MP 10TH Science

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

महत्वपूर्ण तथ्य

जनन के समय जीवों में विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। लैंगिक जनन में इनकी सम्भावनाएँ अधिक होती हैं।
ये विभिन्नताएँ वंशानुगत हो सकती हैं।
इन विभिन्नताओं के कारण ही जीव की उत्तरजीविता में वृद्धि होती है तथा ये विभिन्नताएँ ही आनुवंशिकी का मूल आधार है।
लैंगिक जनन वाले जीवों में एक अभिलक्षण (trait) के जीव के दो प्रतिरूप (copies) होते हैं। इन प्रतिरूपों के एकसमान न होने की स्थिति में जो अभिलक्षण व्यक्त होता है उसे प्रभावी लक्षण तथा अन्य को अप्रभावी लक्षण कहते हैं।
विभिन्न लक्षण किसी जीव में स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं। संतति में नए संयोग उत्पन्न होते हैं।
जीवों में पीढ़ी दर पीढ़ी विभिन्न लक्षणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है।
जो लक्षण पीढ़ी दर पीढ़ी संचरित होते हैं, आनुवंशिक लक्षण या वंशागत लक्षण कहलाते हैं।
लक्षणों की वंशागति के नियम मेण्डल ने अपने प्रयोगों के आधार पर प्रस्तुत किए।
“जब विपरीत लक्षणों के जोड़े को ध्यान में रखकर संकरण (क्रॉस) कराया जाता है, तो पहली पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लक्षण) दिखाई देते हैं।” मेण्डल का प्रभाविता का नियम ।
“युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में ही जोड़ा जाता है। जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण कहलाती है।” मेण्डल का पृथक्करण का नियम
“जीवों के लक्षण एक-दूसरे को प्रभावित किए बिना स्वतन्त्र रूप से युग्मकों या सन्तान में जाते हैं अत: लक्षणों का पृथक्करण स्वतन्त्र रूप से है, अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे लक्षण को प्रभावित नहीं करती है। इस प्रकृति को स्वतन्त्र अपव्यूहन कहते हैं । ” मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम ।
“मनुष्य में जो गुणसूत्र सन्तान के लिंग का निर्धारण करता है। वह लिंग गुणसूत्र कहलाता है।” यह नर एवं मादा में 23वाँ जोड़ा होता है।
नर लिंग गुणसूत्र में XY तथा मादा में XX जोड़ा होता है। जब शुक्राणु का X गुणसूत्र अण्डाणु के X गुणसूत्र से संयुक्त होता है तो सन्तान ‘XX’ युग्म वाली अर्थात् पुत्री होगी और यदि शुक्राणु का Y गुणसूत्र अण्डाणु के X गुणसूत्र से संयुक्त होता है तो सन्तान XY युग्मवाली अर्थात् लड़का होगा।
“प्राणियों के शरीर के ऐसे अंग जो उत्पत्ति एवं संरचना में समान होते हैं लेकिन कार्यों में भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं।
प्राणियों के शरीर के ऐसे अंग जो उत्पत्ति एवं संरचना में भिन्न-भिन्न होते हैं लेकिन कार्य में समान होते हैं, समवृत्ति अंग कहलाते हैं ।
“प्राणियों के शरीर में पाये जाने वाले ऐसे अंग जो कि कार्य के लिए अनावश्यक होते हैं तथा पूर्ण विभाजित नहीं होते लेकिन किन्हीं अन्य सम्बन्धित प्राणियों में पूर्ण विकसित होते हैं, अवशेषी अंग कहलाते हैं।”
“ऐसे प्राणी जिनमें कुछ कम विकसित लक्षणों के साथ-साथ विकसित लक्षण भी पाये जाते हैं अर्थात् उनमें प्राचीन पूर्वज और आधुनिक रूप से निर्मित प्राणी वर्गों के लक्षण पाये जाते हैं, संयोजन कड़ियाँ कहलाते हैं।”
“प्राचीनकालीन अनेक प्रकार के पौधे एवं प्राणियों के मृत अवशेष जो चट्टानों में परिरक्षित रहते हैं, जीवाश्म कहलाते हैं।”
“बाह्य आकृति अथवा व्यवहार का विवरण अभिलक्षण कहलाता है।”
“जनन के समय डी. एन. ए. में होने वाले परिवर्तन विकास की आधारभूत घटना है।”
जैव विकास का अर्थ प्रगति नहीं है।
स्पीशीज में विभिन्नताएँ उसे उत्तरजीविता के योग्य बना सकती हैं अथवा केवल आनुवंशि विचलन में योगदान देती हैं।
कायिक ऊतकों में पर्यावरणीय कारकों द्वारा उत्पन्न परिवर्तन वंशानुगत नहीं होते।

MP Board Class 10th Science Chapter 9

          पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 157

प्रश्न 1.
यदि एक ‘लक्षण – A’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण – B’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?
उत्तर:
लक्षण – B’।

प्रश्न 2.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?
उत्तर:
प्रतिकूल परिस्थितियों में कोई भी स्पीशीज का अस्तित्व समाप्त हो सकता है लेकिन यदि उस स्पीशीज में विभिन्नताएँ होंगी तो कुछ विभिन्नताएँ तो उन परिस्थितियों के अनुकूल होंगी। इससे उस स्पीशीज के अस्तित्व की सम्भावनाएँ बढ़ जायेंगी।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 161

प्रश्न 1.
मेण्डल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में दो भिन्न गुणों वाले मटर के पौधों में संकरण कराया। जैसे-लम्बे पौधे और बौने पौधे। प्रेक्षण करने पर पता चला कि प्रथम पीढ़ी में केवल लम्बे पौधे प्राप्त हुए लेकिन दूसरी पीढ़ी में सभी पौधे लम्बे नहीं थे, कुछ पौधे बौने भी थे। यहाँ पौधों का लम्बा होना प्रभावी लक्षण तथा बौना होना अप्रभावी लक्षण है। इस प्रकार मेण्डल के प्रयोगों द्वारा पता चलता है कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं।

प्रश्न 2.
मेण्डल के प्रयोग से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल के द्विसंकर संकरण के प्रयोग में F2 पीढ़ी के अन्तर्गत चार प्रकार की सन्ताने उत्पन्न होती हैं जिनमें दो जनकों के समान तथा दो जनकों के असमान होती हैं। इससे पता चलता है कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं।

प्रश्न 3.
एक ‘A-रुधिर वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है। उसकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है। यदि यह कहा जाय कि कौन-सा विकल्प लक्षण-रुधिर वर्ग-‘A’ अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण हैं? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर:
यह सूचना पर्याप्त नहीं है जिससे यह ज्ञात किया जा सके कि कौन-सा लक्षण-रक्त-समूह ‘A’ अथवा ‘रक्त समूह ‘O’ प्रभावी है क्योंकि हमें सभी सन्तानों के रक्त समूह ज्ञात नहीं हैं।

प्रश्न 4.
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर:
मनुष्य में लिंग निर्धारण प्रक्रिया:
उच्च श्रेणी के जन्तुओं में नर एवं मादा जननांग विकसित होते हैं और इनमें ही नर एवं मादा युग्मकों का निर्माण क्रमशः शुक्रजनन एवं अण्डजनन द्वारा होता है। मनुष्य की एक कोशिका में 23 जोड़े गुणसूत्र पाये जाते हैं। 22 जोड़ी गुणसूत्र तो नर एवं मादा में समान होते हैं लेकिन 23वाँ जोड़ा नर एवं मादा में अलग-अलग होता है जिसे लिंग गुणसूत्र कहते हैं। नर में यह ‘XY’ से तथा मादा में यह ‘XX’ से प्रदर्शित होता है।

शुक्रजनन में दो प्रकार के बराबर:
बराबर X गुणसूत्र वाले एवं Y गुणसूत्र वाले शुक्राणु बनते हैं जबकि अण्डाणु समान गुणसूत्र वाले होते हैं। निषेचन की क्रिया के फलस्वरूप जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु X गुणसूत्र वाले अण्डाणु से संयुग्मित होकर XX गुणसूत्र वाला युग्मनज बनाता है, तो सन्तान पुत्री होगी और जब Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु X गुणसूत्र वाले अण्डाणु से संयुग्मित होकर XY गुणसूत्र वाला युग्मनज बनाता है, तो सन्तान पुत्र होगा। इस प्रकार पुरुष का गुणसूत्र ‘XY’ लिंग निर्धारण के लिए उत्तरदायी है।


निषेचन की क्रिया के फलस्वरूप जब X-गुणसूत्र वाला शुक्राणु X-गुणसूत्र वाले अण्डाणु से संयुग्मित होकर ‘XX’ गुणसूत्र वाला युग्मनज बनाता है, तो बच्चा लड़की (पुत्री) होती है और जब Y-गुणसूत्र वाला शुक्राणु X-गुणसूत्र वाले अण्डाणु में से युग्मित होकर ‘XY’ गुणसूत्र वाला युग्मनज बनाता है तो बच्चा लड़का (पुत्र) होगा।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 165

प्रश्न 1.
वे कौन से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है?
उत्तर:
एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि की वृद्धि में सहायक उपाय –

  1. प्राकृतिक वरण एवं सर्वश्रेष्ठ का जीवित रहना।
  2. आनुवंशिक लक्षण जो उस समष्टि में स्थानान्तरित होते हैं तथा उस समष्टि में सामान्य हो जाते हैं।
  3. जब लक्षण एक जीव में जीवन-पर्यन्त अर्जित होते रहते हैं।

प्रश्न 2.
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यत: अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते, क्यों?
उत्तर:
एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण जनन कोशिकाओं में उपस्थित डी. एन. ए. को प्रभावित नहीं करते, इसलिए वे वंशानुगत नहीं होते।

प्रश्न 3.
बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिन्ता का विषय क्यों है?
उत्तर:
आनुवंशिकी के दृष्टिकोण से बाघों की कमी होना उसकी समष्टि के विलुप्त होने का संकेत है, इसलिए चिन्ता का विषय है।

प्रश्न शृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 166

प्रश्न 1.
वे कौन से कारक हैं, जो नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक हैं?
उत्तर:
नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक कारक:

  1. आनुवंशिक विचलन (जेनेटिक ड्रिफ्ट)।
  2. प्राकृतिक वरण।
  3. डी. एन. ए. में परिवर्तन।

प्रश्न 2.
क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण हो सकते हैं? क्यों और क्यों नहीं?
उत्तर:
भौगोलिक पृथक्करण जाति उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है क्योंकि भौगोलिक पृथक्करण परागण को संरक्षित करता है। जबकि पौधों पर-परागित हो लेकिन स्वपरागित पौधों के सन्दर्भ में भौगोलिक पृथक्करण जाति उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता।

प्रश्न 3.
क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर:
भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक नहीं हो सकता क्योंकि अलैंगिक जनन में जनक अपने DNA को अपनी संतति में बिना किसी परिवर्तन के स्थानान्तरित करता है।

प्रश्न शृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 171

प्रश्न 1.
उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीजों के विकासीय सम्बन्ध निर्धारण के लिए करते हैं।
उत्तर:
प्रमुख अभिलक्षण:

  1. समजात अंग।
  2. समरूप (समवृत्ति) अंग।

प्रश्न 2.
क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है? क्यों और क्यों नहीं?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि चमगादड़ के पंख मुख्यतः उसकी दीर्घित अंगुली के मध्य की त्वचा के फैलाव से बनते हैं जबकि तितली के पंख त्वचा के झिल्लीनुमा विस्तारों के रूप में बने रहते हैं तथा खोखली नलिका रूपी शिराओं द्वारा तने रहते हैं। वास्तव में ये समरूप (समवृत्ति) अंग हैं।

प्रश्न 3.
जीवाश्म क्या हैं? वे जैव विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर:
जीवाश्म:
“प्राचीनकालीन अनेक प्रकार के जीव, पौधे एवं जन्तुओं के मृत अवशेष जो चट्टानों में परिरक्षित होते हैं, जीवाश्म कहलाते हैं।”
जीवाश्मों का संग्रह एवं आयु के अनुसार उनका अनुक्रम जैव विकास प्रक्रम के क्रम को दर्शाता है कि किस प्रकार जीवों का विकास शनैः – शनैः हुआ।

प्रश्न श्रृंखला-6 # पृष्ठ संख्या 173

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं?
उत्तर:
आकृति, आकार, रंग-रूप का भेद वाली प्रजातियों का कोई जैविक आधार नहीं है। ये आभासी प्रजातियाँ हैं। DNA अनुक्रम के अध्ययन से पता चलता है कि ये सभी मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं जो कालान्तर में भौगोलिक पृथक्करण और अन्य कारकों से आभासी प्रजातियों में बँट गए। यह जैव विकास की घटना है।

प्रश्न 2.
विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विकास साधारण रूप से केवल शारीरिक संरचना को जटिल बनाता है। इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं कि सरल शारीरिक रचना अक्रियाशील है। वास्तव में बैक्टीरिया की शारीरिक संरचना सरल है फिर भी वह सर्वव्यापी होते हैं अर्थात् वे जल में, थल पर एवं वायु में जीवित रहते हैं। इसलिए बैक्टीरिया (जीवाणु), मकड़ी, मछली एवं चिम्पैंजी विकास की पृथक्-पृथक् शाखाएँ हैं।

     पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मेण्डल के एक प्रयोग में लम्बे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्य बैंगनी रंग के थे परन्तु उनमें से लगभग आधे बौने थे इससे कहा जा सकता है कि लम्बे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना भिन्न थी –
(a) TTWW
(b) TTww
(c) TUWW
(d) TtWw
उत्तर:
(c) TtWW

प्रश्न 2.
समजात अंगों का उदाहरण है –
(a) हमारा हाथ, कुत्ते के अग्रपाद।
(b) हमारे दाँत, हाथी के दाँत।
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है?
(a) चीन के विद्यार्थी।
(b) चिम्पैंजी।
(c) मकड़ी।
(d) जीवाणु।
उत्तर:
(a) चीन के विद्यार्थी।

प्रश्न 4.
एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी होता है या नहीं, यह हम नहीं बता सकते क्योंकि दिए हुए आँकड़े अपर्याप्त हैं कम से कम तीन पीढ़ियों के सन्दर्भ में आँकड़े होने चाहिए जबकि यहाँ केवल दो पीढ़ियों के आँकड़े ही हैं।

 

प्रश्न 5.
जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र किस प्रकार परस्पर सम्बन्धित है?
उत्तर:
वर्गीकरण में जीवों को आन्तरिक एवं बाह्य संरचना में समानताओं एवं विकास के इतिहास के आधार पर सामान्य रूप से समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।

दो जातियाँ एक-दूसरे से निकट सम्बन्ध रखती हैं यदि उनमें अधिकतर अभिलक्षण समान हों और यदि दो जातियाँ काफी निकट सम्बन्ध रखती हैं तो उनके पूर्वज नवीन ही होंगे।

हम जीवों को उनकी समानताओं के आधार पर जोकि विकास वृक्ष बनाने पर समानता रखता है, वर्गीकृत करते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि जैव विकास एवं वर्गीकरण के अध्ययन क्षेत्र परस्पर सम्बन्धित होते हैं।

प्रश्न 6.
समजात एवं समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए। (2019)
उत्तर:
समजात अंग:
“प्राणियों के शरीर के ऐसे अंग जो उत्पत्ति एवं संरचना में समान होते हैं, लेकिन कार्यों में भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं।”
उदाहरण:
मनुष्य के हाथ, चमगादड़ एवं पक्षियों के पंख, मगर, छिपकली एवं घोड़े के अग्रपाद आदि समजात अंग हैं।

समवृत्ति अंग:
“प्राणियों के शरीर के ऐसे अंग जो उत्पत्ति एवं संरचना में भिन्न-भिन्न होते हैं लेकिन कार्य में समान होते हैं, समवृत्ति अंग कहलाते हैं।”
उदाहरण:
चमगादड़, पक्षी एवं कीटों के पंख आदि।

प्रश्न 7.
कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर:
कुत्ते की खाल के रंग को नियन्त्रित करने के लिए कम से कम 11 (ग्यारह) समरूप जीन्स की श्रेणी होती है जो कुत्ते की त्वचा के रंग को प्रभावित करती है। कुत्ते में प्रत्येक जनन से एक जीन वंशागत होता है। प्रभावी जीन फीनोटाइप में प्रदर्शित होता है।

उदाहरणार्थ:
एक कुत्ता आनुवंशिक रूप से B श्रेणी में काला या भूरा (ब्राउन) हो सकता है। मान लीजिए एक जनक समयुग्मजी काला (BB) है तथा दूसरा जनक समप्रभाजी भूरा (ब्राउन) है तो इस स्थिति में प्रथम पीढ़ी की सभी सन्ताने विषमयुग्मजी (Bb) होंगी और चूँकि काला जीन (B) प्रभावी है। इसलिये सभी सन्तानें काली होंगी यद्यपि वे दोनों (B) एवं (b) एलील रखते हैं।

यदि ये विषमयुग्मजी पुनः संकरण करते हैं तो 25% समयुग्मजी काली (BB), 50% विषमयुग्मजी काली (Bb) तथा 25% समयुग्मजी भूरी (ब्राउन) (bb) सन्तानें होंगी।

प्रश्न 8.
विकासीय सम्बन्ध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्व है?
उत्तर:
जैव विकास में जीवाश्म का महत्व-जैव विकास में जीवाश्म का प्रमाण बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न जीवाश्मों को एकत्रित करके उनकी आयु का निर्धारण कर लिया जाता है। फिर उन्हें आयु के क्रम में व्यवस्थित करके अध्ययन करने से विकास की प्रक्रिया ज्ञात की जा सकती है।

उदाहरणार्थ:
घोड़ों के प्राप्त जीवाश्मों के अध्ययन से ज्ञात हुआ कि घोड़े का विकास इयोसिन काल के 30 सेमी ऊँचे लोमड़ी के आकार के जीव इयोहिप्पस से हुआ। इसके विकास का क्रम जो प्राप्त जीवाश्मों के आधार पर ज्ञात किया, निम्न प्रकार है –
इयोहिप्पस से मीसोहिप्पस, मीसोहिप्पस से मेरीहिप्पस, मेरीहिप्पस से प्लायोहिप्पस तथा प्लायोहिप्पस से इक्वस, जो आधुनिक घोड़े तथा उसके सम्बन्धियों को निरूपित करता है।

प्रश्न 9.
किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?
उत्तर:
स्टेनले एल. मिलर एवं हैरल्ड सी. मूरे ने सन् 1953 में एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने एक ऐसा वातावरण तैयार किया जिसमें अमोनिया गैस, मीथेन गैस एवं हाइड्रोजन सल्फाइड गैस के अणु थे लेकिन ऑक्सीजन नहीं थी तथा इस वातावरण को जल के ऊपर एकत्रित किया यह सोचते हुए कि प्राचीनकाल में पृथ्वी पर ऐसा ही वातावरण रहा होगा।

इस वातावरण को 100°C के नीचे तापमान पर स्थापित रखा तथा इसमें विद्युत् स्पार्क पैदा किया जाय ठीक तड़ित की तरह। एक सप्ताह बाद मीथेन का 15% कार्बन, सरल कार्बनिक यौगिक अमीनो अम्लों के साथ तैयार हुआ जो प्रोटीन का निर्माण करता है तथा जीवन को साधारण स्तर पर सहयोग करता है। इससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई।

 

प्रश्न 10.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं। व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर:
लैंगिक जनन में अधिक स्थायी विभिन्नताएँ पैदा होती हैं। इसके अनेक कारण हैं –

  1. DNA प्रतिकृति में त्रुटियाँ।
  2. युग्मक बनते समय मातृ एवं पितृ गुणसूत्रों का अचानक पृथक्करण।
  3. युग्मनज बनते समय जीन विनिमय।
  4. पीढ़ी-दर-पीढ़ी विभिन्नताओं का लैंगिक जनन द्वारा अन्तर्ग्रहण।

अलैंगिक जनन की स्थिति में DNA की प्रतिकृति में बहुत कम परिवर्तन सन्तान में जाते हैं। इसलिए अलैंगिक जनन से उत्पन्न सन्तानों (नवजातों) में अधिकतर समानताएँ पाई जाती हैं।

इससे निष्कर्ष निकलता है कि अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं। लैंगिक जनन से उत्पन्न संतति में अधिक विभिन्नताओं से जैव विकास की सम्भावनाएँ भी अधिक होती हैं और इस प्रकार यह उनके विकास को प्रभावित करता है।

प्रश्न 11.
संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर:
मानव में नर एवं मादा जनकों की समान आनुवंशिक सहभागिता उनकी सन्तानों में दोनों जनकों के समान संख्या में गुणसूत्रों के वंशागत (आहरित) होने से निश्चित की जाती है। मानव में 23 जोड़े गुणसूत्रों होते हैं। सभी मानव गुणसूत्र 23 जोड़ों में से एक जोड़ा गुणसूत्र लिंग-गुणसूत्रों का होता है जो X एवं Y से प्रदर्शित होता है। मादा में यह जोड़ा सम (X, X) एवं नर में विषम (X, Y) होता है।

जनन के लिए मैथुन के समय बने युग्मनज में दोनों जनकों से समान मात्रा में आनुवंशिक पदार्थ गुणसूत्र की सम सहभागिता रहती है। 23 जोड़े गुणसूत्रों में पितृ जनक द्वारा अपनी सन्तान को 22 समान गुणसूत्र तथा एक X तथा एक X या Y गुणसूत्र उपलब्ध कराता है जबकि मातृ जनक 22 समान गुणसूत्र तथा एक X गुणसूत्र उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 12.
“केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव(व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं,समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों और क्यों नहीं?
उत्तर:
हम इस कथन से सहमत हैं कि केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। सभी विभिन्नताओं को पर्यावरण में अपना अस्तित्व बनाये रखने का समान अवसर नहीं मिलता है जिसमें वे अपने आपको पाते हैं अथवा जिस पर्यावरण में वे रहते हैं।

किसी विभिन्नता को अपना अस्तित्व बनाए रखने का अवसर उस विभिन्नता की प्रकृति पर निर्भर करता है। विभिन्न जीव विभिन्न प्रकार के लाभ रखते हैं। जो बैक्टीरिया ऊष्मा को सहन कर सकता है वह गर्मी (ऊष्मा) में जीवित रह सकता है। विभिन्नताओं का पर्यावरण द्वारा चयन ही विकास प्रक्रिया के आधार का निर्माण करता है।

  परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

                   वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे बाजार में उपलब्ध कछ सब्जियों की सची दी गई है। इनमें से उन दो सब्जियों को चनिए जिनकी संरचनाएँ समजात हैं: आलू, शकरकंद, अदरक, मूली, टमाटर, गाजर, भिण्डी।
(a) आलू और शकरकंद।
(b) मूली और गाजर।
(c) भिण्डी और शकरकंद।
(d) आलू और टमाटर।
उत्तर:
(b) मूली और गाजर।

प्रश्न 2.
यदि आपसे नीचे दी गयी सब्जियों में से उन दो सब्जियों के समूह को चुनने के लिए कहा जाए जिसकी संरचनाएँ समजात हैं, तो आप इनमें से किसे चुनेंगे?
(a) गाजर और मूली।
(b) आलू और शकरकंद।
(c) आलू और टमाटर।
(d) भिण्डी और आलू।
उत्तर:
(a) गाजर और मूली।

प्रश्न 3.
एक टोकरी में निम्नलिखित सब्जियाँ रखी हैं – आलू, टमाटर, मूली, बैंगन, गाजर, लौकी। इनमें से कौन-सी दो सब्जियाँ समजात संरचनाओं का सही निरूपण करती हैं?
(a) गाजर और टमाटर।
(b) आलू और बैंगन।
(c) मूली और गाजर।
(d) मूली और लौकी।
उत्तर:
(c) मूली और गाजर।

प्रश्न 4.
किसमें जेनेटिक पदार्थों का परस्पर विनिमय होता है?
(a) वर्धी प्रजनन।
(b) अलैंगिक प्रजनन।
(c) लैंगिक प्रजनन।
(d) मुकुलन।
उत्तर:
(c) लैंगिक प्रजनन।

प्रश्न 5.
दो पिंक रंग के पुष्पों में संकरण कराने पर परिणामस्वरूप 1 लाल, 2 पिंक एवं 1 सफेद पुष्प प्राप्त होते हैं तो संकरण की प्रकृति होगी –
(a) द्विनिषेचन।
(b) स्वपरागण।
(c) क्रॉस निषेचन।
(d) निषेचन नहीं।
उत्तर:
(b) स्वपरागण।

प्रश्न 6.
एक लम्बे पौधे (TT) एवं एक बौने पौधे (tt) के बीच क्रॉस कराने पर सन्तान में परिणामस्वरूप सभी लम्बे पौधे प्राप्त हुए, क्योंकि –
(a) लम्बापन प्रभावी लक्षण है।
(b) बौनापन प्रभावी लक्षण है।
(c) लम्बापन अप्रभावी लक्षण है।
(d) T एवं t जीन पौधे की लम्बाई को प्रभावित नहीं करते।
उत्तर:
(a) लम्बापन प्रभावी लक्षण है।

प्रश्न 7.
निम्न में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) प्रत्येक हॉर्मोन के लिए एक जीन होता है।
(b) प्रत्येक प्रोटीन के लिए एक जीन होता है।
(c) प्रत्येक एन्जाइम के निर्माण के लिए एक जीन होता है।
(d) वसा के प्रत्येक अणु के लिए एक जीन होता है।
उत्तर:
(d) वसा के प्रत्येक अणु के लिए एक जीन होता है।

प्रश्न 8.
यदि एक गोल हरे बीज वाले मटर के पौधे की एक झुरींदार पीले बीज वाले मटर के पौधे से क्रॉस (संकरण) कराया जाता है तो F2 संतति (सन्तान) में बीज होंगे –
(a) गोल, पीले।
(b) गोल, हरे।
(c) झुरींदार, हरे।
(d) झुरींदार, पीले।
उत्तर:
(a) गोल, पीले।

प्रश्न 9.
मानव में गुणसूत्र में एक को छोड़कर सभी समान युग्मित होते हैं/यह/ये अयुग्मित गुणसूत्र है।
(i) बड़े गुणसूत्र।
(ii) छोटे गुणसूत्र।
(iii) Y-गुणसूत्र।
(iv) X-गुणसूत्र।
(a) (i) एवं (ii)
(b) केवल (iii)
(c) (iii) एवं (iv)
(d) (ii) एवं (iv)
उत्तर:
(c) (iii) एवं (iv)

प्रश्न 10.
किसी शिशु का नर होना निर्धारित होता है –
(a) युग्मनज में X गुणसूत्र द्वारा।
(b) युग्मनज में Y गुणसूत्र द्वारा।
(c) जनन कोशिका का कोशिकाद्रव्य जो लिंग निर्धारण करता है।
(d) लिंग निर्धारण एकाएक होता है।
उत्तर:
(b) युग्मनज में Y गुणसूत्र द्वारा।

प्रश्न 11.
एक युग्मजन जिसमें पिता से प्राप्त X-गुणसूत्र है, विकसित होगा –
(a) लड़के में।
(b) लड़की में।
(c) X गुणसूत्र लिंग निर्धारण नहीं करता है।
(d) या तो लड़के में अथवा लड़की में।
उत्तर:
(b) लड़की में।

प्रश्न 12.
असत्य कथन छाँटिए –
(a) किसी जीन की आवृत्ति अनेक पीढ़ियों के जनसंख्या परिवर्तन में विकास को जन्म देती है।
(b) अकाल के कारण जीवों के भार में कमी को आनुवंशिक रूप से नियन्त्रित किया जाता है।
(c) कम भार वाले जनक अधिक भार वाले नवजातों को जन्म दे सकते हैं।
(d) जो अभिलक्षण पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानान्तरित नहीं होते वे विकास का कारण नहीं बन सकते।
उत्तर:
(b) अकाल के कारण जीवों के भार में कमी को आनुवंशिक रूप से नियन्त्रित किया जाता है।

प्रश्न 13.
नयी समष्टि (स्पीशीज) का निर्माण हो सकता है, यदि –
(i) जनन कोशिकाओं के DNA में पर्याप्त परिवर्तन हो।
(ii) युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन हो।
(iii) आनुवंशिक पदार्थों में कोई परिवर्तन न हो।
(iv) मैथुन की घटना घटित न हो।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (i) एवं (iii)
(c) (ii), (iii) एवं (iv)
(d) (i), (ii) एवं (iii)
उत्तर:
(a) (i) एवं (ii)

प्रश्न 14.
दो मटर के पौधे जिनमें एक गोल हरे बीजों वाला (RR, YY) दूसरा झुरींदार पीले बीजों वाला (rr, yy) F2 पीढ़ी में नवजातों को जन्म देते हैं जिनके बीज गोल पीले (RrYy) हैं। जब F2 पौधे में स्वपरागण होता है तो F2 पीढ़ी में संतति नये लक्षणों के युग्म से युक्त होगी। निम्न में से नवीन युग्म का चयन कीजिए –
(i) गोले, पीले।
(ii) गोल, हरे।
(iii) झुरींदार, पीले।
(iv) झुरींदार, हरे।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (i) एवं (iv)
(c) (ii) एवं (iii)
(d) (i) एवं (iii)
उत्तर:
(b) (i) एवं (iv)

प्रश्न 15.
सही कथन चुनिए –
(a) मटर के पौधे के तन्तु (टैण्ड्रिल) एवं नागफनी के पर्णकाय स्तम्भ (फिल्लोक्लेड) समजात अंग हैं।
(b) मटर के पौधे के तन्तु (टैण्ड्रिल) एवं नागफनी के पर्णकाय स्तम्भ समवृत्ति अंग हैं।
(c) पक्षियों के पंख एवं छिपकली के पैर समवृत्ति अंग हैं।
(d) पक्षियों के पंख एवं चमगादड़ के पंख समजात अंग हैं।
उत्तर:
(a) मटर के पौधे के तन्तु (टैण्ड्रिल) एवं नागफनी के पर्णकाय स्तम्भ (फिल्लोक्लेड) समजात अंग हैं।

प्रश्न 16.
यदि किसी जीव के जीवाश्म पृथ्वी के अन्दर बहुत गहराई में मिलते हैं तो हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि –
(a) जीव अभी हाल ही में विलुप्त हुए हैं।
(b) जीव हजारों वर्ष पूर्व विलुप्त हुए।
(c) जीवाश्म पृथ्वी की परतों में स्थित जीव के विलुप्त होने के समय से कोई सम्बन्ध नहीं रखती है।
(d) जीव के विलुप्त होने का समय हम ज्ञात नहीं कर सकते।
उत्तर:
(b) जीव हजारों वर्ष पूर्व विलुप्त हुए।

प्रश्न 17.
विभिन्नताओं के सन्दर्भ में निम्न में कौन कथन असत्य है?
(a) सभी विभिन्नताएँ जीव के जीवित रहने की समान सम्भावनाएँ रखती हैं।
(b) आनुवंशिक संरचना में परिवर्तन विभिन्नताओं को जन्म देता है।
(c) पर्यावरणीय कारकों द्वारा जीव का वरण विकास प्रक्रिया का आधार होता है।
(d) अलैंगिक जनन में विभिन्नताएँ न्यूनतम होती है।
उत्तर:
(a) सभी विभिन्नताएँ जीव के जीवित रहने की समान सम्भावनाएँ रखती हैं।

प्रश्न 18.
किसी जीव में कोई अभिलक्षण प्रभावित होता है –
(a) केवल पितृ DNA द्वारा।
(b) केवल मातृ DNA द्वारा।
(c) मातृ एवं पितृ दोनों DNA द्वारा।
(d) न मातृ DNA न पितृ DNA द्वारा।
उत्तर:
(c) मातृ एवं पितृ दोनों DNA द्वारा।

प्रश्न 19.
उस समूह का चयन कीजिए जिसमें अधिकतम समानता है –
(a) एक ही जाति (स्पीशीज) के दो जन्तु।
(b) एक ही जीन्स के दो जीव।
(c) एक ही फैमिली के दो जेनेरा।
(d) दो फैमिली के दो जेनेरा।
उत्तर:
(a) एक ही जाति (स्पीशीज) के दो जन्तु।

प्रश्न 20.
विकासवाद (विकास सिद्धान्त) के अनुसार नयी स्पीशीज का निर्माण प्रायः निम्न के द्वारा होता है –
(a) प्रकृति के द्वारा अचानक सृजन।
(b) अनेक पीढ़ियों में होते हुए विभिन्नताओं को अर्जित करके।
(c) अलैंगिक जनन के समय क्लोन का निर्माण।
(d) किसी जीव का एक आवास से दूसरे आवास को जाना।
उत्तर:
(b) अनेक पीढ़ियों में होते हुए विभिन्नताओं को अर्जित करके।

प्रश्न 21.
नीचे दी गई सूची में से उस लक्षण का चयन कीजिए जो अर्जित तो होता है लेकिन आनुवंशिक नहीं –
(a) नेत्र का रंग।
(b) त्वचा का रंग।
(c) शरीर का आकार।
(d) बालों की प्रकृति।
उत्तर:
(c) शरीर का आकार।

प्रश्न 22.
एक अभिलक्षण के दो रूप जोकि नर एवं मादा युग्मकों द्वारा लाये जाते हैं, वे निम्न में होते हैं –
(a) किसी एक गुणसूत्र की प्रतिकृतियों में।
(b) दो भिन्न गुणसूत्रों में।
(c) लिंग गुणसूत्रों में।
(d) किसी भी गुणसूत्र में।
उत्तर:
(a) किसी एक गुणसूत्र की प्रतिकृतियों में।

प्रश्न 23.
उन कथनों का चयन कीजिए जो जीन के लक्षणों की व्याख्या करते हैं –
(i) DNA अणु में जीन विशिष्ट क्रमिक आधार होते हैं।
(ii) एक जीन किसी प्रोटीन को प्रदर्शित नहीं करता।
(iii) एक दी हुई स्पीशीज के जीवों में किसी विभेध गुणसूत्र पर विशिष्ट जीन स्थित होता है।
(iv) प्रत्येक गुणसूत्र पर केवल एक जीन होता है।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (i) एवं (iii)
(c) (i) एवं (iv)
(d) (ii) एवं (iv)
उत्तर:
(b) (i) एवं (iii)

प्रश्न 24.
मटर के शुद्ध लम्बे (TT) पौधे को बौने (tt) पौधे के साथ क्रॉस कराया गया है। F2 पीढ़ी में शुद्ध लम्बे पौधों और बौने पौधों का अनुपात होगा –
(a) 1 : 3
(b) 3 : 1
(c) 1 : 1
(d) 2 : 1
उत्तर:
(c) 1 : 1

प्रश्न 25.
मानव युग्मनज में लिंग गुणसूत्रों के जोड़ों की संख्या होगी –
(a) एक।
(b) दो।
(c) तीन।
(d) चार।
उत्तर:
(a) एक।

प्रश्न 26.
प्राकृतिक वरण द्वारा स्पीशीज के विकास का सिद्धान्त निम्न के द्वारा दिया गया था –
(a) मेण्डल।
(b) डार्विन।
(c) मॉर्गन।
(d) लैमार्क।
(b) डार्विन।

प्रश्न 27.
कुछ डायनासोरों में पंख होते थे हालांकि वे उड़ नहीं पाते थे लेकिन पक्षियों में पंख होते हैं जो ‘उनको उड़ने में सहायक होते हैं। विकास के सन्दर्भ में इसका अर्थ है कि –
(a) सरीसृपों का विकास पक्षियों से हुआ था।
(b) सरीसृपों एवं पक्षियों में विकास के सन्दर्भ में कोई सम्बन्ध नहीं है।
(c) दोनों जीवों में पंख समजात अंग हैं।
(d) पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ।
उत्तर:
(d) पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ।

प्रश्न 28.
मनुष्य की एक कोशिका में गुणसूत्र पाये जाते हैं –
(a) 23 जोड़े।
(b) 24 जोड़े।
(c) 20 जोड़े।
(d) 22 जोड़े।
उत्तर:
(a) 23 जोड़े।

प्रश्न 29.
आर्कियोप्टेरिक्स उदाहरण है –
(a) समजात अंग का।
(b) समवृत्ति अंग का।
(c) अवशेषी अंग का।
(d) संयोजी कड़ी का।
उत्तर:
(d) संयोजी कड़ी का।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. पीढ़ी दर पीढ़ी विभिन्न लक्षणों का संचरण ………… कहलाता है।
  2. पीढ़ी दर पीढ़ी संचारित होने वाले लक्षण ……….. कहलाते हैं।
  3. आनुवंशिकता का अध्ययन ………… कहलाता है।
  4. कर्णपल्लव को पेशियाँ, अक्लदाढ़ मानव के ………… अंग कहलाते हैं।
  5. प्राणी अपने भ्रूणीय परिवर्धन में अपने पूर्वजों की ………… अवस्थाओं को दोहराते हैं।
  6. मेण्डल ने ……….. के नियमों का प्रतिपादन किया। (2019)

उत्तर:

  1. आनुवंशिकता।
  2. आनुवंशिक लक्षण।
  3. आनुवंशिकी।
  4. अवशेषी।
  5. भ्रूणीय।
  6. वंशागाते।

जोड़ी बनाइए

उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. पुष्प के लाल एवं सफेद रंग में सफेद प्रभावी एवं लाल अप्रभावी होता है।
  2. बीजों के गोल एवं झुरींदार गुणों में गोल प्रभावी तथा झुरींदार अप्रभावी होता है।
  3. जिन अंगों का हम निरन्तर उपयोग करते हैं वे क्षीण होते जाते हैं।
  4. प्रकृति योग्यतम का चयन करती है।
  5. जो गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचरित नहीं होते, वे आनुवंशिक गुण कहलाते हैं।

उत्तर:

  1. असत्य।
  2. सत्य।
  3. असत्य।
  4. सत्य।
  5. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. योग्यतम की उत्तरजीविता के प्रवर्तक कौन थे?
  2. आनुवंशिकी के जनन का क्या नाम है?
  3. सरीसृप एवं पक्षी वर्ग की संयोजी कड़ी का नाम लिखिए।
  4. पक्षी वर्ग एवं स्तनधारियों के बीच की कड़ी कौन है?
  5. लिग निर्धारण करने वाले गुणसूत्र को क्या कहते हैं?

उत्तर:

  1. डार्विन।
  2. ग्रेगर जॉन मेण्डल।
  3. आर्कियोप्टेरिक्स।
  4. ऐकेडिना।
  5. लिंग गुणसूत्र।

         अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिकता क्या है? आनुवंशिक लक्षण किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
आनुवंशिकता:
“जीवधारियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी विभिन्न लक्षणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है तथा ये लक्षण आनुवंशिक लक्षण कहलाते हैं।”

प्रश्न 2.
आनुवंशिकी से क्या समझते हो?
उत्तर:
आनुवंशिकी:
“विज्ञान की वह शाखा जिसमें आनुवंशिक लक्षणों, उनके संचरण एवं कारणों का अध्ययन किया जाता है, आनुवंशिकी कहलाती है।”

प्रश्न 3.
विभिन्नताएँ (जैव विविधताएँ) क्या होती हैं?
उत्तर:
विभिन्नताएँ:
एक ही जनक की सन्तानों में समानता होते हुए भी वे एक-दूसरे से भिन्न होती हैं, यही विभिन्नता अथवा जैव विविधता कहलाती है।

प्रश्न 4.
आनुवंशिक विभिन्नताएँ किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
आनुवंशिक विभिन्नताएँ-“जो विभिन्नताएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानान्तरित होती हैं, आनुवंशिक विभिन्नताएँ कहलाती हैं।”

प्रश्न 5.
मेण्डल को प्रयोगों द्वारा कैसे ज्ञात हुआ कि लक्षण प्रभावी या अप्रभावी होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में देखा कि संकरण करने पर कुछ गुण प्रदर्शित होते हैं तथा कुछ गुण छिप जाते हैं। जो गुण प्रदर्शित होते हैं, वे प्रभावी तथा जो गुण छिप जाते हैं, वे अप्रभावी होते हैं।

 

प्रश्न 6.
प्रभावी लक्षण किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
प्रभावी लक्षण:
“जब विपरीत लक्षणों के जोड़े में क्रॉस कराया जाता है तो पहली पीढ़ी में जो लक्षण प्रदर्शित होते हैं, वे प्रभावी लक्षण कहलाते हैं।”

प्रश्न 7.
अप्रभावी लक्षण किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
अप्रभावी लक्षण:
“जब विपरीत लक्षणों के जोड़े में क्रॉस कराया जाता है तब पहली पीढ़ी में जो लक्षण छिपा रहता है, वह अप्रभावी लक्षण कहलाता है।”

प्रश्न 8.
एकसंकर क्रॉस क्या होता है?
उत्तर:
एकसंकर क्रॉस:
“एक विपरीत लक्षण को साथ लेकर कराये गए संकरण को एकसंकर क्रॉस कहते हैं।”

प्रश्न 9.
द्विसंकर क्रॉस क्या होता है?
उत्तर:
द्विसंकर क्रॉस:
“दो विपरीत लक्षणों को साथ लेकर कराये गए संकरण को द्विसंकर क्रॉस कहते हैं।”

प्रश्न 10.
मेण्डल के प्रभाविता के नियम को समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल के प्रभाविता के नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब विपरीत लक्षणों के एक जोड़े को ध्यान में रखकर क्रॉस कराया जाता है, तो पहली पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लक्षण) दिखाई देते हैं।” गुणों की यह प्रवृत्ति प्रभाविता तथा यह नियम प्रभाविता का नियम कहलाता है।

प्रश्न 11.
मेण्डल का पृथक्करण का नियम समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल का पृथक्करण का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।

प्रश्न 12.
मेण्डल के स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम:
इस नियम के अनुसार-जीवों के लक्षण एक-दूसरे से प्रभावित किए बिना स्वतन्त्र रूप से युग्मकों या सन्तान में जाते हैं। अतः उन लक्षणों का पृथक्करण स्वतन्त्र रूप से है अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे लक्षण को प्रभावित नहीं करती, इस प्रवृत्ति को स्वतन्त्र अपव्यूहन एवं इस नियम को स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम कहते हैं।”

प्रश्न 13.
गुणसूत्र क्या है अथवा गुणसूत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
गुणसूत्र:
“सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं के केन्द्रक में स्थित लम्बी धागेनुमा पतली संरचनाएँ जिनका आनुवंशिक पदार्थ कोशिकाद्रव्य में स्वतन्त्र रूप से न रहकर केन्द्रक में कुछ विशिष्ट संरचनाओं के रूप में व्यवस्थित होते हैं, गुणसूत्र कहलाते हैं।”
अथवा
“जीन्स को वहन करने वाली वे वैयक्तिक जीवद्रव्य इकाइयाँ सम्मिलित रूप से उत्तरोत्तर कोशिका विभाजन द्वारा द्विगुणित करती है तथा अपने व्यक्तित्व एवं आकारिकी एवं कार्यिकी को बनाए रखती है, गुणसूत्र कहलाती है।”

प्रश्न 14.
गुणसूत्र का कार्य एवं महत्व समझाइए।
उत्तर:
गुणसूत्र का कार्य एवं महत्व:

  1. आनुवंशिकी में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना।
  2. शरीर की संरचना एवं क्रियाशीलता में महत्वपूर्ण भाग लेना।
  3. गुणसूत्र के प्रतिकृतिकरण में संतति बनती है जोकि कोशिकाओं में पहुँचकर नए जीवों का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 15.
लिंग निर्धारण में गुणसूत्र की भूमिका को समझाइए।
उत्तर:
मनुष्य में सन्तान के लिंग का निर्धारण जनक (माता-पिता) के 23वें जोड़े के लिंग गुणसूत्र द्वारा ही होता है। इस प्रकार लिंग निर्धारण में गुणसूत्र की अहम् भूमिका है।

प्रश्न 16.
जैव विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जैव विकास अथवा विकास-“अधिक धीमी गति एवं क्रमबद्ध परिवर्तनों की वह प्रक्रिया जिसके द्वारा आधुनिक जीवों (पौधे एवं प्राणियों) की विभिन्न जातियाँ आदिकाल में उपस्थित जातियों से विकसित हुई, जैव विकास या विकास कहलाता है।”
अथवा
“आदिकाल में धीमी गति से होने वाला वह क्रमिक परिवर्तन जिसके कारण आदि-सूक्ष्म सरल जीवों से वर्तमान समय के विकसित एवं जटिल जीवों का निर्माण हुआ, विकास या जैव विकास कहलाता है।”

प्रश्न 17.
अवशेषी अंग क्या हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अवशेषी अंग:
“प्राणियों के शरीर में पाये जाने वाले ऐसे अंग जोकि कार्य के लिए अनावश्यक होते हैं तथा पूर्ण विकसित नहीं होते हैं, लेकिन किन्हीं अन्य सम्बन्धित प्राणियों में पूर्ण विकसित होते हैं, अवशेषी अंग कहलाते हैं।”
अथवा
“वे अंग जो किसी प्राणी के पूर्वजों में पूर्ण विकसित तथा क्रियाशील अवस्था में पाये जाते रहे हों, परन्तु विकास क्रम में धीरे-धीरे अपकर्षित होकर अपशिष्ट हो गए हों, अवशेषी अंग कहलाते हैं।”
उदाहरण: कर्णपल्लव की पेशियाँ एवं कृमिरूप परिशेषिका।

प्रश्न 18.
संयोजन कड़ियों से क्या आशय है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संयोजन कड़ियाँ:
“प्राणियों में कुछ ऐसे जन्तु मिलते हैं, जिनमें कुछ कम विकसित लक्षणों के साथ-साथ विकसित लक्षण भी पाये जाते हैं अर्थात् उनमें प्राचीन पूर्वज और आधुनिक रूप से विकसित प्राणी वर्गों के लक्षण पाये जाते हैं, संयोजन कड़ियाँ कहलाते हैं।”
उदाहरण: सरीसृप एवं पक्षी वर्ग की संयोजन कड़ी आर्कियोप्टेरिक्स।

प्रश्न 19.
जीवाश्म किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए। (2019)
उत्तर:
जीवाश्म:
“प्राचीनकालीन अनेक प्रकार के पौधे एवं प्राणियों के मृत अवशेष जो चट्टानों में परिरक्षित रहते हैं, जीवाश्म कहलाते हैं।”
उदाहरण: डायनोसोर्स एवं आर्कियोप्टेरिक्स के जीवाश्म।

प्रश्न 20.
जीवन संघर्ष से क्या समझते हो?
उत्तर:
जीवन संघर्ष:
“जीवों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से उनके जीवित रहने के लिए समस्या बढ़ जाती है। प्रकृति का सन्तुलन बनाए रखने के लिए तथा भोजन, जल, प्रकाश, वायु एवं सुरक्षित निवास के लिए जीवों में संघर्ष होने लगता है, जिसे जीवन संघर्ष कहते हैं।”

प्रश्न 21.
योग्यतम की उत्तरजीविता से क्या समझते हो?
उत्तर:
योग्यतम की उत्तरजीविता:
“ऐसे जीव जिनमें लाभदायक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं, वे ही जीवन संघर्ष में विजयी होकर जीवित रहते हैं तथा हानिकारक विभिन्नताओं वाले जीव उस जीवन संघर्ष में नष्ट हो जाते हैं। इस घटना को योग्यतम की उत्तरजीविता कहते हैं।”

प्रश्न 22.
प्राकृतिक चयन (वरण) किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक चयन (वरण):
“प्रकृति जीवन संघर्ष के द्वारा योग्यतम का चयन करती रहती है, जिसे प्राकृतिक चयन (वरण) कहते हैं।”

प्रश्न 23.
जातिउद्भवन से क्या समझते हो?
उत्तर:
जातिउद्भवन:
“जब कोई एक जाति (स्पीशीज) के जीव दो वर्गों में बँट जाएँ और उनके DNA में एवं गुणसूत्रों की संख्या में इस प्रकार परिवर्तन हो जाय कि वे परस्पर जनन करने में असमर्थ हों तो नयी जाति (स्पीशीज) का उद्भव होता है। यह घटना जातिउद्भवन कहलाती है।”

 

प्रश्न 24.
मानव के नवजात शिशु का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर:
मनुष्य में पिता से प्राप्त लिंग गुणसूत्र द्वारा बच्चे के लिंग का निर्धारण होता है। यदि बच्चा पिता के ‘X’ गुणसूत्र को ग्रहण करता है तो वह लड़की होगी और यदि वह Y-गुणसूत्र को ग्रहण करता है तो वह लड़का होगा।

प्रश्न 25.
क्या नवजात के लिंग निर्धारण में माँ का लिंग गुणसूत्र युग्म अहम् भूमिका निभाता है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि माँ के लिंग गुणसूत्र जोड़े में केवल X-गुणसूत्र होते हैं और नवजात चाहे लड़का हो अथवा लड़की वह माँ से केवल X-गुणसूत्र ही ग्रहण करता है।

प्रश्न 26.
मादा मानव में सभी युग्मक केवल X-गुणसूत्र ही रखते हैं, क्यों?
उत्तर:
मादा मानव में लिंग गुणसूत्र युग्म में केवल (XX) गुणसूत्र होते हैं। इसलिए युग्मक बनते समय अर्द्धसूत्र विभाजन के फलस्वरूप केवल X गुणसूत्र ही युग्मक में प्रवेश करता है। अतः प्रत्येक युग्मक में केवल X-गुणसूत्र ही होते हैं।

प्रश्न 27.
मनुष्य में नर बालक या मादा बालिका प्राप्त करने की सांख्यिकीय प्रायिकता 50 : 50 है। उचित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य में बालक का लिंग निर्धारण पिता से प्राप्त लिंग गुणसूत्र द्वारा होता है चूँकि नर मनुष्य में X-गुणसूत्र एवं Y-गुणसूत्र की संख्या का अनुपात 50 : 50 है इसलिए नर बालक या मादा बालिका बनने की सांख्यिकीय प्रायिकता भी 50 : 50 होगी।

प्रश्न 28.
किसी समष्टि की छोटी जनसंख्या के विलुप्त होने की अधिक सम्भावनाएँ रहती हैं जबकि बड़ी जनसंख्या वाली स्पीशीज की विलुप्त होने की कम सम्भावनाएँ होती हैं? उचित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
छोटी जनसंख्या वाले जीवों में जनन कम होगा फलस्वरूप उनके अन्दर विभिन्नताएँ (विविधताएँ) भी कम होंगी जबकि किसी जीव की जितनी अधिक जनसंख्या होगी उतनी ही अधिक जनन की सम्भावनाएँ होंगी और फलस्वरूप उतनी ही अधिक विभिन्नताएँ होंगी। प्रतिकूल परिस्थितियों में अधिक विभिन्नताओं वाले जीवों के जीवित रहने की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं। इसलिए अधिक जनसंख्या वाले जीवों की अपेक्षा बहुत कम जनसंख्या वाले जीवों के विलुप्त होने की अधिक सम्भावनाएँ होती हैं।

प्रश्न 29.
समजात संरचना क्या होती है? एक उदाहरण दीजिए। क्या यह आवश्यक है कि समजात संरचना वाले जीवों के पूर्वज एक ही होंगे?
उत्तर:
समजात संरचना एवं उसके उदाहरणनिर्देश-पाठान्त प्रश्नोत्तर के प्रश्न 6 का प्रथम भाग देखिए। हाँ, उनके पूर्वज एक ही होंगे लेकिन विभिन्न क्रियाकलापों के लिए विभिन्न रूप से विकसित होंगे।

प्रश्न 30.
क्या पृथ्वी पर जन्तुओं में उत्पन्न विविधता उनके पूर्वजों की विविधता की ओर इशारा करती है? विकास के प्रकाश में इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यद्यपि पृथ्वी पर जन्तुओं की संरचना में बड़े पैमाने पर विविधता देखने को मिलती है पर शायद उनके पूर्वज समान नहीं होंगे क्योंकि समान पूर्वजों में विविधता को कुछ सीमा तक सीमित किया होता। विविधता युक्त बहुत से जीव आज भी समान आवासों में रहते हैं। उनका भौगोलिक पृथक्करण भी उनका समान नहीं होगा। अतः सभी जीवों के समान पूर्वजों में भी समानता का सिद्धान्त नहीं है।

प्रश्न 31.
निम्न मटर के पौधों के लक्षणों के विपरीत लक्षण लिखिए तथा बताइए उनमें कौन प्रभावी है और कौन अप्रभावी?

  1. पीला बीज।
  2. गोल बीज।

उत्तर:

  1. पीला बीज का विपरीत लक्षण हरा बीज है। यहाँ पीला प्रभावी लक्षण है तथा हरा अप्रभावी।
  2. गोल बीज का विपरीत लक्षण झुरींदार बीज है यहाँ गोल प्रभावी लक्षण है और झुरींदार अप्रभावी।

प्रश्न 32.
एक औरत के केवल लड़कियाँ हैं। इस स्थिति का आनुवंशिक रूप से विश्लेषण कीजिए एवं एक उचित व्याख्या दीजिए।
उत्तर:
औरत (महिला) लिंग गुणसूत्र युग्म में केवल X-गुणसूत्र उत्पन्न करती है जबकि पुरुष के लिंग गुणसूत्र युग्म में X-गुणसूत्र एवं Y-गुणसूत्र दोनों होते हैं जो वास्तव में बच्चे का लिंग निर्धारण करते हैं। हर बार महिला के युग्मकों को पुरुष का X-गुणसूत्र वाला ही युग्मक जनन के लिए प्राप्त हो सका, इसलिए उसके केवल लड़कियाँ ही हैं।

प्रश्न 33.
कारण बताइए कि क्यों उपार्जित गुणों की वंशागति नहीं होती?
उत्तर:
उपार्जित गुणों (लक्षणों) की वंशागति नहीं होती क्योंकि ये लक्षण जनन कोशिकाओं के DNA में कोई परिवर्तन नहीं करते, केवल वे ही लक्षण वंशागत होते हैं जिनका कोई जीन होता है।

प्रश्न 34.
F2 संतति में लक्षणों के नए संयोग बनने का कारण बताइए।
उत्तर:
पौधों का लम्बा या बौना होना, बीजों का गोल या झुरींदार होना आदि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत हुए हैं।

प्रश्न 35.
निम्न परपरागण एवं F2 में स्वपरागण का अध्ययन कीजिए तथा रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।

उत्तर:
RrYy गोल, पीले।

प्रश्न 36.
उपर्युक्त प्रश्न-34 में F2 पीढ़ी की सन्तानों में लक्षणों के कौन से संयोग बनेंगे? उनका अनुपात क्या होगा?
उत्तर:

  1. गोल, पीले।
  2. गोल, हरे।
  3. झुर्शीदार, पीले।
  4. झुर्रादार हरे।

अनुपात: 9 : 3 : 3 : 1

प्रश्न 37.
मानव की तुलना में बैक्टीरिया की शारीरिक संरचना काफी सरल है। इसका मतलब यह तो नहीं कि मानव बैक्टीरिया की अपेक्षा अधिक विकसित है? उचित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह एक वाद-विवाद का विषय है। यदि शारीरिक जटिलता विकास का परिणाम है तब तो मानव बैक्टीरिया की अपेक्षा अधिक विकसित है। लेकिन जब हम पूरे जीवन की विशेषताओं को ध्यान में रखें तो यह कहना कठिन होगा कि कौन-सा जीव विकसित है।

प्रश्न 38.
विकास आण्विक संरचना को अधिक स्थायी रूप से प्रदर्शित करता है जब इसकी तुलना शारीरिक संरचना से की जाती है। इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
जैव जगत में जीवों में आकार, आकृति, संरचना आकारिकी विशेषताओं (लक्षणों) में गहरी विभिन्नताएँ देखने को मिलती हैं लेकिन आण्विक स्तर पर ये विविधता युक्त जीव परस्पर अविश्वसनीय समानताएँ रखते हैं। उदाहरणस्वरूप प्राथमिक तौर-पर जैवीय अणु, जैसे-DNA. RNA, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स आदि सभी जीवों में अत्यन्त समानता रखते हैं।

प्रश्न 39.
जैव-विविधता किसे कहते हैं? यदि किसी क्षेत्र की जैव-विविधता सुरक्षित नहीं रखी जाए, तो क्या होगा? इसके एक प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विभिन्नताएँ:
एक ही जनक की सन्तानों में समानता होते हुए भी वे एक-दूसरे से भिन्न होती हैं, यही विभिन्नता अथवा जैव विविधता कहलाती है। यदि किसी क्षेत्र की जैव-विविधता सुरक्षित नहीं रखी जाए, तो प्रतिकूल परिस्थितियों में उस क्षेत्र से उस स्पीशीज की उत्तरजीविता के अभाव में विलुप्त होने की सम्भावना बढ़ जाती है। विभिन्नताओं के प्रभाव के कारण नयी स्पीशीज के उत्पन्न होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

प्रश्न 40.
वंशागति एवं उपार्जित लक्षणों में उदाहरण सहित अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वंशागत लक्षण:
“जो लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को अर्थात् जनकों से सन्तान को स्थानान्तरित होते हैं, वंशागत लक्षण कहलाते हैं।”
उदाहरण: आँख का रंग, बीज़ों का रंग।

उपार्जित लक्षण:
“जो लक्षण जीवन-पर्यन्त अर्जित किए जाते हैं तथा जनक से सन्तान को स्थानान्तरित नहीं होते, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं।”
उदाहरण: मोटापा, किसी दुर्घटना में कटी हुई अंगुलियाँ

      लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिक विभिन्नताओं के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आनुवंशिक विभिन्नताओं के कारण:

  1. गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन – गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन से आनुवंशिक पदार्थ में भी परिवर्तन आ जाता है, जिस कारण जीव अपने जनक से भिन्न हो जाता है।
  2. जीन उत्परिवर्तन – जीन संरचना में परिवर्तन होने से भी विभिन्नता उत्पन्न होती है।
  3. गुणसूत्रों की संरचना में परिवर्तन – इसमें जीन की संख्या एवं विन्यास में परिवर्तन होने से एक ही जाति के जीवों में विभिन्नता आ जाती है।
  4. लैंगिक जनन – लैंगिक जनन के समय जीन विनिमय के कारण विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 2.
मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर का पौधा ही क्यों चुना? कारणों को समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल के द्वारा अपने प्रयोगों के लिए मटर के पौधे का चयन करने के कारण:
मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे का निम्न कारणों से चयन किया –

  1. मटर का पौधा आसानी से सर्वत्र उगाया जा सकता है।
  2. मटर का पौधा वार्षिक तथा अल्पकालिक जीवन चक्र वाला होता है।
  3. मटर के पुष्प द्विलिंगी होते हैं तथा पौधे मुख्यतः स्व-परागित होते हैं।
  4. मटर के पौधे में अनेक विरोधी गुण पाये जाते हैं।
  5. मटर में कृत्रिम रूप से परपरागण द्वारा आसानी से संकरण कराया जा सकता है।
  6. स्व:निषेचन के कारण मटर के पौधे समयुग्मजी होते हैं अत: पीढ़ी-दर-पीढ़ी ये शुद्ध लक्षण वाले होते हैं।

प्रश्न 3.
मेण्डल के प्रभाविता के नियम को उदाहरण सहित समझाइए तथा इस नियम की पुष्टि के लिए रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
मेण्डल के प्रभाविता के नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब विपरीत लक्षणों के एक जोड़े को ध्यान में रखकर क्रॉस कराया जाता है, तो पहली पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लक्षण) दिखाई देते हैं।” गुणों की यह प्रवृत्ति प्रभाविता तथा यह नियम प्रभाविता का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –

प्रश्न 4.
मेण्डल के पृथक्करण के नियम को उदाहरण सहित समझाइए तथा इस नियम की पुष्टि के लिए रेखाचित्र खींचिए।
उत्तर:
मेण्डल के पृथक्करण का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –

प्रश्न 5.
मेण्डल के स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। इस नियम की पुष्टि के लिए द्विगुणित क्रॉस का रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम:
मेण्डल का पृथक्करण का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –

प्रश्न 6.
मेण्डल के नियमों का महत्व समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल के नियमों का महत्व:

  1. मेण्डलवाद (मेण्डल के नियमों) के आधार पर उच्च लक्षणों वाली सन्तानों को प्राप्त किया जा सकता है।
  2. रोग प्रतिरोधी पौधों की किस्मों का विकास किया जा सकता है।
  3. उन्नत किस्में बनाकर उनके उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
  4. आनुवंशिक रोगों की खोज एवं उनके निदान में इसका प्रयोग हो सकता है।
  5. आनुवंशिकता के आधुनिक सिद्धान्त बनाने में बहुत मदद मिली है।
  6. जन्तुओं की अच्छी नस्ल पैदा करने में सहायता मिली है।

प्रश्न 7.
जीवों में पाई जाने वाली मूलभूत समानताओं को लिखिए।
उत्तर:
जीवों के संगठन एवं संरचना में समानताएँ:

  1. सभी जीव कोशिकाओं से निर्मित होते हैं।
  2. सभी जीवों का निर्माण जीवद्रव्य से हुआ है, जो उनकी कोशिकाओं में पाया जाता है।
  3. सभी जीवों में प्रजनन की प्रवृत्ति पाई जाती है।
  4. सभी जीवों की अपनी-अपनी जातियाँ होती हैं।

प्रश्न 8.
जैव विकास की परिकल्पना किन तथ्यों पर आधारित होती है?
उत्तर:
जैव विकास की परिकल्पना निम्न तथ्यों पर आधारित होती है –

  1. प्रकृति का वातावरण एवं उसकी दशाएँ कभी भी स्थिर या स्थायी नहीं होती हैं, इनमें निरन्तर परिवर्तन होता रहता है।
  2. आधुनिक समय में पृथ्वी पर जितनी अधिक जीव-जातियाँ पाई जाती हैं, उतनी अधिक संख्या में आदिकाल में नहीं पाई जाती होंगी।
  3. विकास के कारण एक ही जाति से अनेक जीव-जातियों की उत्पत्ति एवं विकास हुआ होगा।
  4. आदिकाल में पायी जाने वाली जीव-जातियों की संरचना, वर्तमान में पाई जाने वाली जीव-जातियों की संरचना से सरल रही होगी।
  5. जीव-जातियों के वंशज एक ही रहे होंगे।

प्रश्न 9.
समजात एवं समवृत्ति अंगों में अन्तर बताइए।
उत्तर:
समजात एवं समवृत्ति अंगों में अन्तर –

समजात अंग समवृत्ति अंग
समजात अंगों की उत्पत्ति समान होती है। समवृत्ति अंगों की उत्पत्ति भिन्न-भिन्न होती है। अर्थात् ये अलग-अलग स्थान से उत्पन्न होते हैं।
समजात अंगों की संरचना समान होती है। समवृत्ति अंगों की संरचना भिन्न-भिन्न होती है।
समजात अंगों के कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं अर्थात् प्रत्येक समजात अंग अलग-अलग प्रकार के कार्य करता है। समवृत्ति अंग एक जैसा कार्य करते हैं।

 

प्रश्न 10.
आर्कियोप्टेरिक्स के लक्षणों के आधार पर इस तथ्य की पुष्टि कीजिए कि पक्षी वर्ग का विकास सरीसृप वर्ग से हुआ।
उत्तर:
इस पुरातन पक्षी को सरीसृपों एवं पक्षियों के बीच की संयोजी कड़ी माना गया है। यह जुरैसिक कल्प में पाया जाने वाला कौवे के आकार का पक्षी था। इसमें सरीस्प एवं पक्षी वर्ग दोनों के मिश्रित लक्षण थे। इसका सिर छोटा परन्तु मजबूत था। इसके जबड़े में दाँत पाये जाते थे। अपेक्षाकृत कमजोर एवं लम्बी पूँछ पर जोड़ों में पंख व्यवस्थित थे। शरीर पर शल्क पाये जाते थे। पसलियों पर अन्सिनेट प्रवर्ध अनुपस्थित थे। V के आकार की अर्कुला पायी जाती थी। इसके लक्षणों के अध्ययन से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि पक्षियों का विकास परीसृप से हुआ।

प्रश्न 11.
प्रत्येक के लिए एक-एक उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए कि निम्नलिखित किस प्रकार जीवों के विकास के पक्ष में प्रमाण प्रस्तुत करते हैं?

  1. समजात अंग।
  2. समरूप अंग।
  3. जीवाश्य।

उत्तर:
1. समजात अंग:
सील एवं ह्वेल के अगपाद पक्षों में (तैरने के लिए), चमगादड़ों के पंखों में (उड़ने के लिए), घोड़ों के खुरों वाली टाँगों में (दौड़ने के लिए), मानव के हाथों में (पकड़ने के लिए) अनुकूलित होते हैं। इन सभी समजात अंगों में समान अस्थियों का बना कंकाल समान पेशियाँ आदि पायी जाती हैं। इनकी समजातता प्रमाणित करती है कि इनकी उत्पत्ति सहपूर्वजों से हुई है जो कालान्तर में वातावरण एवं आवश्यकतानुसार विभिन्न रूपों में परिवर्तित हो गए।

2. समरूप अंग (समवृत्ति अंग):
शकरकंद एवं आलूकंद दोनों ही भूमि के अन्दर पायी जाने वाले माँसल कंद होते हैं तथा दोनों ही भोजन का संचय एवं जनन का कार्य करते हैं अत: दोनों ही समरूप (समवृत्ति) अंग हैं क्योंकि दोनों के कार्य समान हैं, रूप समान हैं लेकिन शकरकंद अपस्थानिक जड़ का रूपान्तरण है तथा आलू भुमिगत तने का रूपान्तरण है। अतः इनकी उत्पत्ति सहपूर्वजों से नहीं हुई है।

3. जीवाश्म:
जैव विकास में जीवाश्म का महत्व-जैव विकास में जीवाश्म का प्रमाण बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न जीवाश्मों को एकत्रित करके उनकी आयु का निर्धारण कर लिया जाता है। फिर उन्हें आयु के क्रम में व्यवस्थित करके अध्ययन करने से विकास की प्रक्रिया ज्ञात की जा सकती है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए –

  1. जातिउद्भत।
  2. प्राकृतिक वरण (चयन)।

उत्तर:
1. जातिउद्भवन:
“जब कोई एक जाति (स्पीशीज) के जीव दो वर्गों में बँट जाएँ और उनके DNA में एवं गुणसूत्रों की संख्या में इस प्रकार परिवर्तन हो जाय कि वे परस्पर जनन करने में असमर्थ हों तो नयी जाति (स्पीशीज) का उद्भव होता है। यह घटना जातिउद्भवन कहलाती है।”

2. प्राकृतिक वरण (चयन):
प्राकृतिक चयन (वरण):
“प्रकृति जीवन संघर्ष के द्वारा योग्यतम का चयन करती रहती है, जिसे प्राकृतिक चयन (वरण) कहते हैं।”

प्रश्न 13.
मेण्डल के प्रयोगों द्वारा किस प्रकार दर्शाया कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल के अपने प्रयोगों द्वारा दर्शाया कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम भी प्रतिपादित किया।
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –

प्रश्न 14.
“अध्ययन के दो क्षेत्र-‘विकास’ और ‘वर्गीकरण’ परस्पर जुड़े हुए हैं।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
“जैव विकास तथा जीवों का वर्गीकरण परस्पर सम्बन्धित है।” इस कथन की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
जैव विकास एवं जैव वर्गीकरण में सम्बन्ध-स्वीडन वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस ने वर्गीकरण की द्विनाम पद्धति को प्रस्तुत किया। इसके अनुसार इसमें द्वितीय नाम जाति तथा पहला नाम उस श्रेणी का है जिसमें इस जाति से मिलती-जुलती सभी जातियों को सम्मिलित किया गया है।

जाति पौधों एवं जन्तुओं का ऐसा समूह है जिसके सभी सदस्य परस्पर संकरण द्वारा जननक्षम संतति उत्पन्न करते हैं तथा उनमें संरचनात्मक कार्यिकीय तथा भ्रूणीय समानताएँ पायी जाती हैं। समान जातियों को श्रेण” में समान श्रेणियाँ को कुल में, समान कुलों को गण में, समान गणों को वर्गों में, वर्गों को संघों में तथा संघों का जगत में रखा गया है। दरसे इस कथन की पुष्टि होती है कि जैव विकास तथा जीवों का वर्गीकरण परस्पर सम्बन्धित है।

प्रश्न 15.
मेण्डल ने यह किस प्रकार स्पष्ट किया कि “यह सम्भव है कि कोई लक्षण वंशानुगत हो जाय परन्तु किसी जीव में व्यक्त न हो पाए।”
उत्तर:
मेण्डल ने जब मटर के दो भिन्न लक्षणों वाले पौधों में संकरण कराया तो प्रथम पीढ़ी (संतति) में दोनों के लक्षण वंशागत होते हैं। लेकिन केवल एक लक्षण ही व्यक्त होता है तथा दूसरा लक्षण व्यक्त नहीं होता अर्थात् छिपा रहता है जो अगली पीढ़ी में पुनः व्यक्त होता है। अर्थात् प्रभावी लक्षण प्रकट होता है तथा अप्रभावी लक्षण छिपा रहता है। इससे स्पष्ट होता है कि कोई लक्षण वंशानुगत तो होता है लेकिन व्यक्त नहीं होता।

उदाहरणार्थ:
मटर के लाल पुष्प एवं सफेद पुष्पों वाले पौधों में संकरण कराने पर पहली पीढ़ी में सभी पौधे लाल पुष्प वाले होते हैं जबकि अगली पीढ़ी में लाल एवं सफेद दोनों प्रकार के पुष्पों के पौधे उत्पन्न होते हैं। अर्थात् सफेद रंग वंशानुगत तो हुआ लेकिन पहली पीढ़ी में प्रकट नहीं हुआ।

प्रश्न 16.
जीवाश्म की तीन महत्वपूर्ण विशेषताएँ लिखिए जो हमको विकास के अध्ययन में सहायक हों।
उत्तर:
जीवाश्म की महत्वपूर्ण विशेषताएँ जो विकास के अध्ययन में सहायक होंगी –

  1. जीवाश्म पूर्वज स्पीशीज के संरक्षण के मोड़ को व्यक्त करते हैं अर्थात् उससे जीवाश्मीकरण की प्रक्रिया का पता चलता है।
  2. जीवाश्म जीवों और उनके पूर्वजों के बीच क्रमिक विकसित लक्षणों में सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होते हैं।
  3. जीवाश्म आयु निर्धारण में सहायक होते हैं। कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया द्वारा जीवाश्मों के जीवनकाल की गणना की जा सकती है। इससे उन्हें काल
  4. खण्ड के क्रम में व्यवस्थित करके उनके क्रमिक विकास का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
क्या किसी स्पीशीज के जीवों का भौगोलिक पृथक्करण नयी स्पीशीज को जन्म देगा? एक उचित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, भौगोलिक पृथक्करण धीरे-धीरे समष्टि को विलुप्त होने के कगार पर ले जाता है। यह घटना पृथक्कृत जीवों में लैंगिक जनन के लिए कुछ सीमाएँ बाँध सकते हैं। धीरे-धीरे पृथक्कृत जीव परस्पर जनन करने लगते हैं और नयी विभिन्नताएँ उत्पन्न कर सकते हैं। लगातार उन विभिन्नताओं का संचयन नयी पीढ़ियों द्वारा करते-करते अन्त में नयी स्पीशीज के जनन की ओर बढ़ती है। इस प्रकार नयी स्पीशीज का जन्म होगा।

प्रश्न 18.
सभी मानव प्रजातियाँ जैसे अफ्रीकन, एशियन, यूरोपियन, अमेरिकन एवं अन्य का विकास सह-पूर्वजों से विकसित हुई हो ऐसा हो सकता है। इस विचार की पुष्टि के लिए प्रमाण दीजिए।
उत्तर:
सभी मानव प्रजातियाँ जैसे अफ्रीकन, एशियन, यूरोपियन, अमेरिकन एवं अन्य सभी का विकास एक सह-पूर्वजों से ही हुआ है। इसके प्रमाणस्वरूप निम्न तथ्य महत्वपूर्ण हैं –

  1. समान शारीरिक संरचना।
  2. समान जैव प्रक्रम एवं चयापचय क्रियाएँ।
  3. सभी में समान गुणसूत्रों की संख्या।
  4. समान आनुवंशिक ब्लूप्रिंट इत्यादि।

प्रश्न 19.
निम्न संकरणों में संतति के लक्षण लिखिए –

उत्तर:
(a) (गोल, पीले)
(b)

  1. (गोल, पीले)
  2. (गोल, हरे)
  3. (झुरींदार, पीले)
  4. (झुरींदार, हरे)

(c) (झुरींदार, हरे)
(d) (गोल, पीले)

       दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीन संकल्पना की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
जीन संकल्पना की विशेषताएँ:

  1. जीन गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं।
  2. जीन एक भौतिक इकाई है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी जनक (माता-पिता) से सन्तान में वंशागत होते हैं।
  3. जीन गुणसूत्रों पर माला के दाने की तरह विन्यासित होते हैं।
  4. प्रत्येक जीन एक विशिष्ट गुणसूत्र में विशिष्ट स्थान पर स्थित होता है।
  5. कोई भी जीन एक से अधिक अवस्थाओं में मिल सकता है।
  6. जीन जीवों के भौतिक एवं शरीर के क्रियात्मक लक्षणों को निर्धारित करते हैं अर्थात् जीन एक भौतिक क्रियात्मक इकाई है।
  7. जीन पुनरावृत्ति करते हैं।
  8. प्रत्येक जीन एक विशेष प्रोटीन का संश्लेषण करता है।
  9. जीन जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं जो कार्बोहाइड्रेट्स एवं न्यूक्लिक अम्लों के रूप में संयुक्त होते हैं।

प्रश्न 2.
मेण्डल के प्रयोग ने यह कैसे दर्शाया कि –

  1. लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
  2. विभिन्न लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं?

उत्तर:
1. लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं।
मेण्डल ने अपने प्रयोगों द्वारा दर्शाया कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशागत होते हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने प्रभाविता का नियम भी प्रतिपादित किया।
मेण्डल के प्रभाविता के नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब विपरीत लक्षणों के एक जोड़े को ध्यान में रखकर क्रॉस कराया जाता है, तो पहली पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लक्षण) दिखाई देते हैं।” गुणों की यह प्रवृत्ति प्रभाविता तथा यह नियम प्रभाविता का नियम कहलाता है।

2. विभिन्न लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं।
मेण्डल के अपने प्रयोगों द्वारा दर्शाया कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम भी प्रतिपादित किया।
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –

प्रश्न 3.
विकास की परिभाषा लिखिए। यह किस प्रकार होता है? वर्णन कीजिए कि जीवाश्म किस प्रकार विकास के समर्थन में प्रमाण प्रस्तुत करते हैं?
उत्तर:
विकास या जैव विकास:
जैव विकास अथवा विकास-“अधिक धीमी गति एवं क्रमबद्ध परिवर्तनों की वह प्रक्रिया जिसके द्वारा आधुनिक जीवों (पौधे एवं प्राणियों) की विभिन्न जातियाँ आदिकाल में उपस्थित जातियों से विकसित हुई, जैव विकास या विकास कहलाता है।”
अथवा
“आदिकाल में धीमी गति से होने वाला वह क्रमिक परिवर्तन जिसके कारण आदि-सूक्ष्म सरल जीवों से वर्तमान समय के विकसित एवं जटिल जीवों का निर्माण हुआ, विकास या जैव विकास कहलाता है।”

विकास की प्रक्रिया:
वर्तमान जटिल जीवों का विकास पूर्व के सरल जीवों के क्रमिक परिवर्तन, विभिन्नताओं एवं अनुकूलन के द्वारा हजारों-लाखों वर्षों में धीरे-धीरे हुआ। पर्यावरण एवं जीव की आवश्यकताओं के अनुसार धीरे-धीरे जीव का विकास हुआ।

विकास के समर्थन में जीवाश्मों के प्रमाण:
जैव विकास में जीवाश्म का प्रमाण बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न जीवाश्मों को एकत्रित करके उनकी आयु का निर्धारण कर लिया जाता है। फिर उन्हें आयु के क्रम में व्यवस्थित करके अध्ययन करने से विकास की प्रक्रिया ज्ञात की जा सकती है।

प्रश्न 4.
प्रत्येक का एक-एक उदाहरण देकर उपार्जित लक्षणों और आनुवंशिक लक्षणों के बीच विभेदन कीजिए। किसी व्यष्टि द्वारा अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में उपार्जित लक्षण/अनुभव अगली पीढ़ी में वंशानुगत क्यों नहीं होते? इस तथ्य का कारण उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपार्जित लक्षण एवं वंशानुगत (आनुवंशिक) लक्षणों के बीच उदाहरण सहित विभेदन:
“जो लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को अर्थात् जनकों से सन्तान को स्थानान्तरित होते हैं, वंशागत लक्षण कहलाते हैं।”
उदाहरण: आँख का रंग, बीज़ों का रंग।

उपार्जित लक्षण: “जो लक्षण जीवन-पर्यन्त अर्जित किए जाते हैं तथा जनक से सन्तान को स्थानान्तरित नहीं होते, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं।”
उदाहरण: मोटापा, किसी दुर्घटना में कटी हुई अंगुलियाँ।

किसी व्यष्टि द्वारा अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में उपार्जित लक्षण/अनुभव अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। उपार्जित गुणों (लक्षणों) की वंशागति नहीं होती क्योंकि ये लक्षण जनन कोशिकाओं के DNA में कोई परिवर्तन नहीं करते, केवल वे ही लक्षण वंशागत होते हैं जिनका कोई जीन होता है।

प्रश्न 5.
आनुवंशिकता की तकनीक की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
आनुवंशिकता (वंशानुगत) की प्रमुख विशेषताएँ:

  1. लक्षणों का नियन्त्रण जीन्स के द्वारा होता है।
  2. प्रत्येक जीन एक-एक लक्षण को नियन्त्रित करता है।
  3. जीन दो या अधिक प्रकार रूपों के हो सकते हैं।
  4. एक प्रकार (रूप) दूसरे पर प्रभावी हो सकता है।
  5. जीन गुणसूत्रों (क्रोमोसोम्स) पर उपस्थित होते हैं।
  6. एक जीव के दो प्रकार के जीन्स हो सकते हैं समान या असमान।
  7. युग्मक बनते समय वे दोनों जीन्स के रूप अलग-अलग हो जाते हैं।
  8. वे दोनों रूप युग्मनज बनने के समय साथ-साथ आ जाते हैं।

MP Board Class 10th Science Solutions

The Complete Educational Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *