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रूढ़िवाद की पुनर्स्थापना

रूढ़िवाद की पुनर्स्थापना
◊वियना काँग्रेस
◊ वियना की संधि
◊ यूरोपीय कन्सर्ट
◊ मेटरनिक-व्यवस्था
वियना काँग्रेस-1815 में वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन बोनापार्ट की निर्णायक रूप से पराजय हुई। इसके साथ ही यूरोप में पुन: एक नई व्यवस्था की स्थापना की गई जिसमें फ्रांसीसी क्रांति की उपलब्धियों को बदलने का प्रयास किया गया। इसी वर्ष ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना नगर में नेपोलियन को पराजित करनेवाले प्रमुख राष्ट्रों-ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया के प्रतिनिधियों का सम्मेलन आयोजित किया गया। इसे वियना काँग्रेस (Vienna Congress) या वियना सम्मेलन कहा जाता है। इसकी अध्यक्षता ऑस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिक ने की। इसी सम्मेलन में वियना की संधि (Treaty of Vienna) हुई।
वियना की संधि-इस संधि का उद्देश्य नेपोलियन द्वारा यूरोपीय राजनीतिक व्यवस्था में लाए गए परिवर्तनों को समाप्त करना एवं नेपोलियन के पूर्व के शक्ति-संतुलन को बनाए रखना था जिसे नेपोलियन के युद्धों ने समाप्त कर दिया था। वियना काँग्रेस का उद्देश्य फ्रांस की क्रांति द्वारा प्रदत्त गणतंत्र एवं प्रजातंत्र की भावना का विरोध करना तथा पुरातन व्यवस्था की पुनर्स्थापना करना भी था। वियना काँग्रेस से ‘नेपोलियन युग’ का अंत एवं ‘मेटरनिक युग’ का आरंभ हुआ। वियना की संधि के अनुसार, यूरोप के राजनीतिक मानचित्र में फेर-बदल किया गया-(i) पराजित फ्रांस को नेपोलियन द्वारा विजित क्षेत्रों को वापस लौटाने को कहा गया। भविष्य में यूरोप में शांति-व्यवस्था बनाए रखने और फ्रांस के सैनिक प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए उसके चारों ओर नए राज्यों का घेरा बनाया गया। (ii) प्रशा को उसकी पश्चिमी सीमा पर अनेक नए और महत्त्वपूर्ण क्षेत्र दिए गए। (iii) इटली पर प्रभाव बनाए रखने के लिए मेटरनिक ने उसे अनेक लघु राज्यों में विभक्त कर दिया। सिसली और नेपल्स बूढे वंश के सम्राट फर्डिनेंड को दे दिया गया। रोम तथा उसके निकटवर्ती राज्य पोप के अधीन कर दिए गए। लोम्बार्डी और वेनेशिया पर ऑस्ट्रिया का प्रभाव स्वीकार किया गया। पारमा, मोडेना और टस्कनी हैप्सबर्ग राजवंश को दिया गया। जिनोआ और सार्डिनिया पिडमौट के साथ संयुक्त कर दिए गए। (iv) रूस को पोलैंड का एक भाग दिया गया। (v) वियना काँग्रेस में ब्रिटेन को माल्टा, हेलीगोलैंड, आर्मेनियन द्वीपसमूह तथा केप ऑफ गुड होप पर नियंत्रण मिला। (vi) नेपोलियन द्वारा स्थापित 39 राज्यों के
जर्मन महासंघ को भंग नहीं किया गया, बल्कि इसे बनाए रखा गया। इसपर अप्रत्यक्ष रूप से ऑस्ट्रिया का प्रभाव बनाए रखा गया जिससे राष्ट्रवादी भावना के विकास को नियंत्रित किया जा सके। (vii) इस व्यवस्था द्वारा नेपोलियन द्वारा पराजित राजवंशों की पुनर्स्थापना का प्रयास भी किया गया। फ्रांस और स्पेन में बूढे राजवंश का राज्य स्थापित हुआ। फ्रांस में लुई 18वाँ को राजगद्दी मिली। इटली में ऑस्ट्रियाई राजपरिवार को सत्ता सौंपी गई। इस प्रकार, वियना काँग्रेस द्वारा यूरोप में राजनीतिक परिवर्तन कर पुरानी सत्ता को बहाल किया गया। वियना काँग्रेस में प्रतिक्रियावादी शक्तियों की विजय तो हुई, परंतु यह अस्थायी थी। शीघ्र ही संपूर्ण यूरोप राष्ट्रवाद की लहर में समाहित हो गया।
यूरोपीय कन्सर्ट-वियना काँग्रेस ने यूरोपीय कन्सर्ट की भी स्थापना की। इसके द्वारा पाँच बड़ी शक्तियों ने सामूहिक रूप से
विचार-विमर्श द्वारा अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान और यूरोपीय शांति-व्यवस्था को भंग होने से बचाए रखने का प्रयास
किया। वियना काँग्रेस में दो प्रस्ताव पारित किए गए। रूस के जार एलेक्जेंडर ने पवित्र संघ की योजना और ऑस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिक ने चतुर्राष्ट्र मैत्री योजना प्रस्तुत की। जार का मानना था कि यूरोप के सभी राजा एक-दूसरे के भाईतुल्य हैं। अतः, आवश्यक है कि आवश्यकता पड़ने पर एक राजा दूसरे राजा की सहायता करे। मेटरनिक की योजनानुसार ऑस्ट्रिया, प्रशा, ब्रिटेन और रूस ने चतुर्राष्ट्र मैत्री स्थापित की। इसका उद्देश्य समय-समय पर सम्मेलन आयोजित कर यूरोप की शांति को भंग करनेवाले खतरे से बचाने का उपाय सुझाना था। स्पष्टतः, यूरोपीय कन्सर्ट ने यूरोप में क्रांतिपूर्व व्यवस्था को बनाए रखने का प्रयास किया।
मेटरनिक-व्यवस्था-वियना काँग्रेस और उसके बाद की यूरोपीय व्यवस्था स्थापित करने में प्रमुख भूमिका ऑस्ट्रिया के चांसलर
मेटरनिक की थी। वह घोर प्रतिक्रियावादी, क्रांति के संदेशों का कट्टर विरोधी एवं पुरातन व्यवस्था बनाए रखने का समर्थक था। उसकी नीति का मूलमंत्र था- शासन करो और कोई परिवर्तन न होने दो। उसने जिस प्रकार की व्यवस्था यूरोप में स्थापित की उसे मेटरनिक-व्यवस्था (Metternich System) कहा जाता है। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रवादी एवं प्रजातंत्रात्मक व्यवस्था को कुचलना एवं पुरातन व्यवस्था को बनाए रखना था। 1815-48 के मध्य मेटरनिक ने यूरोप में राष्ट्रवाद और संसदीय प्रणाली के विकास को रोकने का यथासंभव प्रयास किया। उसने सभी राज्यों में निरंकुश राजतंत्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का प्रयास किया। क्रांति के सिद्धांतों का प्रसार रोकने के लिए प्रेस पर कठोर प्रतिबंध लगाया गया। सरकार विरोधी विचारों को कुंद करने के उद्देश्य से वैसे अखबारों, पुस्तको, नाटको, गीतों पर सेसरशिप लागू किया गया जिनमें स्वतंत्रता और मुक्ति का विचार प्रकट किया गया हो। ऑस्ट्रिया में जासूसों द्वारा नागरिकों की गतिविधियों पर निगरानी रखी गई। विश्वविद्यालयों के
शिक्षकों और छात्रों पर भी निगरानी रखी गई। ऑस्ट्रिया के ही समान जर्मनी और इटली में भी राष्ट्रवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाया गया। कार्ल्सवाद के आदेशों द्वारा मेटरनिक ने उदारवाद के प्रचार पर रोक लगा दी। इटली में भी निरंकुश शासन स्थापित किया गया। इस प्रकार, यूरोप में प्रतिक्रियावादी शासन का दौर चला।
मेटरनिक के प्रयासों के बावजूद राष्ट्रवादी एवं क्रांतिकारी भावनाओं का पूर्णरूपेण दमन नहीं हो सका। सरकारी दमन से बचने
के लिए अनेक उदारवादी और राष्ट्रवादी भूमिगत आंदोलन चलाने लगे। गुप्त संगठन स्थापित कर क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। इटली के विख्यात क्रांतिकारी मेजिनी ने यंग इटली (Young Italy) और यंग यूरोप (Young Europe) नामक भूमिगत संगठन स्थापित किए। युवाओं और छात्रों का समर्थन इन संगठनों को मिला। उग्र राष्ट्रवादी संगठन कार्वोनारी (Carbonari) भी क्रांति का संदेश फैला रहा था। मेजिनी और अन्य क्रांतिकारी उदारवाद और राष्ट्रवाद के लिए राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना पर बल देते थे। मेजिनी के प्रभाव को देखते हुए मेटरनिक ने उसे हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन कहा। जर्मनी में भी राष्ट्रवादी संगठन स्थापित किए गए। फ्रांस, स्विट्जरलैंड, पोलैंड में गुप्त संगठन स्थापित किए गए। फलत:, 1830 के दशक से यूरोप के अनेक भागों में विद्रोह होने लगे। इन्हें दबाना मेटरनिक के लिए कठिन हो गया। ऑस्ट्रिया भी इससे अछूता नहीं रहा। औद्योगिकीकरण के कारण नया सामाजिक वर्ग सामने आया जिसमें बुर्जुआ वर्ग की प्रधानता थी। यह वर्ग निरंकुश शासन के विरुद्ध, अनेक प्रतिबंधों के बावजूद, विरोध की ज्वाला प्रज्वलित करता रहा। फलतः, ऑस्ट्रिया
के महत्त्वपूर्ण नगरों, हंगरी, बोहेमिया में विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी। मेटरनिक राष्ट्रवाद और उदारवाद के उफान को रोक नहीं सका। मार्च 1848 में वियना में खुले संघर्ष के बाद मेटरनिक ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। ऑस्ट्रिया छोड़कर वह लंदन चला गया। इस प्रकार, मेटरनिक-व्यवस्था का अंत हो गया।

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