MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 12 कैदी और कोकिला
MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 12 कैदी और कोकिला
MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 12 कैदी और कोकिला ( माखनलाल चतुर्वेदी )
जीवन – परिचय
हिन्दी साहित्य में ‘एक भारतीय आत्या’ देश-प्रेम की गौरव-गाथा के अमर गायक माखन लाल चतुर्वेदी जी का जन्म 1889 ई. में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में हुआ था। उन्होंने प्राथामिक शिक्षा के उपरांत घर पर ही संस्कृत, अंग्रेजी, बंगला तथा गुजराती का अध्ययन किया। किशोरावस्था में ही उन्होंने अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। उसके बाद संपादन के क्षेत्र में उतर आए। ‘प्रभा’ पत्र का संपादन करने-करते वे गणेश शंकर विधार्थी के सम्पर्क में आए। उन्हीं दिनों उन्होंने ‘एक भारतीय आत्मा’ नाम से ओजपूर्ण कविताएँ लिखीं। वे ‘कर्मवीर’ नामक पत्र के संपादक नियुक्त हुए। सन 1924 में असहयोग आंदोलन के अंतर्गत गणेश शंकर विद्यार्थी की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने ‘प्रताप’ पत्र का सम्पादन कार्य सँभाला। साहित्य की महती सेवा के लिए सागर विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डी. लिट्. की उपाधि दी। भारत सरकार ने ‘पद्यमभूषण’ से अलंकृत किया। 30 जनवरी, 1968 ई. को उनका स्वर्गवास हो गया।
रचनाएँ-माखन चतुर्वेदी जी एक सफल कवि थे। उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं –
हिमकिरीटनी, हिमतरंगिनी युगचरण, समर्पण, बेणुलो, गूँजे धरा, माता, आदि उनकी प्रमुख काव्य-रचनाएँ हैं। वे एक सफल गद्यकार भी थे। इन्होंने नाटक, निबंध और कहानी पर भी लेखनी चलाई है।
काव्यगत विशेषताएँ- चतुर्वेदी जी की काव्य-रचना का मुख्य स्वर राष्ट्रीयता का है, उनकी रचनाएँ राष्ट्रीय भावना से युक्त हैं। त्याग, बलिदान, प्रखर राष्ट्र भक्ति आदि की राष्ट्रीयता की विशेषताएँ हैं। उनके काव्य से स्वतंत्रता आंदोलन को अत्यधिक बल प्राप्त हुआ है। उनकी कुछ आरंभिक रचनाएँ भक्ति और अध्यात्म संबंधी भी हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रेम और प्रकृति संबंधी कविताएँ भी लिखी हैं।
भाषा-शैली – चतुर्वेदी जी की भाषा शुद्ध, मानक खड़ी बोली है। उसमें संस्कृत के तत्सम और तद्भव शब्दों की प्रधानता है। अलंकरण के बजाय भाषा की शुद्धता पर उनका ध्यान अधिक केन्द्रित हुआ है। उनकी भाषा में अरबी-फरसी के शब्दों के साथ ही बोलचाल की भाषा के शब्दों का पर्याप्त बाहुल्य है। उन्होंने प्राय: मुक्तक काव्य लिखा है। वास्तव में माखनलाल चतुर्वेदी जी का ध्यान भाषा – शिल्प की ओर न होकर ‘भाव’ की ओर अधिक केन्द्रित है। अतः उनका भाव – पक्ष अधिक सबल है।
कविता का सार
राष्ट्रप्रेमी कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी ने ‘कैदी और कोकिला’ कविता में कोकिला के माध्यम से पराधीन भारत की जेलों की दुर्दशा का वर्णन करते हुए लोगों को क्रान्ति करने का आह्वान किया है। कारागार में बंदी कवि अँधेरी रात में कोयल का मधुर स्वर सुनकर आंदोलित हो उठता है। उसका मन प्रश्नों और जिज्ञासाओं से भर उठता है। चारों ओर अँधेरा है। कवि कोयल से पूछता है कि वह इस कष्टकर वातावरण में क्या करने आई है? शायद वह कारागृह पर अपनी मधुरता बरसाने आई है; अथवा उसने कवि की यातनाओं को देख लिया है। अतः उसकी चीख निकल पड़ी है।
शायद वह कवि की हथकड़ियों पर अप्रसन्न है। कवि हथकड़ियों को अपना आभूषण मानता है। जेल की यातनाओं को अपना गौरव मानता है।
कोयल हर प्रकार स्वतंत्र एवं जन-प्रशंसित है, जबकि कवि वंदी तथा चिर- उपेक्षित है। कवि कोयल की आवाज़ से प्रेरित हो गाँधी जी के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने को तैयार है।
पाठ्य पुस्तक पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर- कविता में वर्णित कोयल की कूक असमय अर्थात् अर्द्धरात्रि में है। इसलिए असमय कोयल की कूक ने कवि को असहज कर दिया। वह यह सोचने पर विवश हो गया कि अर्द्धरात्रि में कोयल की कूक का क्या कारण है। कवि सोचता है- या तो कोयल पागल हो गई है या कोई विशिष्ट संदेश देना चाहती है या उसने कहीं दावानल की तरह फैलने वाली स्वतंत्रता की आग तो नहीं देख ली, जिसे वह बिना समय गँवाए सबको तुरंत बताना चाहती हो ।
प्रश्न 2. कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की सँभावना बताई?
उत्तर- कवि ने कोयल के असमय बोलने की अनेक संभावनाएँ जताई हैं, उनमें प्रमुख हैं- कोयल का पागल होना; कोई विशिष्ट संदेश जनमानस तक पहुँचाना; स्वतंत्रता की दावानल की लपटें देखकर इसकी सूचना प्रसारित करना; क्रांतिकारियों के मन में देश-प्रेम की भावना का संचार करना आदि।
प्रश्न 3. किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?
उत्तर- कवि ने अंग्रेजी शासन की तुलना तम के प्रभाव से की है। कारण, अंग्रेज शासक भारतीयों पर विभिन्न प्रकार के जुल्म कर रहे थे। उनके जुल्म के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को वे बर्बरता से कुचल देते थे। स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार कर काल कोठरी में डाल दिया जाता था, तत्पश्चात् उन्हें विभिन्न यंत्रणाएँ दी जाती थीं। उन्हें खाने-पीने को कम देकर पशुओं की तरह काम लिया जाता था।
प्रश्न 4. ‘कैदी और कोकिला’ कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर- ‘कैदी और कोकिला’ कविता में वर्णित तथ्यों के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में कैदियों को निम्नलिखित यंत्रणाएँ दी जाती थीं- (i) कैदियों को हथकड़ियों एवं बेड़ियों से जकड़कर छोटी-छोटी कोठरियों में रखा जाता था, (ii) उनसे कड़ी मेहनत ली जाती थी; यथा-गिट्टी बनाना अर्थात् पत्थर तोड़ना, कुएँ से पानी की मोट खींचना, (ii) खाने का स्तरहीन होना, (iv) गाली-गलौच करना इत्यादि । संक्षेप में उस समय के कैदी जेलों में न जी सकते थे और न ही वे चैन से मर सकते थे।
प्रश्न 5. ‘मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिला बोलो तो!” पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश का भाव यह है कि कोयल का स्वर अत्यंत मधुर एवं मृदुल होता है। परंतु कवि कहता है कि अंग्रेजों के बर्बर शासन के बावजूद क्या अभी भी तुम्हारी मधुरता शेष है? या तुम अपनी वैभवशाली मधुरता की रखवाली कर रही हो? कोकिल कुछ तो बोलो मुझे जवाब दो ।
प्रश्न 6. “हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जुआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ” उपर्युक्त पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश में कवि ने स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में दी जाने वाली भयंकर यंत्रणाओं को चित्रित किया है। वे लिखते हैं कि अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर जेल गए कैदियों के साथ अत्यंत बर्बर रवैया अपनाया गया, ताकि वे अपना स्वाभिमान तथा देश के प्रति अपना अभिमान भूलकर अंग्रेजों के साथ दें। परंतु हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेज अधिकारियों की यंत्रणाओं को खुशी-खुशी स्वीकार कर उनके घमंड को चूर-चूर कर रहे थे।
प्रश्न 7. अर्द्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है ?
उत्तर- अर्द्धरात्रि में कोयल की चीख सुनकर कवि विचलित हो जाता है। वह सोचता है कि क्या कोयल पागल हो गई है, या हम कैदियों की हालत देखकर द्रवित हो उठी है? या फिर उसने देश में दावानल की तरह फैली क्रांति की ज्वाला को देख लिया है और हमें बताना चाहती है? या फिर वह हमारे लिए कोई विशिष्ट संदेश लाई है, जिसे तुरंत हमें सुनाना चाहती है ?
प्रश्न 8. ‘कैदी और कोकिला’ कविता के कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?
उत्तर- कवि को कोयल से ईर्ष्या इसलिए हो रही है कि कोयल स्वतंत्र है और कहीं भी विचरण कर सकती है, जबकि कवि परतंत्र है तथा जेल में बंद है। कोयल अपना बसेरा पेड़ की हरी-भरी टहनियों के बीच बसाये हुए हैं, जबकि कवि जेल की काल कोठरी में बंद है। कोयल के मधुर गान को सुनकर लोग प्रफुल्लित होते हैं, जबकि कवि का गान तत्कालीन परिस्थितियों में लोग सुनना भी गुनाह समझते हैं।
प्रश्न 9. कवि माखनलाल चतुर्वेदी के स्मृति पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है ?
उत्तर – कवि के स्मृतिपटल पर बाग-बगीचों में आम के पेड़ पर बैठ कर प्राय: दिन के समय, गीत सुनाती कोयल का चित्र अंकित है। जिसे अर्द्धरात्रि में बोलकर कोयल कवि की स्मृति में बसी मधुर यादों को नष्ट करने पर तुली है। कवि को अर्द्धरात्रि की कोयल की कूक हूक लगती है, क्योंकि उसकी यह कूक वेदनापूर्ण है। उसे कोयल का असमय कूकना विचित्र लगता है, जो उसे चिंतित कर देता है।
प्रश्न 10. ‘कैदी और कोकिला’ कविता में कवि ने हथकड़ियों को गहना क्यों कहा है ?
उत्तर- कवि ने हथकड़ियों को गहना इसलिए कहा है कि कवि चोर, डकैत या अन्य कोई जघन्य अपराधी नहीं अपितु वह देश की स्वतंत्रता के लिए तत्कालीन शासन से संघर्षरत एक वीर सिपाही है। वह अपने देश के लिए अपना सर्वस्व लुटाने को तत्पर है। अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाना और उसके लिए जेल जाना अपमान नहीं सम्मान की बात है।
प्रश्न 11. “काली तू…. ऐ आली ” – इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए ।
उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति ने काव्य में एक अनोखा चमत्कार उत्पन्न किया है। कवि ने इस एक शब्द के माध्यम से तत्कालीन ब्रिटिश शासन की भयावहता को चित्रित करते हुए उनके द्वारा किए गए कुकृत्यों कों अभिव्यक्त किया है। काली रात की कालीमा सर्वस्व व्याप्त होती प्रतीत होती है। इससे नैराश्यपूर्ण समाज का चित्र साकार होता है।
प्रश्न 12. ” किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?” काव्यांश का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश में कवि यह विचार करता है कि कहीं कोयल ने लोगों में उठने वाली स्वतंत्रता संघर्ष की आग को देख तो नहीं लिया, जिसे वह तुरंत हमें बताना चाहती है। उपर्युक्त पंक्तियों की भाषा तत्सम शब्दों से युक्त खड़ी बोली है। “दावानल की ज्वालाएँ” में रूपक अलंकार है। कवि और कोयल के संवाद के कारण मानवीकरण अलंकार है। प्रशनात्मक शैली है।
प्रश्न 13. “तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह !
देख विषमता तेरी मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!”
उपर्युक्त पंक्तियों का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने अपने और कोयल के जीवन की तुलनात्मक झाँकी प्रस्तुत की है। कवि कहता है कि तुम्हारे गाए गए गीतों को लोग प्रफुल्लित हो सुनते हैं, जबकि हमारा अर्थात् स्वतंत्रता सेनानियों का खुलकर रोना भी गुनाह माना जाता है। हम चुपचाप यंत्रणाएँ सह रहे हैं। इस विषमता को देखकर भी तुम द्रवित न होकर रणभेरी बजा रही हो। उपर्युक्त काव्यांश में कवि ने तत्सम शब्द युक्त खड़ी बोली का प्रयोग किया है। प्रसंगानुसार उर्दू-फारसी शब्दों का प्रयोग भी दर्शनीय है। ‘रणभेरी बजाना’ मुहावरे ने काव्य भाषा में सजीवता ला दी है। ‘तेरी – मेरी’, ‘वाह – गुनाह’ से स्वर मैत्री तथा अनुप्रास अलंकार व्यंजित होता है।
प्रश्न 14. कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा, लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है ?
उत्तर- कोयल एक समय विशेष में और मधुर स्वर में कूकती है, जबकि अन्य पक्षी दिन भर चहकते रहते हैं। अत: कोयल का असमय कूकना कवि को अपनी ओर आकर्षित करता है। कोयल असमय कूककर अपना विशिष्ट संदेश भारतीय जनमानस तक पहुँचाना चाहती है। ब्रिटिश शासन के अत्याचार से वह भी आहत है। उसे उन अत्याचारों के समक्ष समय बोध नहीं रहा। अतः कवि ने अपना संदेश भारतीयों के बीच पहँचाने के लिए भारतीय जनमानस की अत्यंत प्रिय आवाज को अपनी कविता का माध्यम बनाया है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(i) ‘दावानल’ का अर्थ है ……….. I ( समुद्र की आग / जंगल की आग)
(ii) दस फुट का संसार ………. है। (जेल कोठरी/ एक कमरा )
(iii) कवि ने हथकड़ियों को ………… की संज्ञा दी है। (गहने/पराधीनता)
उत्तर – (i) जंगल की आग, (ii) जेल-कोठरी (iii) गहने ।
प्रश्न 2. सत्य / असत्य बताइए –
(i) कवि कविता में कोयल से बात कर रहा है।
(ii) कवि ने हथकड़ियों को गहना कहा है।
(iii) चोर-डकैतों के साथ रखा गया था ।
उत्तर- (i) सत्य, (ii) सत्य, (iii) सत्य।
प्रश्न 3. एक वाक्य में उत्तर दीजिए –
(i) कवि ने ब्रिटिश शासन की तुलना किससे की है।
(ii) कवि ने जेल को किसका डेरा बताया है ?
(iii) चतुर्वेदी जेल क्यों गए थे?
(iv) कवि को जेल में किसके साथ रखा गया ?
उत्तर – (i) कवि चतुर्वेदीजी ने ब्रिटिश शासन की तुलना अँधियारी रात से की है।
(ii) कवि ने जेल को चोर, लुटेरे और डाकुओं का डेरा बताया है।
(iii) चतुर्वेदीजी देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए जेल गए थे।
(iv) कवि को जेल में चोर-डकैतों के साथ रखा गया।
काव्यांश पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
काव्यांश – 1
“क्या गाती हो? क्यों रह रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो! क्या लाती हो?
संदेशा किसका है? कोकिल बोलो तो!
ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है ?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली?’
प्रश्न 1. कवि कोकिल से क्या पूछ रहा है?
उत्तर – कवि कोयल से उसके गाने तथा उसके द्वारा लाए गए संदेश के बारे में उत्सुकता से पूछ रहा है- हे कोयल ! तुम गाती हो और गाते-गाते रुक क्यों जाती हो । क्या तुम मेरे किसी का कुछ संदेशा लाई हो ?
प्रश्न 2. आधी रात को कोयल की हूक सुनकर कवि क्या अनुमान लगाता है?
उत्तर- आधी रात में कोयल की हूक सुनकर कवि यह अनुमान लगाता है कि कोयल जरूर कोई प्रेरणादायी संदेश लेकर आई होगी।
प्रश्न 3. कवि ने जेल को किसका डेरा बताया है ? उत्तर – कवि ने जेल को डाकू, चोर तथा लुटेरों का डेरा बताया है।
प्रश्न 4. कवि ब्रिटिश शासन की तुलना किससे करता है?
उत्तर- कवि ब्रिटिश शासन की तुलना काली अँधियारी रात से करता है।
प्रश्न 5. ‘हिमकर’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- ‘हिमकर’ का शाब्दिक अर्थ चंद्रमा है।
काव्यांश – 2
“क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा ?
महल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
क्या हुई बावली ?
अर्द्धरात्रि को चीखी, ·
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं?
कोकिल बोलो तो!”
प्रश्न 1. उपर्युक्त पंक्तियाँ कहाँ से ली गई हैं? इसके कवि कौन हैं?
उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियाँ कविवर माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा और रचित ‘कैदी और कोकिला’ नामक पाठ से ली गई हैं।
प्रश्न 2. ‘दावानल’ का क्या अभिप्राय है?
उत्तर- दावानल का अभिप्राय है जंगल में अपने आप लगने वाली आग।
प्रश्न 3. कोयल आधी रात में कूकने के बजाय क्यों हूक उठी?
उत्तर- कोयल ब्रिटिश शासन के अधीन कूकना भूल गयी है। उसे भारतीयों की परतंत्रता के कष्ट का आभास है। अत: वह कूकती नहीं हूकती है।
प्रश्न 4. कवि ने कोयल को बावली अर्थात् पागल क्यों कहा है?
उत्तर- कोयल अर्द्धरात्रि में कूक रही है। इस समय जो जैसे भी हो, सोया होता है। इस प्रहर में असमय कूक कर कोयल ने कवि के दुःख को बढ़ा दिया है। अतः कवि ने उसे बावली कहकर संबोधित किया है।
प्रश्न 5. ‘मृदुल वैभव की रखवाली-सी’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर- उपमा अलंकार।
काव्यांश-3
“क्या?- देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ?- जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआँ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गजब ढा रही आली?
इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो! ?
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!”
प्रश्न 1. कवि ने अपनी हथकड़ियों को गहना क्यों कहा है?
उत्तर- कवि ने हथकडियाँ चोरी-डकैती या लूटमार के लिए दंड-स्वरूप नहीं पहनीं, अपितु देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए पहनी हैं। अतः कवि ने अपनी हथकड़ियों को गहना कहा है।
प्रश्न 2. कवि ने ब्रिटिश सरकार की अकड़ का कुआँ कैसे खाली किया?
उत्तर- कवि ने जेल में ब्रिटिश सरकारी तंत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा दी गई सभी यंत्रणाओं तथा अत्याचारों का साहस के साथ सामना कर ब्रिटिश सरकार की अकड़ को ढीला कर दिया। इसे ही काव्यांश में अकड़ का कुआँ खाली करना कहा गया है।
प्रश्न 3. ‘गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- उपर्युक्त पंक्ति में कवि ने कहा है कि जिस अँगुली से मैं पृष्ठों पर गीत लिखा करता था, वो अंगुलियाँ आज गिट्टी पर गीत लिख रही हैं। अर्थात् कवि को जेल में गिट्टी तोड़नी पड़ रही हैं।
प्रश्न 4. कवि जेल क्यों गया था?
उत्तर कवि अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से संघर्ष करता हुआ जेल में गया था।
प्रश्न 5. ‘विद्रोह बीज’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर- रूपक अलंकार।
काव्यांश – 4
“काली तू, रजनी भी काली, शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली, मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली कमली काली, मेरी लौह-श्रृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली, तिस पर गाली, ऐ आली!
इस काले संकट-सागर पर मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो! अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती! कोकिल बोलो तो!”
प्रश्न 1. काव्यांश में काले रंग के प्रयोग से कैसे वातावरण चित्रित हुआ है?
उत्तर- कवि ने काले रंग के बिंब सभी वस्तुओं में प्रकट कर कैदियों, भारतीय जनमानस तथा स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत सेनानियों के मध्य भय एवं डर के वातावरण का मार्मिक चित्रण किया है।
प्रश्न 2. काव्यांश में वर्णित काली वस्तुओं का नाम लिखिए।
उत्तर – कवि ने काव्यांश में अंग्रेजी शासन के कार्य, कोयल, रात, जेल की कोठरी, कंबल, टोपी, भारतीय जनमानस में व्याप्त निराशा की लहर तथा स्वतंत्रता के खिलाफ उठने वाली कल्पनाओं को काला बताया है।
प्रश्न 3. काव्यांश का शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। उत्तर- काव्यांश में कवि ने सभी वस्तुओं को काली बताकर जनमानस के मध्य तत्कालीन शासन का सच, जनमानस में व्याप्त आतंक, भय और डर के वातावरण को प्रस्तुत किया है। काव्यांश की भाषा तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है। शैली प्रश्नात्मक है। ‘संकट – सागर’ तथा ‘हुंकृति की प्याली’ में रूपक अलंकार एवं संपूर्ण काव्यांश में अनुप्रास अलंकार की छटी दर्शनीय है।
काव्यांश – 5
“तुझे मिली हरियाली डाली, मुझें नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ- भर में संचार तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह ! देख विषमता तेरी- मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी! इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
मेरा दस फुट का संसार ! कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर, प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो!”
प्रश्न 1. कवि ने ‘देख विषमता तेरी- मेरी’ के माध्यम से किस विषमता की ओर संकेत किया है?
उत्तर- उपर्युक्त पंक्ति के माध्यम से कवि ने अपनी अर्थात् कैदी और कोयल की विषमता की ओर संकेत करते हुए है कि कोयल तुम पेड़ों की हरी-भरी डालियों पर उड़ती फिर रही हो, वहीं मैं ऊँची-ऊँची दीवारों के मध्य एक दस फुट की कोठरी में रहने को बाध्य हूँ। कोयल द्वारा गाए गए गीतों को सराहा जाता है, वहीं कवि द्वारा लिखे गीत तत्कालीन परिस्थितियों में किसी को सुनाये भी नहीं जा सकते।
प्रश्न 2. ‘मेरा दस फुट का संसार’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर- उपर्युक्त पंक्ति के माध्यम से कवि जेल की उस कोठरी की ओर संकेत कर रहा है, जिसमें वो यातनामयी दिन काट रहा है।
प्रश्न 3. कोयल और कैदी अर्थात् कवि में क्या समानता है?
उत्तर- कवि ने कोयल और कैदी में समानता बताते हुए लिखा है कि कैदी और कोयल दोनों गुलाम देश के निवासी हैं। कोयल की कूक तथा कवि की रचना दोनों वेदनामयी हैं। कोयल अपने गायन से तथा कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से देशवासियों को स्वतंत्रता की प्रेरणा दे रहे हैं ।
प्रश्न 4. हुंकृति का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर- हुंकृति का शाब्दिक अर्थ हुंकार है।
प्रश्न 5. मुझे नसीब कोठरी काली में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर- ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।