CTET Notes In Hindi | गणित की भाषा
CTET Notes In Hindi | गणित की भाषा
गणित की भाषा
Language of Mathematics
CTET परीक्षा के विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण करने से
यह ज्ञात होता है कि इस अध्याय से वर्ष 2011 में 1 प्रश्न,
2012 में 5 प्रश्न, 2014 में 2 प्रश्न, 2015 में 1 प्रश्न तथा वर्ष
2016 में 1 प्रश्न पूछे गए हैं। इस अध्याय से CTET परीक्षा में
पूछे गए प्रश्न मुख्यतः गणितीय अवधारणाओं पर आधारित हैं।
3.1 समस्या के समाधान का एक साधन
गणित शिक्षण में अध्यापक गणितीय संकल्पनाओं की जानकारी देने के लिए और
विचारों को स्पष्ट करने के लिए साधारण बोल-चाल की भाषा का प्रयोग करता
है। भाषा अनुभव को यथाक्रम अन्तस्थः करने में सहायक होती है जिससे
अन्ततोगत्वा प्रत्यक्ष साकार अनुभव की पुनरावृत्ति किए बिना कल्पना शक्ति से
क्रिया करने की क्षमता उत्पन्न होती है। गणित की संकल्पनाओं की शिक्षा देने के
लिए प्रथम चरण में बालकों को प्रत्यक्ष साकार वस्तुओं के साथ क्रिया-कलाप के
लिए प्रेरित किया जाता है इसके उपरान्त साकार वस्तुएँ हटा ली जाती हैं और
उन्हें निहित अनुभव का स्पष्ट, उपयुक्त वर्णन करने को प्रोत्साहित करते हैं जब
तक कि उनमें संकल्पना को मौखिक रूप से यथाक्रम अन्तस्थ: करने की क्षमता
न आ जाए। इस प्रकार भाषा, अनुभव (या संकल्पनाएँ) संग्रहण करने और
समस्या समाधान में एक सहायक साधन है।
गणितीय संकल्पनाओं में प्रभावशाली अधिगम केवल क्रिया-कलापों में दक्षता
पा लेने से ही प्राप्त नहीं होता है। यह निर्भर करता है कि कहाँ तक अध्यापक
भाषा में अभिव्यक्ति और सांकेतिक निरूपण में प्रवीणता उत्पन्न करने में
सफल है, जिससे पूर्व अनुभवों पर आधारित संगत अमूर्त नियम या तथ्य
प्रस्थापित किए जा सकें। साकार (प्रत्यक्ष) अनुभवों से अमूर्त विचार प्रस्थापित
होने तक संक्रमण गणितीय भाषा में व्यक्त वर्णन पर निर्भर है। आज के युग
में कोई भी भौतिकशास्त्री या अन्य कोई वैज्ञानिक अपने विषय का अध्ययन
बिना गणितीय भाषा के व्यापक प्रयोग के नहीं कर सकता। जीव-विज्ञान,
मनोविज्ञान आदि विषय भी जिनका मूल स्वरूप वर्णन प्रधान हुआ करता था,
आज गणितीय संकल्पनाओं का अत्यधिक प्रयोग करने लगे हैं। भाषाविद् जो
भाषा के स्वरूप और संरचना का अध्ययन करते हैं आज इसका अध्ययन
करने के लिए गणित का प्रयोग करने लगे हैं।
रोजर बेकन का कथन है “गणित विज्ञान का प्रवेश द्वार और कुंजी है।
गणित की अवहेलना ज्ञान संग्रहण को क्षति पहुँचाती है क्योकि जो व्यक्ति
गणित ज्ञान से अनभिज्ञ है वह अन्य वैज्ञानिक विषयों और संसार की वस्तुओं
का मानसिक पर्यवेक्षण नहीं कर सकता। इससे भी अधिक बुरी बात तो यह
है कि यह अज्ञानी व्यक्ति अपनी ही अज्ञानता तक को नहीं पहचानते और न
ही उसका कोई उपचार करने का प्रयत्न करते हैं।”
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि गणित सम्प्रेषण का एक साधन या माध्यम है।
गणित शिक्षा में बालकों द्वारा अनुभव की गई भाषा की कठिनाइयों पर
अनेक महत्त्वपूर्ण अध्ययन हुए हैं। जिसके कारण गणितीय भाषा के कुछ
पक्ष (या गुण) प्रस्तुत करना आवश्यक है। इनमें से कुछ प्रमुख
निम्नलिखित हैं
गणित एक भाषा के रूप में
शिक्षा जगत में गणित को एक विषय के रूप में जाना जाता है लेकिन गणित
का प्रयोग एक विषय के साथ-ही-साथ एक भाषा के रूप में भी होता है।
इससे सम्बन्धित कुछ प्रमुख तथ्य निम्न हैं
• गणित स्वत: एक भाषा है जिसे विभिन्न चिह्नों और नियमों के द्वारा
समझाया जाता है।
• गणितीय भाषा सामान्य भाषा को गणित के रूप में वर्णन करती है।
• गणित को सीखने-सिखाने और विभिन्न शिक्षण विधियों को जानने में
गणितीय भाषा हमारी मदद करती है।
• गणितीय भाषा गणित की जटिलताओं को समझने और तार्किक चिंतन को
बढ़ावा देती है।
3.2 गणितीय भाषा के गुण
• गणितीय भाषा किसी वस्तु (या संकल्पना) और उसके नाम में अन्तर करती
है। जैसे– संख्या और संख्यांक, भिन्न और भिन्नात्मक संख्याएँ (या परिमेय
संख्याएँ)।
• साधारण भाषा के कुछ शब्दों का प्रयोग परिभाषित पदों के रूप में, कई
बार भिन्न सन्दर्भ में, किया जाता है। उदाहरण के लिए ‘चर’ का प्रयोग
संज्ञा और विशेषण दोनों ही रूप में होता है।
• शब्द ‘मूल’ का प्रयोग समीकरण के मूल और वर्गमूल, घनमूल आदि में
होता है।
• किसी एक विचार को अनेक प्रकार से नामांकित या व्यक्त कर सकते हैं
जैसे कि योग को ‘जोडिए’, ‘मान ज्ञात कीजिए’, ‘कुल कितने’ आदि
वाक्यांश से सम्बोधित कर सकते हैं।
• संक्षेपण (या नामांकन) का प्रयोग करते हैं। यह प्रमाणित चिन्तन में
सहायता करते हैं परन्तु कभी-कभी वे मानक रूप में नहीं होते हैं और
केवल संगणना की क्रिया विधि में किसी चरण को बचाने के लिए प्रयोग
किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, ग्राम के लिए gm का प्रयोग सही नहीं
है। इसी प्रकार cms का प्रयोग भी सही नहीं है।
• बहुधा नये विषय या संक्रिया के अधिगम में सहायक चित्र या चिह्नों का
प्रयोग किया जाता है। जैसे कि जोड़ने में हासिल की संख्या का अंक
उचित स्थान पर लिखना, समीकरण के हल में => या or का प्रयोग।
5m x 4m = 20 sqm सही नहीं है क्योंकि गुणक केवल एक संख्या हो
सकती है यह मूर्त नहीं हो सकती। सही विधि है (5×4) sq m l
• गणित में प्रश्नों को हल करने में विचारों की शुद्धता और आँकड़ों की
शुद्धता बनाए रखने के लिए हल को विशेष विधि के अनुसार चरणों में
लिखा जाता है।
• अन्य भाषाओं की तरह गणित की भाषा का भी अपना व्याकरण है। इसमें
भी संज्ञा, क्रिया और विशेषण आदि पाए जाते हैं। गणित की भाषा के
मुख्य गुण हैं: शुद्धता (या समग्रता), यथार्थता (या सत्यता) और सक्षमता।
इसकी तुलना में साधारण भाषा अस्पष्ट, अनिश्चित और भाव प्रेरक हो
सकती है। गणित में परिभाषाओं को व्यक्त करने में भाषा का विशेष ध्यान
रखना चाहिए।
• एक बेहतर कही जाने वाली परिभाषा में निम्न गुण आवश्यक हैं
– परिभाषा विश्वसनीय/संगत (या सिद्धान्त पर आधारित) होनी चाहिए,
अर्थात् प्रणाली की सभी सम्भव परिस्थितियों में उससे समान अर्थ
निकाले जा सकें।
– परिभाषा में केवल अपरिभाषित या पूर्व परिभाषित पद ही नहीं परन्तु
उसमें उप पद और प्रयोजक भी होने चाहिए।
– परिभाषा की अभिव्यक्ति अनावश्यक भाषा के बिना, स्पष्ट और
विशुद्ध होनी चाहिए।
गणितीय भाषा का ज्ञानार्जन में उपयोग
गणित की प्रकृति अन्य विषयों की अपेक्षा अधिक सुदृढ़ है जिससे विद्यालयी
शिक्षा में गणित के ज्ञान की आवश्यकता एवं उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है।
विश्व में ज्ञान का अथाह भण्डार है इस ज्ञान भण्डार में दिन-प्रतिदिन वृद्धि
हो रही है। यह बात अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है कि ज्ञान की प्राप्ति की जाए,
बल्कि यह है कि ज्ञान प्राप्ति का तरीका सीखा जाए जिससे प्राप्त किया गया
ज्ञान अधिक उपयोगी तथा लाभप्रद सिद्ध हो सके।
किसी व्यक्ति के लिए ज्ञान प्राप्त करना तभी उपयोगी हो सकता है, जबकि
वह ज्ञान का अपनी आवश्यकतानुसार उचित प्रयोग कर सके। किसी विषय के
ज्ञान का उचित उपयोग करना व्यक्ति की मानसिक शक्तियों पर निर्भर
करता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गणित की अपनी एक अलग भाषा है
जिसमें गणित के पद, प्रत्यय, सिद्धान्त, सूत्र तथा संकेतों को सम्मिलित किया
जाता है। इसका ज्ञान निश्चित तथा ठोस आधार पर निर्भर होता है जिससे उस
पर विश्वास किया जा सकता है। गणित में प्रदत्तों अथवा संख्यामक सूचनाओं
के आधार पर संख्यात्मक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
अभ्यास प्रश्न
1. गणित के बेहतर होने के लिए एक व्यक्ति
आवश्यकता है।
(1) गणनाओं में प्रवीणता की
(2) अमूर्त चिन्तन और तर्कसंगत विवेचन द्वारा
समस्याओं को बनाने और उन्हें सूत्रबद्ध करने
की
(3) सूत्र याद करने की
(4) हल को याद रखने की
2. गणित की प्रकृति एवं संरचना में निम्नलिखित
विशेषता नहीं है
(1) गणित की विषय-वस्तु में सामंजस्यता है
(2) गणित की सभी शाखाओं का मूल आधार
‘समुच्चय सिद्धान्त’ भाषा है
(3) गणित की भाषा सांकेतिक है
(4) गणित के निष्कर्ष निश्चित एवं तर्कसंगत होते हैं
3. गणित विषय में होने वाली संक्रियाएँ,
गणनाएँ एवं सिद्धान्तों का अध्ययन यथार्थ
में किस प्रकार की प्रक्रियाएँ हैं?
(1) मानसिक
(2) मौखिक
(3) लिखित
(4) इनमें से कोई नहीं
4. गणित शिक्षण में कौशलात्मक उद्देश्य के
विशिष्टीकरण का उदाहरण है
(1) गणना करना
(2) निष्कर्ष निकालना
(3) गणितीय आकृतियाँ बनाना
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
5. गणित की भाषा का अंग है
(1) सूत्र
(2) संख्या-संख्यांक चर
(3) संकेत
(4) ये सभी
6. गणितीय भाषा का स्वरूप है
(1) जोड़
(2) घटाव
(3) गुणा
(4) ये सभी
7. गणित शिक्षण में गणितीय भाषा सम्बन्धी
समझ के विकास हेतु आवश्यक है
(1) गणित की क्रियाओं को क्रमबद्ध रूप से
समझना
(2) विभिन्न दशाओं में गणितीय समस्याओं को
समझना
(3) प्रत्ययों को संकेतों में प्रकट करने को समझना
(4) उपरोक्त सभी
8. गणित शिक्षण में गणित की भाषा का
प्रमुख गुण है
(1) शुद्धता
(2) यथार्थता
(3) सक्षमता
(4) ये सभी
9. “गणित विज्ञान का प्रवेश द्वार एवं कुंजी
है।” निम्न में से यह कथन किसका है?
(1) स्किनर
(2) जीन पियाजे
(3) रोजर बेकन
(4) आर्यभट्ट
10. बच्चों में गणित की भाषा का विकास करने
के लिए गणित शिक्षक में निम्न में से क्या
गुण होना चाहिए?
(1) गणित उपकरणों को प्रयोग करने की क्षमता
(2) गणित कक्षा संचालन की योग्यता
(3) विभिन्न शिक्षण विधियों का ज्ञान
(4) उपरोक्त सभी
11. गणित की भाषा एवं प्रकृति अन्य विषयों
की अपेक्षा है
(1) अधिक कमजोर
(2) अधिक लचीली
(3) अधिक सुदृढ़
(4) इनमें से कोई नहीं
12. गणित की भाषा का महत्त्व है
(1) शारीरिक कौशल के विकास में
(2) सम्प्रेषण कौशल के विकास में
(3) तर्कात्मक कौशल के विकास में
(4) ‘1’ एवं ‘3’
13. गणित की भाषा में निम्न में से किसको
सम्मिलित नहीं किया जाता है?
(1) गणितीय सिद्धान्तों को
(2) गणितीय संकेतों को
(3) गणितीय पदों को
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
14. निम्न में से कौन-से विकल्प में गणित की
भाषा की झलक है?
(1) राम और सीता जा रहे हैं
(2) श्याम हापुड़ जा रहा है
(3) यात्रा के दौरान मीरा ने 10 किमी की दूरी
पैदल तय की
(4) श्याम और मोहन दोनों भाई हैं
15. गणित में प्रश्नों को हल करते समय
आँकड़ों की शुद्धता बनाए रखने के लिए
हल को लिखा जाता है
(1) किसी भी तरीके से
(2) विशेष विधि के अनुसार विभिन्न चरणों में
(3) ज्ञात तरीके से
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
16. भिन्नों की अवधारणा से परिचित करने के
लिए शिक्षक……. से शुरुआत कर सकता
है। (CTET June 2011)
(1) a/b के रूप में भिन्न लिखना जिसमें 60 है
(2) उनके आस-पास की वस्तुओं में भिन्न भागों की
पहचान करना
(3) विभिन्न भिन्नों में अंश और हर की पहचान
करना
(4) संख्या रेखा पर भिन्न का पता लगाना
17. उमा सम और विषम संख्याओं की
संकल्पना को समझ नहीं पा रही है। उसकी
संकल्पना को सुधारने के लिए शिक्षिका ने
भिन्न रंग वाले कुछ 20 कंकड़ लिए और
उससे उनके जोड़े बनाने के लिए कहा।
साथ ही 1 से 20 तक संख्याओं को छाँटने
के लिए कहा जिन कंकड़ों के जोड़े बन
पाए और जिनके जोड़े नहीं बन पाए। उमा
(1) श्रव्य शिक्षार्थी है [CTET Nov 2012]
(2) को व्यक्तिगत ध्यान की आवश्यकता है
(3) चाक्षुष शिक्षार्थी है
(4) कायिक गतिक शिक्षार्थी है
18. हामिदा अपने विद्यार्थियों की गणितीय
योग्यताओं को संवृद्ध करने के लिए उन्हें
सदा संख्या-प्रतिरूपों (patterns) का
अवलोकन करने और परिकल्पना बनाने
देती है। वह बोर्ड पर निम्नलिखित समस्याएँ
लिखती है और विद्यार्थियों से कहती है कि
वे इसका उत्तर लिखें
21 + 7 =
21 +07 =
0.21 +0.07 =
0.021 +0.007
वह प्रश्नों के सेट के माध्यम से यह चाहती
है कि विद्यार्थी यह अवलोकन कर सकें कि
[CTET Nov 2012]
(1) यदि भाजक और भाज्य दोनों 10 की घात से
बढ़ाए या घटाए जाते हैं, तो भागफल समान
रहता है
(2) यदि भाजक और भाज्य दोनों 10 की घात से
घटाए जाते हैं, तो भागफल भी 10 की घात
से घटता है
(3) जब एक गुणज को 10 से विभाजित किया
जाता है और दूसरे को 10 से गुणा किया है,
तो गुणनफल समान रहता है
(4) जब एक भाजक को 10 से घटत होती है और
दूसरे को 10 की बात से बदत होती है, तो
गुणनफल समान रहता है
19. कक्षा V के विद्यार्थी समस्या 1/2÷1/3 को सही
तरीके से हल कर सकते थे, लेकिन वे इस
समस्या का हल नहीं निकाल सकते थे कि
“आधे केक में कितने 1/3 केक के टुकड़े
है?” इसका कारण है [CTET Nov 2012]
(1) भिन्नों पर सक्रियाएँ बिना सन्दर्भीकरण और
भाषा-सहायता पढ़ाई गई हैं
(2) विद्यार्थी इन दो समस्याओं की गणितीय तुल्यता
को समझने के योग्य नहीं हैं
(3) विद्यार्थियों का भाषा-विकास बहुत खराब है
(4) समस्या कक्षा V के लिए उच्च कठिनाई स्तर की है
20. त्यौहार के समय कक्षा V में ‘प्रतिशत’
प्रकरण के समय ‘सेल’ पर कक्षायी चर्चा
शुरू की गई है। कक्षा में इस प्रकार की चर्चा
[CTET Nov 2012]
(1) अपने वाद-विवाद सम्बन्धी कौशलों को बढ़ाने में
विद्यार्थियों की सहायता करती है
(2) कक्षा में गरमा-गरमी वाली बहस आरम्भ करती
है और कक्षा के माहौल को खराब करती है
(3) एक दूसरे के विचारों को सुनने में विद्यार्थियों की
सहायता करती है और अपना तर्क प्रस्तुत करने
के लिए उन्हें प्रोत्साहित करती है
(4) की उपेक्षा की जानी चाहिए क्योंकि यह कक्षा के
शोर के स्तर को बढ़ाती है और दूसरे को
परेशान करती है
21. विद्यार्थियों से ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोणों के
मध्य सम्बन्ध स्थापित करने के लिए कहा
जाता है। वे कई आकृतियाँ खींचते हैं, कोणों
को मापते हैं और यह देखते हैं कि ऊर्ध्वाधर
सम्मुख कोण समान है
[CTET Nov 2012]
(1) अनौपचारिक निगमन स्तर पर हैं
(2) निगमन स्तर पर हैं
(3) चाक्षुषीकरण के स्तर पर हैं
(4) विश्लेषणात्मक स्तर पर हैं
22. हस्तपरख प्रतिमान, स्थिर चित्र, लिखित
प्रतीक, मौखिक और लिखित भाषा,
वास्तविक संसार की स्थितियाँ अथवा
सन्दर्भ……..को दर्शाने के पाँच तरीके
हैं। [CTET Sept 2014]
(1) गणितीय चिन्तन एवं विधार
(2) ज्यामितीय प्रमाण
(3) गणित की पाठ्यचर्या
(4) गणितीय शब्द-भण्डार
23. कक्षा IV की पाठ्य-पुस्तक से दी गई
निम्नलिखित समस्याओं में से कौन-सी
‘बहु-अनुशासनात्मक समस्या’ की ओर
संकेत करती है? [CTET Sept 2014]
(1) भारत के झण्डे का आरेख बनाइए और
झण्डे में सममिति रेखाओं की संख्या की
पहचान कीजिए
(2) दी गई आकृति की दर्पण छवि (प्रतिबिम्ब)
का आरेख बनाइए
(3) दी गई आकृति में कितनी सममिति रेखाएँ हैं?
(4) किसी दी गई ज्यामितीय आकृति में एक
सममिति रेखा खींचना
24. आकांक्षा गणित की एक अच्छी
अध्यापिका बनना चाहती है। गणित की
अच्छी अध्यापिका के लिए आवश्यक है
कि उसके पास [CTET Feb 2015]
(1) अच्छा सम्प्रेषण कौशल तथा बन्द-अन्त वाले
प्रश्नों का अच्छा ज्ञान होना चाहिए
(2) गणितीय विषय-वस्तु को वास्तविक जीवन से
जोड़ने के लिए अवधारणात्मक ज्ञान, समझ
और योग्यता होनी चाहिए
(3) संख्या पद्धति, बीजगणित तथा ज्यामिति का
अच्छा ज्ञान होना चाहिए
(4) बिना समय लगाए समस्याओं/सवालों को हल
करने की योग्यता होनी चाहिए
25. कक्षा IV के अधिकतर शिक्षार्थी सोचते हैं
कि दो संख्याओं के गुणन से प्राप्त संख्या
सदैव दोनों संख्याओं से बड़ी होती है।
आप यह कैसे प्रदर्शित करेंगे कि यह
सदैव सत्य नहीं होता है?
[CTET Sept 2016]
(1) एक पूर्ण संख्या और एक मिन्न के गुणन की
कलन-विधि को संख्या रेखा पर प्रदर्शित
करके
(2) इसे संख्याओं के बार-बार योग के द्वारा
प्रदर्शित करके
(3) दो दशमलव संख्याओं के गुणन की
कलन-विधि को प्रदर्शित करके
(4) ग्रिड पेपर पर दो दशमलव संख्याओं के
गुणन को प्रदर्शित करके
उत्तरमाला
1. (3) 2. (4) 3. (1) 4. (3) 5. (3) 6. (4) 7. (2) 8. (3) 9. (1) 10. (4)
11. (1) 12. (1) 13. (2) 14. (4) 15. (1) 16. (3) 17. (2) 18. (2)
19. (2) 20. (1) 21. (2) 22. (1) 23. (3) 24. (4) 25. (4)
★★★