Pedagogy of civics

B.ED Notes in Hindi | विधालय विषय का शिक्षण शास्त्र

B.ED Notes in Hindi | विधालय विषय का शिक्षण शास्त्र

Q. एक लोकतांत्रिक देश में नागरिकशास्त्र शिक्षण का लक्ष्यों एवं उद्देश्यों का वर्णन करें।
(Discuss the Aims and objectives of Civics teaching in democratic country.)
Ans
नागरिकशास्त्र शिक्षण का उद्देश्य
(Objectives or Aims of Civics teaching)
शताब्दियों की दासता ने भारतीयों को बहुत-सी अच्छी एवं सुन्दर बातों से वंचित रखा है। इस कारण उनमें नागरिकता के गुणों का सम्यक् विकास नहीं हो सका किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत ने अपने को लोकतंत्रीय गणतन्त्रात्मक राज्य घोषित किया । जैसा कि हम जानते हैं कि नागरिक शास्त्र नागरिक के कर्त्तव्यों तथा अधिकारों की व्याख्या करता है। प्रजातंत्रीय
शासन-व्यवस्था की सफलता के लिये सजग एवं आदर्श नागरिकों की आवश्यकता होती है। इस कारण नागरिक शास्त्र का अध्ययन हमारे प्रजातंत्र के लिये, जो अभी अपने विकासशीलकाल में है, परम आवश्यक है। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिये हमारे द्वारा इस विषय को पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण स्थान देना चाहिये । जब इस विषय की भारतवर्ष के लिये अत्यन्त आवश्यक है तो स्वतः ही यह प्रश्न उठता है कि नागरिक शास्त्र के शिक्षण के क्या उद्देश्य होने चाहिये? बिनिंग तथा बिनिंग (Bining and Bining) के शब्दों में “नागरिक शास्त्र-शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य अच्छे नागरिक पैदा करना है तथा छात्रों की इस प्रकार सहायता करना है, जिससे उनमें नागरिक चरित्र का विकास हो।” “The outstanding purpose of instruction in civics is to produce better citizens and to aid pupils in the formation of a higher type of civil character
” इस प्रकार के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु छात्रों को समाज तथा शासन-व्यवस्था का पूरा-पूरा ज्ञान देना आवश्यक है। आगे उद्देश्यों का ही वर्णन करते हुए यही दोनों लेखक लिखते हैं-“नागरिक शास्त्र के शिक्षण द्वारा छात्रों को इस योग्य बना दिया जाये कि वे सामाजिक समस्याओं की जटिलताओं को समझ सकें और उनके समाधान में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकें।”
“To get pupils to view in a right way, certain pressing civics problems, in order that they may do their part in solving these problem, should constitute on out- standing objectives.”
नागरिकशास्त्र शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित है-
1. नागरिक गुणों के विकास हेतु व्यावहारिक ज्ञान पर बल देना (Enforcement on behaviour knowledge of development of citizen virtues)-इस स्तर पर छात्र के अन्दर अच्छे नागरिक के सभी गुणों का समुचित विकास नागरिक शास्त्र-शिक्षण के द्वारा होता है उनके चरित्र की नींव का शिलान्यांस इसी स्तर पर होता है। अत: नागरिक शास्त्र-शिक्षण का मुख्य उद्देश्य यह है कि वह छात्रों में उन सभी अच्छे नागरिक के गुणों को प्रदान करें, जो भविष्य में उसके व्यावहारिक जीवन को महत्त्वपूर्ण बनाने में योगदान करेंगे।
2. स्थानीय शासन-प्रणाली से परिचित कराना (Introduce to local administration system)-इस स्तर तक आकर छात्र स्थानीय शासन से अवगत होने लगता है। नागरिक शास्त्र शिक्षण का यह महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है कि छात्र को पूर्णरूप से स्थानीय प्रणाली तथा गतिविधियों से अवगत कराये । इस स्तर पर आकार छात्र शासन प्रणाली के गुण-दोषों को भी भली प्रकार जान लेता है । इस प्रकार भविष्य में वह शासन में योगदान देने के योग्य हो जाता है।
3. शासन के स्वरूप से अवगत कराना (Introduce to the form of administration)-शासन-व्यवस्था से परिचित होने के साथ-साथ शासन व्यवस्था के स्वरूप की पहचान कराना नागरिक शास्त्र-शिक्षण का मुख्य उद्देश्य है। चुनाव प्रक्रिया किस प्रकार सम्पन्न होती है, सरकार कैसे बनती है, संगठन का क्या महत्त्व है ? इन सभी से छात्र इस स्तर पर परिचित होता
4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने हेतु कार्य (Working to develop the scientific attitude)-  नागरिक शास्त्र शिक्षण का यह एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है कि वह छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करने में सहायक बने । इस स्तर पर छात्र के प्रमित होने का डर रहता है। यदि उसमें वैज्ञानिक रूप में निर्णय करने की योग्यता जागृत हो जायेगी तो उसे दिशा-भ्रम नहीं होगा। भारत में आज लोकतंत्र की दुर्दशा को देखते हुए नागरिक शास्त्र शिक्षण का यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उद्देश्य बनता है कि छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण जागृत हो जिससे वे सही और गलत का निर्णय कर सकें तभी वे देश के प्रति अपने कर्त्तव्य की पहचान कर पायेंगे।
5. राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना उत्पन्न करना (To produce the national and international feelings)- हाईस्कूल स्तर पर आते-आते छात्र की मानसिक शक्तियाँ पर्याप्त विकसित हो जाती हैं। छात्र में प्रत्येक वस्तु के विषय में जानने की उत्कण्ठा जागर्ने लगती है । अत: उसका दृष्टिकोण विकसित होने लगता है। इस स्तर पर नागरिक शास्त्र-शिक्षण का यह
भी एक प्रमुख उद्देश्य है कि वह छात्रों में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना का विकास करने में सहायक हो। आज की विषम स्थितियों में इस बात की ओर भी अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
6. देश की राजनैतिक, सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं से परिचित कराना (Introduce to the political, social and economic problems of the country)- हाईस्कूल स्तर पर नागरिक शास्त्र-शिक्षण का यह एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है कि वह छात्रों को देश की तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों से परिचित कराये । यदि छात्र प्रारम्भ से ही अपनी परिस्थितियों से अपरिचित रहेगा तो उनके बीच में पहुँचकर भविष्य में वह समस्याओं से निपटने के स्थान पर उन्हीं में उलझकर रह जायेगा क्योंकि वह मानसिक रूप से तैयार ही नहीं होगा। इन परिस्थितियों में वह देश का हित कर ही नहीं सकता।
7. चारित्रिक योग्यताओं का विकास (Development of character abilities)- चरित्र का निर्माण करने वाले गुणों का विकास करके अनुशासित जीवन के अंगों को दृढ़ बनाने का प्रयास करना नागरिक शास्त्र-शिक्षण का मुख्य उद्देश्य है। प्रारम्भ से ही जब छात्र का जीवन अनुशासित होता है और उसके चरित्र का निर्माण भली प्रकार हो जाता है तो छात्र में आगे चलकर
किसी भी प्रकार की देश विरोधी भावना विकसित नहीं होगी। वह किसी भी प्रकार के लालच में नहीं फंसेगा । उसके सामने एक ही दृढ़ संकल्प होगा देश की प्रगति का। फिर तभी देश उन्नतशील होगा, अतएव चरित्र के निर्माण का गठन करना नागरिक शास्त्र-शिक्षण का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।
उपर्युक्त सभी उद्देश्यों की प्राप्ति कराना नागरिक शास्त्र-शिक्षण का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है क्योंकि शिक्षा देश के भविष्योन्मुखी समाज का विकास करती है। अत: नागरिकता की चेतना उत्पन्न करना नागरिक शास्त्र-शिक्षण का मुख्य उद्देश्य है । बौद्धिक शक्तियों को जागृत करके ठनें, परिमार्जित करना भी नागरिक शास्त्र-शिक्षण का मुख्य उद्देश्य है । इससे छात्र में सत्य और असत्य के भेद को जानने की क्षमता जागृत होती है।

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