PSEB Solutions for Class 10 Physical Education Chapter 1 व्यायाम का श्वास-क्रिया, रक्त चक्र, मांसपेशियों तथा मल निकास पर प्रभाव
PSEB Solutions for Class 10 Physical Education Chapter 1 व्यायाम का श्वास-क्रिया, रक्त चक्र, मांसपेशियों तथा मल निकास पर प्रभाव
PSEB 10th Class Physical Education Solutions Chapter 1 व्यायाम का श्वास-क्रिया, रक्त चक्र, मांसपेशियों तथा मल निकास पर प्रभाव
PSEB 10th Class Physical Education Guide व्यायाम का श्वास-क्रिया, रक्त चक्र, मांसपेशियों तथा मल निकास पर प्रभाव Textbook Questions and Answers
बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
मांसपेशियां क्या है?
(Define Muscles.)
उत्तर-
मांसपेशियों में मांस सूत्र सैलों का सुमेल है। मांसपेशियां हड्डियों के साथ जुड़ी होती हैं। मांसपेशियों के सिकुड़ने से हड्डियों में खिंचाव उत्पन्न होता है तथा भिन्न-भिन्न अंग कार्य करते हैं।
प्रश्न 2.
मांसपेशियों की किस्मों के नाम लिखें।
(Name the types of Muscles.)
उत्तर-
- ऐच्छिक मांसपेशियां (Voluntary Muscles)
- अनैच्छिक मांसपेशियां (Involuntary Muscles)
- हृदय की मांसपेशियां (Cardiac Muscles)
प्रश्न 3.
मल निकास प्रणाली क्या है?
(What is Excretory System ?)
उत्तर-
मल निकास प्रणाली ‘मल त्याग प्रणाली’ उस प्रबन्ध को कहते हैं जिसके द्व रीर से व्यर्थ एवं हानिकारक पदार्थों का निकास होता है।
प्रश्न 4.
मल त्याग प्रणाली के मुख्य अंगों के नाम लिखें।
(Name the organs of excretory system.)
उत्तर-
- फेफड़े
- गुर्दे
- त्वचा
- आन्तें।
प्रश्न 5.
मांसपेशियों के कोई दो कार्य लिखें।
(Write two functions of Muscles.)
उत्तर-
- मांसपेशियां शरीर को रूप प्रदान करती हैं।
- इनकी सहायता से व्यक्ति चलना, फिरना, उछलना, कूदना और सांस लेता है।
प्रश्न 6.
ऐच्छिक मांसपेशियां क्या हैं ?
(What are voluntary Muscles ?)
उत्तर-
ऐच्छिक मांसपेशियां वे हैं जो व्यक्ति की इच्छानुसार चलती हैं।
प्रश्न 7.
अनैच्छिक मासपेशियां क्या हैं ?
(What are involuntary Muscles ?)
उत्तर-
यह मांसपेशियां व्यक्ति के वश में नहीं होतीं। वे व्यक्ति की बिना इच्छा के कार्य करती हैं।
प्रश्न 8.
हृदय की मांसपेशियां क्या होती हैं ?
(What is are Cardiac Muscles?)
उत्तर-
यह मांसपेशियां अनैच्छिक मांसपेशियों जैसी होती हैं। परन्तु लगातार काम करने पर भी इनमें थकावट नहीं आती।
प्रश्न 9.
शरीर में कितने गुर्दे होते हैं?
(How many Kidneys are there in our body ?)
उत्तर-
दो।
प्रश्न 10.
व्यक्ति के शरीर में फेफड़ों की गिनती बताएं।
(How many Lungs a person possesses ?)
उत्तर-
दो।
प्रश्न 11.
रक्त का कार्य लिखें।
(Write the functions of the blood.)
उत्तर-
रक्त शरीर को ऑक्सीजन देता है और व्यर्थ पदार्थों को शरीर से निकालने का मल त्याग प्रणाली द्वारा कार्य करता है।
प्रश्न 12.
नाक द्वारा सांस लेने के क्या लाभ हैं ?
(What are the uses of nose breathing?)
उत्तर-
नाक द्वारा सांस लेने में वायु शुद्ध और गर्म होकर शरीर में जाती है।
प्रश्न 13.
सांस लेते समय हम कौन-सी गैस अन्दर ले जाते हैं ?
(Which Gas do we take while breathing.)
उत्तर-
ऑक्सीजन गैस।
प्रश्न 14.
शारीरिक थकावट से क्या भाव है?
(What do you mean by Physical Fatigue?)
उत्तर-
इसमें शरीर थक जाता है और कार्य करने का मन नहीं करता।
प्रश्न 15.
श्वास क्रिया द्वारा कौन-सी गैस बाहर निकालते हैं ?
(Which Gas do we take out while breathing ?)
उत्तर-
कार्बन डाइऑक्साइड।
प्रश्न 16.
मानसिक थकावट क्या है?
(What is Mental Fatigue?)
उत्तर-
जब कार्य करते-करते शरीर के साथ मन भी थक जाता है तो उसे मानसिक थकावट कहते हैं।
प्रश्न 17.
प्राणायाम के क्या लाभ हैं ?
(What are the uses of Pranayam?)
उत्तर-
शरीर स्वस्थ तथा मन संतुष्ट रहता है। शरीर को ऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त मिलती रहती है।
छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
श्वास क्रिया किसे कहते हैं ?
(What is Respiration ?)
उत्तर-
श्वास क्रिया दो क्रियाओं का मेल है। एक है सांस अन्दर ले जाने की क्रिया जिसे उच्छ्वास क्रिया (Inspiration) कहते हैं। दूसरी है सांस बाहर निकालने की क्रिया जिसे प्रश्वास क्रिया (Expiration) कहते हैं। श्वास क्रिया का मानवीय जीवन के लिए विशेष महत्त्व है। सामान्य व्यक्ति 20 से 22 सांस लेता है।
प्रश्न 2.
रक्त किसे कहते हैं ?
(What is Blood ?)
उत्तर-
रक्त एक प्रकार का तरल पदार्थ है। यह शरीर में शिराओं (Veins) तथा. धमनियों में दिन-रात चलता रहता है। यह गाढ़े रंग का नमकीन पदार्थ है। यह व्यक्ति में उसके शरीर के 1/12 या 1/13 भाग के बराबर होता है।
प्रश्न 3.
रक्त के विभिन्न भागों के बारे में तुम क्या जानते हो ?
(What do you know about the Composition of Blood ?)
उत्तर-
रक्त में निम्नलिखित पदार्थ होते हैं-
- प्लाज्मा (Plasma)
- लाल रक्त कण (Red Corpuscles)
- श्वेत रक्त कण (White Corpuscles)
- प्लेटलेट्स।
प्लाज्मा पीले रंग का नमकीन पदार्थ है। इसमें लाल तथा श्वेत रक्त कण तैरते रहते हैं। लाल रक्त कण गोल तथा दोनों ओर से चिपके होते हैं। इनकी आयु 115 दिन होती है। श्वेत रक्त कण शरीर की रोगों के आक्रमणों से रक्षा करते हैं। ये रंगहीन और बेडोल आकार के होते हैं। प्लेटलेट्स का आकार लाल कणों से 12, या 13 होता है। ये रक्त को बहने से रोकते हैं।
प्रश्न 4.
रक्त दबाव क्या होता है ?
(What is Blood Pressure ?)
उत्तर-
शिराओं, धमनियों तथा कोशिकाओं की सहायता से रक्त शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों में भ्रमण करता है। शिराओं में अशुद्ध तथा धमनियों में शुद्ध रक्त चक्कर लगाता है। इस परिभ्रमण में रक्त नलियों की दीवारों से टकराता रहता है जिससे दबाव बढ़ता है। जब यह दबाव कम होता है तो रक्त आगे को बढ़ता है। इस बढ़ने या कम होने की क्रिया को रक्त दबाव (Blood Pressure) कहते हैं। इसको सफैगनो मैनो मीटर से मापा जाता है।
प्रश्न 5.
मांसपेशियों के कार्य बताओ।
(Describe the functions of Muscles.)
उत्तर-
मांसपेशियां हड्डियों से जुड़ी होती हैं। उनके मुख्य कार्य इस प्रकार हैं-
- ये शरीर को रूप प्रदान करती हैं।
- ये शरीर को गति करने में सहायता करती हैं।
- इनकी सहायता से व्यक्ति चलता, उछलता, कूदता तथा सांस आदि लेता है।
- मांसपेशियां छाती के पट्ठों को फैलने में सहायता देती हैं।
- इनके द्वारा शरीर विकास करता है।
- मांसपेशियां हडियों को मजबूत रखती हैं।
- जोड़ों का विकास करने में मांसपेशियां सहायता करती हैं।
प्रश्न 6.
मांसपेशियां कितनी प्रकार की होती हैं ?
(Mention the types of muscles.)
उत्तर-
मांसपेशियां दो प्रकार की होती हैं
- ऐच्छिक मांसपेशियां (Voluntary Muscles)-ऐच्छिक मांसपेशियां वे हैं जो व्यक्ति की इच्छानुसार चलती हैं। उन्हें जैसी सूचना मिलती है वैसे ही काम करती हैं। ये शरीर को गति प्रदान करती हैं। ये शरीर को सम्भाल कर रखती हैं तथा इनमें गर्मी पैदा करती हैं। ये टांगों तथा भुजाओं में पाई जाती हैं।
- अनैच्छिक मांसपेशियां (Involuntary Muscles)-ये मांसपेशियां व्यक्ति के वश में नहीं होतीं। ये व्यक्ति की इच्छा के बिना कार्य करती रहती हैं। ये व्यक्ति के सोते हुए भी काम करती हैं। ये दिल, जिगर तथा आंतड़ियों में पाई जाती हैं।
प्रश्न 7.
त्वचा के बारे में संक्षेप जानकारी दो।
(Describe briefly about Skin.)
उत्तर-
त्वचा एक प्रकार का पर्दा है जो आन्तरिक मांसपेशियों तथा अंगों को ढक कर रखती है। यह दो प्रकार की होती है-बाह्य या ऊपरी (Epidermis) तथा निचली या आन्तरिक (Endodermis)। ऊपरी त्वचा में छोटे-छोटे मुसाम होते हैं जिनमें से होकर पसीना शरीर से बाहर निकलता है। आन्तरिक या निचली त्वचा में चर्बी होती है जो शरीर में गर्मी पैदा करने में सहायता करती है।
प्रश्न 8.
गुर्दो के कार्य बताओ।
(Describe the functions of the kidneys.)
उत्तर-
गुर्दे पेट के पीछे की ओर होते हैं। ये संख्या में दो होते हैं। इनका आकार सेम के बीज जैसा होता है। इनके द्वारा यूरिया, यूरिक एसिड, खनिज लवण पेशाब के रूप में शरीर से बाहर आते हैं। ये रक्त में पानी की मात्रा को समान रखते हैं जिसके फलस्वरूप शरीर में एसिड तथा क्षार की मात्रा में समानता रहती है।
प्रश्न 9.
फेफड़ों की शक्ति क्या है ? इस विषय में लिखो।
(What is Vital Capacity ? Write briefly.)
उत्तर-
फेफड़ों की शक्ति (Capacity of Lungs or Vital Capacity) वह क्रिया जिनके द्वारा गहरी सांस लेने से वायु की मात्रा अन्दर ले जाई जाती है और फिर ज़ोर से बाहर निकाली जाती है, उसे फेफड़ों की शक्ति (Vital Capacity) कहते हैं। (2014 A)
साधारणतः हम लगभग 300 सी० सी० वायु अन्दर ले जाते हैं और लगभग 1500 सी०सी० वायु बाहर निकालते हैं। यदि हम ज़ोर से सांस बाहर निकालें तो 1500 सी० सी० और वायु निकाल सकते हैं। इतना करने पर भी हमारे फेफड़े वायु से शून्य नहीं हो जाते। तब भी लगभग 500 सी० सी० वायु इनमें रह जाती है। फेफड़ों की इस शक्ति अथवा सामर्थ्य को मापने के लिए स्पाइरोमीटर यन्त्र का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 10.
थकावट क्या है ?
(What is Fatigue ?)
उत्तर-
मांसपेशियों में कार्य करने की शक्ति को कम होने को थकावट कहते हैं। जब हमारे शरीर की मांसपेशियां लगातार कार्य करती रहती हैं तो उनमें लैकटिक एसिड जमा हो जाता है जिस से शरीर में थकावट हो जाती है। अधिक खेलने, भागने अथवा अधिक ताकत से कार्य करने से थकावट हो जाती है। थकावट को आराम, नींद, मालिश और मनोरंजन क्रिया द्वारा दूर किया जा सकता है।
प्रश्न 11.
थकावट कितने प्रकार की होती है ?
(Mention the type of Fatigue.)
उत्तर-थकावट दो प्रकार की होती है–
- शारीरिक
- मानसिक।
प्रश्न 12.
रक्त प्रणाली के मुख्य अंगों के नाम लिखो।
(Write the main organs of circulatory system.)
उत्तर-
हृदय, शिराएं, धमनियां और कोशिकाएं।
प्रश्न 13.
मल निकास प्रणाली के प्रमुख अंगों को सामने रखते हुए व्यायाम के प्रभावों के बारे में बताएं।
(Discuss the main organs of Excretory System. Give the effects of exercises on Excretory System.)
उत्तर-
मल निकास प्रणाली (Excretory System)—उस प्रबन्ध को मल निकास प्रणाली कहते हैं जिसके द्वारा शरीर में से व्यर्थ एवं हानिकारक पदार्थों का निकास होता है। यदि ये व्यर्थ मल निकास प्रणाली और हानिकारक पदार्थ शरीर में ही जमा रहें तो शरीर अनेक प्रकार के रोगों का शिकार हो सकता है। इन बाहर आने वाले पदार्थों में यूरिया, कार्बन डाइऑक्साइड, पसीना तथा पानी प्रमुख हैं। इन पदार्थों का निकास फेफड़ों, गुर्दो, त्वचा (Skin) तथा आन्तों के द्वारा होता है।
व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercise)—व्यायाम मल निकास प्रणाली को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित करता है
- व्यायाम करने से शरीर में हिल-जुल होती है जिसके कारण रक्त की गति तेज़ हो जाती है। शरीर में गैसों की अदला-बदली (Exchange of gases) के कारण पौष्टिक पदार्थ हज्म हो जाते हैं तथा व्यर्थ पदार्थों का निकास हो जाता है। इससे शरीर का तापमान स्थिर रहता है।
- व्यायाम के कारण शरीर की विभिन्न मांसपेशियों को काम करना पड़ता है। इससे शरीर में टूट-फूट होती रहती है जिससे त्वचा में से गन्दगी का निकास होता रहता है। इस प्रकार शरीर चर्म रोगों से मुक्त रहता है।
- व्यायाम करने से शरीर में से अनावश्यक पदार्थों के रूप में विषैली वस्तुओं का शरीर से बाहर निकास होता रहता है। इस प्रकार विषैले कीटाणु शरीर में एकत्रित नहीं होते तथा शरीर में इन विषैले कीटाणुओं के विरुद्ध संघर्ष करने की शक्ति बढ़ती है।।
- व्यायाम करने से गुर्दे व्यर्थ पदार्थों को छान कर पेशाब के रूप में बाहर निकालते हैं। इस प्रकार ये एक छाननी का कार्य करते हैं।
प्रश्न 14.
नबज क्या है? (What is Pulse ?)
उत्तर-
रक्त की गति के कारण शिराओं और धमनियों की दीवारें फैलती और सिकुड़ती हैं। इस क्रिया को नब्ज कहते हैं। जो साधारण मनुष्य में 76 से 80 बार होता है। नबज को एक हाथ द्वारा दूसरी बाजू पर अंगुलियों का दबाव डाल कर देखा जा सकता है। खिलाड़ी की नब्ज़ एक मिनट में 60 से कम भी हो सकती है।
प्रश्न 15.
मानसिक थकावट के मुख्य कारण क्या हैं ?
(What are the main causes of mental fatigue ?)
उत्तर-
- भोजन में पोषटिक पदार्थों की कमी
- अच्छी तरह से नींद न आना
- व्यक्ति की समर्था से ज्यादा काम का बोझ
- रोग
- एकाग्रता की कमी।
बड़े उत्तरों वाले प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
रक्त के भिन्न-भिन्न अंगों का वर्णन करो। रक्त के मुख्य कार्य क्या हैं ?
(What is composition of blood ? Discuss its functions.)
उत्तर-
रक्त और उसके अंग (Blood and its Parts) रक्त या खून एक प्रकार का तरल पदार्थ है जिसका निर्माण उन खाद्य पदार्थों से होता है जिन्हें हम अपने शरीर में पहुंचाते हैं। रक्त हमारे शरीर में एक महत्त्वपूर्ण पदार्थ है। मनुष्य के शरीर में रक्त उसके शरीर के भार का बारहवां (112 )भाग होता है। प्रायः एक नवयुवक के शरीर में रक्त की मात्रा 2 से 3 लिटर (Litre) तक होती है। कई दिशाओं में यह मात्रा कम या अधिक भी हो सकती है।
यदि हम त्वचा (Skin) के किसी भाग को काटें तो उसमें से एक तरल (Liquid) पदार्थ निकलता है। इस तरल पदार्थ का नाम ही ‘रक्त’ है। देखने में तो यह लाल रंग का प्रतीत होता है, परन्तु वास्तव में ऐसा है नहीं। यदि हम इस तरल पदार्थ अर्थात् रक्त को सूक्ष्मदर्शी (Microscope) से देखें तो हमें पता चलेगा कि रक्त में असंख्य छोटे-छोटे कण होते हैं। इन कणों का रंग सफ़ेद या लाल होता है। इन्हें लाल रक्त कण (Red Corpuscles) तथा श्वेत रक्त कण (White Corpuscles) कहते हैं। ये एक प्रकार के हल्के पीले द्रव्य (Yellow Liquid) में तैरते हैं जिसे रक्तवारि अथवा प्लाज़मा (Plasma) कहते हैं।
रक्त में मुख्यतः निम्नलिखित पदार्थ होते हैं जिन्हें नीचे दी गई तालिका द्वारा इस प्रकार प्रकट किया जाता है-
1. रक्तवारि या प्लाज्मा (Plasma) —यह रक्त का हल्के-पीले रंग का पारदर्शक (Transparent) पदार्थ होता है। इसमें लाल और सफ़ेद कण तैरते रहते हैं। इसमें 90% पानी और 10% ठोस पदार्थ घुले रहते हैं। ये ठोस पदार्थ प्रोटीन, खनिज लवण और वसा (Fat) होते हैं। प्लाज्मा (Plasma) रक्त के दबाव (Pressure) को ठीक रखता है तथा लाल और सफ़ेद रक्त कणों को जाने में सहायता करता है। इसकी प्रोटीन रक्त के बहने को रोकने में सहायता देती है।
2. लाल रक्त कण (Red Corpuscles) —मनुष्य के लाल रक्त कण गोल तथा दोनों ओर से चिपके होते हैं। मनुष्य के एक घन मिलीमीटर रक्त में इनकी संख्या लगभग 5,000,000 होती है। ये इतने छोटे होते हैं कि यदि किनारे से किनारा मिला कर रखे जाएं तो 2.5 वर्ग सैंटीमीटर स्थान में ये लगभग 1 करोड़ आ जाएंगे। इनकी बाहरी परत एक लचीले खोल के रूप में होती है, जिसके अन्दर पीले रंग का लोहे का एक रंग (Pigment) होता है जिसे हिमोग्लोबिन (Heamoglobin) कहते हैं जो कि लोहे तथा प्रोटीन वस्तुओं से मिलकर बनती है। हिमोग्लोबिन ऑक्सीजन को चूस लेता है। इससे इसका रंग चमकदार हो जाता है और यह ऑक्सी हिमोग्लोबिन (Oxy Heamoglobin) में बदल जाता है। इसी पदार्थ के कारण रक्त फेफड़ों से ऑक्सीजन को चूस कर शरीर के भीतरी भाग तक पहुंचता है। लड़कियों में लाल रक्त कण लड़कों की अपेक्षा कम होते हैं। अधिक व्यायाम करने से तथा ऊंचाई पर लाल रक्त कणों की संख्या बढ़ जाती है।
चित्र-लाल और सफ़ेद रक्त कण
3. सफ़ेद रक्त कण (White Corpuslces)—शरीर की तुलना एक राज्य से की जा सकती है। जिस प्रकार राज्य की रक्षा के लिए सेना का प्रबन्ध होता है, उसी प्रकार शरीर रूपी राज्य के लिए सफ़ेद रक्त कण रूपी सेना का प्रबन्ध है। सफ़ेद रक्त कणों की संख्या लाल रक्त कणों की अपेक्षा कम होती है। शरीर में लगभग 600 लाल रक्त कणों के पीछे केवल 1 (एक) सफ़ेद रक्त कण होता है। एक घन मिलीमीटर में सफ़ेद रक्त कणों की संख्या लगभग 8,000 से 10,000 होती है। ये रंगहीन और बेडौल (Irregular) आकार के होते हैं। इनकी सहायता से शरीर रोगों का सामना करता है। इनका कार्य रोग के कीटाणुओं (germs) को घेर कर उन्हें समाप्त करना है। शरीर में चोट आदि लगने पर ये घावों को भरने में सहायक होते हैं।
4. प्लेटलेट्स (Platelets) —मनुष्य के रक्त में लाल तथा सफ़ेद रक्त कणों के अतिरिक्त एक तीसरे प्रकार के रक्त कण भी पाए जाते हैं जिन्हें रक्त प्लेटलेट्स (Platelets) कहते हैं। ये लाल और सफ़ेद रक्त कणों से बिल्कुल भिन्न हैं। ये लाल कणों का 12, या 13 होते हैं। रक्त के एक घन मिली मीटर में इनकी संख्या लगभग 3 लाख होती है। ये सफ़ेद और बेडौल (Irregular) आकार के होते हैं। इनका प्रमुख कार्य रक्त को बहने से रोकना है।
रक्त के कार्य (Functions of Blood) रक्त के निम्नलिखित कार्य होते हैं-
- रक्त हमारे भोजन के पचे हुए भाग को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाने का कार्य करता है।
- रक्त ही शरीर में विषैले व्यर्थ पदार्थ के निकास में सहायता देता है। यह इन पदार्थों
को अपने अन्दर घोल कर गुर्दे में ले जाता है जहां से वे मूत्र (Urine) के रूप में बाहर निकल जाते हैं। - रक्त में उपस्थित लाल रक्त कण (Red Corpuscles) फेफड़ों में ऑक्सीजन चूस कर शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों में ले जाते हैं।
- लाल रक्त कण ही ऑक्सीजन क्रिया के बाद बनी कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) को फेफड़ों में लाकर बाहर निकालने का कार्य करते हैं।
- सफ़ेद रक्त कण (White Corpuscles) शरीर की कीटाणुओं से रक्षा करते हैं।
- रक्त प्लेटलेट्स चोट लगने पर रक्त को शरीर से बाहर बह जाने से रोकने का काम करते हैं।
- रक्त हार्मोन्स (Harmones) को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करता है।
- रक्त के द्वारा शरीर के विभिन्न अंग परस्पर मिले रहते हैं और सूख कर नष्ट होने से बच जाते हैं।
- रक्त के द्वारा ही शरीर के विभिन्न अंगों का तापक्रम स्थिर रहता है।
संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि रक्त जीवन देने वाला है। यदि किसी अंग में रक्त का प्रवाह न हो तो वह अंग पीला पड़ जाता है और कमजोर हो जाता है। अधिक समय तक इस क्रम के रहने से अंग मर भी सकता है।
प्रश्न 2.
श्वास प्रणाली के अंगों का नाम लिखो। श्वास प्रणाली पर व्यायाम के प्रभाव लिखो।
(Mention the main organs of Respiration. Describe the effects of exercises on Respiration System.)
उत्तर-
श्वास लेने तथा छोड़ने की क्रिया को श्वास-क्रिया (Respiration) कहते हैं। इस क्रिया द्वारा मनुष्य वायु के साथ ऑक्सीजन फेफड़ों में ले जाता है और वायु के साथ शरीर में उत्पन्न हुई कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकाल देता है। श्वास क्रिया में अनेक अंग जैसे नाक, श्वास नली, फेफड़े आदि काम करते हैं। श्वास प्रणाली के विभिन्न अंग निम्नलिखित हैं
- नाक (Nose)
- ग्रसनिका या पूर्वकण्ठ (Pharynx)
- स्वर यन्त्र अथवा कण्ठ (Larynx)
- श्वास नली या टेंटुआ (Wind-Pipe or Trachea)
- वायु नलियां (Bronchial Tubes)
- फेफड़े (Lungs)
हमारे शरीर में वायु नाक व मुँह दोनों में ही प्रवेश करती है, परन्तु हमें नाक से ही वायु अन्दर ले जानी चाहिए क्योंकि वायु में धूल-कण विद्यमान होते हैं। नासिकाओं में बालों द्वारा इन्हें रोककर शुद्ध वायु ग्रसनिका में पहुंचाई जाती है। वहां से टेंटुंओं के रास्ते से होते हुए फेफड़ों में जाती है। जब हम सांस लेते हैं तो छाती में स्थित खोह फैल जाती है। इससे फेफड़े भी ज्यादा वायु खींचकर फैल जाते हैं और छाती के फैले हुए भाग को घेर लेते हैं। जब छाती पोल सिकुड़ता है तो वायु का कोशिकाओं के अन्दर दबाव पड़ता है। इससे वायु कुछ वायु कोशों से होकर बाहर निकाल दी जाती है।
जब डायाफ्राम की मांसपेशियां सिकुड़ती हैं तो यह चपटी हो जाती हैं जिसमें छाती खोह बढ़ जाता है और फेफड़े फैल जाते हैं जिससे ज्यादा वायु आ जाती है। इसके पश्चात् डायाफ्राम दोबारा अपनी पहली स्थिति में आ जाता है जिससे फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और वह सिकुड़ते हैं तथा अन्दर की वायु बाहर निकल जाती है। जब अन्दर की वायु का दबाव वायु के मुकाबले में कम हो जाता है जिससे बाहर की वायु उसका स्थान ग्रहण कर लेती है। इस प्रक्रिया का नाम दुहार क्रिया है। इसके पश्चात् डायाफ्राम एवं पसलियां सिकुड़ कर अपनी पहली स्थिति में आ जाती हैं तथा फेफड़े सिकुड़ जाते हैं जिससे हवा बाहर निकल जाती है। इस प्रक्रिया को प्रश्वास कहा जाता है। इसके पश्चात् फिर से वही क्रम शुरू हो जाता है, परन्तु इस क्रिया के दोबारा आरम्भ होने को आराम कहा जाता है।
इस पूर्ण क्रिया को (जिसमें अन्तः श्वसन, आराम तथा प्रश्वास क्रिया होती है) पूर्ण श्वास क्रिया कहा जाता है।
श्वास प्रणाली पर व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercise on Respiratory System)
व्यायाम श्वास प्रणाली पर विशेष प्रभाव डालता है जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है—
- व्यायाम करने से शरीर में हिल-जुल पैदा होती है जिससे शरीर से विषैले पदार्थ, पसीना, मल त्याग तथा पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इससे शरीर रोगों से मुक्त रहता है।
- व्यायाम करने से फेफड़ों में वायु भरने की शक्ति में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप फेफड़ों में अधिक लचक आती है तथा ये कई रोगों से बचे रहते हैं।
- व्यायाम करने में शरीर से रक्त अधिक मात्रा में साफ़ होता है। इसके परिणामस्वरूप शरीर के भिन्न-भिन्न सैलों में श्वास-क्रिया के द्वारा रक्त अधिक मात्रा में पहुंचता है।
- व्यायाम करने से शरीर से व्यर्थ पदार्थों का निकास हो जाता है जिससे शरीर में काम करने की शक्ति अधिक पैदा होती है।
- व्यायाम करने से शरीर के सभी सैलों को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है। इसके फलस्वरूप शरीर स्वस्थ एवं शक्तिशाली बनता है।
- इसके द्वारा जोर का कार्य करने से व्यक्ति की जीवन धारा. बढ़ जाती है। (7) इसके द्वारा विकास अधिक-से-अधिक किया जा सकता है।’
- इसके द्वारा गैसों की अदला-बदली तीव्रता और ठीक तरह से होती है। (9) इसके द्वारा शरीर की मुकाबला करने की शक्ति बढ़ जाती है।
- व्यायाम करने से कार्बन डाइऑक्साइड के बाहर निकलने और ऑक्सीजन के अन्दर प्रवेश करने की मात्रा में वृद्धि हो जाती है।
प्रश्न 3.
रक्त प्रणाली पर व्यायाम के प्रभाव लिखो।
(Write down the effects of Exercises on Circulatory System.)
उत्तर-
रक्त प्रणाली एक प्रकार का तरल पदार्थ (Liquid) है। इसका निर्माण उन खाद्य एवं पेय पदार्थों से होता है जिन्हें हम अपने शरीर में पहुंचाते हैं। मानव शरीर में रक्त उसके शरीर के कुल भार का 112, या 113 में भाग होता है। रक्त में असंख्य छोटे-छोटे लाल एवं श्वेत कण होते हैं जो कि प्लाज्मा नामक हल्के पीले रंग के द्रव्य में तैरते रहते हैं। रक्त हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में दिन-रात भ्रमण करता रहता है। रक्त की इस गति को रक्त परिवहन (Blood Circulation) कहते हैं। रक्त परिवहन में शरीर के जो अंग भाग लेते हैं, उनके समूह को रक्त प्रणाली (Circulatory System) कहते हैं।
रक्त प्रणाली पर व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercise on Circulatory System.) रक्त प्रणाली पर व्यायाम के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं—
- व्यायाम करते समय हृदय मांसपेशियों को आवश्यकतानुसार अधिक रक्त देता है. जिसके फलस्वरूप छोटी रक्त नलियों तथा तन्तुओं के तनों में अधिक वृद्धि होती है।
- व्यायाम करने वालों के शरीर में शुद्ध एवं अशुद्ध रक्त की अदला-बदली शीघ्र होती रहती है। इसके फलस्वरूप शरीर में पौष्टिक पदार्थ तथा ऑक्सीजन की मात्रा अधिक मिलती है और शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड आदि व्यर्थ और हानिकारक पदार्थों का पसीने तथा पेशाब के रूप में निकास हो जाता है। इससे शरीर हृष्ट-पुष्ट व नीरोग रहता है।
- व्यायाम करने वाले व्यक्ति का रक्त दबाव अधिक नहीं होता। उसकी मांसपेशियां सिकुड़ती और फैलती हैं। फलस्वरूप रक्त शीघ्र साफ हो जाता है।
- व्यायाम करते समय शरीर का प्रत्येक अंग काम करता है। इस कारण उन्हें ऑक्सीजन की अधिक आवश्यकता पड़ती है। व्यायाम करने वाले व्यक्ति के खून की गति साधारण व्यक्ति से दुगुनी होती है।
- व्यायाम करने से मांसपेशियां मज़बूत होती हैं। इसके फलस्वरूप आराम की स्थिति में हृदय की धड़कन मन्द चलती है, परन्तु रक्त की गति तेज़ होती है।
- व्यायाम करने वाले मनुष्य को ऑक्सीजन की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। इस प्रकार ऑक्सीजन की खपत में वृद्धि होती है तथा रक्त में इसकी मात्रा बढ़ती है। इस बढ़ी हुई ऑक्सीजन के कारण लैक्टिक एसिड में वृद्धि नहीं होती। इसलिए खिलाड़ी तथा एथलीट बिना थकावट महसूस किए काफ़ी समय तक खेल में भाग ले सकते हैं।
- व्यायाम करते समय रक्त नलियों के मुंह खुलते और बन्द होते रहते हैं जिससे व्यायाम करते समय ऑक्सीजन अधिक मात्रा में अन्दर जाती रहती है। भारी व्यायाम तथा दौड़ते समय ऑक्सीजन 3500 घन मिली लिटर तक अन्दर चली जाती है जबकि साधारण व्यायाम करने वाले में ऑक्सीजन की मात्रा केवल 5000 से 8000 घन मिली लिटर तक होती है।
- व्यायाम करने वाले व्यक्ति की शिराओं (Veins) तथा धमनियों (Arteries) को अधिक काम करना पड़ता है। फलस्वरूप इनकी दीवारें मज़बूत हो जाती हैं। व्यायाम करने वाले व्यक्ति के दिल की रक्त स्ट्रोक (Stroke Volume) साधारण व्यक्ति से अधिक होती है।
प्रश्न 4.
मांसपेशियां क्या हैं ? ये कितने प्रकार की हैं ? इन पर व्यायाम के प्रभावों के बारे में बताएं।
(What are Muscles ? Give its types. Write down the effects of exercises on muscular system.)
उत्तर-
मांसपेशियां (Muscles)-मानव शरीर का सर्वोत्तम गुण इसकी गति अथवा चलना-फिरना है। मनुष्य के घूमने-फिरने से हड्डियां धुरी की भूमिका निभाती हैं। हड्डियों के साथ मांसपेशियां जुड़ी होती हैं। ये विभिन्न आकार की होती हैं। इन मांसपेशियों में मांस सूत्र सैलों का सुमेल है। प्रत्येक मांसपेशी हड्डी के साथ जुड़ी होती है।
मांसपेशियों के सिकुड़ने से हडियों में भी खिंचाव उत्पन्न होता है तथा भिन्न-भिन्न अंग कार्य करते हैं। मांसपेशियों में 75% पानी, 18% प्रोटीन तथा शेष (वसा) चर्बी तथा नमक आदि होते हैं। रक्त तथा सुषम्ना नाड़ियां इन मांसपेशियों को सूचना पहुंचाने का काम करती
मांसपेशियों के प्रकार (Types of Muscles)—मांसपेशियां निम्नलिखित दो प्रकार की होती हैं—
- ऐच्छिक मांसपेशियां (Voluntary Muscles)
- अनैच्छिक मांसपेशियां (Involuntary Muscles)
1. ऐच्छिक मांसपेशियां (Voluntary Muscles) ऐच्छिक मांसपेशियां वे हैं जो व्यक्ति की इच्छानुसार कार्य करती हैं। ये हड्डियों के पिंजर के ऊपर लगी होती हैं। ये टांगों तथा भुजाओं में मिलती हैं। ये प्राप्त सूचना के अनुसार कार्य करती हैं। ये शरीर को गति प्रदान करती हैं, शारीरिक ढांचे को सम्भाल कर रखती हैं तथा शरीर में गर्मी उत्पन्न करती हैं।
चित्र-ऐच्छिक मांसपेशियां
2. अनैच्छिक मांसपेशियां (Involuntary Muscles) (2005 B)-अनैच्छिक मांसपेशियां वे मांसपेशियां हैं जो व्यक्ति के वश में नहीं होती और उसकी इच्छा के बिना ही काम करती रहती हैं। ये हृदय, जिगर तथा आन्तों आदि में पाई जाती हैं। ये व्यक्ति के सोते हुए भी कार्य करती रहती हैं। ये रक्त परिवहन तथा पाचन क्रिया में सहायता पहुंचाती हैं। इनके लक्षण सिकुड़ना, फैलाव तथा लचक आदि हैं।
चित्र-अनैच्छिक मांसपेशियां
मांसपेशियों पर व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercise on Muscles)— याम के मांसपेशियों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं—
- व्यायाम करने वाले व्यक्तियों की मांसपेशियां अधिक काम करती हैं। इस प्रकार उन्हें ऑक्सीजन द्वारा पौष्टिक खुराक अधिक मात्रा में प्राप्त होती है। इससे ये अधिक पुष्ट और मज़बूत बन जाती है।
- प्रतिदिन व्यायाम करने से मांसपेशियों का आपसी ताल-मेल बढ़ता है। इनमें व्यायाम के कारण अधिक शक्ति आती है। फलस्वरूप व्यक्ति लम्बी अवधि तक काम करके भी थकावट महसूस नहीं करता है।
- व्यायाम करने से मांसपेशियों को अधिक काम करना पड़ता है। व्यायाम करने वाले व्यक्ति के अन्दर ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ जाती है। इस प्रकार मांसपेशियों में तेजी से रक्त पहुंचता रहता है।
- व्यायाम करने से शरीर में हिल-जुल होती रहती है। इसमें कई व्यर्थ पदार्थों का शरीर से निकास हो जाता है तथा शरीर का तापमान प्रायः समान ही रहता है।
- व्यायाम करने से मांसपेशियों को ग्लाइकोजन, फॉस्कोराटीन तथा पोटाशियम आदि रासायनिक पदार्थ प्राप्त होते रहते हैं। रासायनिक पदार्थ रक्त की गति में वृद्धि करते हैं।
- व्यायाम करने से शरीर की मांसपेशियों में लचक तथा स्फूर्ति आती है। इससे हमारा शरीर नीरोग तथा मजबूत,रहता है।
- व्यायाम करने से छाती की हड्डियों के पट्ठों के फैलने की शक्ति बढ़ जाती है।
- इसके द्वारा पट्ठों को प्रयोग के योग्य रखा जा सकता है।
- इसके द्वारा हमारी हड्डियां कठोर हो जाती हैं और अधिक समय तक काम कर सकती हैं।
- विश्राम अवस्था में व्यक्ति का रक्त चक्र पूरा होने के लिए 21 सैकिंड लगते हैं। परन्तु व्यायाम करने से यह 8.15 या 10 सैकिंड में पूरा हो जाता है।
प्रश्न 5.
मलत्याग प्रणाली के मुख्य अंगों पर व्यायाम के प्रभाव लिखें।
(Discuss the main organs of Excretory System. Write the effects of Exercise on Excretory System.)
उत्तर-
मलत्याग प्रणाली उसको कहते हैं जिसके द्वारा शरीर में व्यर्थ और हानिकारक पदार्थों का निकास होता है। यदि यह व्यर्थ पदार्थ शरीर में ही रहें तो कई प्रकार के रोग लग सकते हैं। बाहर आने वाले पदार्थ यूरिया, कार्बन डाइऑक्साइड, पसीना और पानी हैं, जो फेफड़ों, गुर्दो, त्वचा और आंतड़ियों द्वारा बाहर निकलते हैं।
- व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercises)-व्यायाम द्वारा रक्त की गति तेज़ हो जाती है, शरीर में गैसों के परिवर्तन के कारण पौष्टिक पदार्थ दब जाते हैं और व्यर्थ पदार्थों का निकास हो जाता है तथा शरीर का तापमान स्थिर रहता है।
- व्यायाम द्वारा मांसपेशियों को कार्य करना पड़ता है जिससे त्वचा द्वारा गंदगी का निकास होता रहता है जिससे शरीर त्वचा के रोगों से मुक्त रहता है।
- व्यायाम द्वारा व्यर्थ पदार्थ और ज़हरीली वस्तुएं शरीर से बाहर निकल जाती हैं और ज़हरीले कीटाणु शरीर में इकट्ठे नहीं हो सकते।
- व्यायाम द्वारा गुर्दे व्यर्थ पदार्थों को पेशाब द्वारा बाहर निकाल देते हैं।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर नोट लिखो
(क) त्वचा के कार्य
(ख) गुर्दे
(ग) दिल
(घ) शिराएं तथा धमनियां। (अभ्यास का प्रश्न 6)
[Write a note on the following
(a) Functions of Skin
(b) Kidneys
(c) Heart
(d) Arteries and Veins.]
उत्तर-
(क) त्वचा के कार्य (Functions of Skin) त्वचा (चमड़ी) एक प्रकार का आवरण (पर्दा) है जो शरीर के आन्तरिक अंगों तथा मांसपेशियों को ढांप कर रखती है। त्वचा दो प्रकार की होती है-ऊपरी या बाह्य (Epidermic) तथा निचली या आन्तरिक (Dermis)। ऊपरी त्वचा सख्त तथा नर्म होती है। इसमें छोटे-छोटे मुसाम होते हैं, जिनसे पसीना शरीर में से बाहर निकलता रहता है। निचली या आन्तरिक त्वचा बन्धक तन्तुओं (Connective tissues) की बनी होती है। इसमें वसा (चर्बी) होती है जो गर्मी पैदा करने में सहायता प्रदान करती है। इसमें दो प्रकार की पसीना तथा चिकनाहट की ग्रन्थियां होती हैं जो शरीर के तापमान को एक समान रखने में सहायता देती हैं।
चित्र-त्वचा
(ख) गुर्दे (Kidneys) (P.S.E.B. 2009 C, 2014 A, 2017 B)—गुर्दे संख्या में दो होते हैं। ये पेट के पीछे की ओर स्थित होते हैं। इनका आकार सेम के बीज जैसा होता है। ये पेशाब का शरीर से निकास करने में सहायता देते हैं। ये शरीर में रक्त व पानी की मात्रा एक समान रखते हैं। गुर्दे के द्वारा शरीर में से यूरिया, यूरिक एसिड, खनिज लवण पेशाब के रूप में निकलते रहते हैं।
चित्र-गुर्दे
(ग) दिल (Heart)—यह शरीर का सबसे कोमल तथा रक्त परिवहन का प्रमुख अंग है। यह छाती के बाईं ओर स्थित है। इसका आकार बन्द मुट्ठी जैसा होता है। यह लम्बाई की ओर से दो भागों में बंटा होता है। प्रत्येक भाग आगे दो भागों में बंटा होता हैऊपरी भाग तथा निचला भाग। ऊपर के भाग को ऊपरी खाना (Auricle) तथा निचले भाग को निचला खाना (Ventricle) कहते हैं। शरीर में से शुद्ध वायु विभिन्न अंगों तथा
चित्र-दिल
शिराओं के माध्यम से दिल के दाएं ऊपरी खाने (Auricle) तक पहुंचती है तथा ऊपर से त्रिकपर्दीय (Triscupid Valve) के द्वारा निचले खाने (Ventricle) में पहुंचती है। यहां से यह ऊपर वापस नहीं जा सकती। दायें निचले खाने से रक्त फेफड़ों वाली धमनी (Pulmonary Artery) से फेफड़ों में शुद्ध होने के लिए जाता है तथा वापसी में ऑक्सीजन से मिश्रित शुद्ध रक्त दिल के बायें ऊपरी खाने में पहुंच जाता है। यह निचले खाने में द्विकपर्दीय (Bicuspid) द्वार के द्वारा पहुंचता है। निचले खाने से यह महाधमनी (Aorta) के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचता है। इस प्रकार रक्त परिवहन का यह चक्र निरन्तर कार्य करता रहता है।
(घ) शिराएं एवं धमनियां (Veins & Arteries)—जो नलियां रक्त को फेफड़ों तथा शरीर के अन्य भागों से फेफड़ों की ओर ले जाती हैं उन्हें शिराएं (Veins) कहते हैं। इनकी दीवारों की बनावट तो धमनियों जैसी होती है, परन्तु इनमें लचीली तथा मांसदार पेशियों की तह बहुत बारीक होती है। पलमोनरी शिरा को छोड़कर शेष सभी शिराएं अशुद्ध रक्त को ही हृदय में लाती हैं।
चित्र-धमनियां, शिराएं, कोशिकाएं
धमनियां (Arteries) शुद्ध रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाती है। ये लचकदार तथा मोटी दीवार की बनी होती हैं। इसमें स्वच्छ रक्त को ले जाने वाली धमनी को पलमोनरी धमनी (Pulmonary Artery) कहते हैं। धमनियों में सबसे प्रमुख धमनी को मूल धमनी या महाधमनी (Aorta) कहते हैं।