राष्ट्रसंघ की उपलब्धियाँ
राष्ट्रसंघ की उपलब्धियाँ
राष्ट्रसंघ की उपलब्धियाँ
राष्ट्रसंघ का इतिहास सफलताओं और विफलताओं का इतिहास है। यह छोटी-छोटी राजनीतिक समस्याओं और कम शक्तिशाली राष्ट्रों के मामलों का समाधान कर सका, परंतु बड़े और शक्तिशाली राष्ट्रों के मामलों में निःसहाय बना रहा। और-राजनीतिक कार्यों में इसने अवश्य सराहनीय कार्य किए।
राष्ट्रसंघ की सफलता •
1. राजनीतिक कार्य-अपने आरंभिक चरण में राष्ट्रसंघ ने विभिन्न राष्ट्रों के आपसी मतभेदों और झगड़ों को सुलझाने का
सफल प्रयास किया-
(i) 1920 में आलैंड द्वीपसमूह के प्रश्न पर स्वीडेन और फिनलैंड में झगड़ा आरंभ हुआ। राष्ट्रसंघ ने इसमें मध्यस्थता कर आलैंड द्वीपसमूह फिनलैंड को देने का निर्णय किया। इसे दोनों पक्षों ने स्वीकार कर लिया।
(ii) साइलेशिया के प्रश्न पर जर्मनी और पोलैंड में विवाद आरंभ हुआ, क्योंकि ऊपरी साइलेशिया महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र था। दोनों पक्ष इसपर अधिकार करना चाहते थे। 1921 में राष्ट्रसंघ के निर्णयानुसार इस क्षेत्र को जर्मनी और पोलैंड में विभक्त कर दिया गया।
(iii) 1921 में ही यूनान तथा यूगोस्लाविया के बीच अल्बेनिया की सीमा को लेकर विवाद हुआ; राष्ट्रसंघ ने इसे शांतिपूर्वक सुलझा दिया।
(iv) 1923 में लेटेशिया को लेकर संघर्ष आरंभ हुआ। 1922 में लेटेशिया को पेरू से लेकर कोलंबिया को सुपुर्द कर दिया गया। पेरू ने इसे स्वीकार नहीं किया और 1923 में लेटेशिया में अपनी सेना भेज दी। फलतः, राष्ट्रसंघ ने मध्यस्थता कर लेटेशिया पुनः
कोलंबिया को दिलवा दिया।
(v) 1923 में चेकोस्लोवाकिया और पोलैंड के सीमा-संबंधी विवाद को राष्ट्रसंघ ने सुलझाया। इसी प्रकार हंगरी और रूमानिया के सीमा-संबंधी विवाद भी सुलझाए गए।
(vi) 1925 में जब यूनान ने बुल्गेरिया पर आक्रमण किया तो राष्ट्रसंघ ने यूनान को आर्थिक बहिष्कार की धमकी दी। बाध्य होकर यूनान ने युद्ध बंद कर दिया और अपनी सेना वापस बुला ली।
(vii) तुर्की ने मोसुल पर, जो ब्रिटिश संरक्षण में था, अपना दावा पेश किया तो राष्ट्रसंघ ने इसे तुर्की को दे दिया। इस प्रकार, छोटी-छोटी राजनीतिक समस्याओं का समाधान करने में राष्टसंघ सफल रहा। इससे इसकी प्रतिष्ठा बढ़ी।
2. गैर-राजनीतिक कार्य-गैर-राजनीतिक क्षेत्र में राष्ट्रसंघ ने सराहनीय कार्य किए। सामाजिक-आर्थिक तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में
इसने अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए-
(i) आर्थिक सहायता –1921-22 में राष्ट्रसंघ ने ऑस्ट्रिया को अंतरराष्ट्रीय कर्ज देकर बचा लिया। इसी प्रकार, राष्ट्रसंघ ने
बुल्गेरिया, यूनान एवं हंगरी को भी आर्थिक सहायता दी।
(ii) स्वास्थ्य एवं चिकित्सा-स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में राष्ट्रसंघ ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। इसने पूर्वी यूरोप में
फैले टाइफॉइड एवं हैजा जैसे संक्रामक रोगों को रोकने का प्रयास किया। एशिया माइनर से लौटनेवाले शरणार्थी अपने साथ
संक्रामक रोगों के कीटाणु साथ लाते थे। उनकी चिकित्सा एवं रोगों की रोकथाम की व्यवस्था राष्ट्रसंघ ने की।
(iii) सामाजिक कार्य-राष्ट्रसंघ के प्रयासों से लाखों युद्धबंदियों एवं शरणार्थियों को यातनागृहों एवं जेलों से मुक्त होकर अपने
घर वापस लौटने में सहायता मिली। उनके पुनर्वास में राष्ट्रसंघ ने सहायता पहुँचाई। इसने दासप्रथा एवं स्त्रियों तथा बच्चों की
खरीद-बिक्री को रोकने का प्रयास किया। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की व्यवस्था की गई। नशीले एवं मादक पदार्थों जैसे अफीम के सेवन एवं व्यापार पर रोक लगाई गई। बाल-कल्याण की योजनाएँ लागू की गईं। स्त्रियों एवं श्रमिकों की स्थिति में सुधार
लाने के प्रयास भी किए गए। राष्ट्रसंघ ने मानवीय मूल्यों के विकास पर भी ध्यान दिया। इसने अंतरराष्ट्रीय कानूनों को नियमबद्ध करने का भी प्रयास किया। इस प्रकार, सामाजिक क्षेत्र में राष्ट्रसंघ की उपलब्धियाँ राजनीतिक उपलब्धियों की तुलना में अधिक प्रभावशाली थीं।
राष्ट्रसंघ की विफलता •
राष्ट्रसंघ कम शक्तिशाली राष्ट्रों के आपसी विवादों को सुलझाने में सफल रहा, परंतु जव बड़े और शक्तिशाली राष्ट्रों का प्रश्न आया तो यह नि:सहाय बन गया।
(i) 1920 में जब पोलैंड ने विलना नगर को लिथुएनिया से जबर्दस्ती छीन लिया तो लिथुएनिया ने राष्ट्रसंघ में अपील की, परंतु राष्ट्रसंघ इस समस्या का समाधान नहीं कर सका, क्योंकि पोलैंड को फ्रांस और अन्य शक्तिशाली राष्ट्रों का समर्थन प्राप्त था।
(ii) 1923 में इटली तथा यूनान में अल्बेनिया का सीमा-संबंधी विवाद आरंभ हुआ। यूनानी आतंकवादियों ने सीमा निर्धारित करनेवाले कुछ इतालवी अधिकारियों की हत्या कर दी। क्रुद्ध होकर इटली ने यूनान से क्षतिपूर्ति की माँग की। यूनान ने इसे स्वीकार नहीं किया। यह मसला राष्ट्रसंघ के समक्ष गया। इस बीच इटली ने यूनान के कर्फ्यू नगर पर बम गिराकर उसे नष्ट कर दिया तथा यूनान को क्षतिपूर्ति के लिए बाध्य किया। यूनान के अनुरोध किए जाने के बावजूद राष्ट्रसंघ इटली के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर सका। यह राष्ट्रसंघ की पहली विफलता थी।
(iii) 1931 में जापान ने चीन पर आक्रमण कर मंचूरिया पर अधिकार कर लिया। चीन ने इसके विरुद्ध राष्ट्रसंघ में अपील की तथा जापान के विरुद्ध कार्रवाई की माँग की। राष्ट्रसंघ जापान को दंडित करने अथवा उसके विरुद्ध कोई कदम उठाने में विफल रहा। 1933 में जापान ने राष्ट्रसंघ की सदस्यता छोड़ दी। साथ ही, 1937 में जापान ने पुनः चीन पर आक्रमण किया। राष्ट्रसंघ मूकद्रष्टा बना रहा। मंचूरिया में राष्ट्रसंघ की विफलता से मुसोलिनी को बल मिला।
(iv) 1933 में पैरागुए ने बोलिविया पर आक्रमण किया। राष्ट्रसंघ ने जब पैरागुए से इस संदर्भ में जवाब माँगा तो वह राष्ट्रसंघ से अलग हो गया।
(v) 1935 में इटली ने अबीसीनिया पर आक्रमण कर दिया। अबीसीनिया ने सामूहिक सुरक्षा की दुहाई देते हुए सुरक्षा की
माँग की, परंतु राष्ट्रसंघ इटली के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठा सका। इटली ने अबीसीनिया पर अधिकार कर लिया।
(vi) 1937 में स्पेन में गृहयुद्ध आरंभ हुआ। हिटलर और मुसोलिनी के सहयोग से जनरल फ्रैंको ने गणतंत्र को समाप्त कर तानाशाही की स्थापना कर ली। राष्ट्रसंघ ने स्पेन के मामले में भी अहस्तक्षेप की नीति अपनाई। इससे राष्ट्रसंघ की बड़ी बदनामी हुई।
(vii) जर्मनी में हिटलर के उदय के बाद परिस्थितियाँ तेजी से बदलीं। हिटलर ने वर्साय की संधि को मानने से इनकार कर दिया तथा इसका उल्लंघन करना आरंभ कर दिया। राष्ट्रसंघ निःसहाय घटनाक्रम को देखता रहा। 1933 में हिटलर ने राष्ट्रसंघ की सदस्यता छोड़ दी। वह आक्रामक कार्रवाई करता रहा। 1938 में उसने ऑस्ट्रिया पर अधिकार कर इसे जर्मनी में मिला लिया। इसी प्रकार हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया पर भी अधिकार कर लिया। राष्ट्रसंघ इन सभी मामलों में मूकद्रष्टा बना रहा। जब
हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण किया तो द्वितीय विश्वयुद्ध आरंभ हो गया।
(viii) राष्ट्रसंघ का एक उद्देश्य शस्त्रीकरण को रोकना था, परंतु उसका यह प्रयास भी विफल हो गया। 1933 में राष्ट्रसंघ
ने जेनेवा में एक निरस्त्रीकरण सम्मेलन का आयोजन किया। जर्मनी ने इसमें भाग नहीं लिया। इतना ही नहीं, उसने जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा भी लागू कर दी। फलतः, यूरोप में हथियारबंदी की होड़ जारी रही। राष्ट्रसंघ इसे नहीं रोक सका।