सर्वशिक्षा अभियान को विस्तारपूर्वक लिखो। Write a detailed note on Sarva Shiksha Abhiyan (SSA)
हमारे संविधान की अनुच्छेद 45 में स्पष्ट निर्देश था कि सभी राज्य इस संविधान के लागू होने के 10 वर्ष के अन्दर 14 वर्ष तक के सभी छात्रों की अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था कर लें। इस सम्बन्ध में कोठारी आयोग, शिक्षा की राष्ट्रीय नीति में भी सुझाव दिए गए तथा इसे लागू करने के लिए ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया गया। प्राथमिक शिक्षा की अनिवार्य एवं निःशुल्क व्यवस्था करने के सम्बन्ध में सरकार ने बहुत सी योजनाएँ लागू की परन्तु इन सबसे शिक्षा का वास्तविक लक्ष्य हासिल नहीं हो सका। सन् 2000 तक भी हम वो लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सके जिसे प्राप्त करने के लिए संविधान में दस वर्षों का समय निश्चित किया गया था। सरकार ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नवम्बर 2000 में “सर्व शिक्षा अभियान” को मंजूरी दी। सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत 2001 में की गई । इसे राष्ट्रीय योजना के रूप में सभी जिलों में लागू किया गया। इस अभियान का उद्देश्य 2010 तक 6 से 14 आयु वर्ग के सभी छात्रों को अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराना था। इस प्रकार सर्व शिक्षा अभियान एक समयबद्ध कार्यक्रम है जो 6-14 वर्ष तक के सभी बालकों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रबन्ध करता है –
- समयबद्ध कार्यक्रम (Time Bound Programme) – सर्व शिक्षा अभियान समयबद्ध चलने वाला एक कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक देश के सभी बालकों को आठ वर्ष की प्रारम्भिक शिक्षा उपलब्ध कराना था।
- प्रारम्भिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण (Universalisation of Elementary Education )- प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए यह एक दृढ़ संकल्प है।
- गुणात्मक शिक्षा (Quality Education) – पूरे देश में शिक्षा की माँग को देखते हुए प्रारम्भिक स्तर पर गुणात्मक शिक्षा प्रदान करना ताकि बालकों का बौद्धिक स्तर ऊँचा हो सके।
- स्थानीय संस्थाओं की प्रभावशाली सहभागिता (Effective Involvement of Local Bodies) – स्थानीय संस्थाओं को सुदृढ़ता तथा प्रभावशाली ढंग से सहभागिता लिए यह अभियान प्रोत्साहित करता है। पंचायती राज्य संस्थाओं, ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर विकास समितियाँ विद्यालय प्रबन्धकों, अभिभावक- शिक्षक संस्था, जनजातीय स्वायत्त परिषदों एवं अन्य स्थानीय स्तर की समितियों की सहभागिता को यह अभियान प्राथमिकता देता है।
- केन्द्र एवं राज्य स्तर पर सहयोग (Cooperation at the Centre and State Level) – इस कार्यक्रम के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु राज्य एवं स्थानीय सरकारों के बीच सहयोग की भावना को विकसित करना ।
- सामाजिक न्याय (Social Justice) – प्रारम्भिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण करते हुए जन साधारण का सामाजिक स्तर पर समानता प्रदान करना सर्व शिक्षा अभियान का प्रमुख उद्देश्य है जिससे सभी लोगों को बिना किसी जाति, धर्म, या अन्य भेदभाव के सामाजिक न्याय प्राप्त हो सके।
- राज्यों के अपने दृष्टिकोण का विकास एवं राष्ट्रीय एकता (Development of States Own Vision and National Unity) – यह कार्यक्रम राज्यों को यह अधिकार देता है कि वह प्रारम्भिक स्तर पर शिक्षा का अपना दृष्टिकोण विकसित करें एवं राष्ट्रीय एकता स्थापित करें।
- प्रारम्भिक शिक्षा (Elementary Education) — सर्व शिक्षा अभियान का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्ष्य देश के 6-14 वर्ष तक के सभी बच्चों को प्रारम्भिक शिक्षा उपलब्ध करवाना है। 86 वें संवैधानिक संशोधन के द्वारा भी 6-14 वर्ष वाले बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा को एक मौलिक अधिकार के रूप में निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के रूप से उपलब्ध कराना अनिवार्य बना दिया गया है ।
- प्राकृतिक वातावरण (Natural Atmosphere) — सर्व शिक्षा अभियान का एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य बच्चों को प्राकृतिक वातावरण में शिक्षा प्रदान कराना है। बालक प्राकृतिक वातावरण में सबसे प्रभावी ढंग से सीखता है और उसका सर्वांगीण विकास प्राकृतिक वातावरण में ही उचित ढंग से हो पाता है।
- विद्यालयों में सामुदायिक सहभागिता (Contribution of Community in Schools) – संवैधानिक संशोधनों ( 73वां एवं 74वां) को लागू करना सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य है जिसके अन्तर्गत सरकार विद्यालयों में सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करेगी।
- मूल्य आधारित शिक्षा (Value Based Education)सच्चाई, मित्रता, भ्रातृत्व, अनुशासन एवं आध्यात्मिक चिन्तन आदि के विकास में शिक्षा की प्रभावशाली भूमिका होती है इसलिए सर्व शिक्षा अभियान में मूल्य आधारित शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है। बच्चों के जीवन पर इन नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। बच्चे के चारित्रिक निर्माण में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
- सामाजिक क्षेत्रीय एवं लैंगिक असमानता के बीच कंड़ी (Link between Social, Regional and Gender Inequality) — सर्व शिक्षा अभियान का एक प्रमुख लक्ष्य बच्चों में सामाजिक क्षेत्रीय एवं लैंगिक असमानता के आधार पर उत्पन्न भेद-भाव को समाप्त करना है।
- शिशु देखभाल को महत्त्व (Importace to Child Care)— इस योजना के अन्तर्गत 0-4 वर्ष के बच्चों को शामिल किया गया है क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत यह आवश्यकता महसूस की गई की बालक की प्रारम्भिक शिक्षा से पूर्व उसकी शिशु शिक्षा प्रारम्भ हो जानी चाहिए जिससे बच्चा प्रारम्भिक शिक्षा हेतु तैयार हो सके। इसके लिए अनेक प्रयत्न, जैसे- बच्चों के विकास एवं देखभाल के लिए स्त्री एवं बाल विकास विभाग का प्रबन्ध किया गया है ।
- सन् 2003 तक प्राथमिक शिक्षा को सर्वसुलभ बनाना।
- सभी बच्चों ( 6 – 14 वर्ष तक) हेतु वर्ष 2005 तक प्रारम्भिक विद्यालय, शिक्षा गारन्टी केन्द्र, वैकल्पिक विद्यालय, “बैंक टू स्कूल” शिविर उपलब्ध कराए जाएं।
- 2007 तक सभी बच्चे 5 वर्ष तक की प्राथमिक शिक्षा पूरी कर लें ।
- 2010 तक सभी बच्चें 8 वर्ष की स्कूली शिक्षा पूर्ण कर लें ।
- वर्ष 2010 तक सार्वभौमीकरण प्रतिधारण ।
- स्त्री – पुरूष असमानता तथा सामाजिक वर्गभेद को 2007 तक प्राथमिक स्तर तथा 2010 तक प्रारम्भिक स्तर पर समाप्त करना ।
- जीवन स्तर पर गुणात्मक शिक्षा पर बल दिया जाएगा।
- शिक्षा को जीवन के साथ जोड़े जाने के उपाय किए जाएंगे।
- वर्ष 2010 तक सभी बच्चों को विद्यालय में बनाए रखना ।
- प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना।
सर्व शिक्षा अभियान एवं शैक्षिक सुविधाएँ (Sarva Shiksha Abhiyan and Educational Facilities)
- शिक्षक (Teacher) – विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति सम्बन्धी शैक्षिक सुविधाएँ निश्चित करने का कार्य सर्व शिक्षा अभियान करता है। इस अभियान के अनुसार प्रत्येक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय को 40 छात्रों पर एक शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी। प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में कम से कम दो शिक्षक जबकि उच्च प्राथमिक की प्रत्येक कक्षा के लिए एक शिक्षक होगा।
- विद्यालयी सुविधाएँ ( School Facilities) — आवासीय क्षेत्रों में एक किलोमीटर के क्षेत्र में विद्यालय होंगे। नए विद्यालयों की स्थापना राज्य सरकार के नियमानुसार होगी जबकि पिछड़े क्षेत्रों अथवा जहाँ शिक्षा नहीं पहुँच रही वहाँ ई.जी. एस. (Educational Guarantee Scheme) केन्द्रों की स्थापना की जानी चाहिए । बालकों की संख्या को ध्यान में रखते हुए दो प्राथमिक विद्यालयों के लिए एक उच्च प्राथमिक विद्यालय (Middle School) की स्थापना की जा सकती है।
- कक्षा – कक्ष की स्थापना (Establishment of Classroom)सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत सभी प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम दो हवादार कमरे होने चाहिए साथ ही एक बरामदा भी होना चाहिए। इस अभियान के अनुसार प्रत्येक विद्यालय में ऐसे अच्छे कमरों की व्यवस्था आवश्यक रूप से हो जिससे बालकों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े साथ ही साथ विकलांग एवं अयोग्य बालकों की आवश्यकताओं के आधार पर कक्षा-कक्ष में साधन उपलब्ध हों।
- निःशुल्क पुस्तकें (Free Text Books) – सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत अनुसूचित जातियों एवं अनसूचित जनजातियों के बालकों, विकलांग तथा निर्धन बालकों को निःशुल्क पाठ्य-पुस्तकें प्रदान की जाएंगी। इस अच्छे कार्य में राज्य सरकार भी अपना पूर्ण सहयोग दे रही है।
- शिक्षण अधिगम सामग्री (Teaching-Learning Materials)—प्राथमिक स्तर पर शिक्षण अधिगम प्रभावशाली बनाने हेतु प्रत्येक विद्यालय को शिक्षण एवं अधिगम सामग्री खरीदने के लिए ₹10,000 प्रति विद्यालय व उच्च प्राथमिक स्तर के लिए ₹50,000 का अनुदान दिया जाएगा। इस अनुदान को व्यय करने का उत्तरदायित्व ग्रामीण शिक्षा समिति तथा विद्यालयों की प्रबन्धन समिति पर होगा । इस सामग्री में छात्रों के प्रयोग में आने वाली सामग्री सम्मिलित है क्योंकि इससे उनका अधिगम और भी प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
- विद्यालय अनुदान ( School Grant) – योजना के अनुसार प्रत्येक विद्यालय में छात्रों को फर्नीचर सम्बन्धी सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी एवं प्रत्येक विद्यालय में फर्नीचर खरीदने के लिए अनुदान भी दिया जाएगा। यह अनुदान मात्र ग्रामीण विकास समितियों एवं विद्यालय प्रबन्ध समितियों द्वारा ही खर्च किया जाएगा साथ ही इसके प्रयोग में पूर्णतः पारदर्शिता रखी जाएगी।
- शिक्षक अनुदान ( Teacher’s Grant) – इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक शिक्षक के अधिगम को प्रभावशाली बनाने के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा ताकि शिक्षक अपनी आवश्यकतानुसार सामग्री तैयार कर सके उसके उचित प्रयोग से अपने शिक्षण को प्रभावशाली बना सके।
- शिक्षण प्रशिक्षण (Teaching Training)-सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की बात भी की गई है ताकि विद्यार्थियों के भविष्य को उज्ज्वल बनाया जा सके। अतः प्रत्येक सेवाकालीन (In service) शिक्षक के लिए 20 दिनों का वार्षिक प्रशिक्षण तथा जो नए प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक भर्ती किए जाएंगे उन्हें 30 दिनों का प्रशिक्षण एवं गैर प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों के लिए 60 दिनों का प्रशिक्षण अनिवार्य होगा | SCERT/DIET को शिक्षकों, के प्रशिक्षण के लिए मजबूत बनाया जाएगा।
- विद्यालय भवन की देखरेख करना ( To Supervise School Building)- प्रत्येक विद्यालय जिसका अपना ( स्वयं का ) भवन होगा, को प्रतिवर्ष भवन को जीर्णोद्वारा (मरम्मत) के लिए ₹5,000 का अनुदान दिया जाएगा। इस अनुदान का प्रयोग ग्रामीण शिक्षा विकास समिति ही करेगी।
- अधिगम असमर्थ बालक (Learning Disabled Children ) – सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत ऐसे बालक जो सीखने में असमर्थ हैं उन्हें योजनाओं के द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। यह आर्थिक सहायता प्रति वर्ष ₹1,200 प्रति बालक के हिसाब से प्रदान की जाएगी। विशेष आवश्यकता वाले बालकों के लिए जिला स्तर पर विशेष योजना तैयार की जाएगी ।
- ग्रामीण एवं शहरी नेतृत्व प्रशिक्षण की व्यवस्था (Arrangement of Training of Rural and Urban Leadership) — सभी लोगों में नेतृत्व क्षमता के विकास करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत ग्रामीण व शहरी लोगों को दो दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि उनमें नेतृत्व क्षमता पैदा हो जाए । इस प्रकार के प्रशिक्षण में स्त्रियों को विशेष प्राथमिकता प्रदान की जाएगी तथा इसके लिए प्रतिदिन के हिसाब से ₹30 का खर्चा दिया जाएगा।
- शिक्षा गारन्टी योजना [Education Guarantee Scheme, (EGS)] — अंप्रैल 2001 में “शिक्षा गारन्टी योजना” को सर्व शिक्षा अभियान के साथ जोड़ा गया। इसमें दूर-दराज के. कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में अगर पढ़ने वाले 25 बच्चे हैं तो वहाँ पर शिक्षा गारन्टी केन्द्र खोला जा रहा है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार इन शिक्षा गारन्टी केन्द्रों को प्राथमिक विद्यालयों में बदला जाएगा। इनके लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था तथा प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी ।
- ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड योजना (Operation Black Board Scheme) — ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड योजना, शिक्षा में अवरोधन को रोकने तथा प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए 1986 में केन्द्र सरकार के द्वारा शुरू की गई। इस योजना के अन्तर्गत स्कूलों में एक बरामदा, दो बड़े कमरे होने चाहिए। कम से कम दो शिक्षक हों जिनमें से हो सके तो एक महिला अध्यापिका हो। साथ ही ब्लैक बोर्ड, नक्शे, चार्ट, खिलौनों आदि आवश्यक शिक्षण सामग्री की पर्याप्त व्यवस्था हो । 2003 में इस योजना को भी सर्व शिक्षा अभियान में जोड़ दिया गया । सन् 2014-15 तक 90% प्राथमिक और 80% उच्च प्राथमिक स्कूलों को इस योजना का लाभ पहुँचाया जा चुका है।
- जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम [ District Primary Education Programme (DPEP)] – जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम 1994 में शुरू किया गया। इसके अन्तर्गत जिला विशेष के अनुसार नियोजन तथा पृथक लक्ष्य निर्धारण के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा के सर्वसुलभीकरण की नीति को लागू करना है। 2009 में इसे भी सर्व शिक्षा अभियान के साथ जोड़ दिया गया। यह कार्यक्रम शैक्षिक रूप से पिछड़े जिलों में चलाया जा रहा है ।
- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना (Kasturba Gandhi Balika Vidyalaya Scheme) – केन्द्र सरकार ने 2004 में “कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना की शुरूआत स्त्री शिक्षा के विकास के लिए की। 2007 में इस योजना को भी सर्व शिक्षा अभियान से जोड़ दिया गया ।
- मीड-डे मील योजना (Mid Day Meal Scheme) – केन्द्र सरकार के द्वारा यह योजना 15 अगस्त, 1995 को शुरू की गई थी। 2007 में इसे भी सर्व शिक्षा अभियान में जोड़ दिया गया ।
- लोक जुम्बिश प्रोजेक्ट (Lok Jumbish Project) – लोक जुम्बिश कार्यक्रम जिला स्तर का कार्यक्रम है जिसे राजस्थान के 13 जिलों में आरम्भ किया गया। बालिका शिक्षा के क्षेत्र में यह योजना अति प्रभावशाली सिद्ध हुई। इस योजना का मूल्यांकन करने पर ज्ञात हुआ कि राजस्थान के क्षेत्रों में इस योजना का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसलिए इस योजना को सर्व शिक्षा अभियान की रूपरेखा के साथ जोड़ा गया ।
- महिला समाख्या (Mahila Samakhya) – महिला समाख्या कार्यक्रम के अधीन स्त्री शिक्षा में बहुत प्रगति हुई है यह बात प्राप्त आँकड़ों से सिद्ध हो चुकी है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए लड़कियों की शिक्षा में सहभागिता बढ़ाने के लिए महिला समाख्या जैसे कार्यक्रमों को मजबूत बनाए जाने पर बल दिया गया ।
- शिक्षक शिक्षा को मजबूती (Strengthening the Teacher’s Education) – शिक्षक शिक्षा को सुदृढ़ करने एवं इसमें शिक्षकों की भर्ती शामिल करने का कार्य सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत किया जाएगा। नवीं पंचवर्षीय योजना की समाप्ति होने के पश्चात् शिक्षक शिक्षा का सम्पूर्ण कार्यक्रम इसी अभियान के अन्तर्गत किया जाएगा। इस अभियान के अन्तर्गत जिला स्तर पर स्थापित डायटों का उचित नेतृत्व किया जाएगा साथ ही राज्यों में स्थापित SCERT’s को शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा।
- जनशाला कार्यक्रम (Janshala Programme) – प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण में जनशाला कार्यक्रम ने विशेष भूमिका निभाई है। इसका आरम्भ भारत सरकार एवं संयुक्त राष्ट्र के अभिकरणों UNDP, UNICEF, UNESCO, ILO, UNFPA के सहयोग से किया गया । जनशाला समुदाय आधारित प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम है जिसका मुख्य उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा को मजबूत एवं प्रभावशाली बनाना है। इसमें समाज के कमजोर वर्ग-लड़कियों, अनुसूचित जाति-जनजाति तथा पिछड़े लोगों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जिन जिलों में यह कार्यक्रम क्रियाशील भूमिका निभा रहें हैं उन जिलों में यह सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत शामिल है। इस प्रकार केन्द्र सरकार की ओर से आरम्भ की गई उपरोक्त योजनाओं को सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत लाकर प्रत्येक प्रकार की सुविधाओं में वृद्धि करने के उपाय किए जाने की व्यवस्था की गई ।
- पिछड़े बालकों की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
- अनुसूचित जाति, जनजाति तथा दुर्गम स्थानों पर रहने वाले बालकों की प्राथमिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ।
- बालिकाओं की प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था पर विशेष बल दिया जा रहा है।
- विकलांग छात्रों की शिक्षा व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है।
- योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है।
- विद्यालयों की अधिसंरचना में सुधार किया जा रहा है।
- प्राथमिक विद्यालयों तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों की उचित संख्या में स्थापना की जा रही है।
- प्रवेश बढ़ाने के लिए निःशुल्क पाठ्य-पुस्तकें, निःशुल्क यूनीफार्म तथा निःशुल्क आहार की व्यवस्था की जा रही है।
- छात्रों को विद्यालयों में रोकने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- स्कूलों के निरीक्षण की व्यवस्था की जा रही है।
- विद्यालयों में कम्प्यूटर शिक्षा की भी व्यवस्था की जा रही है।
- उपलब्धियाँ (Achievements) – इस अभियान की प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं –
- दिसम्बर 2014 तक लगभग चार लाख विद्यालय खोले जा चुके हैं।
- 2014 तक इस अभियान के अन्तर्गत दो लाख से अधिक अध्यापक नियुक्त किए जा चुके हैं ।
- शिक्षा बीच में ही छोड़कर जाने वाले छात्रों की संख्या में कमी लाने में सफलता मिली है।
- बालिकाओं को स्कूलों की तरफ आकर्षित करने में काफी हद तक सफलता मिली है।
- विद्यालयों की जरूरत के अनुसार नए भवन, फर्नीचर तथा आवश्यक शिक्षण सामग्री की व्यवस्था की जा चुकी है।
- निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें, स्कूल ड्रेस तथा दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
- शिक्षण विधियों में सुधार करके शिक्षण को रोचक बनाया जा रहा है।
- पाठ्यक्रमों में समय-समय पर सुधार करके उसे उपयुक्त बनाया जा रहा है।
- 2014 तक निश्चित आयु वर्ग के छात्रों के लिए प्राथमिक शिक्षा 99% तथा उच्च प्राथमिक शिक्षा 90% छात्रों को सर्वसुलभ करवा दी गई है।
- सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के द्वारा अवरोधन की समस्या 95% समाप्त हो चुकी है।
- कमियाँ (Limitations) – इस अभियान की प्रमुख कमियाँ निम्नलिखित हैं-
- स्कूल भवन, फर्नीचर, शिक्षण सामग्री बेकार है जो कि सर्व शिक्षा अभियान की सफलता को प्रभावित कर रही हैं ।
- सर्व शिक्षा अभियान की उपलब्धियों से ऐसा लगता है कि जैसे निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया हो परन्तु यह सत्य नहीं है ।
- अभी भी 4 करोड़ बच्चे प्राथमिक शिक्षा से बाहर हैं।
- 2 करोड़ छात्रों ने प्राथमिक स्कूलों में प्रवेश ही नहीं लिया तथा 2 करोड़ छात्रों ने अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ दी।
सर्व शिक्षा अभियान को सुदृढ़ बनाने हेतु सुझाव
- सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत विद्यालयों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का आधार सन्तुलित होना चाहिए अर्थात् आवश्यकतानुसार ही प्रत्येक विद्यालय को सुविधाएँ प्रदान की जाएँ।
- योजना के अन्तर्गत केवल लड़कियों को ही निःशुल्क पुस्तकें न दी जाएँ अपितु इसमें बालकों को भी सम्मिलित किया जाए ।
- बिना किसी भेद-भाव के प्रत्येक छात्र को समान सुविधाएँ प्रदान की जाएं एवं उनकी प्राथमिक आवश्यकताओं (वर्दी, जूते, कॉपी, पेन्सिल आदि) की पूर्ति की जाए ।
- इस योजना के अन्तर्गत प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए 20 दिनों के सेमिनार (वार्षिक) की व्यवस्था की गई है जिसका उद्देश्य शिक्षकों के ज्ञान में वृद्धि करना होना चाहिए जबकि आजकल सेमिनारों में इस उद्देश्य की पूर्णतः अवहेलना की जा रही है।
- अध्यापकों के सेवापूर्व प्रशिक्षण में सुधार किया जाए अर्थात् परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप आधुनिक शिक्षा को इसके साथ सम्बन्धित किया जाए।
- वर्तमान समय में विद्यालयों में “मिड-डे-मील” योजना के अन्तर्गत बालकों को दोपहर का भोजन दिया जा रहा है जिसमें भोजन पकाने का उत्तरदायित्व अध्यापकों पर है जिससे अध्यापक विद्यालय में मात्र रसोइए बनकर रह गए हैं। इसमें सुधार के लिए सरकार इस योजना को क्षेत्रीय संस्थाओं को सौंपे तथा अध्यापकों को केवल पढ़ाने के कार्य तक सीमित रखें।
- अध्यापकों को विद्यालय से प्राप्त होने वाले अनुदान का रिकार्ड रखने में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि सरकार की ओर से प्राप्त प्रशिक्षण अनुदान खर्च करने के पश्चात् की प्रक्रिया बनकर रह गई है। सरकार को चाहिए कि वह ब्लॉक स्तर पर रिकार्ड लिखने वाले अधिकारियों की नियुक्ति करे ताकि सही ढंग से रिकार्ड तैयार किया जा सके।
- सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए जिससे ग्रामीण स्तर पर पंचायतें व ग्रामीण शिक्षा विकास समितियों में समायोजन की कमी है उसमें सुधार किया जा सके।
- साधारणतः ग्रामीण शिक्षा विकास समितियों में अनपढ़ व्यक्तियों की बहुलता है। वह व्यक्ति जो स्वयं शिक्षित नहीं है उनसे शिक्षा में सुधार की आशा करना व्यर्थ है। अतः सरकार को चाहिए कि वह इस समिति में शिक्षित व्यक्तियों को शामिल करें।
- सरकार को बी.आर.सी. / सी.आर.सी. के उत्तरदायित्वों को निश्चित करना चाहिए क्योंकि बी.आर.सी. (Block Resource Centre) और सी. आर. सी. (Cluster Resource Centre) ऐसे केन्द्र हैं जो योजना की सफलता हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं ।
- इस योजना को मात्र शिक्षा तक ही सीमित रखा जाए। सामान्यतः ग्रामीण स्तर पर अनुदानों या ग्रामीण शिक्षा विकास समितियों को लेकर लोगों द्वारा राजनीति की जाती है। इसका परिणाम सचिव को भुगतना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि वह इस योजना को राजनीति से दूर रखे।
- इस योजना को सफल बनाने हेतु करोड़ों रूपए प्रचार एवं प्रसार के लिए व्यय किए जा रहे हैं। टी.वी., समाचार, पत्रों एवं पोस्टरों आदि के माध्यम से सरकार अत्यधिक धन व्यय कर रही है जबकि योजना के प्रचार के बजाय अध्यापकों को सीधे तौर पर तैयार किया जाए ताकि करोड़ों रूपयों को व्यर्थ में खर्च करने से रोका जा सके।
