फ्रांस में क्रांति होने के विशिष्ट कारण
फ्रांस में क्रांति होने के विशिष्ट कारण
फ्रांस में क्रांति होने के विशिष्ट कारण
(i) मध्यम वर्ग का उदय
(ii) दार्शनिकों की भूमिका
(iii) अयोग्य और अविवेकी राजा
(iv) राजनीतिक और प्रशासनिक अव्यवस्था
18वीं शताब्दी में यूरोपीय राष्ट्रों में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक बुराइयाँ विद्यमान थीं। फ्रांस उनमें अकेला
नहीं था। इंगलैंड के अतिरिक्त अन्य देशों -रूस, स्पेन, इटली, प्रशा इत्यादि की स्थिति तो फ्रांस से भी बदतर थी। फिर भी
क्रांति फ्रांस में ही हुई। ऐसा क्यों हुआ? इसके लिए निम्नांकित कुछ विशिष्ट कारण उत्तरदायी थे-
(i) मध्यम वर्ग का उदय-फ्रांस में एक सशक्त और जागरूक मध्यम वर्ग का उदय हो चुका था। इस वर्ग में अनेक विख्यात
लेखक, विद्वान और दार्शनिक थे। व्यापारी और पूँजीपति वर्ग भी मध्यम वर्ग में ही था। अतः, धन और विवेक में मध्यम वर्ग
कुलीन वर्ग से किसी प्रकार कम नहीं था। यह वर्ग अपने अधिकारों के प्रति सजग था जो विभिन्न माध्यमों से प्रचलित व्यवस्था पर आघात कर उसमें परिवर्तन की माँग कर रहा था। इतना ही नहीं, मध्यम वर्ग अपने विचारों का प्रचार जनता में भी कर रहा था और जनता उससे प्रभावित भी हो रही थी। फ्रांस के अतिरिक्त यूरोप के किसी अन्य देश में सजग मध्यम वर्ग नहीं
था। इसलिए, फ्रांस में क्रांति लाने में मध्यम वर्ग की प्रभावशाली भूमिका थी।
(ii) दार्शनिकों की भूमिका-ऐसा ठीक ही कहा जाता है कि अगर फ्रांस में दार्शनिक नहीं होते तो वहाँ क्रांति नहीं होती।
मांटेस्क्यू, वाल्तेयर, रूसो और अन्य विचारकों ने अपने लेखों से जनमानस को झकझोरकर उन्हें क्रांति के लिए तैयार कर दिया। यूरोप के अन्य राष्ट्रों में ऐसी स्थिति नहीं थी, इसलिए क्रांति फ्रांस में ही हुई।
(iii) अयोग्य और अविवेकी राजा-फ्रांस की क्रांति को लाने में बूढे राजवंश के राजा लुई सोलहवाँ की भी भूमिका थी। अगर
वह अविवेकी नहीं होता और विवेकपूर्ण ढंग से कार्य करता तो संभवतः फ्रांस में क्रांति नहीं होती।
(iv) राजनीतिक और प्रशासनिक अव्यवस्था-अगर फ्रांस में कोई व्यवस्थित राजनीतिक प्रणाली रहती जो राजा को उचित
सलाह दे सके तो क्रांति नहीं होती। दुर्भाग्यवश फ्रांस का कुलीन वर्ग कर्तव्यहीन होकर अपनी स्वार्थसाधना में लगा हुआ था।
इसके अतिरिक्त प्रशासनिक-व्यवस्था भी लचर थी। प्रशासन जनता के हितों की उपेक्षा करता था। इसलिए भी, फ्रांस में ही
क्रांति हुई।