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CTET Notes in Hindi | बुद्धि-निर्माण तथा बहुआयामी बुद्धि

CTET Notes in Hindi | बुद्धि-निर्माण तथा बहुआयामी बुद्धि

बुद्धि-निर्माण तथा बहुआयामी बुद्धि

बुद्धि (Intelligence): वेशलर (Wechsler, 1939) के अनुसार, “बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है, जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रिया करता है, विवेकशील चिंतन करता है तथा वातावरण के साथ प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है।”
> रॉबिन्सन तथा रॉबिन्सन (Robinson & Robinson, 1965) के अनुसार, “बुद्धि से तात्पर्य संज्ञानात्मक व्यवहारों (Cognitive Behaviours) के संपूर्ण वर्ग से होता है, जो व्यक्ति में सूझ-बूझ द्वारा समस्या समाधान करने की क्षमताएँ, नयी परिस्थितियों
के साथ समायोजन करने की क्षमताएँ, अमूर्त रूप से सोचने की क्षमता तथा अनुभवों से लाभ उठाने की क्षमता को दिखाता है।
> स्टोड्डार्ड (Stoddard, 1941) के अनुसार, “बुद्धि उन क्रियाओं को समझने की क्षमता है जिनकी विशेषताएँ हैं—कठिनता, जटिलता, अमूर्त्तता, मितव्ययिता, किसी लक्ष्य के प्रति अनुकूलनशीलता, सामाजिक मान (Value) और मौलिकता की उत्पत्ति और कुछ परिस्थिति में वैसी क्रियाओं को करना जो शक्ति की एकाग्रता तथा सांवेगिक कारकों का प्रतिरोध (Resistance) दिखाता है।”
> पी. ई. वर्नन (P. E. Vernon, 1969) बुद्धि संप्रत्यय के तीन अर्थ बतलाये हैं जो लोकप्रिय और आकर्षक दिखते हैं। ये अर्थ इस प्रकार हैं-
(a) जननिक क्षमता के रूप में बुद्धि (Intelligence as Genetic Capacity): इस अर्थ में बुद्धि पूर्णतः वंशागत (Inherited) होती है। इसे हेब (Hebb) ने बुद्धि ‘ए’ (Intelligence ‘A’) कहा है, जो स्पष्टतः बुद्धि का एक जीनोटाइपिक (Genotypic) प्रकार है तथा इसमें बुद्धि को व्यक्ति का एक आनुवंशिक गुण माना जाता है।
(b) प्रेक्षित व्यवहार के रूप में बुद्धि (Intelligence as Observed Behaviour): इस अर्थ में बुद्धि व्यक्ति के जीन एवं वातावरण की अंतःक्रिया (Interaction) का परिणाम होता है तथा जिस सीमा तक व्यक्ति बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से व्यवहार करता है, उस सीमा तक उसे बुद्धिमान समझा जाता है। बुद्धि का यह अर्थ फीनोटाइपिक (Phenotypic) प्रारूप का है। उसे हेब (Hebb)ने बुद्धि ‘बी’ (Intelligence ‘B’) कहा है।
(c) परीक्षण प्राप्तांक के रूप में बुद्धि (Intelligence as a Test Score): इस अर्थ में बुद्धि की एक क्रियात्मक परिभाषा दी गई। इस अर्थ में बुद्धि वही है जो बुद्धि परीक्षण मापता है। इसे हेब (Hebb) ने बुद्धि ‘सी’ (Intelligence ‘C’) की संज्ञा दी है।
बुद्धि के प्रकार
Type of Intelligence
ई. एल. थॉर्नडाइक (E. L. Thorndike) ने बुद्धि के तीन प्रकार बताये हैं-
(i) सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence): सामाजिक बुद्धि से तात्पर्य वैसी सामान्य मानसिक क्षमता से होता है जिसके सहारे व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को ठीक ढंग से समझता है तथा व्यवहारकुशलता भी दिखाता है। ऐसे लोगों का सामाजिक संबंध
(Social Relationship) अच्छा होता है।
» ड्रेवर एवं वालरस्टीन (Drever & Wallerstein) के अनुसार, “सामाजिक बुद्धि बुद्धि का एक प्रकार है जो किसी व्यक्ति में अन्य व्यक्तियों एवं सामाजिक संबंधों के प्रति व्यवहार में निहित होता है।”
» जिन व्यक्तियों में सामाजिक बुद्धि होती है उनमें अन्य लोगों के साथ प्रभावपूर्ण ढंग से व्यवहार करने की क्षमता, अच्छा आचरण करने की क्षमता एवं समाज के अन्य लोगों से मिल-जुलकर सामाजिक कार्यों में हाथ बँटाने की क्षमता अधिक होती
है। सामाजिक बुद्धि एक ऐसी बुद्धि है जो व्यक्ति को सामाजिक परिस्थितियों में समायोजित होने में मदद करती है।
(ii) अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence): अमूर्त विषयों के बारे में चिंतन करने की क्षमता को ही अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence) कहा जाता है। ऐसी बुद्धि में व्यक्ति शब्द, प्रतीक तथा अन्य अमूर्त चीजों के सहारे अच्छे से चिंतन कर लेता है। इस प्रकार की क्षमता दार्शनिकों, कलाकारों, कहानीकारों आदि में अधिक होती है।
> टरमैन (Terman) के अनुसार, अमूर्त बुद्धि का महत्व छात्रों में विद्यमान अन्य दूसरे तरह की बुद्धि से अधिक होती है, अमूर्त बुद्धि को कुछ लोगों ने सैद्धान्तिक बुद्धि (Theoretical Intelligence) भी कहा है।
> जिन व्यक्तियों में अमूर्त बुद्धि अधिक होती है वे सफल कलाकार, पेंटर, गणितज्ञ एवं कहानीकार आदि बनते हैं।
(iii) मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence): मूर्त बुद्धि से तात्पर्य वैसी मानसिक क्षमता से होता है जिसके सहारे व्यक्ति मूर्त या ठोस वस्तुओं के महत्व को समझता है, उनके बारे में सोचता है तथा अपनी इच्छा एवं आवश्यकतानुसार उनमें परिवर्तन लाकर उन्हें उपयोगी बनाता है। इसे व्यावहारिक बुद्धि (Practical Intelligence) भी कहा जाता है।
बुद्धिलब्धि
Intelligence Quotient
> बुद्धि मापने के लिए सबसे पहला बुद्धि परीक्षण बिने (Binet) तथा साइमन (Simon) ने 1905 में विकसित किया। इस परीक्षण में बुद्धि को मानसिक आयु (Mental Age) के रूप में मापकर अभिव्यक्त किया गया।
> 1916 ई० में बिने-साइभन परीक्षण का सबसे महत्वपूर्ण संशोधन टरमैन (Terman) ने स्टैंडफोर्ड विश्वविद्यालय में किया। इसी संशोधन में बुद्धिलब्धि (IQ) के संप्रत्यय (Concept) का जन्म हुआ और बुद्धि को मापने में मानसिक आयु की जगह
बुद्धिलब्धि (IQ) का प्रयोग होने लगा।
> बुद्धिलब्धि (IQ) मानसिक आयु (Mental Age) तथा तैथिक आयु (Chronological Age) का एक ऐसा अनुपात है जिसमें 100 से गुणा कर प्राप्त किया जाता है। इसलिए इसे अनुपात बुद्धिलब्धि (Ratio IQ) भी कहा जाता है।
जहाँ MA = मानसिक आय, CA = तैथिक आय
> मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धिलब्धि के भिन्न-भिन्न मानों (Values) के अर्थ को स्पष्ट एवं वस्तुनिष्ठ करने लिए निम्नलिखित मान तथा उनके अर्थ दिये हैं-
> मनोवैज्ञानिक ने 25-30 वर्ष या इससे ऊपर की आयु के व्यक्ति के बुद्धि को मापने के लिए बुद्धि की जगह एक नयी धारणा (Concept)का प्रयोग किया, जिसे विचलन बुद्धिलब्धि (Deviation IQ) की संज्ञा दी गई है।
> विचलन बुद्धिलब्धि ज्ञात करने के लिए पहले मानक प्राप्तांक ज्ञात किया जाता है और फिर इस प्राप्तांक को एक मापनी (Scale) (जिसका माध्य (Mean) 100 तथा मानक विचलन (Standard Deviation)15 होता है) में बदल दिया जाता है।
बुद्धि की माप
Measurement of Intelligence
> बुद्धि की माप बुद्धि परीक्षण (Intelligence Test) द्वारा की जाती है। सबसे पहला बुद्धि परीक्षण बिने (Binet) तथा साइमन (Simon) ने मिलकर 1905 में बनाया था। यह बुद्धि परीक्षण आनेवाले वर्षों में मनोवैज्ञानिकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।
इसमें भी कई मनोवैज्ञानिक द्वारा संशोधन किया गया।
> इस परीक्षण का सबसे महत्वपूर्ण संशोधन टरमैन (Terman) द्वारा 1916 में स्टैंडफोर्ड विश्वविद्यालय (Standford University) में किया गया। इस संशोधन में सबसे पहली बार बुद्धिलब्धि की धारणा का बुद्धि मापने के सूचक (Index) के रूप में प्रयोग किया।
> इसके बाद अनेक मनोवैज्ञानिकों जैसे वेश्लर (Wechsler), अर्थर (Arthur), कैटेल (Cattell), रेवेन (Raven), गुडएनफ (Goodenough) आदि मनोवैज्ञानिकों ने भी बुद्धि परीक्षण बनाकर बुद्धि मापन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत में
भी कई मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया है। इनमें डॉ. एस. जलोटा, डॉ. मोहनचंद्र जोशी, डॉ. एस. एस. मुहसिन आदि प्रमुख हैं। इनमें महत्वपूर्ण बुद्धि परीक्षण निम्नलिखित हैं-
1.बिने-साइमन परीक्षण (Binet-Simon Test): इस परीक्षण का निर्माण बिने तथा साइमन ने फ्रेंच भाषा में 1905 में किया। यह एक प्रकार का वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Test) है।
2. वेशलर बुद्धि परीक्षण (Wechsler Intelligence Test) : वेश्लर ने बुद्धि मापने के दो नियम दिये। वयस्कों की बुद्धि मापने के लिए 1939 में एक मापक तैयार किया, जिसका नाम वेश्लर-वेलेब्यू मापनी रखा गया। इस परीक्षण में दो फार्म थे, दोनों में 10-10 उपपरीक्षण (Subtest)थे। 10 में 5 शाब्दिक मापनी (Verbal Scale) थे, और 5 क्रियात्मक मापनी (Performance Scale) थे। इस परीक्षण का 1955 में संशोधन किया गया और इसका नाम वेश्लर वयस्क बुद्धि मापनी (WAIS) रखा गया। 1981 में इसमें फिर संशोधन कर इसका नाम WAIS-R रखा गया। इस परीक्षण में बुद्धि की माप तीन
तरह की बुद्धिलब्धि (IQ) द्वारा होती है-
* शाब्दिक मापनी का बुद्धिलब्धि (IQ)
* क्रियात्मक मापनी का बुद्धिलब्धि (IQ)
* सम्पूर्ण मापनी का बुद्धिलब्धि (IQ)
इसके अंतर्गत 16-64 वर्ष के व्यक्तियों की बुद्धि का मापन किया जाता है।
→ वेश्लर ने बच्चों की बुद्धि मापने के लिए दूसरा परीक्षण 1949 में किया, जिसे ‘वेश्लर’ बुद्धि मापनी बच्चों के लिए (WISC) कहा गया। इस मापनी द्वारा 6-16 वर्ष तक के बच्चों की बुद्धि की माप की जाती है। इस परीक्षण का संशोधन 1974 में किया गया, इसे WISC-Rकहा गया।
3. कैटेल संस्कृतिमुक्त बुद्धि परीक्षण (Cattell Culture Free Intelligence Test): इस परीक्षण का निर्माण कैटेल (Cattel) ने किया है, जिसमें तीन मापक है-
मापक- i-4-8 वर्ष के बच्चे तथा मानसिक दोष वाले वयस्क।
मापक-ii-8-13 वर्ष की आयुवाले बच्चे और औसत वयस्क के लिए।
मापक-iii– हाई स्कूल के छात्रों, कॉलेज के छात्रों तथा 14 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों पर।
4. रैवेन्स प्रोग्रेसिव मैट्रिसेज (Raven’s Progressive Matrices): इस परीक्षण का निर्माण रैवेन (Raven) ने 1938 में किया था। इस परीक्षण के दो फार्म हैं—एक बच्चों के लिए तथा दूसरा वयस्कों के लिए। बच्चों के लिए प्रयोग होनेवाले फार्म को रंगीन प्रोग्रेसिव पहिसेज (Colound Progmssive Matrices) कहा जाता है तथा वयस्कों के लिए प्रयोग होनेवाले मैदिसेज को स्टैण्डर्ड प्रोग्रेसिव मैट्रिसेज (Standard Progressive Matrions) कहा जाता है।
5. कुछ प्रमुख भारतीय बुद्धि परीक्षण (Some Important Indian Intelligence Tests) बुद्धि मापने का प्रयास भारतीय मनोवैज्ञानिकों द्वारा भी काफी अधिक किया गया है। इनमें प्रमुख हैं-डॉ. एम. सी. जोशी द्वारा मानसिक योग्यता परीक्षण 1960, डॉ. प्रयाग मेहता द्वारा सामूहिक बुद्धि परीक्षण (1962), डॉ. आर. के. टंडन द्वारा सामूहिक मानसिक योग्यता परीक्षण (1971), प्रो. आर. के. ओझा तथा प्रो. राय चौधरी द्वारा वाचिक बुद्धि परीक्षण (1971), डॉ. एस. एस. जलोटा द्वारा मानसिक योग्यता की संशोधित सामूहिक परीक्षा (1972) तथा डॉ. एस. एस. मुहसिन द्वारा सामान्य बुद्धि परीक्षण ।
बुद्धि परीक्षण के प्रकार
Type of Intelligence Test
मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि की माप के परीक्षण को दो कसौटी के आधार पर वर्गीकृत किया है-
1. क्रियान्वयन (Administration) के तरीकों (Mode)के आधार पर : क्रियान्वयन के तरीकों के आधार पर बुद्धि परीक्षण दो प्रकार का होता है। एक तो वे परीक्षण हैं जिनका क्रियान्वयन एक समय में एक ही व्यक्ति पर किया जा सकता है। इस प्रकार के बुद्धि परीक्षण को मनोवैज्ञानिकों ने वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण की संज्ञा दी है। सबसे पहला वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण बिने (Binet) तथा साइमन (Simon) द्वारा 1905 में विकसित किया गया है। इसे बिने साइमन परीक्षण कहा जाता है।
> कोह ब्लॉक डिजाइन परीक्षण (Koh Block Design Test), पास अलाँग परीक्षण (Pass Along Test) तथा घन रचना परीक्षण (Cube Construction Test) भी वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के उदाहरण हैं।
> क्रियान्वयन के आधार पर दूसरे प्रकार के बुद्धि परीक्षण वे हैं जिनको एक समय में एक से अधिक व्यक्ति, अर्थात जिनको व्यक्तियों के समूह में किया जा सकता है। इस प्रकार के परीक्षण को सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group Intelligence Test)
की संज्ञा दी गई है। आर्मी अल्फा परीक्षण (Army Alpha Test) तथा आर्मी बीटा परीक्षण (Army Beta Test) इत्यादि सामूहिक बुद्धि परीक्षण के अंतर्गत आते हैं।
2. एकांशों (Items) के स्वरूप के आधार पर : बुद्धि परीक्षणों को एकांश के स्वरूप के आधार पर निम्नांकित चार भागों में बाँटा गया है-
(a) शाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Verbal Intelligence Test) ऐसे बुद्धि परीक्षण जिनमें लिखित शब्दों (Words) अर्थात् लिखित भाषा का प्रयोग निर्देश देने तथा परीक्षण के एकांशों या प्रश्नों में किया जाता है, शाब्दिक बुद्धि परीक्षण कहलाता है। शाब्दिक बुद्धि परीक्षण को निम्नांकित दो भागों में बाँटा गया है-
* शाब्दिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण (Verbal Individual Intelligence Test)
* शाब्दिक समूह बुद्धि परीक्षण (Verbal Group Intelligence Test)
(b) अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Non-Verbal Intelligence Test) : ऐसे बुद्धि परीक्षण जिसमें भाषा (Language) अर्थात शब्दों, वाक्यों तथा संख्या का प्रयोग निर्देश (Instruction) में निश्चित रूप से होता है, परन्तु उनके एकांशों (Items) में प्रयोग नहीं होता है। इसलिए इसका प्रयोग छोटे बच्चों, कम पढ़े-लिखे व्यक्तियों तथा मानसिक रूप से मंदित बच्चों के लिए
आसानी से किया जा सकता है।
(c) क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण (Performance Intelligence Test): फ्रीमैन (Freeman) के अनुसार, क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण वैसे बुद्धि परीक्षण को कहा जाता है, जिनमें भाषा का प्रयोग निर्देश (Instruction) में भी हो सकता है या चित्राभिनय (Pantomine) तथा हाव-भाव (Gesture) द्वारा निर्देश देने पर भाषा का प्रयोग नहीं भी हो सकता है। क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण की निम्नांकित तीन विशेषताएँ हैं-
★  इस परीक्षण के निर्देश में भाषा या संख्या का प्रयोग कभी होता है और कभी नहीं भी होता है।
★ इस परीक्षण के एकांश (Items) में भाषा का प्रयोग बिल्कुल ही नहीं होता।
★  इस परीक्षण में व्यक्ति के सामने वस्तुओं को वास्तविक रूप में उपस्थित किया जाता है और उसमें जोड़-तोड़ करना पड़ता है।
(d) अभाषायी बुद्धि परीक्षण (Non-Language Intelligence Test) : अभाषायी बुद्धि परीक्षण वैसे परीक्षण को कहा जाता है जिसमें भाषा का प्रयोग एकांश (Items) और निर्देश में नहीं होता है। प्रायः इस तरह के परीक्षण में निर्देश हाव-भाव (Gesture), निर्देशन (Demonstration)तथा चित्राभिनय (Pantomine)द्वारा दिया जाता है। अभाषायी बुद्धि परीक्षण के निम्नांकित गुण है—
★ ऐसे परीक्षणों में निर्देश (Instruction) हाव-भाव (Gesture), चित्राभिनय (Pantomine) तथा निर्देशन (Demonstration) द्वारा दिया जाता है, न कि किसी प्रकार की भाषा द्वारा ।
★ इन परीक्षणों के एकांश में भाषा का प्रयोग बिल्कुल ही नहीं होता।
★ इन परीक्षणों के परीक्षार्थियों (Testees) को कुछ वस्तुएँ (Objects) जैसा कि क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण में दिया जाता है, नहीं दिया जाता है।
बुद्धि के सिद्धान्त
Theories of Intelligence
1. एक-कारक सिद्धान्त (Uni-factor Theory) : इस सिद्धान्त का प्रतिपादन बिने (Binet) ने किया और इस सिद्धान्त का समर्थन तथा इसको आगे बढ़ाने का श्रेय टरमैन और स्टर्न जैसे मनोवैज्ञानिकों को है।
> इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि को एक शक्ति या कारक के रूप में माना गया है। इन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बुद्धि, वह मानसिक शक्ति है जो व्यक्ति के समस्त मानसिक कार्यों का संचालन करती है और व्यक्ति के समस्त व्यवहारों को प्रभावित
करती है। वर्तमान में इस सिद्धान्त को कोई नहीं मानता है।
2.द्वि- कारक सिद्धान्त (Tivo lactor Theory) : इस सिद्धान्त के प्रतिपादक स्पीयरमैन (Sparman) हैं। इनके अनुसार बुद्धि में दो प्रकार की मानसिक योग्यताओं की आवश्यकता होती है। प्रथम, सामान्य मानसिक योग्यता (General Mental Ability-G),
द्वितीय, विशिष्ट मानसिक योग्यता (Specific Mental Ability-S)|
> सामान्य योग्यता सभी प्रकार के मानसिक कार्यों में पायी जाती है, जबकि विशिष्ट मानसिक योग्यता केवल विशिष्ट कार्यों से ही सम्बन्धित होती है। प्रत्येक व्यक्ति में सामान्य योग्यता के अतिरिक्त कुछ-न-कुछ विशिष्ट योग्यताएँ पायी जाती हैं।
एक व्यक्ति में एक विशिष्ट योग्यता भी हो सकती है और एक से अधिक विशिष्ट योग्यताएँ भी हो सकती हैं।
> दिये हुये चित्र में ओवरलैप करने वाला सम्पूर्ण क्षेत्र G कारक का प्रतिनिधित्व कर रहा है। शेष दोनों परीक्षणों का स्वतन्त्र क्षेत्र S1 और S2 द्वारा प्रदर्शित किया गया है। उपर्युक्त चित्र से यह स्पष्ट है कि विशिष्ट योग्यताएँ एक-दूसरे से स्वतंत्र होती हैं तथा सामान्य योग्यता की आवश्यकता भी इन विशिष्ट योग्यताओं में पड़ती है।
3. प्रतिदर्श (नमूना) सिद्धान्त (Sampling Theory) : इस सिद्धान्त का प्रतिपादन थॉम्प्सन (Thompson) ने किया। थॉम्पसन ने अपने प्रतिदर्श सिद्धान्त का प्रतिपादन स्पीयरमैन के द्वि-कारक सिद्धान्त के विरोध में किया।
> थॉम्प्सन के अनुसार, व्यक्ति का बौद्धिक व्यवहार अनेक स्वतंत्र योग्यताओं पर निर्भर करता है। परन्तु, इन स्वतंत्र योग्यताओं का क्षेत्र सीमित होता है। यदि कोई एक बुद्धि-परीक्षण भरवाया जाये तो बौद्धिक तत्वों का एक विशिष्ट प्रतिदर्श ही सामने आता है। इसी प्रकार से यदि दूसरा परीक्षण भरवाया जाये तो बौद्धिक तत्वों का एक भिन्न प्रतिदर्श उस परीक्षण के सामने आयेगा।
> विभिन्न संज्ञानात्मक अथवा बौद्धिक परीक्षणों में जो धनात्मक सह-संबंध पाये जाते हैं वह विभिन्न प्रतिदर्शों के अथवा योग्यताओं के नमूने की ओवरलैपिंग से स्पष्ट होते हैं।
> चित्र में छोटे वृत्त विशिष्ट कारकों अथवा मानसिक योग्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि बड़े दोनों वृत्त दो परीक्षणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। परीक्षण A से आठ विशिष्ट कारकों के प्रतिदर्श प्रदर्शित किये गये हैं, जबकि B से ग्यारह विशिष्ट कारकों के प्रतिदर्शों का प्रदर्शन किया गया है। क्योंकि दोनों परीक्षणों में छह विशिष्ट कारक सामान्य हैं अतः इनमें धनात्मक सह-संबंध है।
4. समूह-कारक सिद्धान्त (Group Factor Theory) : इस सिद्धान्त के प्रतिपादक थर्स्टन (Thurston) है। थर्स्टन का सिद्धान्त बुद्धि का एक महत्वपूर्ण और मात्रात्मक सिद्धान्त है। थर्स्टन ने अपने कारक विश्लेषण (Factor Analysis) के आधार पर निम्न
7 मौलिक मानसिक योग्यताओं का पता लगाया है-
(a) वाचिक भाषिक योग्यता (Verbal Ability) यह वह योग्यता है जिसकी सहायता से व्यक्ति शाब्दिक विचारों को समझता और उनका उपयोग करता है।
(b) संख्यात्मक योग्यता (Number Ability) : यह वह योग्यता है जिसके द्वारा व्यक्ति साधारण गणितीय प्रकार्यों जैसे-जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग आदि को करता है।
(c) वस्तु प्रेक्षण योग्यता (Spatial Ability) : इस योग्यता के द्वारा व्यक्ति वस्तु प्रेक्षण करता है तथा वस्तु प्रेक्षण सम्बन्धों को समझता है, जैसे-ज्यामितीय समस्याओं में।
(d) प्रत्यक्षपरक योग्यता (Perceptual Ability) : इस योग्यता के द्वारा व्यक्ति वस्तुओं को शीघ्र पहचानता है तथा उनका शुद्ध प्रत्यक्षीकरण करता है। जैसे—पढ़ने के शब्दों को पहचानना।
(e) स्मृति योग्यता (Memory Ability) : इस योग्यता के द्वारा व्यक्ति अधिगम करता है तथा प्राप्त सूचना का धारण करता है।
(f) तार्किक योग्यता (Reasoning Ability) : इस योग्यता के द्वारा व्यक्ति अमूर्त संबंधों का प्रत्यक्षीकरण करता है तथा उनका उपयोग करता है।
(g) शाब्दिक योग्यता (Word Ability) : इस योग्यता के द्वारा शब्दों के संबंध में व्यक्ति चिन्तन करता है। थर्स्टन के बाद के अध्ययनों के आधार पर तर्कशक्ति में दो योग्यताएँ मानी गयी हैं—आगमन योग्यता (Inductive Ability) और निगमन योग्यता
(Deductive Ability)|
5. गिलफोर्ड का सिद्धान्त (Guilford’s Theory) : गिलफोर्ड (Guilford) ने बौद्धिक योग्यताओं के 5 मुख्य समूह बतलाये हैं-
(a) संज्ञान (Cognition) : इस बौद्धिक योग्यता में खोज, पुनोज जैसी योग्यताएँ सम्मिलित हैं।
(b)अभिसारी चिंतन (Convergent Thinking) यह वह बौद्धिक योग्यताएँ हैं जिसके द्वारा एक व्यक्ति प्राप्त सूचना का उपयोग इस प्रकार करता है कि उपयुक्त उत्तर दे सके।
(c) अपसारी चिंतन (Divergent Thinking) इस बौद्धिक योग्यता के द्वारा व्यक्ति विभिन्न दिशाओं में चिन्तन करता है या खोज करता है।
(d) स्मृति (Memory) : इस बौद्धिक योग्यता के द्वारा व्यक्ति संज्ञान (Cognition) के द्वारा जो कुछ ग्रहण करता है, उसका धारण करता है।
(e) मूल्यांकन (Evaluation): इस योग्यता के द्वारा व्यक्ति, शुद्धता और उपयुक्तता आदि के संबंध में निर्णय लेता है।
6. पदानुक्रमिक सिद्धान्त (Hierarchical Theory) : इस सिद्धान्त के प्रतिपादक स्पीयरमैन के विचारों के समर्थक रहे हैं। इनमें वरनन (Vernon) का नाम प्रमुख है। इस सिद्धान्त में क्रमबद्धता के आधार पर सामान्य मानसिक योग्यता के दो मुख्य वर्ग बताये गये हैं प्रथम वर्ग में बुद्धि के प्रायोगिक, शारीरिक कारक हैं तथा द्वितीय वर्ग में मौखिक, सांख्यिकी, शैक्षिक इत्यादि कारक हैं। इन कारकों के आगे क्रम में विशिष्ट मानसिक योग्यताओं से सम्बन्धित कारक हैं। इन कारकों का सम्बन्ध विभिन्न ज्ञानात्मक क्रियाओं से है। यह सिद्धान्त भी कारक विश्लेषण (Factor Analysis) पर आधारित है।
7. कैरोल का त्रि-स्तरीय मॉडल (Carroll’s Three Stratum Model) : जॉन बी. कैरोल (John B Carroll) ने बुद्धि का  त्रिस्तरीय मॉडल विकसित किया। इस मॉडल के अनुसार मानसिक कौशल के तीन स्तर बतलाए गये हैं—सामान्य (General),
विस्तृत (Broad), कौशल (Mental Skills)। यह एक समाकलानात्मक मॉडल है, जिसमें स्पीयरमैन (Spearman), थर्स्टन (Thurstone) तथा कैटेल-हॉर्न के सिद्धातों के तत्वों को समन्वित किया गया है।
8. गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांत (Gardner’s Theory of Multiple Intelligence): गार्डनर ने इस सिद्धांत में यह स्पष्ट किया कि बुद्धि का स्वरूप एकाकी (Singular) न होकर बहुकारकीय होता है। उनके इस सिद्धांत का आधार उनके द्वारा न्यूरोमनोविज्ञान (Neuropsychology) तथा मनोमितिक विधियों (Psychometric Method) के क्षेत्र में किये गये शोध हैं।
गार्डनर ने मुख्य रूप से सात प्रकार की बुद्धि का वर्णन किया। 1998 में उन्होंने इसमें 8वाँ प्रकार तथा 2000 में उन्होंने नौवाँ प्रकार जोड़ा। इस प्रकार वर्तमान में गार्डनर के अनुसार बुद्धि के 9 प्रकार हैं-
* भाषाई बुद्धि (Linguistic Intelligence)
* तार्किक गणितीय बुद्धि (Logical Mathematical Intelligence)
* स्थानिक बुद्धि (Spatial Intelligence)
* शारीरिक-गतिक बुद्धि (Body-Kinesthetic Intelligence)
* सांगीतिक बुद्धि (Musical Intelligence)
* व्यक्तिगत-आत्मन् बुद्धि (Personal-Self Intelligence)
* व्यक्तिगत-अन्य बुद्धि (Personal-others Intelligence)
* प्रकृतिवादी बुद्धि (Naturalistic Intelligence)
* अस्तित्ववादी बुद्धि (Existentialistic Intelligence)
स्टर्नबर्ग का सिद्धांत (Sternberg’s Theory): स्टर्नबर्ग के अनुसार बुद्धि भिन्न-भिन्न प्रकार के मूल कौशल (Basic Skills) या घटक में बँटी होती है। प्रत्येक घटक के आधार पर व्यक्ति को कुछ विशेष सूचनाएँ मिलती हैं, जिनको वह संसाधित करता है उनकी विवेचना करता है और समस्या का समाधान करता है। स्टर्नबर्ग ने बुद्धि के त्रितंत्र का प्रतिपादन किया है। जो इस प्रकार है-
(a) विश्लेषणात्मक बुद्धि (Analytical Intelligence) : विश्लेषणात्मक बुद्धि से तात्पर्य किसी समस्या समाधान में समस्या को उसके विभिन्न अंशों या भागों में बाँटकर समाधान करने की क्षमता से होता है। इस ढंग की क्षमता का मापन बुद्धि परीक्षणों तथा शैक्षिक उपलब्धि परीक्षणों द्वारा होता है। इसे घटकीय बुद्धि भी कहा जाता है । स्टर्नवर्ग के अनुसार विश्लेषणात्मक बुद्धि में सूचना संसाधन क्षमता के कई इकाई जैसे किसी सूचना को संचित करने की क्षमता, उसका प्रत्याहान करने की क्षमता, सूचनाओं को अंतरित करने की क्षमता, समस्याओं के बारे में निर्णय लेने की क्षमता, अमूर्त चिंतन करने की क्षमता तथा चिंतन को निष्पादन में बदलने की क्षमता सम्मिलित होती है।
(b) सर्जनात्मक बुद्धि (Creative Intelligence): सर्जनात्मक बुद्धि को अनुभवजन्य बुद्धि भी कहा जाता है। सर्जनात्मक बुद्धि में वैसे मानसिक कौशल सम्मिलित होते हैं, जिनकी आवश्यकता नयी समस्याओं के समाधान में पड़ती है तथा व्यक्ति इसमें किसी समस्या के नये समाधान पर पहुँचने की कोशिश करता है। इस तरह की बुद्धि में बदलते पर्यावरण या संदर्भ के समय अनुकूलन करने की क्षमता सम्मिलित होती है।
(c) व्यावहारिक बुद्धि (Practical Intelligence) : इस प्रकार की बुद्धि को संदर्भात्मक बुद्धि भी कहा जाता है। इस तरह की बुद्धि में वैसी क्षमता सम्मिलित होती है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी जिंदगी में सूचनाओं को इस ढंग से उपयोग करने
में सफल हो पाता है जिससे उसे अधिकाधिक लाभ हो पाता है। इस प्रकार की बुद्धि में व्यक्ति में अपने वातावरण को एक खास ढंग से मोड़ने की क्षमता तथा परिवर्तित परिस्थिति के साथ अपने आप को ठीक ढंग से समायोजित करने की क्षमता इत्यादि सम्मिलित होती है।
बहुआयामी बुद्धि
Multidimensional Intelligence
>  थर्स्टन एवं कैली नामक वैज्ञानिकों ने बताया कि बुद्धि का निर्माण प्राथमिक मानसिक योग्यताओं के द्वारा होता है।
> कैली के अनुसार, बुद्धि का निर्माण इन योग्यताओं से होता है—वाचिक योग्यता, गामक योग्यता, सांख्यिकी योग्यता, यान्त्रिक योग्यता, सामाजिक योग्यता, संगीतात्मक योग्यता, स्थानिक सम्बन्धों के साथ उचित ढंग से व्यवहार करने की योग्यता, रुचि
और शारीरिक योग्यता ।
>  थर्स्टन का मत है कि बुद्धि इन प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का समूह होता है—प्रत्यक्षीकरण संबंधी योग्यता, तार्किक व वाचिक योग्यता, सांख्यिकी योग्यता, स्थानिक या दृश्य योग्यता, समस्या समाधान की योग्यता, स्मृति संबंधी योग्यता, आगमनात्मक योग्यता और निगमनात्मक योग्यता।
परीक्षोपयोगी तथ्य
>  बुद्धि एक सामान्य मानसिक क्षमता (General Mental Ability) है। इसे कई तरह की क्षमताओं का एक संपूर्ण योग माना गया है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रियाएँ करता है, विवेकशील चिंतन करता है तथा वातावरण के साथ प्रभावकारी
ढंग से समायोजन करता है।
> थार्नडाइक ने बुद्धि के तीन प्रकार बतलाये हैं सामाजिक बुद्धि, मूर्त बुद्धि, अमूर्त बुद्धि ।
>  मनोवैज्ञानिकों ने युखि की अभिव्यक्ति बुद्धिलब्धि या IQ के रूप में की है।
>  मानसिक आयु (Mental Age) को तैथिक आयु (Chronological Age) से विभाजित करके उसमें 100 से गुणा करने के बाद जो मान (Value) प्राप्त होता है, उसे बुद्धिलब्धि कहा जाता है।
>  बुद्धि की माप भिन्न भिन्न तरह के परीक्षणों द्वारा की जाती है। इन परीक्षणों में बिने साइमन परीक्षण (Binet-Simon Test), वेशलर बुद्धि परीक्षण (Wechsler Intelligence Test), कैटेल संस्कृति मुक्त बुद्धि परीक्षण, रैवेन प्रोग्रेसिव मैट्रिसेज
हैं।
> मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि परीक्षणों को कई भागों में बाँटा है जिनमें प्रमुख —
* शाब्दिक बुद्धि परीक्षण
* अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण
* क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण
* अभाषाई बुद्धि परीक्षण
> मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि के स्वरूप की व्याख्या करने के लिए दो तरह के प्रमुख सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है कारक सिद्धांत तथा प्रक्रिया-प्रधान सिद्धांत ।
>  कारक सिद्धांत में स्पीयरमैन का सिद्धांत, थर्स्टन का सिद्धांत, थार्नडाइक एवं गिलफोर्ड
का सिद्धांत तथा पदानुक्रमिक सिद्धांत को रखा गया है।
> प्रक्रिया-प्रधान सिद्धांत में पियाजे का सिद्धांत, स्टर्नबर्ग का सिद्धांत, जेन्सन का सिद्धांत प्रमुख है।
> बहुकारक सिद्धांत में थार्नडाइक एवं गिलफोर्ड के सिद्धांत को रखा गया है।
> पियाजे के अनुसार, “बुद्धि एक ऐसी अनुकूली प्रक्रिया है जिसमें जैविक परिपक्वता का पारस्परिक प्रभाव तथा वातावरण के साथ की गई अंतःक्रिया, दोनों ही सम्मिलित होते हैं।”
> पियाजे का मत था कि बौद्धिक विकास संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है जैसे प्रकृति के नियम को समझना, व्याकरण के नियम को समझना तथा गणितीय नियमों को समझना इत्यादि। बुद्धि के तरल क्रिस्टलीय प्रतिमान में तरल बुद्धि से तात्पर्य ऐसी समस्याओं के समाधान करने की क्षमता से है, जिनके बारे में पहले से कोई ज्ञान न हो। जबकि क्रिस्टलीय बुद्धि कौशल, ज्ञान और अनुभव का उपयोग करने की क्षमता है। बुद्धि के तरल क्रिस्टलीय प्रतिमान का प्रतिपादन रेमंड कैटेल ने किया।
>  डैनियल गोलमैन का संबंध संवेगात्मक बुद्धि से है। संवेगात्मक बुद्धि व्यक्तियों की अपनी और दूसरों की भावनाओं को पहचान करने की क्षमता है। इसके द्वारा कोई व्यक्ति भावनात्मक जानकारी का उपयोग सोच और व्यवहार के मार्गदर्शन के लिए करता है, तथा वातावरण के अनुकूल होने के लिए भावनाओं को समायोजित करता है। वर्तमान समय में संवेगात्मक बुद्धि किसी व्यक्ति के ज्ञान, कौशल एवं योग्यता की महत्वपूर्ण सूचक बन गई है।
> स्टैनफोर्ड-बिने परीक्षण बुद्धि का मापन करता है। यह संज्ञानात्मक क्षमता के पाँच कारकों-तरल तर्कशक्ति (Fluid Reasoning), ज्ञान (Knowledge), मात्रात्मक तर्कशक्ति (Quantitative Reasoning), दृश्य-स्थानिक प्रसंस्करण (Visual Spatial Processing) तथा कार्य-स्मृति (Working Memory) का मापन करता है।
> वर्ष 1953 में प्रोफेसर चंद्रमोहन भाटिया द्वारा भाटिया बैटरी परीक्षण का प्रयोग व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण में किया गया था। इस बुद्धि परीक्षण के पाँच बौद्धिक उप-परीक्षण क्रमशः कोहजब्लॉक टेस्ट, पास एलांग टेस्ट, आकृति निर्माण टेस्ट, तात्कालिक स्मृति टेस्ट एवं तस्वीर निर्माण टेस्ट हैं, तथा यह ‘भाटिया बैटरी ऑफ परफॉर्मेंस टेस्ट ऑफ इंटेलीजेंस’ भी कहलाता है।

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