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UP Board Class 8 History | यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन

UP Board Class 8 History | यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन

UP Board Solutions for Class 8 History Chapter 1 यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन

यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन

अभ्यास

प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न
उत्तर
(1) अमेरिका की खोज की थी
(क) कोलम्बस ने ✓
(ख) हॉकिन्स ने ;
(ग) वास्कोडिगामा ने
(घ) सर टॉमस रो ने

(2) भारत में सर्वप्रथम कौन-सा यूरोपीय व्यापारी आया
(क) अंग्रेज
(ख) पुर्तगाली 
(ग) फ्रांसीसी
(घ) डच

प्रश्न 2.
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(1) किस यन्त्र के आविष्कार से लम्बी समुद्री यात्राएँ आसान हो गई?
उत्तर
कुतुबनुमा।

(2) वास्कोडिगामा किस देश का निवासी था?
उत्तर
पुर्तगाल।

(3) मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में आने वाला प्रथम अंग्रेज राजदूत कौन था?
उत्तर
कैप्टन हॉकिन्स।

प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न ।
(1) भारत और यूरोप के मध्य होने वाले व्यापारिक मार्गों के बारे में लिखिए।
उत्तर
भारत और यूरोप के मध्य व्यापार जल और थल मार्ग द्वारा होता था। इन मार्गों की संख्या तीन थी। पहला मार्ग फारस की खाड़ी से होता हुआ समुद्री मार्ग था। इस मार्ग से इराक, तुर्की, वेनिस और जिनेवा से व्यापार होता था। दूसरा मार्ग लाल सागर से अलेक्जेंडरिया का था जहाँ से समुद्र द्वारा वेनिस और जिनेवा को जाया जाता था। तीसरा मार्ग मध्य एशिया से मिस्र और यूरोप के लिए था।

(2) व्यापारिक कंपनी से आप क्या समझते हो?
उत्तर
व्यापारिक कंपनियों का अर्थ है- व्यापार में कई लोगों की हिस्सेदारी। सभी हिस्सेदार व्यापार में अपनी-अपनी पूँजी लगाते थे और लगाई गई पूँजी के अनुपात में व्यापार से होने वाले मुनाफे को आपस में बाँट लेते थे।

प्रश्न 4.
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(1) पुराने यूरोपीय व्यापारिक मार्ग कौन से थे? नये व्यापारिक मार्गों की खोज क्यों शुरू हुई?
उत्तर
भारत और यूरोप के मध्य व्यापार जल और थल मार्ग द्वारा होता था। इन मार्गों की संख्या तीन थी। पहला मार्ग फारस की खाड़ी से होता हुआ समुद्री मार्ग था। दूसरा मार्ग ‘लाल सागर से अलेक्जेंडरिया का था, जहाँ से समुद्र द्वारा वेनिस और जिनेवा को जाया जाता था। तीसरा मार्ग मध्य एशिया से यूरोप के लिए था। पंद्रहवीं शताब्दी (1453 ई०) में कुस्तुनतुनियाँ पर तुर्की ने अपना अधिकार कर लिया। अब तुर्को ने यूरोप और भारत के मध्य पुराने सभी संचार माध्यमों को बंद कर दिया। कुस्तुनतुनियाँ नगर व्यापार मार्ग का मुख्य द्वार था। अतः व्यापार के लिए यूरोप के व्यापारियों को कुस्तुनतुनियाँ नगर पार करना पड़ता था। लेकिन तुर्को द्वारा मार्ग पर कब्जा होने के कारण यूरोप और भारत के मध्य होने वाले व्यापार को बहुत धक्का लगा। अब यूरोपवासियों ने व्यापार के लिए नये समुद्री मार्ग की खोज करना आरंभ कर दिया।

प्रोजेक्ट वर्क

प्रश्न 5.
निम्नलिखित सूची बनाइए
(1) भारत से व्यापार करने वाले देशों के नाम।
उत्तर
भारत से व्यापार करने वाले देशों के नाम हैं- पुर्तगाल, इटली, फ्रांस, तुर्की, हॉलैण्ड, इंग्लैंड आदि।

(2) भारत के उन स्थानों के नाम जहां पर विदेशियों ने अपनी व्यापारिक कोठियां बनाई।।
उत्तर
भारत में कालीकट, कोचीन, नागापट्टनम, चिनसूरी, मछलीपट्टम, पाण्डिचेरी, चन्द्रनगर, सूरत, कैम्बे, अहमदाबाद, आगरा, भड़ौच, पटना आदि स्थानों पर विदेशियों ने अपनी कोठियाँ बनाई।

(3) वे वस्तुएं जिन्हें विदेशी व्यापारी भारत से अपने देश ले जाते थे।
उत्तर
विदेशी व्यापारी भारत से सूती-रेशमी कपड़े और विभिन्न मसाले अपने देश ले जाते थे।

प्रश्न 6.
विद्यार्थी स्वयं करें।

TENSE

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