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UP Board Class 10 Home Science | सिलाई किट और वस्त्र-निर्माण कला

UP Board Class 10 Home Science | सिलाई किट और वस्त्र-निर्माण कला

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 12 सिलाई किट और वस्त्र-निर्माण कला

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
सिलाई किट से आप क्या समझती हैं? सिलाई-किट में प्रयोग होने वाली आवश्यक सामग्री की सूची बनाइए एवं उसकी उपयोगिता लिखिए। [2011]
या
सिलाई किट से क्या अभिप्राय है? इसके आवश्यक उपकरणों का भी उल्लेख कीजिए। [2007, 09, 10, 12]
या
सिलाई किट की आवश्यक सामग्री की सूची बनाइए एवं उनका प्रयोग लिखिए। [2009, 12, 13, 14, 15, 16]
या
सिलाई किट का उपयोग लिखिए। इस किट में रखे जाने वाले सामानों की सूची बनाइए। [2007, 08, 10, 12, 13]
या
मिल्टन चाक और मिल्टन क्लाथ में क्या अन्तर है? इनका प्रयोग कब किया जाता है? [2018]
या
निम्नलिखित में से प्रत्येक का कार्य संक्षेप में लिखिए [2018]
(क) इंच टेप,
(ख) फिंगर कैप,
(ग) सुई,
(घ) कैंची।

उत्तर:

सफल पारिवारिक जीवन के लिए प्रत्येक महिला को विभिन्न विषयों को समुचित ज्ञान होने के साथ-साथ सिलाई सम्बन्धी आवश्यक ज्ञान प्राप्त करना भी अत्यन्त आवश्यक है। मध्यम वर्गीय महिलाओं के लिए तो यह और भी आवश्यक है, क्योंकि इससे उन्हें सिलाई के पर्याप्त पैसे बच जाने के कारण पर्याप्त आर्थिक लाभ हो जाता है। सिलाई-कार्य अपने आप में एक.व्यवस्थित कार्य है तथा इस कार्य को सुचारु रूप से करने के लिए विभिन्न यन्त्रों एवं उपकरणों की आवश्यकता होती है। सिलाई-कटाई को व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने से पूर्व इस कार्य में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों एवं यन्त्रों की समुचित जानकारी अर्जित कर लेना अति आवश्यक है।

सिलाई के लिए आवश्यक साधन
वस्त्रों की सिलाई-कटाई का कार्य एक व्यवस्थित कार्य है। इस कार्य को सफलतापवुक तथा सुविधापूर्वक करने के लिए विभिन्न उपकरणों एवं साधनों की आवश्यकता होती है। सिलाई-कार्य करने वाले व्यक्ति को इन उपकरणों एवं साधनों की समुचित जानकारी होनी चाहिए तथा उन्हें सम्भालकर रखना भी आना चाहिए। सिलाई कार्य सम्बन्धी अधिकांश उपकरणों एवं सामग्री को सिलाई किट में एक साथ सम्भालकर रखा जाता है। कुछ आवश्यक साधन सिलाई किट के अतिरिक्त भी होते हैं। दोनों ही वर्गों के साधनों एवं उपकरणों का विस्तृत विवरण निम्नवर्णित है

(क) सिलाई किट
सिलाई किट से तात्पर्य उस थैले अथवा डिब्बे से है जिसमें सिलाई से सम्बन्धित छोटा-मोटा आवश्यक सामान (यन्त्र एवं उपकरण) रखा जाता है। सिलाई किट सामान्य रूप से किसी मोटे कपड़े, रेक्सीन अथवा टाट से, थैले के आकार की बनाई जाती है। इसके अतिरिक्त लकड़ी, गत्ते अथवा लोहे के डिब्बे को भी सिलाई किट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सिलाई किट में रखे जाने वाले सामान्य सामान निम्नलिखित हैं

(1) कैंचियाँ:
कपड़ा काटने के उपकरण को कैंची कहते हैं। वस्त्रों की सिलाई के लिए कपड़ा काटने के लिए छोटी व बड़ी कैंचियों की आवश्यकता पड़ती है। कैंचियों के उचित रख-रखाव के लिए माह में कम-से-कम एक बार इनके जोड़ों पर हल्का-सा तेल लगा देने से ये सदैव ठीक कार्य करती हैं। समय-समय पर कैंचियों में धार लगवानी भी आवश्यक होती हैं।

(2) सूइयाँ:
मशीन एवं हाथ से सिलाई करने के लिए विभिन्न प्रकार की सूइयाँ प्रयुक्त की जाती हैं। ये अनेक प्रकार की विभिन्न आकारों में उपलब्ध होती हैं। मशीन की सूई में नीचे व हाथ
की सूई में ऊपर की ओर धागे के लिए छिद्र होता है। लगभग सभी प्रकार की सुइयों का एक सेट सिलाई किट में रखना चाहिए।

(3) पिने:
पीतल की बनी ये पिने वस्त्र की सिलाई एवं कटाई के लिए बहुत उपयोगी हैं। लकड़ी के बोर्ड अथवा मेज पर कपड़ा फैलाकर ये पिनें लगाई जाती हैं, जिससे कि काटते समय कपड़ा इधर-उधर न खिसके।

(4) फिंगर कैप:
अंगुस्तान अथवा फिंगर कैप धातु अथवा प्लास्टिक का बना होता है। यह दाहिने हाथ की मध्यमा (बीच वाली अंगुली) के आकार का होता है तथा हाथ से सिलाई करते समय सूई की चुभन से सुरक्षा प्रदान करता है।

(5) धागे:
सफेद एवं अन्य समस्त सामान्य रंगों के धागे सिलाई किट में सदैव उपलब्ध रहने चाहिए। कपड़े के रंग से मिलते-जुलते रंग के धागे का सिलाई में उपयोग किया जाता है। सिलाई के धागे मजबूत तथा पक्के रंग वाले ही होने चाहिए।

(6) नापने के लिए उपकरण या इंच टेप:
धातु अथवा कपड़े के बने इंच-टेप अथवा मीट्रिक टेप प्रयोग में लाए जाते हैं। वस्त्र की कटाई एवं सिलाई करते समय शारीरिक माप अथवा कपड़े को नापने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।

(7) गुनिया:
यह आकार की धातु की बनी होती है तथा इस पर सेण्टीमीटर के चिह्न अंकित होते हैं। यह 16 x 30 सेण्टीमीटर की होती है। इसका मुख्य उपयोग विभिन्न आकार के कपड़े काटने में किया जाता है।

(8) मोम व मिल्टन चाक:
कुछ मोटे कपड़े व जीन सिलाई करते समय कट जाते हैं; अत: इससे बचने के लिए सिलाई के स्थानों पर मोम लगाई जाती है। । विभिन्न रंगों के आयताकार मिल्टन चॉकों को उपयोग कपड़ों की कटाई करते समय विभिन्न नापों अथवा आकारों को चिह्नित करने के लिए किया जाता है। मिल्टन चॉक द्वारा कपड़े पर लगाए गए निशान बिल्कुल साफ चमकते हैं। परन्तु ये पक्के नहीं होते। अत: सिलाई कार्य कर लेने के उपरान्त ब्रश से झाड़कर इन्हें साफ किया जा सकता है।

(9) कागज, रबर व पेन्सिल:
बनाये जाने वाले वस्त्रों का आकार अथवा खाका तैयार करने के लिए कागज व पेन्सिल का उपयोग किया जाता है। रबर द्वारी आवश्यकतानुसार पेन्सिल के चिह्नों को मिटाया जा सकता है।

(ख) अन्य उपकरण:
वस्त्रों की कटाई एवं सिलाई के लिए कुछ ऐसे साधन एवं उपकरण भी आवश्यक होते हैं, जिन्हें सिलाई किट में नहीं रखा जातो परन्तु इस्तेमाल करना अनिवार्य रूप से आवश्यक होता है। इस वर्ग के
साधनों एवं उपकरणों का सामान्य परिचय निम्नलिखित है

(1) सिलाई की मशीन:
यह सिलाई का सर्वाधिक उपयोगी उपकरण है। ये प्रायः दो प्रकार की होती हैं-हाथ से चलाने वाली तथा पैरों से चलाई जाने वाली। अब विद्युत चालित सिलाई मशीन भी बाजार में उपलब्ध है। सिलाई की मशीन के विभिन्न कल-पुर्जा का प्रारम्भिक ज्ञान प्राप्त करना सदैव लाभकारी रहता है। उपयोग में लाने के पश्चात् मशीन की सदैव सफाई करनी चाहिए तथा माह में कम-से-कम एक बार विभिन्न कल-पुर्जा की जड़ में तेल डालना चाहिए। इसके लिए मशीन में विभिन्न स्थानों पर छिद्र एवं चिह्न अंकित होते हैं।

(2) मिल्टन कपडा:
यह एक विशेष प्रकार का ऊनी कपड़ा होता है। इसका प्रयोग कपड़ों की कटाई करते समय मेज पर बिछाने के लिए होता है। इसकी लम्बाई व चौड़ाई मेज की लम्बाई-चौड़ाई के अनुसार होनी चाहिए।
उपर्युक्त विवरण द्वारा स्पष्ट है कि मिल्टन चाक से कपड़े पर आवश्यक निशान लगाए जाते हैं। तथा मिल्टन कपड़े को कपड़ा काटने वाले स्थान पर बिछाया जाता है।

(3) मेज या पटरा:
प्रायः कपड़े को मेज पर फैलाकर खड़े होकर काटा जाता है। सिलाई की मेज प्राय: लकड़ी की बनी होती है। यह लगभग एक मीटर चौड़ी व डेढ़ मीटर लम्बी होती है। यदि सिलाई-कार्य भूमि पर बैठकर करना हो, तो मेज के स्थान पर एक लकड़ी का पटरा ही इस्तेमाल किया
जाता है।

(4) प्रेस या इस्तरी:
सिलाई क्रिया को सुचारु रूप से करने के लिए प्रेस या इस्तरी की भी आवश्यकता होती है। कपड़े की सलवटें निकालने तथा उसे सीधा करने के लिए प्रेस की आवश्यकता होती है। प्रेस दो प्रकार की हो सकती है विद्युत चालित, तथा कोयले से गर्म होने वाली।

प्रश्न 2:
वस्त्र काटने से पहले नाप लेना क्यों आवश्यक है? नाप लेने की प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिए। [2008, 09, 10, 11]
या
वस्त्र का नाप लेना क्यों आवश्यक है? [2008, 09, 10, 18]
उत्तर:
वस्त्र बनाने से पूर्व नाप लेने के लाभ वस्त्र बनाते समय पहनने वाले व्यक्ति की नाप लेने के अनेक लाभ हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं

  1. यह अनुमान लगाना सम्भव हो जाता है कि वस्त्र बनाने के लिए कितना कपड़ा पर्याप्त रहेगा।
  2. कपड़े के व्यर्थ जाने की सम्भावना समाप्त हो जाती है।
  3. ठीक नाप लेने से वस्त्र उपयुक्त फिटिंग के बनते हैं।
  4. उचित नाप लेकर कटाई व सिलाई करने पर सस्ते कपड़े के वस्त्र भी सुन्दर दिखाई पड़ते हैं।

नाप लेते समय ध्यान देने योग्य बातें
यह एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। अतः इसके लिए निम्नलिखित सावधानियाँ अपेक्षित हैं

  1. वस्त्र बनवाने वाले व्यक्ति की रुचि के अनुसार ढीले अथवा तंग फिटिंग वाली नाप लेनी चाहिए।
  2. विभिन्न अंगों की अलग-अलग नाप लेने से वस्त्र अच्छी फिटिंग के बनते हैं।
  3.  नाप लेते समय सदैव नाप देने वाले व्यक्ति के दाहिनी ओर खड़ा होना चाहिए।
  4.  इंच-टेप के सिरे को बाएँ हाथ से पकड़कर, दाहिने हाथ से नाप लेनी चाहिए।
  5. नाप देने वाले व्यक्ति को स्वाभाविक अवस्था में समतल स्थान पर सीधा खड़ा करना चाहिए।
  6. सिकुड़ने वाले वस्त्रों (मोटे सूती कपड़े व जीन्स आदि) को नाप लेने से पूर्व धोकर सुखा लेना चाहिए।
  7. व्यक्ति विशेष की विभिन्न नापों को किसी कॉपी अथवा डायरी में क्रम से लिखना चाहिए, ताकि कपड़ा काटते समय भूल पड़ने की सम्भावना ही न रहे।

[नोट-नाप लेने की विधियों के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या 3 देखें।]

प्रश्न 3:
वस्त्रों की कटाई/सिलाई के लिए नाप लेने की विधियों का उल्लेख कीजिए। [2018]
उत्तर:
नाप लेने की विधियाँ | वस्त्रों की कटाई एवं सिलाई के लिए व्यक्ति का नाप लेने की दो विधियाँ हैं। जिस व्यक्ति का कपड़ा सिलना हो, यदि वह उपस्थित है तो उसके प्रत्येक अंग की ठीक नाप ली जा सकती है और यदि व्यक्ति उपस्थित नहीं है तो केवल छाती की नाप द्वारा ही शरीर के अन्य अंगों की नाप का अनुमान लगाया जा सकता है। नाप लेने की दोनों ही विधियों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है|

(1) केवल सीने अथवा छाती की नाप लेना:
यदि वस्त्र सिलवाने वाला व्यक्ति अनुपस्थित है, तो उसके सीने अथवा छाती की नापं से ही अन्य अंगों की नाप का अनुमान लगाकरे वस्त्र तैयार किए। जा सकते हैं, परन्तु इस विधि से तैयार वस्त्र एक तो सही फिटिंग के नहीं बन पाते और दूसरे व्यक्ति का असामान्य शारीरिक गठन होने पर अन्य अनेक कठिनाइयाँ हो सकती हैं। केवल सीने की नाप से अन्य नापों का अनुमान निम्न प्रकार से लगाया जाता है

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(2) विभिन्न अंगों की नाप लेना:
वस्त्र सिलवाने वाला व्यक्ति यदि उपस्थित है, तो इंच-टेप द्वारा उसके विभिन्न अंगों की नाप निम्न प्रकार से लेकर किसी कॉपी अथवा डायरी में लिख लेनी चाहिए।

सीने की नाप:
इंच-टेप को सामने से प्रारम्भ करके छाती के पीछे की ओर घुमाकर दूसरी ओर से सामने तक ले आइए। इस प्रकार सीने की सही नाप ली जा सकती है।

कमर की नाप:
इंच-टेप से कमर के घेरे को नापना चाहिए।

तीरे या पुट की नाप:
रीढ़ की हड्डी के ऊपरी सिरे से लेकर कन्धे तक की नाप लेनी चाहिए।

गले की नाप:
टेप के नीचे उँगली रखकर गले की नाप लेनी चाहिए।

बॉडी की नाप:
गर्दन से लेकर कमर तक की नाप को बॉडी की नाप कहते हैं।

वस्त्र की लम्बाई:
व्यक्ति को सीधा खड़ा करके कन्धे एवं गर्दन के जोड़ से नीचे आवश्यक निचाई तक नापना चाहिए। ब्लाउज के लिए कमर तक तथा कमीज के लिए घुटने से ऊपर तक नाप ली
जाती है। सलवार के कुर्ते के लिए घुटने से कुछ नीचे तक की नाप ली जाती है।।

आस्तीन की नाप:
पूरी आस्तीन के लिए कन्धे से कलाई तक टेप द्वारा नापा जाता है। इसके साथ कफ के घेरे की नाप लेना आवश्यक होता है। आधी या आधी से कम अथवा अधिक लम्बाई की
आस्तीन के लिए कन्धे से वांछित स्थान तक टेप से नापना चाहिए।

धड़ से नीचे के वस्त्रों की लम्बाई:
पायजामा, पतलून, सलवार आदि के लिए कमर से पैरों तक की लम्बाई टेप से नापनी चाहिए। नेकर अथवा हाफ-पैण्ट के लिए कमर से घुटने तक की लम्बाई नापनी चाहिए। पायजामा, पतलून व सलवार के पाँयचों के लिए इनकी मोहरी की नाप भी लेनी चाहिए।

मियानी:
पायजामे तथा सलवार की मियानी का आगे व

पीछे दोनों ओर की नाप:
इसके लिए कूल्हे के चारों ओर टेप घुमाकर नाप लेनी चाहिए। नेकर व पतलून आदि के लिए सीट की नाप अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है।

प्रश्न 4:
सिलाई कितने प्रकार की होती है? हाथ की सिलाई का प्रयोग कहाँ-कहाँ पर किया जाता है? [2011, 12]
या
वस्त्रों की सिलाई कितने प्रकार से की जाती है? हाथ की सिलाई के किन्हीं चार टॉकों के नाम बताइए। [2012, 13, 14]
या
वस्त्रों की सिलाई में किन-किन टॉकों का प्रयोग किया जाता है किन्हीं तीन टाँको के बारे में लिखिए। [2011]
या
टाँके कितने प्रकार के होते हैं? इनका प्रयोग कब और कहाँ किया जाता है? [2014]
या
तुरपन या तुरपायी किसे कहते है? [2015]
उत्तर:
सिलाई के प्रकार

सिलाई दो प्रकार की होती है-मशीन की सिलाई तथा हाथ की सिलाई। हाथ की सिलाई कई प्रकार की होती है और इसका मशीन की सिलाई से अधिक महत्त्व होता है। हाथ की सिलाई को
आदिकाल से प्रचलन है। प्राचीनकाल में जब मशीन उपलब्ध नहीं थी, तब हाथ से ही सिलाई का कार्य किया जाता था, परन्तु आज मशीन से वस्त्र सिलने के पश्चात् भी हाथ की सिलाई का तथा वस्त्र में हाथ से कार्य करने का अपना एक अलग महत्त्व है। वस्त्रों की सिलाई में विभिन्न प्रकार के टॉकों का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग भिन्न-भिन्न प्रयोजनों के लिए किया जाता है।

हाथ की सिलाई के विभिन्न टाँके

हाथ की सिलाई के विभिन्न टॉकों का सामान्य परिचय निम्नलिखित है

(1) कच्चा टाँका:
कच्चे टाँके का प्रयोग कपड़े को अस्थायी रूप से जोड़ने के लिए किया जाता है। वास्तविक सिलाई कच्चे टाँके के बाद की जाती है। यह टाँका \frac { 1 }{ 2 }से 1 सेमी लम्बा होता है। धागे में गाँठ देकर कपड़े को दायीं ओर से बायीं ओर सिला जाता है।

(2) सादा टाँका:
सादा या रनिंग टाँका हाथ की स्थायी सिलाई में अधिक प्रयोग किया जाता है। यह कच्चे टाँके की भाँति होता है, परन्तु उससे छोटा होता है।

(3) बखिया:
बखिया के टॉकों का प्रयोग कपड़ों की मजबूत और पक्की सिलाई करने के लिए। किया जाता है। मशीन से जो सिलाई होती है वह भी बखिया ही होती है। मशीन की बखिया दोनों तरफ एक-सी होती है तथा साफ और सुन्दर लगती है, लेकिन हाथ की बखिया सीधी और उल्टी होती है। तथा मशीन की बखिया से कहीं अधिक मजबूत होती है। कपड़ों के जोड़ पर मजबूत सिलाई करने के लिए बखिया के टॉकों की आवश्यकता होती है।

(4) तुरपाई या हैमिंग टाँका:
कपड़े के धागे निकलने से रोकने के लिए किनारे को बन्द करने के लिए इस टाँके का प्रयोग किया जाता है। इसमें सूई का समान रूप से छोटा टाँका लेकर कपड़े से निकालकर फिर दोहरे मोड़े हुए कपड़े में से निकालते हैं। तुरपन हाथ से ही की जाती है। इससे टाँके
दूर से स्पष्ट नहीं दिखाई देते।

(5) सम्मिलित टाँके:
ये टाँके बहुत मजबूत होते हैं। किसी भी सिलाई को मजबूत बनाने के लिए इन टॉकों का प्रयोग किया जाता है। इसमें तीन सादे टाँकों के साथ एक बखिया का टाँका भी प्रयुक्त किया जाता है।

(6) काज के टॉके:
काज बनाने से ही सिलाई की शिक्षा आरम्भ हो जाती है। काज अधिकतर हाथ से बनाए जाते हैं। काज का टाँका सरल है, फिर भी सफाई से काज बनाना एक कला है।।

(7) पसज के टाँके:
कपड़े के किनारों को बराबर रखने के लिए इस टॉके का प्रयोग किया जाता है। जहाँ कहीं भी कपड़े के किनारे निकलने का भय रहता है या गोट लगानी होती है, वहाँ इस टाँके का प्रयोग प्रायः किया जाता है। इसके टाँके अधिक कसकर नहीं लगाए जाते, क्योंकि कपड़े में तनाव आने का डर रहता है। दो कपड़ों को जोड़ने के लिए इस टाँके का ही प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 5:
फैन्सी टॉकों (स्टिच) से कढाई करने में कौन-कौन से उपकरण किस प्रकार काम में आते हैं? फैन्सी टॉकों के प्रयोग की प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फैन्सी टॉक

वस्त्रों की सुन्दरता बढ़ाने के उद्देश्य से फैन्सी टॉकों द्वारा विभिन्न प्रकार की कढ़ाई की जाती है। यह एक सरल, सस्ता एवं सुरुचिपूर्ण कार्य है। इसमें काम में आने वाले उपकरण हैं

  1. कढ़ाई का वस्त्र,
  2. विभिन्न रंग के कढ़ाई के धागे,
  3.  सूइयाँ,
  4. पेन्सिल,
  5. कार्बन पेपर एवं
  6. कढ़ाई के लिए फ्रेम अथवा अड्डा।

उपकरणों का प्रारम्भिक उपयोग:
सर्वप्रथम कार्बन पेपर को उलटकर कपड़े के सीधी ओर रखना चाहिए। अब कार्बन पेपर पर डिजाइन का कागज पिनों द्वारा स्थापित कर देते हैं। पेन्सिल को डिजाइन पर चलाने से डिजाइन कपड़े पर उतर आता है। अब कपड़े को फ्रेम में इस प्रकार कस देते हैं। कि डिजाइन फ्रेम के मध्य में रहे। अब उपयुक्त रंगों वाले धागों का प्रयोग कर सूइयों द्वारा कढ़ाई की जाती है।

फैन्सी टॉकों के प्रयोग की विभिन्न विधियाँ

विभिन्न उपयोगों में आने वाले वस्त्रों की कढ़ाई के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के फैन्सी टॉकों को प्रयोग में लाया जाता है। इनके कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं

(1) हेम स्टिच:
ये मोटे व सूती कपड़ों से बने वस्त्रों; जैसे–मेजपोश, टी०वी० कवर आदि; के लिए उपयुक्त रहते हैं। (देखें चित्र 12.1)

(2) साटिन स्टिच:

इसका प्रयोग फूल-पत्ती तथा अन्य डिजाइनों को भरने के लिए होता है। इसकी कढ़ाई कपड़े पर उभरी हुई होती है। साड़ी इत्यादि की कढ़ाई में साटिन स्टिच का बहुधा उपयोग किया जाता है। (देखें चित्र 12.2)

(3) बटन होल स्टिच:

इसमें काज के समान छोटे-छोटे फूल बनाए जाते हैं। सूई से आगे की ओर धागा करके बार-बार एक ही छेद से निकालते जाते हैं। (देखें चित्र 12.3)
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(4) चेन अथवा जंजीरा स्टिच:
कश्मीरी कढ़ाई में इस प्रकार के स्टिच का प्रयोग विशेष रूप से होता है। इसमें टाँकों द्वारा जंजीर अथवा चेन के समान कढ़ाई की जाती है। (देखें चित्र 12.4)
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(5) लेजी डेजी स्टिच:
ये लगभग चेन स्टिच के समान बनाए जाते हैं। इसका उपयोग छोटे-छोटे फूल-पत्ती बनाने में होता है। (देखें चित्र 12.5)

(6) स्टेम स्टिच:
इस प्रकार के स्टिचों का उपयोग दिशा, लम्बाई अथवा दूरी के अनुसार किया जाता है। (देखें चित्र 12.6)

प्रश्न 6:
बेबी फ्रॉक के लिए कपड़े की मात्रा का अनुमान कैसे लगाएँगी? दो वर्ष एवं पाँच वर्ष के बकी बेबी फ्रॉक बनाने की विधि सचित्र लिखिए। [2007, 09, 10, 11, 12, 13, 14, 15]
या
तीन वर्ष की बालिका के बेबी फ्रॉक में कितना कपड़ा लगेगा? फ्रॉक को सुन्दर और आकर्षक बनाने के लिए आप क्या करेंगी? [2008]
या
बेबी फ्रॉक में औसतन कितना कपड़ा लगेगा? बेबी फ्रॉक के नाप के अनुसार ड्राफ्टिग कीजिए। [2016, 18]
उत्तर:
बेबी फ्रॉक के लिए अनुमानित कपड़ा

बेबी फ्रॉक बनाने के लिए कपड़े का अनुमान लगाना एक लाभप्रद एवं आवश्यक कार्य है, क्योंकि आवश्यकता से अधिक कपड़ा खरीदना एक प्रकार से धन का अपव्यय ही है। बेबी फ्रॉक के लिए आवश्यक कपड़े का अनुमान निम्न प्रकार से लगाया जा सकता है
मान लीजिए कि घेर की लम्बाई = 25 सेमी
चोली की लम्बाई = 20
सेमी आस्तीन की लम्बाई = 15सेमी
कपड़े का अर्ज = 92 सेमी
तो, कपड़े की लम्बाई = घेर की लम्बाई x2 + चोली की लम्बाई + आस्तीन की लम्बाई
= 25 x 2 + 20 + 15 + मोड़ने के लिए 10 सेमी
= 95सेमी
यदि गले में झालर लगानी है, तो इसके लिए अतिरिक्त कपड़ा लेना होगा।

बेबी फ्रॉक की रूपरेखा
तीन वर्ष की बालिका का फ्रॉक बनाने के लिए कपड़े का अनुमान निम्नांकित तालिका के
अनुसार लगाएँ:
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प्रश्न 7:
लेडीज कुर्ता सिलने की सम्पूर्ण विधि चित्र सहित समझाइए।
या
16 वर्ष की लड़की के कुर्ते में कितना कपड़ा लगेगा? कुर्ते की नाप के अनुसार ड्राफ्टिग कीजिए। [2011]
उत्तर:
लेडीज कुर्ता

युवतियाँ सलवार या चूड़ीदार पायजामे के साथ कुर्ता पहनती हैं। कुर्ता कई प्रकार से बनाया जाता है। फैशन के अनुसार कुर्ता ढीला या टाइट फिटिंग वाला पहना जा सकता है। कुर्ता बनाने के लिए इन नापों की आवश्यकता होती है—लम्बाई, चेस्ट, हिप, घेर, पुट या तीरा, कमर, गला, आस्तीन की लम्बाई, मोहरी।

18 वर्षीया युवती की औसत नाप:
लम्बाई 100 सेमी, चेस्ट 80 सेमी, हिप 50 सेमी, घेर घुटने पर से 90 सेमी, पुट या तीरा 35 सेमी, कमर 70 सेमी, गला 30 सेमी, आस्तीन की लम्बाई 30 सेमी या इच्छानुसार मोहरी 25 सेमी।
(1) कुर्ता बनाने के लिए आगे और पीछे का भाग अलग-अलग तैयार किया जाता है।
(2) कपड़े की चौड़ाई को हिप का +2 सेमी या ढीला अधिक रखना हो, तो इच्छानुसार

दोहरा करके कपड़ा लम्बाई के बराबर लेकर सामने और उसके पीछे का भाग अलग-अलग रखिए।

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प्रश्न 8:
18 वर्ष की युवती के पेटीकोट के लिए कितना कपड़ा चाहिए ? पेटीकोट की आवश्यक नाप लिखिए और सचित्र समझाइए। [2008, 09, 11, 12, 16, 17, 18]
या
महिला के पेटीकोट के लिए कपड़े की लम्बाई का अनुमान कैसे लगाया जाएगा? इसके लिए कपड़ा कैसे काटा जाएगा? [2008, 09, 11, 12, 13, 14, 15]
या
कलीदार पेटीकोट का ड्राफ्ट बनाइए। [2007, 08]
उत्तर:
पेटीकोट के लिए अनुमानित कपड़ा

यह देखना चाहिए कि कपड़े की चौड़ाई में से पेटीकोट की एक तरफ अथवा दो कली निकल आयें। यदि नेफा अलग है, तो पेटीकोट के लिए लम्बाई x 2 सेमी लम्बे कपड़े की आवश्यकता पड़ेगी, क्योंकि जितना नेफा ऊपर लगेगा नीचे की ओर उतना ही पेटीकोट को मोड़ा जा सकता है। यदि कपड़े की चौड़ाई में से किनारे से नेफे का कपड़ा न निकले, तो पेटीकोट के लिए लम्बाई x 2 + नेफा कपड़ा लगेगा। यदि पेटीकोट के नीचे लेस या झालर लगानी हो तो नेफे का कपड़ा छोड़कर दो लम्बाई से कम कपड़े से भी काम चल सकता है।
पेटीकोट की रूपरेखा

कपड़े का अर्ज = 92 सेमी
पेटीकोट की लम्बाई = 1 मीटर (5 सेमी कपड़ा अधिक लें)
कमर का घेरा = 70 सेमी
1 से 2 = पेटीकोट की लम्बाई
100 सेमी + 5 सेमी = 105 सेमी
1 से 3 = कपड़े के अर्ज अथवा पने के अनुसार
1 से 5 = कमर का \frac { 1 }{ 4 }+ 5 = लगभग 23 सेमी
4 से 6 = 1 से 5 = 23 सेमी
5 से 6 को तिरछा मिलाइए
5 से 8 = 1 से 2
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6 से 7 = 3 से 4
अब 5 से 6 को पहले तिरछा काटिए।
7 से 9 व 8 से 10 का अधिक वाला कपड़ा काट दीजिए।
म्यानी के लिए कमर की लम्बाई से 10 सेमी कपड़ा अधिक लीजिए अर्थात 70+ 10 = 80 सेमी तथा 10 सेमी चौड़ा कपड़ा लेकर ऊपर पेटीकोट में लगाइए। अब समान रंग के धागे से सिलाई कीजिए।

प्रश्न 9:
पायजामे के लिए कपड़े की मात्रा का अनुमान आप किस प्रकार लगाएँगी? एक वयस्क पुरुष व दो वर्ष के बच्चे के पायजामे को बनाने की विधि का वर्णन कीजिए।
या
एक वयस्क पुरुष के लिए पायजामा का नाप लिखकर काटने की विधि चित्र द्वारा समझाइए। [2008, 09, 10, 11]
या
एक बालक के पायजामे का ड्राफ्ट बनाइए। [2008]
या
एक सादा पायजामे में कितना कपड़ा लगता है? सादा पायजामे के ड्राफ्ट का चित्र बनाइए। [2008, 12]
या
एक 14 या 16 वर्ष के लड़के के लिए पायजामा बनाने में कितना मीटर कपड़ा लगेगा? पायजामे का ड्राफ्ट बनाइए। [2008, 09]
उत्तर:
पायजामे के लिए अनुमानित कपड़ा

यदि कपड़े का अर्ज 92 सेमी है, तो कपड़े की अनुमानित मात्रा होगी,
पायजामे की लम्बाई x 2 + 10 सेमी (मोहरी मोड़ व नेफे के लिए)
वयस्क के लिए यदि पायजामे की लम्बाई = 105 सेमी
तो आवश्यक कपड़ा = 105 x 2 +10 = 220 सेमी

वयस्क व्यक्ति के लिए पायजामा बनाने की विधि
चित्र (अ):
1 से 2 तक की लम्बाई + 5 सेमी = 110 सेमी
1 से 3 तक पाँयचे की चौड़ाई = अर्ज का 3 = 46 सेमी
1 से 5 तक नेफा मोड़ने के लिए = 5 सेमी
2 से 6 तक मोहरी मोड़ने के लिए = 5 सेमी
5 से 6 के तीन बराबर भाग किए।
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 12 सिलाई किट और वस्त्र-निर्माण कला 4

चित्र (ब):
ऊपर का एक भाग म्यानी के लिए (5 से 7)
4 से 10 = 3 सेमी,
8 से 7 तक सीधी रेखा खींचिए।

चित्र (स):
म्यानी की चौड़ाई = 10 सेमी
1 से 3 म्यानी की लम्बाई = 20 सेमी
1 से 6 = 1.5 सेमी
4 से 5 = 1 से 6, 5 से 6 को मिलाइए
5 से 7= 4 से 2, 6 से 8 = 1 से 3

आवश्यकता से अधिक बचने वाले कपड़े को काटकर म्यानी के दोनों किनारे बराबर कर लीजिए। उपर्युक्त रूपरेखा के अनुसार कपड़े की कटिंग करके पायजामे की सिलाई कर लीजिए व प्रेस करके सलवटें दूर कीजिए।

दो वर्ष के बच्चे का पायजामा:

से 5 वर्ष तक के बच्चे का पायजामा बनाने के लिए कपड़े की एक ही लम्बाई से काम चल जाता है, क्योंकि 92 सेमी के अर्ज में दोनों पाँयचे निकल आते हैं।
यदि पायजामे की लम्बाई = 60
सेमी तो आवश्यक कपड़ा = 60 + 10 (नेफे व मोहरी के लिए) = 70 सेमी

बनाने की विधि: अब बच्चे के पायजामे की रूपरेखा

चित्र (अ) :
1 से 2 तक की लम्बाई + 5 सेमी = 65 सेमी
1 से 3 पॉयचे की चौड़ाई = अर्ज का = \frac { 1 }{ 4 }23 सेमी
1 से 5 नेफे के लिए = 5 सेमी
2 से 6 मोहरी मोड़ने के लिए = 5 सेमी
5 से 6 के तीन बराबर भाग कीजिए।

चित्र ( ब ) :
ऊपर का एक भाग म्यानी के लिए (5 से 7)
4 से 10 = 3 सेमी, 8 से 7 तक सीधी रेखा खींचिए।

चित्र (स) :
म्यानी की चौड़ाई = 5 सेमी
1 से 3 म्यानी की लम्बाई = 10 सेमी
1 से 6 = 1 सेमी
4 से 5 = 1 से 6, 5 से 6 को मिलाइए।
5 से 7 = 4 से 2.6 से 8 = 1 से 3 को मिलाइए।
फालतू कपड़े को काटकर म्यानी के दोनों किनारे बराबर कर लीजिए। कपड़े की कटिंग कर व सिलाई कर प्रेस द्वारा सलवटें दूर कर लीजिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
घर पर ही वस्त्रों की सिलाई करने के लाभ बताइए। [2007, 08, 10, 11, 12, 13, 14, 15]
उत्तर:
घर पर ही वस्त्रों की सिलाई करने से वस्त्र कम समय में और जिस समय आवश्यकता हो, . उसी समय तैयार किए जा सकते हैं। दर्जी प्रायः समय अधिक लगाने के साथ-साथ कपड़ा भी अपेक्षाकृत अधिक लेते हैं। घर में वस्त्र नाप के अनुसार उचित रूप से बनाए जा सकते हैं। वस्त्र सिलने पर बचे कपड़े का उपयोग छोटे बच्चों के कपड़े, थैले-थैलियाँ तथा नैपकिन्स आदि बनाने में किया जा सकता है। घर पर सिलाई करने से धन की भी बचत होती है। दर्जियों के पास चक्कर काटने से धन न’ मा का अपव्यय होता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवार के सदस्यों तथा स्नेहीजनों के लिए अपने हाथों से बेशभूषा तैयार करने में एक विशेष प्रकार का भावात्मक सन्तोष तथा प्रसन्नता की भी अनुभूति होती है। इसी प्रकार घर पर ही तैयार किए गए वस्त्रों को पहनकर भी एक अद्भुत आनन्द की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 2:
सिलाई किट किसे कहते हैं? [2009, 10, 11, 12, 13, 18]
उत्तर:
सिलाई-कार्य के लिए विभिन्न उपकरणों की आवश्यकता होती है। इन उपकरणों को किसी थैले, डिब्बे अथवा बॉक्स में विधिवत् रखा जाता है। सिलाई उपकरणों सहित इस डिब्बे, थैले अथवा बॉक्स को ही सिलाई किट कहते हैं। सिलाई किट सामान्य रूप से किसी मोटे कपड़े, रेक्सीन अथवा टाट से, थैले के आकार का बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त लकड़ी, गत्ते अथवा लोहे के डिब्बे को भी सिलाई किट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रश्न 3:
सिलाई किट बनाने से क्या लाभ होता है? [2017]
या
सिलाई किट की उपयोगिता क्या है? इसमें कौन-सा सामान रहता है? [2009, 10, 15, 16]
उत्तर:
सिलाई किट में सिलाई-कटाई के लिए आवश्यक समस्त उपकरण एक स्थान पर एकत्र रहते हैं। अतः किसी उपकरण की आवश्यकता होते ही उसे तुरन्त उपलब्ध किया जा सकता है। इससे समय की बचत होती है तथा उपकरण ढूँढ़ने की परेशानी से भी बचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त सदैव सिलाई किट में ही आवश्यक उपकरण रखने की आदत से किसी भी उपकरण के खो जाने की आशंका नहीं रहती। सिलाई किट में वस्त्रों की सिलाई के लिए आवश्यक सभी उपकरण एवं सामग्री रखी जाती है। सिलाई मशीन तथा प्रेस आदि उपकरणों को इसमें सम्मिलित नहीं किया जाता है

प्रश्न 4:
कपड़ा काटते समय आप किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक समझती हैं? [2007, 09, 16]
उत्तर:
वस्त्र बनाने के लिए कपड़ा काटते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना सदैव लाभप्रद रहता है
(1) कपड़ा काटने से पूर्व सर्वप्रथम उसकी कान अथवा तिरछापन दूर कर देना चाहिए। यह कार्य वस्त्र की रूपरेखा के चिह्न अंकित करने से पहले करना चाहिए।
(2) कपड़े पर छपे डिजाइन की सिलाई करते समय पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। डिजाइन की उपेक्षा करके सिले वस्त्र कम सुन्दर लगते हैं।
(3) अर्ज की ओर कपड़ा आड़ा व लम्बाई की ओर खड़ा कहलाता है। सही फिटिंग के वस्त्र सिलने के लिए कपड़े को सदैव खड़ा काटना चाहिए।
(4) कपड़े को सदैव समतल स्थान पर रखकर काटना चाहिए। (5) कपड़ा काटते समय सिलाई में दबने वाले कपड़े का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
(6) वस्त्र काटते समय दाहिने हाथ में कैंची पकड़कर बाएँ हाथ से वस्त्र को दबाते हुए समान गति से कैंची चलाते हुए कपड़ा काटना चाहिए।
(7) तीव्र व मध्यम धार वाली कैची का उपयोग करना चाहिए।
(8) कपड़ा काटने से पूर्व इस्त्री (प्रेस) कर इसकी सलवटें दूर कर लेनी चाहिए।

प्रश्न 5:
वस्त्रों की सिलाई करते समय मुख्य रूप से किन-किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है? [2013, 15]
उत्तर:
वस्त्रों की सिलाई करते समय मुख्य रूप से अग्रलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है

  1. सिलाई करने से पहले हाथ अच्छी तरह से साफ कर लें जिससे कि कपड़ा गन्दा न हो।
  2. सिलाई प्रारम्भ करने से पूर्व सिलाई का सब सामान अपने पास रख लें, ताकि समय की बचत हो और असुविधा भी न हो।।(3) वस्त्र की सिलाई
  3. आँख के बहुत पास लाकर नहीं करनी चाहिए, एक निश्चित दूरी अवश्य रखनी चाहिए।
  4. सिलाई कार्य करने के स्थान पर पर्याप्त प्रकाश होना चाहिए।
  5. सिलाई करने में कपड़े के अनुसार मोटी या पतली सूइयों को प्रयोग करना चाहिए।
  6. सूई को कभी भी मुंह में नहीं रखना चाहिए।
  7. सूई को खोने से बचाने के लिए उसमें सदैव धागा पिरोकर ही रखना चाहिए।

प्रश्न 6:
मशीन द्वारा सिलाई करते समय सूई टूटने के कारण बताइए। [2016]
उत्तर:
सूई के टूटने के प्राय:
निम्नलिखित कारण होते हैं

  1. मशीन में सूई के सही प्रकार से न लगे होने पर इसके टूटने की पूर्ण सम्भावना रहती है।
  2. मशीन में शटल के भली प्रकार कसी न होने पर भी प्राय: सूई टूट जाया करती है।
  3. कपड़े के अनुसार मोटी अथवा पतली सूई का प्रयोग न करना प्रायः सूइयों के टूटने का कारण रहता है।
  4. सिलते समय बार-बार कपड़ा खींचने से भी सूई के टूट जाने का भय रहता है।
  5. नकली, घिसी, जंग लगी पुरानी सूई प्रयोग करने पर टूट सकती है और उससे शारीरिक क्षति की भी सम्भावना रहती है।

प्रश्न 7:
सिलाई करते समय मशीन का धागा टूटने के कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मशीन द्वारा सिलाई करते समय धागा टूट जाने के मुख्य कारण निम्नलिखित होते हैं|

  1.  धागे का क्रम मशीन में यदि ठीक से न रखा गया हो अर्थात् धागा ठीक से न डाला गया हो, तो मशीन चलाते ही धागा टूट जाता है।
  2. धागा यदि पुराना या कच्चा हो अथवा मशीन में ऊपर तथा नीचे का धागा एक समान न हो, तो भी धागा बार-बार टूटता रहता है।
  3. ( मशीन की सूई यदि टेढ़ी अथवा गलत लगी हो तो भी धागा टूट जाता है।
  4. मशीन में खिंचाव को सँभालने वाले स्प्रिंग का कसाव यदि अधिक हो, तो मशीन चलाते समय धागा टूट जाता है।
  5. कपड़े की मोटाई के अनुसार यदि सही सूई एवं धागे को न अपनाया गया हो, तो भी प्रायः धागो टूट जाता है।
  6.  मशीन के पैर के दाँते यदि घिस गए हों, तो भी मशीन चलाते समय धागा है।

प्रश्न 8:
मिल्टन चॉक एवं मीटर टेप का उपयोग बताइए। [2016]
या
मिल्टन चॉक का क्या उपयोग है ? [2009]
या
कपड़े पर काटने से पहले निशान लगाने के लिए किस चॉक का प्रयोग करते हैं और क्यों ? [2012, 13]
उत्तर:
मिल्टन चॉक एवं मीटर टेप दोनों ही वस्त्रों की कटाई-सिलाई के कार्य में प्रयोग किये जाते हैं। वस्त्रों की कटाई के लिए तथा सिलाई के लिए कपड़े पर आवश्यक निशान लगाने पड़ते हैं। कपड़े पर ये निशान लगाने के लिए मिल्टन चॉक का प्रयोग किया जाता है। मिल्टन चॉक से लगाये गये निशान बिल्कुल साफ दिखायी देते हैं तथा जब चाहें इन निशानों को सरलतापूर्वक कपड़े से छुटाया भी जा सकता है। मीटर टेप भी कपड़ों की नपाई के लिए प्रयोग किया जाता है। कपड़े को नापने के लिए तथा कपड़े पर नाप के अनुसार निशान लगाने के लिए मीटर टेप प्रयोग किया जाता है। मीटर टेप की सहायता से ही हम सही नाप का कपड़ा तैयार कर पाते हैं। कपड़ों की उत्तम सिलाई के लिए व्यक्ति के शरीर का नाप भी मीटर टेप से ही लिया जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
सिलाई किट से क्या आशय है? [2007, 10, 11, 12, 13]
उत्तर:
सिलाई-कटाई के कार्य के लिए आवश्यक उपकरणों एवं सामग्री को एक साथ रखने वाले डिब्बे या थैले को संयुक्त रूप से सिलाई किट कहा जाता है।

प्रश्न 2:
सिलाई के उपकरण कौन-कौन से होते हैं? [2007, 11]
या
सिलाई में काम आने वाली मुख्य वस्तुओं के नाम लिखिए। [2018]
उत्तर:
सिलाई के महत्त्वपूर्ण उपकरण निम्नलिखित हैं

  1. कैंचियाँ,
  2. सूइयाँ,
  3. फिंगर कैप,
  4. धागे,
  5. इंच-टेप,
  6. सिलाई मशीन,
  7.  मिल्टन कपड़ा,
  8. गुनिया,
  9. मिल्टन चॉक तथा
  10.  मोम, पेन्सिल, रबर, कार्बन पेपर आदि।

प्रश्न 3:
कपड़ा किस प्रकार के स्थान पर काटना उचित रहता है?
उत्तर:
कपड़े को सदैव किसी समतल स्थान (मेज, पटरी, फर्श आदि) पर फैलाकर काटना चाहिए।

प्रश्न 4:
कपड़ा काटने से पूर्व नाप लेने की क्या आवश्यकता है? [2008, 09, 10, 11, 12, 13, 14]
उत्तर:
कपड़ा काटने से पूर्व सही ढंग से नाप लेना आवश्यक होता है क्योंकि इससे ज्ञात हो जाता है कि कपड़ा आवश्यकतानुसार लिया गया है या नहीं। यदि कपड़ा आवश्यकता से अधिक होता है, तो फालतू कपड़े को काटकर अलग कर लिया जाता है।

प्रश्न 5:
वस्त्र सिलने से पूर्व ठीक नाप लेना क्यों आवश्यक है? [2016, 18]
उत्तर:
वस्त्र सिलने से पूर्व ठीक नाप लेने से वस्त्र सही फिटिंग के बनते हैं तथा आरामदायक रहते हैं।

प्रश्न 6:
नाप लेने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं?
उत्तर:
नाप लेने की विधियाँ हैं
(1) छाती के नाप के आधार पर शरीर के अन्य भागों की नाप का अनुमान लगाना,
(2) प्रत्येक अंग का अलग से नाप लेना।

प्रश्न 7:
वस्त्र की ड्राफ्टिग करने से क्या लाभ होता है? [2007, 12, 15, 18]
उत्तर:
वस्त्र की कटाई से पहले ड्राफ्टिग की जाती है। ड्राफ्टिग करके वस्त्र बनाने से वस्त्र सही नाप का बनता है तथा उसका नमूना भी सही बनती है। इससे कपड़ा भी व्यर्थ नहीं जाता।

प्रश्न 8:
साधारण सूती कपड़ों की सिलाई के लिए आप किस नम्बर की सूई को प्रयोग करेंगी?
उत्तर:
इसके लिए सिलाई मशीन में 14 अथवा 16 नम्बर की सूई प्रय ग में लायी जाती है।

प्रश्न 9:
सिलाई मशीन की देखभाल क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मशीन को ढककर रखने व समय-समय पर इसमें तेल डालने से यह धूल से सुरक्षित रहती है तथा ठीक प्रकार से कार्य करती है।

प्रश्न 10:
सिलाई करने के बाद कपड़े पर इस्त्री करना क्यों आवश्यक होता है? [2013]
उत्तर:
इससे वस्त्र में इच्छित चुन्नटे (क्रीज) बनाई जा सकती हैं तथा वस्त्र की सलवटें दूर हो जाती हैं।

प्रश्न 11:
अपने पेटीकोट के लिए कपड़े की मात्रा का अनुमान आप कैसे लगाएँगी?
उत्तर:
पेटीकोट सिलने के लिए, पेटीकोट की लम्बाई x 2 + नेफा सूत्र के अनुसार कपड़े की मात्रा का अनुमान लगाया जाता है।

प्रश्न 12:
सिलाई के टाँके कितने प्रकार के होते हैं? किन्हीं चार के नाम लिखिए। [2012]
उत्तर:
हाथ की सिलाई के मुख्य टाँके हैं-कच्चे व सादे टाँके, काज के टाँके, नेपची टाँके, बखिया व तुरपाई इत्यादि।

प्रश्न 13:
मशीन की सिलाई तथा हाथ की बखिया में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
मशीन की सिलाई दोनों ओर एक-सी तथा सुन्दर होती है, जबकि हाथ की बखिया में सीधा-उल्टा होता है तथा यह अधिक मजबूत नहीं होती है।

प्रश्न 14:
मशीन से वस्त्रों की सिलाई करने से होने वाले कोई दो लाभ लिखिए। [2009, 12, 14]
उत्तर:
ये हैं (1) घर पर स्वयं सिलाई करने से कपड़ा कम समय में अपनी आवश्यकतानुसार तैयार हो जाता है तथा
(2) इससे धन की बचत के साथ ही अनुभव में भी वृद्धि होती है।

प्रश्न 15:
पायजामा और पेटीकोट काटने के लिए किन नापों की आवश्यकता पड़ती है? [2014]
या
पायजामा काटने के लिए किन मापों की आवश्यकता होती है? [2016]
उत्तर:
पायजामा काटने के लिए कमर, लम्बाई, सीट तथा मोहरी की नाप आवश्यक होती है। पेटीकोट काटने के लिए कमर, लम्बाई तथा घेर की नाप आवश्यक होती है।

प्रश्न 16:
बच्चों के कपड़ों को अधिक कपड़ा दबाकर क्यों सिला जाता है? [2012, 15]
उत्तर:
बच्चों में शारीरिक वृद्धि बड़ी तेजी से होती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए बच्चों के कपड़ों को अधिक कपड़ा दबाकर सिला जाता है, ताकि तंग हो जाने पर इन्हें खोलकर बड़ा किया जा सके।

बहविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न: निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

1. घर पर सिलाई करने से बचत होती है [2008, 09, 10, 11, 12, 13]
(क) समय की
(ख) धन की
(ग) कपड़े की
(घ) समय, धन एवं कपड़े की

2. वस्त्रों की कटाई की जानी चाहिए
(क) पहनने वाले की रुचि के अनुसार
(ख) पहनने वाले की आयु के अनुसार
(ग) पहनने वाले की नाप के अनुसार
(घ) पहनने वाले के पद के अनुसार

3. कौन-सी वस्तु सिलाई किट में नहीं रखी जाती? [2010, 15]
(क) धागा
(ख) सूइयाँ
(ग) कैंची।
(घ) सिलाई मशीन

4. काटने से पहले कपड़े पर किससे निशान लगाना चाहिए? [2011, 15]
(क) फ्रेन्च चॉक
(ख) पेन्सिल
(ग) पेन
(घ) मिल्टन चॉक

5. कपड़े की कटाई के लिए मिल्टन चॉक से निशान लगाया जाता है, क्योंकि
(क) निशान सरलता से छूट जाता है
(ख) निशान सुन्दर बनता है।
(ग) काटने में आसानी होती है,
(घ) निशान स्थायी होता है।

6. कपड़ा काटने का उचित स्थान है [2018]
(क) गोद में रखकर
(ख) हाथ में लेकर
(ग) मेज या पटरे पर रखकर
(घ) कहीं भी

7. कपड़ा काटने से पूर्व की जाने वाली क्रिया है
(क) कपड़े को श्रिंक करना
(ख) कपड़े को प्रेस करना
(ग) मिल्टन चॉक से आवश्यक निशान लगाना
(घ) ये सभी क्रियाएँ

8. धड़ से नीचे के वस्त्रों के लिए आवश्यक नाप है
(क) कमर, कंधा, वक्ष
(ख) लम्बाई, सीट, पायँचा
(ग) वक्ष, कमर, गला
(घ) लम्बाई, गला, कमर

9. सिलाई के सामान रखने के डिब्बे को क्या कहते हैं? [2014, 18]
(क) सिलाई मशीन
(ख) मेज
(ग) बक्सा
(घ) सिलाई किट

उत्तर:
1. (घ) समय, धन एवं कपड़े की,
2. (ग) पहनने वाले की नाप के अनुसार,
3. (घ) सिलाई मशीन,
4. (घ) मिल्टन चॉक,
5. (क) निशान सरलता से छूट जाता है,
6. (ग) मेज या पटरे पर रखकर,
7. (घ) ये सभी क्रियाएँ,
8. (ख) लम्बाई, सीट, पार्यंचा,
9. (घ) सिलाई किटा

TENSE IN ENGLISH

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