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CTET Notes in HIndi | अधिगम एवं अर्जन | Learning and Acquisition

CTET Notes in HIndi | अधिगम एवं अर्जन | Learning and Acquisition

अधिगम एवं अर्जन
                      Learning and Acquisition
CTET परीक्षा के विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण करने से
यह ज्ञात होता है कि इस अध्याय से वर्ष 2011 में 1 प्रश्न, वर्ष
2012 में 5 प्रश्न, वर्ष 2013 में 1 प्रश्न, वर्ष 2014 में 6 प्रश्न, वर्ष
2015 में 2 प्रश्न तथा वर्ष 2016 में 4 प्रश्न पूछे गए हैं। CTET
परीक्षा में प्रश्न मुख्यतया विचारकों के मत, भाषा अर्जन में सहायक
तत्त्व एवं प्रक्रिया इत्यादि से पूछे जाते हैं।
1.1 अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा
अधिगम अथवा सीखना किसी स्थिति के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया (Active
response) को दर्शाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो जीवनपर्यन्त चलती
रहती है एवं जिसके द्वारा हम ज्ञान अर्जित करते हैं।
प्रेसी के अनुसार, “सीखना हम उस अनुभव को कहते हैं, जिसके द्वारा हमारे
व्यवहार में परिवर्तन होता है तथा हमारे व्यवहार को नई दिशा मिलती है।”
• अधिगम व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक होता है। इसके द्वारा
जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
• रटकर विषय-वस्तु को याद करने को अधिगम नहीं कहा जा सकता। यदि
छात्र किसी विषय-वस्तु के ज्ञान के आधार पर कुछ परिवर्तन करने एवं
उत्पादन करने अर्थात् ज्ञान का व्यावहारिक प्रयोग करने में सक्षम हो गया
हो, तभी उसके सीखने की प्रक्रिया को अधिगम के अन्तर्गत रखा जा
सकता है।
अधिगम के प्रकार
1. क्रियात्मक अधिगम (Motor Learning) क्रियात्मक अधिगम में
सीखने के लिए क्रियाओं के स्वरूप और क्रियाओं की गति पर ध्यान
दिया जाता है। प्रारम्भिक बाल्यावस्था में हम अनेक प्रकार के
गतिवाही कौशलों को अर्जित करते हैं। उदाहरण― बाल्यावस्था में
किसी वस्तु तक पहुँचने, उसे पहचानने या समझने आदि का प्रयास
करना, बिना किसी सहारे के खड़े होना या चलने का प्रयास करना
आदि साधारण गतिवाही क्रियाओं को सीखा जाता है।
2. शाब्दिक या वाचिक अधिगम (Verbal Learning) शाब्दिक या
वाचिक अधिगम या सीखने में संकेतों, चित्रों, शब्दों, अंकों आदि के
माध्यम से सीखना होता है। इस प्रकार के सीखने में सार्थक तथा
निरर्थक दोनों ही प्रकार की सामग्री का प्रयोग किया जाता है। इस
प्रकार शाब्दिक या वाचिक अधिगम में धीरे-धीरे सरल समस्याओं के
समाधान से क्रमश: जटिल समस्याओं का समाधान करना तथा
वैज्ञानिक आविष्कार, यन्त्रों और उपकरणों के निर्माण आदि का
शिक्षण होता है।
3. विचारात्मक अधिगम (Conceptual Learning) विचारात्मक
अधिगम में व्यक्ति समाज में दैनिक जीवनानुभवों को देखकर या
सुनकर एवं उस पर विचार करके जो कुछ भी सीखता है, वह
विचारात्मक अधिगम के अन्तर्गत आता है। इस अधिगम में मनुष्य
अपनी शारीरिक क्षमताओं की अपेक्षा मानसिक (बौद्धिक) क्षमताओं
का प्रयोग करता है।
1.2 भाषा अधिगम और भाषा अर्जन
भाषा का तात्पर्य होता है वह सांकेतिक साधन, जिसके माध्यम से बालक
अपने विचारों एवं भावों का सम्प्रेषण करता है तथा दूसरों के विचारों एवं
भावों को समझता है। भाषायी योग्यता के अन्तर्गत मौखिक अभिव्यक्ति,
सांकेतिक अभिव्यक्ति, लिखित अभिव्यक्ति सम्मिलित हैं।
मनुष्य अपने विचारों को अभिव्यक्त करने और समाज के साथ सामंजस्य
स्थापित करने के लिए जिस प्रक्रिया द्वारा अपनी भाषिक क्षमता का विकास
करता है, वह भाषा अधिगम कहलाती है। अधिगम अर्थात् सीखी हुई भाषा
को ग्रहण करने की प्रक्रिया एवं उसे समझने की क्षमता अर्पित करना तथा
उसे दैनिक जीवन में प्रयोग में लाने को भाषा अर्जन कहते हैं।
भाषा का अर्जन अनुकरण (Simulation) द्वारा होता है। बालक अपने
वातावरण में जिस प्रकार लोगों को बोलते हुए सुनता है, लिखते हुए देखता
है, उसे ही अनुकरण द्वारा सीखने का प्रयास करता है।
1.2.1 भाषा अधिगम एवं अर्जन के सन्दर्भ में विभिन्न विद्वानों के विचार
यह बात रहस्य ही बनी हुई है कि आखिर अत्यन्त कम उम्र के बावजूद
बच्चा जटिल भाषिक व्यवस्था को कैसे समझ लेता है। कई बच्चे तीन या
चार वर्ष के होते-होते न केवल एक, अपितु दो या तीन भाषाओं का
धीरे-धीरे प्रवाह में प्रयोग करना सीख जाते हैं। यही नहीं, वे दिए गए सन्दर्भ
में भी उपयुक्त भाषा का प्रयोग करते हैं। भाषा सीखने के सन्दर्भ में
व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों का मत है कि अभ्यास, नकल व रटने से भाषा
प्रयोग की क्षमता विकसित होती है। इसी कथन के सन्दर्भ में विभिन्न विद्वानों
ने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।
चॉम्स्की के अनुसार, भाषा सीखे जाने के क्रम में, वैज्ञानिक खोज भी
साथ-साथ चलती रहती है। इस अवधारणा से आँकड़ों का अवलोकन,
वर्गीकरण, संकल्पना-निर्माण व उनका सत्यापन अथवा असत्यता और
इस धारणा का शिक्षाशास्त्र के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान लिया जा सकता
था। चॉम्स्की (1959) ने अपने ‘रिव्यू ऑफ स्किनर्स वर्बल बिहेवियर’ द्वारा
अपने मत को स्पष्ट करते हुए कहा कि बच्चों में भाषिक क्षमता
जन्मजात होती है।
पियाजे के अनुसार, भाषा अन्य संज्ञानात्मक तन्त्रों की भाँति परिवेश
के साथ अन्त:क्रिया के माध्यम से ही विकसित होती है। उनका
मानना था कि सभी बच्चे संज्ञानात्मक विकास के
पूर्व-ऑपरेशनल, कन्वर्ट ऑपरेशनल और फॉर्मल ऑपरेशनल
चरणों से गुजरते हैं। उनके अनुसार ज्ञान-तन्त्र सेंसरों तथा मोटर
मैकेनिज्म के माध्यम से निर्मित होता है, जिसमें बच्चा
आत्मसातीकरण और समायोजन के माध्यम से कई रूपरेखाएँ
बनाता जाता है। इस धारणा ने सम्पूर्ण शिक्षाशास्त्रीय विमर्श पर
महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला।
वाइगोत्स्की के अनुसार, बच्चे की भाषा समाज के साथ सम्पर्क का
ही परिणाम है, साथ ही बच्चा अपनी भाषा के विकास के दौरान
दो प्रकार की बोली बोलता है- पहली आत्मकेन्द्रित और दूसरी
सामाजिक। आत्मोन्मुख भाषा के माध्यम से बालक स्वयं से संवाद
करता है, जबकि सामाजिक भाषा के माध्यम से वह शेष सारी
दुनिया से संवाद स्थापित करता है।
पावलॉव का शास्त्रीय अनुबन्धन का सिद्धान्त
पावलॉव ने अधिगम प्रक्रिया को समझने के लिए अनुबन्धन (Conditioning)
का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। पावलॉव ने अपने इस प्रयोग में एक कुत्ते को
भूखा रखकर उसे एक मेज पर बाँध दिया। प्रयोग के दौरान घण्टी बजने
के साथ कुते के सामने भोजन प्रस्तुत किया जाता, जिससे उसकी लार
टपकती।
इस प्रयोग को कई बार दोहराया गया। प्रयोग के अन्तिम चरण में पुनः
घण्टी बजाई गई, लेकिन उसके सामने भोजन प्रस्तुत नहीं किया गया।
इसके उपरान्त भी कुत्ते के मुँह से उसी मात्रा में लार टपकी जिस मात्रा
में भोजन दिखाने पर। इस प्रयोग द्वारा उन्होंने यह सिद्ध करने का
प्रयास किया कि मनुष्य जो प्रतिक्रिया प्राकृतिक उद्दीपन (Natural
stimulus) को देखकर प्रकट करता है, उसी स्वाभाविक प्रतिक्रिया को
किसी कृत्रिम उद्दीपन (Artificial stimulus) से अनुबन्धित
(Conditioned) करके भी प्राप्त किया जा सकता है।
भाषा अधिगम और अर्जन को प्रभावित करने वाले कारक
विद्यार्थी के भाषायी अधिगम एवं अर्जन को विभिन्न सामाजिक व
व्यक्तिगत परिस्थितियाँ प्रभावित करती हैं, जिनका वर्णन निम्नलिखित है
सामाजिक परिवेश प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक वाइगोत्स्की का मत है कि
व्यक्ति की भाषा उसके समाज के साथ सम्पर्क का परिणाम होती है।
समाज में जैसी भाषा का प्रयोग किया जाता है, व्यक्ति की भाषा उसी के
अनुरूप निर्मित होती है। यदि समाज में अशुद्ध व असभ्य भाषा का प्रयोग
होगा, तो व्यक्ति की भाषा के भी अशुद्ध व असभ्य होने की आशंका
होगी। व्यक्ति की भाषा पर उसके परिवेश का प्रभाव स्पष्टतः दिखाई
पड़ता है।
भाषार्जन की इच्छा व्यक्ति अपनी प्रथम भाषा अर्थात् मातृभाषा को तो
सहज रूप में सीख लेता है, किन्तु द्वितीय भाषा का अधिगम एवं अर्जन
उसकी भाषा सीखने के प्रति इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है।
दैनिक जीवन के अनुभव मनोवैज्ञानिकों ने अपने अनुसन्धानों से प्राप्त
जानकारी के आधार पर स्पष्ट किया है कि बालक उन विषय-वस्तुओं
को शीघ्र सीख और समझ लेता है, जिससे दैनिक जीवन में उसका सम्बन्ध होता
है। यह विचार इस मत की पुष्टि करता है कि यदि भाषा का सम्बन्ध विद्यार्थी के
दैनिक जीवन के अनुभवों से जोड़ दिया जाए, तो भाषा अधिगम की प्रक्रिया सरल
और त्वरित बनाई जा सकती है।
1.3 बालकों में भाषा का विकास
बालक के विकास के विभिन्न आयाम होते हैं। भाषा का विकास भी उन्हीं आयामों
में से एक है। भाषा को अन्य कौशलों की तरह अर्जित किया जाता है। यह अर्जन
बालक के जन्म के बाद ही प्रारम्भ हो जाता है। अनुकरण, वातावरण के साथ
अनुक्रिया तथा शारीरिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति की
माँग इसमें विशेष भूमिका निभाती है।
1.3.1 भाषा विकास की प्रारम्भिक अवस्था
इस अवस्था में एक प्रकार से बालक ध्वन्यात्मक संकेतों से युक्त भाषा को
समझने और प्रयोग करने के लिए स्वयं को तैयार करता हुआ प्रतीत होता है,
जिसकी अभिव्यक्ति उसकी निम्न प्रकार की चेष्टाओं तथा क्रियाओं के रूप में
होती है
• सबसे पहले चरण के रूप में बालक जन्म लेते ही रोने और चिल्लाने की
चेष्टाएँ करता है। रोने-चिल्लाने की चेष्टाओं के साथ ही वह अन्य ध्वनियाँ या
आवाजें भी निकालने लगता है। ये ध्वनियाँ पूर्णत: स्वाभाविक, स्वचालित एवं
नैसर्गिक होती हैं, इन्हें सीखा नहीं जाता।
• उपरोक्त क्रियाओं के बाद बालकों में बड़बड़ाने की क्रियाएँ तथा चेष्टाएँ शुरू
हो जाती हैं। इस बड़बड़ाने के माध्यम से बालक स्वर तथा व्यंजन ध्वनियों के
अभ्यास का अवसर पाते हैं। वे कुछ भी दूसरों से सुनते हैं तथा जैसा उनकी
समझ में आता है उसी रूप में वे उन्हीं ध्वनियों को किसी-न-किसी रूप में
दोहराते हैं। उनके द्वारा स्वरों; जैसे-अ, ई, उ, ऐ इत्यादि को व्यंजनों त, म,
न, क इत्यादि से पहले उच्चरित किया जाता है।
• हाव-भाव की भाषा भी बालकों को धीरे-धीरे समझ में आने लगती है। इस
अवधारणा में प्राय: एक-दो स्वर-व्यंजन ध्वनियों का उच्चारण कर अन्य की
पूर्ति अपने हाव-भाव तथा चेष्टाओं से करते दिखाई देते हैं।
1.3.2 भाषा विकास की वास्तविक अवस्था
• प्रारम्भिक अवस्था को भाषा सीखने के लिए तैयारी की अवस्था कहा जा सकता
है। इस अवस्था से गुजरने के बाद बालकों में वास्तविक भाषा विकास की
प्रक्रिया प्रारम्भ होती है, जिसे भाषा विकास की वास्तविक अवस्था भी कहा जा
सकता है। यह अवस्था भी बालक के एक वर्ष का हो जाने अथवा उससे
एक-दो माह पहले ही शुरू हो जाती है। पहले बालक में मौखिक अभिव्यक्ति
के रूप में भाषा का विकास होता है। वह शब्दों, वाक्यों तथा इनसे बनी भाषा
को बोलना तथा समझना सीखता है, जिससे उसके मौखिक शब्द भण्डार में
वृद्धि होती है तथा उसमें मौखिक अभिव्यक्ति के विभिन्न साधनों पर अधिकार
पाने की योग्यताओं और कुशलताओं की वृद्धि होती रहती है।
• विद्यालय में प्रवेश करने तथा लिखित भाषा की शिक्षा ग्रहण करने के
फलस्वरूप उसमें पढ़ने-लिखने से सम्बन्धी कुशलताओं का विकास भी प्रारम्भ
हो जाता है। इस प्रकार भाषा के मौखिक एवं लिखित रूपों से सम्बन्धित
विभिन्न कौशलों के अर्जन तथा विकास में धीरे-धीरे उसके कदम बढ़ते जाते हैं।
और वह भाषा को विचार विनिमय का साधन ही नहीं, अपितु ज्ञान प्राप्त करने
तथा शिक्षा ग्रहण करने का माध्यम बनाकर अपना सर्वांगीण विकास करने में
पूरी तरह समर्थ हो जाता है।
1.3.3 शब्द भण्डार का विकास
• बालक की भाषा के विकास में उस भाषा से सम्बन्धित शब्द तथा उनके
भण्डार का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। शब्दों से ही आगे जाकर
वाक्य बनते हैं और वाक्यों से भाषा के उस रूप का निर्माण होता है, जिसे
विचार तथा भावों के सम्प्रेषण और विनिमय के उपयोग में लाया जाता है।
मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों के आधार पर जो आँकड़े प्रस्तुत किए उनके
आधार पर बनी निम्नलिखित सारणी से विभिन्न अवस्था में बालकों के
शब्द भण्डार में धीरे-धीरे होने वाली वृद्धि का पता चलता है।
• बालक जैसे ही 5 वर्ष की अवस्था के बाद विद्यालय जाने की आयु में
प्रवेश करता है एवं विद्यालय की शिक्षा ग्रहण करता है तो उसके शब्द
भण्डार में तेजी से वृद्धि होने लगती है। 9-11 वर्ष की उम्र के बीच बालक
50,000 शब्द सीख लेता है। शब्दों की संख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ
बालकों के शब्द भण्डार के विकास (Development of Vocabulary) में
कई विशेषताएँ देखने को मिलती हैं।
• बालकों के शब्द भण्डार में दो प्रकार के शब्दों का संकलन होता है। एक
तो वे शब्द जिन्हें बालक सक्रिय रूप से प्रयोग में लाता है तथा उनके अर्थ
को भली-भाँति समझता है तथा दूसरे वे शब्द जिनका प्रयोग वह स्वयं तो
नहीं करता, परन्तु जब वे दूसरों द्वारा बोले जाते हैं, तो उनका अर्थ वह
समझ लेता है।
• बालकों के शब्दकोश में पहले वे शब्द आते हैं, जो उसकी शारीरिक
आवश्यकताओं को पूरा करें तथा बाद में वे आते हैं, जो उसकी
अभ्यास प्रश्न
1. सीखना किसी स्थिति के प्रति को
दर्शाता है।
(1) अभिक्रिया
(2) सक्रिय प्रतिक्रिया
(3) प्रक्रिया
(4) इनमें से कोई नहीं
2. ‘अधिगम’ के सन्दर्भ में कौन-सा कथन
सही नहीं है?
(1) व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक
(2) ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग में सहायक
(3) विषय-वस्तु को रटकर याद करने में सहायक
(4) व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाने में
सहायक
3. भाषायी योग्यता के अन्तर्गत आते हैं
(1) मौखिक अभिव्यक्ति
(2) सांकेतिक अभिव्यक्ति
(3) लिखित अभिव्यक्ति
(4) ये सभी
4. चॉम्स्की के अनुसार भाषा सीखने के क्रम में
‘खोज भी साथ-साथ चलती रहती है।
(1) वैज्ञानिक
(2) सामाजिक
(3) वाचिक तन्त्र की
(4) व्यावहारिक
5. “आत्मसातीकरण और समायोजन के
माध्यम से बच्चा कई रूपरेखाओं का
निर्माण करता है।” यह विचार है
(1) वाइगोत्स्की का
(2) चॉम्स्की का
(3) पियाजे का
(4) पावलॉव का
6. बाल्यावस्था में किसी वस्तु तक पहुँचने, उसे
पहचानने, बिना किसी सहारे के खड़े होना
आदि किस प्रकार का अधिगम कहलाता है?
(1) संज्ञात्मक
(2) क्रियात्मक
(3) विचारात्मक
(4) वाचिक
7. विचारात्मक अधिगम के अन्तर्गत
(1) क्रियात्मक कौशलों को अर्जित करते हैं
(2) चित्रों, शब्दों इत्यादि के माध्यम से सीखते हैं
(3) विभिन्न परिस्थितियों के साथ सामंजस्य
स्थापित करना सीखता है
(4) बौद्धिक क्षमताओं का प्रयोग करते हैं
8. संकेतों, चित्रों, शब्दों इत्यादि के माध्यम से
अधिगम किया जाता है
(1) क्रियात्मक अधिगम में
(2) शाब्दिक अधिगम में
(3) समस्या समाधान अधिगम में
(4) उपरोक्त सभी
9. पियाजे के अनुसार, भाषा अधिगम व अर्जन
के सन्दर्भ में कौन-सा कथन सही है?
(1) भाषिक क्षमता जन्मजात होती है
(2) परिवेश के साथ अन्त:क्रिया से विकसित होती है
(3) समाज के साथ सम्पर्क का परिणाम है
(4) बाह्य उद्दीपन का परिणाम है
10. पावलॉव के प्रयोग में कौन-सा कारक
सबसे महत्त्वपूर्ण है?
(1) उद्दीपन
(2) आँकड़ा
(3) अवधारणा
(4) संकल्पना
11. बच्चों में भाषा का विकास नहीं होता
(1) कक्षा-कक्ष से
(2) समाज से
(3) पाठ्य-पुस्तकों से
(4) इनमें से कोई नहीं
12. भाषा ………के साथ…….का ही
परिणाम है।
(1) समाज, सामंजस्य
(2) विद्यालय, सम्पर्क
(3) समाज, सम्पर्क
(4) परिवेश, सामंजस्य
13. बच्चे
(1) स्वयं का सामाजिक रूप से रचित भाषा तन्त्र
विकसित कर लेते हैं
(2) स्वयं का सामाजिक रूप से रचित भाषा तन्त्र
विकसित नहीं कर पाते
(3) विकसित भाषिक व्यवस्था के साथ विद्यालय
नहीं जाते
(4) उपरोक्त सभी
14. “बच्चा अपनी भाषा के दौरान दो प्रकार की
बोली बोलता है।” यह कथन किसका है?
(1) चॉम्स्की
(2) वाइगोत्स्की
(3) पियाजे
(4) पावलॉव
15. बच्चे में संज्ञानात्मक विकास होता है
(1) कन्वर्ट ऑपरेशनल
(2) पूर्व ऑपरेशनल
(3) फॉर्मल ऑपरेशनल द्वारा
(4) उपरोक्त सभी
16. भाषा अर्जन है
(1) सहायास प्रक्रिया
(2) अनायास प्रक्रिया
(3)1 और 2 दोनों
(4) इनमें से कोई नहीं
17. भाषा सीखने के क्रम में बालक के अन्तर्गत
सर्वप्रथम किस अभिव्यक्ति का विकास
होता है?
(1) सांकेतिक
(2) मौखिक
(3) लिखित
(4) शिक्षण
18. भाषा अर्जन में विद्यार्थी नहीं करता
(1) अभ्यास
(2) शब्दों की पुनरावृत्ति
(3) अनुकरण
(4) व्याकरण के नियमों का निर्माण
19. भाषा अर्जन को प्रभावित करता है
(1) दैनिक जीवन अनुभव
(2) समाज के साथ सम्पर्क
(3) इच्छा शक्ति
(4) उपरोक्त सभी
20. “भाषा का अस्तित्व एवं विकास समाज के
बाहर नहीं हो सकता।” यह कथन किसका है?
(1) चॉम्स्की
(2) औरोरिन
(3) वाइगोत्स्की
(4) जीन पियाजे
21. 50,000 शब्द बालक किस आयु-सीमा में
सीखता है?
(1) 4-6 वर्ष
(2)6-8 वर्ष
(3)9-11 वर्ष
(4) 12-15 वर्ष
22. अन्य विषयों की कक्षाएँ भी भाषा-अधिगम
में सहायता करती हैं, क्योंकि
(1) सभी शिक्षक एक से अधिक भाषा जानते हैं
(2) अन्य विषयों की पाठ्य-पुस्तकें भाषा-शिक्षक के
उद्देश्यों को ध्यान में रखती हैं
(3) अन्य विषयों को पढ़ने पर वैविध्यपूर्ण
भाषा प्रयोग के अनेक अवसर उपलब्ध होते है।
(4) अन्य-विषयों के शिक्षक विषय के साथ-साथ
भाषा भी सिखाते हैं
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
23. प्राथमिक स्तर पर बच्चों की भाषा शिक्षा के
सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन
असत्य है?               [CTET June 2011]
(1) सुधार के नाम पर की जाने वाली टिप्पणियों व
निरर्थक अभ्यास से बच्चों में अरुचि उत्पन्न हो
सकती है
(2) बच्चे समृद्ध भाषा-परिवेश में सहज और स्वत:
रूप से भाषा में परिमार्जन कर लेंगे
(3) बच्चे भाषा की जटिल और समृद्ध संरचनाओं
के साथ विद्यालय आते हैं
(4) बच्चों की भाषा-संकल्पनाओं और विद्यालय में
प्रचलित भाषा परिवेश में विरोधाभास ही भाषा
सीखने में सहायक होता है
24. भाषा अर्जन और भाषा अधिगम के सन्दर्भ
में कौन-सा कथन सही नहीं है?
                                       [CTET Jan 2012]
(1) सांस्कृतिक भिन्नता भाषा अर्जन और भाषा
अधिगम को प्रभावित करने वाला महत्त्वपूर्ण
कारक है
(2) भाषा अर्जन में विभिन्न संकल्पनाएँ मातृभाषा में
बनती हैं
(3) भाषा-अर्जन में कभी भी अनुवाद का सहारा
नहीं लिया जाता
(4) भाषा अर्जन सहज और स्वाभाविक होता है,
जबकि भाषा अधिगम प्रयास पूर्ण होता है
25. भाषा सीखने के लिए कौन-सा कारक
सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है?         [CTET Jan 2012]
(1) समृद्ध भाषिक वातावरण
(2) भाषा के व्याकरणिक नियम
(3) पाठ पर आधारित प्रश्नोत्तर
(4) भाषा की पाठ्य-पुस्तक
26. बच्चे विद्यालय आने से पहले
                                     [CTET Jan 2012]
(1) भाषा के चारों कौशलों पर पूर्ण अधिकार
रखते हैं
(2) अपनी भाषा की नियमबद्ध व्यवस्था की
व्यावहारिक कुशलता के साथ आते हैं
(3) कोरी स्लेट होते हैं
(4) भाषा का समुचित उपयोग करने में समर्थ नहीं
होते हैं
27. भाषा अर्जन में महत्त्वपूर्ण है
                                      [CTET Nov 2012]
(1) भाषा के विभिन्न रूपों का प्रयोग
(2) भाषा का व्याकरण
(3) पाठ्य-पुस्तक
(4) भाषा का शिक्षण
28. बच्चे अपने परिवेश से स्वयं भाषा अर्जित
करते हैं। इसका एक निहितार्थ यह है कि
                                        [CTET Nov 2012]
(1) बच्चों को अत्यन्त सरल भाषा का परिवेश
उपलब्ध कराया जाए
(2) बच्चों को बिल्कुल भी भाषा न पढ़ाई जाए
(3) बच्चों को समृद्ध भाषिक परिवेश उपलब्ध
कराया जाए
(4) बच्चों को केवल लक्ष्य भाषा का ही परिवेश
उपलब्ध कराया जाए
29. प्राथमिक स्तर पर ‘भाषा सिखाने से
तात्पर्य है                       [CTET July 2013]
(1) भाषा वैज्ञानिक तथ्य स्पष्ट करना
(2) भाषा का व्याकरण सिखाना
(3) उच्च स्तरीय साहित्य पढ़ाना
(4) भाषा का प्रयोग सिखाना
30. कक्षा एक के बच्चे अपने ……. एवं
……… से प्राप्त बोलचाल की भाषा के
अनुभवों को लेकर ही विद्यालय आते हैं।
                                    [CTET Feb 2014]
(1) घर-परिवार, पड़ोसी
(2) घर-परिवार, परिवेश
(3) घर-परिवार, दोस्तों
(4) घर-परिवार, टी वी
31. भाषा सीखने का व्यवहारवादी दृष्टिकोण
……….. पर बल देता है।
                                  [CTET Feb 2014]
(1) अनुकरण
(2) रचनात्मकता
(3) भाषा प्रयोग
(4) अभिव्यक्ति
32. वाइगोत्स्की के विचारों पर आधारित कक्षा
में ………. पर सर्वाधिक बल दिया जाता है।
                                            [CTET Feb 2014]
(1) कविता दोहराने
(2) कहानी सुनने
(3) कार्य पत्रकों
(4) परस्पर अन्तःक्रिया
33. चॉम्स्की के अनुसार कौन-सा कथन
सही है?            [CTET Sept 2014]
(1) बच्चों में भाषा सीखने की जन्मजात क्षमता
होती है
(2) बच्चों में भाषा सीखने की जन्मजात क्षमता नहीं
होती है
(3) बच्चों में भाषा सीखने की क्षमताएँ बहुत सीमित
होती हैं
(4) बच्चों को व्याकरण सिखाना जरूरी है
34. भाषा अर्जित करने की प्रक्रिया में किसका
महत्त्व सर्वाधिक है?               [CTET Sept 2014]
(1) भाषा कक्षा का
(2) भाषा प्रयोगशाला का
(3) पाठ्य-पुस्तक का
(4) समाज का
35. भाषा अर्जित करने में वाइगोत्स्की ने किस
पर सर्वाधिक बल दिया है?    [CTET Sept 2014]
(1) भाषा की पाठ्य-पुस्तक पर
(2) समाज में होने वाले भाषा प्रयोगों पर
(3) परिवार में बोली जाने वाली भाषा पर
(4) कक्षा में बोली जाने वाली भाषा पर
36. भाषा अर्जन के सम्बन्ध में कौन-सा कथन
सत्य है?                       [CTET Feb 2015]
(1) भाषा सीखना एक उद्देश्य होता है
(2) समाज-सांस्कृतिक परिवेश के अनुसार
अर्थ-ग्रहण की प्रक्रिया स्वाभाविक होती है
(3) भाषा अर्जन में बच्चे को बहुत अधिक प्रयास
करना पड़ता है
(4) भाषा अर्जन में किसी अन्य भाषा का व्याघात
होता है
37. विद्यालय के बाहर का जीवन और वहाँ से
प्राप्त ज्ञान एवं अनुभव सीखने के लिए
आवश्यक प्रेरणा देते हैं, क्योंकि
                                       [CTET Sept 2015]
(1) मानक वर्तनी का सम्यक् ज्ञान मिलता है
(2) लेखन की विभिन्न शैलियों का परिचय मिलता है
(3) समृद्ध भाषिक परिवेश मिलता है
(4) इससे व्याकरणिक नियमों की जानकारी प्राप्त
होती है
38. “बच्चों के भाषायी विकास में समाज की
महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।” यह विचार
किसका है?                   [CTET Feb 2018]
(1) पियाजे
(2) स्किनर
(3) चॉम्स्की
(4) वाइगोत्स्की
39. भाषा का अस्तित्व एवं विकास…….. के
बाहर नहीं हो सकता। [CTET Feb 2016]
(1) परिवार
(2) साहित्य
(3) समाज
(4) विद्यालय
40. प्राथमिक स्तर पर विद्यार्थियों के
भाषा-शिक्षण के सन्दर्भ में कौन-सा कथन
सही है?                   [CTET Feb 2016]
(1) सतत रूप से की जाने वाली टिप्पणियाँ एवं
अनवरत अभ्यास भाषा सीखने में रुचि उत्पन्न
करते हैं
(2) बच्चे समृद्ध भाषिक परिवेश में सहज रूप से
स्वतः भाषा में सुधार कर सकते हैं
(3) बच्चों की भाषायी संकल्पनाओं और विद्यालय
के भाषायी परिवेश में विरोधाभाषी भाषा
सीखने में सहायता करता है
(4) बच्चे भाषा की जटिल और समृद्ध संरचनाओं
का ज्ञान विद्यालय में ही अर्जित करते हैं
41. संज्ञान के स्तर पर विकसित ……….. अन्य
भाषाओं में सरलता से अनूदित होती रहती
है।                               [CTET Sept 2016]
(1) ज्ञान क्षमता
(2) व्याकरण क्षमता
(3) तर्क क्षमता
(4) भाषा क्षमता
                                       उत्तरमाला
1. (2) 2. (3) 3. (4) 4. (1) 5. (3) 6. (2) 7. (4) 8. (2) 9. (2) 10. (1)
11. (4) 12. (3) 13. (1) 14. (2) 15. (4)16. (1) 17. (2) 18. (4)
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