सर्वेक्षण विधि का सविस्तार वर्णन कीजिए। Elaborate survey method.
सामाजिक विज्ञान शिक्षण में इस विधि का उपयोग सामुदायिक, आर्थिक सर्वेक्षणों द्वारा आर्थिक तथ्यों, आर्थिक परिस्थितियों, आर्थिक क्रिया-कलापों व्यवसायों आदि का प्रत्यक्ष एवं वास्तविक ज्ञान कराने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा बैंक एवं कुटीर उद्योग, व्यवसाय एवं सेवाओं आदि प्रकरणों को पढ़ाया जा सकता है।
सामाजिक विज्ञान में सर्वेक्षण एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसे सामाजिक विज्ञान शिक्षण की एक नवीन विधि के रूप में अपनाया जा सकता है। स्थानीय भूगोल का अध्ययन सर्वेक्षण पर ही आधारित होता है। माध्यमिक छात्रों द्वारा स्थानीय वस्तुओं के बारे में सामान्य जानकारी का संग्रह किया जाता है। यह सर्वेक्षण की प्रक्रिया का एक हिस्सा होता है।
प्रत्येक सामाजिक विज्ञान शिक्षक स्थानीय वस्तुओं की भौगोलिक जानकारी प्राप्त करने के लिए भूगोल छात्रों सर्वेक्षण कार्य करवा सकता है। इसके लिए छात्रों को उनके आस-पास के पर्यावरण में स्थित (Located) वस्तुओं की भौगोलिक जानकारी संग्रह करके लाने के लिए कहना चाहिए। इस कार्य को यथासम्भव योजना कार्य एवं सर्वेक्षण कार्य के अन्तर्गत शामिल किया जा सकता है। स्थानीय वस्तुओं तथा भौगोलिक तथ्यों के बारे में कक्षा के सभी छात्रों को विषय-वस्तु से सम्बन्धित कार्य को विभाजित कर पूरा करके लाने के लिए कहना चाहिए।
- वे जो वास्तविक या वस्तुनिष्ठ आँकड़ों से सम्बन्धित होते हैं,
- वे जो विचारों से सम्बन्धित होते हैं ।
दोनों ही प्रकार के सर्वेक्षण छात्रों के लिए अभिप्रेरित क्रियाएँ हैं। सर्वेक्षण का आयोजन उचित तरीके से किया जाता है उसके लिए छात्र के कार्य में स्पष्टता होना आवश्यक है। इससे वह खोज की वैज्ञानिक विधियों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे एवं इससे छात्रों में लोकतान्त्रिक प्रक्रिया की सूझ-बूझ विकसित होगी ।
- विधियाँ (Method)- जिस विधि के द्वारा विचारों को प्राप्त करना है, उसके बारे में कक्षा को पहले से ही निर्णय कर लेना चाहिए। अधिकतर प्रश्नावली, साक्षात्कार, टेलीफोन सम्पर्क आदि का ही प्रयोग किया जाता है।
- न्यादर्श (Sample) – न्यादर्श में कितने व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाएगा और न्यादर्श कैसे प्राप्त करना है? इस बात का निर्णय भी कक्षा को कर लेना चाहिए।
- प्रतिनिधित्व (Representation ) – न्यादर्श सर्वेक्षण किए जाने वाले समूह के क्षेत्र का प्रतिनिधत्व करता है या नहीं। इसकी भी जाँच करनी चाहिए।
- प्रश्नावली ( Questionnaire) – प्रश्नावली का निर्माण ध्यानपूर्वक किया जाना चाहिए। प्रश्न ऐसे होने चाहिए जिनके अर्थ में कोई संदेह न हो।
- पूर्वागृह न होना (Lake of Bias) – विचारों का संग्रह करते समय पक्षपात से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
- परिणामों की व्याख्या ( Interpretation of Results ) – कक्षा के द्वारा परिणामों की व्याख्या की जानी चाहिए। व्याख्या करते समय विद्यार्थियों के द्वारा दो बातों पर ध्यान देना आवश्यक है
- परिणाम एक विशेष समय पर न्यादर्श के मौखिक उत्तरों को दर्शाते हैं क्योंकि लोग अपनी विचारधारा को परिवर्तित कर सकते हैं।
- परिणाम पर इस बात का प्रभाव नहीं होना चाहिए कि जो विचार अधिकतर लोगों द्वारा बताया गया है। वह अवश्य ही नैतिक या राजनीतिक रूप से सही होगा।
विचार से सम्बन्धित सर्वेक्षण सामुदायिक संसाधनों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि उसका उपविषय सामयिक रुचि का होता हैं।
- सामाजिक विज्ञान में सर्वेक्षण विधि का प्रयोग वाणिज्यिक आँकड़ों एवं तथ्यों को अध्ययन करने में किया जाता है।
- इसके द्वारा वास्तविक उत्पादन, आयात एवं निर्यात का ज्ञान कर आर्थिक स्थितियों के स्तर का ज्ञान कराया जाता है।
- सर्वेक्षण विधि उत्पादन, क्रय-शक्ति, किसी संस्था विशेष के लाभों एवं भावी अध्ययन हेतु आधार प्रदान करती है।
- सर्वेक्षण द्वारा एकत्रित तथ्यों एवं आँकड़ों को अन्वेषण एवं अनुसन्धान में प्रयोग करके पूर्वानुमान लगाने में उपयोगी है ।
- सर्वेक्षण विधि, सामयिक, वाणिज्य एवं व्यापार सम्बन्धी आँकड़ों को नीति-नियोजन करने में किया जाता है।
- छात्रों को अपना व्यवहार विनम्र रखना चाहिए।
- व्यक्तियों एवं संस्थाओं को बिना दबाव के आँकड़े एकत्रित करना चाहिए।
- सभी छात्रों को ऐसे आयोजन एवं क्रियान्वयन को गम्भीरता से लेना चाहिए ।
- सर्वेक्षण प्रक्रिया में भाषाओं का उचित प्रयोग करना चाहिए।
- सर्वेक्षण के उपरान्त प्राप्त निष्कर्षो की पुनः जाँच करनी चाहिए।
- सर्वेक्षण विधि छात्रों को वास्तविक परिस्थितियों में अध्ययन हेतु कुशलता प्रदान करता है।
- यह विधि तथ्यों एवं आँकड़ों को प्राथमिक क्षेत्रों से एकत्रित कर उपयोग करने पर बल प्रदान करता है।
- इसके आँकड़े एवं तथ्य सत्य होते हैं क्योंकि यह छात्रों द्वारा जन-सामान्य से एकत्रित किए जाते हैं।
- सर्वेक्षण विधि छात्रों की अध्ययन सामग्री एवं ज्ञान को नवीन एवं अद्यतन बनाने में सहायता करती है।
- यह वास्तविक क्रियाओं का ज्ञान कराती है।
- सर्वेक्षण विधि में धन एवं समय की अधिक आवश्यकता होती है।
- इस विधि द्वारा पाठ्यक्रम को पूरा करना सम्भव नहीं होता है।
- प्रायः सभी शिक्षण बिन्दुओं में यह उपयुक्त नहीं हो सकता है।
- तथ्यों का सही प्रकाशन न करने पर आँकड़े गलत परिणामों को व्यक्त कर सकते हैं।
- इसमें वैयक्तिक भिन्नता के द्वारा शिक्षण का अभाव पाया जाता है।
