैं? आदि। शिक्षण प्रतिमान किन-किन क्षेत्रों में प्रभावशाली हो सकता है इसे हम निम्न बिन्दुओं के द्वारा समझ सकते हैं-
- शिक्षण उद्देश्य की प्राप्ति में शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति के क्षेत्र में प्रतिमानों का विशेष महत्त्व होता है। शिक्षण के वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हमें यह देखना होता है कि उचित प्रतिमानों का प्रयोग शिक्षण में किया जा रहा है या नहीं। इसके प्रयोग से बालकों के व्यवहार में किस सीमा तक परिवर्तन हुए ये भी शिक्षण प्रतिमान के क्षेत्र के अन्तर्गत आता है।
- शिक्षण का विकास – शिक्षण प्रतिमान शिक्षण अधिगम को रुचिकर, आकर्षक, प्रभावी एवं उपयोगी बनाने में मदद करता है। शिक्षण में प्रतिमानों के प्रयोग से कठिन से कठिन विषय-वस्तु सरल एवं रोचक प्रतीत होने लगती है। अतः शिक्षण के विकास के क्षेत्र में भी शिक्षण प्रतिमान आवश्यक हैं।
- पाठ्यक्रम का विकास-इसका अन्य कार्यक्षेत्र भिन्न-भिन्न कक्षाओं के भिन्न-भिन्न विषयों के लिए पाठ्यक्रम का विकास करना है जिसके आधार पर शिक्षण प्रक्रिया को कार्यान्वित किया जाता है। शिक्षण प्रक्रिया में पाठ्यक्रम के द्वारा ही वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति सम्भव हो पाती है।
- मार्ग निर्देशन का क्षेत्र शिक्षण प्रतिमानों को सुनिश्चित करना होता है कि वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए क्या, क्यों, कैसे आदि के लिए मार्गनिर्देशन करना है। शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों को शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति कराना शिक्षण प्रतिमान के क्षेत्र के अन्तर्गत् ही आता है।
- अनुदेशनात्मक सामग्री का विश्लेषण- जब एक शिक्षक पाठ्यक्रम का निर्माण एवं निर्धारण कर लेता है तब उसे पाठ्य के अनुसार ही सहायक सामग्रियों का नियोजन करना पड़ता है। वह उनका उपयोग शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में इस प्रकार सुनिश्चित करता है जिससे बालक के व्यवहार में वांछित परिवर्तन आ सके।