उपलब्धियों का मूल्यांकन एवं प्रश्नों का निर्माण
उपलब्धियों का मूल्यांकन एवं प्रश्नों का निर्माण
उपलब्धियों का मूल्यांकन एवं प्रश्नों का निर्माण
Evaluation of Achievements and Formation of Questions
विगत वर्षों के CTET परीक्षा के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण करने
से यह ज्ञात होता है कि इस अध्याय से वर्ष 2012 में 2 प्रश्न,
2014 में 4 प्रश्न तथा वर्ष 2016 में 1 प्रश्न पूछा गया है। इस
अध्याय में प्रश्नों के निर्माण, उपलब्धियों का मूल्यांकन आदि
भाग से प्रश्न पूछे गए हैं।
12.1 उपलब्धियों का मूल्यांकन
छात्रों की उपलब्धियों का मूल्यांकन (Evaluation of Achievements) सतत
एवं व्यापक रूप से होते रहना चाहिए। इसके लिए कई विधियों को अपनाया
जाता है, किन्तु ग्रेडिंग पद्धति का प्रयोग इस कार्य हेतु बेहतर होता है।
विभिन्न क्षेत्रों में विद्यार्थियों की उपलब्धियों की रिपोर्ट तैयार करते समय समग्र
ज्ञान में अप्रत्यक्ष ग्रेडिंग के पाँच बिन्दुओं का प्रयोग किया जा सकता है।
इन ग्रेडों में अंकों का वितरण निम्न प्रकार से किया जाना चाहिए
ग्रेड परिणाम अंक (प्रतिशत में)
ए + सर्वोत्कृष्ट 90% – 100%
(Extraordinary)
ए उत्कृष्ट (Excellent) 75% – 89%
बी. बहुत अच्छा (Very good) 56%74%
सी अच्छा (Good) 35% -55%
डी औसत (Average) 35% से कम
• बच्चे के प्रेड उपलब्धि कार्ड में दर्शाया जाना चाहिए, जो प्रतिशतता की
उपरोक्त श्रेणी में व्यवहार के सूचक के अनुसार प्रतिशतता पर आधारित
हो। इसके अलावा, शैक्षिक और शिक्षा से जुड़े क्षेत्रों और बच्चे की
उपलब्धि के स्तर के सम्बन्ध में कुछ टिप्पणियाँ दर्ज की जा सकती हैं। ये
टिप्पणियाँ शिक्षण के क्षेत्र में प्रयास करने के लिए माता-पिता और बच्चे
के लिए सहायक होती है।
• सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन, सतत निदान, उपचार प्रोत्साहन और सराहना
इत्यादि विद्यार्थी की उपलब्धियों में सुधार लाने के लिए उपयोगी सिद्ध हेते
हैं। इसके लिए प्रधानाचार्य, अध्यापक और माता-पिता को अभिमुखी और
ठोस प्रयास करने होंगे जिससे बच्चे के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो
सके। संलग्न रेटिंग मान में विभिन्न ग्रेडों के रूप में विद्यार्थियों को उचित
रूप से रखने में अध्यापक को मदद मिलती है।
उपलब्धियों का परीक्षण
किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति की उपलब्धियों को मापने की
प्रक्रिया को उपलब्धि परीक्षण कहते हैं। इसका प्रयोग अनेक क्षेत्रों में किया
जाता है, उदाहरणस्वरूप-शिक्षा जगत् में, व्यवसाय जगत् में तथा तकनीकी
क्षेत्र में तथा अन्य क्षेत्रों में।
उपलब्धि परीक्षण दो तरह से होता है
1. शिक्षक निर्मित उपलब्धि परीक्षण (Teacher Made
Achievement Test) यह शिक्षक के द्वारा विद्यार्थियों में
समझ को विकसित करने हेतु समय-समय पर आकार अवधि की
समाप्ति पर अध्याय के समाप्त होने पर किया जाता है। यह परीक्षण
छात्रों को व्यक्तिगत विकास तथा उनको अभिप्रेरित करने के लिए
किया जाता है।
2. मानकीकृत उपलब्धि परीक्षण (Standardised Achievement
Test) सामान्य भाषा में उपलब्धि परीक्षण को मानकीकृत उपलब्धि
परीक्षण कहा जाता है। इसका विकास कक्षा स्तर पर कौशल तथा
ज्ञानार्जन को मापने हेतु किया गया है। सामान्यतः योजनाबद्ध निर्देश यथा
प्रशिक्षण या कला निर्देशन द्वारा किया जाता है।
12.2 रचनात्मक मूल्यांकन
रचनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation) फीडबैक उपलब्ध कराता
है, जो विद्यार्थी को (शिक्षा प्राप्ति की) त्रुटियों को समझने और उन्हें दूर
करने में सहायता देता है।
सैडलर के अनुसार “रचनात्मक मूल्यांकन में फीडबैक और स्व मूल्यांकन
दोनों शामिल होते हैं।”
ब्लैक और विलियम के अनुसार, “रचनात्मक मूल्यांकन प्रायः इससे
अधिक कुछ नहीं होता कि मूल्यांकन बारम्बार किया जाता है और
अध्यापन की उसी समय किया जाता है।”
रचनात्मक मूल्यांकन को रूपात्मक आकलन भी कहा जाता है।
रचनात्मक मूल्यांकन में कार्य अनुभव, कला-शिक्षा और स्वास्थ्य तथा
शारीरिक शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कार्य निष्पादन का निर्धारण 5 बिन्दु (point)
वाले पैमाने जैसे ग्रेड ए, ए, बी, बी, सी आदि पर किया जाता है, जिसका
विवरण रिपोर्ट कार्ड की पिछली ओर दिया जाता है।
रचनात्मक मूल्यांकन ग्रेडिंग पैमाना
अंक श्रृंखला श्रेणी (ग्रेड) श्रेणी बिन्दु (ग्रेड प्वॉइण्ट)
91-100 ए₁ 10.0
81-90 ए₂ 9.0
71-80 बी₁ 8.0
61-70 बी₂ 7.0
51-60 सी₁ 6.0
41-50 सी₂ 5.0
33-40 डी 4.0
21-32 ई₁ ―
00-20 ई₂ ―
12.2.1 रचनात्मक मूल्यांकन का कार्यान्वयन
• रचनात्मक मूल्यांकन का कार्यान्वयन (Implementation of Formative
Evaluation) शिक्षा प्राप्ति के लक्ष्य, अभिप्राय अथवा परिणाम और इन्हें
प्राप्त करने की कसौटियों को पूरा करने में सहयोग देता है। रचनात्मक
मूल्यांकन से अध्यापकों और विद्यार्थियों के बीच गम्भीर बातचीत, जो
निरन्तर बनती रहती है उसमें और परिपक्वता आ जाती है।
• रचनात्मक मूल्यांकन के कार्यान्वयन के अन्तर्गत प्रभावशाली फीडबैक
समय पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जो विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा
को आगे बढ़ाने में समर्थ बनाता है।
• रचनात्मक मूल्यांकन विद्यार्थियों का स्वयं अपनी शिक्षा प्राप्ति में सक्रिय
रूप से शामिल होना निर्धारित करता है।
• रचनात्मक मूल्यांकन का कार्यान्वयन अध्यापकों द्वारा अपनी अध्यापन की
पद्धतियों में संशोधन करके शिक्षा प्राप्ति की निर्धारित आवश्यकताओं को
पूरा किया जाना निर्धारित करता है।
• रचनात्मक मूल्यांकन का उपयोग पाठ्यक्रम के अध्यापन और शिक्षा प्राप्ति
को आँकने के लिए किया जाना चाहिए।
• रचनात्मक मूल्यांकन के अन्तर्गत विद्यालय का यह दायित्व है कि वह
विद्यार्थियों को उनके कार्य निष्पादन में सुधार करने में सहायता देने के
लिए, शैक्षिक वर्ष के शुरू होने के समय से विद्यार्थियों की शिक्षा प्राप्त
करने की कठिनाइयों का निदान करे और उन्हें समय के उपयुक्त अन्तरालों
पर माता-पिता के ध्यान में लाए।
• विद्यालयों को विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता को बढ़ाने के उपयुक्त
उपचारी उपायों की सिफारिश भी देनी चाहिए। इसी प्रकार विशेष रूप से
प्रतिभाशाली बच्चों को अतिरिक्त कार्य देकर, प्रतिभा को और बढ़ाने वाली
सामग्री देकर और परामर्श देकर उन्हें और अधिक योग्य बनाया जाना
चाहिए। कमजोर और प्रतिभाशाली दोनों प्रकार के बच्चों की सहायता के
लिए उन्हें परामर्श देने के लिए कक्षा की समय-सारणी में उपयुक्त
व्यवस्था की जानी चाहिए।
• अध्यापक के लिए यह भी जरूरी है कि वह अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार
की योग्यताओं वाले विद्यार्थियों से निपटने की कार्यनीतियों का उपयोग करे।
यह उचित होगा कि शैक्षिक वर्ष के दौरान विद्यार्थियों की और उनके
माता-पिता को विद्यार्थियों की उपलब्धि के स्तर की जानकारी दी जाए,
ताकि विद्यार्थियों के कार्य निष्पादन को बढ़ाने के लिए उनके सहयोग से
उपयुक्त समय पर उपचारी कदम उठाए जा सकें।
• सम्पूर्ण मूल्यांकन के अन्त में बच्चे की सकारात्मक और महत्त्वपूर्ण
उपलब्धियों के बारे में कक्षा के अध्यापक की वर्णनात्मक अभ्युक्तियाँ होनी
चाहिए और अप्रत्यक्ष नकारात्मक मूल्यांकन को टाला जाना चाहिए।
• रचनात्मक मूल्यांकन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए और विद्यार्थियों
को अपने कार्य निष्पादन में सुधार करने में समर्थ बनाने के लिए
अध्यापकों को अपने अध्यापन के दौरान मूल्यांकन के विभिन्न साधनों का
उपयोग करने की आवश्यकता है।
• अध्यापकों को चाहिए कि वे रचनात्मक मूल्यांकन की अवधि में निर्धारण
के कम-से-कम तीन विभिन्न साधनों का उपयोग करें। जहाँ तक
रचनात्मक मूल्यांकनों का सम्बन्ध है, यह प्रस्ताव है कि विद्यालयों को
अपने मूल्यांकन स्वयं करने चाहिए।
• विद्यालयों को अपने आपको केवल कागज, पेन्सिल वाली परीक्षाओं तक
सीमित नहीं रखना चाहिए।
• मूल्यांकन, लिखित और मौखिक दोनों ही प्रकार की परीक्षाओं का होना
चाहिए। इसमें परियोजनाएँ/ क्रिया-कलाप/प्रश्नोत्तरियाँ/ निर्दिष्ट कार्य/
कक्षा-कार्य/ घर का कार्य भी शामिल हो सकता है। परीक्षा से विद्यार्थियों
के मन में भय उत्पन्न नहीं करना चाहिए और इसका स्वरूप ऐसा होना
चाहिए कि उन्हें अनौपचारिक तरीके से किया जा सके।
रचनात्मक मूल्यांकन योजना
रचनात्मक निर्धारण पर संकेन्द्रण (फोकस)
↓
विद्यार्थियों के शिक्षा प्राप्ति के परिणामों और निर्धारण की अपेक्षाओं को बाँटना
↓
स्पष्ट रूप से निर्धारित कसौटियों का उपयोग करना
↓
उदाहरणों और आदर्शों का उपयोग करें
↓
विशिष्ट फीडबैक और फीड फार्वर्ड दें (जिससे यह सहायता मिलेगी)
↓
विद्यार्थी स्व-निर्धारण करें
↓
विद्यार्थी अपनी प्रगति का विवरण रखें
↓
अध्यापक विद्यार्थी की प्रगति का विवरण रखें
12.2.2 रचनात्मक मूल्यांकन के लिए विशिष्ट सिफारिशें
• विद्यार्थी अपना सत्र अप्रैल में शुरू करते हैं और सीबीएसई ने रचनात्मक
मूल्यांकन के लिए यह सिफारिश की है कि यह नए सत्र के प्रारम्भ में
अप्रैल में शुरू हो।
• सीबीएसई द्वारा की गई सिफारिशों में विभिन्न विषयों के बारे में कुछ
महीने-वार सुझाव दिए गए है। यह सलाह दी गई है कि प्रत्येक अवधि में,
विद्यालय रचनात्मक मूल्यांकन के अन्तर्गत विद्यार्थी के कार्य निष्पादन का
मूल्यांकन करने के लिए कागज,पेन्सिल परीक्षा का उपयोग एक से अधिक
बार न करें।
• यह सुझाव दिया गया है कि विज्ञान के मामले में वर्ष में 4 रचनात्मक
मूल्यांकनों में से कम-से-कम एक मूल्यांकन प्रयोगों के रूप में हो।
• गणित में चार मूल्यांकन में से एक मूल्यांकन गणित प्रयोगशाला
क्रिया-कलापों का मूल्यांकन होना चाहिए। समाज विज्ञान में 4 में से
कम-से-कम 1 मूल्यांकन परियोजनाओं पर आधारित होना चाहिए।
• भाषाओं में 4 में से कम-से-कम एक मूल्यांकन श्रवण बोध अथवा
वार्तालाप के रूप में वार्तालाप करने के कौशल का मूल्यांकन होना
चाहिए।
• उपरोक्त मार्गनिर्देशों का प्रयोजन यह है कि मूल्यांकन के बहुविध मॉडलों
का उपयोग किया जाए, ताकि लिखित परीक्षाओं पर ध्यान के संकेन्द्रण
(Concentration) को कम किया जाए।
रचनात्मक मूल्यांकन ग्रेड केवल एक निर्धारण के लिए नहीं हो सकता।
यह किसी सारी अवधि में किए गए कार्य का औसत होना चाहिए।
उदाहरण के लिए एक ग्रेड, जो प्रयोगों को दर्शाता है, एक खास अवधि
में किए गए प्रयोगों (3-4) का औसत होना चाहिए।
12.3 प्रश्नों का निर्माण
बच्चे के ज्ञान, सोच, छवि और भावनाओं का पता लगाने का सबसे उत्कृष्ट
तरीका क्या है? शिक्षार्थी का मूल्यांकन उससे प्रश्न पूछकर और उसके सामने
समस्याएँ रखकर किया जा सकता है। दिए गए उत्तरों के सम्बन्ध में प्रश्न
बनाने की क्षमता भी शिक्षण का उचित परीक्षण है।
सकारात्मक मूल्यांकन करने के रूप में अध्यापक शिक्षण के दौरान उसके
शिक्षण की जानकारी या बच्चे के सामने आने वाली कठिनाइयों को बच्चे से
पूछकर कर सकता है कि बच्चा उनके बारे में क्या सोचता है।
12.3.1 अच्छे प्रश्नों की विशेषताएँ
मनोवैज्ञानिकों ने अच्छे प्रश्नों की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं
1. उद्देश्य पर आधारित प्रश्न पूर्वनिर्धारित उद्देश्य पर आधारित होने
चाहिए और इन्हें इस तरीके से तैयार किया जाना चाहिए कि इससे
उद्देश्य का प्रभावी परीक्षण हो सके।
2. अनुदेश इसके माध्यम से उसे विशेष कार्य सौंपा जाना चाहिए। इस
प्रयोजन के लिए समुचित निर्देशात्मक शब्दों का प्रयोग किया जाना
चाहिए और वाक्य संरचना की स्थिति का उल्लेख किया जाना चाहिए।
3. विषय क्षेत्र इसमें उत्तर की सीमा और क्षेत्र (उत्तर की लम्बाई) का
उल्लेख किया जाना चाहिए, जो अनुमानित समय और उसके लिए तय
अंकों के अनुसार हो।
4. विषय-वस्तु प्रश्न उसी विषय क्षेत्र के अन्तर्गत होना चाहिए, जिसके
सम्बन्ध में परीक्षण किया जाना है।
5. प्रश्न का रूप इसका रूप उस उद्देश्य और विषय-वस्तु पर निर्भर
करता है, जिसकी परीक्षा ली जानी है। कतिपय योग्यताओं की परीक्षा
देने के लिए कई तरीके बेहतर होते है।
6. भाषा अच्छा प्रश्न स्पष्ट, संक्षिप्त और दुविधारहित भाषा में तैयार
किया जाना चाहिए। इसकी भाषा विद्यार्थी की पहुँच में होनी चाहिए।
7. कठिनाई का स्तर प्रश्न उस विद्यार्थी को ध्यान में रखते हुए तैयार किया
जाना चाहिए, जिससे यह प्रश्न पूछा जाना है। प्रश्न की कठिनता परीक्षा
की क्षमता, परीक्षण के विषय-क्षेत्र और उत्तर देने के लिए उपलब्ध
समय पर निर्भर करती है।
8. शक्ति का अन्तर अच्छे प्रश्न में मेधावी विद्यार्थियों और अन्य
विद्यार्थियों को भी ध्यान में रखा जाता है।
9. उत्तर की सीमा का क्षेत्र पुनः निर्धारित करना प्रश्न की भाषा इतनी
स्टीक और संक्षिप्त होनी चाहिए कि उससे सम्भावित उत्तर की सीमा या
परिभाषा स्पष्ट हो सके।
10. मूल्यबिन्दु पूरे प्रश्न के लिए और उसके उप-भागों के लिए मूल्यबिन्दु
या अंकों का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए।
12.3.2 पूरक प्रकार के प्रश्न
पूरक प्रकार के प्रश्नों (Supplementary Type Questions) में विद्यार्थियों
को एक शब्द में या कई वाक्यों अथवा अनुच्छेदों में उत्तर देना होता है।
इस प्रकार के प्रश्नों को ‘स्वच्छ उत्तर’ प्रश्न भी कहा जाता है। पूरक
प्रकार के प्रश्नों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है―
निबन्ध प्रकार, संक्षिप्त उत्तर प्रकार और बहुत संक्षिप्त उत्तर प्रकार।
पूरक प्रकार के प्रश्न
______________|_____________
↓ ↓ ↓
निबन्धात्मक प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्न अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
निबन्धात्मक प्रश्न
• निबन्ध प्रकार के प्रश्न से आशय है― ऐसा लिखित उत्तर जो एक या दो
पृष्ठों में हो। विद्यार्थियों को इस बात की छूट होती है कि वे उत्तर की
शब्दावली, उसकी लम्बाई और उनके संयोजन अपने तरीके से कर सकते
हैं। ज्ञान को मापने के लिए प्रयोग किए जाने वाले निबन्ध प्रकार के प्रश्नों
में अन्तर किया जाना चाहिए। निबन्ध प्रकार के प्रश्नों का उद्देश्य यह है
कि बच्चों का भाषाओं में लिखने का परीक्षण किया जाए। इसे निबन्ध
परीक्षा कहा जाता है।
• ऐसी कई प्रकार की योग्यताएँ हो सकती हैं जिनकी अन्य तरीके से नहीं
बल्कि निबन्ध प्रकार के प्रश्न पूछकर ही परीक्षा ली जा सकती है।
ये योग्यताएँ निम्न प्रकार है
– अर्जित ज्ञान से संगत तथ्य का चयन करना।
– ज्ञान के विभिन्न पहलुओं के बीच उनकी पहचान करना और उनके
आपस का सम्बन्ध निर्धारित करना।
– अनुमान लगाकर सूचनाओं को व्यवस्थित करना, उनका विश्लेषण करना,
तथ्यों की व्याख्या करना और अन्य प्रकार की सूचनाएं एकत्र करना।
– दी गई समस्या के बारे में अपने व्यक्तिगत और मूल दृष्टिकोण को
व्यक्त करना।
– तथ्यों, आंकड़ों और उपुयक्त तकों से अपने विचार को बनाए रखना।
– समस्या और मुद्दे के प्रति आन्तरिक अभिवृत्ति का प्रदर्शन करना।
– स्थूल (व्यापक) और सूक्ष्म दोनों स्तरों पर समस्या को समझना।
निबन्धात्मक प्रश्नों को तैयार करना
• निबन्धात्मक प्रकार के प्रश्नों का आरम्भ सामान्यतः चर्चा, व्याख्या,
मूल्यांकन, परिभाषा, तुलनात्मक व विश्लेषण से होता है।
• निबन्ध प्रकार के प्रश्न अच्छे होते हैं जब उनका समूह छोटा व
समय सीमा के अन्तर्गत परीक्षा के लिए तैयार किया जाता है।
ये लिखित अभिव्यक्ति के लिए भी उचित होते हैं।
• कुछ सामान्य प्रश्न निम्न प्रकार है
– रेतीली मिट्टी जल को क्यों नहीं रोकती है? (प्रश्नात्मक)
– चार ज्ञानेन्द्रियों के नाम बताइए एवं उनके बारे में संक्षेप में
लिखिए। (कथनात्मक)
– गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है?
(प्रश्नात्मक)
अन्य उदाहरण
(i) रूजवेल्ट द्वारा वर्ष 1932 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के
राष्ट्रपति के चुनाव जीतने के कारण बताइए और इस प्रश्न
में समावेशन कर इसे इस प्रकार बनाया जा सकता है।
(ii) रूजवेल्ट का राष्ट्रपति का चुनाव जीतने का महत्त्वपूर्ण
कारण था हूवर की अलोकप्रियता। क्या आप सहमत है?
अपना उत्तर स्पष्ट करें।
इनमें पहले उदाहरण में पूछे गए प्रश्न रटे-रटाए उत्तर पर बल देता
है, जबकि दूसरे उदाहरण में पूछे गए प्रश्न अपेक्षित विचारों,
विश्लेषण एवं मूल्यांकन आदि को महत्त्व देता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
• निबन्धात्मक प्रश्नों में वस्तुनिष्ठता और विश्वसनीयता की कमी होती
है। इसलिए निबन्ध प्रकार के प्रश्नों में संक्षिप्त सार-संक्षेप और
स्पष्टता नहीं होती है।
• लघु प्रश्न-उत्तर दो चरम स्थितियों के मध्य मार्ग है। शिक्षक एवं
छात्र यदि इनके प्रारूप को भली-भाँति समझ लें, तो वस्तुनिष्ठ और
निबन्ध दोनों ही प्रकार के प्रश्न लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। कुछ
लघु उत्तरीय प्रश्न निम्न प्रकार हैं
– संसार के सात अजूबों में से पिरामिड को एक अजूबे के रूप में
क्यों माना गया? (प्रश्नात्मक)
– पौधे और जानवरों में चार अन्तर बताइए। (कथनात्मक)
• लघु उत्तरीय प्रश्न के सन्दर्भ में निम्नलिखित बातों पर ध्यान देने की
आवश्यकता पड़ती है
-लघु प्रश्नों का प्रयोग वार्षिक/यूनिट परीक्षाओं में किया जा सकता
है। लगभग सभी वस्तुनिष्ठ अध्ययनों मे इसका प्रयोग किया जा
सकता है।
– यह छात्रों में सही तथ्यों के संगठन और समझने के विकास में
सहायता करता है। इस प्रकार के प्रश्नों की अपेक्षा अधिक
वस्तुनिष्ठता और विश्वसनीयता होती है।
– इस तरह के प्रश्न अधिक-से-अधिक पाठ्यक्रम को शामिल
करने में सहायता करेगे, क्योकि कुछ निबन्धात्मक प्रश्नों के
स्थान पर अधिक लघु प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इससे प्रश्न-पत्र
की वैधता में भी सुधार आएगा।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न Very Short Answer Type Questions
अति लघु उत्तरीय प्रश्न वे है, जिनके द्वारा निश्चित परीक्षा बिन्दु जाना जाता है और
वस्तुनिष्ठता को चिह्नित किया जा सकता है। इन प्रश्नों से ज्यादातर विषय-वस्तु के
मूल को समझा जा सकता है और अधिक विश्वसनीयता व वैधता को बनाया जा
सकता है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नों के अन्तर्गत परीक्षार्थी से शब्द, पदबन्ध अथवा अलंकार और
वाक्य पूछकर प्रश्नों के उत्तरों को जाना जा सकता है। इससे उत्तर एक शब्द या एक
वाक्य में दिया जा सकता है। इनके उत्तर देने में ज्यादा-से-ज्यादा एक से दो मिनट
लगेगे और आधा से एक नम्बर दिया जा सकेगा। अति लघु प्रश्नोत्तरों का प्रयोग
सभी विद्यालयी विषयों में किया जा सकता है।
कुछ अति लघु प्रश्नोत्तरों के उदाहरण निम्नलिखित है
1. रिक्त स्थान पूर्ति प्रकार के प्रश्न यह भाषा ज्ञान में अभिव्यक्ति को जानने में
सहायक होगा। प्रश्न का एक उदाहरण-मैं बहुत परेशान था क्योकि ………।
2. समानार्थक प्रकार के प्रश्न भाषा में अनुच्छेदों में दिए गए विचार, शब्द,
वाक्य, समानार्थक व विलोम शब्दों को चुनने के लिए भी इनका प्रयोग किया
जा सकता है।
3. मानचित्र पर आधारित प्रश्न भूगोल में नक्शा कौशल को मापने के लिए इन
प्रश्नों का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न का एक उदाहरण नक्शे में सिडनी, कोलोराडो रेगिस्तान दर्शाएँ।
4. रूपान्तरण प्रकार इस प्रकार के प्रश्नों का प्रयोग केवल भाषा को जांचने के
लिए होता है। इस तरह के प्रश्नों के द्वारा कथ्य, वाच्य, संश्लेषण व
वाक्य-रूपान्तरण आदि को जाँचा जा सकता है।
12.3.3 चित्रात्मक प्रश्न
• चित्रात्मक प्रश्नों (Picture Based Questions) का निर्माण सामान्यत: प्राथमिक
कक्षा के ज्ञान की परख हेतु किया जाता है। इस प्रकार के प्रश्नों में दिए गए चित्रों
से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं।
• किसी चित्र के आधार पर यह पूछा जा सकता है कि दिए गए चित्र में व्यक्ति
क्या कर रहा है अथवा यह किसकी तस्वीर है अथवा दिए गए व्यक्ति का
व्यवसाय क्या है?
उदाहरण प्रश्नः नीचे दिए गए लोगों का क्या व्यवसाय है?
ph
12.3.4 निर्वचनात्मक प्रश्न
• निर्वचनात्मक प्रश्नों (Interpretative Questions) के जरिए विविध
विषयों से सम्बन्धित ज्ञान की परीक्षा ली जाती है।
• इस प्रकार के प्रश्नों के जरिए एक ही बार में किसी विषय से सम्बन्धित
कई पहलुओं की परीक्षा सम्भव है।
उदाहरण
निर्देश बस की समय-सारणी को पढ़ें और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें
हिमाचल प्रदेश सड़क परिवहन बस सेवा समय-सारणी
मार्ग दिल्ली से जाने दूसरी तरफ से दूरी किराया
का समय जाने का समय (किमी) (₹ में)
दिल्ली-वैद्यनाथ 18:15 17:30 539 77.00
दिल्ली-चम्बा 20:00 14:00 626 84.00
दिल्ली-धर्मशाला 21:45 19:30 513 71.50
– बस की समय-सारणी का शीर्षक क्या है?
– समय-सारणी में कितने मार्गों की सूची दी गई है?
12.3.5 रिक्त स्थान प्रकार के प्रश्न
इस प्रकार के प्रश्नों में एक कथन दिया जाता है, जिसमें कि एक शब्द या दो
शब्दों को उनके स्थान से हटा दिया जाता है और छात्रों को इन रिक्त स्थानों
में उपयुक्त शब्द भरने को कहा जाता है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं
• सभी प्राणी ……. प्राप्त करने के लिए साँस लेते हैं। (ऊर्जा)
• सूफी सन्तों के मकबरे को …… कहा जाता है। (दरगाह)
• पृथ्वी के ऊपरी भाग को कहते हैं। (भू-पर्पटी)
• क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत विश्व का …. सबसे बड़ा देश है। (सातवाँ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न–वे प्रश्न जिनके एक से अधिक विकल्प हों उन्हें वस्तुनिष्ठ
प्रश्न कहा जाता है।
12.3.6 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों के विभिन्न रूप
1. वैकल्पिक उत्तर प्रकार के प्रश्न
इस तरह के प्रश्नों में छात्रों को विकल्प के रूप में दिए गए दो में से किसी
एक सही उत्तर का चयन करना होता है।
विभिन्न प्रकार के वैकल्पिक प्रश्न-उत्तर निम्न प्रकार हैं
सत्य-असत्य और हाँ-नहीं प्रश्न (True-False and Yes-No Question)
इस प्रकार के प्रश्नों में एक कथन दिया जाता है और छात्रों को यह बताना
होता है कि कथन सत्य है या असत्य। सत्य/असत्य वाले प्रश्न सरलता से
बनाए जा सकते हैं और आसानी से निरीक्षित किए जा सकते हैं। ये
विद्यार्थियों की समझ को भली-भाँति विश्वसनीय ढंग से मापते हैं। विशेष रूप
से कक्षा में ली जाने वाली परीक्षाओं में। कथन अगर सत्य है तो ‘स’ लिखें,
यदि असत्य है तो ‘अ’ लिखें
• जानवर और पौधे दोनों जीवनपूर्ण हैं।
• सभी/जानवर छोटे जानवरों को खाते हैं।
सही/गलत प्रकार व हाँ/नहीं प्रकार के प्रश्न सही कथन के सामने सही का
गलत के सामने गलत का चिह्न लगाएँ
• द्रव का निश्चित आकार नहीं होता।
• बर्फ पानी से हल्की होती है।
2. मिलान प्रकार
मिलान प्रकार (Matching Type) के प्रश्न दो सारणी में होते हैं। शब्द व
कधन एक सारणी में दिए जाते हैं, जिनका मिलान दूसरी सारणी में दिए गए
उत्तरों से करना होता है। मिलान प्रकार के प्रश्न नीचे दिए गए है
(i) एकल मिलान (Single Match) इस प्रकार के प्रश्नों में दो सारणी दी
जाती हैं। बाएँ सारणी में प्रश्न पूछे जाते हैं और दूसरे में उत्तर दिया जाता
है। छात्रों से पूछे गए प्रश्नों को मिलान करके उत्तर देना होता है।
मिलान प्रकार के प्रश्न के उदाहरण नीचे दिए गए हैं
निर्देश सारणी (क )और सारणी (ख) में दिए गए शब्दों का मिलाने
करें (सरल)
सारणी (क) सारणी (ख)
सुबह तारे
रात 24 घण्टे
दिन सूर्य का प्रकाश
निर्देश सारणी (क) में दिए गए शब्दों का मिलान सारणी (ख) में दिए
अर्थों के अनुसार करें। (कठिन)
(ख) (ख)
नाई ब्रेड/बिस्कुट बनाने वाला
बैरा स्थान की देख-रेख करने वाला
बेकर लोगों के बाल काटने वाला
वास्तुविद् होटल में खाना परोसने वाला
रखवाला इमारतों व पुलों का रेखांकन करने वाला
(ii) दोहरा मिलान (Double Match) इस प्रकार के प्रश्नों में दो क्षेत्रों की
जानकारी के लिए एक सूची दी जाती है, जिसमें दो के बजाय तीन सारणियों
का प्रयोग किया जाता है। मध्य सारणी में उत्तर देना होता है और बाएँ व
दाएँ दोनों तरफ उसके उत्तर दिए होते है उदाहरण यहाँ तीन सारणी दी गई
है। दूसरी सारणी में चार जानवरों की सूची दी गई है, जबकि पहली सारणी
में जानवरों का व्यवहार और तीसरी सारणी में भोजन के प्रकार है, जिन्हें वे
सामान्यतः खाते है।
सारणी दो और तीन से सही उत्तर चुनें
सारणी 1 (व्यवहार) सारणी 2 सारणी 3 (भोजन)
(जीव-जन्तु)
1. दिन का प्रकाश पसन्द करते हैं (क) चूहा (क) प्राणी
लेकिन रात में सक्रिय होते हैं।
2. दिन का प्रकाश पसन्द करते हैं (ख) कीड़ा (ख) फूलों का मकरन्द
लेकिन दिन में सक्रिय होते हैं।
3. दिन का प्रकाश पसन्द नहीं करते (ग) घर (ग) जानवरों का मांस
4. दिन का प्रकाश पसन्द नहीं करते (घ) छिपकली (घ) पौधों के पत्ते
लेकिन रात और दिन दोनों में (ड) रोटी
सक्रिय रहते हैं। (च) कार्बनिक वस्तु का भार
(छ) लकड़ी
(ज) सौंप
(iii) कुंजी सूची और जाँच सूची (Key List and Check List) इसमें
छात्रों को कुंजी के रूप में दो/तीन विकल्प दिए जाते है, जिसमें उसे
कुंजी सूची के आधार पर उत्तर देना होता है।
नीचे दिए गए तत्त्वों के बारे में बताइए कि कौन-सा ठोस (ठो),
द्रव (द्र), गैस (गै) है?
विषय स्थिति
जल
पारा
वाष्प
लोहा
(iv) साँचा मदें (Item Template) यह दोहरे मिलान वाले प्रकार के
विस्तार के रूप में होते हैं, जिसमें किसी प्रेरक के लिए दो से
अधिक उत्तर दिए जाते हैं। इस प्रकार के पूछे गए प्रश्न खड़ी लाइनों
में होते हैं और उत्तर सारणी में देना होता है। छात्रों को प्रत्येक
सारणी को जाँचकर उत्तर देना होता है।
विटामिन और उनकी कमी से होने वाले रोग
विटामिन अधिक रक्त बेरी-बेरी सूखा रोग रक्ताल्पता खुजली रतौंधी
प्रवाह (1) (2) (3) (4) (5) (6)
ए_____________________________ ___________________
बी1___________________________ ___________________
बी12__________________________ ___________________
सी____________________________ ___________________
डी____________________________ ___________________
के____________________________ ___________________
3. बहु-विकल्पात्मक प्रश्न
सभी वस्तुनिष्ठात्मक प्रकार के प्रश्नों में बहुविध चयनात्मक प्रश्न बहुत
उपयोगी होते हैं। इस तरह के प्रश्नों में एक अधूरा कथन दिया जाता है
और उसके लिए चार/पाँच वैकल्पिक उत्तर दिए होते हैं। विकल्पों में से
छात्रों को सही उत्तर देना होता है।
इसमें बहु-वैकल्पिक प्रश्न (Multiple Choice Question) दो प्रकार के होते हैं
प्रश्न रूप (Question Form) (परीक्षण अनुदेशात्मक वस्तुनिष्ठ व्याख्या)
(i) इनमें से कौन-सी बीमारी जीवाणु व विषाणु द्वारा नहीं होती है?
(1) चेचक
(2) हृदयाघात
(3) मलेरिया
(4) हैजा
(ii) अधूरे कथन के रूप में (वस्तुनिष्ठ अनुदेशनात्मक परीक्षण सम्बन्धों की
पहचान कीजिए)
ह्वेल और चमगादड़ दोनों में निम्नलिखित बातें समान होती हैं।
(1) बाल
(2) पंख
(3) अंग
(4) गर्दन
उपरोक्त प्रश्नों के इस रूप का प्रयोग विभिन्न परीक्षणों और छात्रों द्वारा सफलता
प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यदि परीक्षा में विभिन्न प्रकार के प्रश्नों का
प्रयोग किया जाए तो यह निश्चित तौर पर वस्तुनिष्ठ और सन्तोषजनक होगा।
दूसरी तरफ विश्वसनीय और विधिमान्य तरीका भी होगा।
12.4 आलोचनात्मक चिन्तन
आलोचनात्मक चिन्तन (Critical Thought), चिन्तन की एक ऐसी प्रक्रिया है,
जिसके अन्तर्गत किसी भी वस्तु, विषय इत्यादि के सकारात्मक एवं नकारात्मक
पहलुओं के बारे में विचार किया जाता है। शिक्षण के दौरान अध्यापकों को
छात्रों में आलोचनात्मक चिन्तन का विकास करना चाहिए, इससे विषय-वस्तु के
बारे में छात्रों में एक दृष्टिकोण का निर्माण होता है। यदि किसी तथ्य के बारे में
विद्यार्थी को बताया जाता है, यदि वह उस तथ्य को उसी रूप में स्वीकार कर
लेता है तो माना जाएगा कि उसमें आलोचनात्मक चिन्तन का गुण नहीं है,
लेकिन वही विद्यार्थी उपलब्ध तथ्य के बारे में एक अलग सोच व्यक्त कर
उसके दोनों पक्षों को बताता है, तो यह गुण आलोचनात्मक चिन्तन कहलाएगा;
जैसे―कोई बालक फुटबॉल खरीदते वक्त उसके गुण, मजबूती इत्यादि के बारे
में पता लगाकर खरीदता है तो यह माना जाएगा कि उसमें आलोचनात्मक
चिन्तन का विकास हो रहा है।
अभ्यास प्रश्न
1. वर्तमान समय में सतत एवं व्यापक
मूल्यांकन के अन्तर्गत पेडों में अंकों का
वितरण किया जाता है। इस प्रणाली में
कितने प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले छात्र
को ‘बहुत अच्छा’ या ‘बी’ प्रेड के अन्तर्गत
रखा जाता है?
(1) 90-100%
(2) 56-74%
(3) 75-89%
(4) 35-55%
2. वर्तमान समय में सतत एवं व्यापक
मूल्यांकन के अन्तर्गत प्रेडों में अंकों का
वितरण किया जाता है। इस प्रणाली में
कितने प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले छात्र
को ‘सर्वोत्कृष्ट’ या ‘ए’ ग्रेड के अन्तर्गत
रखा जाता है?
(1) 90-100%
(2) 58-74%
(3) 75-89%
(4) 35-55%
3. छात्र की उपलब्धि के मूल्यांकन के लिए
सबसे बेहतर तरीका क्या हो सकता है?
(1) प्राप्तांकों के आधार पर श्रेणी प्रदान करना
(2) ग्रेडिंग पद्धति का प्रयोग
(3) तुलनात्मक मूल्यांकन
(4) उपरोक्त सभी
4. उपलब्धि परीक्षण किया जा सकता है
A. शिक्षा के क्षेत्र में
B. व्यवसाय के क्षेत्र में
C. तकनीकी क्षेत्र में
D. खेल के क्षेत्र में
(1) A और B
(2) B और D
(3) Dऔर A
(4) ये सभी
5. व्यावहारिक रूप से रचनात्मक मूल्यांकन का
अर्थ नहीं है
(1) यह विश्वास करना कि प्रत्येक विद्यार्थी को
सुधारने के लिए शिक्षक की भूमिका सर्वाधिक
आवश्यक है
(2) फीडबैक मुहैया करना, जो विद्यार्थियों को
समझने में और अगले कदम उठाने में
सहायता करता है
(3) शिक्षा-प्राप्ति के लक्ष्य विद्यार्थियों के साथ
बॉटना
(4) स्व-निर्धारण के विद्यार्थियों को शामिल करना
6. निम्नलिखित में से परीक्षा के प्रकार
कौन-कौन से है?
A. मौखिक परीक्षा
B. लिखित परीक्षा
C. खुली किताब आधारित परीक्षा
(1) केवल A
(2) केवल
(3) A और B
(4) उपरोक्त सभी
7. मार्गदर्शन का प्रयोजन है
(1) मूल्यांकन के बहुविध माडलों का प्रयोग
(2) मूल्यांकन के एकल मोडल का प्रयोग
(3) मूल्यांकन के दो मॉडलों का प्रयोग
(4) मूल्यांकन के तीन मॉडलों का प्रयोग
8. अच्छे प्रश्नों की विशेषताएँ होती है
A. प्रश्न उद्देश्य पर आधारित हो
B. उत्तर लिखने की सीमा निर्धारित हो
C. सरल भाषा का प्रयोग हो
D. प्रश्नों का स्वरूप विषय-वस्तु पर
निर्धारित हो
(1) Aऔर B
(2) B और D
(3) Cऔर A
(4) ये सभी
9. आजकल इस बात पर अधिक जोर दिया
जाता है कि छात्रों में विषय-वस्तु को रटने
की प्रवृत्ति को कम करने के लिए प्रश्नों का
निर्माण किया जाए। किस प्रकार के प्रश्नों से
बालकों में रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा
मिलता है?
(1) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(2) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(3) निबन्धात्मक प्रश्न
(4) वैकल्पिक प्रश्न
10. आपको किसी छात्र के बारे में यह
मूल्यांकन करना है कि वह दी गई समस्या
के बारे में अपने व्यक्तिगत और मूल
दृष्टिकोण को व्यक्त कर पाता है या नहीं।
इसके लिए आप किस प्रकार के प्रश्नों का
निर्माण करेंगे?
(1) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(2) निबन्धात्मक प्रश्न
(3) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(4) वैकल्पिक प्रश्न
11. छात्रों के मूल्यांकन के लिए पूरक प्रकार के
प्रश्न पूछे जाते हैं। पूरक प्रकार के प्रश्न हैं
(1) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(2) लघुउत्तरीय प्रश्न
(3) निबन्धात्मक प्रश्न
(4) उपरोक्त सभी
12. आप एक शिक्षक के रूप में विद्यार्थी के
ज्ञान के विभिन्न पहलुओं के बीच उनकी
पहचान करने और उनके आपस का
सम्बन्ध निर्धारित करने की योग्यता की जाँच
करना चाहते हैं। इसके लिए आपको किस
प्रकार के प्रश्नों का निर्माण करना चाहिए?
(1) निबन्धात्मक
(2) अतिलघु उत्तरीय
(3) वस्तुनिष्ठ
(4) मिलान वाले प्रश्न
13. प्रश्नों के कई प्रकार होते हैं। पौधे एवं
जानवरों में चार अन्तर बताइए। यह प्रश्न
किस प्रकार के प्रश्न का उदाहरण है?
(1) लघु उत्तरीय प्रश्न
(2) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(3) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
14. भाषा की परीक्षा में शब्द, पदबन्ध,वाक्य,
अलंकार इत्यादि की जाँच के लिए किस’
प्रकार के प्रश्नों का प्रयोग सर्वाधिक
उपयुक्त होता है?
(1) अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(2) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(3) निबन्धात्मक प्रश्न
(4) उपरोक्त सभी
15. एक चित्र के द्वारा एक डॉक्टर को रोगी का
परीक्षण करते हुए दिखाया जा रहा है, यह
कौन-से प्रश्न का प्रकार है?
(1) चित्रात्मक प्रश्न
(2) लघु उत्तरीय प्रश्न
(3) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(4) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
16. भारत की राजधानी ………… है। (नई
दिल्ली, पटना) यह किस प्रकार का
प्रश्न है?
(1) खाली स्थानों को भरने वाला प्रश्न
(2) लघुउत्तरीय प्रश्न
(3) दीर्घउत्तरीय प्रश्न
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
17. चयन प्रकार के सभी प्रश्न
प्रश्न ही होते है।
(1) वस्तुनिष्ठ
(2) लघु उत्तरीय
(3) अतिलघु उत्तरीय
(4) निबन्धात्मक
18. जब परीक्षार्थियों की संख्या अधिक हो, तो
किस प्रकार के प्रश्नों द्वारा उनका मूल्यांकन
किया जा सकता है?
(1) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(2) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(3) निबन्धात्मक प्रश्न
(4) वैकल्पिक प्रश्न
19. नीचे प्रश्न एवं उसके प्रकारों को दर्शाया
गया है। इनको सुमेलित कीजिए
“प्रकार के
1.
सूची। सूची ॥
A जाँच-सूची I. मिलान प्रकार के प्रश्न
B. सत्य/असत्य II. निबन्धात्मक प्रश्न
C. व्याख्या III. वैकल्पिक उत्तर वाले प्रश्न
А в с
(1) III II I
(2) I III II
(3) I II III
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
20. सत्य/असत्य, सही/गलत एवं हाँ/नहीं उत्तर
देने वाले प्रश्न किस प्रकार के प्रश्नों के
उदाहरण है?
(1) मिलान प्रकार के प्रश्न
(2) बहुविकल्पीय प्रश्न
(3) वैकल्पिक उत्तर वाले प्रश्न
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
21. आलोचनात्मक चिन्तन का अर्थ होता है
(1) केवल सकारात्मक चिन्तन
(2) केवल नकारात्मक चिन्तन
(3) सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों चिन्तन
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
22. एक शिक्षक प्रश्न-पत्र बनाने के बाद, यह
जाँच करता है कि क्या प्रश्न परीक्षण के
विशिष्ट उद्देश्यों की परीक्षा ले रहे हैं। वह
मुख्य रूप से प्रश्न-पत्र की/के ……….. के
बारे में चिन्तित है। [CTET Jan 2012]
(1) वैधता
(2) सम्पूर्ण विषय-वस्तु को शामिल करने
(3) प्रश्नों के प्रकार
(4) विश्वसनीयता
23. निम्नलिखित में से कौन-सा वस्तुनिष्ठ प्रश्न
है? [CTET Jan 2012]
(1) निबन्धात्मक प्रश्न
(2) लघुउत्तरात्मक प्रश्न
(3) मुक्त उत्तर वाला प्रश्न
(4) सत्य या असत्य
24. निम्नलिखित में से कौन-सा एक अन्य
विकल्पों से सम्बद्ध नहीं है? [CTET Feb 2014]
(1) प्रश्नोत्तर सत्रों को संगठित करना
(2) किसी विषय पर विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया को
लेना
(3) प्रश्नोत्तरी (Quiz) परिचालित करना
(4) स्व-आकलन के कौशल को प्रतिमानित करना
25. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रश्न अपने
विशिष्ट क्षेत्र से ठीक तरह से मिला हुआ है?
[CTET Feb 2014]
(1) क्या आप अपने मूल्यांकन गणित की
विद्यार्थियों को उपलब्धि के आधार पर
उनकी वर्गीकृत कर सकते हैं?
(2) पिछली रात सृजनशील क्रिकेट मैच में
दूरदर्शन पर निर्णायक क्षण (turning
दिखाए गए point) कौन-सा था?
(3) जड़ी बूटियों के अनुप्रयोग पकाने हेतु
प्रयोग द्वारा चिकन कोई नई पाकविधि
लिखिए
(4) निर्धारित कीजिए विश्लेषण में से कौन-सा
कि दिए गए मापक आपको उत्तम
मापकों परिणामों को पाने में
सर्वाधिक प्रवृत्त कर
सकता है?
26. ग्रेड अंकों से कैसे अलग हैं? यह प्रश्न
निम्न में से किस प्रकार के प्रश्नों से सम्बन्ध
रखता है? [CTET Sept 2014]
(1) अपसारी
(2) विश्लेषणात्मक
(3) मुक्त-अन्त
(4) समस्या समाधान
27. एक शिक्षक कक्षा के कार्य को एकत्र करता
है और उन्हें पढ़ता है उसके बाद योजना
बनाता है और अपने अगले पाठ को
शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा करने
के लिए समायोजित करता है। वह ……
कर रहा/रही है। [CTET Sept 2014]
(1) सीखने का आकलन
(2) सीखने के रूप में आकलन
(3) सीखने के लिए आकलन
(4) सीखने के समय आकलन
28. निम्नलिखित में से कौन-सा एक आधारभूत
सहायता का उदाहरण है? [CTET Feb 2016]
(1) अनुबोधन और संकेत देना तथा नाजुक
स्थितियों पर प्रश्न पूछना
(2) शिक्षार्थियों को प्रेरित करने वाले भाषण देना
(3) प्रश्न पूछने को बढ़ावा दिए बिना स्पष्टीकरण
देना
(4) मूर्त और अमूर्त दोनों प्रकार के उपहार देना
उत्तरमाला
1. (2) 2. (1) 3. (2) 4. (4) 5. (1) 6. (4) 7. (1) 8. (4) 9. (3) 10. (2)
11. (4) 12. (1) 13. (1) 14. (1) 15. (1) 16. (1) 17. (1) 18. (2) 19. (2)
20. (3) 21. (3) 22. (4) 23. (4) 24. (4) 25. (4) 26. (2) 27. (3) 28. (1)
★★★