B.ED NOTES IN HINDI | B.ED SYLLABUS IN HINDI
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Q. नागरिकशास्त्र तथा राजनीति विज्ञान की अवधारणा को स्पष्ट करें ।
(Explain the concept of Civics and Political Science.)
Ans. वास्तव में कुछ विद्वान नागरिकशास्त्र व राजनीतिशास्त्र दोनों के बारे में यह मानते हैं कि नागरिकशास्त्र की उत्पत्ति सिविटास से हुई है और राजनीतिशास्त्र की पोलिस से व दोनों का अर्थ नगर राज्य है। अत: दोनों एक ही हैं। परन्तु वास्तव में यह एक नहीं है। नागरिकशास्त्र मनुष्यों के सामाजिक सम्बन्धों के साथ-साथ राजनीतिक संगठनों का भी अध्ययन करता है जबकि राजनीतिशास्त्र राज्य तथा उससे सम्बन्धित विषयों का अध्ययन करता है परन्तु यह दोनों विषय घनिष्ठ रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं । नागरिकशास्त्र राज्य तथा सरकार का ज्ञान प्रदान करके नागरिकों को सजग बनाने के साथ-साथ उनके जीवन को साधन-सम्पन्न करता है और नागरिकशास्त्र के सिद्धान्त द्वारा नागरिक के जीवन को भी प्रभावित किया जाता है। कुछ विचारकों ने इनके सम्बन्ध की चर्चा करते हुए यह भी कहा है कि नागरिकशास्त्र की सीमा संकुचित है और राजनीतिशास्त्र का क्षेत्र व्यापक है। इस कारण हम नागरिकशास्त्र को राजनीतिशास्त्र का शिशु भी कह सकते हैं।
नागरिकशास्त्र के अन्तर्गत नागरिकता के स्थानीय पक्ष का अध्ययन किया जाता है जबकि राजनीतिशास्त्र में राजनैतिक पक्ष का। राजनीतिशास्त्र नागरिकों के अधिकारों पर देता है और नागरिकशास्त्र नागरिकों के कर्तव्य पर । दोनों ही विषयों की विषय-वस्तु एक है। अतः हम यह कह सकते हैं कि नागरिकशास्त्र को सरकार, राज्य आदि के अध्ययन हेतु राजनीतिशास्त्र पर निर्भर रहना होता है। ‘नागरिकशास्त्र’ तथा ‘राजनीति विज्ञान’ दोनों को अंग्रेजी में क्रमश: नागरिकशास्त्र तथा राजनीति विज्ञान कहते हैं। इन दोनों शब्दों की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्दों में-‘सिविटास’ तथा ‘पोलिसि’ से हुई है। लैटिन भाषा के इन दोनों शब्द का अर्थ एक ही है। दोनों शब्दों का अर्थ ‘नगर-राज्य’ है। इनके मूल अर्थ में समानता होने के कारण कुछ विद्वान नागरिकशास्त्र को राजनीतिशास्त्र की केवल एक शाखा मानते हैं। वस्तुतः ऐसा नहीं है । राजनीतिशास्त्र राज्य तथा उसमें सम्बन्धित विषयों की व्याख्या करता है परन्तु नागरिकशास्त्र मनुष्यों के सामाजिक सम्बन्धों के साथ-साथ राजनीतिक संगठन का भी ज्ञान प्रदान करता है ।
नागरिकशास्त्र में उन राजनीतिक प्रश्नों का अध्ययन मिलता है जिनका नागरिक जीवन पर प्रभाव पड़ता है। यह राज्य के जीवन को सुखी बनाने वाले साधन के रूप में अध्ययन करता है। इसके अतिरिक्त नागरिकशास्त्र अन्य
समुदायों का भी अध्ययन करता है। राजनीतिशास्त्र में प्रत्येक प्रकार के राज्य का विवेचन किया। नागरिकशास्त्र राज्य तथा सरकार का ज्ञान प्रदान करके नागरिकों को सजग बनाने के साथ-साथ उनके जीवन को सुखी एवं सम्पन्न बनाने में सहायता देता है। राजनीतिशास्त्र के सिद्धान्त तथा नागरिकों के जीवन को भी प्रभावित किया जाता है । इस विवेचन के आधार पर कह
सकते हैं कि दोनों विषयों में घनिष्ठ सम्बन्ध है और राजनीतिशास्त्र के शिक्षक को आवश्यकतानुसार इन दोनों में समन्वय भी स्थापित करना चाहिए । इन दोनों के समन्वय से छात्रों में आदर्श सामाजिक जीवन स्थापित करने के लिए भावना विकसित की जा सकती है। साथ ही इनका सह-सम्बन्ध आदर्श नागरिकता के विकास में सहायक होगा।