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CTET Notes in HIndi | भाषायी विविधता वाले कक्षा-कक्ष की समस्याएँ | Challenges of Teaching Language in Diverse Classroom

CTET Notes in HIndi | भाषायी विविधता वाले कक्षा-कक्ष की समस्याएँ | Challenges of Teaching Language in Diverse Classroom

भाषायी विविधता वाले कक्षा-कक्ष की समस्याएँ
    Challenges of Teaching Language in Diverse Classroom
CTET परीक्षा के विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण करने से
यह ज्ञात होता है कि इस अध्याय से वर्ष 2011 में 3 प्रश्न, वर्ष
2012 में 4 प्रश्न, वर्ष 2013 में 1 प्रश्न, वर्ष 2014 में 3 प्रश्न,
वर्ष 2015 में 1 प्रश्न तथा वर्ष 2016 में 6 प्रश्न पूछे गए हैं।
CTET परीक्षा में मुख्यतया बहुभाषिकता का उद्देश्य,
आवश्यकता, बहुभाषिक कक्षा की समस्याएँ एवं समाधान इत्यादि
से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं।
5.1 भाषायी विविधता या बहुभाषिकता
दो–या–दो से अधिक भाषाओं को सहजता के साथ बोलने वाले व्यक्ति को
बहुभाषी कहते हैं।
• बहुभाषिकता भारतीय अस्मिता का अभिन्न अंग है। भारत में दूर-दराज स्थित
गाँव में तथाकथित एक भाषा बोलने वाला व्यक्ति एक ऐसे शाब्दिक भण्डार
को नियन्त्रित करता है, जो उसे कई तरह की संवादात्मक परिस्थितियों का
सामना करने की योग्यता प्रदान करता है। वस्तुत: भारतीय भाषिक व
सामाजिक भाषिक मैट्रिक्स में भारतीय भाषिक स्वरों की बहुलता एक-दूसरे
से परस्पर संवाद करती है, जो कई तरह के साझे भाषिक व सामाजिक
भाषिक विशेषताओं पर खड़ी होती है।
• भारत एक बहभाषी देश है। यहाँ सोलह सौ से अधिक भाषाओं की पहचान
की गई है, जो पाँच विभिन्न भाषा-परिवारों के अन्तर्गत आती हैं।
• किन्तु केवल 47 भाषाएँ ही स्कूलों में पठन-पाठन के माध्यम के रूप में
प्रयोग की जाती हैं और इनमें से केवल 22 भाषाओं को ही संविधान द्वारा
राजभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। इतनी विविधता (Diversity)
के बावजूद कई भाषिक व सांस्कृतिक तत्त्व भारत को एक ही भाषिक
क्षेत्र के रूप में बाँधते हैं।
• बहुभाषिकता पर हुए अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि बहुभाषिकता
(Multilingualism) समाज में सम्प्रेषण को बाधित करने के बजाय
सहायता प्रदान करती है। अत: हमारी शिक्षा-व्यवस्था को इसे दबाने के
बजाय बनाए रखने और प्रोत्साहित करने का भरपूर प्रयास करना चाहिए।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए त्रिभाषा-सूत्र लागू किया गया था।
त्रिभाषा-सूत्र को कार्यान्वित करने के लिए कड़े नियमों के बजाय
बहुभाषिकतावाद को बनाए रखने व इसे जीवन्तता प्रदान करने का प्रयास
किसी भी भाषा-योजना का केन्द्र होना चाहिए।
5.1.1 कक्षा-कक्ष में बहुभाषिकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता
• बहुभाषिकता, बच्चे की अस्मिता का निर्माण करती है और यह भारत के
भाषा-परिदृश्य का एक विशिष्ट लक्षण भी है। उसका संसाधन के रूप में
उपयोग करना, उसे कक्षा की कार्य नीति का हिस्सा बनाना तथा शिक्षण
अधिगम प्रक्रिया में एक माध्यम के रूप में प्रयोग करना रचनात्मक
भाषा-शिक्षक का कार्य है।
• बहुभाषिकता केवल उपलब्ध संसाधन का बेहतर उपयोग नहीं है, बल्कि
इससे यह भी सुनिश्चित हो सकता है कि हर बच्चा स्वीकार्य और
संरक्षित महसूस करे।
• अलग-अलग भाषिक पृष्ठभूमियों से होने के कारण बच्चों के शब्दों व
उनके उच्चारण में भिन्नता पाई जाती है, इसलिए भाषिक पृष्ठभूमि के
आधार पर किसी को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता।
• बहुभाषिकता पर हुए अध्ययनों से यह पता चलता है कि द्वि-भाषी या
बहुभाषिक क्षमता संज्ञानात्मक वृद्धि, सामाजिक सहिष्णुता, विस्तृत चिन्तन
और बौद्धिक उपलब्धियों के स्तर को बढ़ाती है, इसलिए भाषाओं को
विद्यालयों में एक संसाधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
• कक्षा में विभिन्न भाषाओं का प्रयोग करना सांस्कृतिक आदान-प्रदान का
भी माध्यम है। भिन्न-भिन्न भाषाओं के प्रयोग से सभी छात्रों को
एक-दूसरे की भाषा समझने का अवसर मिलता है तथा वह अपनी
मातृभाषा का सम्मान करने के साथ ही दूसरों की भाषाओं एवं संस्कृतियों
का सम्मान करना सीखते हैं।
• बहुभाषिकता, संज्ञानात्मक विकास व शैक्षणिक सम्प्राप्ति के बीच
सकारात्मक जुड़ाव है तो यह अत्यन्त जरूरी है कि स्कूलों में बहुभाषी
शिक्षण को प्रोत्साहित किया जाए।
5.1.2 शिक्षण में बहुभाषिकता के लाभ
• बहुत समय तक यह विश्वास किया जाता रहा है कि द्वि-भाषिकता एवं
बहुभाषिकता का संज्ञानात्मक वृद्धि और शैक्षिक सम्प्राप्ति पर नकारात्मक
प्रभाव पड़ता है, किन्तु पील, गार्डनर और लैम्बर्ट ने अपने अध्ययनों से
यह सिद्ध किया है कि द्वि-भाषिकता संज्ञानात्मक लचीलेपन व विद्वत
उपलब्धि में सकारात्मक रिश्ता है। दो भाषा बोलने बाले बच्चे न केवल
अन्य भाषाओं पर अच्छा नियन्त्रण रखते हैं, बल्कि अकादमिक स्तर पर
भी वे ज्यादा रचनात्मकता दिखाते हैं, साथ ही उनमें सामाजिक सहिष्णुता
भी अधिक पाई जाती है।
• विविध भाषिक व्यवस्थाओं पर नियन्त्रण रखने वाले छात्र विविध प्रकार की
एवं विविध स्तर की सामाजिक परिस्थितियों से जूझने में कुशल होते हैं।
साथ ही इस बात के प्रमाण मिले हैं कि द्वि-भाषी बच्चों की वैचारिक
क्षमता अन्य बच्चों की तुलना में अच्छी होती है।
• यू.एस.ए. में नेशनल एसोसिएशन ऑफ बाइलिंगुअल एजुकेशन ने स्पष्ट
किया है कि द्वि-भाषीय शिक्षण के कई फायदे देखने को मिले हैं।
उदाहरणतः अकादमी उपलब्धि में सुधार, स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की
संख्या में कमी, शिक्षा में सामुदायिक संलग्नता में वृद्धि, विद्यार्थियों की
अनुपस्थिति में गिरावट और विद्यार्थियों के आत्मसम्मान में वृद्धि।
• कक्षा-कक्ष में छात्रों द्वारा अपनी मातृ भाषाओं का प्रयोग करने से छात्र
अपने विचारों को सहजता से रख पाते हैं, जिससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया
सुचारु रूप से चलती है।
• बहुभाषिक कक्षा विद्यार्थियों के शब्द भण्डार में वृद्धि करती है। अपने
विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के कारण छात्रों के मौखिक कौशल
का विकास होता है। बहुभाषिकता का गुण बच्चों से रचनात्मकता का
विकास करने में सहायक होता है।
5.1.3 भाषा विविधता वाली कक्षा में भाषा-शिक्षण की चुनौतियाँ
1. क्षेत्रीय भाषाओं का छात्रों पर प्रभाव (Effect of Regional
Languages on Children) भारत बहुभाषिक देश है। यहाँ के लगभग
हर क्षेत्र की भाषा में अन्तर है और छात्रों पर क्षेत्रीय भाषाओं का प्रभाव
स्पष्ट देखा जा सकता है, जो शिक्षण प्रक्रिया को बाधित करता है।
2. बच्चों को सामाजिक आधार पर सुदृढ़ करने की चुनौती
(Challenge of Making Children Strong in Social Context)
भाषा-शिक्षण में बच्चों को सामाजिक आधार पर सुदृढ़ करने की
चुनौती होती है, क्योंकि यदि बच्चों को सामाजिक आधार पर सुदृढ़
नहीं बनाया गया; तो बच्चा कभी भी एक अच्छा सामाजिक व्यक्ति नहीं
बन पाएगा।
3. बच्चों में सम्प्रेषण कौशल का विकास करने की चुनौती
(Challenge of Develop of Communication Skill in Children)
बच्चों में सम्प्रेषण कौशल का विकास करने के लिए भाषा पर नियन्त्रण
एवं इसमें कुशलता आवश्यक है, किन्तु क्षेत्रीय भाषाओं के प्रभाव से
इसमें कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
4. छात्रों में भाषायी कौशलों का विकास करने की चुनौती
(Challenge of Developing Linguistic Skill in Child) भाषायी
विविधता के कारण छात्रों को विविध भाषायी कौशलों के अधिगम
(सुनने, बोलने, पढ़ने ओर लिखने) के विकास में चुनौतियों का
सामना करना पड़ सकता है, क्योकि क्षेत्रीय भाषा के प्रभाव के कारण
भाषायी कौशलों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।
5. अध्यापक को विभिन्न भाषाओं सम्बन्धी ज्ञान की चुनौती
(Challenge of Multiple Language for Teacher) भारत की
भाषायी विविधता के कारण एक शिक्षक के लिए विभिन्न भाषाओं का
ज्ञान होना कठिन है, जो बहुभाषिक कक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया
में एक समस्या के रूप में बनी रहती है।
6. भाषा के प्रति छात्रों की रुचि और रुझान का अभाव (Lack of
Child Interest and Aptitude Towards Language)
भाषा-शिक्षण की एक समस्या यह है कि छात्रों में भाषा के प्रति रुचि
तथा रुझान का अभाव पाया जाता है, जिस कारण से भाषा-शिक्षण का
कार्य और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
5.1.4 भाषायी विविधता वाली कक्षा में शिक्षण में
आने वाली समस्याओं का समाधान
• बहुभाषिक कक्षा में शिक्षण प्रक्रिया के दौरान अध्यापक को सदैव
विद्यार्थियों को अपनी मातृ भाषा में बोलने के अवसर प्रदान करने चाहिए।
• भाषा-शिक्षण बहुभाषिक होना चाहिए, केवल कई भाषाओं के शिक्षण के
ही अर्थ में नहीं, बल्कि शिक्षण कार्य की तैयारी के रूप में भी ताकि
बहुभाषिक कक्षा को एक संसाधन के तौर पर प्रयोग में लाया जाए।
• बच्चों को प्राथमिक स्तर की विद्यालयी शिक्षा उनकी मातृभाषा में दी जाए,
जिससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया सरल एवं छात्रों के लिए सहज हो सके।
• बच्चे प्रारम्भ से ही बहुभाषिक शिक्षा प्राप्त कर सकें, इसके लिए त्रिभाषा
फॉर्मूला को उसके मूलभाव के साथ लागू किए जाने की जरूरत है, ताकि
वह बहुभाषी देश में बहुभाषी संवाद के माहौल को बढ़ावा दे।
• गैर-हिन्दी भाषी राज्यों में, बच्चे हिन्दी सीखते हैं। हिन्दी प्रदेशों के मामले
में, बच्चे वह भाषा सीखें जो उस क्षेत्र में नहीं बोली जाती है।
• बहुभाषिक कक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए
अध्यापक को समृद्ध भाषिक परिवेश का निर्माण करना चाहिए।
अभ्यास प्रश्न
1. बहुभाषिकता
(1) भाषा नीति बनाने में बहुत बड़ी बाधा है
(2) बच्चे की अस्मिता का निर्माण करती है
(3) भाषा की कक्षा में अनेक प्रकार की समस्याएँ
उत्पन्न करती है
(4) एक अत्यन्त जटिल चुनौती है, जिसका
समाधान सम्भव नहीं है
2. कक्षा में मौजूद बहुभाषिकता
(1) बच्चों का लक्ष्य भाषा सीखने के लिए
हतोत्साहित करती है
(2) शिक्षक के लिए एक जटिल और कठोर
चुनौती है
(3) भाषा-शिक्षण में बाधक है
(4) भाषा-शिक्षण में एक संसाधन के रूप में
प्रयुक्त हो सकती है
3. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन
सत्य है?
(1) सम्पूर्ण स्कूली शिक्षा के दौरान द्वि-भाषिकता को
बनाए रखना चाहिए, कारण द्वि-भाषिकता और
विद्वत उपलब्धियों का गहरा सकारात्मक
सम्बन्ध पाया जाता है
(2) भाषा में उच्च-स्तरीय दक्षता प्राप्ति के बिना
गणित, समाज विज्ञान और विज्ञान में समझ
और उपलब्धि के स्तर का विकास सम्भव
नहीं है
(3) पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करने के लिए
यह जरूरी है कि प्रत्येक स्कूल में अच्छे
पुस्तकालय हों जहाँ बच्चों को अपने
पाठ्यक्रम के अलावा अन्य सामग्री पढ़ने व
लिखने के प्रति भी प्रेरित किया जा सके
(4) उपरोक्त सभी
4. प्राथमिक स्तर पर बहुसांस्कृतिक पृष्ठभूमि
वाली कक्षा में बच्चे लक्ष्यभाषा के परिवेश
से भाषा अर्जित करते हुए
(1) लक्ष्य भाषा की अपनी भाषा से तुलना
करते हैं
(2) धीरे-धीरे भाषा के रचनात्मक प्रयोग का
अभ्यास करने लगते हैं
(3) उसे शुद्ध अशुद्ध रूप में पहचानते हैं
(4) व्याकरणिक नियमों की शुद्धता को परखते हैं
5. मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग शिक्षा के
सभी उच्च स्तरों तक जारी रहना चाहिए,
क्योंकि
(1) मातृभाषा या आस-पास की भाषा में उच्च
दक्षता का स्तर बेहतर संज्ञानात्मक विकास
अन्तर्वैयक्तिक संवाद-कुशलता व
सैद्धान्तिक स्पष्टता को बढ़ावा देने में
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(2) ऐसा करना अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में विस्तार
के दृष्टिकोण से सर्वाधिक आवश्यक है
(3) मातृभाषा में बच्चों की रुचि अधिक होती है
(4) केवल मातृभाषा के जरिए ही बच्चों के
संज्ञानात्मक विकास एवं संवाद-कुशलता को
बदाया जाता है
6. हिन्दी भाषा की पाठ्य-पुस्तक में लोकगीतों
को शामिल करने का कौन-सा उद्देश्य सबसे
कम महत्त्वपूर्ण है?
(1) लोकगीतों से सम्बद्ध राज्यों की जानकारी देना
(2) लोकगीतों की रसानुभूति
(3) लोकगीतों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक
विशेषताओं से परिचित कराना
(4) लोकगीतों की भाषिक विशेषताओं से परिचित
होने का अवसर मुहैया कराना
7. एक बहुसांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाली कक्षा में
भाषा सीखने से सम्बन्धित कौन-सा विचार
उचित है?
(1) व्याकरणिक नियमों का अधिक से अधिक प्रयोग
होना चाहिए
(2) समृद्ध भाषिक परिवेश का निर्माण किया जाना चाहिए
(3) अधिक-से-अधिक पुस्तकों का निर्माण किया जाना
चाहिए
(4) बालकों में भाषा सीखने की क्षमता बलपूर्वक
विकसित की जानी चाहिए
8. एक से अधिक भाषाओं का प्रयोग
(1) बच्चों को किसी भी भाषा में निपुणता प्राप्त नहीं
करने देता
(2) भाषा सीखने की प्रक्रिया को धीमी करता है
(3) संज्ञानात्मक रूप से समृद्ध होने का संकेत है
(4) भाषा सीखने में बाधक है
9. मैं अपनी कक्षा में बहुभाषिकता को महत्त्व
देती हूँ, इसलिए मैं
(1) भिन्न भिन्न भाषाओं की पुस्तकों का आदर
करती हूँ
(2) बच्चों को कई भाषाओं की कविताओं का गान
करवाती हूँ
(3) श्यामपट्ट पर हिन्दी भाषा के शब्दों के अर्थ दो
भाषाओं में अवश्य लिखती हूँ,
(4) सभी बच्चों को अपनी मातृभाषा में कहने-सुनने
की आजादी देती हूँ
10. मातृभाषा में शिक्षा से
(1) कक्षा में पढ़ाई करने में सुविधा होगी
(2) शिक्षार्थियों की अधिकाधिक प्रतिभागिता
(3) बेहतर परिणाम निकलेंगे
(4) उपरोक्त सभी
11. आपकी कक्षा में कुछ विद्यार्थी ‘सड़क’ को
‘सरक’ बोलते हैं। इसका सबसे सम्भावित
कारण है
(1) लापरवाही का होना
(2) उनकी मातृभाषा का प्रभाव
(3) उन्हें हिन्दी न आना
(4) सुनने में समस्या
12. हिन्दी की कक्षा में प्राय: हिन्दीतर-भाषी बच्चे
अरुचि प्रदर्शित करते हैं, क्योंकि
(1) उन्हें हिन्दी सीखने का उपयोग नजर नहीं आता
(2) अध्यापक उनकी भाषा सम्बन्धी त्रुटियों को
सहजता से स्वीकार नहीं करते
(3) उन्हें अपनी भाषा के प्रति विशेष लगाव होता है
(4) उन्हें तुलनात्मक रूप से हिन्दी बहुत कठिन
लगती है
13. त्रिभाषा सूत्र का उद्देश्य है
(1) देश में बहुभाषी संवाद के परिवेश को
बढ़ावा देना
(2) भिन्न संस्कृति से परिचित करवाना
(3) विदेशी भाषा से परिचित कराना
(4) उपरोक्त सभी
14. बहुभाषिक कक्षा में समस्या है
(1) शिक्षक सम्बन्धी
(2) छात्र सम्बन्धी
(3) भाषा सम्बन्धी
(4) उपरोक्त सभी
15. बहुभाषिक कक्षा में शिक्षक में इतनी योग्यता
अवश्य हो कि वह
(1) सरल प्रश्न-पत्र बना सके
(2) सभी बच्चों की मातृभाषाओं की संरचनाओं को
जान सके
(3) पाठ्य-पुस्तक को जल्दी पूर्ण करा सके
(4) विभिन्न भाषाओं में पाठों की विषय-वस्तु का
शब्दशः अनुवाद कर सके
16. बहुसांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाली कक्षा में
भाषा-शिक्षक को क्या करना चाहिए?
(1) मौखिक कौशलों पर बल देना चाहिए
(2) अभिव्यक्तात्मक कौशल पर ही बल देना
चाहिए
(3) परस्पर बातचीत करने के अधिकाधिक अवसर
देने चाहिए
(4) बच्चों को मानक भाषा-प्रयोग के लिए ही कहना
चाहिए
17. बहुभाषिक कक्षा के सन्दर्भ में आप इनमें से
किस गतिविधि को सर्वाधिक उचित
समझते हैं?
(1) स्वतन्त्र शब्द को दस बार बोलिए
(2) सूर्य अस्त हो गया, वाक्य को दस बार
लिखिए
(3) हिन्दी पाठों में आए चिड़िया, पुस्तक, कुओं को
आपकी भाषा में क्या कहते हैं बताइए
(4) लट्ठ, खत शब्दों के हिन्दी रूप कण्ठस्थ
कीजिए
18. बहुसांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाली भारतीय
कक्षाओं में भाषा-शिक्षण के लिए अति
आवश्यक है
(1) परस्पर बातचीत के लिए अनेक अवसरों का
निर्माण
(2) विद्यार्थियों को श्रवण व लेखन’ कौशलों के
अधिकाधिक अवसर देना
(3) विद्यार्थियों को ‘भाषण व लेखन’ कौशलों के
अधिकाधिक अवसर देना
(4) लक्ष्यभाषा के विभिन्न भाषिक तत्वों का
अधिकाधिक अभ्यास
19. बहुसांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाली कक्षा में
भाषा-शिक्षक को क्या करना चाहिए?
(1) परस्पर बातचीत करने के अधिकाधिक अवसर
देना
(2) बच्चों को मानक भाषा-प्रयोग के लिए ही कहना
चाहिए
(3) मौखिक कौशलों पर बल देना चाहिए
(4) अभिव्यक्तात्मक कौशलों पर ही बल देना
चाहिए
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
20. एक भाषा-शिक्षक के रूप में सबसे बड़ी
चुनौती है               [CTET June 2011]
(1) बहुभाषिक कक्षा के शिक्षण के लिए उचित
रणनीतियाँ तय करना
(2) बच्चों को भाषा सीखने के महत्त्व से परिचित
कराना
(3) बच्चों की भाषा को संचार साधनों के प्रभाव से
मुक्त रखना
(4) भाषा-संसाधनों का अभाव है
21. एक बहुसांस्कृतिक कक्षा में आप एक
भाषा-शिक्षक के रूप में किस बात को
अधिक महत्त्व देंगे?               [CTET June 2011]
(1) बच्चों को भाषा प्रयोग के अधिक-से-अधिक
अवसर देना
(2) पाठ्य पुस्तक के प्रत्येक पाठ को भली-भाँति
समझाना
(3) बच्चों को व्याकरण सिखाना
(4) स्वयं शुद्ध भाषा-प्रयोग
22. हिन्दी की कक्षा में प्राय: हिन्दीतर-भाषी
बच्चे हिन्दी सीखने में अनेक कठिनाइयों का
सामना करते हैं, क्योंकि             [CTET June 2011]
(1) प्रायः हिन्दी और उनकी मातृभाषा की संरचना
में अन्तर होता है
(2) वे मन लगाकर हिन्दी नहीं सीखते
(3) हिन्दी सीखने के प्रति उनमें अरुचि होती है
(4) हिन्दी बहुत कठिन भाषा है
23. एक बहुभाषिक कक्षा में आप किसे सबसे
कम महत्त्व देंगे?                      [CTET Jan 2012]
(1) बच्चों को सिखाना कि दो भाषाओं के मध्य
विद्यमान समानता व अन्तर का विश्लेषण कैसे
किया जाता है
(2) विभिन्न प्रकार का बाल साहित्य
(3) कक्षा में विभिन्न प्रकार की सामग्री से समृद्ध
वातावरण
(4) कक्षा के बहुभाषिक और बहुसंस्कृति सन्दर्भो के
प्रति संवेदनशीलता
24. बहुभाषिकता                 [CTET Jan2012]
(1) भाषा सिखाने में बहुत बड़ी बाधा है
(2) भाषायी समृद्धि को खतरे में डालती है
(3) भाषा सीखने में बाधा उत्पन्न करती है
(4) भाषा सीखने में एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है
25. एक से अधिक भाषाओं का प्रयोग
                                               [CTETJan 2012]
(1) किसी भी एक भाषा में निपुणता में बाधक है
(2) कक्षायी जटिलताओं को बढ़ाता है
(3) शिक्षकों के लिए गहन समस्या है
(4) संज्ञानात्मक विकास में सहायक है
26. बहुभाषिक एवं बहुसांस्कृतिक कक्षा में
                                               [CTET Nov 2012]
(1) बच्चों की मातृभाषा को समुचित सम्मान, स्थान
देते हुए मानक भाषा से भी परिचय कराना
चाहिए
(2) बच्चों को केवल मानक भाषा के प्रयोग के लिए
ही पुरस्कृत करना चाहिए
(3) बच्चों की मातृभाषा का ही सदैव प्रयोग किया
जाना चाहिए
(4) बच्चों की मातृभाषा का प्रयोग वर्जित होना चाहिए
27. घर की भाषा और विद्यालय में पढ़ाई जाने
वाली भाषा                          [CTET July 2013]
(1) सदैव टकराहट से गुजरती हैं
(2) सदैव समान होती है
(3) समान हो सकती
(4) सदैव अलग होती हैं
28. हमारी कक्षाओं में बच्चे भिन्न-भिन्न भाषिक
पृष्ठभूमि से आते हैं, अतः
                                     [CTET Feb 2014]
(1) उनकी भाषाओं को भी कक्षा में सम्मान देना
अनिवार्य है
(2) उनकी भाषाओं को सीखना सभी शिक्षार्थियों के
लिए अनिवार्य है
(3) भाषा की पाठ्य-पुस्तक में उनकी सभी भाषाओं
के शब्द, वाक्य होना अनिवार्य है।
(4) उनकी सभी भाषाओं की जानकारी शिक्षक के
लिए अनिवार्य है
29. बच्चे प्रारम्भ से ही [CTET Sept 2014]
(1) एकभाषिक होते हैं
(2) द्विभाषिक होते हैं
(3) बहुभाषिक होते है
(4) भाषा में कमजोर होते हैं
30. कहानी, कविता, गीतों और नाटकों के
माध्यम से बच्चे
                         [CTET Feb 2014]
(1) केवल मूल्यों का अर्जन करते हैं
(2) केवल अपनी तर्कशक्ति का विकास करते हैं
(3) अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ते हैं
(4) केवल मनोरंजन प्राप्त करते हैं
31. प्राथमिक स्तर पर बच्चों की घर की भाषा
को अपनी कक्षा में स्थान देना जरूरी है,
क्योकि घर की भाषा
(1) सरल होती है
(2) बच्चे ने अभी पूर्णतः नहीं सीखी है
(3) बच्चे की भाषायी पूँजी है
(4) मानक स्वरूप लिए होती है
32. भाषा-शिक्षण को…………… सन्दर्भ में
रखकर देखने की आवश्यकता है।
                                          [CTET Sept 2016]
(1) आर्थिक
(2) सांस्कृतिक
(3) नैतिक
(4) बहुभाषी
33. दूसरी कक्षा में पढ़ने वाला रोहित हिन्दी की
कक्षा में अपनी मातृभाषा में बात करता है
आप क्या करेंगे?              [CTET Sept 2016]
(1) उसकी भाषा को समझने की कोशिश करेंगे
(2) बाकी बच्चों से उसकी भाषा सीखने के लिए
कहेंगे
(3) उसे डाँटेंगे की वह कक्षा में मातृभाषा का
प्रयोग न करे
(4) उसे बिल्कुल अनदेखा कर पढ़ाते रहेंगे
34. विद्यालय कक्षा में समृद्ध भाषायी परिवेश से
तात्पर्य है                     [CTET Feb 2016]
(1) मुख्यधारा की भाषा सुनने के अधिक से अधिक
अवसर
(2) बोलने-सुनने, पढ़ने-लिखने के अधिक से अधिक
अवसर
(3) एक से अधिक भाषाओं के शब्दकोष की
उपलब्धता
(4) अध्यापक को एक से अधिक भाषाओं की
जानकारी
35. द्विभाषिक बच्चे………….विकास,
सामाजिक सहिष्णुता और……………
चिन्तन में अपेक्षाकृत बेहतर होते हैं।
                                                 [CTET Sept 2016]
(1) संज्ञानात्मक, सीमित
(2) संज्ञानात्मक, विस्तृत
(3) संक्रियात्मक, सीमित
(4) संक्रियात्मक, केन्द्रित
36. ‘बहुभाषी कक्षा’ से तात्पर्य है
                                             [CTET Sept 2016]
(1) जिस कक्षा में कम से कम दो भाषाओं में
पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध हो
(2) जिस कक्षा में प्रत्येक बच्चे के घर की बोली को
सम्मान दिया जाता हो
(3) जहाँ बहुत-सी भाषाओं का अध्यापन किया
जाता है
(4) जिस कक्षा के शिक्षक शिक्षिका दो या दो से
अधिक भाषाएँ पढ़-लिख सकते हों
37. प्राथमिक स्तर की कक्षा में भिन्न-भिन्न
प्रान्तों के अलग-अलग भाषा बोलने वाले
बच्चों का नामांकन हुआ है। ऐसी स्थिति में
भाषा की कक्षा बच्चों के भाषायी विकास
के सन्दर्भ में         [CTET Feb 2016]
(1) जटिल चुनौती के रूप में सामने आती है
(2) अवरोध ही प्रस्तुत करती है
(3) बहुत बड़ी समस्या बन जाती है
(4) अनमोल संसाधन के रूप में कार्य करती है
                                            उत्तरमाला
1. (2) 2. (4) 3. (4) 4. (2) 5. (1) 6. (2) 7. (2) 8. (3) 9. (4) 10.(4)
11. (2) 12. (4) 13. (4) 14. (4) 15. (2) 16. (3) 17. (3) 18 (1)
19. (1) 20.(1) 21. (1) 22. (1) 23. (1) 24. (4) 25. (4) 26. (1)
27. (3) 28. (1) 29 (3) 30. (3) 31. (3) 32. (4) 33. (1) 34. (2)
35. (2) 36. (2) 37. (4)
                                             ★★★

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