MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया ( चपला देवी )
लेखक – परिचय
जीवन-परिचय-चपला देवी अपने समय की गुमनाम लेखिकाओं में से एक है। देश में अनेक ऐसे रचनाकर हुए हैं जिन्होंने अपने साहित्य में आंदोलन से जुड़ी घटनाओं का अक्षरश: सत्य वर्णन किया है किंतु उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रकाश में नहीं आ पाया। हालाँकि इनकी कृतियों ने स्वाधीनता की ज्योति को जन-जन तक पहुँचाने का काम किया। चपला देवी का साहित्य स्वतंत्रता सेनानियों के आंदोलन को गति देने में लगी रही, पर उनका नाम भारतीय साहित्य के इतिहास में अंकित नहीं हो पाया। चपला देवी की गणना द्विवेदी युग के साहित्यकारों में की जाती है।
रचना परिचय-चपला देवी की रचनाओं की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
साहित्यिक विशेषताएँ – चपला देवी के साहित्य में स्वतंत्रता आंदोलन के अछूते पक्ष को उठाया गया है। वह उस समय के जनमानस द्वारा किए गए संघर्ष को हमारे सम्मुख इस तरह प्रस्तुत करता है कि एक-एक पल की घटना हमारी आँखों के सामने सजीव हो उठती है।
भाषा-शैली- चपला देवी की भाषा में हिंदी गद्य के प्रारंभिक रूप के दर्शन होते हैं। इनकी भाषा सरल, सजीव तथा प्रभावी है। इनकी भाषा में तत्सम शब्दावली की बहुलता है। संवाद शैली के प्रयोग से भाषा प्रभावी बन गई है।
पाठ का सार
सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हजारों वीरों ने कुर्बानी दी है। इस पाठ में नाना साहब की पुत्री मैना देवी के बलिदान की कहानी है, जिसे अंग्रेजों ने नाना साहब को न पकड़ पाने के बाद प्रतिशोध स्वरूप जलती आग के हवाले करके अपनी क्रूरता की सारी सीमाएँ पार कर दी थी। अंग्रेजों का अपने ही सेनापति से विश्वास उठ चुका था, जिसके बारे में अंग्रेजी समाचार पत्रों ने लिखा था। भारतीय समाचार पत्रों ने अंग्रेजों के इस कुकृत्य की निंदा की। इस पाठ के माध्यम से युवाओं को वीर-वीरांगनाओं के बलिदान से अवगत कराया गया है।
सन् 1857 स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अंग्रेजी सेना के विरुद्ध भारतीयों का विद्रोह असफल हो गया। अंग्रेजों को विद्राही नेता नाना साहब ने खूब क्षति पहुँचाई पर कानपुर में विद्रोह की असफलता के कारण उन्हें भागना पड़ा। वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना देवी को अपने साथ न ले जा सके जिसे विद्रोह दमन के उपरांत अंग्रेजों ने अग्नि में भस्म कर दिया। यह वर्णन पाषाणहृदयी व्यक्ति को भी द्रवीभूत कर देता है।
कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेजी सेना ने बिठूर में नाना के महल में खूब लूटपाट की। अंग्रेजों ने वहाँ नाना को न पाकर उनका महल तोपों से उड़ाने का निश्चय किया। मकान को नष्ट होने की आशंका से नाना की पुत्री मैना बरामदे में आई, उसने अंग्रेज सेनापति से उस मकान को नष्ट न करने का अनुरोध किया। सेनापति ने बताया कि उसे नाना से संबंधित सभी वस्तुएँ नष्ट करने का निर्देश है, अतः उसे यह मकान नष्ट करना ही होगा। अपना अनुरोध विफल होता देख नाना साहब की पुत्री मैना ने अंग्रेज़ सेनापति को बताया कि मैं आपकी दिवंगत पुत्री मेरी की सहेली हूँ। उस समय आप भी यहाँ आते-जाते थे। आपकी दिवंगत पुत्री मेरी का लिखा एक पत्र अब भी मेरे (मैना) पास है यह सुनकर ‘हे’ ने पहचान लिया कि यह नाना साहब की पुत्री मैना है। जनरल ‘हे’ ने कहा कि ब्रिटिश सरकार की आज्ञा को वह टाल नहीं सकते हैं, हाँ, इस मकान की रक्षा के लिए अवश्य प्रयास करेंगे। उसी समय प्रधान सेनापति जनरल अउटरम आ गया और उसने अब तक नाना का महल न गिराने का कारण पूछा। जनरल ‘हे’ ने अउटरम से वह मकान बचा लेने का अनुरोध किया। अउटरम ने इसे असंभव बताया और कहा कि गवर्नर जनरल की अनुमति के बिना यह संभव नहीं है। ‘हे’ ने उस मकान को बचाने का आशय संबंधी पत्र गवर्नर जनरल के पास भिजवा दिया। अउटरम का मकान गिराने तथा मैना की गिरफ्तारी की इच्छा जानकर ‘हे’ वहाँ से चला गया। इसके बाद अंग्रेज़ सैनिकों ने महल का फाटक तोड़कर महल में लूटपाट की ओर मैना को ढूँढा, परंतु वे मैना को नहीं पा सके।
शाम के समय तक लार्ड केनिंग द्वारा भेजा गया जवाब आ गया कि नाना का प्रत्येक स्मृति चिह्न तक मिटा जाए। इसके बाद घंटे भर में तोप के गोलों से महल को ध्वस्त कर दिया गया।
सितंबर माह की अर्धरात्रि में एक बालिका उस ध्वस्त प्रासाद के अवशेष पर बैठी रो रही थी। पास में ठहरी अउटरम की सेना के कुछ सैनिक वहाँ आ गए। वह रोने के अलावा किसी बात का जवाब नहीं दे रही थी। उसी समय जनरल अउटरम वहाँ आया। उसने मैना को पहचान लिया और मैना को गिरफ्तार कर लिया। मैना ने उससे कुछ देर का समय माँगा पर पाषाण हृदय अउटरम ने अनुमति न दी और कैद करके कानपुर के किले में लाकर बंद कर दिया।
महाराष्ट्रीयन इतिहासकार महादेव ने अपने ‘बाखर’ समाचार पत्र में लिखा- कल कानपुर के किले में भीषण हत्याकांड हो गया। नाना की पुत्री मैना को धधकती आग में जलाकर भस्म कर दिया गया। उस अनुपम बालिका को जलता देख सबने देवी समझकर उसे प्रणाम किया।
पाठ्य-पुस्तक पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. बालिका मैना ने सनापति ‘हे’ को कौन – कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?
उत्तर – बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को महल की रक्षा के लिए अनेक तर्क दिए। जैसे- इस जड़ पदार्थ मकान ने अंग्रेजों का कुछ नहीं बिगाड़ा है। यह महल मुझे अत्यन्त प्रिय है। अंग्रेजों के खिलाफ शस्त्र उठाने वालों को सजा दें, जड़ मकान को नहीं। आपकी पुत्री और मैं साथ-साथ खेला करते थे। आपकी पुत्री की एक चिट्ठी अभी भी मेरे पास है इत्यादि ।
प्रश्न 2. मैना जड़ पदार्थ मकान बचाना चाहती थी, पर अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों?
उत्तर- मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी, क्योंकि उस भवन से उसका भावनात्मक सम्बन्ध था। वह उसी मकान में पलकर बड़ी हुई थी। मकान उसके पिता का था, जो उसे अत्यन्त प्रिय था। इसके विपरीत, अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे, क्योंकि नाना साहब अंग्रेजों के कट्टर दुश्मन थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाए थे तथा विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया था। उन्होंने कानपुर में बहुत से अंग्रेज परिवारों की हत्या कर दी थी, जिसका प्रतिशोध अंग्रेज उनसे लेना चाहते थे।
प्रश्न 3. सर टामस ‘हे’ के मैना पर दयाभाव के क्या कारण थे?
उत्तर- सर टामस ‘हे’ का नाना के घर से पुराना रिश्ता था। सन् 1857 के विद्रोह से पहले वे नाना के घर आते-जाते थे। टामस ‘हे’ की पुत्री मेरी नाना की पुत्री मैना की घनिष्ठ मित्र थी। ‘हे’ की पुत्री मेरी का देहांत हो गया था। उसका एक पत्र अभी भी मैना के पास था। वे मैना को बचपन से अपनी पुत्री के समान प्यार करते थे। अतः मैना को अचानक काफी समय बाद देखकर उनमें दया भाव उमड़ आया, जो स्वाभाविक था।
प्रश्न 4. मैना की अन्तिम इच्छा थी कि वह प्रासाद के ढेर पर बैठकर जीभरकर रो ले, लेकिन पाषाण-हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी?
उत्तर-मैना को अपने पिता से जुड़ी हर चीज अत्यन्त प्रिय थी। अतः वह अपने पिता के महल, जो जनरल अउटरम द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था, के अवशेष पर बैठकर रोना चाहती थी। परन्तु अउटरम ने इसकी अनुमति उसे नहीं दी। कारण उसे डर था कि मैना का विलाप सैनिकों में सहानुभूति उत्पन्न कर देगा, जो अंग्रेजी सेना के विरुद्ध भारतीयों को भड़का सकती थी। दूसरा डर था अंग्रेजी सरकार का, जो नाना से सम्बन्धित प्रत्येक वस्तु को नष्ट कर देना चाहती थी। अतः मैना से सहानुभूति के पश्चात् उसे अपनी सरकार के गुस्से का शिकार होना पड़ता। तीसरा मैना की साहसी प्रवृत्ति ने भी उसे भयभीत कर रखा था।
प्रश्न 5 बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर-मैना के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ अपनाना चाहेंगे, कारण
1. साहसिकता-मैना साहसी और निर्भीक थी। वह किसी से कुछ बोलने-कहने से डरती नहीं थी। वह अंग्रेज जनरल ‘हे’ और अउटरम से बेझिझक बात कर रही थी।
2. देशप्रेम-मैना में देश प्रेम कूट-कूट कर भरा था। वह देश पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार थी। वर्तमान सन्दर्भ में यह अति आवश्यक है।
3. वाकपटुता-मैना अत्यन्त वाकपटु थी। उसने इसी बल पर सेनापति ‘हे’’ को महल ध्वस्त नहीं करने के लिए सोचने पर विवश कर दिया।
4. निडरता-मैना अत्यन्त निडर बालिका थी। वह अंग्रेजों के अत्याचार के बाद भी उनसे डरती नहीं थी। वह चाहती तो कहीं भी भाग कर स्वयं को बचा सकती थी। परन्तु उसने निडरता से अंग्रेजों का सामना किया। मैना के चरित्र की उक्त विशेषताओं को मैं अपनाना चाहूँगा; क्योंकि ये मुझे बहुत प्रभावित करती हैं।
प्रश्न 6. ‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितम्बर को लिखा था”बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दीत नाना साहब को नहीं पकड़ सकी। ” इस वाक्य में भारत सरकार से क्या आशय है?
उत्तर-उक्त वाक्य में भारत सरकार से अभिप्राय तत्कालीन भारत में शासन करने वाली ब्रिटिश अर्थात् अंग्रेजी सरकार से है।
प्रश्न 7. स्वाधीनता आन्दोलन को आगे बढ़ाने में ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ जैसे पाठों की क्या भूमिका है?
उत्तर- स्वाधीनता आन्दोलन को आगे बढ़ाने में देशभक्ति से ओत-प्रोत तथा सर्वस्व न्योछावर करने वालों को प्रोत्साहन देने वाले ऐसे लेखों का अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान है। इस प्रकार के लेख पढ़कर आम जन जागृत हो उठता है। उसमें देशप्रेम की भावना अत्यन्त बलवती हो उठती है। वह देश के लिए कुछ कर गुजरने को आतुर हो जाता है।
प्रश्न 8. नाना साहब की पुत्री को क्यों जलाया गया?
उत्तर- अंग्रेज सरकार नाना साहब द्वारा विद्रोह का नेतृत्व करने एवं कानपुर में अंग्रेजों के हत्याकांड से बौखलाई हुई थी। अतः अंग्रेज नाना साहब से सम्बन्धित सभी वस्तुओं को अपना कट्टर दुश्मन समझते थे। वे उसे समूल नष्ट कर देना चाहते थे। मैना स्वयं निर्भीकता, साहसिकता, और उत्सर्ग की भावना से ओत-प्रोत थी, जिसने अंग्रेज सेनापति को अन्दर से अत्यन्त भयभीत कर दिया था। मैना को भस्म कर अंग्रेजों ने मैना से डर और नाना के चिह्न दोनों से मुक्ति प्राप्त कर ली।
प्रश्न 9. नाना साहब कौन थे? उनसे अंग्रेजों की नाराजगी का क्या कारण था ?
उत्तर- नाना साहब स्वतंत्रता सेनानी थे। सन् 1857 के विद्रोह में उन्होंने विद्रोहियों का नेतृत्व कर अंग्रेजों से दुश्मनी मोल ली। उन्होंने कानपुर में अंग्रेजों से युद्ध करते हुए उन्हें काफी क्षति पहुँचाई थी । वे देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराना चाहते थे। अत: अंग्रेज उनसे अत्यन्त नाराज थे।
प्रश्न 10. मैना को पहचानकर जनरल ‘हे’ किस दुविधा में पड़ गए ?
उत्तर- मैना जनरल ‘हे’ की दिवंगत पुत्री मेरी की मित्र थी, जिसका एक पत्र अभी भी मैना के पास था। वही मैना उनसे अपना मकान नष्ट नहीं करने का आग्रह कर रही थी। पर अंग्रेजी सरकार की नौकरी के कारण वे सरकार के प्रति कर्तव्य बोध से बँधे हुए थे। इस स्थिति में वे दुविधा में थे कि क्या करें, क्या न करें।
प्रश्न 11. लण्डन से प्रकाशित अखबार ‘टाइम्स’ में नाना के लिए किस विशेषण का प्रयोग था और क्यों?
उत्तर-नाना साहब ने सन् 1857 के विद्रोह में विद्रोहियों का नेतृत्व करते हुए अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिए थे। अंग्रेज उन्हें पकड़ने में असफल रहे थे। अपनी असफलता और उनकी बहादुरी को बौना दिखाने के लिए अंग्रेजी पत्र ‘टाइम्स’ में उनके लिए ‘दुर्दात’ शब्द का प्रयोग किया था।
प्रश्न 12. नाना के महल में लूटपाट के बावजूद अंग्रेज उसे क्यों नष्ट करने पर उतारू थे ?
उत्तर- कानपुर में नाना साहब द्वारा अंग्रेज हत्याकांड किए जाने के बाद अंग्रेजी साम्राज्य उनके खिलाफ हो गया था। अंग्रेज नाना को पकड़कर उनसे बदला लेना चाहते थे, पर वे नाना को पकड़ने में असफल रहे। वे नाना का गुस्सा उनसे जुड़ी वस्तुओं पर उतार रहे थे, अतः प्रतिशोध की ज्वाला में धधकते हुए अंग्रेज नाना साहब के महल को नष्ट करना चाहते थे।
प्रश्न 13. “नाना साहब की पुत्री मैना को भस्म कर दिया गया” पाठ के माध्यम से युवाओं को क्या संदेश दिया गया है?
उत्तर- उक्त पाठ के माध्यम से युवाओं को यह संदेश दिया गया है कि वे अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर देने के लिए सदैव तत्पर रहे। मातृभूमि के रक्षार्थ अगर प्राण भी जाएँ, तो सौभाग्य की बात समझें।
प्रश्न 14. मैना की प्रार्थना पर जनरल ‘हे’ ने मकान न गिराने का अनुरोध जनरल अउटरम से किया, परन्तु अउटरम ने उसका अनुरोध ठुकरा दिया। क्यों?
उत्तर- अंग्रेजी सेना का प्रधान सेनापति आउटरम अंग्रेजी सरकार का एक जिम्मेवार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी था। सरकार का आदेश उसके लिए सर्वोपरि था। ‘हे’ के महल बचाने के अनुरोध पर उसने कहा कि यह गवर्नर जनरल की आज्ञा के बिना सम्भव नहीं है और नाना से क्रोधित अंग्रेजी सरकार नाना से सम्बन्धित किसी भी वस्तु को बचाने का आग्रह कभी स्वीकार नहीं करती। अतः उसने जनरल ‘हे’ का अनुरोध ठुकरा कर महल ध्वस्त कर दिया।
प्रश्न 15. भारतीय पत्र ‘बाखर’ में किस भीषण हत्याकांड का समाचार छपा था? इस पर तत्कालीन भारतीयों की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर – तत्कालीन भारतीय पत्र ‘बाखर’ में उस भीषण अग्निकांड को छापा गया था, जिसमें बिठूर से गिरफ्तार कर कानपुर लाई गई नाना साहब की पुत्री मैना देवी को जलाकर मार डाला गया था। इस बारे में जिसने भी सुना वह घटना स्थल की ओर भाग कर पहुँचा और भीषण अग्नि की ज्वाला में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका मैना को जलते देख, उसे साक्षात् देवी समझकर सबने उसे प्रणाम किया। भारतीयों का सिर इस बलिदान को देखकर श्रृद्धा से झुक गया।
प्रश्न 16. मैना ने आर्त्त स्वर में अउटरम से क्या माँगा ?क्या अउटरम ने मैना की इच्छापूर्ति की?
उत्तर-मैना ने अउटरम के मुँह की ओर देखकर अत्त स्वर में, ध्वस्त प्रासाद के ढेर पर जी भरकर रोने के लिए कुछ समय माँगा। पर पाषाण – हृदय वाले जनरल अउटरम ने उस देवी की अन्तिम इच्छा की पूर्ति नहीं की। उसने बिना समय व्यतीत किए मैना के हाथों में हथकड़ी डाल कर उसे कानपुर किले में लाकर कैद कर दिया। वहाँ उसे जलाकर मार डाला गया।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही विकल्प द्वारा रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) नाना साहब की पुत्री का नाम ……. था। (राजकुमारी/मैना)
(ii) नाना साहब को महल ……….. ने गिराया। (डायर/हे)
(iii) समस्त अंग्रेजों का भीषण क्रोध ……… पर था। (मैना / नाना साहब)
(iv) नाना साहब के ……… के राजा थे। (कानपुर / बिठूर)
(v) चिटनवीस ………. के सम्पादक थे। ( आजाद हिन्द / बाखर)
उत्तर- (1) मैना, (ii) जनरल हे, (iii) नाना साहब, (iv) बिठुर, (v) बाखर ।
प्रश्न 2. सत्य / असत्य बताइए –
(i) नाना साहब की पुत्री का नाम मैना देवी था।
(ii) अउटरम एक क्रूर हृदय अंग्रेज सेनापति था।
(iii) तत्कालीन समय में लन्दन का प्रसिद्ध अखबार नवभारत टाइम्स था।
(iv) अंग्रेज सेनापति ने मैना की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया।
उत्तर- (i) सत्य, (ii) सत्य, (iii) असत्य (iv) असत्य।
प्रश्न 3. एक वाक्य में उत्तर दीजिए –
(i) अर्द्ध रात्रि में बिदुर के महल में कौन रो रहा था।
(ii) महादेव चिटनवीस कहाँ के रहने वाले थे?
(iii) मैना ने अउटरम से क्या माँगा?
(iv) नाना साहब कौन थे?
(v) अउटरम ने मैना के साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर-(i) अर्द्ध रात्रि में बिठूर के भग्न- महल में मैना रो रही थी।
(ii) महादेव चिटनवीस कानपुर के रहने वाले थे।
(iii) मैना ने अउटरम से पिता के भग्न-महल पर बैठकर रो लेने का समय माँगा।
(iv) नाना साहब बिठुर के स्वतंत्रता सेनानी थे।
(v) अउटरम ने मैना को कैदकर कानपुर के किले में जिंदा जला दिया।
प्रश्न 4. सही विकल्प चुनकर उत्तर दीजिए –
(i) नाना साहब का महल …… ने गिराया –
(अ) लार्ड केनिंग,
(ब) जनरल हे,
(स) जनरल अउटरम,
(द) सर टामस ।
(ii) नाना साहब के स्मृति चिह्न मिटा देने का मत ……. का था।
(अ) जनरल हे,
(ब) जनरल अउटरमं,
(स) सर टामस,
(द) लंदन मंत्रिमंडल।
(iii) मेरी …….. की पुत्री थी ।
(अ) नाना साहब,
(ब) सेनापति हे,
(स) जनरल अउटरम
(द) लार्ड केनिंग।
उत्तर- (1) जनरल हे, (ii) लन्दन मंत्रि मंडल, (iii) सेनापति हे।
महत्वपूर्ण गद्यांशों से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
गद्यांश 1. कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेजों का सैनिक दल बिठूर की ओर गया। बिठूर में नाना साहब का राजमहल लूट लिया गया; पर उसमें बहुत थोड़ी सम्पत्ति अंग्रेजों के हाथ लगी। इसके बाद अंग्रेजों ने तोप के गोलों से नाना साहब का महल भस्म कर देने का निश्चय किया। सैनिक दल ने जब वहाँ तोपें लगायीं, उस समय महल के बरामदे में एक अत्यन्त सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गयी। उसे देखकर अंग्रेज सेनापति को बड़ा आश्चर्य हुआ; क्योंकि महल लूटने के समय वह बालिका वहाँ कहीं दिखाई न दी थी ।
प्रश्न 1. अंग्रेजों ने कानपुर में हत्याकांड क्यों किया?
उत्तर – अंग्रेजों ने कानपुर में हत्याकांड भारतीयों द्वारा संचालित 1857 के विद्रोह को दबाने के लिए किया था। अंग्रेज क्रांति के प्रमुख सिपाही और कानपुर में विद्रोह के नेतृत्व कर्ता श्री धुंधूपंत नाना साहिब को पकड़ना चाहते थे । पर वे उन्हें पकड़ नहीं पाए। इसी गुस्से से अंग्रेजी सेना ने कानपुर में हत्याकांड किया।
प्रश्न 2. अंग्रेजों का नाना के महल पर तोपे लगाने का क्या उद्देश्य था ? अंग्रेजों ने महल का क्या किया?
उत्तर – अंग्रेज किसी भी कीमत पर नाना साहब को गिरफ्तार करना चाहते थे। परन्तु वे इसमें सफल नहीं हो सके। कानपुर से नाना साहब के भागने के पश्चात् गुस्साए अंग्रेजों ने बिठूर में नाना साहब के महल को लूटा। इसमें उन्हें कोई विशेष सम्पत्ति हाथ नहीं लगी। अतः उन्होंने नाना साहब के महल को तोप से उड़ा देने का निश्चय किया। अंग्रेजों ने महल को ध्वंस कर नाना साहब का अस्तित्व मिटाने का काम किया।
प्रश्न 3. अंग्रेजों की सैनिक टुकड़ी बिठूर क्यों गई थी?
उत्तर- अंग्रेजों की सैनिक टुकड़ी नाना साहब के महल को नष्ट करने के लिए बिठूर गई थी।
गाद्यांश 2. “उस बालिका ने बरामदे में खड़ी होकर अंग्रेज सेनापति को गोले बरसाने से मना किया। उसका करुणापूर्ण मुख और अल्पवयस देखकर सेनापति को भी उस पर कुछ दया आयी। सेनापति ने उससे पूछा कि “क्या चाहती है?”
बालिका ने शुद्ध अंग्रेजी भाषा में उत्तर दिया- “क्या आप कृपा कर इस महल की रक्षा करेंगे?”
सेनापति – “क्यों, तुम्हारा इसमें क्या उद्देश्य है?”
बालिका – “आप ही बताइये, कि यह मकान गिराने में आपका क्या उद्देश्य है ?”
सेनापति – “यह मकान विद्रोहियों के नेता नाना साहब का वासस्थान था। सरकार ने इसे विध्वंस कर देने की आज्ञा दी है।”
बालिका – आपके विरुद्ध जिन्होंने शस्त्र उठाये थे, वे दोषी हैं; पर इस जड़ पदार्थ मकान ने आपका क्या अपराध किया है? मेरा उद्देश्य इतना ही है, कि यह स्थान मुझे बहुत प्रिय है, इसी से मैं प्रार्थना करती हूँ कि इस मकान की रक्षा कीजिए।”
प्रश्न 1. बरामदे में खड़ी बालिका अंग्रेजों से क्या चाहती थी? क्या वह अपने मकसद में सफल हुई ?
उत्तर- नाना साहब के महल के बरामदे में खड़ी बालिका अंग्रेजों से अपने महल की रक्षा करना चाहती थी। इसके लिए उसने अंग्रेज अधिकारियों से काफी अनुरोध किया। परन्तु वे नहीं माने और अंततः महल को विध्वंस कर दिया। मैना अपने मकसद में सफल नहीं हो सकी।
प्रश्न 2. बालिका ने महल बचाने का क्या उद्देश्य बताया ?
उत्तर- बालिका मैना ने बताया कि “मैरा उद्देश्य सिर्फ इतना ही है कि यह स्थान मुझे बहुत प्रिय है। इसी से मैं आपसे प्रार्थना करती हूँ कि इस मकान की रक्षा कीजिए । “
प्रश्न 3. अंग्रेज सेनापति ने मकान गिराने का क्या उद्देश्य बताया ?
उत्तर- अंग्रेज सेनापति ने मकान गिराने का यह उद्देश्य बताया कि “यह मकान विद्रोहियों के नेता नाना साहब से सम्बन्धित है। उनका निवास स्थान हैं। अतः सरकार ने इसे विध्वंस कर देने की आज्ञा दी है।”
गद्यांश 3. सेनापति ने दुःख प्रकट करते हुए कहा, कि कर्तव्य के अनुरोध से मुझे यह मकान गिराना ही होगा। इस पर उस बालिका ने अपना परिचय बताते हुए कहा कि”मैं जानती हूँ कि आप जनरल ‘हे’ हैं। आपकी प्यारी कन्या मेरी में और मुझ में बहुत प्रेम सम्बन्ध था। कई वर्ष पूर्व मेरी मेरे पास बराबर आती थी और मुझे हृदय से चाहती थी। उस समय आप भी हमारे यहाँ आते थे और मुझे अपनी पुत्री के ही समान प्यार करते थे। मालूम होता है कि आप वे सब बातें भूल गये हैं। मेरी की मृत्यु से मैं बहुत दुःखी हुई थी; उसकी एक चिट्ठी मेरे पास अब तक है। “
प्रश्न 1. सेनापति किससे दुख प्रकट कर रहा था और क्यों?
उत्तर- सेनापति बालिका मैना के समक्ष दुख प्रकट कर रहा था। उसे बालिका से सहानुभूति थी। कारण सेनापति बालिका से परिचित था। उसकी अपनी पुत्री मेरी उसकी अंतरंग मित्र थी, जो अब इस दुनिया में नहीं थी।
प्रश्न 2. नाना साहब का मकान गिराने वाले अंग्रेजी सैन्य दल के सेनापति का क्या नाम था ?
उत्तर- नाना साहब का मकान गिराने वाले अंग्रेजी सैन्य दल के सेनापति का नाम जनरल हे था।
प्रश्न 3. सेनापति से बालिका को अपना परिचय क्यों देना पड़ा?
उत्तर- बालिका मैना अपने महल को किसी भी स्थिति में बचाना चाहती थी। परन्तु जब जनरल हे ने अपने कर्तव्य के अनुरोध का हवाला देते हुए अपनी मजबूरी बताई, तब मैना ने अपना परिचय दिया। उसने सोचा कि शायद परिचय जानकर जनरल हे द्रवित होकर उसका महल छोड़ दें। परन्तु ऐसा नहीं हुआ।
गद्यांश 4. यह सुनकर सेनापति के होश उड़ गये। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ, और फिर उसने उस बालिका को भी पहिचाना, और कहा- “अरे यह तो नाना साहब की कन्या मैना है।”
सेनापति ‘हे’ कुछ क्षण ठहरकर बोले- “हाँ, मैंने तुम्हें पहिचाना, कि तुम मेरी पुत्री मेरी की सहचरी हो ! किन्तु में जिस सरकार का नौकर हूँ, उसकी आज्ञा नहीं टाल सकता। तो भी मैं तुम्हारी रक्षा का प्रयत्न करूँगा।”
इसी समय प्रधान सेनापति जनरल अउटरम वहाँ आ पहुँचे और उन्होंने बिगड़ कर सेनापति ‘हे’ से कहा- “नाना का महल अभी तक तोप से क्यों नहीं उड़ाया गया?”
प्रश्न 1. सेनापति ने किसे पहचान कर क्या आश्वासन दिया ?
उत्तर- अंग्रेज सेनापति हे ने नाना की पुत्री को पहचान कर आश्वासन दिया कि “तुम मेरी पुत्री की सहचरी हो, किन्तु मैं अंग्रेजी सरकार का नौकर हूँ। उनकी आज्ञा को टाल नहीं सकता, तो भी मैं तुम्हारी रक्षा का प्रयत्न करूँगा।”
प्रश्न 2. महल पर डेरा डाले सैन्य टुकड़ी का प्रधान सेनापति कौन था?
उत्तर- नाना साहब के महल पर डेरा डालने वाले सैन्य टुकड़ी का प्रधान सेनापति जनरल अउटरम था।
प्रश्न 3. जनरल अउटरम हे पर क्यों बिगड़ उठा और वह क्या चाहता था ?
उत्तर- जनरल अउटरम अंग्रेजी सरकार के आदेश को शीघ्र कार्यान्वित करना चाहता था। जनरल हे देवी मैना से प्रभावित हो उसके महल को बचाने का प्रयत्न करने का वादा कर चुका था। अतः वह महल को विध्वंस करने में देरी कर रहा था। जनरल अउटरम जनरल हे के लचीले व्यवहार से बिगड़ उठा। वह नाना साहब के महल को ध्वंस कराना चाहता था।
गद्यांश 5. “सेनापति ‘हे’ ने नियपूर्वक कहा- “मैं इसी फिक्र में हूँ; किन्तु आपसे एक निवेदन है | क्या किसी तरह नाना का महल बच सकता है?”
अउटरम- “गवर्नर जनरल की आज्ञा के बिना यह सम्भव नहीं। नाना साहब पर अंग्रेजों का क्रोध बहुत अधिक है। नाना के वंश या महल पर दया दिखाना असम्भव है। ‘
सेनापति ‘हे’-“तो लार्ड केनिंग (गवर्नर जनरल) को इस विषय का एक तार देना चाहिये।”
अउटरम- “आखिर आप ऐसा क्यों चाहते हैं? हम यह महल विध्वंस किये बिना, और नाना की लड़की को गिरफ्तार किये बिना नहीं छोड़ सकते।”
सेनापति ‘हे’ मन में दुःखी होकर वहाँ से चला गया। इसके बाद जनरल अउटरम नाना का महल फिर घेर लिया। महल का फाटक तोड़कर अंग्रेज सिपाही भीतर घुस गये, और मैना को खोजने लगे, किन्तु आश्चर्य है, कि सारे महल का कोना-कोना खोज डाला; पर मैना का पता नहीं लगा।”
प्रश्न 1. ‘हे’ ने अउटरम से क्या निवेदन किया तथा क्यों?
उत्तर-जनरल हे नाना की पुत्री मैना से प्रभावित था। वह उसकी पुत्री मेरी की सहचरी थी। अत: हे ने जनरल अउटरम से किसी तरह नाना के महल को बचाने का निवेदन किया।
प्रश्न 2. सेनापति ‘हे’ वहाँ से क्यों चला गया?
उत्तर- सेनापति हे महल बचाने के अपने प्रयत्न में असफल होने से दुखी था। वह मैना को दिए गए आश्वासन को पूरा करना चाहता था। पर अंग्रेजी सरकार के क्रूर रवैया ने उसे सफल नहीं होने दिया। इससे वह दुखी होकर वहाँ से चला गया।
प्रश्न 3. अउटरम ने नाना का महल पुन: क्यों घेर लिया?
उत्तर-जनरल अउटरम अंग्रेजी सरकार के आदेश को यथा शीघ्र लागू करना चाहता था। अतः उसने नाना के महल को घेर कर मैना की गिरफ्तारी तथा महल के समूल नाश करने हेतु महल को पुनः घेर लिया।
गद्यांश 6. “उसी दिन संध्या समय लार्ड केनिंग का एक तार आया, जिसका आशय इस प्रकार था- “लण्डन के. मंत्रिमंडल का यह मत है कि नाना का स्मृति चिह्न तक मिटा दिया जाये। इसलिए वहाँ की आज्ञा के विरुद्ध कुछ नहीं हो सकता। “
उसी क्षण क्रूर जनरल अउटरम की आज्ञा से नाना साहब के सुविशाल राज मंदिर पर तोप के गोले बरसने लगे। घंटे भर में वह महल मिट्टी में मिला दिया गया।”
प्रश्न 1. नाना के स्मृति चिह्न को मिटा देने का मत किसका था? उसने ऐसा क्यों किया?
उत्तर- नाना के स्मृति चिह्न को मिटा देने का मत लंदन मंत्रिमंडल का था। अंग्रेज नाना साहब पर अत्यन्त क्रोधित थे। अतः वे उनका अस्तित्व मिटा देना चाहते थे।
प्रश्न 2. लार्ड केनिंग के तार का क्या आशय था ?
उत्तर- लार्ड केनिंग के तार का यह आशय था कि लंदन के मंत्रिमंडल का मत है कि नाना के सभी स्मृति चिह्न को मिटा दिए जाए। नाना साहब से सम्बन्धित सभी वस्तुओं को नष्ट कर दिया जाए।
प्रश्न 3. किसकी आज्ञा के विरुद्ध कुछ नहीं हो सकता ?
उत्तर – अंग्रेजों के शासन में लंदन मंत्रिमंडल के फैसलों के विरुद्ध भारत में कुछ भी नहीं हो सकता।
गद्यांश 7. उस समय लण्डन के सुप्रसिद्ध ‘टाइम्स’ पत्र में छठी सितम्बर को यह एक लेख में लिखा गया – “बड़े दुःख का विषय है, कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दान्त नाना साहब को नहीं पकड़ सकी, जिस पर समस्त अंग्रेज जाति की भीषण क्रोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंग्रेजों के हत्याकांड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगे। उस दिन पार्लमेण्ट की ‘हाउस आफ लार्ड्स’ सभा में सर टामस ‘हे’ की एक रिपोर्ट पर बड़ी हँसी हुई, जिसमें सर ‘हे’ ने नाना की कन्या पर दया दिखाने की बात लिखी थी।
प्रश्न 1. तत्कालीन समय में लण्डन का प्रसिद्ध अखबार कौन-सा था उसमें क्या लिखा गया था तथा क्यों?
उत्तर – तत्कालीन समय में लन्दन का प्रसिद्ध अखबार ‘टाइम्स’ था। जिसमें यह लिखा गया था कि- “बड़े दुख की बात है कि भारत सरकार आज तक दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी, जिस पर सम्पूर्ण अंग्रेजों का भारी विरोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंग्रेजों के हत्याकांड का बदला लेना हम नहीं भूलेंगे।
प्रश्न 2. समस्त अंग्रेजों का भारी विरोध किस पर था और क्यों?
उत्तर- समस्त अंग्रेजों का भारी विरोध बिठूर के राजा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कानपुर में क्रांति का ध्वज वाहक धुंधूपंत नाना साहब पर था। कारण उन्होंने कानपुर में अंग्रेजों की सामूहिक हत्या करवाई थी।
प्रश्न 3. हाउस ऑफ र्लाड्स में किस विषय पर हँसी हुई?
उत्तर- हाउस ऑफ लड्स में सर टामस हे की उस रिपोर्ट पर हँसी हुई, जिसमें उन्होंने नाना की कन्या पर दया दिखाने की बात लिखी थी।
गद्यांश 8. ‘हे’ के लिये निश्चय ही यह कलंक की बात है- जिस नाना ने अंग्रेज नर-नारियों का संहार किया, उसकी कन्या के लिये क्षमा! अपना सारा जीवन युद्ध में बिता कर अंत में वृद्वावस्था में सर टामस ‘हे’ एक मामूली महाराष्ट्र बालिका के सौंदर्य पर मोहित होकर अपना कर्त्तव्य ही भूल गये ! हमारे मत से नाना के पुत्र, कन्या, तथा अन्य कोई भी सम्बन्धी जहाँ कहीं मिले, मार डाला जाये, नाना की जिस कन्या से ‘हे’ का प्रेमालाप हुआ है, उसकों उन्हीं के सामने फाँसी पर लटका देना चाहिये । ‘
प्रश्न 1. अंग्रेजों की दृष्टि में ‘हे’ के लिए कलंक की बात क्या थी तथा क्यों?
उत्तर- अंग्रेजों की दृष्टि में सर टामस हे के लिए कलंक की बात यह थी कि वे उस कन्या के लिए क्षमा प्रार्थना कर रहे थे, जिसके पिता ने असंख्य अंग्रेज नर नारियों का कानपुर में संहार किया।
प्रश्न 2. अंग्रेजों के अनुसार जनरल ‘हे’ अपना कर्तव्य कैसे भूल गए?
उत्तर- अंग्रेजों के अनुसार जनरल हे एक मामूली महाराष्ट्रीय बालिका के सौन्दर्य पर मोहित होकर अपना कर्तव्य भूल गए।
प्रश्न 3. जनरल ‘हे’ के समक्ष किसे फाँसी देने की बात र्लाड्स सभा ने कही ?
उत्तर- लार्ड्स सभा ने सर जनरल टामस हे के समक्ष नाना की कन्या मैना को फाँसी देने की बात सभा में कही।
गद्यांश 9. “मैना उसके मुँह की ओर देखकर आर्त्त स्वर में बोली, “मुझे कुछ समय दीजिये, जिसमें आज मैं यहाँ जी भरकर रो लूँ।” पर पाषाण-हृदय वाले जनरल ने उसकी अन्तिम इच्छा भी पूरी होने न दी। उसी समय मैना के हाथ में हथकड़ी पड़ी और वह कानपुर के किले में लाकर कैद कर दी गयी।
उस समय महाराष्ट्रीय इतिहासवेत्ता महादेव चिटनवीस के ‘बाखर’ पत्र में छपा था –
‘कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकाण्ड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गयी। भीषण अग्नि में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सब ने उसे देवी समझ कर प्रणाम किया।”
प्रश्न 1. मैना ने अउटरम से क्या माँगा ?
उत्तर-दुःख में डूबी मैना ने जनरल अउटरम से अपने पिता के महल के खण्डहर पर बैठकर जी भरकर रो लेने का समय माँगा। परन्तु जनरल अउटरम ने उसे बिना किसी प्रकार की मोहलत दिए तुरंत गिरफ्तार कर लिया।
प्रश्न 2. महादेव चिटनवीस कहाँ के रहने वाले थे? उनके द्वारा प्रकाशित पत्र का क्या नाम था ?
उत्तर-महादेव चिटनवीस कानपुर के रहने वाले थे। उनके द्वारा प्रकाशित पत्र का नाम ‘बाखर’ था।
प्रश्न 3. कानपुर के किले में मैना के साथ क्या हुआ?लोगों ने उसे क्या माना?
उत्तर- कानपुर के किले में कैद नाना साहब की बेटी मैना को अंग्रेजों द्वारा धधकती आग में जलाकर मार दिया गया। भीषण आग में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपम बालिका को जलती देख लोगों ने उसे साक्षात् देवी माना।