1st Year

लैंगिक रूढ़िबद्धता क्या है?” इससे सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए लैंगिक रूढ़िबद्धता के प्रभाव का वर्णन कीजिए ।

प्रश्न – लैंगिक रूढ़िबद्धता क्या है?” इससे सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए लैंगिक रूढ़िबद्धता के प्रभाव का वर्णन कीजिए ।
What is Gender Stereotyping? Describe the effects of Gender Stereotypes while explaining Important Points of Gender Stereotyping.
या
लैंगिक रूढ़िवा को उपयुक्त उदाहरणों सहित परिभाषित करें ।
Define Gender Stereotyping by giving suitable examples.
उत्तर – लैंगिक रूढ़िबद्धता के महत्त्वपूर्ण बिन्दु (Important Points of Gender Stereotyping)
  1. लैंगिक रूढ़िबद्धता, लैंगिक असमानता के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार कारकों में से एक है।
  2. लैंगिक रूढ़िबद्धता, सामाजिक अपेक्षाओं से सम्बन्धित होती है अर्थात् समाज, जो स्त्री और पुरुष से उम्मीद करता है कि वो क्या करें और क्या न करें।
  3. लड़के-लड़कियों को यह जताना कि वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते। (What you can do, What you cannot do)
  4. लड़के-लड़कियों, महिला एवं पुरुषों की सीमाएँ तय करना । (Limitation of girls boys, male, female about their strength, potential and abilities)
    समाज द्वारा स्त्री पुरुष का सभी क्षेत्रों में परिसीमन करना भी लैंगिक रूढ़िबद्धता है। स्त्री और पुरुषों की क्षमताओं को भी मनोवैज्ञानिक रूप से सीमित करके उनकी अभिवृत्ति को निश्चित करना । जैसे- एक हाथी के बच्चे को बचपन में ही एक लोहे की जंजीर से बाँध देने के बाद उसको खूँटे से बँधे रहने को तैयार कर दिया जाता है। उस समय वो लोहे की चेन इतनी मजबूत होती है कि हाथी का बच्चा उसे तोड़ नहीं सकता। समय परिवर्तन के साथ हाथी के बड़े हो जाने के बाद भी, शक्तिशाली हो जाने के बाद भी, वह हाथी उस जंजीर को नहीं तोड़ पाता क्योंकि वह कोशिश ही नहीं करता। उसकी अभिवृत्ति का विकास बचपन से ही अनुकूलन (Adjustment) के कारण यह हो जाता है कि मुझे तो खूँटे से ही बंधे रहना है, इसलिए वो कभी प्रयास ही नहीं करता। जबकि शक्तिशाली हाथी के लिए उस कमजोर जंजीर को तोड़ना कोई मुश्किल कार्य न होता है परन्तु अभिवृत्ति विकसित हो जाने के कारण वो तोड़ने की सोचता ही नहीं ।
    लैंगिक रूढ़िबद्धता भी उसी जंजीर के समान होती है जो स्त्रियों को रूढ़िवादिता से अनुकूलित (Adjust) करके उनमें ऐसी अभिवृत्ति का निर्माण कर देती है कि स्त्री अपनी क्षमता के विषय में अनभिज्ञ होकर प्रयास ही नहीं करती और उसी परम्परागत सोच के साथ जीती रहती है। इसी लैंगिक रूढ़िबद्धता के कारण आज स्त्रियाँ, लैंगिक असमानता की शिकार हुई हैं।
  5. लैंगिक रूढ़िबद्धता का असर शिक्षा व्यवसाय, स्वास्थ्य, रोजगार आदि पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। अभी भी कई परिवारों में लड़कियों को शिक्षित करने का कार्य तो किया जा रहा है परन्तु नौकरी के लिए बाहर नहीं जाने देना, उनको स्वतन्त्रता न देना, इसी लैंगिक रूढिबद्धता का परिणाम है।
  6. लैंगिक रूढ़िबद्धता को निरन्तर अस्तित्व में बनाए रखने में सामाजिक नियन्त्रण (Social Control) एक महत्त्वपूर्ण हथियार है। जिस घर की लड़कियाँ ज्यादा स्वतन्त्र विचार की होती हैं, उनके परिवार वालों को समाज के विभिन्न वर्गों एवं व्यक्तियों से कई प्रकार के ताने व बातें सुननी पड़ती हैं। लड़की यदि देर रात को घर आती है तो मुहल्ले के लोग, उसके घर वालों को किसी न किसी रूप से ताने मारते हैं और कई बार उसके चरित्र को लेकर एवं उसकी शारीरिक सुरक्षा को लेकर समाज में घट रही कई वारदातों को लेकर उनको डराते रहते हैं। इससे भी लैंगिक रूढ़िबद्धता को कायम रखा जाता है।
  7. प्रत्यक्ष असमानता भी लैंगिक रूढ़िबद्धता का परिणाम है। परिवार में लड़कों को वरीयता देना, उनकी सुविधाओं का ज्यादा ध्यान रखना, उनको अपनी बहनों की तुलना में ज्यादा बोलने का अधिकार, स्वतन्त्रता, अवसर आदि देना, प्रत्यक्ष असमानता है और यह प्रत्यक्ष असमानता, लैंगिक रूढ़िवादिता का ही परिणाम है। प्रत्यक्ष असमानता का यहाँ तात्पर्य है कि, “साफ-साफ भेदभाव का प्रदर्शन होना, बिना किसी तर्क के भेदभाव होना फिर भी लड़कियों का कुछ न बोल पाना ।” प्रत्यक्ष असमानता के विरुद्ध लड़कियाँ जाने की कोशिश भी करती हैं तो समाज की रूढ़िवादिता इसको नकारात्मक व्यवहार की संज्ञा देकर हतोत्साहित कर देती है।
  8. कन्या भ्रूण हत्या (Female Foeticide) भी लैंगिक रूढ़िबद्धता का ही परिणाम है। जब माता-पिता लड़कियों को लेकर समाज की सोच, आर्थिक बोझ, इज्जत की रक्षा आदि को सोचते हैं तो वह जड़ को ही समाप्त करने की सोच लेते हैं। इसकी परिणति समाज में स्त्री-पुरुष अनुपात में कमी के रूप में देखी जा सकती है। 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति एक हजार पुरुषों पर सिर्फ 940 महिलाएँ ही थी ।
लैंगिक रूढ़िबद्धता का प्रभाव (Effects of Gender Stereotypes )
  1. मनोवैज्ञानिक तथा संवेगात्मक तनाव (Psychological and Emotional Stress ) – लैंगिक रूढ़िबद्धता पुरुषों एवं महिलाओं को कई प्रकार से प्रभावित करती है। दोनों को सदैव परम्परागत रूढ़िबद्धता के अनुरूप कार्य करने के आधार पर परखा जाता है। पुरुषों से सदैव पुरुषत्व के मानकों को पूरा करने एवं उनका पालन करने की अपेक्षा की जाती है किन्तु जब दे उन मानकों को पूर्ण नहीं कर पाते तो प्रायः वे निम्न आत्म मूल्यों से पीड़ित हो जाते हैं। यहाँ तक कि पुरुषत्व का मानक सफलतापूर्वक पूरा न कर पाने के कारण कभी-कभी ये मानसिक एवं भावात्मक रूप से भी पीड़ित हो जाते हैं। दूसरी तरफ सभी महिलाओं से विवाह के उपरान्त सदैव बच्चों के जन्म की आशा की जाती है। इसके लिए सदैव उन पर दबाव डाला जाता है। ऐसे में यदि महिलाएँ अपने कैरियर को अधिक महत्त्व देती हैं तो दूसरों के द्वारा उनकी आलोचना की जाती है जिससे महिलाएँ मनोवैज्ञानिक तथा संवेदनात्मक तनाव का शिकार हो जाती हैं।
  2. उपलब्धि पर प्रभाव (Effect on Performance ) – महिलाओं एवं पुरुषों की उपलब्धियाँ भी लैंगिक रूढ़िबद्धता के कारण प्रभावित होती हैं। लैंगिक रूढ़िबद्धता एक अन्तर्निहित भय उत्पन्न कर देती है। विभिन्न शोध अध्ययनों में यह पाया गया है कि ‘रूढ़िवादी धमकी नकारात्मक रूप से भय उत्पन्न कर उपलब्धि को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए- स्पेन्सर, स्टील एवं क्विन ने यह साबित किया कि महिलाएँ गणित के परीक्षण में निम्न स्तर का प्रदर्शन करती हैं क्योंकि उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे गणित में अच्छा कार्य नहीं कर सकती हैं। इसी प्रकार पुरुषों का भाषा सम्बन्धी परिणाम बहुत बुरा आता है। ये नकारात्मक रूढ़िबद्धताएँ उपलब्धि को तब तक प्रभावित करती हैं जब तक व्यक्ति स्वयं के विचारों से इन्हें निकाल कर इनके प्रति सकारात्मक विचारों का समाविष्ट नहीं कर लेता ।
  3. निम्न वैवाहिक सन्तुष्टि (Lower Marital Satisfaction)—लैंगिक रूढ़िबद्धता के कारण पुरुषों एवं महिलाओं के मध्य उत्तरदायित्वों का वितरण असमान रूप से किया जाता है। महिलाओं को अक्सर प्रत्यक्ष देखभाल तथा बच्चों के साथ अधिक समय व्यतीत करना जिसमें शिशु देखभाल शिशु के स्वास्थ्य तथा कल्याण के विषय में सोचना आदि कार्य प्रदान किए जाते हैं। गृहस्थ कार्यों एवं बाल संरक्षण आधारित यह असमान वितरण निम्न वैवाहिक सन्तुष्टि का कारण बनता है।
  4. युगल एवं परिवार की अन्तःक्रिया प्रभावित (Couple and Family Interaction are Affected) – लैंगिक रूढ़िा युगल एवं पारिवारिक अन्तः क्रिया को भी प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए- गृहस्थ कार्य का विभाजन लिंग आधारित होता है। जिसमें पुरुष सदैव घर से बाहर जाने एवं परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने के लिए घर से बाहर रहकर कार्य करता है। यह पुरुषों में वर्चस्व की भावना उत्पन्न करता है वह महिलाओं को अधीनस्थ के रूप में समझता है। जैसे-जैसे समय व्यतीत होता है ये सभी बातें उनकी अन्तः क्रिया को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हैं। इसी कारण वर्तमान समय में महिलाएँ पुरुषों के समान स्तर की माँग करने लगी हैं।

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